विश्व कैंसर दिवस 2025: थीम, इतिहास और महत्व

कैंसर आज मानवता के सामने सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है, जिससे हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं और कई लोग इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2022 में कैंसर से लगभग 1 करोड़ मौतें हुईं। इसके व्यापक प्रभाव को देखते हुए, कैंसर मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है, जो इस बीमारी से निपटने के लिए सभी स्तरों पर प्रयासों की आवश्यकता को दर्शाता है।

हर साल 4 फरवरी को मनाया जाने वाला विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने, कार्रवाई करने और इसके वैश्विक प्रभाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह दिन व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों को कैंसर के खिलाफ एकजुट होने और इसे रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है।

विश्व कैंसर दिवस का इतिहास

उत्पत्ति और स्थापना: विश्व कैंसर दिवस को आधिकारिक रूप से 4 फरवरी 2000 को पेरिस में आयोजित ‘वर्ल्ड कैंसर समिट फॉर द न्यू मिलेनियम’ (World Cancer Summit for the New Millennium) के दौरान स्थापित किया गया था।

यूआईसीसी द्वारा आयोजन: इस सम्मेलन का आयोजन यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) ने किया था, जिसमें विश्वभर के नेता, स्वास्थ्य विशेषज्ञ और नीति निर्माता एकत्र हुए थे ताकि कैंसर संकट से निपटने की आवश्यकता को रेखांकित किया जा सके।

पेरिस चार्टर अगेंस्ट कैंसर: इस सम्मेलन में ‘पेरिस चार्टर अगेंस्ट कैंसर’ (Paris Charter Against Cancer) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने विश्व कैंसर दिवस की नींव रखी। इसका उद्देश्य था:

  • कैंसर के कारणों, उपचार और रोकथाम पर शोध को बढ़ावा देना।
  • रोगियों की देखभाल और सहायता में सुधार करना।
  • कैंसर के बढ़ते प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • सरकारों, समुदायों और व्यक्तियों को इस बीमारी से लड़ने के लिए प्रेरित करना।

विश्व कैंसर दिवस 2025 की थीम

विश्व कैंसर दिवस 2025 की थीम “यूनाइटेड बाय यूनिक” (United by Unique) है, जो 2027 तक चलने वाले तीन वर्षीय अभियान की शुरुआत को चिह्नित करती है।

इस थीम का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक कैंसर रोगी की व्यक्तिगत यात्रा को महत्व देना और कैंसर उपचार में व्यक्तिगत देखभाल और समावेशिता को बढ़ावा देना है।

इस अभियान के उद्देश्य:

  • व्यक्तिगत कहानियों को उजागर करना: कैंसर रोगियों, बचने वालों और देखभाल करने वालों की कहानियों को साझा करके सहानुभूति और समर्थन को प्रोत्साहित करना।
  • व्यक्तिगत देखभाल को प्रोत्साहित करना: ऐसे स्वास्थ्य सेवा तंत्र की वकालत करना, जो प्रत्येक मरीज की अनूठी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर उपचार और सेवाएं प्रदान करे।
  • समावेशिता को बढ़ावा देना: यह सुनिश्चित करना कि हर व्यक्ति, चाहे उसकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति, पृष्ठभूमि या स्थान कुछ भी हो, दयालु और प्रभावी कैंसर उपचार तक समान पहुंच प्राप्त कर सके।

इस थीम के माध्यम से, विश्व कैंसर दिवस 2025 समझ, सहानुभूति और सहयोग पर केंद्रित एक वैश्विक आंदोलन को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।

इस दिवस का महत्व

विश्व कैंसर दिवस एक महत्वपूर्ण वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है, जिसका उद्देश्य सभी प्रकार के कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाना, रोकथाम को बढ़ावा देना, जल्दी पहचान सुनिश्चित करना और प्रभावी उपचार को प्रोत्साहित करना है ताकि कैंसर से होने वाली मौतों को कम किया जा सके।

यह दिन सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता को उजागर करता है और व्यक्तियों, सरकारों और संगठनों को इस बीमारी के खिलाफ एकजुट होने के लिए प्रेरित करता है।

कैंसर के खिलाफ लड़ाई में जागरूकता का महत्व

कैंसर के प्रभाव को कम करने के वैश्विक प्रयासों में जागरूकता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जल्दी पहचान को प्रोत्साहित करके, रोकथाम से जुड़ी जानकारी फैलाकर और आम भ्रांतियों को दूर करके, जागरूकता न केवल जीवन बचा सकती है बल्कि कैंसर से जुड़े नतीजों में भी सुधार कर सकती है।

जागरूकता क्यों महत्वपूर्ण है?

  • जल्दी पहचान से बचाव संभव है: स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर जैसे कई कैंसर का प्रारंभिक चरण में पता लगने से उपचार और ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
  • स्क्रीनिंग कार्यक्रम मददगार हैं: विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए कैंसर की शुरुआती अवस्था में पहचान करने से बेहतर और प्रभावी उपचार विकल्प मिल सकते हैं।
  • देरी से निदान गंभीर हो सकता है: कई मामलों में, लक्षणों और जोखिम कारकों की जानकारी की कमी के कारण कैंसर का निदान बहुत देर से होता है।
  • समय पर चिकित्सा जांच आवश्यक है: नियमित जांच और स्क्रीनिंग से कैंसर की पहचान उसकी गंभीर अवस्था में पहुंचने से पहले ही की जा सकती है, जिससे इलाज आसान और प्रभावी हो जाता है।
  • जीवनशैली में बदलाव जरूरी है: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और हानिकारक आदतों जैसे तंबाकू सेवन, अत्यधिक शराब पीने और सूर्य की हानिकारक किरणों से बचने से कैंसर का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  • टीकाकरण से बचाव संभव: सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों के माध्यम से लोगों को एचपीवी (HPV) वैक्सीन जैसे टीकों के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सकता है, जिससे गर्भाशय ग्रीवा कैंसर को रोका जा सकता है।

कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए उठाए जाने वाले कदम

व्यक्ति कुछ आवश्यक उपाय अपनाकर कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। यहां कुछ व्यावहारिक सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें अपने दैनिक जीवन में शामिल किया जा सकता है:

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
  • तंबाकू से बचें
  • शराब का सेवन सीमित करें
  • त्वचा को धूप से बचाएं
  • टीकाकरण करवाएं
  • नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराएं

कैंसर के आम लक्षण और संकेत

  • अचानक वजन कम होना: बिना किसी कारण के तेजी से वजन घटना किसी आंतरिक स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है।
  • लगातार थकान: यदि आराम करने के बावजूद लगातार थकान बनी रहती है, तो यह कैंसर का संकेत हो सकता है।
  • त्वचा में बदलाव: त्वचा का पीला पड़ना, गहरा होना, लाल होना या घाव और मस्से जो ठीक न हों, कैंसर का लक्षण हो सकते हैं।
  • गांठ या सूजन: स्तन, गर्दन, बगल या शरीर के किसी अन्य हिस्से में नई गांठ या सूजन बनना।
  • लगातार दर्द: पेट, पीठ या जोड़ों में लगातार दर्द रहना, जिसके पीछे कोई स्पष्ट कारण न हो।
  • मल-मूत्र की आदतों में बदलाव: लगातार दस्त, कब्ज, मल में खून आना या पेशाब करने में कठिनाई होना।
  • असमय रक्तस्राव या चोट के निशान: खांसी में खून आना, उल्टी में खून दिखना, मल या पेशाब में रक्त होना।
  • लंबे समय तक खांसी या आवाज में बदलाव: लगातार खांसी या आवाज में बदलाव गले या फेफड़ों के कैंसर का संकेत हो सकता है।

विश्व कैंसर दिवस में भाग लेने के तरीके

  • स्वयं को शिक्षित करें और दूसरों को जागरूक करें।
  • इवेंट्स में भाग लें या खुद आयोजन करें।
  • कैंसर रोगियों और उनके देखभाल करने वालों का समर्थन करें।
  • सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता की वकालत करें।
  • स्वयं जांच करवाएं और दूसरों को प्रेरित करें।
  • दान करें या फंडरेज़िंग अभियानों में भाग लें।
  • सोशल मीडिया पर कैंसर जागरूकता फैलाएं।

कैंसर के उपचार विकल्प

  • सर्जरी: कैंसरग्रस्त ऊतकों को हटाने की प्रक्रिया, जो ठोस ट्यूमर के लिए प्राथमिक उपचार हो सकती है।
  • कीमोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं, जिन्हें अन्य उपचारों के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • रेडिएशन थेरेपी: उच्च-ऊर्जा किरणों का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना या ट्यूमर को छोटा करना।
  • इम्यूनोथेरेपी: प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने में मदद करने वाली विधि।
  • टार्गेटेड थेरेपी: कैंसर कोशिकाओं में विशिष्ट अणुओं को निशाना बनाकर उनकी वृद्धि को रोकने का तरीका।
  • हार्मोन थेरेपी: हार्मोन-संवेदनशील कैंसर के विकास को रोकने के लिए हार्मोन को अवरुद्ध करना।
  • स्टेम सेल ट्रांसप्लांट: ल्यूकेमिया जैसे रक्त कैंसर में रक्त-निर्माण कोशिकाओं को पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया।

इन उपचार विधियों के जरिए कैंसर का प्रभावी इलाज किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए जल्दी पहचान और समय पर इलाज बेहद जरूरी है।

कैंसर अनुसंधान और उपचार में प्रगति

  • लिक्विड बायोप्सी: एक गैर-आक्रामक रक्त परीक्षण जो ट्यूमर डीएनए का पता लगाता है, जिससे कैंसर का शुरुआती चरण में पता लगाने और निगरानी करने में मदद मिलती है।
  • टार्गेटेड थेरेपी: कैंसर कोशिकाओं में मौजूद विशिष्ट आनुवंशिक उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) को लक्ष्य करके सटीक उपचार प्रदान करने की तकनीक।
  • कैंसर निदान में एआई: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित एल्गोरिदम जो मेडिकल इमेज को विश्लेषित कर कैंसर का अधिक सटीक और शीघ्र पता लगाने में मदद करते हैं।
  • एमआरएनए (mRNA) वैक्सीन: नई और प्रभावशाली वैक्सीन तकनीक, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित करती है।
  • रेडिएशन थेरेपी में प्रगति: प्रोटोन बीम थेरेपी और इमेज-गाइडेड रेडिएशन जैसी नई तकनीकों का उपयोग, जिससे कैंसर का सटीक और सुरक्षित उपचार संभव हो रहा है।
  • व्यक्तिगत चिकित्सा (पर्सनलाइज़्ड मेडिसिन): रोगी के आनुवंशिक प्रोफ़ाइल के आधार पर उसके लिए उपयुक्त उपचार योजना तैयार करना।
  • पालिएटिव केयर में सुधार: उन्नत दर्द प्रबंधन और सहायक चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से कैंसर रोगियों की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाना।

ये नई खोजें और तकनीकी प्रगति कैंसर के निदान और उपचार को और अधिक प्रभावी बना रही हैं, जिससे रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य और दीर्घायु का अवसर मिल सके।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला का निधन

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नवीन चावला का 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान उनके नेतृत्व और चुनावी सुधारों में उनके महत्वपूर्ण योगदान ने भारत की चुनावी प्रक्रिया पर गहरी छाप छोड़ी। एक अनुभवी सिविल सेवक के रूप में, उन्होंने चुनाव आयुक्त और बाद में मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कई अहम भूमिकाएँ निभाईं। उनके कार्यकाल को महत्वपूर्ण सुधारों और कुछ विवादों के लिए जाना जाता है।

प्रमुख बिंदु

निधन की तिथि: 3 फरवरी 2025, दिल्ली में हृदयगति रुकने के कारण (सर्जरी के बाद)

सेवा अवधि

  • चुनाव आयोग में नियुक्ति: 16 मई 2005 को चुनाव आयुक्त बने।
  • मुख्य चुनाव आयुक्त: 20 अप्रैल 2009 से 29 जुलाई 2010 तक कार्यभार संभाला।

मुख्य योगदान

2009 लोकसभा चुनाव

  • सफलतापूर्वक 2009 के आम चुनावों का संचालन किया।

चुनावी सुधार

  • थर्ड जेंडर (तीसरे लिंग) के मतदाताओं को “अन्य” श्रेणी में वोट देने की सुविधा देकर समावेशन को बढ़ावा दिया।
  • चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया में संवैधानिक सुधारों की वकालत की, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को समान दर्जा देने का प्रस्ताव रखा।

श्रद्धांजलि और संवेदनाएँ

  • एस.वाई. कुरैशी (पूर्व CEC): उनकी हास्य प्रवृत्ति, सहयोगी स्वभाव और पेशेवर कार्यशैली को याद किया, भले ही उन पर पक्षपात के आरोप लगे थे।
  • चुनाव आयोग का बयान: उनके नेतृत्व और चुनावी प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता को सराहा।
  • ओ.पी. रावत (पूर्व CEC): चुनाव आयोग के कार्यों पर चावला के गर्व और उनकी सौम्य शैली की प्रशंसा की।

विवाद

  • 2009 में पक्षपात के आरोप लगे, जिसके चलते भाजपा ने याचिका दायर की और CEC एन. गोपालस्वामी ने उनके हटाने की सिफारिश की, हालांकि इसका उनके कार्यकाल पर प्रभाव नहीं पड़ा।
  • 2006 में एनडीए नेताओं ने राष्ट्रपति के पास याचिका दायर कर उनके हटाने की माँग की

व्यक्तिगत रुचि

  • मदर टेरेसा से प्रभावित थे और उनकी अधिकृत जीवनी लिखी।
सारांश/स्थिर विवरण
क्यों चर्चा में हैं? पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला का निधन
सेवा काल चुनाव आयुक्त: 16 मई 2005 – 20 अप्रैल 2009; मुख्य चुनाव आयुक्त: 20 अप्रैल 2009 – 29 जुलाई 2010
मुख्य योगदान – 2009 के लोकसभा चुनावों का संचालन
– तृतीय लिंग (थर्ड-जेंडर) मतदाताओं के लिए चुनावी सुधार
– चुनाव आयुक्तों के लिए संवैधानिक सुधारों की वकालत
विवाद – 2009 में पक्षपात के आरोप
– 2006 में भाजपा और एनडीए नेताओं द्वारा हटाने की याचिका
श्रद्धांजलि एस.वाई. कुरैशी और ओ.पी. रावत ने उनके हास्य और सहयोगी स्वभाव की सराहना की
निजी रुचि मदर टेरेसा की जीवनी के लेखक

AI मिशन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ की घोषणा

अपनी 8वीं संघीय बजट प्रस्तुति में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के एकीकरण के लिए कैबिनेट की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और शासन पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए, सरकार ने AI से संबंधित योजनाओं के लिए आवंटन में पिछले वर्षों की तुलना में महत्वपूर्ण वृद्धि की है। बजट की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

संघीय बजट 2025 के प्रमुख बिंदु
AI के लिए शिक्षा में उत्कृष्टता केंद्र (CoE)

  • शिक्षा क्षेत्र में ₹500 करोड़ की पूंजी आवंटन के साथ एक नया उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाएगा।
  • यह तीन पहले से स्वीकृत उत्कृष्टता केंद्रों का विस्तार है, जो AI अनुसंधान और इसके अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए काम करेंगे।

India AI मिशन

  • भारत AI मिशन, जिसे अप्रैल 2024 में लॉन्च किया गया था, को वित्त वर्ष 2026 के लिए ₹2000 करोड़ का भारी आवंटन मिलेगा।
  • इस मिशन का उद्देश्य कृषि, स्वास्थ्य और शासन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में AI को लाना है।
  • यह आवंटन पिछले वर्ष के बजट ₹173 करोड़ से 1056% की वृद्धि को दर्शाता है।

AI में उत्कृष्टता केंद्र

  • शासन में AI के अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करने वाले उत्कृष्टता केंद्रों के लिए आवंटन में 82% की वृद्धि होगी, जो FY25 में ₹110 करोड़ से बढ़कर FY26 में ₹200 करोड़ हो जाएगा।

राष्ट्रीय मिशन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल (NM-ICPS)

  • AI इस व्यापक पहल का हिस्सा है, जो मंत्रालयों में तकनीकी आवश्यकताओं की पहचान करने के साथ-साथ IT, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देता है।

अन्य योजनाएँ जिनमें AI का समावेश

  • कई योजनाएँ अब AI को शामिल करती हैं, जैसे कि सतत शहरों, कृषि, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास पर केंद्रित योजनाएँ, जो राष्ट्रीय विकास में AI की विविध भूमिका को दर्शाती हैं।
योजना/प्रवृत्ति बजट आवंटन (करोड़)
IndiaAI मिशन ₹2000 (FY26)
AI में उत्कृष्टता केंद्र (शिक्षा) ₹500 (नया CoE) + ₹200 (FY26)
शासन में AI (उत्कृष्टता केंद्र) ₹200 (FY26)
राष्ट्रीय मिशन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम (NM-ICPS) व्यापक योजनाओं में शामिल
IT/इलेक्ट्रॉनिक्स/CCBT में अनुसंधान और विकास व्यापक अनुसंधान और विकास पहलों का हिस्सा
कुल AI-सम्बंधित योजनाएँ (FY26) ₹4,349.75

आर्थिक सर्वेक्षण: श्रमबल में महिला भागीदारी में वृद्धि

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 ने भारत में महिला श्रम भागीदारी दर (FLFPR) में उल्लेखनीय वृद्धि को उजागर किया, जो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की कार्यक्षमता में वृद्धि के कारण हुआ। यह वृद्धि देश के समग्र श्रम बाजार संकेतकों में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कारक मानी जा रही है। 31 जनवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत इस सर्वेक्षण में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ाने में सरकार की विभिन्न योजनाओं और महिला उद्यमिता पहलों की भूमिका को प्रमुख रूप से दर्शाया गया।

मुख्य बिंदु:

महिला श्रम भागीदारी दर (FLFPR) में वृद्धि

  • 2017-18 में 23.3% से बढ़कर 2023-24 में 41.7% हुई।
  • 21 राज्यों में FLFPR 30% से 40% के बीच।
  • 7 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में FLFPR 40% से अधिक, जिसमें सिक्किम (56.9%) सबसे आगे।

ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी

  • ग्रामीण FLFPR 2017-18 में 24.6% से बढ़कर 2023-24 में 47.6% हो गई।
  • दीनदयाल अंत्योदय योजना (DAY-NRLM) जैसी सरकारी योजनाओं ने ग्रामीण महिलाओं को कार्यबल में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सरकार की पहलें

  • महिला कौशल विकास और ऋण सुविधा से महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ी।
  • महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए गए।
  • स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत 31 अक्टूबर 2024 तक 73,151 स्टार्टअप में कम से कम एक महिला निदेशक थी, जो कुल स्टार्टअप्स का लगभग आधा हिस्सा है।

ग्रामीण महिला उद्यमियों के सामने चुनौतियाँ

  • सीमित व्यावसायिक कौशल, बाजार तक सीमित पहुँच, तकनीकी अंतराल, और मेंटॉरशिप की कमी जैसी समस्याएँ।
  • सरकार द्वारा बेहतर ऋण सुविधा, व्यवसायों का औपचारिकीकरण, और सेवाओं की प्रभावी आपूर्ति जैसी सहायता आवश्यक।

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS)

  • नवंबर 2024 में बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के चयनित जिलों में किया गया।
  • इसका उद्देश्य अवैतनिक कार्यों में शामिल महिलाओं की सही गणना सुनिश्चित करना था।

सरकार की विभिन्न योजनाओं और नीतियों के चलते महिलाओं की आर्थिक भागीदारी में सुधार हो रहा है, लेकिन उन्हें उद्यमिता में आगे बढ़ाने के लिए और अधिक सहयोग की आवश्यकता बनी हुई है।

वजह समाचार में? महिला श्रम भागीदारी दर में वृद्धि, आर्थिक सर्वेक्षण द्वारा रिपोर्ट किया गया।
FLFPR वृद्धि (2017-18 से 2023-24) 23.3% से बढ़कर 41.7%।
30-40% FLFPR वाले राज्य 21 राज्य।
40% से अधिक FLFPR वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश 7 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश (सिक्किम: 56.9%)।
ग्रामीण FLFPR वृद्धि 24.6% (2017-18) से बढ़कर 47.6% (2023-24)।
सरकारी योजनाएं दीनदयाल अंत्योदय योजना (DAY-NRLM), स्टार्टअप इंडिया पहल।
महिला स्टार्टअप्स में निदेशक 73,151 स्टार्टअप्स (कुल स्टार्टअप्स का आधा)।
ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए मुख्य चुनौतियाँ सीमित कौशल, बाजार तक पहुँच, तकनीकी अंतराल, मेंटॉरशिप की कमी।
PLFS 2023-24 के ध्यान केंद्रित क्षेत्र बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश।

भारतीय-अमेरिकी संगीतकार चंद्रिका टंडन ने जीता ग्रैमी

भारतीय-अमेरिकी संगीतकार और व्यवसायिक नेता चंद्रिका टंडन ने अपने एल्बम ‘त्रिवेणी’ के लिए ग्रैमी अवार्ड 2025 जीता। उन्होंने यह पुरस्कार ‘बेस्ट न्यू एज, एंबिएंट, या चैंट एल्बम’ श्रेणी में दक्षिण अफ्रीकी बांसुरीवादक वाउटर केलरमैन और जापानी-अमेरिकी सेलो वादक एरु मात्सुमोटो के साथ सहयोग में जीता। यह प्रतिष्ठित सम्मान 2 फरवरी 2025 को 67वें ग्रैमी अवार्ड्स में क्रिप्टो.कॉम एरिना, लॉस एंजेलिस में प्रदान किया गया।

‘त्रिवेणी’ को क्या बनाता है अद्वितीय?

‘त्रिवेणी’ एक अंतर-सांस्कृतिक (cross-cultural) संगीत परियोजना है, जो विभिन्न संगीत शैलियों को जोड़ती है। इसमें चंद्रिका टंडन की भारतीय शास्त्रीय और वैदिक मंत्र परंपराएँ, केलरमैन की दक्षिण अफ्रीकी बांसुरी ध्वनि, और मात्सुमोटो के जापानी-अमेरिकी सेलो संगीत का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

प्रमुख विशेषताएँ:

  • प्राचीन संस्कृत मंत्रों और आधुनिक संगीत का मिश्रण।
  • ध्यान और आध्यात्मिक शांति को बढ़ावा देने के लिए संगीतमय रचनाएँ।
  • संस्कृत, बांसुरी, और सेलो के संयोजन से बना अद्वितीय ध्वनि संसार।

टंडन ने एल्बम के सार को एक “तीन कलात्मक आत्माओं का संगम, जो संगीत को उपचार के लिए एक ऊँचे उद्देश्य से जोड़ता है” के रूप में वर्णित किया। यह अद्वितीय संगीतमय रचना न्यू एज संगीत की श्रेणी में दुनिया भर में सराही जा रही है।

संगीत से परे कौन हैं चंद्रिका टंडन?

चंद्रिका टंडन सिर्फ एक संगीतकार ही नहीं, बल्कि एक सफल व्यवसायिक नेता और समाजसेवी भी हैं।

व्यावसायिक जगत में योगदान:

  • पहली भारतीय-अमेरिकी महिला, जो McKinsey & Company में पार्टनर बनीं।
  • Tandon Capital Associates की संस्थापक, जो एक वित्तीय परामर्श फर्म है।

शिक्षा और समाज सेवा में योगदान:

  • 2015 में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (NYU) को 100 मिलियन डॉलर का दान, जिसके परिणामस्वरूप इसके इंजीनियरिंग स्कूल का नाम बदलकर “NYU टंडन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग” रखा गया।

उनकी व्यवसाय, शिक्षा और संगीत में अद्भुत उपलब्धियाँ उनके ग्रैमी जीत को और भी खास बनाती हैं।

क्या चंद्रिका टंडन ने पहले भी ग्रैमी के लिए नामांकन प्राप्त किया है?

  • हाँ! चंद्रिका टंडन को 2011 में उनके एल्बम ‘सोल कॉल’ के लिए ग्रैमी नामांकन मिला था।
  • वह एल्बम “कॉन्टेम्पररी वर्ल्ड म्यूजिक” श्रेणी में नामांकित हुआ था, लेकिन तब वे जीत नहीं पाईं।
  • ‘त्रिवेणी’ के साथ उन्होंने 2025 में पहला ग्रैमी पुरस्कार जीता, जो उनकी संगीत यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।

ग्रैमी अवार्ड्स में भारतीय परंपरा का प्रतिनिधित्व

  • चंद्रिका टंडन ने अपने भारतीय मूल को गर्व से प्रस्तुत किया।
  • उन्होंने पारंपरिक रेशमी सलवार सूट पहना और भव्य स्टेटमेंट नेकलेस के साथ भारतीय संस्कृति की झलक दी।
  • उन्होंने अपने प्रशंसकों का आभार व्यक्त किया और “संगीत के माध्यम से शांति, एकता और उपचार” के संदेश को बढ़ावा दिया।

केंद्रीय बजट 2025: जेंडर बजट आवंटन वित्त वर्ष 2025-26 में 8.86 प्रतिशत

केंद्रीय बजट 2025-26, जिसे 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्तुत किया, में लैंगिक बजट (Gender Budgeting) को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया गया है। इस बार कुल केंद्रीय बजट का 8.86% हिस्सा महिलाओं और लड़कियों के लिए आवंटित किया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष 2024-25 के 6.8% की तुलना में अधिक है। महिलाओं के लिए ₹4.49 लाख करोड़ का आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष के ₹3.27 लाख करोड़ की तुलना में 37.25% की वृद्धि को दर्शाता है।

लैंगिक बजट 2025-26 की मुख्य विशेषताएँ

  • कुल लैंगिक बजट आवंटन – ₹4.49 लाख करोड़ (37.25% वृद्धि)
  • केंद्रीय बजट में लैंगिक बजट का हिस्सा8.86% (FY 2024-25 में 6.8%)
  • रिपोर्टिंग मंत्रालयों/विभागों की संख्या – 49 (FY 2024-25 में 38)
  • लैंगिक बजट रिपोर्ट करने वाले केंद्रशासित प्रदेश (UTs) – 5

पहली बार GBS (Gender Budget Statement) में शामिल किए गए मंत्रालय/विभाग

पशुपालन और डेयरी विभाग
जैव प्रौद्योगिकी विभाग
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग
वित्तीय सेवा विभाग
मत्स्य पालन विभाग
भूमि संसाधन विभाग
औषधि विभाग
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय
पंचायती राज मंत्रालय
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
रेल मंत्रालय

लैंगिक बजट आवंटन का वर्गीकरण

  • भाग A (100% महिलाओं के लिए विशेष योजनाएँ) – ₹1,05,535.40 करोड़ (23.50%)
  • भाग B (30-99% महिलाओं पर केंद्रित योजनाएँ) – ₹3,26,672.00 करोड़ (72.75%)
  • भाग C (30% से कम महिलाओं के लिए आवंटन) – ₹16,821.28 करोड़ (3.75%)

लैंगिक बजट में रुझान (Trends in GBS)

  • FY 2005-06 से GBS में लगातार वृद्धि हो रही है।
  • FY 2019-20 में यह 5% था, जो अब FY 2025-26 में 9% तक पहुँच गया है।

आवंटन रिपोर्टिंग में चुनौतियाँ

  • भाग A (100% महिलाओं के लिए योजनाएँ) में वृद्धि की गति धीमी – जबकि लैंगिक बजट का कुल आकार बढ़ रहा है, महिलाओं पर केंद्रित विशिष्ट योजनाओं का हिस्सा स्थिर बना हुआ है।
  • जल जीवन मिशन (JJM) का महिलाओं के लिए आवंटन घटकर 49% से 31% हुआ – जबकि यह मिशन महिलाओं के लिए जल संग्रहण में समय बचाने का एक प्रमुख साधन रहा है, इसमें कमी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को लेकर चिंता पैदा करती है।

कार्यान्वयन की चुनौतियाँ

  • प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण (PMAY-G) – रिपोर्ट में महिलाओं की स्वामित्व दर को शामिल किया गया है (भाग A), लेकिन केवल 23% घर ही महिलाओं को आवंटित किए गए, जो बजटीय आवंटन और वास्तविक जमीनी प्रभाव के बीच अंतर को दर्शाता है।
  • मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 – इसमें भाग A और भाग B दोनों शामिल हैं, जिससे आवंटन संरचना को लेकर अस्पष्टता बनी हुई है।

सुधार के संभावित क्षेत्र

  • लैंगिक बजट की रिपोर्टिंग पद्धति को स्पष्ट किया जाए – वर्तमान में बजट आवंटन का आधार अस्पष्ट है, जिससे जवाबदेही कमजोर हो सकती है।
  • लैंगिक ऑडिट को लागू किया जाए – विभिन्न मंत्रालयों में यह सुनिश्चित करने के लिए कि आवंटन से महिलाओं को वास्तविक लाभ मिले।
  • भाग C को और अधिक पारदर्शी बनाया जाए – ताकि इसका सही प्रभाव समझा जा सके और सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।

उच्चतम लिंग बजट आवंटन वाले शीर्ष 10 मंत्रालय/विभाग

Ministry/Department  % Allocation in Gender Budget
Ministry of Women & Child Development 81.79%
Department of Rural Development 65.76%
Department of Food & Public Distribution 50.92%
Department of Health & Family Welfare 41.10%
Ministry of New & Renewable Energy 40.89%
Department of Social Justice & Empowerment 39.01%
Department of Higher Education 33.94%
Department of School Education & Literacy 33.67%
Ministry of Home Affairs 33.47%
Department of Drinking Water & Sanitation 31.50%

Union Budget 2025: एक व्यापक योजना सूची

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 01 फरवरी 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश किया, जिसमें कृषि, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME), उद्योग और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई नई सरकारी योजनाओं की घोषणा की गई। ये पहल ग्रामीण विकास, आर्थिक वृद्धि और विभिन्न वर्गों के कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई हैं। सरकार ने मौजूदा योजनाओं में भी बदलाव किए हैं, ताकि उनका प्रभाव और अधिक व्यापक हो सके। इन पहलों का मुख्य लक्ष्य किसानों, उद्यमियों, श्रमिकों और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना है।

बजट 2025 में घोषित नई सरकारी योजनाएं

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना

उद्देश्य: कृषि उत्पादकता और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।
लक्ष्य: 100 कम-उत्पादकता वाले जिलों के 1.7 करोड़ किसान

मुख्य विशेषताएँ:

  • फसल विविधीकरण और सतत कृषि को प्रोत्साहन।
  • सिंचाई सुविधाओं और भंडारण संरचना में सुधार।
  • दीर्घकालिक और अल्पकालिक ऋण तक आसान पहुंच।

ग्रामीण समृद्धि और लचीलापन कार्यक्रम

उद्देश्य: ग्रामीण बेरोजगारी को कम करना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना।
लक्ष्य: युवा किसान, ग्रामीण महिलाएँ, सीमांत किसान और भूमिहीन परिवार।

मुख्य विशेषताएँ:

  • कृषि, प्रौद्योगिकी और कौशल विकास में निवेश।
  • ग्रामीण महिलाओं के लिए उद्यमिता विकास और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा।
  • ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार और व्यावसायिक अवसरों का सृजन।

आत्मनिर्भरता इन पल्सेस (दालों में आत्मनिर्भरता अभियान)

उद्देश्य: भारत को दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • 6-वर्षीय मिशन, विशेष रूप से उड़द, तूर और मसूर दालों पर केंद्रित।
  • NAFED और NCCF द्वारा पंजीकृत किसानों से दालों की खरीद।
  • जलवायु सहनशील बीजों का विकास और प्रोटीन सामग्री में वृद्धि।

पहली बार उद्यमियों के लिए योजना

उद्देश्य: पहली बार व्यापार शुरू करने वाली महिलाओं, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के उद्यमियों को सहयोग देना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • 5 वर्षों में 5 लाख उद्यमियों को ₹2 करोड़ तक के टर्म लोन की सुविधा।
  • उद्यमिता कौशल के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम।

सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 योजना

  • उद्देश्य: बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण सहायता प्रदान करना।
  • लक्ष्य: 8 करोड़ बच्चे, 1 करोड़ माताएँ और 20 लाख किशोरियाँ।

मुख्य विशेषताएँ:

  • महत्वाकांक्षी जिलों में पोषण कार्यक्रमों के लिए वित्तीय सहायता में वृद्धि।
  • पोषण स्तर सुधारने के लिए आंगनवाड़ियों को आधुनिक संसाधनों से लैस करना।

भारतीय भाषा पुस्तक योजना (Bharatiya Bhasha Pustak Scheme)

उद्देश्य: स्कूलों और उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं की पुस्तकों को बढ़ावा देना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • डिजिटल फॉर्मेट में क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएँगी, ताकि विषयों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिले।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना

उद्देश्य: गिग (Gig) वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • ई-श्रम पोर्टल पर गिग वर्कर्स का पंजीकरण और आईडी कार्ड जारी किया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के तहत स्वास्थ्य कवरेज।

SWAMIH फंड 2

  • उद्देश्य: मध्यम वर्गीय परिवारों की आवासीय जरूरतों को पूरा करना।
  • लक्ष्य: 1 लाख मध्यम वर्गीय परिवारों के अधूरे घर पूरे कराना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • ₹15,000 करोड़ का कोष, जो रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में मदद करेगा।
  • उन परिवारों पर विशेष ध्यान, जो घर के लिए ईएमआई और किराया दोनों चुका रहे हैं।

मौजूदा सरकारी योजनाओं में बदलाव

MSME की नई परिभाषा

उद्देश्य: एमएसएमई (MSME) सेक्टर की तकनीकी क्षमताओं, विस्तार और पूंजी तक पहुंच को बढ़ाना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • निवेश और कारोबार सीमा में संशोधन, जिससे अधिक व्यवसाय एमएसएमई के तहत आएंगे।
  • संशोधित वर्गीकरण से छोटे और मध्यम उद्योगों को वृद्धि में मदद मिलेगी।

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC)

उद्देश्य: किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के लिए अल्पकालिक ऋण उपलब्ध कराना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की ऋण सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की गई।

क्रेडिट गारंटी फंड

उद्देश्य: MSME और स्टार्टअप्स के लिए ऋण पहुंच में सुधार।

मुख्य विशेषताएँ:

एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए उन्नत क्रेडिट गारंटी सुविधा।

  • सूक्ष्म उद्यमों के लिए विशेष क्रेडिट कार्ड।

स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स

उद्देश्य: नए स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता देना और उनके विस्तार में मदद करना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • ₹10,000 करोड़ के योगदान वाला नया फंड ऑफ फंड्स।
  • स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय सहायता और दायरा बढ़ाया जाएगा।

अटल टिंकरिंग लैब्स (Atal Tinkering Labs)

उद्देश्य: युवाओं में नवाचार और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • 5 वर्षों में 50,000 टिंकरिंग लैब्स सरकारी स्कूलों में स्थापित की जाएँगी।

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना (PM SVANidhi)

उद्देश्य: फुटपाथ विक्रेताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • बेहतर ऋण सुविधाएँ और UPI से जुड़े क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • फुटपाथ विक्रेताओं के लिए क्षमता-विकास (Capacity-Building) सहायता।

जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission)

