प्रयागराज के महाकुंभ में 29 जनवरी 2025 को हुई दुर्भाग्यपूर्ण भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। उत्तर प्रदेश सरकार ने तुरंत इस घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया, जो इस आपदा के कारणों की जांच करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव देगा। सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश हर्ष कुमार की अध्यक्षता में गठित इस समिति में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डी.के. सिंह और पूर्व डीजीपी वी.के. गुप्ता शामिल हैं। समिति को एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है, लेकिन जांच प्रक्रिया को तेज करने का प्रयास किया जाएगा।
जांच के मुख्य बिंदु
न्यायिक आयोग का गठन
- यूपी सरकार ने 1952 के जाँच आयोग अधिनियम, धारा 3 के तहत तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।
- समिति के सदस्य:
- न्यायमूर्ति हर्ष कुमार (सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश)
- डी.के. सिंह (सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी)
- वी.के. गुप्ता (पूर्व डीजीपी)
- घोषणा के कुछ घंटों के भीतर ही आयोग ने जांच की जिम्मेदारी संभाल ली।
- एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का लक्ष्य, लेकिन जांच को जल्द पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
घटनास्थल का निरीक्षण और विश्लेषण
- 31 जनवरी 2025 को आयोग ने संगम नोज (Sangam Nose) का दौरा किया और स्थल की भौगोलिक संरचना एवं भीड़ की गतिविधियों का अध्ययन किया।
- रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) सहित भारी सुरक्षा बल मौके पर तैनात था।
- CCTV फुटेज और स्थल के स्थलाकृतिक विवरण की समीक्षा की गई।
- आवश्यकतानुसार आगे भी स्थल निरीक्षण किया जा सकता है।
भगदड़ के संभावित कारण
- भगदड़ मौनी अमावस्या के पूर्वभोर में हुई, जो सबसे शुभ स्नान तिथियों में से एक मानी जाती है।
- लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान के लिए एकत्र हुए, जिससे अत्यधिक भीड़ हो गई।
- बैरिकेड्स के टूटने से भीड़ अनियंत्रित हो गई और लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे।
- यह घटना ब्रह्म मुहूर्त में अखाड़ा मार्ग के संगम नोज क्षेत्र में हुई।
अधिकारियों के साथ बैठक
- आयोग ने भीड़ प्रबंधन के लिए जिम्मेदार वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात की।
- डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) वैभव कृष्ण और एसएसपी (SSP) राजेश द्विवेदी ने सुरक्षा इंतज़ामों से जुड़ी जानकारी दी।
आयोग का कार्यक्षेत्र
- इस त्रासदी के सटीक कारणों की पहचान करना।
- CCTV फुटेज और ग्राउंड रिपोर्ट का गहन विश्लेषण करना।
- भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस सुझाव देना।
- निर्धारित एक महीने की समय-सीमा के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करना।