निर्मला सीतारमण द्वारा बजट 2025 में घोषित 5 आयकर राहत उपाय

केंद्रीय बजट 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने करदाताओं को राहत देने के लिए कई आयकर छूट उपायों की घोषणा की। इन बदलावों का उद्देश्य कर भार को कम करना, फाइलिंग प्रक्रिया को सरल बनाना और बचत को बढ़ावा देना है। सरकार ने कर स्लैब बढ़ाए हैं, कर-मुक्त सीमा में वृद्धि की है और छोटे व्यवसायों के लिए लाभ प्रदान किए हैं। इन उपायों से विभिन्न आय समूहों में न केवल डिस्पोजेबल इनकम बढ़ेगी बल्कि आर्थिक वृद्धि को भी बढ़ावा मिलेगा।

बजट 2025 में घोषित 5 प्रमुख आयकर छूट उपाय

1 फरवरी 2025 को संसद में केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वेतनभोगी व्यक्तियों, पेंशनभोगियों और छोटे करदाताओं को कई आयकर लाभ देने की घोषणा की। नीचे बजट 2025 में घोषित प्रमुख आयकर राहत उपाय दिए गए हैं:

₹12 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं

सबसे बड़ी राहत यह है कि जिन व्यक्तियों की वार्षिक आय ₹12 लाख तक है, उन्हें अब कोई आयकर नहीं देना होगा। इससे मध्यवर्गीय और निम्न-आय वर्ग के लोगों की बचत बढ़ेगी।

नए कर स्लैब की घोषणा

सरकार ने बजट 2025 में नए आयकर स्लैब पेश किए हैं:

  • ₹0 – ₹4 लाख : कोई कर नहीं
  • ₹4 लाख – ₹8 लाख : 5% कर
  • ₹8 लाख – ₹12 लाख : 10% कर
  • ₹12 लाख – ₹16 लाख : 15% कर
  • ₹16 लाख – ₹20 लाख : 20% कर
  • ₹20 लाख – ₹24 लाख : 25% कर
  • ₹24 लाख से अधिक : 30% कर

यह नई कर संरचना कर गणना को आसान बनाएगी और करदाताओं को राहत देगी।

विभिन्न आय समूहों के लिए कर लाभ

नई कर प्रणाली के तहत अलग-अलग आय वर्ग को निम्नलिखित बचत मिलेगी:

  • ₹12 लाख कमाने वाले करदाता को ₹80,000 की कर बचत होगी।
  • ₹18 लाख कमाने वाले करदाता को ₹70,000 की कर बचत होगी।
  • ₹25 लाख कमाने वाले करदाता को ₹1.10 लाख की कर बचत होगी।

वेतनभोगी और पेंशनभोगियों के लिए उच्च मानक कटौती

सरकार ने नए कर प्रणाली में मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) को बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया है। इसका मतलब है कि वेतनभोगी और पेंशनभोगी अपने कर योग्य आय से ₹75,000 घटा सकते हैं।

इससे वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए कर-मुक्त आय सीमा ₹12.75 लाख हो जाती है।

जो लोग पुरानी कर व्यवस्था का चुनाव करेंगे, उनके लिए मानक कटौती ₹50,000 बनी रहेगी, लेकिन वे अभी भी निम्नलिखित कटौती का लाभ उठा सकते हैं:

  • धारा 80C (₹1.5 लाख तक की कटौती)
  • धारा 80D (स्वास्थ्य बीमा कटौती)
  • एचआरए (गृह किराया भत्ता) लाभ

किराए पर टीडीएस सीमा में वृद्धि

सरकार ने किराए पर टीडीएस (Tax Deducted at Source) की सीमा ₹2.4 लाख से बढ़ाकर ₹6 लाख प्रति वर्ष कर दी है।

इसका मतलब है कि यदि कोई किराएदार सालाना ₹6 लाख से कम किराया देता है, तो उसे मकान मालिक को भुगतान करने से पहले टीडीएस काटने की आवश्यकता नहीं होगी। यह छोटे मकान मालिकों और किरायेदारों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत होगी।

बजट 2025: क्या सस्ता होगा और क्या महंगा?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2025 में कस्टम ड्यूटी (सीमा शुल्क) में कई बदलाव किए गए, जिससे विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ा। बजट का मुख्य ध्यान जीवनरक्षक दवाओं, खनिजों, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और वस्त्र उद्योग से जुड़े सामानों की लागत कम करने पर था, जबकि कुछ तकनीकी उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई गई। आइए देखें कि किन वस्तुओं की कीमतों में गिरावट या वृद्धि हुई।

क्या हुआ सस्ता?

  • कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की दवाएं: 36 जीवनरक्षक दवाओं को बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) से पूरी तरह मुक्त किया गया।
  • इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद: ओपन सेल्स और अन्य घटकों पर BCD घटाकर 5% किया गया।
  • खनिज: कोबाल्ट पाउडर, लिथियम-आयन बैटरी के कचरे, सीसा, जिंक और अन्य 12 महत्वपूर्ण खनिजों को BCD से छूट दी गई।
  • इलेक्ट्रिक वाहन (EVs): EV बैटरी निर्माण के लिए 35 और मोबाइल बैटरी निर्माण के लिए 28 वस्तुओं को BCD से मुक्त किया गया।
  • चमड़ा उद्योग: “वेट ब्लू लेदर” को BCD से पूरी तरह छूट दी गई।
  • सुरीमी (मछली पेस्ट): जमी हुई मछली पेस्ट पर कस्टम ड्यूटी 30% से घटाकर 5% कर दी गई।
  • हस्तशिल्प (हैन्डीक्राफ्ट्स): निर्यात की समय सीमा बढ़ाई गई और 9 नई वस्तुओं को शुल्क-मुक्त सूची में जोड़ा गया।
  • कपड़ा उद्योग: दो नई प्रकार की शटल-लेस लूम्स (बिनकर करघे) को BCD से छूट दी गई।

क्या हुआ महंगा?

  • इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले: कस्टम ड्यूटी 10% से बढ़ाकर 20% कर दी गई।
  • प्रोविजनल असेसमेंट: तेज और पारदर्शी कस्टम क्लीयरेंस के लिए नई दो-वर्षीय समय-सीमा लागू की गई।
  • टैरिफ रेट में सुधार: 7 शुल्क दरों को समाप्त कर कस्टम टैरिफ सिस्टम को सरल बनाया गया।
  • सोशल वेलफेयर सरचार्ज: 82 वस्तुओं पर कस्टम छूट समाप्त कर नया उपकर (Cess) लागू किया गया।
  • फ्लैट पैनल डिस्प्ले: इस पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी गई।
  • निटेड फैब्रिक्स (बुने हुए कपड़े): इन पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई गई।
कारण बजट 2025: क्या सस्ता हुआ और क्या महंगा हुआ?
वस्तु/श्रेणी बदलाव
कैंसर की दवाएं बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) से छूट
दीर्घकालिक बीमारियों की दवाएं बेसिक कस्टम ड्यूटी से छूट
इलेक्ट्रॉनिक सामान ओपन सेल्स और घटकों पर BCD 5% किया गया
खनिज BCD से छूट (जैसे, कोबाल्ट, सीसा, जिंक)
इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी निर्माण 35 वस्तुओं को BCD से छूट दी गई
चमड़ा उद्योग “वेट ब्लू लेदर” को BCD से छूट दी गई
सुरीमी (मछली पेस्ट) BCD 30% से घटाकर 5% किया गया
हस्तशिल्प निर्यात समय सीमा बढ़ाई गई, 9 वस्तुएं शुल्क-मुक्त सूची में जोड़ी गईं
कपड़े लूम्स को छूट सूची में जोड़ा गया, निटेड फैब्रिक्स पर BCD में बदलाव
इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल कस्टम ड्यूटी 10% से बढ़ाकर 20% की गई
प्रोविजनल असेसमेंट तेज और पारदर्शी कस्टम क्लीयरेंस के लिए दो साल की समय-सीमा लागू
टैरिफ दरें सात टैरिफ दरें समाप्त की गईं, कस्टम संरचना को सरल किया गया
सोशल वेलफेयर सरचार्ज 82 टैरिफ लाइनों पर छूट समाप्त, उपकर लागू किया गया

महाकुंभ भगदड़: 3 सदस्यीय पैनल ने जांच शुरू की

प्रयागराज के महाकुंभ में 29 जनवरी 2025 को हुई दुर्भाग्यपूर्ण भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। उत्तर प्रदेश सरकार ने तुरंत इस घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया, जो इस आपदा के कारणों की जांच करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव देगा। सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश हर्ष कुमार की अध्यक्षता में गठित इस समिति में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डी.के. सिंह और पूर्व डीजीपी वी.के. गुप्ता शामिल हैं। समिति को एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है, लेकिन जांच प्रक्रिया को तेज करने का प्रयास किया जाएगा।

जांच के मुख्य बिंदु

न्यायिक आयोग का गठन

  • यूपी सरकार ने 1952 के जाँच आयोग अधिनियम, धारा 3 के तहत तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।
  • समिति के सदस्य:
    • न्यायमूर्ति हर्ष कुमार (सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश)
    • डी.के. सिंह (सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी)
    • वी.के. गुप्ता (पूर्व डीजीपी)
  • घोषणा के कुछ घंटों के भीतर ही आयोग ने जांच की जिम्मेदारी संभाल ली।
  • एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का लक्ष्य, लेकिन जांच को जल्द पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।

घटनास्थल का निरीक्षण और विश्लेषण

  • 31 जनवरी 2025 को आयोग ने संगम नोज (Sangam Nose) का दौरा किया और स्थल की भौगोलिक संरचना एवं भीड़ की गतिविधियों का अध्ययन किया।
  • रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) सहित भारी सुरक्षा बल मौके पर तैनात था।
  • CCTV फुटेज और स्थल के स्थलाकृतिक विवरण की समीक्षा की गई।
  • आवश्यकतानुसार आगे भी स्थल निरीक्षण किया जा सकता है।

भगदड़ के संभावित कारण

  • भगदड़ मौनी अमावस्या के पूर्वभोर में हुई, जो सबसे शुभ स्नान तिथियों में से एक मानी जाती है।
  • लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान के लिए एकत्र हुए, जिससे अत्यधिक भीड़ हो गई।
  • बैरिकेड्स के टूटने से भीड़ अनियंत्रित हो गई और लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे
  • यह घटना ब्रह्म मुहूर्त में अखाड़ा मार्ग के संगम नोज क्षेत्र में हुई।

अधिकारियों के साथ बैठक

  • आयोग ने भीड़ प्रबंधन के लिए जिम्मेदार वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात की।
  • डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) वैभव कृष्ण और एसएसपी (SSP) राजेश द्विवेदी ने सुरक्षा इंतज़ामों से जुड़ी जानकारी दी।

आयोग का कार्यक्षेत्र

  • इस त्रासदी के सटीक कारणों की पहचान करना
  • CCTV फुटेज और ग्राउंड रिपोर्ट का गहन विश्लेषण करना।
  • भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस सुझाव देना।
  • निर्धारित एक महीने की समय-सीमा के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करना

 

भारतीय रेलवे ने निर्बाध यात्रा के लिए ‘SwaRail’ सुपरऐप लॉन्च किया

रेल मंत्रालय ने 31 जनवरी 2025 को ‘SwaRail’ सुपरऐप लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य रेलवे की विभिन्न सेवाओं को एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराना है। यह ऐप वर्तमान में बीटा संस्करण में है और गूगल प्ले स्टोर एवं एप्पल ऐप स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है। इसका मुख्य उद्देश्य यात्रियों के लिए उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाना और विभिन्न सेवाओं को एकीकृत करके कई अलग-अलग ऐप्स की आवश्यकता को समाप्त करना है।

‘SwaRail’ सुपरऐप कौन-कौन सी सेवाएं प्रदान करता है?

