रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 1 फरवरी 2025 को ओडिशा तट के चांदीपुर परीक्षण रेंज से बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) के तीन लगातार सफल उड़ान परीक्षण किए। इन परीक्षणों को कम ऊंचाई पर तेज़ी से उड़ने वाले हवाई लक्ष्यों के खिलाफ किया गया, जिससे भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को और मजबूती मिली। इन ट्रायल्स ने मिसाइल प्रणाली की सटीकता, विश्वसनीयता और हवाई खतरों, विशेष रूप से ड्रोन और लोइटरिंग म्यूनिशंस को बेअसर करने की क्षमता को प्रदर्शित किया।
VSHORADS उड़ान परीक्षण के प्रमुख बिंदु
सफल उड़ान परीक्षण
- DRDO ने लगातार तीन VSHORADS उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न किए।
- परीक्षणों को तेज़ गति से कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों के खिलाफ अंजाम दिया गया।
शानदार इंटरसेप्शन क्षमता
- सभी तीन परीक्षणों में मिसाइलों ने अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक मार गिराया।
- लक्ष्यों में कम थर्मल सिग्नेचर थे, जो कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन जैसे थे।
अंतिम तैनाती विन्यास में परीक्षण
- मिसाइल प्रणाली को इसकी अंतिम तैनाती कॉन्फ़िगरेशन में परीक्षण किया गया।
- दो फील्ड ऑपरेटरों ने हथियार तैयार करने, लक्ष्य की पहचान करने और मिसाइल लॉन्च करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया।
सटीक ट्रैकिंग और प्रदर्शन सत्यापन
- उड़ान डेटा को उन्नत टेलीमेट्री, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज के रडार के माध्यम से कैप्चर किया गया।
- डेटा ने VSHORADS की हवाई खतरों को बेअसर करने की उच्च सटीकता को प्रमाणित किया।
स्वदेशी विकास और सैन्य उपयोग
- इसे रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) और अन्य DRDO प्रयोगशालाओं ने मिलकर विकसित किया है।
- यह मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) है, जो सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए उपयुक्त है।
- विशेष रूप से ड्रोन और लोइटरिंग म्यूनिशंस के खिलाफ नज़दीकी हवाई रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्री की सराहना
- इन परीक्षणों को DRDO, सशस्त्र बलों और उत्पादन भागीदारों के वरिष्ठ अधिकारियों ने देखा।
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO और उसके सहयोगियों को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई दी।
- DRDO अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने पूरी टीम और औद्योगिक साझेदारों को इस सफलता पर शुभकामनाएं दीं।