विकास और शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस 2025

अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस फॉर डेवलपमेंट एंड पीस (IDSDP) हर साल 6 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिवस खेलों की उस क्षमता को पहचानने के लिए समर्पित है जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने, सामाजिक बाधाओं को तोड़ने और सीमाओं से परे एकता लाने में मदद करता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को मनाने की घोषणा इसलिए की, ताकि खेलों की भूमिका शांति, समानता और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के रूप में उजागर की जा सके। खेलों को अब एक ऐसा माध्यम माना जा रहा है जो हाशिए पर रहने वाले समूहों को सशक्त बना सकता है और सामाजिक समावेश, शांति तथा न्याय को बढ़ावा दे सकता है। वर्ष 2025 की थीम “लेवलिंग द प्लेइंग फील्ड: स्पोर्ट फॉर सोशल इनक्लूजन” है, जो इस बात पर केंद्रित है कि खेल किस प्रकार सामाजिक चुनौतियों जैसे लैंगिक समानता, नस्लीय समानता और वंचित वर्गों के समावेशन से निपटने का सशक्त माध्यम बन सकते हैं। यह दिन वैश्विक विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ इन मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा।

IDSDP और इसका महत्त्व

आयोजन की तिथि:
अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस फॉर डेवलपमेंट एंड पीस (IDSDP) हर वर्ष 6 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन खेल के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की भूमिका को रेखांकित करता है।

2025 की थीम:
2025 की थीम है — “लेवलिंग द प्लेइंग फील्ड: स्पोर्ट फॉर सोशल इनक्लूजन”। इस थीम का उद्देश्य है खेलों में उम्र, लिंग और नस्ल के भेदभाव को चुनौती देना, समान अवसर प्रदान करना और समावेशी खेल वातावरण तैयार करना।

सामाजिक समावेशन पर फोकस:
इस वर्ष का विशेष ध्यान वंचित वर्गों पर होगा — जैसे महिलाओं, वृद्धजनों और नस्लीय रूप से उपेक्षित समुदायों पर। खेलों को सामाजिक समावेशन का साधन बनाकर समान और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में योगदान देना इसका लक्ष्य है।

शांति और आपसी समझ में खेलों की भूमिका:
खेल सीमाओं से परे जाकर लोगों को जोड़ने का काम करते हैं। ये सहनशीलता, अनुशासन और सम्मान जैसे मूल्यों को बढ़ावा देते हैं, और विविध संस्कृतियों में भी शांति और सह-अस्तित्व की भावना को मजबूत करते हैं।

2025 का स्मारक आयोजन:
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में 2025 में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें मोनाको और क़तर के स्थायी मिशन, UN Women और वैश्विक संचार विभाग भाग लेंगे।
इसमें लैंगिक समानता, स्वस्थ बुढ़ापा और नस्लीय समानता जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी और खेल के ज़रिए सामाजिक समावेशन पर जोर दिया जाएगा।

ओलंपिज़्म365 रणनीति:
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) द्वारा शुरू की गई Olympism365 रणनीति का उद्देश्य खेलों के ज़रिए संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को आगे बढ़ाना है।
यह पहल 176 देशों में 550 सामाजिक प्रभाव कार्यक्रमों का समर्थन करती है और शिक्षा, स्वास्थ्य व समावेशी समाज को बढ़ावा देने का कार्य करती है।

Olympism365 सम्मेलन:
Olympism365 Summit: Sport for a Better World नामक सम्मेलन 3 से 5 जून 2025 तक लॉज़ेन, स्विट्ज़रलैंड में आयोजित होगा।
इसमें ओलंपिक आंदोलन, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और विभिन्न वैश्विक हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, ताकि खेल आधारित विकास कार्यक्रमों के लिए सह-निवेश के अवसरों पर चर्चा की जा सके और उनके समेकित प्रभाव को दर्शाया जा सके।

सुदर्शन पटनायक को फ्रेड डारिंगटन सैंड मास्टर पुरस्कार मिला

सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने कला और संस्कृति के क्षेत्र में पहली बार प्रदान किए गए “फ्रेड डैरिंगटन अवॉर्ड फॉर एक्सीलेंस” को जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्हें यह सम्मान भगवान गणेश की 10 फीट ऊँची रेत की अद्भुत मूर्ति के लिए दिया गया, जो “विश्व शांति” का संदेश देती है। यह अद्वितीय कृति इंग्लैंड के साउथ-वेस्ट डोर्सेट स्थित सैंडवर्ल्ड में नवंबर तक प्रदर्शित की जाएगी। यह पुरस्कार प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट फ्रेड डैरिंगटन की स्मृति में शुरू किया गया है, जो 1925 में वेमाउथ बीच पर पहली बार रेत की मूर्ति बनाकर चर्चित हुए थे। यह पुरस्कार उनके पहले सैंड आर्ट के 100 वर्ष पूरे होने पर स्थापित किया गया है।

पद्मश्री सम्मानित पटनायक सैंडवर्ल्ड जैसे अंतरराष्ट्रीय सैंड आर्ट फेस्टिवल में प्रदर्शित होने वाले पहले भारतीय मूर्तिकार बन गए हैं। उनकी भगवान गणेश की मूर्ति न केवल उनकी अद्वितीय कला को दर्शाती है, बल्कि शांति का सशक्त संदेश भी देती है। उन्हें एक स्वर्ण पदक प्रदान किया गया, जिसमें डैरिंगटन का कैरिकेचर उकेरा गया है, और एक कांच की लहर भेंट की गई जिसमें उनकी खुद की मूर्ति की रेत भरी हुई थी। पटनायक ने यह पुरस्कार अपने प्रशंसकों को समर्पित किया और आशा जताई कि अधिक से अधिक लोग उनकी भगवान गणेश की मूर्ति को देखने अवश्य आएँगे।