इस सुपरऐप में भारतीय रेलवे की कई महत्वपूर्ण सेवाओं को शामिल किया गया है, जैसे:

  • टिकट बुकिंग – आरक्षित और अनारक्षित टिकट बुकिंग की सुविधा।
  • प्लेटफॉर्म एवं पार्सल बुकिंग – प्लेटफॉर्म टिकट लेने और पार्सल सेवाओं को प्रबंधित करने की सुविधा।
  • ट्रेन और PNR पूछताछ – ट्रेन के समय-सारणी और यात्री नाम रिकॉर्ड (PNR) की स्थिति की रीयल-टाइम जानकारी।
  • भोजन ऑर्डरिंग – यात्रा के दौरान भोजन ऑर्डर करने की सुविधा।
  • रेल मदद – शिकायत दर्ज करने और सहायता प्राप्त करने के लिए एक समर्पित मंच।

इस ऐप के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को रेलवे सेवाओं की एकीकृत और सरल सुविधा मिलेगी, जिससे डिवाइस स्टोरेज की खपत कम होगी और एक ही ऐप में सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।

बीटा परीक्षण में भाग लेने की प्रक्रिया

रेल मंत्रालय ने उपयोगकर्ताओं को ‘SwaRail’ सुपरऐप के बीटा परीक्षण में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। इच्छुक व्यक्ति इसे गूगल प्ले स्टोर और एप्पल ऐप स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।

  • RailConnect या UTS मोबाइल ऐप के मौजूदा उपयोगकर्ता – अपनी मौजूदा लॉगिन जानकारी का उपयोग करके सीधे लॉगिन कर सकते हैं।
  • नए उपयोगकर्तासरल पंजीकरण प्रक्रिया के माध्यम से कम से कम जानकारी देकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
  • उपयोगकर्ताओं को प्रोत्साहित किया गया है कि वे अपने फीडबैक साझा करें ताकि आधिकारिक सार्वजनिक लॉन्च से पहले ऐप में सुधार किया जा सके।

‘SwaRail’ के अनूठे फीचर्स

  • सिंगल साइन-ऑन (Single Sign-On) – एक ही लॉगिन के माध्यम से भारतीय रेलवे के सभी मौजूदा ऐप्स (IRCTC RailConnect, UTS Mobile App) तक पहुंच।
  • एकीकृत सेवाएँ (Integrated Services) – PNR पूछताछ के साथ ही संबंधित ट्रेन की पूरी जानकारी।
  • उपयोगकर्ता अनुकूल ऑनबोर्डिंग (User-Friendly Onboarding) – साइन-अप प्रक्रिया को सरल बनाया गया है ताकि मौजूदा उपयोगकर्ताओं के लिए इसे एक्सेस करना आसान हो।
  • सुरक्षित लॉगिन विकल्प (Secure Login Options) – ऐप में m-PIN और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण जैसे आधुनिक सुरक्षा विकल्प उपलब्ध हैं।

यह सुपरऐप भारतीय रेलवे सेवाओं को स्मार्ट, सरल और अधिक प्रभावी तरीके से उपयोग करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे यात्रियों को एक बेहतर डिजिटल अनुभव मिलेगा।

परीक्षा के लिए मुख्य बिंदु विवरण
क्यों चर्चा में है? भारतीय रेलवे ने 31 जनवरी 2025 को ‘SwaRail’ सुपरऐप का बीटा परीक्षण शुरू किया। यह ऐप कई रेलवे सेवाओं को एक ही प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करता है और गूगल प्ले स्टोर एवं एप्पल ऐप स्टोर पर उपलब्ध है।
उद्देश्य रेलवे सेवाओं के लिए एक ही प्लेटफॉर्म प्रदान करना, जिससे कई अलग-अलग ऐप्स की आवश्यकता कम हो।
प्रदान की जाने वाली सेवाएँ टिकट बुकिंग (आरक्षित/अनारक्षित), PNR पूछताछ, भोजन ऑर्डरिंग, प्लेटफॉर्म बुकिंग, पार्सल सेवाएँ, शिकायत निवारण (Rail Madad)
अनूठी विशेषताएँ सिंगल साइन-ऑन, एकीकृत सेवाएँ, सुरक्षित लॉगिन (m-PIN एवं बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण), उपयोगकर्ता अनुकूल ऑनबोर्डिंग
लॉगिन विकल्प RailConnect या UTS मोबाइल ऐप के मौजूदा उपयोगकर्ता – अपने मौजूदा क्रेडेंशियल्स से लॉगिन कर सकते हैं। नए उपयोगकर्ता – आसानी से पंजीकरण कर सकते हैं।
अंतिम लॉन्च बीटा परीक्षण और उपयोगकर्ता फीडबैक के आधार पर सुधार के बाद आधिकारिक लॉन्च।
स्थिर जानकारी – भारतीय रेलवे स्थापना वर्ष: 1853

विदेश मंत्री जयशंकर प्रथम रायसीना मध्य पूर्व सम्मेलन के मुख्य अतिथि

पहला रायसीना मध्य पूर्व सम्मेलन, 28 और 29 जनवरी 2025 को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में आयोजित किया गया। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर पहले रायसीना मध्य पूर्व सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे। डॉ. एस जयशंकर 27 और 29 जनवरी 2025 को संयुक्त अरब अमीरात की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर थे।  जून 2024 में विदेश मंत्री के रूप में पुनः नियुक्त होने के बाद डॉ. जयशंकर की यह संयुक्त अरब अमीरात की तीसरी यात्रा थी। रायसीना डायलॉग भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर भारत का प्रमुख सम्मेलन है जो विश्व समुदाय के सामने आने वाले सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए विशेषज्ञों को एक साथ लाता है।

