ताकाशी नाकाजिका होंडा कार्स इंडिया के अध्यक्ष एवं सीईओ नियुक्त

जापानी ऑटोमोबाइल दिग्गज होंडा मोटर कंपनी ने अपनी भारतीय सहायक कंपनी होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड (HCIL) के लिए नेतृत्व परिवर्तन की घोषणा की है। ताकाशी नाकाजिका को 1 अप्रैल 2025 से HCIL के नए प्रेसिडेंट और सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया है। वह तकुया त्सुमुरा का स्थान लेंगे, जो भारत में तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा करने के बाद होंडा के मुख्यालय, जापान लौटेंगे।

ताकाशी नाकाजिका कौन हैं?

ताकाशी नाकाजिका होंडा के एक अनुभवी अधिकारी हैं, जिनके पास ऑटोमोबाइल उद्योग में 30 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने 1994 में होंडा से अपने करियर की शुरुआत की और कई अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं:

  • रूस – 2021 से होंडा मोटर रूस के प्रेसिडेंट के रूप में कार्य किया।
  • जापान – होंडा मुख्यालय में बिजनेस प्लानिंग और प्रोडक्ट स्ट्रैटेजी से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य किए।
  • चीन – विश्व के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल बाजारों में से एक में होंडा के विस्तार में योगदान दिया।
  • स्पेन और चेक गणराज्य – मार्केटिंग और सेल्स प्रमोशन में अहम भूमिका निभाई।

ताकाशी नाकाजिका का व्यापक अनुभव बिजनेस प्लानिंग, प्रोडक्ट प्लानिंग, मार्केटिंग और सेल्स प्रमोशन में है, जिससे वे भारत में होंडा कार्स के नेतृत्व के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं।

तकुया त्सुमुरा का भारत में योगदान

तकुया त्सुमुरा, जो अब होंडा मुख्यालय लौट रहे हैं, ने भारत में अपनी तीन साल की नेतृत्व अवधि में कई महत्वपूर्ण पहल कीं:

  • भारत में होंडा की प्रीमियम ब्रांड इमेज को मजबूत किया।
  • ग्राहक-केंद्रित पहल को बढ़ावा देकर संतुष्टि और ब्रांड लॉयल्टी में सुधार किया।
  • उद्योग की चुनौतियों के बावजूद कंपनी की लाभदायक वृद्धि सुनिश्चित की।

तकुया त्सुमुरा के नेतृत्व में प्रमुख उपलब्धियाँ

तकुया त्सुमुरा के कार्यकाल में होंडा ने भारत में कई महत्वपूर्ण मॉडल लॉन्च किए, जिनमें शामिल हैं:

  • होंडा सिटी e:HEV – भारत की पहली मेनस्ट्रीम हाइब्रिड सेडान, जो उच्च ईंधन दक्षता और पर्यावरण-अनुकूल ड्राइविंग का नया मानक बनी।
  • होंडा एलीवेट – एक ग्लोबल एसयूवी, जिसे भारत में प्रीमियम एसयूवी की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए लॉन्च किया गया।
  • तीसरी पीढ़ी की होंडा अमेज़ – एक कॉम्पैक्ट सेडान, जो भारतीय उपभोक्ताओं के बीच काफी लोकप्रिय बनी हुई है।

होंडा कार्स इंडिया के लिए नेतृत्व परिवर्तन का क्या अर्थ है?

ताकाशी नाकाजिका के नए सीईओ बनने के बाद, कंपनी निम्नलिखित लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है:

  • नए उत्पाद रणनीतियों के माध्यम से भारतीय बाजार में होंडा की उपस्थिति को और मजबूत करना।
  • हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेगमेंट में विस्तार करना, जिससे भारत की सस्टेनेबल मोबिलिटी को बढ़ावा मिल सके।
  • एसयूवी सेगमेंट में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर देना, जो हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ रहा है।
  • अंतरराष्ट्रीय अनुभव का लाभ उठाकर भारतीय परिचालन को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना।

होंडा कार्स इंडिया के लिए यह नेतृत्व परिवर्तन भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में नई रणनीतियों, नवाचारों और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

CISF स्थापना दिवस 2025: इतिहास, महत्व और उत्सव

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) स्थापना दिवस हर साल 10 मार्च को मनाया जाता है, ताकि भारत में महत्वपूर्ण सरकारी और निजी क्षेत्र के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में CISF के योगदान को सम्मानित किया जा सके। वर्ष 2025 में, भारत 56वां CISF स्थापना दिवस मना रहा है, जिसकी भव्य समारोह तमिलनाडु के ठक्कोलम में आयोजित हुई। इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री डॉ. एल. मुरुगन और CISF महानिदेशक श्री राजविंदर सिंह भट्टी उपस्थित रहे।

CISF स्थापना दिवस का इतिहास

  • CISF की स्थापना 10 मार्च 1969 को CISF अधिनियम, 1968 के तहत की गई थी।
  • प्रारंभ में इसमें केवल 3 बटालियन थीं और लगभग 2,800 कर्मी शामिल थे।
  • समय के साथ यह बल काफी विस्तारित हुआ और वर्तमान में लगभग 1,88,000 कर्मियों की मजबूत उपस्थिति है।

CISF स्थापना दिवस का महत्व

  • CISF हवाई अड्डों, मेट्रो नेटवर्क, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों, अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्रों, बंदरगाहों और पेट्रोलियम, कोयला, इस्पात जैसे औद्योगिक क्षेत्रों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह सरकारी इमारतों, ऐतिहासिक स्मारकों और प्रमुख सार्वजनिक आयोजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • यह दिन उन CISF कर्मियों के समर्पण, वीरता और बलिदान को सम्मानित करता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में योगदान देते हैं।

CISF स्थापना दिवस समारोह के मुख्य आयोजन

  • परेड और औपचारिक कार्यक्रम – विशेष परेड, ध्वजारोहण और सैन्य अभ्यास का आयोजन।
  • पुरस्कार समारोह – बहादुरी और उत्कृष्ट सेवा के लिए CISF कर्मियों को सम्मानित किया जाता है।
  • प्रशिक्षण और कौशल विकास – विशेष कार्यशालाएं और प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाते हैं।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम – संगीत, नृत्य प्रदर्शन और प्रेरणादायक भाषण होते हैं।
  • सामुदायिक सेवा पहल – रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य जांच शिविर और सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

