World Pulses Day 2025: क्यों मनाया जाता है विश्व दलहन दिवस

विश्व दलहन दिवस प्रत्येक वर्ष 10 फरवरी को मनाया जाता है ताकि दलहन के सतत और पोषक खाद्य स्रोत के रूप में महत्व को वैश्विक स्तर पर उजागर किया जा सके। यह दिन दलहन के पोषण मूल्य, खाद्य सुरक्षा लाभ और पर्यावरणीय फायदों पर जोर देता है, जिससे सतत कृषि प्रणाली को बढ़ावा मिलता है। संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा समर्थित यह दिवस भूख उन्मूलन, मानव स्वास्थ्य सुधार और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में दलहन की भूमिका को प्रोत्साहित करने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करता है।

दलहन क्या हैं?

दलहन (Pulses) वे खाद्य बीज होते हैं जो लेग्युमिनस पौधों से प्राप्त होते हैं और सूखे अनाज के रूप में उपयोग किए जाते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • सूखी फलियाँ (राजमा, काले चने, पिंटो बीन्स)
  • मसूर दाल
  • मटर (चने, हरे मटर)
  • अन्य प्रकार जैसे चौली (कौपी) और बाकला

दलहन विश्वभर की कई प्रमुख व्यंजनों का हिस्सा हैं, जैसे भारतीय दाल, मध्य पूर्वी फलाफल, मैक्सिकन रिफ्राइड बीन्स और भूमध्यसागरीय हम्मस। ये प्रोटीन, आहार फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं और संतुलित आहार के लिए आवश्यक माने जाते हैं।

विश्व दलहन दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र द्वारा दलहन की भूमिका को मान्यता

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 2013 में प्रस्ताव A/RES/68/231 पारित किया, जिसमें 2016 को अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष घोषित किया गया। इस पहल का उद्देश्य खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा दलहन के पोषण और पर्यावरणीय लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।

विश्व दलहन दिवस की शुरुआत

2016 के अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष की सफलता को देखते हुए, इसे वार्षिक रूप से मनाने की मांग बढ़ी। बुर्किना फासो ने इस दिवस को हर साल मनाने का प्रस्ताव दिया, जिसे 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकार कर 10 फरवरी को विश्व दलहन दिवस के रूप में घोषित किया।

विश्व दलहन दिवस 2025 का महत्व

1. पोषण संबंधी लाभ

  • प्रोटीन का अच्छा स्रोत: यह शाकाहारियों और शाकाहारी आहार अपनाने वालों के लिए महत्वपूर्ण है।
  • कोलेस्ट्रॉल कम करता है: दलहन के नियमित सेवन से LDL (खराब कोलेस्ट्रॉल) कम होता है।
  • रक्त शर्करा स्तर नियंत्रित करता है: इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह मधुमेह और मोटापे के प्रबंधन में सहायक होते हैं।
  • पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा: उच्च फाइबर युक्त होने के कारण पाचन क्रिया में सुधार होता है।

2. खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता

  • दलहन एक सस्ती और आसानी से उपलब्ध पोषण सामग्री है, विशेष रूप से विकासशील देशों में।
  • किसान इन्हें उगाकर, खाकर और बेचकर खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं।
  • ये सूखा-प्रतिरोधी फसलें हैं, जो जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि के लिए उपयुक्त हैं।

3. पर्यावरणीय स्थिरता

  • मिट्टी की उर्वरता में सुधार: दलहन नाइट्रोजन को स्थिर करने में मदद करते हैं, जिससे रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है।
  • कम पानी की जरूरत: अन्य फसलों की तुलना में दलहन को कम जल की आवश्यकता होती है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करता है: इनका उत्पादन अन्य प्रोटीन स्रोतों की तुलना में कम कार्बन फुटप्रिंट छोड़ता है।

विश्व दलहन दिवस 2025 की थीम

विश्व दलहन दिवस 2025 (World Pulses Day 2025) की थीम “Bringing diversity to agri-food systems यानि दालें: कृषि खाद्य प्रणालियों में विविधता लाना” है। यह थीम दलहन की पोषणीय और कृषि जैव विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। यह इस बात पर प्रकाश डालती है कि दलहन खाद्य सुरक्षा को मजबूत करते हैं और सतत कृषि को बढ़ावा देते हैं।

विश्व दलहन दिवस 2025 से जुड़े प्रमुख तथ्य

  • तारीख: 10 फरवरी (प्रत्येक वर्ष)
  • प्रमुख संगठन: खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO)
  • घोषणा: 2019 में UN महासभा द्वारा
  • लक्ष्य: सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को बढ़ावा देना (विशेष रूप से SDG-2: भूख समाप्त करना, और SDG-15: स्थायी कृषि)
  • 2025 की थीम: “दालें: कृषि खाद्य प्रणालियों में विविधता लाना” है।

इस प्रकार, विश्व दलहन दिवस पोषण, खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

असम विश्व के सबसे बड़े झुमुर महोत्सव की मेजबानी करेगा

असम 24 फरवरी 2025 को दुनिया का सबसे बड़ा झूमर नृत्य प्रदर्शन आयोजित करने के लिए तैयार है। यह आयोजन एडवांटेज असम 2.0 निवेश शिखर सम्मेलन के तहत होगा। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की कि इस ऐतिहासिक अवसर की शोभा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बढ़ाएंगे। असम इस कार्यक्रम में 7,500 से अधिक नृत्यकारों के साथ गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। यह आयोजन असम की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करने के साथ-साथ वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने का एक प्रमुख मंच भी बनेगा।