पहला राइसीना मिडिल ईस्ट सम्मेलन

स्थान: अबू धाबी, यूएई | तारीख: 28-29 जनवरी 2025
मुख्य अतिथि: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर

सम्मेलन के प्रमुख बिंदु

आयोजनकर्ता

  • ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF), भारत
  • यूएई विदेश मंत्रालय
  • भारतीय विदेश मंत्रालय

उद्देश्य

  • भारत-यूएई संबंधों को मजबूत करना
  • क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा
  • व्यापार, निवेश और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देना
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना

भारत-मध्य पूर्व संबंध

व्यापार और आर्थिक संबंध

  • खाड़ी क्षेत्र के साथ भारत का व्यापार: $160-$180 बिलियन
  • भूमध्य सागर क्षेत्र के साथ भारत का व्यापार: $80 बिलियन
  • भारत के प्रमुख परियोजनाएं: हवाई अड्डे, बंदरगाह, रेलवे, फॉस्फेट, ग्रीन हाइड्रोजन, स्टील, सबमरीन केबल्स

जनसांख्यिकीय संबंध

  • 90 लाख भारतीय खाड़ी क्षेत्र में रहते और कार्य करते हैं।
  • 5 लाख भारतीय भूमध्य सागर क्षेत्र में बसे हुए हैं।

मध्य पूर्व: एक रणनीतिक द्वार

  • खाड़ी क्षेत्र MENA (मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका), भूमध्य सागर, अफ्रीका, यूरोप, मध्य एशिया और काकेशस तक पहुंच का मार्ग प्रदान करता है।
  • भारत क्षेत्रीय संपर्क और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।

भारत-यूएई साझेदारी

  • भरोसा और विश्वसनीयता भारत-यूएई संबंधों की नींव है।
  • डॉ. जयशंकर ने यूएई राष्ट्रपति के कूटनीतिक सलाहकार अनवर गर्गाश से मुलाकात की और विशेष रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा की।

भविष्य की दृष्टि

  • भारत मध्य पूर्व को अपने विस्तारित पड़ोस के रूप में देखता है और अपने जुड़ाव को गहरा करना चाहता है।
  • कनेक्टिविटी और समुद्री सुरक्षा में बहुपक्षीय सहयोग पर जोर दिया गया है।

अबू धाबी को क्यों चुना गया?

  • यूएई भारत का एक प्रमुख भागीदार है।
  • 2023-24 में चीन और अमेरिका के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
  • मई 2022 में भारत-यूएई के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) हुआ, जिससे व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिला।
  • ऊर्जा, सुरक्षा और प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में भारत और यूएई की समग्र एवं रणनीतिक साझेदारी है।

डॉ. एस. जयशंकर की यूएई यात्रा

  • यूएई राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद से मुलाकात की।
  • यूएई के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से चर्चा की।
  • अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद से मुलाकात की।
  • भारत के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह (27 जनवरी 2025) में भाग लिया।
    • मुख्य अतिथि: शेख अब्दुल्ला बिन जायद (यूएई के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री)।

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बारे में

  • स्थापना: 1971 (7 अमीरात का संघ)
  • राजधानी: अबू धाबी
  • मुद्रा: दिरहम (AED)
  • राष्ट्रपति: शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान
  • मुख्य अमीरात: अबू धाबी, दुबई, शारजाह, अजमान, उम्म-अल-कुवैन, रस-अल-खैमा, फुजैरा

 

 

Union Budget 2025-26: व्यापक विश्लेषण और प्रमुख अपडेट

केंद्रीय बजट 2025-26 भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए एक व्यापक रोडमैप प्रस्तुत करता है, जिसमें बुनियादी ढांचे के विस्तार, वित्तीय अनुशासन और समावेशी विकास पर विशेष जोर दिया गया है। कुल ₹50.65 लाख करोड़ के व्यय के साथ, यह बजट पूंजी निवेश, सामाजिक क्षेत्र में खर्च और कर सुधारों को प्राथमिकता देता है, जबकि राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.4% तक कम करने का लक्ष्य रखता है। बजट में रेलवे, राजमार्ग, रक्षा और ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण धनराशि आवंटित की गई है, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

बजट 2025-26 के प्रमुख फोकस बिंदु

कृषि एवं ग्रामीण समृद्धि

  • राष्ट्रीय उच्च उपज बीज मिशन और मखाना बोर्ड जैसी योजनाएं कृषि उत्पादकता में सुधार करेंगी।
  • किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के माध्यम से अल्पकालिक ऋण की सुविधा बढ़ाई जाएगी।
  • दाल उत्पादन और टिकाऊ कपास खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष मिशन शुरू किए जाएंगे।

MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) समर्थन

  • MSME की परिभाषा में संशोधन कर निवेश और कारोबार की सीमा बदली जाएगी ताकि अधिक व्यवसाय इसका लाभ ले सकें।
  • सूक्ष्म उद्यमों के लिए विशेष क्रेडिट गारंटी और कस्टमाइज्ड क्रेडिट कार्ड, जिससे 10 लाख छोटे व्यवसायों को सहायता मिलेगी।
  • जूता, चमड़ा, खिलौने और खाद्य प्रसंस्करण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया गया है।

बुनियादी ढांचा एवं शहरी विकास

  • शहरी पुनर्विकास और जल प्रबंधन के लिए ₹1 लाख करोड़ का अर्बन चैलेंज फंड स्थापित किया गया है।
  • राज्यों के लिए ₹1.5 लाख करोड़ का पूंजीगत व्यय (ब्याज-मुक्त ऋण सहित) आवंटित किया गया है

तकनीकी और शैक्षिक सुधार

  • चिकित्सा शिक्षा का विस्तार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पहल, और अटल टिंकरिंग लैब्स की संख्या बढ़ाई जाएगी।
  • ग्रामीण स्कूलों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, कौशल विकास के लिए उत्कृष्टता केंद्र, और IITs के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है।