उद्देश्य: ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ पेयजल की सुविधा सुनिश्चित करना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • मिशन का विस्तार कर 2028 तक सभी ग्रामीण परिवारों को कवर किया जाएगा।
  • ग्रामीण जल आपूर्ति योजनाओं की गुणवत्ता और रखरखाव पर विशेष ध्यान।

उड़ान – क्षेत्रीय संपर्क योजना (UDAN – Regional Connectivity Scheme)

उद्देश्य: देश के दूरस्थ और छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • संशोधित योजना के तहत 120 नए गंतव्यों को जोड़ा जाएगा।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे हवाई अड्डों और हेलिपैड्स के विकास को बढ़ावा।

प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना (PM Gati Shakti)

उद्देश्य: डेटा और नक्शों के माध्यम से बुनियादी ढांचे की योजना को सुगम बनाना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • पीपीपी (PPP) और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए जियोस्पेशियल डेटा की सुविधा।

पर्यटन में रोजगार-संचालित वृद्धि (Employment-Led Growth in Tourism)

उद्देश्य: पर्यटन के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • कौशल विकास कार्यक्रम और होमस्टे के लिए मुद्रा लोन।
  • ई-वीजा सुविधाएँ और पर्यटन प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन।

प्रधानमंत्री शोध फेलोशिप 

उद्देश्य: तकनीकी क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • IISc और IITs के लिए 10,000 शोध फेलोशिप दी जाएँगी।
  • वित्तीय सहायता को और अधिक सशक्त बनाया जाएगा।

भारत ने महिला अंडर-19 टी20 विश्व कप का खिताब जीता

भारतीय अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास रचते हुए मलेशिया के बायूएमास ओवल, कुआलालंपुर में खेले गए आईसीसी अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप 2025 के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 9 विकेट से हराकर शानदार जीत दर्ज की। यह भारत का इस टूर्नामेंट में लगातार दूसरा खिताब है, जिससे भारतीय युवा महिला क्रिकेट टीम ने अपनी वैश्विक प्रभुत्वता को और मजबूत किया।

मैच का संक्षिप्त विवरण: भारत की दबदबे वाली जीत

दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाजी संघर्ष से भरी

दक्षिण अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया, लेकिन शुरुआत में ही टीम संकट में आ गई। भारतीय गेंदबाजों ने पहले पांच ओवरों में लगातार प्रहार किए और 13वें ओवर तक दक्षिण अफ्रीका को 45/5 पर समेट दिया। गोंगाड़ी त्रिशा ने गेंदबाजी में शानदार प्रदर्शन किया और 3/15 के बेहतरीन आंकड़े दर्ज किए। उनकी ऑफ-ब्रेक गेंदबाजी के सामने दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज टिक नहीं पाए और साझेदारियां नहीं बना सके।

हालांकि मीके वान वूर्स्ट ने तेज़तर्रार 23 रन बनाकर कुछ देर संघर्ष किया, लेकिन दक्षिण अफ्रीकी टीम की पारी कभी भी गति नहीं पकड़ पाई। निचले क्रम के बल्लेबाजों ने 20 ओवर पूरे खेले, लेकिन टीम अंतिम गेंद पर 82 रनों पर ऑल-आउट हो गई।

गोंगाड़ी त्रिशा: टूर्नामेंट की सबसे बेहतरीन खिलाड़ी

गोंगाड़ी त्रिशा ने पूरे टूर्नामेंट में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीता। उन्होंने 7 पारियों में 309 रन बनाए, जो दूसरे सर्वोच्च स्कोरर से 133 रन अधिक थे। उनकी बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी भी प्रभावशाली रही, जिसमें उन्होंने 9 विकेट हासिल किए, जिनमें फाइनल में लिया गया मैच-विनिंग स्पेल भी शामिल था।

फाइनल में उनकी नाबाद 44 रनों की पारी ने उनकी दबाव में खेलने की क्षमता और उत्कृष्टता को दर्शाया, जिससे उन्होंने खुद को महिला क्रिकेट की एक उभरती हुई स्टार के रूप में स्थापित कर लिया।

फाइनल स्कोरकार्ड

  • दक्षिण अफ्रीका: 82/10 (20 ओवर) (मीके वान वूर्स्ट 23, गोंगाड़ी त्रिशा 3/15)
  • भारत: 84/1 (11.2 ओवर) (गोंगाड़ी त्रिशा 44, सानिका चाल्के 28, कायला रेनेके 1/14)**
    परिणाम: भारत ने 9 विकेट से जीत दर्ज की।

DRDO ने किए VSHORADS के लगातार तीन सफल उड़ान परीक्षण

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 1 फरवरी 2025 को ओडिशा तट के चांदीपुर परीक्षण रेंज से बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) के तीन लगातार सफल उड़ान परीक्षण किए। इन परीक्षणों को कम ऊंचाई पर तेज़ी से उड़ने वाले हवाई लक्ष्यों के खिलाफ किया गया, जिससे भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को और मजबूती मिली। इन ट्रायल्स ने मिसाइल प्रणाली की सटीकता, विश्वसनीयता और हवाई खतरों, विशेष रूप से ड्रोन और लोइटरिंग म्यूनिशंस को बेअसर करने की क्षमता को प्रदर्शित किया।

VSHORADS उड़ान परीक्षण के प्रमुख बिंदु

सफल उड़ान परीक्षण

  • DRDO ने लगातार तीन VSHORADS उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न किए।
  • परीक्षणों को तेज़ गति से कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों के खिलाफ अंजाम दिया गया।

शानदार इंटरसेप्शन क्षमता

  • सभी तीन परीक्षणों में मिसाइलों ने अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक मार गिराया।
  • लक्ष्यों में कम थर्मल सिग्नेचर थे, जो कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन जैसे थे।

अंतिम तैनाती विन्यास में परीक्षण

  • मिसाइल प्रणाली को इसकी अंतिम तैनाती कॉन्फ़िगरेशन में परीक्षण किया गया।
  • दो फील्ड ऑपरेटरों ने हथियार तैयार करने, लक्ष्य की पहचान करने और मिसाइल लॉन्च करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया।

