RBI ने अकाउंट एग्रीगेटर्स के लिए स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) की रूपरेखा जारी की

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने खाता एग्रीगेटर (AA) पारिस्थितिकी तंत्र के लिए स्व-नियामक संगठन (SRO) की मान्यता की रूपरेखा जारी की है। इस पहल का उद्देश्य वित्तीय डेटा के निर्बाध आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना, परिचालन संबंधी चुनौतियों को दूर करना और विभिन्न नियामक संस्थाओं के बीच अनुपालन सुनिश्चित करना है। इस कदम से AA ढांचे के भीतर समन्वय, मानकीकरण और विवाद समाधान को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

मुख्य बिंदु:

उद्देश्य: AA पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक समर्पित SRO की स्थापना, जिससे वित्तीय डेटा साझा करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके और परिचालन संबंधी समस्याओं का समाधान किया जा सके।

पृष्ठभूमि:

  • सितंबर 2016: RBI ने सुरक्षित वित्तीय डेटा साझा करने के लिए AA ढांचा पेश किया।
  • अगस्त 2024: RBI ने फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर एम्पावरमेंट को फिनटेक क्षेत्र के लिए SRO के रूप में मान्यता दी।

AA के लिए SRO की आवश्यकता क्यों?

  • AA पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न वित्तीय क्षेत्रों के तहत संचालित कई विनियमित संस्थाएं शामिल हैं।
  • एक समर्पित SRO विवाद समाधान, मानकीकृत समझौतों और सामान्य सेवाओं के माध्यम से बेहतर समन्वय में सहायता करेगा।

आवेदन प्रक्रिया:

  • इच्छुक संगठनों को प्रवाह (Pravaah) पोर्टल के माध्यम से 15 जून 2025 तक आवेदन करना होगा।
  • RBI का निर्णय अंतिम होगा, जब तक कि पुनः आवेदन की अनुमति न दी जाए।

AA पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल इकाइयाँ:

  • वित्तीय सूचना प्रदाता (FIPs) और वित्तीय सूचना उपयोगकर्ता (FIUs) NBFC-Account Aggregators (NBFC-AAs) के माध्यम से आपस में जुड़े होते हैं।
  • RBI, SEBI, IRDAI, PFRDA और केंद्रीय राजस्व विभाग (GST नेटवर्क नियामक) द्वारा विनियमित।

तकनीकी विनिर्देश:

  • रिज़र्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी (ReBIT) तकनीकी मानकों को निर्धारित और प्रकाशित करना जारी रखेगा।

औद्योगिक अपडेट:

  • फरवरी 2025: फोनपे (PhonePe) ने AA व्यवसाय से बाहर निकलते हुए अपना NBFC-AA लाइसेंस सरेंडर कर दिया, ताकि मौजूदा एग्रीगेटरों के साथ साझेदारी पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।

RBI की यह पहल AA पारिस्थितिकी तंत्र में अधिक स्थिरता, पारदर्शिता और कुशल संचालन सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2025: थीम, इतिहास और महत्व

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हर वर्ष 15 मार्च को उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनके संरक्षण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह दिन उपभोक्ता संबंधी मुद्दों को उजागर करने, उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और बाजार में निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2025 की थीम

थीम: “न्यायसंगत परिवर्तन के लिए सतत जीवनशैली” (A Just Transition to Sustainable Lifestyles)

इस वर्ष की थीम का उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिए सतत (सस्टेनेबल) और स्वस्थ जीवनशैली को सुलभ और किफायती बनाना है। यह थीम पर्यावरणीय संतुलन और उपभोक्ताओं के मूल अधिकारों की सुरक्षा के बीच एक समन्वय स्थापित करने पर बल देती है।

मुख्य फोकस क्षेत्र:

  • व्यवसायों को पर्यावरण के अनुकूल और नैतिक प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करना।
  • उपभोक्ताओं को सुलभ और किफायती स्थायी उत्पाद प्रदान करना।
  • भ्रामक विज्ञापनों और निम्न-गुणवत्ता वाले उत्पादों के खिलाफ कड़े उपभोक्ता अधिकार कानूनों की वकालत करना।
  • जलवायु-अनुकूल उपभोग आदतों को बढ़ावा देना ताकि पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव कम किया जा सके।

इतिहास और महत्व

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पहली बार 1983 में मनाया गया था। यह दिन अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी द्वारा 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस को दिए गए ऐतिहासिक भाषण से प्रेरित है, जिसमें उन्होंने चार मौलिक उपभोक्ता अधिकारों पर प्रकाश डाला था:

  • सुरक्षा का अधिकार – खतरनाक उत्पादों और सेवाओं से सुरक्षा।
  • सूचित होने का अधिकार – सटीक जानकारी तक पहुंच, जिससे उपभोक्ता सही निर्णय ले सकें।
  • चुनने का अधिकार – उचित कीमतों पर विभिन्न उत्पादों और सेवाओं की उपलब्धता।
  • सुने जाने का अधिकार – उपभोक्ताओं की चिंताओं को नीतियों में स्थान देना।

इस दिवस का महत्व

  • उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना – यह दिन लोगों को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक करने और उन्हें शोषण से बचाने में मदद करता है।
  • उपभोक्ता संरक्षण कानूनों को मजबूत करना – सरकारें और नीति-निर्माता इस अवसर पर उपभोक्ता अधिकारों को सुदृढ़ करने हेतु कानूनों की समीक्षा करते हैं।
  • नैतिक व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देना – कंपनियों को पारदर्शी और उपभोक्ता-केंद्रित नीतियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
  • सतत उपभोग को बढ़ावा देना – प्लास्टिक का कम उपयोग, नैतिक ब्रांडों का समर्थन और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प अपनाने पर ज़ोर दिया जाता है।
  • डिजिटल अधिकारों की रक्षा – ऑनलाइन लेन-देन, साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए कठोर नियमों की मांग को बल मिलता है।

कैसे ले सकते हैं भाग?

  • जानकारी बढ़ाएं: अपने उपभोक्ता अधिकारों को जानें और दूसरों को भी जागरूक करें।
  • नैतिक ब्रांडों का समर्थन करें: पर्यावरण के अनुकूल और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं का पालन करने वाली कंपनियों के उत्पाद खरीदें।
  • परिवर्तन के लिए आवाज उठाएं: उपभोक्ता अधिकार संगठनों से जुड़ें, अभियानों में भाग लें और सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं।
  • अनैतिक प्रथाओं की रिपोर्ट करें: यदि आपको भ्रामक विज्ञापन, असुरक्षित उत्पाद या अनुचित मूल्य निर्धारण दिखे, तो उपभोक्ता संरक्षण एजेंसियों को सूचित करें।
  • सतत आदतें अपनाएं: कचरे को कम करें, सिंगल-यूज़ प्लास्टिक से बचें और ऊर्जा-कुशल विकल्पों को अपनाएं।

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2025, उपभोक्ताओं को न्यायसंगत और सतत जीवनशैली के लिए प्रेरित करने और उनके अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

वित्त वर्ष 2025-26 में GDP ग्रोथ रेट 6.5% से अधिक रहने का अनुमान: मूडीज

मूडीज़ रेटिंग्स, एक वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी, ने अनुमान लगाया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि वित्तीय वर्ष 2025-26 में 6.5% से अधिक हो सकती है, जो कि FY 2024-25 के 6.3% के अनुमान से अधिक है। यह वृद्धि सरकार के पूंजीगत व्यय, कर कटौती से उपभोक्ता मांग में वृद्धि, और ब्याज दरों में कटौती के माध्यम से मौद्रिक सहजता के कारण होगी। हालांकि, मूडीज़ को उम्मीद है कि असुरक्षित खुदरा ऋण, माइक्रोफाइनेंस और छोटे व्यवसाय ऋणों में तनाव के कारण बैंकिंग क्षेत्र की परिसंपत्ति गुणवत्ता में मध्यम गिरावट आ सकती है।

मुख्य बिंदु:

जीडीपी वृद्धि अनुमान: FY 2025-26 में 6.5% से अधिक, FY 2024-25 के 6.3% से अधिक।

मुद्रास्फीति और ब्याज दरें: FY 2025-26 में औसत मुद्रास्फीति 4.5% तक गिरने की संभावना। फरवरी 2025 में RBI ने नीति दर 25 आधार अंकों की कटौती कर 6.25% की।

बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव: असुरक्षित ऋणों में वृद्धि के कारण परिसंपत्ति गुणवत्ता में गिरावट की संभावना, लेकिन लाभप्रदता स्थिर बनी रहेगी। FY 2025-26 में ऋण वृद्धि दर घटकर 11-13% होने की उम्मीद।

सरकार और RBI का अनुमान: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार FY 2025-26 में जीडीपी वृद्धि 6.3% से 6.8% के बीच रह सकती है। FY 2024-25 के लिए आधिकारिक अनुमान 6.5% है।

एन गणपति सुब्रमण्यम को टाटा कम्युनिकेशंस का चेयरमैन नियुक्त किया गया

टाटा कम्युनिकेशंस ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि एन गणपति सुब्रमण्यम (NGS) को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति 14 मार्च 2025 से प्रभावी होगी। यह निर्णय नॉमिनेशन एंड रेम्यूनरेशन कमेटी की सिफारिश के आधार पर लिया गया है, जैसा कि कंपनी की रेगुलेटरी फाइलिंग में उल्लेख किया गया है।

कौन हैं एन गणपति सुब्रमण्यम?

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के दिग्गज नेता

एन गणपति सुब्रमण्यम, जिन्हें NGS के रूप में भी जाना जाता है, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का हिस्सा 40 वर्षों तक रहे हैं। उन्होंने कंपनी की वैश्विक रणनीति और डिजिटल परिवर्तन पहलों को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मई 2024 में TCS के COO और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पद से सेवानिवृत्त होने से पहले, उन्होंने TCS को एक अग्रणी वैश्विक IT कंपनी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उनकी विशेषज्ञता बिजनेस स्ट्रैटेजी, ऑपरेशनल एक्सीलेंस और टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस में रही है, जिसने TCS की वैश्विक उपस्थिति को मजबूत करने में मदद की

अन्य प्रमुख भूमिकाएँ और टाटा समूह में प्रभाव

TCS से सेवानिवृत्ति के बाद भी, NGS टाटा समूह में महत्वपूर्ण रणनीतिक पदों पर कार्यरत रहे हैं। वर्तमान में, वे निम्नलिखित पदों पर कार्यरत हैं:

  • टाटा एलेक्सी के चेयरमैन और नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर
  • तेजस नेटवर्क्स लिमिटेड के चेयरमैन और नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर
  • टाटा समूह की कई अन्य कंपनियों के बोर्ड सदस्य

ये भूमिकाएँ दर्शाती हैं कि टाटा समूह की टेक्नोलॉजी-ड्रिवन कंपनियों के विकास और नवाचार में उनका प्रभावशाली योगदान बना हुआ है।

टाटा कम्युनिकेशंस के लिए NGS की नियुक्ति के प्रभाव

रणनीतिक नेतृत्व और दूरदृष्टि

एन गणपति सुब्रमण्यम के नेतृत्व में, टाटा कम्युनिकेशंस को उनके व्यापक IT और डिजिटल परिवर्तन के अनुभव से लाभ मिलने की उम्मीद है। उनकी रणनीतिक विशेषज्ञता क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा और नेक्स्ट-जेन नेटवर्किंग सॉल्यूशंस में कंपनी की वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाने में मदद करेगी।

डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और वैश्विक विस्तार को मजबूती

NGS की नियुक्ति से टाटा कम्युनिकेशंस को निम्नलिखित क्षेत्रों में मजबूती मिलेगी:

  • ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार
  • डिजिटल सेवाओं में नवाचार
  • टेलीकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में नई ऊँचाइयाँ
  • वैश्विक स्तर पर व्यवसायों के लिए ग्राहक-केंद्रित समाधान

टाटा कम्युनिकेशंस के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और वैश्विक विस्तार के लक्ष्यों को प्राप्त करने में NGS का नेतृत्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला साबित हो सकता है

पहलू विवरण
कौन नियुक्त हुए? एन गणपति सुब्रमण्यम (NGS)
पद टाटा कम्युनिकेशंस के चेयरमैन
प्रभावी तिथि 14 मार्च 2025
पिछला पद टीसीएस में सीओओ और कार्यकारी निदेशक
अनुभव टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में 40 वर्षों का अनुभव
वर्तमान भूमिकाएँ टाटा एलेक्सी और तेजस नेटवर्क्स लिमिटेड के चेयरमैन और नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर
कंपनी की घोषणा टाटा कम्युनिकेशंस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने नॉमिनेशन और रेम्यूनरेशन कमेटी की सिफारिश पर नियुक्ति को मंजूरी दी

चीन का 5,000 किमी रडार: क्या यह भारत की रक्षा के लिए चुनौती है?

चीन ने हाल ही में युन्नान प्रांत में लार्ज फेज़ड अरे रडार (LPAR) प्रणाली तैनात की है, जो भारत के खिलाफ उसकी निगरानी क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाती है। यह रडार भारत-Myanmar सीमा के पास स्थित है और इसकी व्यापक रेंज एवं उन्नत ट्रैकिंग क्षमताओं के कारण भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएँ बढ़ गई हैं।

चीन के LPAR सिस्टम की प्रमुख विशेषताएँ

विस्तारित रेंज: यह रडार 5,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक निगरानी कर सकता है, जिससे भारतीय क्षेत्र और हिंद महासागर के बड़े हिस्से को कवर किया जा सकता है।

उन्नत ट्रैकिंग क्षमताएँ: इलेक्ट्रॉनिकली नियंत्रित एंटेना प्रणाली से यह रडार तेज़ी से बड़े क्षेत्रों को स्कैन कर सकता है और एक साथ कई लक्ष्यों को सटीक रूप से ट्रैक कर सकता है। यह बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपणों और अन्य हवाई गतिविधियों की निगरानी के लिए अत्यधिक उपयोगी है।

रणनीतिक स्थिति: यह रडार भारत के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लगभग 2,000–2,200 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है, जो अग्नि-V और K-4 मिसाइल परीक्षणों के प्रमुख केंद्र हैं। इससे चीन को भारत के मिसाइल परीक्षणों की वास्तविक समय में निगरानी करने की क्षमता मिलती है।