मुख्य विशेषताएँ

आयोजन का विवरण

  • तारीख: 24 फरवरी 2025
  • अवसर: एडवांटेज असम 2.0 निवेश शिखर सम्मेलन (25-26 फरवरी) से पूर्व
  • स्थान: गुवाहाटी, असम
  • मुख्य अतिथि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

झूमर नृत्य प्रदर्शन

  • यह अब तक का सबसे बड़ा झूमर (झूमइर) नृत्य प्रदर्शन होगा।
  • इसमें 7,500 से अधिक नर्तक भाग लेंगे।
  • गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

निवेश शिखर सम्मेलन – एडवांटेज असम 2.0

  • पहली बार 2018 में इस शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था।
  • मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे के विकास और निवेश पर केंद्रित।
  • राष्ट्रीय और वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने की उम्मीद।

आयोजन की तैयारियाँ

  • नृत्यकारों के लिए मास्टर प्रशिक्षण कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं।
  • विधानसभा और जिला स्तर पर अभ्यास सत्र कराए जा रहे हैं।
  • गुवाहाटी में अंतिम पूर्वाभ्यास आयोजित होगा ताकि कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके।

असम की प्रगति और निवेश संभावनाएँ

  • असम पहले ही सबसे बड़े बिहू प्रदर्शन का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुका है।
  • मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपराध दर में गिरावट और राज्य में शांतिपूर्ण माहौल की सराहना की।
  • व्यवसाय करने में आसानी (Ease of Doing Business) और सिंगल-विंडो क्लीयरेंस से निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया है।
  • बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास में तेजी से प्रगति हो रही है।

असम का यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का प्रयास है, बल्कि राज्य को एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
क्यों चर्चा में? असम में होगा दुनिया का सबसे बड़ा झूमर महोत्सव
कार्यक्रम का नाम सबसे बड़ा झूमर नृत्य प्रदर्शन
अवसर एडवांटेज असम 2.0 निवेश शिखर सम्मेलन
मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स्थान गुवाहाटी, असम
नृत्यकारों की संख्या 7,500 से अधिक
रिकॉर्ड प्रयास सबसे बड़े झूमर नृत्य के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
केंद्रित क्षेत्र बुनियादी ढांचा, निवेश, सांस्कृतिक संवर्धन
शिखर सम्मेलन की तिथियाँ 25-26 फरवरी 2025
तैयारियाँ प्रशिक्षण कार्यशालाएँ, जिला-स्तरीय पूर्वाभ्यास, गुवाहाटी में अंतिम पूर्वाभ्यास
पिछला रिकॉर्ड सबसे बड़ा बिहू प्रदर्शन (गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड)
राज्य की प्रगति कानून व्यवस्था में सुधार, औद्योगिक विकास, व्यवसाय करने में आसानी

अंतर्राष्ट्रीय अरब तेंदुआ दिवस 2025: कब, क्यों और कैसे इसका महत्व है

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने प्रस्ताव 77/295 के तहत 10 फरवरी को “अंतर्राष्ट्रीय अरबियन तेंदुआ दिवस” घोषित किया है। यह दिवस पहली बार 2024 में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में मनाया गया था। अरबियन तेंदुआ (Panthera pardus nimr) एक गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) प्रजाति है, जो कभी पूरे अरब प्रायद्वीप में पाई जाती थी। किंतु अब इसके अस्तित्व पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य इस दुर्लभ वन्यजीव के संरक्षण के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाना और इसके संरक्षण प्रयासों को गति देना है।

अरबियन तेंदुआ: एक संकटग्रस्त प्रजाति

अरबियन तेंदुआ मुख्य रूप से सऊदी अरब, ओमान, यूएई, यमन, जॉर्डन और इज़राइल में पाया जाता है। यह अन्य तेंदुओं की तुलना में आकार में छोटा होता है और इसकी विशिष्ट धब्बेदार त्वचा इसे अलग पहचान देती है। यह एकान्तप्रिय प्राणी है और सामान्यतः सुबह और शाम के समय शिकार करता है। इसके आहार में गज़ेल, खरगोश और पक्षी शामिल होते हैं।

अरबियन तेंदुए के सामने प्रमुख खतरे

अरबियन तेंदुए की संख्या में भारी गिरावट के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं:

  1. शहरीकरण: अरब प्रायद्वीप में तेजी से हो रहे शहरी विकास के कारण इसके प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं।
  2. कृषि और अति-चराई: कृषि गतिविधियों और अधिक मवेशियों के चरने के कारण भूमि का क्षरण हो रहा है, जिससे तेंदुए के शिकार करने योग्य जीवों की संख्या घट रही है।
  3. शिकार (Poaching): इसकी सुंदर खाल और हड्डियों के लिए अवैध शिकार जारी है, जिससे इसकी संख्या तेजी से घट रही है।
  4. अवैध वन्यजीव व्यापार: वैश्विक बाजार में दुर्लभ प्राणियों की मांग बढ़ रही है, जिससे इस प्रजाति पर भारी दबाव पड़ रहा है।
  5. मानव-वन्यजीव संघर्ष: बढ़ते शहरीकरण के कारण तेंदुए मानव बस्तियों की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं।

अरबियन तेंदुए की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम

इस संकटग्रस्त प्रजाति के संरक्षण के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयास किए जा रहे हैं:

  1. आवास संरक्षण: तेंदुए के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करना और वन्यजीव अभयारण्यों का विस्तार करना।
  2. प्राकृतिक शिकार की बहाली: उन क्षेत्रों में शिकार योग्य जीवों की संख्या को पुनः बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जहाँ वे समाप्त हो चुके हैं।
  3. शिक्षा और जागरूकता: स्थानीय समुदायों को जागरूक करना ताकि वे तेंदुए के संरक्षण में सहयोग करें और अवैध शिकार की घटनाओं की सूचना दें।
  4. कानूनी संरक्षण: तेंदुए के शिकार और अवैध व्यापार पर सख्त कानून लागू किए जा रहे हैं।
  5. कैप्टिव ब्रीडिंग और पुनर्वास कार्यक्रम: कुछ स्थानों पर तेंदुओं को प्रजनन केंद्रों में रखा जा रहा है, ताकि उनकी संख्या को बढ़ाकर पुनः प्राकृतिक आवासों में छोड़ा जा सके।
  6. सहयोगात्मक संरक्षण प्रयास: सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और स्थानीय समुदायों के बीच समन्वय से तेंदुओं के संरक्षण के लिए प्रभावी रणनीतियाँ बनाई जा रही हैं।

संरक्षण के लिए आगे का रास्ता

अरबियन तेंदुए के संरक्षण की राह कठिन जरूर है, लेकिन असंभव नहीं। यदि उसके आवासों की रक्षा की जाए, कड़े वन्यजीव कानून लागू किए जाएं और स्थानीय समुदायों को सक्रिय रूप से शामिल किया जाए, तो इस संकटग्रस्त प्रजाति को बचाया जा सकता है।

“अंतर्राष्ट्रीय अरबियन तेंदुआ दिवस” केवल एक शुरुआत है। यह दिन इस दुर्लभ वन्यजीव की दुर्दशा पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने और उसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। यदि समय रहते प्रभावी उपाय किए गए, तो अरबियन तेंदुआ आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सकता है।

IOB ने मजबूत स्थिरता प्रतिबद्धता के साथ 89 वर्ष पूरे किए

भारतीय ओवरसीज बैंक (IOB) 10 फरवरी 2025 को अपना 89वां स्थापना दिवस मना रहा है, और इस अवसर पर बैंक ने स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) और उत्तरदायी बैंकिंग को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है। अपने पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं को और मजबूत करते हुए, IOB ने “पार्टनरशिप फॉर कार्बन अकाउंटिंग फाइनेंशियल्स” (PCAF) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो कि जलवायु-अनुकूल वित्तीय नीतियों को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से बैंक अपने ऋण और निवेश गतिविधियों से जुड़े ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को मापने और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में काम करेगा।

PCAF क्या है और IOB इससे क्यों जुड़ रहा है?

पार्टनरशिप फॉर कार्बन अकाउंटिंग फाइनेंशियल्स (PCAF) एक वैश्विक मंच है, जिसमें वित्तीय संस्थान GHG उत्सर्जन के मानकीकृत मूल्यांकन पद्धतियों को अपनाते हैं। IOB द्वारा इस पहल में शामिल होना कार्बन लेखांकन (कार्बन अकाउंटिंग) में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

IOB का यह कदम भारत के COP26 शिखर सम्मेलन (ग्लासगो, 2021) में 2070 तक नेट-जीरो लक्ष्य की प्रतिबद्धता को समर्थन देने का हिस्सा है। इसके तहत बैंक:

  • अपने ऋण और निवेश से जुड़े GHG उत्सर्जन की निगरानी और रिपोर्टिंग करेगा।
  • वैश्विक कार्बन लेखांकन पद्धतियों को अपनाकर वित्तीय पारदर्शिता में सुधार करेगा।
  • टिकाऊ वित्तपोषण (सस्टेनेबल फाइनेंस) को बढ़ावा देकर जलवायु लक्ष्यों को समर्थन देगा।

IOB का पर्यावरणीय योगदान: प्रमुख पहलें

IOB वर्षों से पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रयास कर रहा है। हाल ही में, 2 अक्टूबर 2024 को, बैंक ने स्वच्छ भारत दिवस पर चेन्नई के बेसेंट नगर बीच पर सफाई अभियान में भाग लिया। इस पहल में बैंक के एमडी एवं सीईओ अजय कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक जॉयदीप दत्ता रॉय और धनराज टी. ने नेतृत्व किया।

अन्य हरित पहलों में:

  • बैंक ने ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन को दो बैटरी चालित वाहन (BOV) दान किए, ताकि कचरा प्रबंधन में स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल तरीकों को अपनाया जा सके।
  • CSR (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) के तहत हरित वित्त और ऊर्जा कुशल परियोजनाओं को समर्थन दिया।

IOB के नेतृत्व का दृष्टिकोण: सतत बैंकिंग की दिशा में प्रतिबद्धता

89वें स्थापना दिवस के अवसर पर एमडी और सीईओ अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि बैंक हमेशा से उत्तरदायी बैंकिंग और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि PCAF में शामिल होना बैंक को वैश्विक स्थिरता मानकों के साथ संरेखित करेगा और ग्राहकों को कुशल सेवाएँ प्रदान करने में मदद करेगा।

  • IOB पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) सिद्धांतों को अपनाते हुए अपनी बैंकिंग सेवाओं को एक सतत वित्तीय ढांचे में बदलने का प्रयास कर रहा है।
  • बैंक का लक्ष्य अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डालना है, जिससे यह दीर्घकालिक विकास रणनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन सके।

