वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2025-26 में भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए छह प्रमुख क्षेत्रों में व्यापक सुधार किए गए हैं। वित्तीय क्षेत्र में किए गए बदलावों में बीमा, पेंशन, द्विपक्षीय निवेश संधियों (BITs), KYC प्रक्रिया में सरलीकरण और कंपनियों के विलय को आसान बनाने जैसे सुधार शामिल हैं।
सबसे महत्वपूर्ण घोषणाओं में बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करना शामिल है। इसका उद्देश्य विदेशी निवेश आकर्षित करना, बाज़ार की पहुंच बढ़ाना और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना है। अन्य महत्वपूर्ण सुधारों में पेंशन उत्पादों का विकास, KYC प्रक्रिया का सरलीकरण, कंपनी विलय प्रक्रियाओं में सुधार, और निवेश को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय निवेश संधियों (BITs) का पुनर्गठन शामिल है।
वित्तीय क्षेत्र में बजट 2025-26 के मुख्य सुधार
- बीमा क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति
- अब विदेशी कंपनियां 100% हिस्सेदारी के साथ निवेश कर सकेंगी, बशर्ते कि वे भारत में अर्जित प्रीमियम को यहीं निवेश करें।
- नियमों और निवेश से जुड़े प्रावधानों को सरल बनाया जाएगा ताकि विदेशी कंपनियां आसानी से निवेश कर सकें।
- इस कदम से वैश्विक बीमा कंपनियां भारतीय बाज़ार में प्रवेश करेंगी, जिससे विदेशी पूंजी प्रवाह बढ़ेगा।
- बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं और उत्पाद उपलब्ध होंगे।
- पेंशन क्षेत्र में सुधार
- सरकार पेंशन उत्पादों के विकास के लिए एक समन्वय मंच बनाएगी।
- इस कदम से निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा और पेंशन प्रणाली को मज़बूत किया जाएगा।
- KYC प्रक्रिया का सरलीकरण
- नए सेंट्रल KYC रजिस्ट्री (CKYCR) सिस्टम की शुरुआत 2025 में होगी।
- इससे ग्राहकों के लिए KYC अपडेट की प्रक्रिया सरल और तेज़ होगी, जिससे अनुपालन (compliance) भी आसान हो जाएगा।
- कंपनी विलय प्रक्रिया को आसान बनाना
- कंपनियों के विलय से जुड़ी शर्तों और प्रक्रियाओं को सरल और तेज़ बनाया जाएगा।
- फास्ट-ट्रैक विलय प्रक्रिया का दायरा बढ़ाया जाएगा, जिससे कंपनियों को विलय में आसानी होगी।
- द्विपक्षीय निवेश संधियों (BITs) का पुनर्गठन
- मौजूदा BIT मॉडल को निवेशकों के अनुकूल बनाया जाएगा।
- यह ‘फर्स्ट डेवलप इंडिया (FDI)’ रणनीति के तहत होगा, जिससे विदेशी निवेश भारत के विकास में योगदान देगा।
बीमा क्षेत्र में 100% FDI के प्रभाव
- वर्ष 2000 में बीमा क्षेत्र में FDI सीमा 26% थी, जिसे 2021 में 74% किया गया और अब 100% तक बढ़ाया गया है।
- बीमा क्षेत्र में अब तक 7 सरकारी कंपनियों से बढ़कर 60 से अधिक कंपनियां कार्यरत हो चुकी हैं।
- इस घोषणा के बाद वैश्विक बीमा कंपनियों ने भारत में निवेश में रुचि दिखाई है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि इस सुधार से बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, पूंजी प्रवाह बढ़ेगा और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
यह बजट भारत के वित्तीय क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धी, समावेशी और निवेश-अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सारांश/स्थिर जानकारी | विवरण |
क्यों चर्चा में? | बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 74% से बढ़ाकर 100% की गई |
बीमा में एफडीआई | कंपनियों द्वारा संपूर्ण प्रीमियम भारत में निवेश करने की शर्त पर एफडीआई सीमा 74% से बढ़ाकर 100% की गई, जिससे विदेशी निवेश आकर्षित होगा और बाज़ार की पहुंच बढ़ेगी। |
पेंशन क्षेत्र | निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए पेंशन उत्पादों के विकास हेतु एक नया नियामक मंच बनाया जाएगा। |
KYC सरलीकरण | 2025 में नया सेंट्रल KYC रजिस्ट्री सिस्टम लागू किया जाएगा, जिससे अनुपालन प्रक्रिया आसान होगी और अपडेट तेज़ी से होंगे। |
कंपनी विलय | विलय प्रक्रिया को तेज़ और सरल बनाने के लिए त्वरित अनुमोदन और फास्ट-ट्रैक विलय की सीमा बढ़ाई जाएगी। |
द्विपक्षीय निवेश संधियाँ (BITs) | विदेशी निवेश को दीर्घकालिक रूप से आकर्षित करने के लिए इन्हें निवेशक-अनुकूल बनाया जाएगा। |