अनुशासन और सुरक्षा पर प्रसिद्ध उद्धरण

  1. “अनुशासन सेना की आत्मा है। यह छोटी संख्या को भी अजेय बनाता है और कमजोर को सफलता दिलाता है।” – जॉर्ज वॉशिंगटन
  2. “जीत अक्सर उस सेना को मिलती है जिसके पास बेहतर प्रशिक्षित अधिकारी और सैनिक होते हैं।” – सुं त्ज़ु
  3. “सेना हमारे देश की सच्ची महानता का प्रतीक है।” – नेपोलियन बोनापार्ट
  4. “केवल एक सशस्त्र राष्ट्र ही स्थायी सेना के बिना रह सकता है। इसलिए हमारी सेना को हमेशा सशस्त्र और अनुशासित रखना महत्वपूर्ण है।” – थॉमस जेफरसन

 

गैस आधारित बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु सरकार की बड़ी पहल

भारत में गैस-आधारित बिजली संयंत्र वर्तमान में कम प्लांट लोड फैक्टर (PLF) पर कार्य कर रहे हैं, जिससे उनकी दक्षता और ऊर्जा क्षेत्र में योगदान प्रभावित हो रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए, भारत सरकार ने प्राकृतिक गैस की उपलब्धता और किफायती आपूर्ति बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) को ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) श्रेणी में शामिल करना, गैस अवसंरचना का विस्तार, और नीतिगत सुधारों को लागू करना शामिल है, ताकि गैस-आधारित बिजली उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके।

गैस-आधारित बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु सरकारी पहलें

LNG को ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) में शामिल करना

  • सरकार ने LNG को OGL श्रेणी में रखा है, जिससे बिजली संयंत्र अपनी आवश्यकताओं के अनुसार LNG का आयात कर सकते हैं।
  • बिजली संयंत्र आपूर्तिकर्ताओं के साथ व्यावसायिक शर्तों पर समझौता कर सकते हैं, जिससे नियामक बाधाएं कम होंगी और गैस की उपलब्धता बढ़ेगी।

बिजली संयंत्रों द्वारा LNG का आयात

  • वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-जनवरी) के दौरान, बिजली संयंत्रों ने लगभग 9.58 MMSCMD गैस आयात की
  • यह आयात पीक लोड अवधि के दौरान गैस-आधारित बिजली उत्पादन की मांग को पूरा करने में मदद करता है।

गैस-आधारित बिजली की प्रतिस्पर्धी खरीद

  • सरकार ने पीक डिमांड अवधि के दौरान गैस-आधारित बिजली की प्रतिस्पर्धी खरीद के लिए योजनाएं शुरू की हैं
  • ये योजनाएं गैस-आधारित बिजली संयंत्रों के अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करती हैं और बिजली आपूर्ति को स्थिर करने में मदद करती हैं।

राष्ट्रीय गैस अवसंरचना का विस्तार

  • सरकार राष्ट्रीय गैस ग्रिड पाइपलाइन का विस्तार कर रही है, जिससे अधिक क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस की पहुंच सुनिश्चित होगी।
  • सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (CGD) नेटवर्क का भी विस्तार किया जा रहा है, जिससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गैस उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
  • नए LNG टर्मिनलों की स्थापना की जा रही है, जिससे गैस आयात और भंडारण क्षमता में वृद्धि होगी।

घरेलू गैस का प्राथमिकता-आधारित आवंटन

  • घरेलू गैस को संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) परिवहन क्षेत्र और पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) घरेलू उपयोग के लिए प्राथमिकता दी जाती है।
  • यह नीति आवश्यक क्षेत्रों के लिए गैस की स्थिर आपूर्ति और किफायती दरें सुनिश्चित करती है।

गैस उत्पादकों के लिए विपणन एवं मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता

  • उच्च दबाव, उच्च तापमान, गहरे जल और कोयले की परतों से उत्पादित गैस को विपणन और मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
  • हालांकि, मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए एक अधिकतम मूल्य सीमा (सीलिंग प्राइस) तय की गई है।

SATAT पहल के माध्यम से बायो-CNG को बढ़ावा

  • सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (SATAT) पहल के तहत बायो-CNG को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • यह पहल पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने और स्वच्छ ऊर्जा समाधान को प्रोत्साहित करने में सहायक होगी।

इन सभी पहलों के माध्यम से सरकार का लक्ष्य गैस-आधारित बिजली उत्पादन की दक्षता और क्षमता बढ़ाना है, जिससे भारत के ऊर्जा क्षेत्र में प्राकृतिक गैस की भागीदारी को मजबूत किया जा सके।

श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? गैस-आधारित बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल
OGL के तहत LNG बिजली संयंत्रों को व्यावसायिक शर्तों पर LNG आयात करने की अनुमति
LNG आयात (2024-25) अप्रैल 2024 – जनवरी 2025 के बीच 9.58 MMSCMD गैस आयात
बिजली की प्रतिस्पर्धी खरीद पीक डिमांड के दौरान गैस-आधारित बिजली की खरीद के लिए योजनाएं शुरू
गैस ग्रिड और CGD नेटवर्क का विस्तार राष्ट्रीय गैस ग्रिड और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार
LNG टर्मिनल गैस भंडारण और आयात क्षमता बढ़ाने के लिए नए टर्मिनल स्थापित
घरेलू गैस का प्राथमिकता आवंटन CNG (परिवहन) और PNG (घरेलू) को प्राथमिकता
विपणन एवं मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता उच्च दबाव, गहरे जल से उत्पादित गैस के लिए मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता, अधिकतम मूल्य सीमा तय
SATAT पहल बायो-CNG को वैकल्पिक ईंधन के रूप में बढ़ावा, जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाना

54वां राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह 2025: थीम और महत्व