भारत की सुरक्षा पर प्रभाव

खुफिया जानकारी जुटाना: LPAR रडार भारत की मिसाइल लॉन्च गतिविधियों का विश्लेषण कर सकता है, जिससे चीन को भारतीय मिसाइल क्षमताओं से संबंधित महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त हो सकता है और वह इनके लिए काउंटरमेजर विकसित कर सकता है

विस्तारित निगरानी: यह रडार बंगाल की खाड़ी और व्यापक हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री गतिविधियों की निगरानी करने की चीन की क्षमता को बढ़ा सकता है, जो भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है।

भारत की प्रतिक्रिया

रडार क्षमताओं में वृद्धि: भारतीय रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में ₹2,906 करोड़ की लागत से Bharat Electronics Ltd के साथ 18 ‘अश्विनी’ लो-लेवल ट्रांसपोर्टेबल रडार (LLTR) का करार किया है। ये स्वदेशी प्रणाली भारतीय वायुसेना की ड्रोन और हेलीकॉप्टर जैसी निम्न-उड़ान वाली हवाई खतरों को ट्रैक करने की क्षमता को मजबूत करेगी।

काउंटर-सर्विलांस रणनीतियाँ: भारत अपने मिसाइल कार्यक्रमों को सुरक्षित बनाने और रणनीतिक प्रतिरोध बनाए रखने के लिए विभिन्न कदम उठा रहा है, ताकि चीन की उन्नत निगरानी क्षमताओं का प्रभाव कम किया जा सके।

Google ने लॉन्च किया ‘जेम्मा 3’ AI मॉडल

गूगल ने हाल ही में Gemma 3 लॉन्च किया है, जो इसकी हल्के और उन्नत ओपन एआई मॉडल की नई श्रृंखला का हिस्सा है। यह मॉडल स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य कंप्यूटिंग डिवाइसों पर कुशलतापूर्वक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। Gemini 2.0 तकनीक पर आधारित यह मॉडल कम विलंबता (low-latency) प्रोसेसिंग के साथ GPU या TPU पर सुचारू रूप से कार्य करता है।

Gemma 3 की प्रमुख विशेषताएँ

  • मल्टी-मोडल प्रोसेसिंग: यह टेक्स्ट और विजुअल इनपुट को प्रोसेस कर सकता है, लेकिन केवल टेक्स्ट आउटपुट प्रदान करता है।
  • स्केलेबिलिटी और वेरिएंट्स: 1B, 4B, 12B और 27B पैमानों में उपलब्ध, जिससे विभिन्न आवश्यकताओं के अनुसार चुना जा सकता है।
  • बड़ा कॉन्टेक्स्ट विंडो: 128k-टोकन क्षमता, जो बड़े डाटा सेट्स को समझने और संसाधित करने में मदद करता है।
  • भाषागत समर्थन: 140+ भाषाओं में कार्य करने की क्षमता, जिससे यह अनुवाद, ग्राहक सेवा, और बहुभाषी सामग्री निर्माण के लिए उपयुक्त है।
  • AI ऑटोमेशन और एजेंट-आधारित क्षमताएँ: चैटबॉट्स, वर्चुअल असिस्टेंट, और डेटा एनालिटिक्स में उपयोगी।
  • इमेज, टेक्स्ट, और वीडियो विश्लेषण: कंटेंट मॉडरेशन, वीडियो समरी और डेटा एनालिटिक्स में प्रभावी।

अन्य AI मॉडल की तुलना में Gemma 3 का प्रदर्शन

  • Meta के Llama-405B, OpenAI के o3-mini, और DeepSeek-V3 को पीछे छोड़ता है।
  • LMArena बेंचमार्क परीक्षणों में उच्च स्कोर प्राप्त किया है।
  • 35+ भाषाओं में उन्नत बहुभाषीय समर्थन।

Gemma 3 की उपलब्धता और तैनाती (Deployment Options)

  • डाउनलोड के लिए उपलब्ध: Kaggle, Hugging Face, Google Studio
  • डिप्लॉयमेंट विकल्प: Vertex AI, Cloud Run, Google GenAI API, लोकल एनवायरमेंट्स, गेमिंग GPUs
  • कस्टमाइज़ेशन और फाइन-ट्यूनिंग: Google Colab, Vertex AI, ऑन-प्रिमाइसेस हार्डवेयर

Gemma 3 का यह नवीनतम संस्करण AI क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है, जो डिजिटल ऑटोमेशन, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP), और कंप्यूटर विजन के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगा।