सटीक ट्रैकिंग और प्रदर्शन सत्यापन

  • उड़ान डेटा को उन्नत टेलीमेट्री, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज के रडार के माध्यम से कैप्चर किया गया।
  • डेटा ने VSHORADS की हवाई खतरों को बेअसर करने की उच्च सटीकता को प्रमाणित किया।

स्वदेशी विकास और सैन्य उपयोग

  • इसे रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) और अन्य DRDO प्रयोगशालाओं ने मिलकर विकसित किया है।
  • यह मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) है, जो सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए उपयुक्त है।
  • विशेष रूप से ड्रोन और लोइटरिंग म्यूनिशंस के खिलाफ नज़दीकी हवाई रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्री की सराहना

  • इन परीक्षणों को DRDO, सशस्त्र बलों और उत्पादन भागीदारों के वरिष्ठ अधिकारियों ने देखा।
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO और उसके सहयोगियों को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई दी।
  • DRDO अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने पूरी टीम और औद्योगिक साझेदारों को इस सफलता पर शुभकामनाएं दीं।

बीमा क्षेत्र के लिए एफडीआई की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत की गयी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2025-26 में भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए छह प्रमुख क्षेत्रों में व्यापक सुधार किए गए हैं। वित्तीय क्षेत्र में किए गए बदलावों में बीमा, पेंशन, द्विपक्षीय निवेश संधियों (BITs), KYC प्रक्रिया में सरलीकरण और कंपनियों के विलय को आसान बनाने जैसे सुधार शामिल हैं।

सबसे महत्वपूर्ण घोषणाओं में बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करना शामिल है। इसका उद्देश्य विदेशी निवेश आकर्षित करना, बाज़ार की पहुंच बढ़ाना और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना है। अन्य महत्वपूर्ण सुधारों में पेंशन उत्पादों का विकास, KYC प्रक्रिया का सरलीकरण, कंपनी विलय प्रक्रियाओं में सुधार, और निवेश को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय निवेश संधियों (BITs) का पुनर्गठन शामिल है।

वित्तीय क्षेत्र में बजट 2025-26 के मुख्य सुधार

  1. बीमा क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति
    • अब विदेशी कंपनियां 100% हिस्सेदारी के साथ निवेश कर सकेंगी, बशर्ते कि वे भारत में अर्जित प्रीमियम को यहीं निवेश करें।
    • नियमों और निवेश से जुड़े प्रावधानों को सरल बनाया जाएगा ताकि विदेशी कंपनियां आसानी से निवेश कर सकें।
    • इस कदम से वैश्विक बीमा कंपनियां भारतीय बाज़ार में प्रवेश करेंगी, जिससे विदेशी पूंजी प्रवाह बढ़ेगा
    • बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं और उत्पाद उपलब्ध होंगे
  2. पेंशन क्षेत्र में सुधार
    • सरकार पेंशन उत्पादों के विकास के लिए एक समन्वय मंच बनाएगी
    • इस कदम से निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा और पेंशन प्रणाली को मज़बूत किया जाएगा
  3. KYC प्रक्रिया का सरलीकरण
    • नए सेंट्रल KYC रजिस्ट्री (CKYCR) सिस्टम की शुरुआत 2025 में होगी
    • इससे ग्राहकों के लिए KYC अपडेट की प्रक्रिया सरल और तेज़ होगी, जिससे अनुपालन (compliance) भी आसान हो जाएगा।
  4. कंपनी विलय प्रक्रिया को आसान बनाना
    • कंपनियों के विलय से जुड़ी शर्तों और प्रक्रियाओं को सरल और तेज़ बनाया जाएगा।
    • फास्ट-ट्रैक विलय प्रक्रिया का दायरा बढ़ाया जाएगा, जिससे कंपनियों को विलय में आसानी होगी।
  5. द्विपक्षीय निवेश संधियों (BITs) का पुनर्गठन
    • मौजूदा BIT मॉडल को निवेशकों के अनुकूल बनाया जाएगा
    • यह ‘फर्स्ट डेवलप इंडिया (FDI)’ रणनीति के तहत होगा, जिससे विदेशी निवेश भारत के विकास में योगदान देगा।

बीमा क्षेत्र में 100% FDI के प्रभाव

  • वर्ष 2000 में बीमा क्षेत्र में FDI सीमा 26% थी, जिसे 2021 में 74% किया गया और अब 100% तक बढ़ाया गया है
  • बीमा क्षेत्र में अब तक 7 सरकारी कंपनियों से बढ़कर 60 से अधिक कंपनियां कार्यरत हो चुकी हैं।
  • इस घोषणा के बाद वैश्विक बीमा कंपनियों ने भारत में निवेश में रुचि दिखाई है
  • विशेषज्ञों का मानना है कि इस सुधार से बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, पूंजी प्रवाह बढ़ेगा और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी

यह बजट भारत के वित्तीय क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धी, समावेशी और निवेश-अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
क्यों चर्चा में? बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 74% से बढ़ाकर 100% की गई
बीमा में एफडीआई कंपनियों द्वारा संपूर्ण प्रीमियम भारत में निवेश करने की शर्त पर एफडीआई सीमा 74% से बढ़ाकर 100% की गई, जिससे विदेशी निवेश आकर्षित होगा और बाज़ार की पहुंच बढ़ेगी।
पेंशन क्षेत्र निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए पेंशन उत्पादों के विकास हेतु एक नया नियामक मंच बनाया जाएगा।
KYC सरलीकरण 2025 में नया सेंट्रल KYC रजिस्ट्री सिस्टम लागू किया जाएगा, जिससे अनुपालन प्रक्रिया आसान होगी और अपडेट तेज़ी से होंगे।
कंपनी विलय विलय प्रक्रिया को तेज़ और सरल बनाने के लिए त्वरित अनुमोदन और फास्ट-ट्रैक विलय की सीमा बढ़ाई जाएगी।
द्विपक्षीय निवेश संधियाँ (BITs) विदेशी निवेश को दीर्घकालिक रूप से आकर्षित करने के लिए इन्हें निवेशक-अनुकूल बनाया जाएगा।

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