भारत में 4 मार्च से 10 मार्च 2025 तक 54वां राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है। इस वार्षिक आयोजन का उद्देश्य विभिन्न उद्योगों और कार्यस्थलों में सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, दुर्घटनाओं को रोकना और कर्मचारियों के कल्याण को सुनिश्चित करना है। इस अभियान का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) भारत द्वारा किया जाता है, जो पिछले पांच दशकों से कार्यस्थलों की सुरक्षा को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा रही है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह 2025: मुख्य तिथियाँ और थीम

  • अवधि: 4 मार्च – 10 मार्च 2025
  • राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस: 4 मार्च 2025 (सप्ताहव्यापी अभियान की शुरुआत)
  • थीम: ‘सुरक्षा और कल्याण – विकसित भारत के लिए अनिवार्य’

इस वर्ष की थीम कार्यस्थल सुरक्षा और समग्र कल्याण के महत्व को रेखांकित करती है, जो भारत के विकास और प्रगति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उद्योगों और संगठनों को उच्च सुरक्षा मानकों, जोखिम रोकथाम रणनीतियों और स्वास्थ्य-सचेत कार्य वातावरण अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह का उद्गम और महत्व

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) की स्थापना

भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) की स्थापना 4 मार्च 1966 को एक गैर-लाभकारी, स्व-वित्तपोषित संगठन के रूप में की गई थी। इसका उद्देश्य कार्यस्थलों पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस और सप्ताह की शुरुआत

1972 में पहली बार 4 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया गया, जो बाद में एक सप्ताह तक चलने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह के रूप में विस्तारित हो गया। इसका उद्देश्य कार्यस्थलों, निर्माण स्थलों और औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा संस्कृति को प्रोत्साहित करना और जागरूकता बढ़ाना है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह क्यों महत्वपूर्ण है?

यह अभियान कार्यस्थल सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह:

  • सुरक्षा के महत्व पर जागरूकता फैलाता है।
  • उद्योगों को सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाने और जोखिम कम करने के लिए प्रेरित करता है।
  • दुर्घटना रोकथाम रणनीतियों को बढ़ावा देता है।
  • कर्मचारियों के स्वास्थ्य और समग्र कल्याण को सुनिश्चित करता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह 2025 के दौरान प्रमुख गतिविधियाँ

सुरक्षा जागरूकता अभियान और शपथ ग्रहण

  • कर्मचारी सुरक्षा प्रतिज्ञा लेते हैं और कार्यस्थलों को जोखिम-मुक्त बनाने का संकल्प लेते हैं।

कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम

  • कंपनियाँ अग्नि सुरक्षा, प्राथमिक चिकित्सा, जोखिम पहचान और आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाओं पर सेमिनार और प्रशिक्षण सत्र आयोजित करती हैं।

सुरक्षा ड्रिल और प्रदर्शन

  • फायर ड्रिल, मॉक इमरजेंसी निकासी और व्यावहारिक सुरक्षा प्रदर्शन किए जाते हैं ताकि कर्मचारी अप्रत्याशित घटनाओं के लिए तैयार रहें।

प्रतियोगिताएँ और पुरस्कार समारोह

  • सुरक्षा प्रश्नोत्तरी, स्लोगन लेखन और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।
  • सुरक्षा मानकों को उत्कृष्ट रूप से अपनाने वाले व्यक्तियों और कंपनियों को पुरस्कृत किया जाता है।

डिजिटल और सोशल मीडिया जागरूकता

  • सोशल मीडिया अभियानों, वेबिनार और डिजिटल इंफोग्राफिक्स के माध्यम से विस्तृत दर्शकों तक सुरक्षा संदेश पहुँचाया जाता है।

कार्यस्थलों पर राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह का प्रभाव

  • औद्योगिक दुर्घटनाओं और खतरों में कमी।
  • सुरक्षा नियमों के अनुपालन में सुधार।
  • सुरक्षा संस्कृति को बढ़ावा।
  • पर्यावरण और औद्योगिक सुरक्षा को सुदृढ़ करना।

राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह 2025 भारत के औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्र में सुरक्षा को प्राथमिकता देने और ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? भारत में 54वां राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह 4 मार्च से 10 मार्च 2025 तक मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य कार्यस्थल सुरक्षा और दुर्घटना रोकथाम के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
अवलोकन अवधि 4 मार्च – 10 मार्च 2025
राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस 4 मार्च 2025 (सप्ताहभर चलने वाले अभियान की शुरुआत)
थीम सुरक्षा और कल्याण – विकसित भारत के लिए अनिवार्य
उद्देश्य कार्यस्थल सुरक्षा, दुर्घटना रोकथाम और कर्मचारी कल्याण को भारत के विकास का एक प्रमुख घटक बनाना।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) की स्थापना 4 मार्च 1966 को एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में कार्यस्थल सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत पहली बार 4 मार्च 1972 को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया गया, जिसे बाद में पूरे सप्ताह तक विस्तारित किया गया ताकि सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा दिया जा सके।
महत्व – कार्यस्थल सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाता है।
– उद्योगों को सुरक्षा उपाय लागू करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
– दुर्घटनाओं की रोकथाम और व्यावसायिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
– उद्योगों में सुरक्षा संस्कृति को मजबूत करता है।
2025 में प्रमुख गतिविधियाँ जागरूकता अभियान और शपथ ग्रहण: कर्मचारी सुरक्षा की शपथ लेते हैं।
कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण: अग्नि सुरक्षा, प्राथमिक चिकित्सा, जोखिम पहचान और आपातकालीन प्रतिक्रिया पर सत्र।
सुरक्षा ड्रिल और प्रदर्शन: फायर ड्रिल और आपातकालीन निकासी अभ्यास।
प्रतियोगिताएँ और पुरस्कार: सुरक्षा प्रश्नोत्तरी, स्लोगन लेखन और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताएँ।
डिजिटल जागरूकता: सोशल मीडिया अभियानों, वेबिनार और इन्फोग्राफिक्स के माध्यम से जागरूकता।
कार्यस्थलों पर प्रभाव – कार्यस्थल पर खतरों में कमी।
– सुरक्षा नियमों के अनुपालन में सुधार।
– सुरक्षा संस्कृति को सुदृढ़ करना।
– औद्योगिक और पर्यावरणीय सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

