अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान ने फ्रीडम एज सैन्य अभ्यास शुरू किया

अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान ने 15 सितम्बर 2025 को संयुक्त रूप से अपना हवाई और नौसैनिक अभ्यास “फ़्रीडम ऐज” (Freedom Edge) दक्षिण कोरिया के जेजू द्वीप के पास शुरू किया। यह बड़े पैमाने का सैन्य अभ्यास उत्तर कोरिया के बढ़ते परमाणु और मिसाइल खतरों के खिलाफ त्रिपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। जहाँ तीनों देश इसे निवारक (deterrence) कदम बता रहे हैं, वहीं प्योंगयांग ने इसे उकसावे की कार्रवाई कहा है।

फ़्रीडम ऐज अभ्यास के बारे में

यह बहु-क्षेत्रीय (multi-domain) अभ्यास है, जिसमें समुद्र, वायु और साइबर अभियानों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें शामिल हैं –

  • बैलिस्टिक मिसाइल और वायु रक्षा प्रशिक्षण

  • मेडिकल इवैक्यूएशन (रोगी/घायल सैनिकों को निकालना) अभ्यास

  • समुद्री अभियानों और साइबर समन्वय का अभ्यास

अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमांड ने पुष्टि की कि इसमें यूएस मरीन और एयर फ़ोर्स की उन्नत संपत्तियाँ शामिल हैं और इसे अब तक का सबसे आधुनिक त्रिपक्षीय अभ्यास बताया गया है। यह अभ्यास 19 सितम्बर 2025 तक चलेगा।

उत्तर कोरिया की प्रतिक्रिया

  • किम यो जोंग (उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की बहन) ने इस अभ्यास की कड़ी आलोचना की और कहा कि यह “अपरिहार्य रूप से बुरे नतीजे लाएगा।”

  • उन्होंने आयरन मेस (Iron Mace) टेबलटॉप अभ्यास पर भी निशाना साधा, जो फ़्रीडम ऐज के साथ ही चल रहा है। इसका उद्देश्य अमेरिकी परमाणु क्षमता को दक्षिण कोरिया की परंपरागत सैन्य क्षमता के साथ जोड़कर मजबूत प्रतिरोध (deterrence) तैयार करना है।

  • ऐतिहासिक रूप से, उत्तर कोरिया ऐसे सैन्य अभ्यासों का जवाब अक्सर मिसाइल परीक्षणों या सैन्य प्रदर्शनों से देता रहा है।

रणनीतिक महत्व

  1. उत्तर कोरिया के हथियारों का मुकाबला – प्योंगयांग की मिसाइल रेंज और परमाणु क्षमता तेज़ी से बढ़ी है, जो सीधे क्षेत्रीय खतरा है।

  2. त्रिपक्षीय सुरक्षा एकजुटता – यह अभ्यास कैम्प डेविड शिखर सम्मेलन की प्रतिबद्धताओं पर आधारित है, जिसमें वास्तविक समय में मिसाइल चेतावनी डेटा साझा करने की योजना भी शामिल है।

  3. महाशक्ति प्रतिस्पर्धा – किम जोंग उन की रूस और चीन से करीबी (हालिया पुतिन और शी जिनपिंग से मुलाक़ातें) को देखते हुए अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान अपनी सैन्य धुरी (military bloc) को मज़बूत कर रहे हैं।

चुनौतियाँ और जोखिम

  • तनाव की वृद्धि – उत्तर कोरिया मिसाइल परीक्षणों से जवाब दे सकता है।

  • राजनयिक गतिरोध – परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ताएँ लंबे समय से रुकी हुई हैं और प्योंगयांग रूस-चीन पर अधिक निर्भर हो रहा है।

  • स्थानीय विरोध – दक्षिण कोरिया के कुछ नागरिक समूहों ने कहा है कि ये अभ्यास क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ाते हैं।

परीक्षा हेतु मुख्य तथ्य

  • नाम: फ़्रीडम ऐज (Freedom Edge)