भारतीय ओवरसीज बैंक के इन प्रयासों से यह स्पष्ट होता है कि बैंक न केवल वित्तीय विकास में योगदान दे रहा है, बल्कि एक हरित और स्थायी भविष्य की दिशा में भी अग्रसर है।

परीक्षा तैयारी के लिए प्रमुख बिंदु विवरण
समाचार में क्यों? भारतीय ओवरसीज बैंक (IOB) 10 फरवरी 2025 को अपना 89वां स्थापना दिवस मना रहा है और ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को मापने एवं रिपोर्ट करने के लिए “पार्टनरशिप फॉर कार्बन अकाउंटिंग फाइनेंशियल्स” (PCAF) से जुड़ा है।
IOB की स्थापना 1937 में एम. सीटी. एम. चिदंबरम चेट्टियार द्वारा की गई।
IOB मुख्यालय चेन्नई, तमिलनाडु
IOB एमडी और सीईओ अजय कुमार श्रीवास्तव
PCAF (पार्टनरशिप फॉर कार्बन अकाउंटिंग फाइनेंशियल्स) वित्तीय संस्थानों के लिए GHG उत्सर्जन की रिपोर्टिंग को मानकीकृत करने की एक वैश्विक पहल।
भारत का नेट-जीरो लक्ष्य 2070 तक, जैसा कि COP26 शिखर सम्मेलन में घोषित किया गया था।
हालिया IOB CSR पहल 2 अक्टूबर 2024 को स्वच्छ भारत दिवस पर बेसेंट नगर बीच, चेन्नई में सफाई अभियान में भाग लिया और कचरा संग्रहण के लिए दो बैटरी चालित वाहन (BOVs) दान किए।
ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन IOB द्वारा पर्यावरण-अनुकूल कचरा प्रबंधन सहायता प्राप्त करने वाली संस्था।
पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) IOB ने अपनी बैंकिंग सेवाओं में ESG सिद्धांतों को अपनाकर स्थिरता को बढ़ावा दिया है।

पेरिस एआई शिखर सम्मेलन की शुरुआत, प्रधानमंत्री मोदी सह-अध्यक्ष होंगे

पेरिस में “सार्वजनिक कल्याण हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर कार्रवाई शिखर सम्मेलन” का भव्य शुभारंभ हो गया है, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इस उच्च-स्तरीय बैठक की सह-अध्यक्षता कर रहे हैं। यह वैश्विक एआई सम्मेलन दुनिया भर के नेताओं, उद्योग विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को एक मंच पर ला रहा है, जिसका उद्देश्य एआई के नैतिक, नियामक और जिम्मेदार विकास से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है।

पेरिस एआई शिखर सम्मेलन के प्रमुख उद्देश्य

  • वैश्विक एआई शासन का ढांचा तैयार करना, जो नैतिक और जिम्मेदार एआई विकास को सुनिश्चित करे।
  • एआई सुरक्षा, जोखिमों और सतत विकास से जुड़े विषयों पर गहन चर्चा करना।
  • विकसित और विकासशील देशों के बीच एआई शासकीय अंतर को कम करने के लिए समावेशी एआई शासन पर जोर देना।
  • नियामक संतुलन स्थापित करना, जिसमें नवाचार को बढ़ावा मिले, लेकिन एकाधिकार या दुरुपयोग न हो।

अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे देशों की विभिन्न एआई विनियमन नीतियों को देखते हुए, यह सम्मेलन एक संतुलित और पारदर्शी वैश्विक रूपरेखा तैयार करने पर केंद्रित है।

कौन-कौन से वैश्विक नेता और विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं?

इस शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों और उद्योगों के दिग्गज भाग ले रहे हैं, जिनमें प्रमुख नाम शामिल हैं:

  • अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे. डी. वेंस
  • चीन के उप प्रधानमंत्री झांग गुओकिंग
  • ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन
  • डीपमाइंड के सीईओ डेमिस हासाबिस

इन नेताओं और विशेषज्ञों द्वारा एआई के नवाचार और नैतिकता के बीच संतुलन बनाए रखने पर विस्तृत चर्चा की जा रही है।

फ्रांस एआई क्षेत्र में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका कैसे मजबूत कर रहा है?

  • फ्रांस ने €109 बिलियन (लगभग ₹9.8 लाख करोड़) का निवेश एआई अनुसंधान और अवसंरचना के विकास के लिए घोषित किया।
  • “सार्वजनिक लाभ एआई संस्थान” की स्थापना, जो सार्वजनिक उपयोग के लिए बड़े डेटा सेट का प्रबंधन करेगा और नैतिक एआई अनुप्रयोगों पर केंद्रित रहेगा।
  • यूरोपीय संघ द्वारा निजी कंपनियों पर एआई का पूरा नियंत्रण रोकने की पहल का समर्थन।

वैश्विक एआई नियमन में प्रमुख भू-राजनीतिक चुनौतियाँ

  • अमेरिका – उद्योग संचालित नवाचार को प्राथमिकता, न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप।
  • यूरोपीय संघ – कड़े एआई कानून, विशेष रूप से निगरानी और गलत सूचना रोकने के लिए।
  • चीन – सरकारी नियंत्रण के साथ एआई नवाचार, “डीपसीक” चैटबॉट लॉन्च कर वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर।

