राजस्थान मध्य प्रदेश के साथ 17,000 वर्ग किलोमीटर वन्यजीव गलियारे का सह-विकास करके भारत की अग्रणी चीता पुनरुत्पादन पहल का हिस्सा बनने के लिए तैयार है। इस कदम का उद्देश्य चीतों को मुक्त मार्ग प्रदान करने के लिए कुनो, गांधी सागर और मुकुंदरा हिल्स जैसे प्रमुख रिजर्वों को जोड़ना है।
भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, राजस्थान मध्य प्रदेश के साथ मिलकर देश का पहला अंतर-राज्यीय चीता संरक्षण गलियारा स्थापित करने जा रहा है, जो 17,000 वर्ग किलोमीटर में फैला होगा। यह परियोजना मध्य प्रदेश के पालपुर कुनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर अभयारण्य को राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से जोड़ेगी, जिससे चीतों के पनपने के लिए एक सन्निहित और संरक्षित परिदृश्य तैयार होगा।
चर्चा में क्यों?
यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चीता को फिर से लाने और संरक्षित करने की भारत की महत्वाकांक्षी पहल, प्रोजेक्ट चीता में एक बड़ा कदम है। राजस्थान के शामिल होने से कॉरिडोर क्षेत्र का विस्तार होगा और एशिया में बड़े मांसाहारी संरक्षण में अग्रणी के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी। मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच जल्द ही एक समझौता ज्ञापन होने की उम्मीद है।
परियोजना की मुख्य विशेषताएं एवं पृष्ठभूमि
- प्रोजेक्ट चीता, भारतीय वन्यजीव आवासों में विलुप्त हो चुकी एशियाई चीता प्रजाति को पुनः स्थापित करने की भारत की पहल है।
- मूल रूप से 2022 में प्रक्षेपित किए जाने वाले चीतों के पहले समूह को नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया था।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) प्रमुख कार्यान्वयन एजेंसियां हैं।
चीता कॉरिडोर विकास
- कुल क्षेत्रफल: 17,000 वर्ग किमी
- मध्य प्रदेश: 10,500 वर्ग किमी
- राजस्थान: 6,500 वर्ग किमी
संरक्षित साइटें लिंक की गईं
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान (एमपी)
- गांधी सागर अभयारण्य (म.प्र.)
- मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (राजस्थान)
राजस्थान के सम्मिलित जिले
- कोटा
- बूंदी
- बरन
- झालावाड़
- सवाई माधोपुर
- करौली
- चित्तौड़गढ़
महत्व एवं उद्देश्य
- यह विभिन्न क्षेत्रों में चीतों के सुरक्षित आवागमन एवं प्रवास को सुनिश्चित करता है।
- जनसंख्या के अन्तर्मिश्रण के माध्यम से आनुवंशिक विविधता को बढ़ावा देता है।
- पारिस्थितिकी पर्यटन और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
- वन्यजीव संरक्षण में अंतर-राज्यीय सहयोग को मजबूत करता है।
स्थैतिक एवं संस्थागत तथ्य
- भारत ने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था।
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान में पहली बार चीता का पुनःप्रवेश किया गया।
- यह परियोजना एशिया में अपनी तरह की पहली परियोजना है।
- राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच समझौता ज्ञापन अनुमोदन हेतु लंबित है।
सारांश/स्थैतिक | विवरण |
चर्चा में क्यों? | भारत का पहला अंतर-राज्यीय चीता कॉरिडोर मध्य प्रदेश और राजस्थान तक बनेगा |
शामिल राज्य | मध्य प्रदेश और राजस्थान |
कुल क्षेत्रफल | 17,000 वर्ग किमी (मध्य प्रदेश में 10,500, राजस्थान में 6,500) |
प्रमुख भंडार | कुनो एनपी, गांधी सागर अभयारण्य, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व |
राजस्थान के सम्मिलित जिले | कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, सवाई माधोपुर, करौली, चित्तौड़गढ़ |
कार्यान्वयन एजेंसियां | एनटीसीए, भारतीय वन्यजीव संस्थान |
समझौता ज्ञापन की स्थिति | दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की अंतिम मंजूरी का इंतजार |