संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2026 को ‘अंतरराष्ट्रीय महिला किसान वर्ष’ घोषित किया है, जो वैश्विक कृषि में महिलाओं की अहम भूमिका को पहचानने और उसे मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस पहल का उद्देश्य विकासशील देशों में भूमि अधिकार, तकनीक, बाज़ार पहुंच और कृषि नीतियों में मौजूद लैंगिक असमानताओं को उजागर करना और उन्हें दूर करने के लिए वैश्विक ध्यान आकर्षित करना है।
समाचार में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2026 को आधिकारिक रूप से ‘अंतरराष्ट्रीय महिला किसान वर्ष’ घोषित किया। इसका उद्देश्य महिलाओं की कृषि में भागीदारी और चुनौतियों को वैश्विक मंच पर लाना है। यह भारत जैसे देशों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां लगभग 80% आर्थिक रूप से सक्रिय महिलाएं कृषि कार्य में लगी हैं, लेकिन केवल 8.3% महिलाएं ही भूमि की मालिक हैं।
वैश्विक कृषि में महिलाएं: मुख्य आंकड़े
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महिलाएं वैश्विक खाद्य उत्पादन में लगभग 50% योगदान देती हैं।
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विकासशील देशों में महिलाएं 60–80% खाद्य उत्पादन करती हैं।
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भारत में:
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~80% सक्रिय महिलाएं कृषि कार्य में संलग्न (NFHS)
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केवल 8.3% महिलाओं के पास भूमि स्वामित्व (NFHS)
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76.95% ग्रामीण महिलाएं कृषि कार्य में लगी हैं (PLFS 2023–24)
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महिला किसानों को होने वाली प्रमुख चुनौतियां
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दोहरे कार्यभार का दबाव: खेत और घर दोनों की जिम्मेदारी
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भूमि स्वामित्व की कमी: जिससे ऋण, योजनाओं और निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी बाधित होती है
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डिजिटल अंतर: ~51% ग्रामीण महिलाएं मोबाइल फोन की मालिक नहीं (NSO), जिससे कृषि सलाह से वंचित
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जलवायु संकट: सूखा, बाढ़ जैसी स्थितियों में महिलाएं अधिक प्रभावित
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वित्तीय सहायता की कमी: माइक्रोफाइनेंस उपलब्ध, पर दीर्घकालिक निवेश हेतु अपर्याप्त
महिलाओं के लिए सरकारी योजनाएं
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महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (MKSP): कौशल विकास और संसाधनों की पहुंच
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कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन: उपकरणों पर 50–80% सब्सिडी
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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन: कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 30% फंड महिलाओं के लिए आरक्षित
केस स्टडी: ENACT प्रोजेक्ट (असम)
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साझेदारी: वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम + असम सरकार + नॉर्वे द्वारा वित्तपोषित
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तकनीक: मोबाइल के माध्यम से साप्ताहिक जलवायु सलाह
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लाभ: जलवायु अनुकूल फसलें, स्मार्ट बीज प्रणाली, जानकारी केंद्र
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संलग्न संस्थान: राज्य विभाग, कृषि विश्वविद्यालय
नीतिगत सुझाव – आगे का रास्ता
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लैंगिक दृष्टिकोण आधारित नीति निर्माण: लैंगिक डेटा का उपयोग कर योजनाएं बनाएं
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संसाधनों की पहुंच: भूमि, ऋण, सिंचाई, तकनीक, मौसम जानकारी
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महिला-नेतृत्व वाले कृषि मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा: SHG, कोऑपरेटिव, बाजार पहुंच
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सामाजिक परिवर्तन और नेतृत्व: महिलाओं को योजना, निर्णय और नेतृत्व में शामिल करें
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लैंगिक भेदभाव तोड़ना: महिलाओं की भूमिका को मान्यता और वैधता देना
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उदाहरण: महाराष्ट्र के ‘किसान सखी’ समूह, जो महिलाओं के नेतृत्व में कृषि को बढ़ावा देते हैं
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महत्त्व
2026 में महिला किसानों को वैश्विक मान्यता देना:
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समावेशी विकास और लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा
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जलवायु अनुकूल खाद्य प्रणाली के निर्माण में मदद करेगा
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कृषि अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक असमानताओं को संबोधित करेगा
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वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका को सुदृढ़ करेगा