भारत का एआई क्षेत्र में उभरता प्रभाव

  • भारत का इस शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करना इसके वैश्विक एआई नेतृत्व को दर्शाता है
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सक्रिय योगदान, जिससे एआई को सुशासन, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में उपयोग करने पर बल दिया जा रहा है।
  • समावेशी एआई नीतियों की वकालत, ताकि एआई केवल बड़े कॉरपोरेट्स तक सीमित न रहे, बल्कि सभी देशों और समाज के प्रत्येक वर्ग को इसका लाभ मिले।

पेरिस एआई शिखर सम्मेलन – मुख्य बिंदु

  • आयोजन स्थल: पेरिस, फ्रांस
  • सह-अध्यक्ष: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों
  • मुख्य भागीदार: अमेरिका, चीन, शीर्ष एआई कंपनियों के सीईओ
  • प्रमुख चर्चा विषय: एआई शासन, नैतिकता, सुरक्षा, वैश्विक सहयोग और विनियमन
  • फ्रांस की घोषणा: €109 बिलियन एआई निवेश
  • चीन की रणनीति: “डीपसीक” चैटबॉट लॉन्च
  • भारत की भूमिका: एआई नीतियों में समावेशिता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देना

यह शिखर सम्मेलन वैश्विक एआई नीतियों को एक नई दिशा देने और एआई नवाचार को सभी के लिए सुलभ और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Delhi Chunav Result 2025: दिल्ली में बीजेपी की जीत

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के रिजल्ट शनिवार (08 फरवरी 2025) को आए। भाजपा ने 26 साल बाद स्पष्ट बहुमत हासिल किया। भाजपा ने 48 और आम आदमी पार्टी (AAP) ने 22 सीटें जीतीं। भाजपा+ को AAP से 3.6% ज्यादा वोट मिले। इससे 26 सीटें ज्यादा मिलीं। पिछली चुनाव में 8 सीटें थीं। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली।

भाजपा ने 1993 में 49 सीटें यानी दो तिहाई बहुमत हासिल किया था। 5 साल की सरकार में मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज सीएम बनाए गए थे। 1998 के बाद कांग्रेस ने 15 साल राज किया। इसके बाद 2013 से आम आदमी पार्टी की सरकार थी।

इस बार भाजपा की 71% स्ट्राइक रेट के साथ 40 सीटें बढ़ीं। पार्टी ने 68 पर चुनाव लड़ा, 48 सीटें जीतीं। वहीं, AAP को 40 सीटों का नुकसान हुआ। आप का स्ट्राइक रेट 31% रहा। बीजेपी ने इस बार भी मुख्यमंत्री का कोई चेहरा पेश नहीं किया था, लेकिन पार्टी पीएम मोदी के नाम पर जनता के बीच उतरी और जीत हासिल करने में कामयाब रही।

भाजपा ने पिछले चुनाव

भाजपा ने पिछले चुनाव (2020) के मुकाबले वोट शेयर में 9% से ज्यादा का इजाफा किया। वहीं, AAP को करीब 10% का नुकसान हुआ है। कांग्रेस को भले ही एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वोट शेयर 2% बढ़ाने में कामयाब रही।

आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी बीते 11 साल से लगातार दिल्ली की सत्ता में बनी हुई थी. इस दौरान आप सरकार ने दिल्ली के लोगों के लिए कई एलान भी किए। इसमें मुफ़्त बिजली-पानी, महिलाओं को मुफ़्त में बस की यात्रा, बुज़ुर्गों को मुफ़्त में तीर्थ यात्रा वगैरह शामिल है।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) की 75वीं वर्षगांठ

भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने 7 फरवरी 2025 को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) की 75वीं वर्षगांठ विज्ञान भवन, नई दिल्ली में धूमधाम से मनाई। यह कार्यक्रम साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण, डेटा-आधारित प्रशासन और विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों को जोड़ने के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया गया।

इस समारोह में मुख्य वक्तव्य, विशेषज्ञ चर्चाएँ, डायमंड जुबली प्रकाशनों का अनावरण और NSS के फील्डवर्क को प्रदर्शित करने वाले विशेष प्रदर्शन आयोजित किए गए।

कार्यक्रम की प्रमुख झलकियाँ

1. उद्घाटन और स्वागत संबोधन

  • स्मृति गीता सिंह राठौड़, महानिदेशक (NSS) ने उपस्थित गणमान्य लोगों का स्वागत किया।
  • माननीय केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह (सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री) ने समारोह का उद्घाटन किया।
  • NSS के रोजगार, उपभोग, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में नीति निर्माण में योगदान को रेखांकित किया गया।
  • सरकार द्वारा आधुनिक तकनीकों के समावेश और सांख्यिकीय प्रणाली को मजबूत करने की प्रतिबद्धता पर बल दिया गया।

2. मुख्य वक्तव्य और संबोधन

अमिताभ कांत (भारत के G20 शेरपा) ने कहा:

  • NSS ने 75 वर्षों में भारत की सामाजिक-आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • डेटा-आधारित नीति निर्माण भारत की प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है।
  • आधुनिक नवाचार और प्रौद्योगिकी का उपयोग भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे रखेगा।

डॉ. सौरभ गर्ग (सचिव, MoSPI) ने कहा:

  • NSS ने विश्वसनीय डेटा प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने डेटा की उपलब्धता और सर्वेक्षण परिणामों को समय पर प्रस्तुत करने में सुधार किया है।

