भारत में गैस-आधारित बिजली संयंत्र वर्तमान में कम प्लांट लोड फैक्टर (PLF) पर कार्य कर रहे हैं, जिससे उनकी दक्षता और ऊर्जा क्षेत्र में योगदान प्रभावित हो रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए, भारत सरकार ने प्राकृतिक गैस की उपलब्धता और किफायती आपूर्ति बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) को ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) श्रेणी में शामिल करना, गैस अवसंरचना का विस्तार, और नीतिगत सुधारों को लागू करना शामिल है, ताकि गैस-आधारित बिजली उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके।
गैस-आधारित बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु सरकारी पहलें
LNG को ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) में शामिल करना
- सरकार ने LNG को OGL श्रेणी में रखा है, जिससे बिजली संयंत्र अपनी आवश्यकताओं के अनुसार LNG का आयात कर सकते हैं।
- बिजली संयंत्र आपूर्तिकर्ताओं के साथ व्यावसायिक शर्तों पर समझौता कर सकते हैं, जिससे नियामक बाधाएं कम होंगी और गैस की उपलब्धता बढ़ेगी।
बिजली संयंत्रों द्वारा LNG का आयात
- वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-जनवरी) के दौरान, बिजली संयंत्रों ने लगभग 9.58 MMSCMD गैस आयात की।
- यह आयात पीक लोड अवधि के दौरान गैस-आधारित बिजली उत्पादन की मांग को पूरा करने में मदद करता है।
गैस-आधारित बिजली की प्रतिस्पर्धी खरीद
- सरकार ने पीक डिमांड अवधि के दौरान गैस-आधारित बिजली की प्रतिस्पर्धी खरीद के लिए योजनाएं शुरू की हैं।
- ये योजनाएं गैस-आधारित बिजली संयंत्रों के अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करती हैं और बिजली आपूर्ति को स्थिर करने में मदद करती हैं।
राष्ट्रीय गैस अवसंरचना का विस्तार
- सरकार राष्ट्रीय गैस ग्रिड पाइपलाइन का विस्तार कर रही है, जिससे अधिक क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस की पहुंच सुनिश्चित होगी।
- सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (CGD) नेटवर्क का भी विस्तार किया जा रहा है, जिससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गैस उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- नए LNG टर्मिनलों की स्थापना की जा रही है, जिससे गैस आयात और भंडारण क्षमता में वृद्धि होगी।
घरेलू गैस का प्राथमिकता-आधारित आवंटन
- घरेलू गैस को संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) परिवहन क्षेत्र और पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) घरेलू उपयोग के लिए प्राथमिकता दी जाती है।
- यह नीति आवश्यक क्षेत्रों के लिए गैस की स्थिर आपूर्ति और किफायती दरें सुनिश्चित करती है।
गैस उत्पादकों के लिए विपणन एवं मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता
- उच्च दबाव, उच्च तापमान, गहरे जल और कोयले की परतों से उत्पादित गैस को विपणन और मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
- हालांकि, मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए एक अधिकतम मूल्य सीमा (सीलिंग प्राइस) तय की गई है।
SATAT पहल के माध्यम से बायो-CNG को बढ़ावा
- सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (SATAT) पहल के तहत बायो-CNG को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- यह पहल पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने और स्वच्छ ऊर्जा समाधान को प्रोत्साहित करने में सहायक होगी।
इन सभी पहलों के माध्यम से सरकार का लक्ष्य गैस-आधारित बिजली उत्पादन की दक्षता और क्षमता बढ़ाना है, जिससे भारत के ऊर्जा क्षेत्र में प्राकृतिक गैस की भागीदारी को मजबूत किया जा सके।
श्रेणी | विवरण |
क्यों चर्चा में? | गैस-आधारित बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल |
OGL के तहत LNG | बिजली संयंत्रों को व्यावसायिक शर्तों पर LNG आयात करने की अनुमति |
LNG आयात (2024-25) | अप्रैल 2024 – जनवरी 2025 के बीच 9.58 MMSCMD गैस आयात |
बिजली की प्रतिस्पर्धी खरीद | पीक डिमांड के दौरान गैस-आधारित बिजली की खरीद के लिए योजनाएं शुरू |
गैस ग्रिड और CGD नेटवर्क का विस्तार | राष्ट्रीय गैस ग्रिड और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार |
LNG टर्मिनल | गैस भंडारण और आयात क्षमता बढ़ाने के लिए नए टर्मिनल स्थापित |
घरेलू गैस का प्राथमिकता आवंटन | CNG (परिवहन) और PNG (घरेलू) को प्राथमिकता |
विपणन एवं मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता | उच्च दबाव, गहरे जल से उत्पादित गैस के लिए मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता, अधिकतम मूल्य सीमा तय |
SATAT पहल | बायो-CNG को वैकल्पिक ईंधन के रूप में बढ़ावा, जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाना |