एग्री स्टैक सम्मेलन में कृषि क्षेत्र में डिजिटल प्रगति पर प्रकाश डाला गया

भारत की डिजिटल कृषि परिवर्तन प्रक्रिया को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) ने 13 जून 2025 को नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में “एग्री स्टैक: डेटा से डिलीवरी की ओर” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस आयोजन में केंद्र और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया और किसान-केंद्रित शासन, योजनाओं की कुशल डिलीवरी और कृषि प्रक्रियाओं में पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी एवं डेटा के एकीकरण पर चर्चा की गई।

क्यों चर्चा में है?

13 जून 2025 को आयोजित इस सम्मेलन के दौरान कृषि मंत्रालय ने कई बड़े घोषणाएँ कीं, जिनमें ₹6,000 करोड़ की विशेष केंद्रीय सहायता (SCA) निधि की घोषणा शामिल है। महाराष्ट्र, केरल, बिहार, ओडिशा और PSB एलायंस के साथ महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अतिरिक्त, डिजिटली सत्यापन योग्य प्रमाणपत्र (DVC) और AI-चालित चैटबॉट की शुरुआत भी की गई।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • कृषि शासन में डेटा-आधारित निर्णय प्रक्रिया को सशक्त करना

  • सरकारी योजनाओं की पारदर्शी और सटीक डिलीवरी सुनिश्चित करना

  • किसानों को भूमि और फसल से जुड़ी जानकारी साझा करने हेतु डिजिटल रूप से सक्षम बनाना

  • राज्यों के बीच डिजिटल बुनियादी ढांचे में सहयोग को बढ़ावा देना

प्रमुख घोषणाएँ और बिंदु

MoU हस्ताक्षरित राज्य

  • महाराष्ट्र, केरल, बिहार, ओडिशा

  • उद्देश्य: किसान रजिस्ट्रियों से लिंक्ड प्रमाणीकरण के माध्यम से डिजिटल ऋण सेवाएं प्रदान करना (PSB Alliance के सहयोग से)

विशेष केंद्रीय सहायता (SCA)

  • कुल राशि: ₹6,000 करोड़

    • ₹4,000 करोड़: किसान रजिस्ट्री हेतु (जिसमें कानूनी वारिस प्रणाली भी शामिल)

    • ₹2,000 करोड़: डिजिटल फसल सर्वेक्षण (DCS) के लिए

  • वितरण: पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर – तेजी से अपनाने को प्रोत्साहित करने हेतु

एग्री स्टैक के घटक

  • किसान ID का एकीकरण निम्न योजनाओं से:

    • पीएम-किसान

    • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)

    • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC)

  • प्रमुख फोकस:

    • जिओ-रेफरेंसिंग

    • डेटा गुणवत्ता मानक

    • यूनिफाइड फार्मर सर्विस इंटरफेस (UFSI) का अनुपालन

नई डिजिटल सेवाओं की शुरुआत

डिजिटली सत्यापन योग्य प्रमाणपत्र (DVC) / किसान पहचान पत्र

  • भूमि और फसल से लिंक्ड प्रमाणपत्र

  • भूमि म्यूटेशन के बाद DigiLocker के माध्यम से निरस्त किया जा सकता है

शिकायत निवारण पोर्टल

  • OTP आधारित लॉगिन

  • बहुभाषी समर्थन और ऑडियो अपलोड सुविधा

किसान प्राधिकरण प्रणाली

  • किसान किसी अन्य व्यक्ति को अपने स्थान पर कार्य करने की अनुमति दे सकते हैं

AI और तकनीक का उपयोग

AI आधारित चैटबॉट (Google Gemini पर आधारित)

  • बहुभाषी प्रश्नों का समर्थन

  • Agri Stack डेटा पर प्रशिक्षित

अन्य AI टूल्स (पायलट चरण में)

  • फसल की पहचान

  • सर्वेयर सत्यापन हेतु फेसियल रिकग्निशन

  • कोड ऑप्टिमाइजेशन सहायता

राज्यों से सीखें – प्रमुख उपयोग के मामले

महाराष्ट्र

  • किसान रजिस्ट्री में भारी संख्या में पंजीकरण

  • Mahavistaar AI हेतु डेटा प्रोविजनिंग इंजन और AI सैंडबॉक्स की मांग

उत्तर प्रदेश

  • 2024 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खरीद में Agri Stack का उपयोग

  • डिजिटल फसल सर्वेक्षण (DCS) में चुनौतियाँ उजागर कीं

कर्नाटक

  • Agri Stack को बैंकिंग, आपदा राहत और मृदा स्वास्थ्य सलाह से जोड़ा गया

पृष्ठभूमि एवं स्थिर तथ्य

  • Agri Stack एक डिजिटल इकोसिस्टम है, जिसे डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन (DAM) के अंतर्गत 2021 में शुरू किया गया था

  • उद्देश्य: भूमि रिकॉर्ड, किसान डेटाबेस, ऋण लिंक और योजनाओं की डिलीवरी को एकीकृत करना

  • आधार और डिजिटल भूमि रिकॉर्ड के माध्यम से किसान पहचान सुनिश्चित की जाती है

  • भूमि संसाधन विभाग (DoLR) समेत केंद्र और राज्य की कई एजेंसियों के डेटा से एकीकरण

महत्व और प्रभाव

  • भारत को डिजिटल कृषि शासन के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बनाना

  • कागजी कार्यवाही और धोखाधड़ी में कमी

  • किसानों को सुरक्षित डेटा स्वामित्व और सेवाओं तक पहुंच

  • पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और राज्यों में नवाचार को बढ़ावा देना

  • डाटा-साझा रूपरेखा और पारदर्शिता को प्रोत्साहन

यह पहल भारत के कृषि परिदृश्य में डिजिटल क्रांति की दिशा में एक ठोस कदम है, जो किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ सरकारी सेवाओं को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाएगा।

मई 2025 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को लोक शिकायत के कुल 67,787 मामले प्राप्त हुए

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) ने मई 2025 के लिए केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS) की 34वीं मासिक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शिकायत निवारण तंत्र में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाती है, जिसमें मामलों के निपटारे और नागरिकों की भागीदारी में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। केवल मई माह में 78,000 से अधिक शिकायतों का समाधान किया गया, और उपयोगकर्ता पंजीकरण में तेजी देखी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि CPGRAMS एक प्रभावी और जवाबदेह शासन का अहम उपकरण बनता जा रहा है।

क्यों चर्चा में है?

13 जून 2025 को जारी CPGRAMS रिपोर्ट में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा लोक शिकायतों के निपटारे में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है – मई 2025 में 78,123 मामलों का समाधान किया गया, जो अप्रैल 2025 के 57,021 से काफी अधिक है। रिपोर्ट में नागरिक शिकायतों की प्रवृत्तियाँ, लंबित मामलों की स्थिति, नए उपयोगकर्ता पंजीकरण, और कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) के साथ एकीकरण जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है।

CPGRAMS के बारे में

  • प्रारंभकर्ता: प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG)

  • उद्देश्य: नागरिकों को विभिन्न सरकारी सेवाओं से संबंधित शिकायतें दर्ज करने और उनकी स्थिति ऑनलाइन ट्रैक करने की सुविधा प्रदान करना

  • एकीकरण: CSCs और ग्राम स्तरीय उद्यमियों (VLEs) के साथ

  • पहुंच: 5 लाख से अधिक CSCs, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी डिजिटल शिकायत निवारण संभव

मई 2025 रिपोर्ट की प्रमुख झलकियाँ

  • प्राप्त शिकायतें (राज्य/केंद्रशासित प्रदेश): 67,787

  • निपटाई गई शिकायतें (राज्य/केंद्रशासित प्रदेश): 78,123

  • लंबित मामले (31 मई 2025 तक): 1,97,787

  • नए पंजीकरण: 60,499 (सबसे अधिक उत्तर प्रदेश से: 10,043)

  • CSC के माध्यम से प्राप्त शिकायतें: 5,653

  • एकत्रित फीडबैक: 65,601 (राज्य/UT से: 26,633)

शिकायत निवारण में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य

  • उत्तर प्रदेश: 26,658 शिकायतों का निवारण (सबसे अधिक प्राप्त शिकायतें भी: 26,634)