कर सुधार

  • कर संरचना को सरलीकरण और युक्तिसंगत बनाने के लिए नए प्रस्ताव लाए गए हैं।
  • मध्यम वर्ग के लिए आयकर सुधार, वरिष्ठ नागरिकों के लिए अतिरिक्त कटौती, और किराए पर TDS सीमा में संशोधन किया गया है।

वित्तीय क्षेत्र सुधार

  • बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा बढ़ाई गई
  • ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ‘ग्रामिण क्रेडिट स्कोर’ (Grameen Credit Score) और केवाईसी रजिस्टर को पुनर्गठित किया गया ताकि ऋण प्रक्रिया को तेज़ किया जा सके।

कितना पैसा कहां से आता है (बजट 2025-26)

सरकार की कुल आय विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होती है, जिसे निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है:

  • कॉरपोरेट कर – 17%
  • आयकर (जिसमें सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स शामिल है) – 22%
  • कस्टम ड्यूटी – 4%
  • केंद्रीय उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) – 5%
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) और अन्य कर – 18%
  • गैर-कर राजस्व – 9%
  • गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियां – 1%
  • उधारी एवं अन्य देनदारियां – 24%

पैसा कहां खर्च (बजट 2025-26)

सरकार का कुल व्यय विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है:

  • केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं (रक्षा और प्रमुख सब्सिडी को छोड़कर) – 16%
  • ब्याज भुगतान – 20%
  • रक्षा क्षेत्र – 8%
  • मुख्य सब्सिडी (खाद्य, उर्वरक, पेट्रोलियम आदि) – 6%
  • वित्त आयोग और अन्य स्थानांतरण – 8%
  • राज्यों के करों और शुल्कों में हिस्सा – 22%
  • पेंशन व्यय – 4%
  • अन्य व्यय – 8%
  • केंद्र प्रायोजित योजनाएं – 8%

कुल राजस्व और व्यय

राजस्व अनुमान

  • कुल राजस्व प्राप्ति: ₹34,20,409 करोड़
  • कर राजस्व (केंद्र को शुद्ध प्राप्ति): ₹28,37,409 करोड़
  • गैर-कर राजस्व: ₹5,83,000 करोड़
  • पूंजीगत प्राप्तियां (जिसमें उधारी शामिल है): ₹16,44,936 करोड़

व्यय अनुमान

  • कुल व्यय: ₹50,65,345 करोड़
  • राजस्व व्यय: ₹39,44,255 करोड़
  • पूंजीगत व्यय: ₹11,21,090 करोड़
  • प्रभावी पूंजीगत व्यय: ₹15,48,282 करोड़

घाटे के संकेतक

मुख्य घाटे के आंकड़े

  • राजकोषीय घाटा: ₹15,68,936 करोड़ (जीडीपी का 4.4%)
  • राजस्व घाटा: ₹5,23,846 करोड़ (जीडीपी का 1.5%)
  • प्रभावी राजस्व घाटा: ₹96,654 करोड़ (जीडीपी का 0.3%)
  • प्राथमिक घाटा: ₹2,92,598 करोड़ (जीडीपी का 0.8%)

घाटे का वित्त पोषण

  • बाजार से उधारी: ₹11,53,834 करोड़
  • लघु बचत योजनाओं के विरुद्ध प्रतिभूतियां: ₹3,43,382 करोड़
  • विदेशी ऋण: ₹23,490 करोड़

क्षेत्रवार आवंटन (बजट 2025-26)

मुख्य व्यय

  • ब्याज भुगतान: ₹12,76,338 करोड़
  • रक्षा क्षेत्र: ₹4,91,732 करोड़
  • पेंशन: ₹2,76,618 करोड़

सब्सिडी आवंटन

  • खाद्य सब्सिडी: ₹2,03,420 करोड़
  • उर्वरक सब्सिडी: ₹1,67,887 करोड़
  • पेट्रोलियम सब्सिडी: ₹12,100 करोड़

प्रमुख बुनियादी ढांचा एवं विकास आवंटन

  • ग्रामीण विकास: ₹2,66,817 करोड़
  • शिक्षा: ₹1,28,650 करोड़
  • स्वास्थ्य देखभाल: ₹98,311 करोड़
  • शहरी विकास: ₹96,777 करोड़
  • परिवहन अवसंरचना: ₹5,48,649 करोड़

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को हस्तांतरण

  • कुल हस्तांतरण: ₹25,01,284 करोड़
    • राज्य अंशदान: ₹14,22,444 करोड़
    • वित्त आयोग अनुदान: ₹1,32,767 करोड़
    • केंद्र प्रायोजित योजनाएं: ₹5,41,850 करोड़
    • अन्य अनुदान एवं ऋण: ₹3,74,725 करोड़

प्रमुख सरकारी योजनाएं और आवंटन

कृषि एवं ग्रामीण विकास

  • पीएम-किसान सम्मान निधि: ₹63,500 करोड़
  • महात्मा गांधी नरेगा (MGNREGA): ₹86,000 करोड़
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण एवं शहरी): ₹74,626 करोड़

शिक्षा एवं रोजगार

  • पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (PM SHRI): ₹7,500 करोड़
  • समग्र शिक्षा अभियान: ₹41,250 करोड़
  • कौशल विकास एवं अप्रेंटिसशिप: ₹13,560 करोड़

स्वास्थ्य एवं सामाजिक कल्याण

  • आयुष्मान भारत – पीएम जन आरोग्य योजना (PMJAY): ₹9,406 करोड़
  • पोषण 2.0 (पोषण मिशन): ₹21,960 करोड़
  • सामाजिक सहायता कार्यक्रम: ₹9,652 करोड़

बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास

  • जल जीवन मिशन: ₹67,000 करोड़
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: ₹19,000 करोड़
  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं: ₹2,445 करोड़

सभी मंत्रालयों के लिए बजट आवंटन (2025-26)

शीर्ष मंत्रालयों का बजट आवंटन

  • वित्त मंत्रालय: ₹19,39,001.26 करोड़
  • रक्षा मंत्रालय: ₹6,81,210.27 करोड़
  • उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय: ₹2,15,767.09 करोड़
  • रेल मंत्रालय: ₹2,55,445.18 करोड़
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय: ₹2,87,333.16 करोड़

प्रमुख मंत्रालयों के लिए बजट आवंटन

बुनियादी ढांचा और विकास
  • आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय: ₹96,777.00 करोड़
  • विद्युत मंत्रालय: ₹21,847.00 करोड़
  • पत्तन, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय: ₹3,470.58 करोड़
सामाजिक क्षेत्र
  • शिक्षा मंत्रालय: ₹1,28,650.05 करोड़
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय: ₹99,858.56 करोड़
  • महिला और बाल विकास मंत्रालय: ₹26,889.69 करोड़
  • ग्रामीण विकास मंत्रालय: ₹1,90,405.53 करोड़
वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी
  • अंतरिक्ष विभाग: ₹13,416.20 करोड़
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय: ₹38,613.32 करोड़
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय: ₹26,026.25 करोड़
कृषि और उद्योग
  • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय: ₹1,37,756.55 करोड़
  • वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय: ₹18,446.05 करोड़
  • रसायन और उर्वरक मंत्रालय: ₹1,61,965.21 करोड़
कानून और शासन
  • गृह मंत्रालय: ₹2,33,210.68 करोड़
  • कानून और न्याय मंत्रालय: ₹5,850.37 करोड़
  • विदेश मंत्रालय: ₹20,516.61 करोड़

Income Tax Budget 2025: 12 लाख तक की इनकम हुई टैक्स फ्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिनका उद्देश्य मध्यम वर्ग को राहत प्रदान करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इन परिवर्तनों से आय में वृद्धि, उपभोक्ता खर्च में वृद्धि और भारत के आर्थिक विकास में योगदान की उम्मीद है, साथ ही टैक्स संरचना को सरल बनाने और एक अधिक प्रगतिशील टैक्स वातावरण सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। यहाँ पर मुख्य बदलावों का विवरण दिया गया है।

₹12 लाख तक की आय पर आयकर छूट

  • ₹12 लाख तक की आय अर्जित करने वाले व्यक्तियों को नए कर व्यवस्था के तहत कोई आयकर नहीं देना होगा।
  • वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए, ₹75,000 के मानक कटौती को ध्यान में रखते हुए छूट सीमा ₹12.75 लाख निर्धारित की गई है।

पुनरीक्षित कर स्लैब

  • सरकार ने कर स्लैब को फिर से संरचित किया है ताकि मध्यम वर्ग पर कर का बोझ कम किया जा सके और बचत, उपभोग और निवेश को बढ़ावा दिया जा सके।
  • निम्नलिखित नए आयकर स्लैब लागू किए गए हैं।
Income Tax%
₹0-4 Lakh No tax
₹4-8 Lakh 5% tax
₹8-12 Lakh 10% tax
₹12-16 Lakh 15% tax
₹16-20 Lakh 20% tax
₹20-24 Lakh 25% tax
Above ₹24 Lakh 30% tax

₹12 लाख तक की आय पर कर छूट

उन व्यक्तियों के लिए जो ₹12 लाख तक कमाई करते हैं (विशेष दर आय जैसे कि पूंजीगत लाभ को छोड़कर), एक कर छूट प्रदान की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी कर देनदारी शून्य हो जाती है।

विभिन्न आय समूहों पर प्रभाव

  • ₹12 लाख कमाने वाले व्यक्ति को ₹80,000 की कर छूट मिलेगी।
  • ₹18 लाख कमाने वाले व्यक्ति को ₹70,000 की कर छूट मिलेगी।
  • ₹25 लाख कमाने वाले व्यक्ति को ₹1,10,000 की कर छूट मिलेगी।

नए कर व्यवस्था के मुख्य लाभ

  • बढ़ी हुई उपभोक्ता आय: ये बदलाव मध्यम वर्ग के नागरिकों के हाथ में अधिक पैसा छोड़ने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिससे उपभोग और बचत में वृद्धि हो सके।
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए राहत: कर संरचना में ऐसे उपाय शामिल हैं जैसे कि TCS सीमा को ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख करना और वरिष्ठ नागरिकों के लिए TDS सीमा को दोगुना करना।

कुल आर्थिक प्रभाव

ये बदलाव एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल और रिटेल जैसे क्षेत्रों में मांग को बढ़ावा देने की उम्मीद है, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी। कर सुधारों का उद्देश्य उपभोक्ता विश्वास को बढ़ाना, कर प्रणाली को सरल बनाना और एक प्रगतिशील कर वातावरण को बढ़ावा देना है।

सारांश/स्थैतिक विवरण
क्यों समाचार में है? आयकर बजट 2025: ₹12 लाख तक की आय पर नए कर व्यवस्था में कोई आयकर नहीं
आयकर छूट ₹12 लाख तक आय वाले व्यक्तियों को कोई आयकर नहीं देना होगा (सैलरीधारकों के लिए ₹12.75 लाख तक)।
संशोधित कर स्लैब ₹0 – ₹4 लाख: शून्य
₹4 लाख – ₹8 लाख: 5%
₹8 लाख – ₹12 लाख: 10%
₹12 लाख – ₹16 लाख: 15%
₹16 लाख – ₹20 लाख: 20%
₹20 लाख – ₹24 लाख: 25%
₹12 लाख तक की आय पर कर रियायत ₹12 लाख तक की आय पर कर रियायत, जिसके परिणामस्वरूप शून्य कर देयता।
₹12 लाख आय पर प्रभाव ₹80,000 का कर लाभ
₹18 लाख आय पर प्रभाव ₹70,000 का कर लाभ
₹25 लाख आय पर प्रभाव ₹1,10,000 का कर लाभ
वृद्धि हुई डिस्पोजेबल आय बचत, खपत और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए राहत TCS सीमा ₹10 लाख तक बढ़ाई गई, TDS सीमा दोगुनी की गई।
आर्थिक क्षेत्रों पर प्रभाव FMCG, ऑटोमोबाइल और रिटेल जैसे क्षेत्रों को बढ़ी हुई उपभोक्ता खर्च से लाभ होगा।
कुल प्रभाव उपभोक्ता विश्वास में वृद्धि, सरल कर प्रणाली और प्रगतिशील कर वातावरण।

केंद्र ने आपदा न्यूनीकरण के लिए 3,027 करोड़ रुपये आवंटित किए

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति (HLC) ने भारत के विभिन्न राज्यों में आपदा न्यूनीकरण परियोजनाओं के लिए ₹3,027.86 करोड़ की बड़ी राशि को मंजूरी दी है। इस समिति में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और नीति आयोग के उपाध्यक्ष भी शामिल हैं। समिति ने बिजली सुरक्षा, सूखा प्रभावित क्षेत्रों और वन अग्नि प्रबंधन से संबंधित परियोजनाओं की समीक्षा कर उन्हें स्वीकृति दी। इन परियोजनाओं का उद्देश्य भारत की आपदा तैयारी को मजबूत करना और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करना है।

प्रमुख बिंदु

  • कुल वित्तीय स्वीकृति: ₹3,027.86 करोड़ आपदा न्यूनीकरण परियोजनाओं के लिए स्वीकृत।
  • समिति के सदस्य: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और नीति आयोग के उपाध्यक्ष।
  • राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF): इन परियोजनाओं के लिए धनराशि NDMF से प्रदान की जाएगी।

स्वीकृत परियोजनाएं

सूखा प्रभावित क्षेत्र

  • कुल लागत: ₹2,022.16 करोड़।
  • केंद्र सरकार की हिस्सेदारी: ₹1,200 करोड़।
  • लक्षित राज्य: 12 सूखा प्रभावित राज्य।
  • शामिल राज्य: आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश।

बिजली सुरक्षा

  • कुल लागत: ₹186.78 करोड़।
  • लक्षित राज्य: 10 राज्य, जहां बिजली गिरने की घटनाएं अधिक होती हैं।
  • शामिल राज्य: आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल।

वन अग्नि जोखिम प्रबंधन

  • कुल लागत: ₹818.92 करोड़।
  • केंद्र सरकार की हिस्सेदारी: ₹690.63 करोड़।
  • लक्षित क्षेत्र: 144 उच्च प्राथमिकता वाले जिले।
  • शामिल राज्य: आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, महाराष्ट्र, मिजोरम, मध्य प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड।

अन्य आपदा न्यूनीकरण पहल

  • शहरी बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण: 7 प्रमुख शहरों के लिए पहले ही ₹3,075.65 करोड़ स्वीकृत।
  • ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) जोखिम न्यूनीकरण: 4 राज्यों के लिए ₹150 करोड़ की मंजूरी।
  • भूस्खलन जोखिम न्यूनीकरण: 15 राज्यों के लिए ₹1,000 करोड़ स्वीकृत।

वित्तीय सहायता जारी की गई

  • राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF): 27 राज्यों को ₹17,479.60 करोड़ जारी।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF): 18 राज्यों को ₹4,808.30 करोड़ जारी।
  • राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF): 13 राज्यों को ₹1,973.55 करोड़ प्रदान।
  • राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF): 8 राज्यों को ₹719.72 करोड़ प्रदान।

उद्देश्य

सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “आपदा-रहित भारत” (Disaster-Resilient India) के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रणाली को मजबूत कर रही है। यह पहल राज्यों को पर्याप्त वित्तीय सहायता और संसाधन प्रदान कर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सहायक होगी।

गोवा में 10वां साइंस-फिक्शन फिल्म महोत्सव शुरू हुआ

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने 30 जनवरी 2025 को पणजी में साइ-फाई साइंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया का उद्घाटन किया। यह उत्सव विद्ञान परिषद गोवा द्वारा आयोजित किया गया है, जो विज्ञान, नवाचार और जिज्ञासा की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है। इस वर्ष का महोत्सव प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एम. स्वामीनाथन को समर्पित है। फेस्टिवल की थीम “हरित क्रांति” (Green Revolution) रखी गई है, जिसका उद्देश्य युवाओं को सतत विकास (सस्टेनेबिलिटी) की ओर प्रेरित करना है। यह चार दिवसीय आयोजन भारत की प्रगति में विज्ञान और नवाचार की महत्ता को रेखांकित करता है और युवाओं को वैज्ञानिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।

कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:

  • उद्घाटन: गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने साइ-फाई साइंस फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन किया।
  • आयोजनकर्ता: फेस्टिवल विद्ञान परिषद गोवा द्वारा गोवा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से आयोजित किया गया है।
  • थीम: इस वर्ष की थीम “हरित क्रांति” है, जो सतत विकास और युवा पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
  • डॉ. एम. स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि: यह फेस्टिवल महान वैज्ञानिक डॉ. एम. स्वामीनाथन के सम्मान में आयोजित किया जा रहा है, जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • समारोह की अवधि: यह चार दिवसीय आयोजन विज्ञान, नवाचार और सिनेमा का उत्सव है।
  • युवाओं को प्रोत्साहन: मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि ऐसे फेस्टिवल युवाओं में वैज्ञानिक रुचि बढ़ाने, विज्ञान में करियर को प्रेरित करने और भारत के “विकसित भारत” (Viksit Bharat) के विजन में योगदान देने में सहायक हैं।
  • गोवा में वैज्ञानिक संस्थान: सीएम सावंत ने इस बात पर जोर दिया कि गोवा अब वैज्ञानिक अनुसंधान का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है। यहां आईआईटी (IIT), एनआईटी (NIT), राष्ट्रीय समुद्री अनुसंधान संस्थान (NIO) और राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (National Forensic Sciences University) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान स्थित हैं।