मुख्य बिंदु 

फ्रेड डैरिंगटन उत्कृष्टता पुरस्कार
यह पुरस्कार सैंडवर्ल्ड में शुरू किया गया, जिससे प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट फ्रेड डैरिंगटन द्वारा 1925 में पहली बार बनाई गई रेत की मूर्ति के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया गया। इसका उद्देश्य उत्कृष्ट सैंड आर्टिस्ट्स को सम्मानित करना है, जिन्होंने इस कला को सांस्कृतिक और कलात्मक दृष्टिकोण से वैश्विक पहचान दिलाई।

सुदर्शन पटनायक का सम्मान
प्रसिद्ध भारतीय रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक को इस पुरस्कार का पहला प्राप्तकर्ता चुना गया। उन्होंने भगवान गणेश की 10 फीट ऊँची रेत की मूर्ति बनाई, जिसके आधार पर “विश्व शांति” का संदेश उकेरा गया है। यह मूर्ति डोर्सेट के वेमाउथ स्थित सैंडवर्ल्ड में नवंबर 2025 तक प्रदर्शित की जाएगी। उन्हें एक स्वर्ण पदक, जिसमें डैरिंगटन का कैरिकेचर उकेरा गया है, और उनकी मूर्ति की रेत से भरी एक कांच की लहर भेंट की गई।

ऐतिहासिक महत्व
फ्रेड डैरिंगटन ने 1925 में वेमाउथ बीच पर सैंड आर्ट बनाना शुरू किया था और इसी से अपनी जीविका चलाई। उनके पोते मार्क एंडरसन ने 2011 में सैंडवर्ल्ड की स्थापना की और सुदर्शन पटनायक को यह पुरस्कार प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मार्क खुद भी एक सैंड आर्टिस्ट हैं, और उनके इस क्षेत्र में आने के पीछे उनके दादा की प्रेरणा रही है।

पटनायक की यात्रा
पुरी, ओडिशा के रहने वाले सुदर्शन पटनायक को विश्व के प्रमुख रेत कलाकारों में गिना जाता है। उन्होंने बहुत कम उम्र में सैंड आर्ट की शुरुआत की और अब भारत में सैंड आर्ट अकादमी भी संचालित करते हैं। भगवान गणेश की मूर्ति के माध्यम से उन्होंने शांति का संदेश दिया, जिससे भारत की सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती मिली।

सांस्कृतिक प्रभाव
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पटनायक को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी और कहा कि यह सम्मान न केवल पटनायक के लिए गौरव की बात है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।

सारांश / स्थैतिक जानकारी विवरण
चर्चा में क्यों? सुदर्शन पटनायक को कला और संस्कृति में उत्कृष्टता के लिए फ्रेड डैरिंगटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया
पुरस्कार का नाम फ्रेड डैरिंगटन पुरस्कार फॉर एक्सीलेंस इन आर्ट एंड कल्चर
पुरस्कार की शुरुआत सैंडवर्ल्ड, वेमाउथ में, फ्रेड डैरिंगटन की रेत कला यात्रा के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में
प्राप्तकर्ता सुदर्शन पटनायक, प्रसिद्ध भारतीय रेत कलाकार
मूर्ति भगवान गणेश की 10 फीट ऊँची रेत की मूर्ति, जिस पर “विश्व शांति” का संदेश
प्रदर्शनी स्थान सैंडवर्ल्ड, वेमाउथ (डोर्सेट) में नवंबर 2025 तक
प्रदान किए गए पुरस्कार फ्रेड डैरिंगटन की कैरिकेचर वाली स्वर्ण पदक और मूर्ति की रेत से भरी कांच की लहर
पहचान पद्मश्री से सम्मानित, सैंडवर्ल्ड में प्रदर्शित होने वाले पहले भारतीय रेत कलाकार
फ्रेड डैरिंगटन की विरासत 1925 से पेशेवर रूप से रेत मूर्तियाँ बनाना शुरू किया; इस कला के अग्रदूत माने जाते हैं
मार्क एंडरसन की भूमिका फ्रेड डैरिंगटन के पोते और सैंडवर्ल्ड के सह-संस्थापक; उन्होंने पटनायक को पुरस्कार प्रदान किया
मूर्ति का संदेश “विश्व शांति” — भगवान गणेश की मूर्ति के माध्यम से शांति का संदेश

हितेश गुलिया विश्व मुक्केबाजी कप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज

भारत की मुक्केबाज़ी टीम ने ब्राज़ील के फॉज़ डू इगुआसू में आयोजित 2025 वर्ल्ड बॉक्सिंग कप में अपने पहले ही प्रयास में शानदार प्रदर्शन किया। इस प्रतियोगिता में हितेश गुलिया ने इतिहास रचते हुए भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता। वे इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले और अब तक के एकमात्र भारतीय मुक्केबाज़ बने। उनका यह ऐतिहासिक जीत तब और खास बन गई जब फाइनल में उनके प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के ओडेल कैमारा चोट के चलते मुकाबले में नहीं उतर पाए। हितेश की इस उपलब्धि के अलावा, अभिनाश जम्वाल ने 65 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक हासिल किया, जबकि चार अन्य भारतीय मुक्केबाज़ों ने विभिन्न भार वर्गों में कांस्य पदक अपने नाम किए। भारत ने कुल छह पदकों के साथ टूर्नामेंट का समापन किया, जो कि नवगठित वर्ल्ड बॉक्सिंग संस्था द्वारा आयोजित इस एलीट स्तर की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत की पहली भागीदारी के लिए बेहद उल्लेखनीय उपलब्धि रही।

वर्ल्ड बॉक्सिंग कप 2025 में भारतीय मुक्केबाज़ी टीम की प्रमुख उपलब्धियाँ

ऐतिहासिक स्वर्ण पदक
हितेश गुलिया वर्ल्ड बॉक्सिंग कप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज़ बने।

प्रतिद्वंद्वी की चोट
70 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के ओडेल कैमारा चोटिल होने के कारण हिस्सा नहीं ले सके, जिससे हितेश को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।

तैयारी शिविर
हितेश ने अपनी सफलता का श्रेय ब्राज़ील में आयोजित 10-दिवसीय तैयारी शिविर को दिया। इस कैंप ने उनके तकनीकी और रणनीतिक कौशल को निखारने में मदद की।

रणनीतिक मजबूती
शिविर के दौरान सीखी गई रणनीतिक बारीकियों ने फाइनल मुकाबले में निर्णायक भूमिका निभाई, जिससे हितेश को जीत हासिल करने में मदद मिली।

वर्ल्ड बॉक्सिंग कप 2025 में भारतीय मुक्केबाज़ों की अन्य उपलब्धियाँ

रजत पदक विजेता
अभिनाश जम्वाल ने 65 किलोग्राम भार वर्ग में ब्राज़ील के लोकल फेवरेट यूरी रीस के खिलाफ कड़ा मुकाबला किया, लेकिन बेहद करीबी अंतर से हार गए और रजत पदक अपने नाम किया।

कांस्य पदक विजेता

  • जदुमणि सिंह मंदेंगबम (50 किलोग्राम)

  • मनीष राठौर (55 किलोग्राम)

  • सचिन (60 किलोग्राम)

  • विशाल (90 किलोग्राम)

भारतीय दल का प्रदर्शन
भारत ने इस प्रतियोगिता में 10 सदस्यीय टीम भेजी थी। यह पेरिस ओलंपिक के बाद टीम की पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय भागीदारी रही।
छह पदकों के साथ यह प्रदर्शन बेहद सशक्त रहा, जो लॉस एंजेलेस 2028 ओलंपिक की तैयारी के लिए टीम का आत्मविश्वास बढ़ाएगा।

प्रतियोगिता का महत्व
यह टूर्नामेंट भारतीय मुक्केबाज़ों के लिए शानदार अनुभव का जरिया बना। उन्हें पहली बार वर्ल्ड बॉक्सिंग द्वारा आयोजित एलीट स्तर की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भाग लेने का अवसर मिला।
इस प्रदर्शन से भारतीय टीम को भविष्य की अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं और ओलंपिक क्वालिफ़िकेशन की दिशा में नई ऊर्जा और उत्साह मिलेगा।

पश्चिम बंगाल ने नोलेन गुरेर संदेश के लिए जीआई टैग हासिल किया

पश्चिम बंगाल ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। राज्य के सात पारंपरिक उत्पादों को हाल ही में भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्राप्त हुआ है, जिनमें प्रसिद्ध नोलें गुड़र संदेश और बारुईपुर अमरूद शामिल हैं। इस मान्यता से इन पारंपरिक वस्तुओं को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी, जिससे राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और इसकी सांस्कृतिक पहचान और सशक्त होगी।

नवप्राप्त GI टैग से सम्मानित उत्पादों में नोलें गुड़ से बना संदेश, कामारपुकुर का सफेद बोंदे जैसी क्षेत्रीय मिठाइयाँ, कृषि उत्पाद, वस्त्र और हस्तशिल्प शामिल हैं। यह पहल पश्चिम बंगाल द्वारा अपनी अनूठी पारंपरिक वस्तुओं को संरक्षित करने और उन्हें वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने के निरंतर प्रयास का हिस्सा है। इन सात नए उत्पादों के साथ, राज्य में अब कुल 33 GI टैग प्राप्त वस्तुएँ हैं, जो खाद्य पदार्थों से लेकर वस्त्र कला और हस्तकला तक के विविध क्षेत्रों को समेटे हुए हैं।

GI टैग प्राप्त उत्पादों का विस्तृत विवरण – पश्चिम बंगाल

नोलें गुड़र संदेश
यह एक लोकप्रिय बंगाली शीतकालीन मिठाई है, जो छेना (फटे हुए दूध से) और नोलें गुड़ (खजूर के पेड़ का गुड़) से बनाई जाती है।

  • नोलें गुड़ इस मिठाई को गाढ़ा, कारमेल जैसा स्वाद और सुनहरा रंग प्रदान करता है।

  • यह मिठाई बंगाल के घरों में सर्दियों के मौसम में खास स्थान रखती है।

  • गुड़ इसका मुख्य स्वाद घटक है — इसके बिना संदेश अपना विशिष्ट स्वाद खो देता है।

अन्य नवप्राप्त GI टैग वाले उत्पाद

  • कामारपुकुर का सफेद बोंदे
    पारंपरिक मिठाई, जो इस क्षेत्र की विशिष्ट पहचान है।

  • मुर्शिदाबाद का छानाबोरा
    छेना से बना एक प्रसिद्ध बंगाली मिष्ठान्न, जो स्वाद और बनावट के लिए जाना जाता है।

  • बिष्णुपुर का मोतीचूर लड्डू
    यह क्षेत्र अपने खास स्वाद वाले लड्डुओं के लिए प्रसिद्ध है।

  • राधुनिपागल चावल
    यह चावल अपनी अनोखी खुशबू, स्वाद और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है।

  • मालदा का निस्तारी रेशम यार्न
    यह रेशमी धागा चिकनाहट और चमक के लिए प्रसिद्ध है, जो खास तौर पर मालदा में उत्पादित होता है।

GI टैग के प्रभाव

  • इन उत्पादों को वैश्विक मंच पर पहचान मिलेगी और ये घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में नई संभावनाएं खोलेंगे।

  • इससे कारीगरों, किसानों और लघु उद्योगों को आर्थिक मजबूती मिलेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

  • GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि इन उत्पादों का नाम क्षेत्र विशेष से बाहर कोई और नहीं इस्तेमाल कर सकता, जिससे ब्रांड की मौलिकता बनी रहती है।

मिठाई निर्माताओं की चुनौतियाँ

  • नोलें गुड़र संदेश जैसे पारंपरिक मिष्ठानों की शेल्फ लाइफ सिर्फ 7–10 दिन होती है, जो इनके निर्यात में बड़ी बाधा है।

  • एयर कार्गो महंगा होने के कारण इन्हें विदेशों में भेजना मुश्किल और लागतपूर्ण होता है।

  • आधुनिक पैकेजिंग के बावजूद इन मिठाइयों की लंबी उम्र बनाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

प्रचार एवं जागरूकता प्रयास

  • FACSI (फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ कॉटेज एंड स्मॉल इंडस्ट्रीज) पारंपरिक उत्पादों को GI टैग दिलाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

  • मिष्टि उद्योग और बारुईपुर फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी जैसे संगठनों ने GI आवेदन के लिए पहल की है।

  • राज्य के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया है ताकि और भी क्षेत्रीय उत्पादों को GI टैग मिल सके।

भविष्य की योजनाएँ

  • राज्य सरकार अब शक्तिगढ़ का लंगचा, कृष्णनगर का स्वर पुरिया, राणाघाट का पंतुआ और मोगराहाट की सिल्वर क्राफ्ट जैसे उत्पादों के लिए भी GI टैग दिलाने की कोशिश में जुटी है।

  • श्री गुहा के अनुसार, ये उत्पाद केवल खाद्य या शिल्प वस्तुएँ नहीं हैं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं।

दिल्ली ने आयुष्मान भारत योजना लागू की और 35वां राज्य बना

दिल्ली सरकार ने राजधानी में बहुप्रतिक्षित आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान योजना) को लागू करने के लिए केंद्र के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही, दिल्ली इस स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू करने वाला 35वां राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बन गया। पश्चिम बंगाल अब एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसने इस योजना को लागू नहीं किया है। यह योजना भारत सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य पहल है, और अब राष्ट्रीय राजधानी के निवासी भी इसके लाभ उठा सकेंगे। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस निर्णय को एक महत्वपूर्ण प्रगति बताया और कहा कि इससे अधिक से अधिक लोगों को व्यापक स्वास्थ्य कवरेज का लाभ मिलेगा। स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने पूर्ववर्ती आप सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि योजना के क्रियान्वयन में अनावश्यक देरी की गई थी। उन्होंने जानकारी दी कि लाभार्थियों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया 10 अप्रैल 2025 से शुरू होगी। यह योजना पहले से ही देश के 34 अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू है, और अब दिल्ली की भागीदारी इसके दायरे का और विस्तार करती है, जिससे क्षेत्र के लाखों लोगों की स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित होगी।

मुख्य बिंदु

ऐतिहासिक कदम
दिल्ली द्वारा आयुष्मान भारत योजना को औपचारिक रूप से अपनाना एक ऐतिहासिक निर्णय माना गया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसे राजधानी के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य लाभों के विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया।

PMJAY का विवरण
आयुष्मान भारत योजना एक व्यापक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करता है। इस योजना के तहत लाभार्थियों को देशभर के चिन्हित अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाती है।

पूर्व की देरी
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने इस योजना को लागू करने में अनावश्यक देरी की। उन्होंने घोषणा की कि योजना के लिए पंजीकरण प्रक्रिया 10 अप्रैल 2025 से शुरू होगी।

एमओयू पर हस्ताक्षर
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) और दिल्ली सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जो राजधानी में इस योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।

मुख्य लाभ
आयुष्मान भारत योजना पहले से ही 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू है और 50 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ पहुंचा रही है। यह योजना आर्थिक जाति जनगणना पर आधारित है। इसके अतिरिक्त, इसमें 36 लाख फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे आशा कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी शामिल हैं।

राष्ट्रीय प्रभाव
यह योजना अपने व्यापक दायरे और सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रशंसा प्राप्त कर चुकी है, जिससे करोड़ों कमजोर वर्ग के लोगों को स्वास्थ्य और जीवन बीमा के माध्यम से चिकित्सा सेवाएं प्राप्त हो रही हैं।

भारत AI में सबसे अधिक निवेश करने वाले 10 देशों में शामिल

संयुक्त राष्ट्र (UN) की हाल ही में जारी रिपोर्ट में भारत की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति को रेखांकित किया गया है, जिसमें भारत को निजी AI निवेश के मामले में वैश्विक स्तर पर 10वां स्थान प्राप्त हुआ है। वर्ष 2023 में भारत ने लगभग ₹11,943 करोड़ (यूएस$ 1.4 बिलियन) का निजी निवेश आकर्षित किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत AI विकास में अग्रणी देशों में से एक बन गया है। चीन के साथ-साथ भारत एकमात्र ऐसे विकासशील देशों में शामिल है जिन्होंने AI में इतना महत्वपूर्ण निवेश हासिल किया है। यह उपलब्धि वैश्विक AI परिदृश्य में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। साथ ही, भारत की प्रगति संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा जारी ‘फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज़ की तैयारी’ सूचकांक में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जिसमें भारत 2022 में 48वें स्थान से बढ़कर 2024 में 170 देशों में से 36वें स्थान पर पहुंच गया है। यह सुधार इस बात का संकेत है कि भारत भविष्य की तकनीकों में लगातार निवेश कर रहा है, जो वैश्विक उद्योगों को नया आकार दे सकती हैं।

मुख्य बिंदु 

AI में निवेश और वैश्विक रैंकिंग
भारत ने वर्ष 2023 में ₹11,943 करोड़ (यूएस$ 1.4 बिलियन) का निजी निवेश प्राप्त कर वैश्विक स्तर पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में 10वां स्थान प्राप्त किया है। चीन के साथ भारत उन गिने-चुने विकासशील देशों में से एक है, जहाँ AI में इतना अधिक निवेश हो रहा है।

संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के निष्कर्ष
भारत ने UNCTAD के ‘फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज़ की तैयारी’ सूचकांक में अपनी रैंकिंग 2022 में 48वें स्थान से सुधारकर 2024 में 36वें स्थान पर पहुंचा दी है।
विशिष्ट रैंकिंग:

  • ICT तैनाती में: 99वां स्थान

  • कौशल (Skills): 113वां स्थान

  • अनुसंधान एवं विकास (R&D): 3रा स्थान

  • औद्योगिक क्षमता: 10वां स्थान

  • वित्तीय पहुंच: 70वां स्थान

वैश्विक AI निवेश में अग्रणी देश

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: ₹5,71,577 करोड़ (यूएस$ 67 बिलियन) के साथ पहले स्थान पर

  • चीन: ₹66,541 करोड़ (यूएस$ 7.8 बिलियन) के साथ दूसरे स्थान पर

AI का आर्थिक प्रभाव
AI के वर्ष 2033 तक ₹4,09,48,800 करोड़ (यूएस$ 4.8 ट्रिलियन) का वैश्विक आर्थिक प्रभाव डालने की संभावना है, जो उद्योगों में व्यापक बदलाव ला सकता है।

चुनौतियाँ और चिंताएँ

  • रोज़गार पर प्रभाव: AI आधारित ऑटोमेशन से 40% वैश्विक नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है, जिससे बेरोज़गारी और असमानता की आशंका है।

  • कॉर्पोरेट नियंत्रण: 100 वैश्विक कंपनियाँ—मुख्यतः अमेरिका और चीन से—कुल कॉर्पोरेट AI R&D खर्च का 40% नियंत्रित करती हैं, जिससे तकनीक का केंद्रीकरण बढ़ रहा है।

भारत की ताकत और प्रमुख क्षेत्र

  • भारत के पास 1.3 करोड़ सॉफ्टवेयर डेवलपर्स हैं, जो अमेरिका के बाद GitHub गतिविधि में दूसरे स्थान पर हैं।

  • India AI मिशन और IIT AI अनुसंधान केंद्र नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।

  • नैनोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी भारत उभरती तकनीकों में अग्रणी है।

वैश्विक प्रतियोगिता
भारत को विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा का सामना है:

  • पवन ऊर्जा में जर्मनी

  • इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) में जापान

  • 5G वायरलेस नेटवर्क में दक्षिण कोरिया

भविष्य की दिशा
भारत को अपनी स्थिति बनाए रखने और मजबूत करने के लिए AI में अनुसंधान एवं विकास (R&D) और कार्यबल के कौशल विकास में सतत निवेश करना होगा।

पहलू विवरण
समाचार में क्यों? वैश्विक AI निवेश और विकास में भारत की स्थिति
भारत की AI निवेश रैंक 2023 में ₹11,943 करोड़ (US$ 1.4 बिलियन) निजी निवेश के साथ वैश्विक स्तर पर 10वां स्थान
वैश्विक सूचकांक में सुधार UNCTAD ‘Readiness for Frontier Technologies’ इंडेक्स में भारत 2022 में 48वें से बढ़कर 2024 में 36वें स्थान पर पहुंचा
AI निवेश में वैश्विक नेता अमेरिका: ₹5,71,577 करोड़ (US$ 67 बिलियन); चीन: ₹66,541 करोड़ (US$ 7.8 बिलियन)
AI का आर्थिक प्रभाव वर्ष 2033 तक ₹4,09,48,800 करोड़ (US$ 4.8 ट्रिलियन) अनुमानित
वैश्विक रोजगार संकट AI आधारित ऑटोमेशन से 40% वैश्विक नौकरियों पर खतरा
AI R&D में कॉर्पोरेट नियंत्रण 100 वैश्विक कंपनियाँ कॉर्पोरेट AI अनुसंधान एवं विकास खर्च का 40% नियंत्रित करती हैं
भारत की ताकत 1.3 करोड़ सॉफ्टवेयर डेवलपर्स (US के बाद दूसरा स्थान); नैनोटेक्नोलॉजी में उत्कृष्टता
प्रतिस्पर्धी देश जर्मनी (पवन ऊर्जा), जापान (इलेक्ट्रिक वाहन), दक्षिण कोरिया (5G नेटवर्क)
भविष्य की प्राथमिकताएँ AI में अनुसंधान, नवाचार, और कार्यबल कौशल विकास पर निवेश की आवश्यकता

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025: थीम, इतिहास और महत्व

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 को 7 अप्रैल को विश्व स्तर पर मनाया जा रहा है, जो 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना की वर्षगांठ का प्रतीक है। इस वर्ष की थीम “स्वस्थ शुरुआत, आशावान भविष्य” है, जो मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य पर केंद्रित है। इस अवसर पर एक वर्षव्यापी वैश्विक अभियान की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य रोके जा सकने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को घटाना और महिलाओं व नवजातों के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाना है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस हर वर्ष 7 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सरकारों, स्वास्थ्य संस्थानों, नागरिक समाज और व्यक्तियों को सक्रिय करने का मंच प्रदान करता है। हर वर्ष एक विशिष्ट थीम निर्धारित की जाती है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्राथमिक क्षेत्रों को दर्शाती है। इन थीमों का उद्देश्य स्वास्थ्य चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित करना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा नीति स्तर पर हस्तक्षेप को प्रोत्साहित करना होता है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम
इस वर्ष की थीम “स्वस्थ शुरुआत, आशावान भविष्य” (Healthy Beginnings, Hopeful Futures) मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य में सुधार पर केंद्रित है। यह थीम विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक व्यापक वर्षभर चलने वाले वैश्विक अभियान की शुरुआत का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य है:

  • सरकारों और स्वास्थ्य प्रणालियों को प्रेरित करना कि वे रोके जा सकने वाली मातृ एवं नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए अपने प्रयास तेज़ करें।

  • गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोत्तर अवधि के दौरान माताओं के स्वास्थ्य और दीर्घकालिक कल्याण पर ध्यान केंद्रित करना।

  • विशेष रूप से विकासशील क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं और नवजातों के लिए सुलभ और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना।

यह थीम अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाती है कि जीवन की एक स्वस्थ शुरुआत एक सुरक्षित गर्भावस्था और सुरक्षित प्रसव से शुरू होती है। माताओं का स्वास्थ्य सीधे तौर पर शिशुओं, परिवारों और आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य परिणामों को प्रभावित करता है।

मातृ और नवजात स्वास्थ्य की आपातकालीन स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी किए गए चिंताजनक आंकड़ों के अनुसार:

  • हर साल लगभग 300,000 महिलाएँ गर्भावस्था या प्रसव के कारण होने वाली जटिलताओं से मृत्यु को प्राप्त होती हैं।

  • 2 मिलियन से अधिक शिशु अपनी पहली महीने में मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।

  • 2 मिलियन और शिशु मृत पैदा होते हैं, जिनमें से कई समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप से बच सकते थे।

  • यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं क्योंकि इसका अर्थ है हर 7 सेकंड में एक रोका जा सकने वाली मौत।

ये आंकड़े मातृ और नवजात स्वास्थ्य सेवाओं में एक महत्वपूर्ण अंतर को उजागर करते हैं। वर्तमान में जो स्थिति है, वह दर्शाती है कि:

  • 5 में से 4 देश 2030 तक मातृ मृत्यु दर को कम करने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में नहीं बढ़ रहे हैं।

  • 3 में से 1 देश नवजात मृत्यु दर को कम करने के लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहेगा।

यह स्थिति विशेष रूप से निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में एक वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल को प्रदर्शित करती है, जहाँ आवश्यक मातृ और नवजात देखभाल तक पहुँच अभी भी सीमित है।

भारत-श्रीलंका ने भविष्य के लिए ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत और श्रीलंका ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो दोनों देशों के बीच इस तरह का पहला समझौता है। यह पहल लगभग 40 वर्षों बाद आई है, जब भारतीय शांति सेना (IPKF) को श्रीलंका में गृहयुद्ध के दौरान तैनात किया गया था। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोलंबो यात्रा और श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुर कुमारा डिसानायके के साथ हुई चर्चाओं के दौरान संपन्न हुआ। यह दोनों देशों के बीच साझा रणनीतिक दृष्टिकोण और सुरक्षा व विकास के मामलों में बढ़ती परस्पर निर्भरता को दर्शाता है। यह समझौता रक्षा, ऊर्जा, डिजिटल सहयोग और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में केंद्रित दस प्रमुख समझौतों के व्यापक ढांचे का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत और श्रीलंका के बीच साझेदारी को और गहरा करना है।

भारत-श्रीलंका रक्षा समझौता और अन्य समझौतों के प्रमुख बिंदु:

रक्षा सहयोग

  • यह रक्षा सहयोग पर पहला फ्रेमवर्क समझौता ज्ञापन (MoU) है।

  • इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण कार्यक्रम और उच्च स्तरीय वार्तालाप शामिल हैं।

  • यह इस विचार को सुदृढ़ करता है कि दोनों देशों की सुरक्षा एक-दूसरे से जुड़ी हुई है

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका द्वारा भारत की सुरक्षा संबंधी चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता को रेखांकित किया।

  • राष्ट्रपति अनुर कुमारा डिसानायके ने आश्वासन दिया कि श्रीलंकाई भूमि का उपयोग भारत के विरुद्ध नहीं होने दिया जाएगा

ऊर्जा और अवसंरचना

संपूर पावर प्रोजेक्ट

  • इस परियोजना की शिलान्यास समारोह वर्चुअली आयोजित की गई।

  • यह परियोजना श्रीलंका की ऊर्जा सुरक्षा को सशक्त बनाएगी।

मल्टी-प्रोडक्ट ऊर्जा पाइपलाइन परियोजना

  • भारत, श्रीलंका और यूएई के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर।

  • त्रिंकोमाली को ऊर्जा हब के रूप में विकसित करने की योजना।

ग्रिड इंटरकनेक्टिविटी समझौता

  • भारत और श्रीलंका की बिजली ग्रिड को जोड़ने का प्रस्ताव।

  • इससे बिजली व्यापार और विद्युत निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी।

डिजिटल परिवर्तन

  • भारत और श्रीलंका के बीच डिजिटल गवर्नेंस समाधानों को साझा करने के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर।

  • श्रीलंका के डिजिटल परिवर्तन को तेज करने का उद्देश्य।

नवीकरणीय ऊर्जा पहल

सोलर रूफटॉप प्रोजेक्ट

  • 5,000 धार्मिक स्थलों पर रूफटॉप सोलर पैनलों की स्थापना की जाएगी।

  • भारत द्वारा 17 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता से वित्तपोषित।

  • 25 मेगावॉट हरित ऊर्जा उत्पन्न होगी।

  • इसमें हिंदू, बौद्ध, ईसाई और मुस्लिम धार्मिक स्थलों को शामिल किया गया है।

स्वास्थ्य और औषधि

MoU के तहत साझेदारी

  • भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और

  • श्रीलंका के स्वास्थ्य और मास मीडिया मंत्रालय के बीच।

  • उद्देश्य: स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग।

अलग समझौता ज्ञापन

  • इंडियन फार्माकोपिया कमीशन और

  • श्रीलंका की नेशनल मेडिसिन्स रेगुलेटरी अथॉरिटी के बीच।

  • औषधीय मानकों और प्रथाओं में सहयोग सुनिश्चित करने के लिए।

क्षेत्रीय समर्थन और विकास

  • भारत ने 2.4 अरब श्रीलंकाई रुपये की सहायता योजना की घोषणा की।

  • श्रीलंका के पूर्वी प्रांतों के सामाजिक और आर्थिक विकास पर केंद्रित।

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
समाचार में क्यों? भारत-श्रीलंका ने भविष्य के लिए ऐतिहासिक रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए
रक्षा रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन: संयुक्त प्रशिक्षण, सैन्य अभ्यास, उच्चस्तरीय आदान-प्रदान
ऊर्जा सम्पूर पावर प्रोजेक्ट; यूएई के साथ त्रिंकोमाली एनर्जी हब; ग्रिड इंटरकनेक्टिविटी समझौता
डिजिटल परिवर्तन भारत द्वारा श्रीलंका को डिजिटल समाधान साझा करना
नवीकरणीय ऊर्जा 5,000 धार्मिक स्थलों पर सौर ऊर्जा प्रणालियाँ (25 मेगावाट)
स्वास्थ्य एवं औषधि दो समझौता ज्ञापन – एक स्वास्थ्य सेवाओं में सहयोग पर, दूसरा औषधीय मानकों पर
क्षेत्रीय विकास श्रीलंका के पूर्वी प्रांतों के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु ₹2.4 अरब की सहायता

हरियाणा ने दो हड़प्पा स्थलों को संरक्षित पुरातात्विक स्मारक घोषित किया

हरियाणा सरकार ने भिवानी जिले में स्थित दो हड़प्पा सभ्यता स्थलों — मिताथल और टीघराना — को आधिकारिक रूप से संरक्षित पुरातात्विक स्थल और स्मारक घोषित किया है। ये स्थल लगभग 4,400 वर्ष पुराने हैं और इनका ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। ये स्थल प्रारंभिक कृषि समाजों के विकास, नगर नियोजन, शिल्प उद्योग और हड़प्पा व उत्तर-हड़प्पा काल में व्यापार की झलक प्रस्तुत करते हैं। हरियाणा विरासत एवं पर्यटन विभाग द्वारा हरियाणा प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1964 के तहत इन स्थलों को कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है। इस कदम का उद्देश्य इन प्राचीन बस्तियों को अतिक्रमण और क्षति से बचाना है, जिसके लिए अब यहां बाड़बंदी और सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी।

मुख्य बिंदु: कानूनी संरक्षण

हरियाणा सरकार द्वारा 13 मार्च 2025 को एक अधिसूचना जारी की गई, जिसे हरियाणा विरासत एवं पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव कला रामचंद्रन ने जारी किया। इस अधिसूचना के तहत मिताथल और टीघराना स्थलों को हरियाणा प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1964 के अंतर्गत संरक्षित घोषित किया गया है। मिताथल का स्थल लगभग 10 एकड़ में फैला हुआ है और इसे अब औपचारिक रूप से कानूनी सुरक्षा प्राप्त हो गई है।

मिताथल स्थल (हड़प्पा सभ्यता)

मिताथल स्थल की खोज सबसे पहले 1913 में हुई थी, जहां से समुद्रगुप्त (गुप्त वंश) के सिक्कों का एक खजाना प्राप्त हुआ था। इसके बाद 1968 में खुदाई की गई, जिसमें भारत-गंगा दोआब क्षेत्र की ताम्र-कांस्य युगीन संस्कृति (ईसा पूर्व तीसरी से दूसरी सहस्राब्दी) के महत्वपूर्ण प्रमाण मिले। 1965 से 1968 के बीच हुई खुदाइयों में पूर्व-ऐतिहासिक सामग्री जैसे मालाएं (beads) और तांबे के उपकरण पाए गए, जो उस काल की सामाजिक, सांस्कृतिक और तकनीकी प्रगति को दर्शाते हैं।

पुरातात्विक विशेषताएँ

मिताथल स्थल पर हड़प्पा शैली की नगर योजना, वास्तुकला, कला और शिल्प के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं।

मृद्भांड (Pottery): यहाँ से पाई गई मिट्टी की हांड़ियाँ मजबूत लाल रंग की हैं, जो अच्छी तरह से पकाई गई थीं और उन पर काले रंग से पीपल के पत्ते, मछली के शल्क, और ज्यामितीय आकृतियाँ चित्रित थीं।

कलात्मक वस्तुएँ (Artifacts): खुदाई में मालाएं, चूड़ियाँ, टेरीकोटा (मृत्तिका शिल्प) तथा पत्थर, शंख, तांबा, हाथी दांत, और हड्डी से बनी वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं, जो उस काल के विकसित हस्तशिल्प और व्यापार की जानकारी देती हैं।

तिगराना स्थल (उत्तर-हड़प्पा / ताम्रपाषाण संस्कृति)

तिगराना एक प्रमुख पुरातात्विक स्थल है, जिसकी बस्ती लगभग 2400 ईसा पूर्व की मानी जाती है। यह क्षेत्र ताम्रपाषाण कालीन कृषि समुदायों, जिन्हें सोथी समुदाय कहा जाता है, द्वारा बसाया गया था।

यह स्थल हरियाणा के चांग, मिताथल, तिगराना और आस-पास के क्षेत्रों में फैला हुआ था, जहाँ इस संस्कृति के स्पष्ट अवशेष पाए गए हैं। यह बस्ती हड़प्पा के बाद के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को दर्शाती है।

बस्ती की विशेषताएँ

तिगराना स्थल पर पाई गई बस्तियाँ फूस की छतों वाले कच्ची ईंटों से बने घरों की थीं, जिनमें से कुछ के किलेबंद होने की संभावना भी जताई गई है। प्रत्येक बस्ती में 50 से 100 घर पाए गए, जो उस समय की जनसंख्या और सामाजिक संगठन को दर्शाते हैं।

जीवनशैली और उपकरण

यहाँ के निवासी कृषि कार्य करते थे और उन्होंने गाय, बैल और बकरी जैसे पशुओं को पालतू बनाया था। वे पहिए से बनाए गए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करते थे, जिन पर काले और सफेद द्विवर्णीय डिज़ाइनों में चित्रकारी की गई थी। इसके अलावा, उन्होंने तांबे, कांसे और पत्थर के औजारों का भी बड़े पैमाने पर प्रयोग किया।

