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इमिग्रेशन और फॉरनर्स बिल 2025: प्रमुख प्रावधान, प्रभाव और महत्व

भारत में आप्रवासन ढांचे को आधुनिक बनाने के महत्वपूर्ण कदम के रूप में, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025 (Immigration and Foreigners Bill, 2025) संसद में प्रस्तुत किया। इस विधेयक का उद्देश्य औपनिवेशिक युग के पुराने कानूनों को समाप्त कर एक संगठित और कड़े आप्रवासन तंत्र को स्थापित करना है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सके, विदेशी नागरिकों के नियमन को सख्त किया जा सके और प्रवेश व निवास शर्तों के उल्लंघन पर कड़ी सजा दी जा सके।

प्रतिस्थापित किए जाने वाले मौजूदा कानून

यह विधेयक चार मौजूदा कानूनों को समाप्त करने का प्रस्ताव रखता है, जो वर्तमान में भारत में आप्रवासन और विदेशी नागरिकों के प्रबंधन को नियंत्रित करते हैं:

  1. पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920
  2. विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939
  3. विदेशी अधिनियम, 1946
  4. आप्रवासन (परिवाहकों की देयता) अधिनियम, 2000

सरकार का तर्क है कि इस नए विधेयक से ओवरलैपिंग (अतिव्यापी) प्रावधानों को समाप्त किया जा सकेगा, कानूनी ढांचा सरल होगा, और भारत में विदेशी नागरिकों पर अधिक प्रभावी नियंत्रण रखा जा सकेगा।

आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025 की मुख्य विशेषताएँ

1. विदेशी नागरिकों के लिए प्रवेश प्रतिबंध

विधेयक के अनुसार, कोई भी विदेशी नागरिक जो राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता या भारत की अखंडता के लिए खतरा बन सकता है, उसे देश में प्रवेश या निवास की अनुमति नहीं दी जाएगी।

2. अनिवार्य पंजीकरण और आवाजाही पर प्रतिबंध

  • सभी विदेशी नागरिकों को भारत में आगमन के बाद पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • संरक्षित व प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश पर सख्त नियंत्रण होगा।
  • नाम और पहचान बदलने पर प्रतिबंध लागू किया जाएगा।
  • शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को विदेशी नागरिकों की उपस्थिति की जानकारी देना अनिवार्य होगा।

3. उल्लंघन करने वालों के लिए सख्त दंड

अपराध सजा जुर्माना
बिना वैध पासपोर्ट या वीज़ा के प्रवेश 5 साल तक की कैद ₹5 लाख तक
जाली दस्तावेजों का उपयोग 2 से 7 साल तक की कैद ₹1 लाख से ₹10 लाख
वीज़ा शर्तों का उल्लंघन या ओवरस्टे 3 साल तक की कैद ₹3 लाख तक
प्रतिबंधित क्षेत्रों में घुसपैठ गंभीर कानूनी कार्रवाई, हिरासत व निष्कासन

4. परिवहन वाहकों (Carriers) की जिम्मेदारी

  • यदि कोई एयरलाइंस, जहाज या अन्य परिवहन सेवा बिना वैध दस्तावेजों के विदेशी नागरिकों को भारत लाती है, तो उन पर ₹5 लाख तक का जुर्माना लगेगा।
  • प्रवेश से वंचित विदेशी नागरिकों को वापस भेजने की जिम्मेदारी वाहक की होगी।
  • जुर्माना न भरने पर परिवहन वाहन को जब्त किया जा सकता है।

5. आव्रजन अधिकारियों के अधिकार बढ़ाए गए

  • अधिकारियों को बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार मिलेगा, यदि कोई विदेशी नागरिक आप्रवासन कानूनों का उल्लंघन करता है।
  • विदेशी नागरिकों की आवाजाही और निवास को नियंत्रित करने का अधिकार होगा।
  • यदि किसी विदेशी नागरिक की जांच आवश्यक हो, तो उसे भारत छोड़ने से रोका जा सकेगा।

6. अग्रिम यात्री डेटा आवश्यक होगा

  • एयरलाइंस और जहाजों को भारत में आगमन से पहले यात्रियों और चालक दल की जानकारी आप्रवासन अधिकारियों को साझा करनी होगी।
  • यह प्रावधान संभावित सुरक्षा खतरों की पहले से पहचान करने और यात्रियों की रीयल-टाइम निगरानी सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

विधेयक का प्रभाव और महत्व

1. राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना

  • अवैध आप्रवासन, जासूसी और आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगेगा।
  • सीमा सुरक्षा और विदेशी नागरिकों की निगरानी बढ़ेगी।

2. आप्रवासन कानूनों का आधुनिकीकरण और सरलीकरण

  • चार अलग-अलग कानूनों को हटाकर एक ही व्यापक कानून लागू किया जाएगा।
  • कानूनी अस्पष्टताओं को खत्म कर प्रभावी प्रवर्तन सुनिश्चित किया जाएगा।

3. भारत में विदेशी नागरिकों पर बेहतर नियंत्रण

  • विदेशी नागरिकों को भारत में पंजीकरण और रिपोर्टिंग अनिवार्य होगी।
  • कड़े दंड से उल्लंघनकर्ताओं को हतोत्साहित किया जाएगा।

4. परिवहन वाहकों की जवाबदेही सुनिश्चित करना

  • मानव तस्करी और अवैध आप्रवासन पर नियंत्रण होगा।
  • एयरलाइंस और शिपिंग कंपनियों को अधिक जिम्मेदार बनाया जाएगा।

भारत आने वाले विदेशी नागरिकों के आँकड़े

सरकारी आँकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 के बीच 9,840,321 विदेशी नागरिक भारत आए। नया विधेयक इतनी बड़ी संख्या में विदेशी आगंतुकों के प्रबंधन को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाएगा।

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