  • तारीख: 15–19 सितम्बर 2025

  • स्थान: जेजू द्वीप, दक्षिण कोरिया के पास

  • भागीदार: अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान

  • केंद्रित क्षेत्र: मिसाइल रक्षा, वायु और नौसैनिक अभ्यास, साइबर अभियान

न्यायमूर्ति एम सुंदर ने मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली

जस्टिस एम. सुन्दर ने 15 सितम्बर 2025 को औपचारिक रूप से मणिपुर उच्च न्यायालय के 10वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। यह शपथ ग्रहण समारोह राजभवन, इम्फाल के दरबार हॉल में सुबह लगभग 10 बजे आयोजित हुआ, जहाँ मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। उनकी यह नियुक्ति जस्टिस केम्पैया सोमशेखर के सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद हुई, जिन्होंने 22 मई 2025 को पदभार संभाला था और 14 सितम्बर 2025 को सेवानिवृत्त हो गए।

पृष्ठभूमि और करियर

  • जस्टिस सुन्दर का जन्म 19 जुलाई 1966 को चेन्नई में हुआ।

  • उन्होंने मद्रास लॉ कॉलेज से पढ़ाई की और पहले पाँच वर्षीय एकीकृत विधि पाठ्यक्रम (इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स) की बैच का हिस्सा रहे।

  • 1989 में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत होकर मुख्यतः मद्रास उच्च न्यायालय में दो दशकों तक सक्रिय प्रैक्टिस की।

  • अक्टूबर 2016 में वे मद्रास उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए।

  • मणिपुर स्थानांतरण से पहले, वे मद्रास उच्च न्यायालय के द्वितीय वरिष्ठतम न्यायाधीश थे।

नियुक्ति से जुड़े तथ्य

  • यह नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश पर हुई।

  • जस्टिस सुन्दर का कार्यभार जस्टिस केम्पैया सोमशेखर (22 मई 2025 से 14 सितम्बर 2025 तक मुख्य न्यायाधीश) के सेवानिवृत्ति के बाद संभाला।

  • दक्षिण भारत के वरिष्ठ न्यायाधीशों को पूर्वोत्तर राज्यों के उच्च न्यायालयों में नेतृत्व की जिम्मेदारी देने की परंपरा को यह नियुक्ति और मज़बूत करती है।

मद्रास–मणिपुर न्यायिक संबंध

मद्रास उच्च न्यायालय से आने वाले कई न्यायाधीश पहले भी मणिपुर उच्च न्यायालय का नेतृत्व कर चुके हैं, जैसे—

  • जस्टिस रामालिंगम सुधाकर

  • जस्टिस एम.वी. मुरलीधरन

  • जस्टिस डी. कृष्ण कुमार

यह न्यायिक संबंध चेन्नई और इम्फाल के बीच कानूनी अधोसंरचना को और सुदृढ़ करता है।

महत्व

  • मणिपुर उच्च न्यायालय में निरंतरता और स्थिरता सुनिश्चित होगी, विशेषकर मौजूदा कानून-व्यवस्था और शासन से जुड़ी चुनौतियों के बीच।

  • संवैधानिक, दीवानी और रिट मामलों में अनुभवी न्यायविद अब उच्च न्यायालय का नेतृत्व करेंगे।

  • यह नियुक्ति न्यायपालिका में क्षेत्रीय संतुलन और विविधता को बढ़ावा देती है।

मुख्य बिंदु

  • शपथ ग्रहण तिथि: 15 सितम्बर 2025

  • उत्तराधिकारी: जस्टिस केम्पैया सोमशेखर

  • सिफारिश करने वाला निकाय: सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम

  • न्यायिक करियर: मद्रास उच्च न्यायालय, स्थायी न्यायाधीश (2016)

  • जन्म: 19 जुलाई 1966, चेन्नई

  • शिक्षा: मद्रास लॉ कॉलेज (पहला पाँच वर्षीय इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स बैच)

आईसीसी महिला प्लेयर ऑफ द मंथ (अगस्त 2025): ओर्ला प्रेंडरगास्ट

आयरलैंड की उभरती हुई क्रिकेट स्टार ऑर्ला प्रेंडरगास्ट (Orla Prendergast) को अगस्त 2025 के लिए आईसीसी विमेंस प्लेयर ऑफ द मंथ चुना गया है। 23 वर्षीय इस ऑलराउंडर ने टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में शानदार प्रदर्शन किया, विशेषकर पाकिस्तान के खिलाफ, जिससे आयरलैंड को बड़ी सीरीज़ जीतने में मदद मिली। उनकी बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों ही प्रभावशाली रही, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और महिला क्रिकेट की दृश्यता को और मज़बूती दी।