पहलू विवरण
क्यों चर्चा में? गूगल ने Gemma 3 लॉन्च किया, जो एक हल्का ओपन एआई मॉडल है, जिसे स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म पर प्रभावी रूप से चलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
मुख्य विशेषताएँ मल्टी-मोडल प्रोसेसिंग (टेक्स्ट + विजुअल इनपुट, टेक्स्ट-आउटपुट)।
स्केलेबल मॉडल वेरिएंट (1B, 4B, 12B, 27B पैरामीटर्स)।
128k-टोकन कॉन्टेक्स्ट विंडो बेहतर समझ के लिए।
140+ भाषाओं का समर्थन
प्रशिक्षण और टोकन क्षमता 1B मॉडल: 2 ट्रिलियन टोकन।
4B मॉडल: 4 ट्रिलियन टोकन।
12B मॉडल: 12 ट्रिलियन टोकन।
27B मॉडल: 14 ट्रिलियन टोकन।
प्रदर्शन बनाम प्रतिस्पर्धी मॉडल Meta Llama-405B, OpenAI o3-mini, और DeepSeek-V3 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन।
LMArena बेंचमार्क में उच्च मानव प्राथमिकता स्कोर प्राप्त किया।
35+ भाषाओं में उन्नत AI एप्लिकेशन सपोर्ट।
उपयोग के क्षेत्र स्वचालित अनुवाद और बहुभाषी चैटबॉट्स।
AI-समर्थित स्वचालन और इंटेलिजेंट वर्चुअल असिस्टेंट।
कंटेंट मॉडरेशन, वीडियो समरीकरण और डेटा एनालिटिक्स।
उपलब्धता और डिप्लॉयमेंट Kaggle, Hugging Face, और Google Studio पर उपलब्ध।
Vertex AI, Cloud Run, Google GenAI API, और लोकल एनवायरमेंट्स में डिप्लॉय किया जा सकता है।
फाइन-ट्यूनिंग और कस्टमाइज़ेशन Google Colab, Vertex AI और ऑन-प्रिमाइसेस हार्डवेयर के माध्यम से फाइन-ट्यूनिंग का समर्थन।
प्रभावी इनफरेंस और फाइन-ट्यूनिंग के लिए अनुकूलित कोडबेस उपलब्ध।

RBI ने प्रवाह और सारथी पहल के लिए डिजिटल परिवर्तन पुरस्कार 2025 जीता

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को लंदन, यूके स्थित सेंट्रल बैंकिंग द्वारा डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवार्ड 2025 से सम्मानित किया गया है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार RBI की सफल डिजिटल पहलों—प्रवाह और सारथी—के प्रभावी कार्यान्वयन को मान्यता देता है, जिन्हें इसके आईटी दल द्वारा इन-हाउस विकसित किया गया था। इन नवाचारों ने RBI के आंतरिक वर्कफ्लो प्रबंधन और बाहरी नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर दिया है, जिससे संचालन दक्षता में वृद्धि हुई है और कागजी दस्तावेज़ों पर निर्भरता कम हुई है।

RBI की डिजिटल पहल

1. सारथी: RBI का आंतरिक डिजिटल वर्कफ्लो सिस्टम

जनवरी 2023 में लॉन्च किया गया सारथी RBI के आंतरिक कार्यप्रवाह को डिजिटल बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था। यह प्रणाली कर्मचारियों को दस्तावेज़ों को सुरक्षित रूप से संग्रहीत और साझा करने में सक्षम बनाती है, जिससे रिकॉर्ड प्रबंधन और डेटा विश्लेषण में सुधार हुआ है।

सारथी की प्रमुख विशेषताएँ:

  • कागज़ी प्रक्रिया का उन्मूलन: डिजिटल दस्तावेज़ जमा करने और संग्रहीत करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • बेहतर सहयोग: कर्मचारी विभिन्न विभागों में फाइलें सुरक्षित रूप से साझा कर सकते हैं।
  • उन्नत विश्लेषण: डैशबोर्ड और रिपोर्टिंग टूल से बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है।
  • ऑपरेशनल दक्षता में सुधार: स्वचालित प्रक्रियाएँ कार्य प्रबंधन को आसान बनाती हैं।
  • एकीकृत डेटाबेस: सभी दस्तावेज़ों के लिए एक केंद्रीकृत रिपॉजिटरी के रूप में कार्य करता है।

2. प्रवाह: डिजिटल नियामक आवेदन पोर्टल

मई 2024 में RBI ने प्रवाह लॉन्च किया, जो बाहरी नियामक अनुप्रयोगों के डिजिटलीकरण पर केंद्रित है। इस पहल ने उपयोगकर्ताओं को RBI को डिजिटल रूप से अनुरोध भेजने की सुविधा प्रदान की है।

प्रवाह की प्रमुख विशेषताएँ:

  • 70 से अधिक नियामक प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण।
  • सारथी के साथ एकीकृत: प्रवाह के माध्यम से प्रस्तुत दस्तावेज़ सारथी डेटाबेस में सुरक्षित रूप से संग्रहीत होते हैं।
  • केंद्रीकृत साइबर सुरक्षा ढांचा: उन्नत सुरक्षा और डिजिटल ट्रैकिंग प्रदान करता है।
  • व्यापक अपनाने की प्रक्रिया: 2024 के अंत तक 2,000 से अधिक आवेदन प्रवाह के माध्यम से दायर किए गए।
  • मासिक आवेदनों में 80% की वृद्धि: उपयोग की सहजता और दक्षता के कारण यह वृद्धि हुई है।