अतिरिक्त जानकारी:

  • माननीय अतिथियों की उपस्थिति: इस कार्यक्रम में वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, गोवा विश्वविद्यालय के कुलपति हरिलाल मेनन, और विद्ञान परिषद गोवा के अध्यक्ष प्रसाद रंगनेकर शामिल हुए।
  • फेस्टिवल की शुरुआत: स्व. मनोहर पर्रिकर और जयंतराव सहस्रबुद्धे द्वारा इस फेस्टिवल की संकल्पना की गई थी, जो विज्ञान और नवाचार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
  • साइंस फिक्शन फिल्मों की भूमिका: सीएम सावंत ने इस बात को भी रेखांकित किया कि विज्ञान-आधारित फिल्मों से छात्रों में जिज्ञासा, उत्साह और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता है, जो भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
संक्षिप्त जानकारी विवरण
क्यों चर्चा में? पणजी में गोवा के मुख्यमंत्री ने साइ-फाई साइंस फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन किया
कार्यक्रम का नाम साइ-फाई साइंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया
आयोजनकर्ता विद्यान परिषद गोवा एवं गोवा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से
स्थान पणजी, गोवा
मुख्य अतिथि गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत
कार्यक्रम की अवधि 4 दिवसीय
इस वर्ष की थीम हरित क्रांति (सतत विकास और युवाओं की भागीदारी)
सम्मानित वैज्ञानिक डॉ. एम. स्वामीनाथन
प्रमुख गणमान्य व्यक्ति डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, हरिलाल मेनन, प्रसाद रंगनेकर
फेस्टिवल का उद्देश्य युवाओं में विज्ञान, नवाचार और जिज्ञासा को बढ़ावा देना
गोवा के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान IIT, NIT, NIO, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय
संस्थापक विरासत स्व. मनोहर भाई पर्रिकर, स्व. जयंतराव सहस्रबुद्धे
मुख्यमंत्री की दृष्टि युवाओं को विज्ञान में करियर अपनाने के लिए प्रेरित करना और “विकसित भारत” के लक्ष्य को साकार करना

बजट 2025: केंद्रीय बजट के बारे में 10 रोचक तथ्य

केंद्रीय बजट, जिसे संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) भी कहा जाता है, अगली वित्तीय वर्ष के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किया जाता है। इसमें सरकार के नियोजित व्यय, अपेक्षित राजस्व और आर्थिक नीतियों की रूपरेखा प्रस्तुत की जाती है। बजट 1 फरवरी को पेश किया जाता है और 1 अप्रैल से लागू होता है। 2016 से पहले, इसे फरवरी के अंतिम कार्यदिवस पर प्रस्तुत किया जाता था। इसका मसौदा तैयार करने की ज़िम्मेदारी आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के बजट प्रभाग की होती है।

केंद्रीय बजट से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश करने जा रही हैं। यहां केंद्रीय बजट से जुड़ी 10 रोचक जानकारियां दी गई हैं:

  • प्रस्तुति की तिथि में बदलाव: 2016 तक, केंद्रीय बजट परंपरागत रूप से फरवरी के अंतिम कार्य दिवस पर पेश किया जाता था। हालांकि, अब इसे 1 फरवरी को पेश किया जाता है।
  • घोषणा समय में परिवर्तन: 1999 तक, केंद्रीय बजट की घोषणा शाम 5:00 बजे की जाती थी, जो औपनिवेशिक परंपरा का हिस्सा थी। वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 2001 से इसे सुबह 11:00 बजे करना शुरू किया।
  • हलवा समारोह परंपरा: बजट प्रस्तुत करने से एक सप्ताह पहले, वित्त मंत्री मंत्रालय के अधिकारियों को ‘हलवा’ वितरित करते हैं, जो ‘लॉक-इन’ अवधि की शुरुआत का प्रतीक है।
  • डिजिटल परिवर्तन: डिजिटल तरीकों को अपनाने के साथ ही लॉक-इन अवधि को दो सप्ताह से घटाकर पांच दिन कर दिया गया है।
  • ब्रिफकेस परंपरा समाप्ति: 2018 तक वित्त मंत्री बजट को चमड़े के ब्रिफकेस में लेकर आते थे, लेकिन अब यह परंपरा समाप्त कर दी गई है।
  • पेपरलेस बजट: 1 फरवरी 2021 को, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल टैबलेट का उपयोग करते हुए पहला पेपरलेस बजट पेश किया।
  • केंद्रीय बजट के दो भाग:
    1. वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement): इसमें सरकार की अनुमानित आय और व्यय का सारांश होता है।
    2. अनुदान मांग (Demand for Grants): इसमें विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के अनुमानित खर्च का विवरण होता है।
  • संसदीय प्रक्रिया: वित्त मंत्री लोकसभा में बजट भाषण प्रस्तुत करते हैं, जिसके बाद उस पर चर्चा और मतदान की प्रक्रिया होती है।
  • मध्यावधि समीक्षा: सरकार की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करने के लिए ‘मध्यावधि समीक्षा’ या ‘अर्धवार्षिक रिपोर्ट’ प्रकाशित की जाती है।
  • राष्ट्रपति की स्वीकृति परंपरा: बजट प्रस्तुत करने से पहले, वित्त मंत्री राष्ट्रपति से भेंट कर उनकी स्वीकृति प्राप्त करते हैं। बजट भाषण के बाद, वित्त मंत्री अन्य मंत्रियों और हितधारकों के साथ चर्चा करते हैं।

Recent Posts

about | - Part 397_12.1