हस्तशिल्प उद्योग

इस क्षेत्र में मनकों और हरे कार्नेलियन से बने कंगनों की मौजूदगी इस बात की पुष्टि करती है कि यहाँ आभूषण निर्माण और मनका-निर्माण व्यापार प्रचलित था।

खोज और महत्व

तिगराना स्थल से पूर्व-सिसवाल, पूर्व-हड़प्पा और उत्तर-हड़प्पा काल से संबंधित अवशेष प्राप्त हुए हैं, जिससे यह स्थल एक महत्वपूर्ण कालानुक्रमिक (chronological) पुरातात्विक स्थल बन जाता है।

Meta ने लॉन्च किया Llama 4

मेटा (Meta), जिसके सीईओ मार्क ज़ुकरबर्ग हैं, ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए एलएलएएमए-4 (Llama-4) नामक अगली पीढ़ी के बड़े भाषा मॉडल सूट को लॉन्च किया है। यह घोषणा 6 अप्रैल 2025 को की गई। इस सूट में तीन शक्तिशाली एआई मॉडल शामिल हैं – स्काउट (Scout), मैवरिक (Maverick), और बेहेमोथ (Behemoth) – जिन्हें मल्टीमॉडल क्षमताओं और तार्किक सोच के विभिन्न स्तरों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इस रणनीतिक कदम के माध्यम से मेटा अब सीधे ओपनएआई के चैटजीपीटी और गूगल के जेमिनी जैसे प्रमुख एआई प्लेटफॉर्म्स से टक्कर ले रहा है, साथ ही चीन के डीपसीक (DeepSeek) जैसे उभरते वैश्विक खिलाड़ियों को भी जवाब दे रहा है।

मुख्य विशेषताएं और मुख्य बिंदु

  • लॉन्च की तारीख: 6 अप्रैल 2025

  • पेश किए गए मॉडल:

    • स्काउट (Scout): मेटा का दावा है कि यह अब तक का सबसे बेहतरीन मल्टीमॉडल मॉडल है, जो टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो आदि को एकसाथ प्रोसेस करने में सक्षम है।

    • मैवरिक (Maverick): मेटा का प्रमुख एआई असिस्टेंट मॉडल, जिसे उपयोगकर्ताओं की दैनिक जरूरतों के लिए डिज़ाइन किया गया है।

    • बेहेमोथ (Behemoth): मेटा द्वारा विकसित किया गया सबसे शक्तिशाली लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM), जिसे एक “टीचर मॉडल” की भूमिका निभाने के लिए बनाया गया है, यानी अन्य एआई मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

क्षमताएं (Capabilities)

  • टेक्स्ट, इमेज और वीडियो के माध्यम से उन्नत तार्किक विश्लेषण (advanced reasoning) को संभालने में सक्षम।

  • डॉक्यूमेंट समरी, कोड जनरेशन, और विज़ुअल प्रोसेसिंग जैसी जटिल कार्यक्षमताएं प्रदान करता है।

  • उच्च सटीकता और व्यक्तिगत अनुभव (personalization) के साथ मल्टीमॉडल कार्यों के लिए अनुकूल।

प्रदर्शन संबंधी दावे (Performance Claims)

  • Gemma 3, Gemini 2.0, Flash Lite, और Mistral 3.1 जैसे प्रमुख एआई मॉडल्स को प्रदर्शन में पीछे छोड़ता है।

  • Maverick को कोडिंग, तर्कशक्ति (reasoning) और इमेज आधारित कार्यों में GPT-4o और Gemini 2.0 से बेहतर बताया गया है।

  • Scout को अब तक का सबसे सटीक और सक्षम मल्टीमॉडल एआई मॉडल माना जा रहा है।

उपलब्धता (Availability)

  • Scout और Maverick मेटा की वेबसाइट पर नि:शुल्क उपलब्ध हैं।

  • Behemoth फिलहाल पूर्वावलोकन चरण (preview stage) में है और अभी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं कराया गया है।

मेटा की एआई इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश योजना (Meta’s AI Infrastructure & Investment Plans – Hindi)

2025 के लिए निवेश लक्ष्य

  • मेटा ने $65 बिलियन का बजट एआई के विकास और तैनाती (deployment) के लिए निर्धारित किया है।

प्रमुख परियोजनाएं (Key Projects)

  • $10 बिलियन की लागत से लुइज़ियाना में एक विशाल डेटा सेंटर का निर्माण हो रहा है।

  • एआई ऑपरेशनों को शक्ति देने के लिए उच्च प्रदर्शन वाले चिप्स (high-performance chips) की खरीद।

  • एआई अनुसंधान, विकास और तैनाती से जुड़े क्षेत्रों में नई प्रतिभाओं की नियुक्ति

लक्ष्य (Goal)

  • 2025 के अंत तक Meta AI को दुनिया का सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला AI असिस्टेंट बनाना।

  • मेटा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में एआई को सहज रूप से एकीकृत करना।

  • एआई-संचालित स्मार्ट ग्लास और वियरेबल टेक्नोलॉजी की दिशा में विस्तार।

वैश्विक एआई प्रतिस्पर्धा की प्रतिक्रिया (Response to Global AI Competition)

  • DeepSeek से मिल रही चुनौती: चीन की DeepSeek मॉडल्स (R1 और V3) ने Llama-2 को कई बेंचमार्क्स में पीछे छोड़ा।

  • मेटा ने Llama-4 के विकास को तेज करते हुए आंतरिक स्तर पर “AI वॉर रूम्स” बनाए।

  • Behemoth मॉडल को DeepSeek की दक्षता और लागत नवाचारों (efficiency & cost innovations) को रीवर्स-इंजीनियर करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है।

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