RBI की डिजिटल पहलों का प्रभाव

1. आंतरिक और बाहरी कार्यप्रवाह में सुधार

सारथी और प्रवाह ने RBI के आंतरिक कार्यप्रवाह और बाहरी नियामक अनुप्रयोगों को सुव्यवस्थित किया है। कागजी दस्तावेज़ों को समाप्त करने से न केवल दक्षता बढ़ी है, बल्कि मानवीय त्रुटियाँ और प्रसंस्करण समय भी कम हुआ है।

2. उन्नत साइबर सुरक्षा और निगरानी

RBI की साइबर सुरक्षा टीम इन डिजिटल प्लेटफॉर्मों की सतत निगरानी करती है। केंद्रीकृत सुरक्षा प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि सभी दस्तावेज़ और लेनदेन सुरक्षित और ट्रेस करने योग्य रहें।

3. दक्षता और सहयोग में वृद्धि

RBI के आईटी दल ने सारथी और प्रवाह के विकास में विभिन्न विभागों के कर्मचारियों से परामर्श किया, जिससे इन प्रणालियों का क्रियान्वयन अधिक प्रभावी रहा। प्रत्येक विभाग में वरिष्ठ नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई, जिससे डिजिटल परिवर्तन सुचारू रूप से लागू हो सके।

पहलु विवरण
क्यों चर्चा में? RBI ने सेंट्रल बैंकिंग, लंदन द्वारा डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवार्ड 2025 जीता, जो इसकी डिजिटल पहल सारथी और प्रवाह के लिए प्रदान किया गया।
पुरस्कार प्रदान करने वाली संस्था सेंट्रल बैंकिंग, लंदन, यूके
पुरस्कार वर्ष 2025
डिजिटल पहल सारथी (आंतरिक वर्कफ्लो प्रणाली) और प्रवाह (बाहरी नियामक आवेदन पोर्टल)
लॉन्च तिथि सारथी – जनवरी 2023; प्रवाह – मई 2024
सारथी की प्रमुख विशेषताएँ वर्कफ्लो का डिजिटलीकरण, रिकॉर्ड प्रबंधन में सुधार, सुरक्षित दस्तावेज़ साझा करना, एकीकृत डेटाबेस
प्रवाह की प्रमुख विशेषताएँ डिजिटल नियामक आवेदन, केंद्रीकृत सुरक्षा, सारथी के साथ एकीकरण, आवेदन प्रसंस्करण क्षमता में वृद्धि
प्रभाव मासिक आवेदनों में 80% वृद्धि, कागज़ आधारित प्रक्रियाओं में कमी, बेहतर सहयोग और उन्नत साइबर सुरक्षा
महत्व इन पहलों ने RBI की आंतरिक और बाहरी प्रक्रियाओं को डिजिटल रूप से सशक्त और अधिक प्रभावी बना दिया है।

तेजस MK1 प्रोटोटाइप से ASTRA मिसाइल का सफल परीक्षण

भारतीय एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने स्वदेशी अस्त्र बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल को लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस AF MK1 प्रोटोटाइप से ओडिशा के चांदीपुर तट के पास दागा गया। इस परीक्षण ने मिसाइल की सटीकता और उन्नत क्षमताओं को साबित किया, जो भारत की स्वदेशी रक्षा प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • परीक्षित मिसाइल: अस्त्र BVRAAM (बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल)
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: LCA तेजस AF MK1 प्रोटोटाइप
  • परीक्षण स्थल: चांदीपुर, ओडिशा
  • विकासकर्ता: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
  • परीक्षण परिणाम: सभी सब-सिस्टम के सफल प्रदर्शन के साथ उड़ते हुए लक्ष्य पर सीधा प्रहार
  • मारक क्षमता: 100 किलोमीटर से अधिक
  • उद्देश्य: भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना और स्वदेशी मिसाइल तकनीक को प्रोत्साहित करना

समर्थन देने वाली एजेंसियाँ:

  • एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA)
  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)
  • सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थीनेस एंड सर्टिफिकेशन (CEMILAC)
  • डायरेक्टरेट जनरल ऑफ एरोनॉटिकल क्वालिटी एश्योरेंस (DG-AQA)
  • भारतीय वायु सेना (IAF)

प्रतिक्रियाएँ:

  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए सभी टीमों को बधाई दी।
  • DRDO अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के सामूहिक प्रयासों की सराहना की।

महत्व:

यह परीक्षण LCA तेजस MK1A संस्करण को भारतीय वायु सेना में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