असम सरकार अपना स्वयं का उपग्रह ‘ASSAMSAT’ लॉन्च करेगी

असम सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल के तहत अपने स्वयं के उपग्रह, ASSAMSAT को लॉन्च करने की घोषणा की है। यह उपग्रह महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक पहलों को मजबूत करने और सीमा सुरक्षा को बढ़ाने में सहायता करेगा। असम की वित्त मंत्री अजंता नियोग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते हुए इस योजना की जानकारी दी। यह उपग्रह कृषि, आपदा प्रबंधन, बुनियादी ढांचे के विकास और सुरक्षा अभियानों के लिए समर्पित सेवाएं प्रदान करेगा। इस पहल के साथ, असम अपना उपग्रह लॉन्च करने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा।

ASSAMSAT: अंतरिक्ष तकनीक में असम की नई छलांग

ASSAMSAT को IN-SPACe (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र) और इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के सहयोग से विकसित किया जाएगा। यह भाजपा-नीत सरकार की सैटेलाइट आधारित निगरानी और प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से शासन को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है।

ASSAMSAT के प्रमुख उद्देश्य

  1. सीमा सुरक्षा सुदृढ़ीकरण – असम की सीमाओं पर वास्तविक समय निगरानी प्रदान कर अवैध गतिविधियों और घुसपैठ पर नियंत्रण।
  2. आपदा प्रबंधन – बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की अग्रिम चेतावनी प्रणाली प्रदान करना।
  3. कृषि क्षेत्र में सुधार – मौसम पूर्वानुमान, मृदा स्वास्थ्य विश्लेषण और फसल निगरानी डेटा प्रदान करना।
  4. बुनियादी ढांचा विकास – शहरी नियोजन, विकास परियोजनाओं की निगरानी और आधारभूत सुविधाओं की पहचान में मदद।
  5. कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था – पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को अपराध नियंत्रण में सहायता प्रदान करना।

बजटीय आवंटन और लागत

असम सरकार ने 2025-26 के लिए 2.6 लाख करोड़ रुपये का कुल बजट निर्धारित किया है, जिसमें:

  • 1.55 लाख करोड़ रुपये समेकित निधि से।
  • 1.02 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक खाते से।
  • 2,000 करोड़ रुपये आकस्मिक निधि से।

ASSAMSAT उपग्रह की अनुमानित लागत 450 करोड़ से 500 करोड़ रुपये होगी और यह स्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) में स्थापित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की दृष्टि

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ASSAMSAT की रणनीतिक आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि:

  • यह उपग्रह सीमा निगरानी को और अधिक प्रभावी बनाएगा।
  • बाढ़ और अन्य आपदाओं की त्वरित जानकारी उपलब्ध कराएगा।
  • असम के किसानों को मौसम संबंधी सटीक जानकारी और ब्रह्मपुत्र नदी के जल स्तर की चेतावनी देगा।
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करेगा।

2025-26 बजट में अन्य प्रमुख योजनाएँ

  1. भारत की पहली एआई-समर्थित एंटी-डीपफेक और साइबर-सर्विलांस लैब
    • डिजिटल गलत सूचना और साइबर खतरों की रोकथाम के लिए उन्नत एआई-आधारित निगरानी।
  2. भारत का पहला ग्रीन पैकेजिंग इंडस्ट्रियल हब
    • जैविक एवं पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग समाधान को बढ़ावा।
  3. भारत का पहला बांस-आधारित स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
    • असम की समृद्ध बांस संपदा का उपयोग कर हरित एवं टिकाऊ शहरी विकास।
  4. भारत की पहली एआई और ब्लॉकचेन-आधारित चाय नीलामी प्रणाली
    • असम की चाय उद्योग में पारदर्शिता और मूल्य निर्धारण की सटीकता सुनिश्चित करना।
  5. असमिया कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए सरकारी ओटीटी प्लेटफॉर्म
    • असमिया सिनेमा, साहित्य, लोक संगीत और सांस्कृतिक विरासत के डिजिटलीकरण हेतु समर्पित मंच।

ASSAMSAT परियोजना और अन्य योजनाएँ असम को तकनीकी नवाचार, आपदा प्रबंधन और डिजिटल परिवर्तन में एक अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

भारतीय नौसेना के पहले प्रशिक्षण स्क्वाड्रन का फुकेत, ​​थाईलैंड का दौरा संपन्न

भारतीय नौसेना के प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन (1TS), जिसमें आईएनएस सुजाता, आईएनएस शार्दुल और आईसीजीएस वीरा शामिल थे, ने थाईलैंड के फुकेत डीप सी पोर्ट की सफल यात्रा संपन्न की। इस यात्रा के दौरान समुद्री साझेदारी को मजबूत करने के लिए समन्वित सामरिक अभ्यास, पेशेवर आदान-प्रदान और संयुक्त अभ्यासों का आयोजन किया गया।

यात्रा के प्रमुख बिंदु

1. PASSEX अभ्यास

  • भारतीय नौसेना ने 4 मार्च 2025 को HTMS HuaHin के साथ समन्वित सामरिक अभ्यास और समुद्री अधिकारियों के आदान-प्रदान का संचालन किया।
  • इस अभ्यास से दोनों नौसेनाओं के बीच सामरिक समन्वय और संचालन क्षमताओं में सुधार हुआ।

2. द्विपक्षीय नौसैनिक गतिविधियाँ

  • भारतीय और थाई नौसेना कर्मियों के बीच विभिन्न पेशेवर वार्तालाप, प्रशिक्षण यात्राएँ और सामाजिक इंटरैक्शन आयोजित किए गए।
  • क्षेत्रीय सुरक्षा और संयुक्त प्रशिक्षण अवसरों पर चर्चा कर नौसेना-से-नौसेना संबंधों को और मजबूत किया गया।

3. उच्चस्तरीय बैठकें

  • कैप्टन अंशुल किशोर, 1TS के वरिष्ठ अधिकारी, तथा आईएनएस शार्दुल, आईएनएस सुजाता और आईसीजीएस वीरा के कमांडिंग ऑफिसर्स ने थाईलैंड की 3rd नेवल एरिया कमांड के कमांडर, वाइस एडमिरल सुवात डोंसाकुल से मुलाकात की।
  • इस दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा, प्रशिक्षण सहयोग और सद्भावना पहलों पर विस्तार से चर्चा हुई।