प्रेंडरगास्ट का शानदार प्रदर्शन

पाकिस्तान के खिलाफ दबदबा

  • आयरलैंड की 2–1 टी20 सीरीज़ जीत में अहम भूमिका।

  • 3 पारियों में 144 रन, जिनमें 2 अर्धशतक शामिल।

  • सीरीज़ में कुल 4 विकेट झटके।

  • बने प्लेयर ऑफ द सीरीज़

यूरोपीय क्वालिफ़ायर में योगदान

  • 100 रन बनाए और 3 विकेट लिए।

  • आयरलैंड को आईसीसी महिला टी20 वर्ल्ड कप 2026 के ग्लोबल क्वालिफ़ायर में जगह दिलाने में अहम भूमिका।

अन्य नामांकित खिलाड़ी

  • आइरिस ज़्विलिंग (नीदरलैंड्स) – ऑलराउंडर

  • मुनीबा अली (पाकिस्तान) – विकेटकीपर-बल्लेबाज़

PM मोदी ने पूर्णिया हवाई अड्डे का उद्घाटन किया, ₹36,000 करोड़ की बिहार परियोजनाएं शुरू कीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के पूर्णिया हवाई अड्डे के अस्थायी टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया और लगभग ₹36,000 करोड़ की कई आधारभूत संरचना एवं विकास परियोजनाओं की शुरुआत की। ये परियोजनाएँ ऊर्जा, परिवहन, कृषि और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों को कवर करती हैं, विशेषकर बिहार के सीमांचल क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए।

पीएम ने इन परियोजनाओं को पूर्वी भारत को आर्थिक और आधारभूत गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया।

प्रमुख परियोजनाएँ

1. पूर्णिया हवाई अड्डा

  • अस्थायी टर्मिनल भवन का उद्घाटन।

  • पूर्णिया–कोलकाता हवाई मार्ग पर पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाई।

  • सीमांचल की हवाई कनेक्टिविटी और पर्यटन को बढ़ावा।

2. ₹25,000 करोड़ की ताप विद्युत परियोजना

  • भागलपुर ज़िले के पीरपैंती में 3 × 800 मेगावाट की थर्मल पावर प्लांट का शिलान्यास।

  • अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल तकनीक पर आधारित, कम उत्सर्जन मानकों के साथ बिहार की ऊर्जा क्षमता में वृद्धि।

3. कोसी–मेची नदी जोड़ परियोजना

  • लगभग ₹2,680 करोड़ की लागत से प्रथम चरण की शुरुआत।

  • उत्तर बिहार में सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और कृषि उत्पादकता में सुधार।

4. रेल कनेक्टिविटी पहल

  • बिक्रमशिला–कटारिया गंगा ब्रिज रेल लाइन (₹2,170 करोड़)।

  • अररिया–गलगलिया नई रेल लाइन (₹4,410 करोड़)।

  • गंगा पार और उत्तर-पूर्वी जिलों तक बेहतर आवागमन की सुविधा।

5. राष्ट्रीय मखाना बोर्ड

  • बिहार में राष्ट्रीय मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा।

  • लगभग ₹475 करोड़ की विकास योजना शुरू।

  • प्रशिक्षण, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग सहायता से मखाना किसानों को लाभ।

  • बिहार देश के कुल मखाना उत्पादन का लगभग 90% योगदान देता है।

बिहार के लिए व्यापक महत्व

  • हवाई अड्डा और रेलवे परियोजनाएँ आंतरिक और अंतरराज्यीय कनेक्टिविटी को मजबूत करेंगी।

  • ताप विद्युत संयंत्र से बिजली की बढ़ती मांग पूरी होगी और बिजली कटौती में कमी आएगी।

  • मखाना की खेती को राष्ट्रीय पहचान और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी।

  • सीमांचल जैसे पिछड़े क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा में लाने की नई प्राथमिकता।

प्रमुख तथ्य (परीक्षा हेतु)

  • स्थान: पूर्णिया, बिहार

  • घोषणाएँ:

    • पूर्णिया हवाई अड्डे का अस्थायी टर्मिनल

    • ₹25,000 करोड़ थर्मल पावर प्लांट (भागलपुर)

    • ₹2,680 करोड़ कोसी–मेची नदी लिंक

    • ₹6,500 करोड़ से अधिक की रेलवे परियोजनाएँ

    • राष्ट्रीय मखाना बोर्ड एवं ₹475 करोड़ विकास योजना

RBI ने भारतीय बैंक नोटों पर माइक्रोसाइट लॉन्च की

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारतीय बैंक नोटों पर एक विशेष माइक्रोसाइट लॉन्च की है, जिसका उद्देश्य जनता में नोटों की डिज़ाइन और सुरक्षा विशेषताओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह पोर्टल indiancurrency.rbi.org.in पर उपलब्ध है और इसे नोटों से जुड़ी सभी विश्वसनीय जानकारी का वन-स्टॉप डेस्टिनेशन बनाया गया है।

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब नकली नोटों की समस्या और नोटों के विनिमय से जुड़े सवाल आम जनता के बीच महत्वपूर्ण बने हुए हैं।

माइक्रोसाइट की मुख्य विशेषताएँ

  • 360-डिग्री व्यू ऑफ बैंकनोट्स: प्रत्येक नोट को करीब से देखने की सुविधा, जिससे असली और नकली में फर्क समझना आसान हो सके।

  • सुरक्षा तत्वों की स्पष्ट जानकारी:

    • वॉटरमार्क

    • लैटेंट इमेज

    • माइक्रो लेटरिंग

    • रंग बदलने वाली स्याही
      इन सबको सरल भाषा में समझाया गया है।

इस प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से RBI पारदर्शिता बढ़ाने और नकली नोटों के खतरे को कम करने का प्रयास कर रहा है।

मल्टीमीडिया और इंटरैक्टिव लर्निंग

यह पोर्टल पारंपरिक सूचना स्रोतों से अलग है क्योंकि इसमें मल्टीमीडिया और इंटरैक्टिव टूल्स का उपयोग किया गया है:

  • वीडियो और ऑडियो गाइड्स

  • एनिमेशन, जो दिखाते हैं कि सुरक्षा विशेषताएँ रोशनी या झुकाव पर कैसे बदलती हैं

  • इंटरैक्टिव गेम्स और क्विज़

इससे सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए सीखना आसान और रोचक बनता है।

बैंक नोटों के विनिमय पर जानकारी

पोर्टल का सबसे अहम सेक्शन नोटों के विनिमय से जुड़ा है, जिसमें दी गई हैं:

  • पुराने, गंदे या फटे नोटों को बदलने की प्रक्रिया

  • वापस लिए गए नोटों के विनिमय के नियम

  • सामान्यतः पूछे जाने वाले सवालों के स्पष्ट उत्तर

इससे जनता की भ्रम की स्थिति काफी हद तक कम होगी।

क्यों है यह महत्वपूर्ण

  • जनजागरूकता: जनता नकली नोट पहचानने में सक्षम होगी।

  • वित्तीय समावेशन: सरल और सहज जानकारी से हर वर्ग के लोग लाभान्वित होंगे।

  • पारदर्शिता: सुरक्षा विशेषताओं को साझा कर RBI ने मौद्रिक प्रणाली में विश्वास और बढ़ाया है।

परीक्षा हेतु प्रमुख तथ्य

  • पोर्टल: indiancurrency.rbi.org.in

  • विशेषताएँ: 360° व्यू, डिज़ाइन और सुरक्षा विवरण

  • इंटरैक्टिव टूल्स: वीडियो, ऑडियो गाइड्स, गेम्स, एनिमेशन

  • विशेष सेक्शन: क्षतिग्रस्त/वापस लिए गए नोटों का विनिमय

  • RBI गवर्नर: संजय मल्होत्रा

अमित शाह ने गांधीनगर में 5वें राजभाषा सम्मेलन का उद्घाटन किया

हिंदी दिवस 2025 के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात के गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में पांचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विभिन्न केंद्रीय सरकारी विभागों के 7,000 से अधिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने मातृभाषाओं के प्रति सम्मान और हिंदी को एक लचीली व विकसित होती राष्ट्रीय भाषा के रूप में बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम में भाषायी सहअस्तित्व और भाषा नीति में नवाचार की दिशा में नई पहलें सामने आईं।

हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के बीच सामंजस्य

गृह मंत्री ने कहा कि हिंदी को समय के साथ बदलना होगा और इसका दायरा बातचीत तक सीमित न रहकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पुलिसिंग और न्यायपालिका तक विस्तृत होना चाहिए। उन्होंने संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान हो और साथ ही हिंदी की संस्थागत भूमिका भी सुदृढ़ हो।

“हिंदी का अन्य भाषाओं से प्रतिस्पर्धा का संबंध नहीं है, बल्कि सह-अस्तित्व और विकास का है। हमें अपनी मातृभाषाओं का सम्मान करना चाहिए और घर में उन्हें बढ़ावा देना चाहिए।”

सरकार की प्रमुख पहलें

गृह मंत्री ने दो प्रमुख सरकारी पहलें शुरू करने की घोषणा की:

  1. सारथी प्लेटफ़ॉर्म

    • एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, जिसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं और प्रशिक्षण में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना है।

  2. हिंदी शब्द सिंधु कोश

    • एक महत्वाकांक्षी परियोजना जिसके अंतर्गत डिजिटल हिंदी विश्वकोश तैयार किया जाएगा।

    • लक्ष्य: 2029 तक इसे विश्व का सबसे बड़ा भाषाई ज्ञानकोश बनाना।

    • उद्देश्य: तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में मानकीकृत हिंदी पारिभाषिक शब्दावली उपलब्ध कराना।

सांस्कृतिक और शैक्षिक पहलू

  • मातृभाषा को घर पर अपनाने की अपील की, क्योंकि भाषा पहचान और संस्कृति से गहराई से जुड़ी है।

  • गुजरात के स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के उदाहरण की सराहना की।

  • भाषाई विविधता को मजबूत और एकीकृत भारत की नींव बताया।

राष्ट्रीय सहभागिता और उद्देश्य

इस सम्मेलन में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के 7,000 से अधिक अधिकारियों ने भाग लिया। सम्मेलन का लक्ष्य है:

  • हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के बीच समन्वय को बढ़ावा देना।

  • बहुभाषी प्रशासनिक व्यवस्था को प्रोत्साहित करना।

  • हिंदी की तकनीकी शब्दावली का विस्तार करना।

  • राजभाषा नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा करना।

सम्मेलन का महत्व

  • राष्ट्रीय एकीकरण: यह सम्मेलन भारत की बहुभाषिक पहचान का सम्मान करते हुए समावेशी भाषा नीति के माध्यम से एकता को बढ़ावा देता है।

  • भविष्य की तैयारी: सारथी और शब्द सिंधु कोश जैसी डिजिटल पहलें हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को डिजिटल व वैज्ञानिक युग के लिए तैयार करेंगी।

मुख्य बिंदु

  • स्थान: महात्मा मंदिर, गांधीनगर

  • तिथि: 14 सितंबर 2025 (हिंदी दिवस)

  • उद्घाटनकर्ता: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

  • प्रमुख पहलें: सारथी प्लेटफ़ॉर्म, हिंदी शब्द सिंधु कोश

तिरुमाला हिल्स, एर्रा मट्टी डिब्बालु यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल

आंध्र प्रदेश के प्राकृतिक चमत्कार तिरुमला पहाड़ियाँ और विशाखापत्तनम के पास स्थित एर्रा मट्टी डिब्बालु (लाल बालू के टीले) ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इन्हें यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची (Tentative List) में शामिल कर लिया गया है। यह पहला और महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत और राज्य सरकार की इन अद्वितीय भूवैज्ञानिक एवं पारिस्थितिक संरचनाओं को लंबे समय तक संरक्षित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

क्यों महत्वपूर्ण है

यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल होना किसी भी स्थल के पूर्ण विश्व धरोहर बनने की प्रक्रिया का पहला औपचारिक चरण है। इसका महत्व है:

  • स्थल के वैज्ञानिक, भूवैज्ञानिक और पारिस्थितिक महत्व की अंतरराष्ट्रीय मान्यता

  • राज्य और केंद्र सरकार द्वारा संरक्षण एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता

  • पर्यटन, शैक्षणिक शोध और वैश्विक जागरूकता की संभावनाएँ

एर्रा मट्टी डिब्बालु: एक दुर्लभ तटीय चमत्कार

एर्रा मट्टी डिब्बालु या लाल बालू के टीले, विशाखापत्तनम के बाहर लगभग 1,500 एकड़ क्षेत्र में फैले हुए हैं। ये रेत, गाद और मिट्टी की परतों से बने हैं, जो समुद्र-स्तर में हुए परिवर्तनों और प्राकृतिक क्षरण को दर्शाते हैं।
मुख्य तथ्य:

  • 2016 में भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (GSI) ने राष्ट्रीय भू-धरोहर स्मारक घोषित किया

  • पहली बार 1886 में ब्रिटिश भूवैज्ञानिक विलियम किंग ने दर्ज किया

  • प्राकृतिक लौह ऑक्सीकरण से लाल रंगत मिली

  • दुनिया में केवल तीन ऐसे स्थल (अन्य श्रीलंका और तमिलनाडु में)

  • जलवायु और समुद्र-स्तर में ऐतिहासिक बदलावों की झलक
    हालांकि अनियंत्रित पर्यटन, फिल्मों की शूटिंग और नियमों के पालन की कमी से यह स्थल खतरे में है।

तिरुमला पहाड़ियाँ और एपार्कीयन असंगति

विश्व-प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर की पहाड़ियों में एक अद्वितीय भूवैज्ञानिक घटना है—एपार्कीयन असंगति (Eparchaean Unconformity)। यहाँ लगभग 1.6 अरब वर्ष पुराने चट्टानें नई अवसादी परतों से मिलती हैं, जो इसे विश्व के सबसे प्राचीन असंगतियों में से एक बनाती है।
भूवैज्ञानिक महत्व:

  • पृथ्वी के विकास इतिहास के प्रमाण

  • भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड में लंबे अंतराल का स्पष्ट साक्ष्य

  • भारतीय उपमहाद्वीप के प्राचीन टेक्टोनिक इतिहास को दर्शाता है

संरक्षण और आगे की राह

यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल होने से अब ज़िम्मेदारी और बढ़ गई है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं:

  • एर्रा मट्टी डिब्बालु में पर्यटन व शूटिंग पर कड़ा नियंत्रण

  • शैक्षणिक साइनबोर्ड और व्याख्या केंद्र की स्थापना

  • नामांकन डॉज़ियर की वैज्ञानिक तैयारी

  • GSI, यूनेस्को जियोपार्क प्रोग्राम और विश्वविद्यालयों से सहयोग

  • पर्यावरण-हितैषी पर्यटन को बढ़ावा

अब राज्य और केंद्र सरकार को एक व्यापक विश्व धरोहर नामांकन डॉज़ियर तैयार करना होगा ताकि ये स्थल अगली चरण में आगे बढ़ सकें।

मुख्य बिंदु

  • यूनेस्को अस्थायी सूची (2025) में शामिल स्थल:

    • तिरुमला पहाड़ियाँ (एपार्कीयन असंगति)

    • एर्रा मट्टी डिब्बालु (लाल बालू के टीले)

  • स्थान: आंध्र प्रदेश (विशाखापत्तनम और तिरुपति के पास)

  • एपार्कीयन असंगति: 1.6 अरब वर्ष से अधिक का भूवैज्ञानिक अंतर

भारत ने स्विट्जरलैंड को हराकर 2026 डेविस कप के लिए क्वालीफाई किया

भारत ने टेनिस इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है, जब उसने स्विट्ज़रलैंड (नौवीं वरीयता प्राप्त टीम) को डेविस कप 2025 वर्ल्ड ग्रुप I टाई में 3–1 से हराया। यह मुकाबला स्विस टेनिस एरीना, बिएल में खेला गया। इस जीत से भारत ने न केवल डेविस कप 2026 क्वालिफ़ायर में जगह बनाई, बल्कि यूरोपीय देश के खिलाफ़ यूरोप में 32 साल बाद पहली जीत दर्ज की।