पहलू विवरण
क्यों खबर में? भारत ने LCA तेजस AF MK1 प्रोटोटाइप से अस्त्र BVRAAM का सफल परीक्षण किया
मिसाइल का नाम अस्त्र BVRAAM (बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल)
लॉन्च प्लेटफॉर्म लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस AF MK1 प्रोटोटाइप
परीक्षण स्थान चांदीपुर, ओडिशा
विकसितकर्ता DRDO
मारक क्षमता 100 किलोमीटर से अधिक
परीक्षण परिणाम उड़ते हुए लक्ष्य पर सटीक प्रहार, सभी सिस्टम ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया
समर्थन देने वाली एजेंसियाँ ADA, HAL, CEMILAC, DG-AQA, IAF
महत्व भारत की स्वदेशी वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है
प्रमुख प्रतिक्रियाएँ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और DRDO अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने सराहना की

भारत ने UNESCO के लिए अनंतिम सूची में छह संपत्तियों को जोड़ा

भारत ने हाल ही में अपने छह नए स्थलों को यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल किया है, जिससे देश में अस्थायी स्थलों की कुल संख्या 62 हो गई है। इन स्थलों में अशोककालीन शिलालेख स्थल, चौसठ योगिनी मंदिर और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं। 7 मार्च 2024 को भारत के स्थायी प्रतिनिधि मंडल द्वारा यूनेस्को में इन स्थलों को औपचारिक रूप से सूचीबद्ध किया गया। इस घोषणा को भारत ने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया।

अस्थायी सूची का महत्व

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामांकन की प्रक्रिया में अस्थायी सूची एक महत्वपूर्ण चरण है। यूनेस्को के अनुसार, प्रत्येक देश को पहले किसी स्थल को अपनी अस्थायी सूची में शामिल करना आवश्यक होता है, जिसके बाद ही उसे औपचारिक रूप से विश्व धरोहर स्थल के लिए नामांकित किया जा सकता है। यह सूची भारत के सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

हाल ही में जोड़े गए छह नए स्थल

  1. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़)
    यह राष्ट्रीय उद्यान अपनी जैव विविधता और अद्वितीय भूवैज्ञानिक संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध है। बस्तर जिले में स्थित यह पार्क चूना पत्थर की गुफाओं, जलप्रपातों और समृद्ध वनस्पतियों एवं जीवों का घर है। यह छत्तीसगढ़ के राज्य पक्षी बस्तर हिल मैना के लिए भी एक महत्वपूर्ण आवास स्थल है।

  2. मुदुमल मेगालिथिक मेन्हिर (तेलंगाना)
    यह प्रागैतिहासिक मेगालिथिक मेन्हिर तेलंगाना में स्थित हैं और पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। लोहे के युग से संबंधित ये संरचनाएं संभवतः दफनाने और खगोलीय अध्ययन के लिए उपयोग की जाती थीं। यह स्थल भारत में प्राचीन मेगालिथिक संस्कृति को समझने के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान करता है।

  3. अशोककालीन शिलालेख स्थल (विभिन्न राज्य)
    यह एक श्रेणीकृत नामांकन है, जिसमें उन विभिन्न स्थलों को शामिल किया गया है जहां सम्राट अशोक के शिलालेख पाए गए हैं। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के ये शिलालेख मौर्य शासन, प्रशासन और अशोक द्वारा प्रचारित बौद्ध धर्म के प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। ये शिलालेख चट्टानों, गुफाओं और स्तंभों पर उकेरे गए हैं।

  4. चौसठ योगिनी मंदिर (विभिन्न राज्य)
    चौसठ योगिनी मंदिर विभिन्न राज्यों में फैले हुए हैं और 64 देवी-योगिनियों को समर्पित हैं। ये मंदिर आमतौर पर गोलाकार संरचनाओं में बनाए गए हैं और प्रायः पहाड़ियों की चोटी पर स्थित होते हैं। इनमें पत्थर की नक्काशीदार मूर्तियां हैं और ये तांत्रिक पूजा परंपराओं में धार्मिक और स्थापत्य महत्व रखते हैं।

  5. गुप्तकालीन मंदिर (उत्तर भारत के विभिन्न राज्य)
    ये मंदिर गुप्तकालीन स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जो अपनी परिष्कृत डिज़ाइन और कलात्मक श्रेष्ठता के लिए जाने जाते हैं। चौथी से छठी शताब्दी ईस्वी के बीच निर्मित ये मंदिर भारतीय मंदिर स्थापत्य कला के विकास को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रमुख उदाहरणों में देवगढ़ का दशावतार मंदिर और नचना का पार्वती मंदिर शामिल हैं।

  6. बुंदेला राजवंश के महल-किले (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश)
    बुंदेला राजवंश के महल-किले मध्यकालीन भारत की ऐतिहासिक धरोहर हैं। ये स्थापत्य कला की अनूठी शैली को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें राजपूत और मुगल वास्तुकला का मिश्रण देखा जा सकता है। इनमें ओरछा (मध्य प्रदेश) का जहांगीर महल और दतिया (उत्तर प्रदेश) का गोविंद महल प्रमुख हैं।