4. प्रशिक्षण और सांस्कृतिक सहभागिता

  • 1TS के समुद्री प्रशिक्षुओं ने फांगना नेवल पोर्ट, HTMS क्राबी और 3rd नेवल एरिया कमांड का दौरा किया तथा सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों (Best Practices) का आदान-प्रदान किया।
  • थाई नौसेना के अधिकारियों, स्कूली बच्चों और भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए 1TS जहाजों का एक विशेष दौरा आयोजित किया गया।
  • संयुक्त योग सत्र और मैत्रीपूर्ण खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा दिया गया।

5. सार्वजनिक जुड़ाव और राजनयिक पहल

  • पटोंग बीच पर भारतीय नौसेना बैंड द्वारा संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया, जिसे पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने उत्साहपूर्वक सराहा।
  • भारतीय दूतावास और 1TS के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से एक स्वागत समारोह आयोजित किया गया, जिसमें शामिल थे:
    • थाईलैंड की नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी
    • भारतीय प्रवासी समुदाय के सदस्य
    • राजनयिक और प्रतिष्ठित अतिथि

6. समुद्री सहयोग को सुदृढ़ करना

  • इस यात्रा ने SAGAR (Security and Growth for All in the Region) – “क्षेत्र में सुरक्षा और विकास” की भारत की प्रतिबद्धता को और सशक्त बनाया।
  • भारत और थाईलैंड के बीच समुद्री साझेदारी को और मजबूत किया गया
विषय विवरण
क्यों चर्चा में? भारतीय नौसेना के प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन की फुकेत, थाईलैंड यात्रा संपन्न
भाग लेने वाले जहाज आईएनएस सुजाता, आईएनएस शार्दुल, आईसीजीएस वीरा
स्थान फुकेत डीप सी पोर्ट, थाईलैंड
प्रमुख अभ्यास PASSEX अभ्यास HTMS HuaHin के साथ
महत्वपूर्ण बैठक कैप्टन अंशुल किशोर की मुलाकात वाइस एडमिरल सुवात डोंसाकुल से
द्विपक्षीय गतिविधियाँ पेशेवर आदान-प्रदान, प्रशिक्षण यात्राएँ, सामाजिक इंटरैक्शन
प्रशिक्षण सहभागिता 3rd नेवल एरिया कमांड, फांगना नेवल पोर्ट, HTMS क्राबी का दौरा
सार्वजनिक कार्यक्रम नौसैनिक बैंड संगीत कार्यक्रम, जहाजों का दौरा, योग सत्र, खेल मुकाबले
राजनयिक स्वागत समारोह भारतीय दूतावास और 1TS के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा सह-आयोजित
महत्व SAGAR दृष्टि के तहत भारत-थाईलैंड समुद्री सहयोग को मजबूत किया

इमिग्रेशन और फॉरनर्स बिल 2025: प्रमुख प्रावधान, प्रभाव और महत्व

भारत में आप्रवासन ढांचे को आधुनिक बनाने के महत्वपूर्ण कदम के रूप में, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025 (Immigration and Foreigners Bill, 2025) संसद में प्रस्तुत किया। इस विधेयक का उद्देश्य औपनिवेशिक युग के पुराने कानूनों को समाप्त कर एक संगठित और कड़े आप्रवासन तंत्र को स्थापित करना है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सके, विदेशी नागरिकों के नियमन को सख्त किया जा सके और प्रवेश व निवास शर्तों के उल्लंघन पर कड़ी सजा दी जा सके।

प्रतिस्थापित किए जाने वाले मौजूदा कानून

यह विधेयक चार मौजूदा कानूनों को समाप्त करने का प्रस्ताव रखता है, जो वर्तमान में भारत में आप्रवासन और विदेशी नागरिकों के प्रबंधन को नियंत्रित करते हैं:

  1. पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920
  2. विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939
  3. विदेशी अधिनियम, 1946
  4. आप्रवासन (परिवाहकों की देयता) अधिनियम, 2000

सरकार का तर्क है कि इस नए विधेयक से ओवरलैपिंग (अतिव्यापी) प्रावधानों को समाप्त किया जा सकेगा, कानूनी ढांचा सरल होगा, और भारत में विदेशी नागरिकों पर अधिक प्रभावी नियंत्रण रखा जा सकेगा।

आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025 की मुख्य विशेषताएँ

1. विदेशी नागरिकों के लिए प्रवेश प्रतिबंध

विधेयक के अनुसार, कोई भी विदेशी नागरिक जो राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता या भारत की अखंडता के लिए खतरा बन सकता है, उसे देश में प्रवेश या निवास की अनुमति नहीं दी जाएगी।

2. अनिवार्य पंजीकरण और आवाजाही पर प्रतिबंध

  • सभी विदेशी नागरिकों को भारत में आगमन के बाद पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • संरक्षित व प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश पर सख्त नियंत्रण होगा।
  • नाम और पहचान बदलने पर प्रतिबंध लागू किया जाएगा।
  • शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को विदेशी नागरिकों की उपस्थिति की जानकारी देना अनिवार्य होगा।

3. उल्लंघन करने वालों के लिए सख्त दंड

अपराध सजा जुर्माना
बिना वैध पासपोर्ट या वीज़ा के प्रवेश 5 साल तक की कैद ₹5 लाख तक
जाली दस्तावेजों का उपयोग 2 से 7 साल तक की कैद ₹1 लाख से ₹10 लाख
वीज़ा शर्तों का उल्लंघन या ओवरस्टे 3 साल तक की कैद ₹3 लाख तक
प्रतिबंधित क्षेत्रों में घुसपैठ गंभीर कानूनी कार्रवाई, हिरासत व निष्कासन

4. परिवहन वाहकों (Carriers) की जिम्मेदारी

  • यदि कोई एयरलाइंस, जहाज या अन्य परिवहन सेवा बिना वैध दस्तावेजों के विदेशी नागरिकों को भारत लाती है, तो उन पर ₹5 लाख तक का जुर्माना लगेगा।
  • प्रवेश से वंचित विदेशी नागरिकों को वापस भेजने की जिम्मेदारी वाहक की होगी।
  • जुर्माना न भरने पर परिवहन वाहन को जब्त किया जा सकता है।