सुमित नागल ने दिलाई निर्णायक जीत

भारत के शीर्ष एकल खिलाड़ी सुमित नागल ने रिवर्स सिंगल्स मैच में हेनरी बर्नेट को सीधे सेटों में 6–1, 6–3 से हराकर भारत की जीत पक्की की। दबाव में उनका संतुलित और आक्रामक खेल भारतीय टीम के आत्मविश्वास को दर्शाता है।

टीम पहले ही एकल और युगल मुकाबलों में मजबूत स्थिति बना चुकी थी और नागल की जीत ने कुल 3–1 के स्कोर के साथ टाई भारत के नाम कर दी।

यूरोप की धरती पर ऐतिहासिक जीत

  • यह जीत भारत की 1993 के बाद पहली यूरोपीय देश के खिलाफ़ यूरोप में डेविस कप जीत है।

  • 1993 में अंतिम बार भारत ने लेअंडर पेस और रमेश कृष्णन की अगुवाई में फ्रांस को 3–2 से हराया था।

  • तीन दशक बाद यह जीत भारतीय टेनिस की नई प्रतिस्पर्धात्मकता और अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती का संकेत है।

डेविस कप प्रारूप और भारत का सफर

  • डेविस कप दुनिया की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय टीम टेनिस प्रतियोगिता है।

  • 2019 में इसमें नए वर्ल्ड ग्रुप चरण और क्वालिफिकेशन दौर जोड़े गए।

  • भारत ने 2019 के बाद से अब तक कोई वर्ल्ड ग्रुप I टाई नहीं जीता था।

  • भारत अब तक तीन बार डेविस कप फाइनल में पहुँचा है:

    • 1966

    • 1974 (फ़ाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ बहिष्कार)

    • 1987

आगे का रास्ता

  • भारत अब 2026 डेविस कप क्वालिफ़ायर में अन्य 12 वर्ल्ड ग्रुप I विजेताओं के साथ खेलेगा।

  • हारी हुई टीमें (जिनमें स्विट्ज़रलैंड भी शामिल है) 2026 वर्ल्ड ग्रुप I प्ले-ऑफ़्स खेलेंगी।

  • भारत का अगला लक्ष्य डेविस कप फ़ाइनल्स के लिए क्वालिफ़ाई करना होगा, जहाँ दुनिया की शीर्ष 16 राष्ट्रीय टीमें खिताब के लिए मुकाबला करती हैं।

मुख्य बिंदु

  • इवेंट: डेविस कप 2025, वर्ल्ड ग्रुप I टाई

  • परिणाम: भारत ने स्विट्ज़रलैंड को 3–1 से हराया (बिएल में)

  • निर्णायक मैच: सुमित नागल ने हेनरी बर्नेट को 6–1, 6–3 से हराया

  • ऐतिहासिक उपलब्धि: 1993 के बाद पहली बार यूरोप में जीत (फ्रांस के खिलाफ़)

  • भारत की पिछली डेविस कप फ़ाइनल उपस्थिति: 1966, 1974 (बहिष्कार), 1987

  • 2026 दृष्टिकोण: भारत क्वालिफ़ायर में पहुँचा, स्विट्ज़रलैंड प्ले-ऑफ़्स में गया

रबी अभियान 2025 सम्मेलन नई दिल्ली में शुरू हुआ

भारत की आगामी रबी फसल सीज़न (2025–26) के लिए कृषि रोडमैप राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन – रबी अभियान 2025 में तय किया जा रहा है। यह सम्मेलन सोमवार, 15 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में शुरू हुआ। दो दिवसीय इस आयोजन की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान कर रहे हैं। यह कार्यक्रम विकसित कृषि संकल्प अभियान (चरण–2) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य तकनीक, नीतिगत सुधार और किसान-केंद्रित रणनीतियों के माध्यम से भारतीय कृषि का आधुनिकीकरण करना है।

सम्मेलन का मुख्य फोकस

इस सम्मेलन में एक राष्ट्रीय गठबंधन शामिल हुआ है, जिसमें—

  • कृषि वैज्ञानिक और शोधकर्ता

  • नीति निर्माता और प्रशासक

  • राज्य कृषि विभाग के अधिकारी

  • विस्तार कार्यकर्ता और किसान प्रतिनिधि

ये सभी मिलकर रबी फसलों की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे, क्षेत्रवार योजनाएँ बनाएँगे और बदलते कृषि-जलवायु हालातों से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रणनीति तैयार करेंगे।