भारत के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल

वर्तमान में, भारत के 43 स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • सांस्कृतिक स्थल: 35
  • प्राकृतिक स्थल: 7
  • मिश्रित स्थल: 1

2024 में भारत ने पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी की। इसी वर्ष, असम के मोइडाम्स (अहोम वंश के समाधि स्थल) को आधिकारिक रूप से विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।

पूर्व भारतीय ऑलराउंडर सैयद आबिद अली का 83 साल की उम्र में निधन

क्रिकेट जगत ने पूर्व भारतीय ऑलराउंडर सैयद आबिद अली के निधन पर शोक व्यक्त किया, जो 83 वर्ष की आयु में अमेरिका में चल बसे। अपनी उल्लेखनीय फुर्ती, ऑलराउंड प्रदर्शन और भारतीय क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध, आबिद अली ने खेल के कई यादगार पलों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रारंभिक जीवन और क्रिकेट यात्रा

हैदराबाद में जन्मे आबिद अली ने एक भरोसेमंद ऑलराउंडर के रूप में भारतीय क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई। वह स्विंग गेंदबाजी में माहिर थे, निचले क्रम में उपयोगी बल्लेबाजी करते थे और अपने समय के सबसे चुस्त क्षेत्ररक्षकों में गिने जाते थे।

टेस्ट डेब्यू और यादगार प्रदर्शन

आबिद अली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की और पहले ही मैच में छह विकेट लेकर क्रिकेट जगत को चौंका दिया। इसी श्रृंखला में, सिडनी टेस्ट में उन्होंने 78 और 81 रनों की दो शानदार अर्धशतकीय पारियां खेलकर खुद को एक सक्षम ऑलराउंडर साबित किया।

इंग्लैंड के खिलाफ ऐतिहासिक जीत में भूमिका (1971)

आबिद अली की सबसे यादगार पारियों में से एक इंग्लैंड के खिलाफ 1971 के ओवल टेस्ट में आई, जहां उन्होंने विजयी रन बनाकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई। यह जीत भारतीय क्रिकेट के उभरते वर्चस्व का प्रतीक बनी।

प्रथम श्रेणी क्रिकेट और कोचिंग करियर

अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के अलावा, आबिद अली ने 22 वर्षों तक हैदराबाद और साउथ ज़ोन के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला। संन्यास के बाद, उन्होंने कोचिंग में कदम रखा और विभिन्न देशों में टीमों को प्रशिक्षित किया।

कोचिंग कार्यकाल

  • आंध्र प्रदेश रणजी टीम: आंध्र की टीम को संघर्ष से निकालकर एलीट डिवीजन तक पहुंचाने में मदद की।
  • यूएई क्रिकेट टीम: 2001 में यूएई टीम के कोच बने और अपनी रणनीति से टीम को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
  • मालदीव क्रिकेट टीम: मालदीव क्रिकेट के बुनियादी ढांचे को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1996 की घटना: एक गलत मृत्यु रिपोर्ट

1996 में बाईपास सर्जरी के बाद, मीडिया में गलती से उनके निधन की खबरें फैल गईं। उनके साथी क्रिकेटरों और प्रशंसकों ने शोक व्यक्त किया, लेकिन जल्द ही सच्चाई सामने आई। यह भ्रम इतना व्यापक था कि एक पत्रकार ने खुद उनसे फोन पर बात कर यह पुष्टि की कि वह जीवित हैं!

विरासत और प्रभाव

सैयद आबिद अली को एक समर्पित क्रिकेटर के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट और वैश्विक क्रिकेट विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। युवा क्रिकेटरों को प्रशिक्षित करने और मजबूत टीमें बनाने में उनके प्रयासों ने खेल पर अमिट छाप छोड़ी है।

क्यों चर्चा में? पूर्व भारतीय ऑलराउंडर सैयद आबिद अली का 83 वर्ष की आयु में अमेरिका में निधन।
करियर की मुख्य बातें 29 टेस्ट मैच खेले, 47 विकेट लिए और भारत के लिए महत्वपूर्ण रन बनाए।
यादगार डेब्यू ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू में 6 विकेट (55 रन देकर) लिए।
प्रमुख प्रदर्शन सिडनी टेस्ट में दो अर्धशतक (78 और 81 रन) बनाए।
ऐतिहासिक क्षण 1971 में इंग्लैंड के खिलाफ ओवल टेस्ट में विजयी रन बनाए।
प्रथम श्रेणी क्रिकेट 22 वर्षों तक हैदराबाद और साउथ ज़ोन के लिए खेला।
कोचिंग करियर आंध्र प्रदेश, यूएई और मालदीव की क्रिकेट टीमों को प्रशिक्षित किया।
1996 की घटना बाईपास सर्जरी के बाद उनकी मृत्यु की गलत खबरें फैलीं, जिससे मीडिया में भ्रम की स्थिति बनी।
विरासत एक महान ऑलराउंडर, कोच और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मेंटर के रूप में याद किए जाएंगे।

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