5. आव्रजन अधिकारियों के अधिकार बढ़ाए गए

  • अधिकारियों को बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार मिलेगा, यदि कोई विदेशी नागरिक आप्रवासन कानूनों का उल्लंघन करता है।
  • विदेशी नागरिकों की आवाजाही और निवास को नियंत्रित करने का अधिकार होगा।
  • यदि किसी विदेशी नागरिक की जांच आवश्यक हो, तो उसे भारत छोड़ने से रोका जा सकेगा।

6. अग्रिम यात्री डेटा आवश्यक होगा

  • एयरलाइंस और जहाजों को भारत में आगमन से पहले यात्रियों और चालक दल की जानकारी आप्रवासन अधिकारियों को साझा करनी होगी।
  • यह प्रावधान संभावित सुरक्षा खतरों की पहले से पहचान करने और यात्रियों की रीयल-टाइम निगरानी सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

विधेयक का प्रभाव और महत्व

1. राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना

  • अवैध आप्रवासन, जासूसी और आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगेगा।
  • सीमा सुरक्षा और विदेशी नागरिकों की निगरानी बढ़ेगी।

2. आप्रवासन कानूनों का आधुनिकीकरण और सरलीकरण

  • चार अलग-अलग कानूनों को हटाकर एक ही व्यापक कानून लागू किया जाएगा।
  • कानूनी अस्पष्टताओं को खत्म कर प्रभावी प्रवर्तन सुनिश्चित किया जाएगा।

3. भारत में विदेशी नागरिकों पर बेहतर नियंत्रण

  • विदेशी नागरिकों को भारत में पंजीकरण और रिपोर्टिंग अनिवार्य होगी।
  • कड़े दंड से उल्लंघनकर्ताओं को हतोत्साहित किया जाएगा।

4. परिवहन वाहकों की जवाबदेही सुनिश्चित करना

  • मानव तस्करी और अवैध आप्रवासन पर नियंत्रण होगा।
  • एयरलाइंस और शिपिंग कंपनियों को अधिक जिम्मेदार बनाया जाएगा।

भारत आने वाले विदेशी नागरिकों के आँकड़े

सरकारी आँकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 के बीच 9,840,321 विदेशी नागरिक भारत आए। नया विधेयक इतनी बड़ी संख्या में विदेशी आगंतुकों के प्रबंधन को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाएगा।

ई-श्रम पोर्टल पर 30.68 करोड़ से अधिक श्रमिक रजिस्टर्ड

भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 26 अगस्त 2021 को ई-श्रम पोर्टल लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस (NDUW) तैयार करना है। यह पोर्टल श्रमिकों को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) प्रदान करता है और विभिन्न सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ता है। 3 मार्च 2025 तक, 30.68 करोड़ से अधिक श्रमिक इस पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं, जिनमें 53.68% महिलाएं शामिल हैं।

सरकार ने इस पोर्टल को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाने के लिए बहुभाषी समर्थन, मोबाइल ऐप, और विभिन्न सामाजिक योजनाओं के एकीकरण जैसे महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। 21 अक्टूबर 2024 को लॉन्च किया गया ई-श्रम – “वन-स्टॉप-सॉल्यूशन”, श्रमिकों को सभी सरकारी योजनाओं का एक ही मंच पर लाभ उठाने की सुविधा प्रदान करता है।

ई-श्रम पोर्टल की प्रमुख विशेषताएं

  • लॉन्च तिथि: 26 अगस्त 2021
  • विकासकर्ता: श्रम और रोजगार मंत्रालय
  • उद्देश्य: असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करना और उन्हें आधार से जोड़ना
  • पंजीकरण प्रक्रिया: स्व-घोषणा (Self-Declaration) के आधार पर
  • आवश्यक दस्तावेज: आधार कार्ड
  • प्रदान किया गया यूनिक आईडी: यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN)
  • भाषा समर्थन: 22 भारतीय भाषाएं (भाषिणी प्लेटफॉर्म के माध्यम से)
  • मोबाइल ऐप लॉन्च: 24 फरवरी 2025
  • वन-स्टॉप-सॉल्यूशन लॉन्च: 21 अक्टूबर 2024

ई-श्रम पर पंजीकरण आंकड़े (3 मार्च 2025 तक)

  • कुल पंजीकृत श्रमिक: 30.68 करोड़ (30,68,74,094)
  • महिला श्रमिक: 16.47 करोड़ (53.68%)
  • पुरुष श्रमिक: 14.21 करोड़
  • अन्य लिंग: 7,355 श्रमिक

सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के साथ एकीकरण

ई-श्रम पोर्टल को 13 केंद्रीय सरकारी योजनाओं से जोड़ा गया है, जिनमें शामिल हैं:

  • प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (PM-SVANidhi)
  • प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY)
  • प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY)
  • राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना (NFBS)
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)
  • प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (PMAY-G)
  • आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY)
  • प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी (PMAY-U)
  • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)
  • प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (PM-KMY)
  • राष्ट्रीय करियर सेवा (NCS) रोजगार अवसरों के लिए
  • स्किल इंडिया डिजिटल पोर्टल (Skill India) कौशल विकास के लिए
  • प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन (PMSYM) पेंशन योजना

राज्यवार पंजीकरण आँकड़े

शीर्ष 5 राज्य जहां सबसे अधिक पंजीकरण हुए:

रैंक राज्य कुल पंजीकरण
1 उत्तर प्रदेश 8.38 करोड़
2 बिहार 2.97 करोड़
3 पश्चिम बंगाल 2.64 करोड़
4 मध्य प्रदेश 1.86 करोड़
5 ओडिशा 1.35 करोड़

नीचे 5 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश जहां सबसे कम पंजीकरण हुए:

रैंक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश कुल पंजीकरण
1 लक्षद्वीप 2,818
2 लद्दाख 33,896
3 अंडमान और निकोबार द्वीप समूह 32,984
4 सिक्किम 42,833
5 दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव 74,771

शीर्ष 5 व्यवसाय क्षेत्र जहां श्रमिक पंजीकृत हुए:

रैंक व्यवसाय क्षेत्र पंजीकृत श्रमिक
1 कृषि 15.99 करोड़
2 निर्माण क्षेत्र 2.77 करोड़
3 घरेलू एवं गृहकार्य श्रमिक 2.89 करोड़
4 परिधान उद्योग 2 करोड़
5 खुदरा क्षेत्र 23.41 लाख

ई-श्रम की जागरूकता और पहुंच बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम

  • राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समय-समय पर समीक्षा बैठकें
  • कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से पंजीकरण सुविधा
  • एसएमएस और सोशल मीडिया अभियानों के जरिए जागरूकता बढ़ाना
  • राष्ट्रीय करियर सेवा (NCS) से एकीकरण, रोजगार के अवसरों के लिए
  • UMANG ऐप पर ई-श्रम पोर्टल को शामिल करना
  • राज्य सेवा केंद्र (SSK) और CSC में सहायता पंजीकरण सुविधा

ई-श्रम पोर्टल का प्रभाव

  • सामाजिक सुरक्षा में सुधार: श्रमिकों को सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे मिल रहा है।
  • महिला सशक्तिकरण: कुल पंजीकरण में 53.68% महिलाएं, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा।
  • वित्तीय सहायता: PM-SVANidhi, PMJJBY, PMSBY जैसी योजनाओं का सीधा लाभ।
  • रोजगार और कौशल विकास: NCS और स्किल इंडिया के माध्यम से नौकरी और प्रशिक्षण के अवसर।
  • सरल और प्रभावी लाभ पहुंच: “वन-स्टॉप-सॉल्यूशन” से सभी सरकारी लाभों को एक ही मंच पर लाना।

ई-श्रम पोर्टल असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को आर्थिक सुरक्षा, रोजगार, और सरकारी योजनाओं के लाभ देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे लाखों श्रमिकों का जीवन बेहतर हो रहा है।

पैरामीटर विवरण
क्यों चर्चा में? असंगठित श्रमिकों के सशक्तिकरण की दिशा में ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण 30.68 करोड़ के पार
लॉन्च तिथि 26 अगस्त 2021
विकसित किया गया श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा
कुल पंजीकृत श्रमिक 30.68 करोड़
महिला श्रमिक 16.47 करोड़ (53.68%)
पुरुष श्रमिक 14.21 करोड़
अन्य लिंग 7,355 श्रमिक
समर्थित भाषाएं 22 भारतीय भाषाएं (भाषिणी प्लेटफॉर्म के माध्यम से)
मोबाइल ऐप लॉन्च तिथि 24 फरवरी 2025
वन-स्टॉप-सॉल्यूशन लॉन्च तिथि 21 अक्टूबर 2024
सबसे अधिक पंजीकरण वाला राज्य उत्तर प्रदेश (8.38 करोड़)
सबसे कम पंजीकरण वाला राज्य लक्षद्वीप (2,818 श्रमिक)
शीर्ष व्यवसाय क्षेत्र कृषि (15.99 करोड़ श्रमिक)
एकीकृत सरकारी योजनाएं 13 केंद्रीय योजनाएं

राष्ट्रमंडल खेल महासंघ ने अपना नाम बदलकर ‘राष्ट्रमंडल खेल’ किया

राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (Commonwealth Games Federation – CGF) ने एक महत्वपूर्ण ब्रांडिंग परिवर्तन के तहत अपना नया सार्वजनिक नाम ‘कॉमनवेल्थ स्पोर्ट’ घोषित किया है। यह घोषणा 10 मार्च 2025 को कॉमनवेल्थ डे के अवसर पर की गई। इस बदलाव का उद्देश्य संगठन की पहचान को केवल खेल आयोजनों से आगे बढ़ाकर एक वैश्विक खेल आंदोलन के रूप में स्थापित करना है, जो एकता, विकास और समावेशिता को बढ़ावा देता है।

नाम परिवर्तन का कारण

कॉमनवेल्थ गेम्स और कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स के संचालन निकाय ने अपने आधिकारिक बयान में बताया कि यह बदलाव संगठन की व्यापक दृष्टि के अनुरूप है। यह केवल खेल प्रतियोगिताओं के संचालन तक सीमित न रहकर, खेल को सामाजिक परिवर्तन और विकास के माध्यम के रूप में उपयोग करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

किंग चार्ल्स की भूमिका

इस बदलाव की ऐतिहासिक घोषणा के साथ कॉमनवेल्थ स्पोर्ट किंग्स बैटन रिले की शुरुआत भी की गई, जो ग्लासगो 2026 कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए पहली बार आयोजित किया गया। इस रिले को किंग चार्ल्स III ने आधिकारिक रूप से बकिंघम पैलेस से लॉन्च किया।

कॉमनवेल्थ स्पोर्ट किंग्स बैटन रिले

  • शुरुआत: किंग चार्ल्स ने बैटन में एक व्यक्तिगत संदेश रखकर इस वैश्विक रिले की शुरुआत की।
  • पहले बैटनबियर: प्रसिद्ध ब्रिटिश साइकिल चालक सर क्रिस होय ने इसे प्राप्त किया।
  • अवधि: यह रिले 500 दिनों तक चलेगा और 74 राष्ट्रों और क्षेत्रों में यात्रा करेगा।
  • इतिहास में सबसे लंबी रिले: प्रत्येक देश में छह दिनों तक कार्यक्रम और समारोह आयोजित किए जाएंगे।
  • प्रमुख उद्देश्य:
    • वैश्विक एकता – विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों को खेल के माध्यम से जोड़ना।
    • खिलाड़ियों का उत्सव – राष्ट्रमंडल देशों के खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचान दिलाना।
    • कॉमनवेल्थ स्पोर्ट के विजन को बढ़ावा देना – खेल को सामाजिक बदलाव का माध्यम बनाना।

नाम परिवर्तन के प्रभाव और भविष्य की दृष्टि

कॉमनवेल्थ स्पोर्ट ब्रांड को मजबूत करना

  • खेल को शिक्षा और सामाजिक प्रभाव का साधन बनाना।
  • युवा खिलाड़ियों और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।
  • छोटे देशों के खिलाड़ियों के लिए अधिक अवसर सृजित करना।