3. विशेष सम्मान और प्रकाशन अनावरण

माननीय मंत्री ने दो डायमंड जुबली प्रकाशनों का विमोचन किया:

  • “राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की 75 वर्षों की यात्रा – घरेलू सर्वेक्षणों के लिए”।
  • “राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की 75 वर्षों की यात्रा – उद्यम सर्वेक्षणों के लिए”।

श्रेष्ठ NSO कर्मियों को ‘कर्मयोगी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

NSS टीम द्वारा एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया, जिसमें NSS सर्वेक्षणों के फील्डवर्क और उनके प्रभाव को दर्शाया गया।

4. विशेषज्ञ पैनल चर्चाएँ

(i) ‘विकसित भारत @ 2047 के लिए भविष्य-तैयार भारतीय सांख्यिकीय प्रणाली’

संचालन: डॉ. दलीप सिंह, ADG, ESD, MoSPI।

पैनलिस्ट:

  • प्रो. चेतन घाते (निदेशक, IEG)।
  • डॉ. शलभ (प्रोफेसर, IIT कानपुर)।
  • सुश्री अदिति चौबाल (एसोसिएट प्रोफेसर, IIT बॉम्बे)।
  • श्री मार्सिन पिआटकोव्स्की (कार्यक्रम प्रमुख, विश्व बैंक)।

प्रमुख चर्चा बिंदु:

  • डेटा गैप को कम करने की आवश्यकता।
  • सर्वेक्षणों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की भूमिका।
  • नीति निर्माण में वास्तविक समय डेटा उत्पादन।
  • डेटा नवाचार के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी को मजबूत करना।

(ii) ‘आर्थिक नीतियों को आकार देने में वैकल्पिक डेटा स्रोतों का महत्व’

संचालन: श्री प्रवीन श्रीवास्तव (पूर्व सचिव और CSI, MoSPI)।

पैनलिस्ट:

  • सुश्री देबजानी घोष (विशिष्ट फेलो, नीति आयोग)।
  • डॉ. आशीष कुमार (पूर्व महानिदेशक, MoSPI)।
  • डॉ. हिमांशु (एसोसिएट प्रोफेसर, JNU)।
    प्रो. अभिरूप मुखोपाध्याय (ISI, दिल्ली)।
  • डॉ. राजेश शुक्ला (MD & CEO, PRICE)।

5. कार्यक्रम में भागीदारी और प्रभाव

  • 1,200 से अधिक प्रतिभागियों ने समारोह में भाग लिया, जिनमें शामिल थे:
  • नीति निर्माता
  • शोधकर्ता
  • राज्य सांख्यिकी निदेशालय (DES) अधिकारी
  • NSS और NSO फील्ड अधिकारी
  • अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि

निष्कर्ष

NSS की 75वीं वर्षगांठ समारोह ने भारत की सांख्यिकीय प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया और इसे ‘विकसित भारत 2047’ की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक सुधारों पर जोर दिया। डेटा-संचालित नीति निर्माण, प्रौद्योगिकी अपनाने और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के प्रयासों को इस कार्यक्रम में विशेष रूप से रेखांकित किया गया।

ओडिशा ने BBBP योजना के अंतर्गत प्रमुख पहलों को लागू किया

भारत में लिंग असमानता और घटते बाल लिंगानुपात को सुधारने के उद्देश्य से 22 जनवरी 2015 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना शुरू की गई थी। इस योजना के उद्देश्यों को साकार करने के लिए ओडिशा सरकार ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं, जो किशोरियों को सशक्त बनाने, बाल विवाह रोकने और शिक्षा एवं आत्मरक्षा कौशल को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं। ये पहल विभिन्न जिलों में लागू की गई हैं और इनका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करना और कौशल-आधारित प्रशिक्षण प्रदान करना है, ताकि लड़कियों के लिए एक सुरक्षित और समावेशी वातावरण तैयार किया जा सके।

ओडिशा में BBBP की प्रमुख पहलें

‘निर्भया कढ़ी’ (निडर कली) और ‘मो गेल्हा जिया’ (मेरी प्रिय बेटी) – गंजाम जिला

उद्देश्य:

  • किशोरियों को सशक्त बनाना और लिंग समानता को बढ़ावा देना।
  • बाल विवाह, भ्रूण हत्या और लिंग चयन को रोकना।

प्रभाव क्षेत्र:

  • गंजाम जिले के 3,309 गांवों में 1,83,933 किशोरियों को शामिल किया गया।

मुख्य उपलब्धियां:

  • गंजाम को 3 जनवरी 2022 को बाल विवाह मुक्त जिला घोषित किया गया।
  • 2019-2024 के बीच 953 में से 20 बाल विवाह रोके गए।
  • 3,614 स्कूलों के 4,50,000 छात्रों ने ‘बाल विवाह को ना’ कहने की शपथ ली।
  • बाल विवाह की पहली सूचना देने वाले को ₹5,000 का इनाम।
  • ओडिशा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (OSCPCR) ने गंजाम के प्रयासों को मान्यता दी।

‘कल्पना अभियान’ – ढेंकानाल जिला

उद्देश्य:

  • 10-19 वर्ष की किशोरियों की निगरानी और ट्रैकिंग।
  • बाल विवाह रोकने के लिए समुदाय की भागीदारी को मजबूत करना।

प्रभाव क्षेत्र:

  • 1,13,515 किशोरियों की पहचान कर उन्हें कार्यक्रम में शामिल किया गया।

मुख्य उपलब्धियां:

  • 2019-2024 के बीच 343 बाल विवाह रोके गए।
  • 3,425 स्कूलों के 4,45,000 छात्रों ने बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली।
  • 1,211 गांवों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
  • ढेंकानाल प्रशासन को ‘अंतर्राष्ट्रीय बालिका सप्ताह 2024’ के दौरान सम्मानित किया गया।
  • ओडिशा महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) और मिशन शक्ति ने पहल को मान्यता दी।
  • बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने पर वर्षा प्रियदर्शिनी साहू को सम्मानित किया गया।
  • एक बचाई गई पर्वतारोही को ‘कल्पना अभियान’ का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया।

‘स्वर्णा कालिका’ – क्योंझर जिला

उद्देश्य:

  • बाल विवाह के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • समुदाय-आधारित हस्तक्षेप को बढ़ावा देना।

मुख्य उपलब्धियां:

  • 2024 तक बाल विवाह में 50% की कमी दर्ज की गई।
  • 2,000 हितधारकों को जागरूकता अभियानों में शामिल किया गया।
  • ADVIKA ऐप को निगरानी और हस्तक्षेप के लिए बढ़ावा दिया गया।
  • समुदाय के नेताओं और किशोरियों ने सक्रिय रूप से अभियान में भाग लिया।

‘वीरांगना योजना’ – देवगढ़ जिला

उद्देश्य:

  • किशोरियों को मार्शल आर्ट और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना।
  • आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को बढ़ाना।

प्रभाव क्षेत्र:

  • 500 किशोरियों को 30-दिवसीय मार्शल आर्ट शिविर में प्रशिक्षित किया गया।
  • 300 शिक्षकों और अभिभावकों को लड़कियों के कानूनी अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाया गया।

मुख्य उपलब्धियां:

  • 50 मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए, जिन्होंने 300 स्कूलों में 6,000 छात्राओं को प्रशिक्षित किया।
  • इस पहल को स्कूलों और कॉलेजों में संस्थागत रूप से लागू किया गया।
  • यह योजना जिला महोत्सवों में प्रदर्शित की गई और प्रतिष्ठित ‘SKOCH अवार्ड’ जीता।

निष्कर्ष:

ओडिशा सरकार द्वारा शुरू की गई ये पहलें बालिकाओं के संरक्षण, सशक्तिकरण और शिक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में प्रभावी कदम हैं। इन योजनाओं के माध्यम से लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने, बाल विवाह को रोकने और उनके उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

विकसित भारत@2047: प्रगति का मार्ग नीति आयोग कॉन्क्लेव

नीति आयोग ने 6 फरवरी 2025 को “विकसित भारत @ 2047: अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक साझेदारी और विधि को सशक्त बनाना” शीर्षक से एक उच्च स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया। यह कार्यक्रम नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में आयोजित किया गया, जिसमें नीति आयोग के उपाध्यक्ष, सदस्यगण और सीईओ के साथ-साथ भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार और रक्षा मंत्रालय के सचिव सहित कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हुए।

इस सम्मेलन में पैनल चर्चाएं, मुख्य वक्तव्य और विशेषज्ञ विचार-विमर्श शामिल थे, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दीर्घकालिक रणनीति पर चर्चा करना था। प्रमुख विषयों में आर्थिक सुधार, वैश्विक साझेदारी, राष्ट्रीय सुरक्षा, कानूनी ढांचा और डिजिटल बुनियादी ढांचे पर विचार-विमर्श किया गया।

प्रमुख चर्चाएं और मुख्य निष्कर्ष

1. 2047 तक आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता

  • नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों ने भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने के रोडमैप का विश्लेषण किया।
  • विनियामक सुधारों, बुनियादी ढांचे के विस्तार, नवाचार और रणनीतिक व्यापार भागीदारी पर जोर दिया गया।
  • अनुसंधान और विकास (R&D) में निजी क्षेत्र के निवेश, राजकोषीय संतुलन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण की भूमिका पर चर्चा हुई।
  • सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग, ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण कच्चे माल तक पहुंच को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • शिक्षा, कौशल विकास और आधारभूत संरचना को भारत की जनसांख्यिकीय लाभ का प्रमुख घटक माना गया।
  • साहसिक सुधारों, सतत ऊर्जा नीतियों और वैश्विक व्यापार में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की जरूरत पर जोर दिया गया।

2. विकास के लिए रणनीतिक साझेदारियां

  • भारत की वैश्विक दक्षिण (Global South) और वैश्विक उत्तर (Global North) के साथ संतुलित कूटनीतिक रणनीतियों पर चर्चा की गई।
  • आर्थिक लचीलापन और भू-राजनीतिक व्यापार व्यवधानों को कम करने के उपायों पर विचार किया गया।
  • नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका और महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने की रणनीतियों पर जोर दिया गया।
  • व्यापार उदारीकरण, टैरिफ में कमी और तकनीकी सहयोग को बढ़ाने की जरूरत पर चर्चा की गई।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure) को मजबूत कर बहुपक्षीय और द्विपक्षीय साझेदारियों को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
  • निवेश आकर्षित करने और व्यापार करने में सुगमता बढ़ाने के लिए कानूनी सुधारों की आवश्यकता पर चर्चा हुई।

3. आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और राष्ट्रीय रक्षा

  • आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और राष्ट्रीय रक्षा में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका पर चर्चा की गई।
  • नागरिक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए ‘जस्ट इन टाइम’ (JIT) मॉडल बनाम सैन्य रसद के लिए ‘जस्ट इन केस’ (JIC) मॉडल की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया गया।
  • मजबूत खरीद प्रक्रियाओं और प्रभावी कानूनी ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और परिचालन दक्षता की रक्षा के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत पर चर्चा हुई।
  • सैन्य और नागरिक अभियानों दोनों के लिए लॉजिस्टिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • रक्षा खरीद प्रक्रियाओं को सरल बनाने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रस्ताव रखे गए।

यह सम्मेलन भारत के दीर्घकालिक आर्थिक, सुरक्षा और वैश्विक रणनीतियों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इससे 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दृष्टि को साकार करने में सहायता मिलेगी।

गांधीनगर में बिम्सटेक युवा शिखर सम्मेलन 2025

BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 का आयोजन गांधीनगर, गुजरात में 7 से 11 फरवरी 2025 तक किया जाएगा। यह सम्मेलन BIMSTEC देशों के युवा नेताओं को एक मंच पर लाकर सहयोग, नवाचार और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देगा। इस शिखर सम्मेलन का उद्घाटन 8 फरवरी 2025 को केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया करेंगे। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड के युवाओं के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करना है। इसे भारत सरकार के युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय के युवा कार्य विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन का मुख्य फोकस युवा-नेतृत्व वाली पहलों, नेतृत्व चर्चाओं और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर रहेगा।

BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 क्यों महत्वपूर्ण है?

BIMSTEC (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल) की स्थापना 6 जून 1997 को बैंकॉक घोषणा के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है। वर्षों से, BIMSTEC ने व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और सांस्कृतिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में कार्य किया है। हालांकि, युवा सहभागिता अब एक प्रमुख फोकस क्षेत्र बन गई है, जिससे BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है, जहां युवा नेता अपने विचार साझा कर सकते हैं, नीतियों पर चर्चा कर सकते हैं और क्षेत्रीय प्रगति में योगदान दे सकते हैं।

इस शिखर सम्मेलन की थीम “अंतर-BIMSTEC आदान-प्रदान के लिए युवा एक सेतु के रूप में” रखी गई है, जो क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने में युवा दिमागों की भूमिका को दर्शाती है। भारत सरकार इस अवसर को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) 2030 के साथ जोड़ने के रूप में देख रही है, ताकि यह क्षेत्र नवाचार और सहयोग के माध्यम से निरंतर प्रगति कर सके।

मुख्य सत्र और पहल क्या हैं?

BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 में कई चर्चाएं और कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जो युवा प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करेंगी। एक प्रमुख सत्र “विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग X BIMSTEC” होगा, जिसमें सदस्य देशों के युवा नेता अपने-अपने देश की युवा केंद्रित पहलों को प्रस्तुत करेंगे।

इस शिखर सम्मेलन का एक अन्य प्रमुख आकर्षण “मेरा युवा भारत (MY भारत)” पहल है, जिसे भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था। MY भारत का उद्देश्य युवा विकास के लिए एक संस्थागत ढांचा तैयार करना है, जो तकनीकी नवाचार का उपयोग करके समान अवसर प्रदान करने पर केंद्रित है। यह पहल युवाओं को नेतृत्व भूमिकाओं के लिए तैयार करने, नीति निर्माण में उनकी भागीदारी बढ़ाने, और आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन को गति देने में मदद करेगी।

प्रतिनिधियों को कौन-कौन से सांस्कृतिक और तकनीकी अनुभव प्राप्त होंगे?

चर्चाओं और नीति संवादों के अलावा, BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 प्रतिभागियों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और तकनीकी प्रगति को करीब से देखने का अवसर देगा। इस दौरान प्रतिनिधि निम्नलिखित महत्वपूर्ण स्थलों का दौरा करेंगे:

  • दांडी कुटीरमहात्मा गांधी को समर्पित भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय, जो उनके आत्मनिर्भरता के विचार और जीवन दर्शन को प्रदर्शित करता है।
  • साबरमती आश्रमगांधीजी के अहिंसा और राष्ट्र निर्माण के आदर्शों का प्रतीक, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण स्थल रहा है।
  • साबरमती रिवरफ्रंटआधुनिक शहरी योजना और सतत विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण।
  • GIFT सिटी (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी)भारत की पहली स्मार्ट सिटी और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC), जहां प्रतिनिधि वित्तीय तकनीक और वैश्विक व्यापार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करेंगे।

GIFT सिटी का दौरा युवा प्रतिनिधियों को भारत की तकनीकी और वित्तीय उन्नति को प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर देगा, जिससे वे अपने-अपने देशों में इसी तरह के विकास मॉडल लागू करने के लिए प्रेरित होंगे।

BIMSTEC युवा सहयोग का भविष्य क्या है?

BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 केवल एक सम्मेलन भर नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय एकता और प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण आंदोलन है। यह शिखर सम्मेलन युवा नेताओं, नीति निर्माताओं और नवाचारकर्ताओं के बीच सीधे संवाद को प्रोत्साहित करेगा, जिससे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के भविष्य को आकार देने में मदद मिलेगी।

यह आयोजन भविष्य के BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलनों की एक मजबूत नींव रखेगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि युवा नेता आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाएं। इस पहल के माध्यम से सदस्य देश नवाचार, सहयोग और सतत विकास की दिशा में एक साथ आगे बढ़ सकेंगे, जिससे पूरे क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित होगा।

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