रबी अभियान 2025 के उद्देश्य

  • गेहूँ, जौ, सरसों, चना और मसूर जैसी प्रमुख रबी फसलों के लिए कार्य योजना बनाना।

  • जलवायु-लचीली और जल-संरक्षणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।

  • उर्वरक, सिंचाई और बीज में दक्षता लाना।

  • किसान सलाह प्रणाली और डिजिटल आउटरीच को मजबूत करना।

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा लक्ष्यों के अनुरूप कृषि योजनाओं को लागू करना।

इस अभियान का लक्ष्य अधिक पैदावार, सतत संसाधन प्रबंधन और किसानों की आय में वृद्धि करना है, ताकि विकसित भारत के दीर्घकालिक विज़न को साकार किया जा सके।

विकसित कृषि संकल्प अभियान – चरण 2

इस चरण के अंतर्गत—

  • राज्य और जिला स्तर पर कृषि योजना को बेहतर बनाया जाएगा।

  • सफल कृषि पद्धतियों को बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा।

  • तकनीक और नवाचार को खेतों तक पहुँचाया जाएगा।

  • कृषि-इनपुट्स और लॉजिस्टिक्स में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा।

रबी 2025–26 पर ध्यान केंद्रित करके यह चरण खरीफ सीज़न में हासिल सफलताओं को मजबूत करेगा और जलवायु परिवर्तन तथा बाज़ार-आधारित खेती के लिए बेहतर तैयारी सुनिश्चित करेगा।

मुख्य बिंदु

  • कार्यक्रम: राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन – रबी अभियान 2025

  • तिथि: 15–16 सितंबर 2025

  • स्थान: नई दिल्ली

  • अध्यक्षता: शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि मंत्री

  • संबंधित अभियान: विकसित कृषि संकल्प अभियान (चरण–2)

अगस्त में भारत की थोक कीमतें 0.52% तक बढ़ीं

भारत की थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अगस्त 2025 में सकारात्मक हो गई और वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 0.52% तक पहुँच गई। यह पिछले वर्ष के इसी महीने (अगस्त 2024) में दर्ज -0.58% से एक उल्लेखनीय सुधार है। वाणिज्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, इस वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य उत्पादों, खनिज तेलों, कच्चे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और विनिर्मित धातुओं की कीमतों में बढ़ोतरी है।

डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति

  • वर्तमान दर (अगस्त 2025): 0.52%

  • पिछला वर्ष (अगस्त 2024): -0.58%

  • बाज़ार अनुमान: रॉयटर्स सर्वेक्षण में 0.30% का अनुमान था।

यह सकारात्मक दर कई महीनों की सुस्त या नकारात्मक मुद्रास्फीति के बाद थोक कीमतों में ऊपर की ओर गति का संकेत देती है।

वृद्धि में योगदान देने वाले कारक

  • खाद्य उत्पाद: खाद्य मुद्रास्फीति जुलाई के -2.15% से बढ़कर अगस्त में 0.21% हो गई।

  • खनिज तेल एवं कच्चा पेट्रोलियम: कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस में थोक मुद्रास्फीति -9.87% रही, जबकि पिछले वर्ष अगस्त 2024 में यह 1.77% थी।

  • विनिर्मित उत्पाद: कीमतें 2.55% बढ़ीं, जबकि पिछले महीने (जुलाई) में इनमें 2.05% की गिरावट आई थी।

  • अन्य श्रेणियाँ: गैर-खाद्य लेख, गैर-धात्विक खनिज उत्पाद और परिवहन उपकरणों ने भी सकारात्मक योगदान दिया।

प्रमुख क्षेत्रों का प्रदर्शन

  • प्राथमिक लेख (Primary Articles): मुद्रास्फीति जुलाई के -4.95% से सुधरकर अगस्त में -2.10% रही।

  • ईंधन और ऊर्जा (Fuel & Power): अगस्त में कीमतें -3.17% गिरीं, जबकि जुलाई में -2.43% की गिरावट दर्ज हुई थी।

  • खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation): जुलाई के 1.55% से बढ़कर अगस्त में 2.07% रही।

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