भविष्य के राष्ट्रमंडल खेलों पर प्रभाव

  • ग्लासगो 2026 के लिए वैश्विक जुड़ाव को बढ़ाना।
  • अधिक निवेश और प्रायोजकों को आकर्षित करना।
  • राष्ट्रमंडल खेलों को ओलंपिक्स के समकक्ष प्रतिष्ठा और भागीदारी वाला इवेंट बनाना।

इस नाम परिवर्तन के साथ, राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (CGF) अब केवल एक खेल आयोजन निकाय नहीं रहेगा, बल्कि कॉमनवेल्थ स्पोर्ट के रूप में एक वैश्विक खेल आंदोलन का नेतृत्व करेगा।

पहलू विवरण
क्यों चर्चा में? कॉमनवेल्थ गेम्स महासंघ (CGF) का नया नाम कॉमनवेल्थ स्पोर्ट घोषित किया गया, जिसकी आधिकारिक घोषणा 10 मार्च 2025 (कॉमनवेल्थ डे) को की गई।
नाम परिवर्तन का कारण यह बदलाव संगठन को केवल एक खेल महासंघ से वैश्विक खेल आंदोलन के रूप में बदलने के उद्देश्य से किया गया, जो एकता, विकास और समावेशन पर केंद्रित है।
कानूनी नाम संगठन का आधिकारिक कानूनी नाम कॉमनवेल्थ गेम्स महासंघ (CGF) ही रहेगा, लेकिन सार्वजनिक पहचान कॉमनवेल्थ स्पोर्ट के रूप में होगी।
किंग चार्ल्स III की भूमिका कॉमनवेल्थ स्पोर्ट के संरक्षक के रूप में किंग चार्ल्स III ने ग्लासगो 2026 कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए पहला कॉमनवेल्थ स्पोर्ट किंग्स बैटन रिले लॉन्च किया।
किंग्स बैटन रिले यह रिले कॉमनवेल्थ डे 2025 को शुरू हुई, जिसमें पहले बैटनबियर सर क्रिस होय थे। यह रिले ग्लासगो 2026 उद्घाटन समारोह से 500 दिन पहले शुरू हुई।
सबसे लंबी बैटन रिले बैटन 74 राष्ट्रों और क्षेत्रों में यात्रा करेगा, प्रत्येक देश में छह दिनों तक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
रिले का महत्व वैश्विक एकता: राष्ट्रों को खेल के माध्यम से जोड़ना।
खिलाड़ियों का उत्सव: दुनियाभर की प्रतिभाओं को पहचान देना।
कॉमनवेल्थ स्पोर्ट के विजन को बढ़ावा देना: खेल को सामाजिक परिवर्तन और विकास का माध्यम बनाना।
कॉमनवेल्थ स्पोर्ट की भविष्य की दृष्टि खेल को शिक्षा और सामाजिक प्रभाव से जोड़ना।
युवा भागीदारी और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।
छोटे राष्ट्रों के खिलाड़ियों के लिए अधिक अवसर सृजित करना।
कॉमनवेल्थ गेम्स पर प्रभाव वैश्विक जुड़ाव और भागीदारी में वृद्धि।
नए निवेश और प्रायोजकों को आकर्षित करना।
कॉमनवेल्थ गेम्स की प्रतिष्ठा को बढ़ाकर इसे ओलंपिक्स के समकक्ष ले जाना।

मुस्लिम साक्षरता दर में एक दशक में 9.4% की वृद्धि

भारत में मुस्लिम समुदाय की साक्षरता दर में वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। जनगणना 2011 के अनुसार, 7 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में मुस्लिम समुदाय की साक्षरता दर 68.5% थी, जो 2001 की जनगणना के 59.1% से 9.4 प्रतिशत अंक अधिक थी। हालांकि, यह आंकड़ा 2011 में 73.0% के राष्ट्रीय औसत से कम था। पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) 2023-24 के अनुसार, मुस्लिम समुदाय की साक्षरता दर बढ़कर 79.5% हो गई, जो सभी धार्मिक समुदायों के औसत 80.9% के करीब है।

मुस्लिम समुदाय में साक्षरता दर में सुधार के प्रमुख बिंदु

  • जनगणना 2001: मुस्लिम साक्षरता दर 59.1%, जबकि राष्ट्रीय औसत 64.8% था।
  • जनगणना 2011: मुस्लिम साक्षरता दर 68.5%, जबकि राष्ट्रीय औसत 73.0%
  • 2001-2011 सुधार: 9.4% की वृद्धि
  • PLFS 2023-24: मुस्लिम समुदाय की साक्षरता दर 79.5%, जबकि राष्ट्रीय औसत 80.9%

अल्पसंख्यक समुदायों के लिए सरकारी पहल

भारत सरकार अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के माध्यम से शिक्षा, आर्थिक विकास और आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएँ चला रही है।

शिक्षा सशक्तिकरण

  • प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्तियाँ।
  • मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप, उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए।
  • आवासीय विद्यालयों और कोचिंग केंद्रों की स्थापना।

आधारभूत संरचना विकास

  • अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थानों का उन्नयन।
  • प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK) के तहत छात्रावास और कक्षा निर्माण।

आर्थिक सशक्तिकरण

  • अल्पसंख्यक युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम।
  • राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (NMDFC) के माध्यम से वित्तीय सहायता।

विशेष पहल

  • मदरसों और धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों को मजबूत बनाना।
  • शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान।
पैरामीटर विवरण
क्यों चर्चा में? एक दशक में मुस्लिम साक्षरता दर में 9.4% की वृद्धि
मुस्लिम साक्षरता दर (जनगणना 2001) 59.1%
मुस्लिम साक्षरता दर (जनगणना 2011) 68.5% (+9.4 प्रतिशत अंक)
मुस्लिम साक्षरता दर (PLFS 2023-24) 79.5%
अखिल भारतीय साक्षरता दर (जनगणना 2011) 73.0%
अखिल भारतीय साक्षरता दर (PLFS 2023-24) 80.9%
मुख्य सरकारी पहल छात्रवृत्तियाँ, मौलाना आज़ाद फेलोशिप, PMJVK, कौशल विकास
प्रमुख फोकस क्षेत्र शिक्षा सशक्तिकरण, आधारभूत संरचना विकास, आर्थिक सहयोग

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