  • गुजरात: 14,369 शिकायतों का निवारण

  • 14 राज्य/UT: 1,000 से अधिक शिकायतों का निवारण

रिपोर्ट का महत्व

  • नागरिकों और सरकार के बीच संपर्क को मजबूत करता है

  • राज्यों की शिकायत निवारण क्षमता को ट्रैक करने में मदद करता है

  • लंबित मुद्दों और अड़चनों की पहचान में सहायक

  • CSC एकीकरण के माध्यम से डिजिटल समावेशन को प्रोत्साहन

  • सेवा उत्कृष्टता के लिए ‘सेवोत्तम योजना’ के तहत किए गए प्रयासों को दर्शाता है

केंद्र ने ईवी, हरित ऊर्जा क्षेत्रों के युवाओं को कौशल प्रदान करने हेतु शेल इंडिया के साथ समझौता किया

भारत के युवाओं को वैश्विक हरित अर्थव्यवस्था (ग्रीन इकॉनमी) से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, शेल इंडिया ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत एक संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य ग्रीन स्किल्स और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) तकनीकों पर केंद्रित कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है। यह कार्यक्रम महानिदेशालय-प्रशिक्षण (DGT) के माध्यम से लागू किया जा रहा है और इसमें छात्रों, शिक्षकों और प्रशिक्षकों को ईवी प्रणालियों, बैटरी तकनीक, निदान (डायग्नोस्टिक्स) और सुरक्षा जैसे अत्याधुनिक विषयों में दक्ष बनाया जाएगा। यह बहु-स्तरीय कौशल विकास पहल देश के पांच प्रमुख राज्यों में लागू की जा रही है और इसका उद्देश्य भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण और नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्यों को मजबूती देना है।

क्यों है खबर में?

13 जून 2025 को कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने Shell India के सहयोग से एक नया संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रम लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य युवाओं को ग्रीन स्किल्स एवं इलेक्ट्रिक वाहन (EV) विशेषज्ञता से लैस करना है। यह पहल तब आई है जब भारत अपनी नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्यों को तेज़ी से हासिल करने के लिए प्रयासरत है और EV व नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में कुशल मानवशक्ति की मांग तेजी से बढ़ रही है।

पृष्ठभूमि एवं उद्देश्य

  • संयुक्त पहल: Shell India एवं महानिदेशालय ‑ प्रशिक्षण (DGT), MSDE के अंतर्गत

  • मिलन: Edunet Foundation के साथ सहयोग में विकसित

  • लक्ष्य:

    • ग्रीन तकनीकों एवं EV रख‑रखाव में कुशल, जॉब-रेडी एवं क्लाइमेट-रेडी कार्यबल तैयार करना

    • भारत की नेट-ज़ीरो विजन और बढ़ती EV अवसंरचना के साथ संरेखण

प्रमुख विशेषताएँ

पाठ्यक्रम अवयव

  • इलेक्ट्रिक वाहन प्रणालियाँ एवं डायग्नोस्टिक्स

  • बैटरी प्रबंधन तकनीकें

  • सुरक्षा प्रोटोकॉल एवं डिजिटल उपकरण

  • प्रयोगशाला में व्यावहारिक प्रशिक्षण एवं विशेषज्ञ सत्र

लक्षित राज्य

  • दिल्ली‑एनसीआर

  • गुजरात

  • महाराष्ट्र

  • तमिल नाडु

  • कर्नाटक

प्रशिक्षण संरचना

  • राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (NSTIs):

    • 4 स्थानों पर 240-घंटे का एडवांस्ड EV टेक्नीशियन कोर्स

  • औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITIs):

    • 12 ITIs में 90-घंटे का जॉब-ओरिएंटेड स्किल्स कोर्स (Shell-प्रायोजित लैब्स के साथ)

    • अतिरिक्त ITIs में 50-घंटे का फाउंडेशनल ग्रीन स्किल्स मॉड्यूल (लैब सुविधाओं के बिना)

  • प्रशिक्षक प्रशिक्षण (ToT):

    • 250 से अधिक प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण

प्रमाणीकरण एवं प्लेसमेंट

  • Shell एवं DGT द्वारा सह-ब्रांडेड प्रमाणपत्र

  • प्रशिक्षित उम्मीदवारों के लिए संरचित प्लेसमेंट सहायता

इस पहल का महत्व

  • ग्रीन ऊर्जा जागरूकता और उद्योग-संगत कौशल का संवर्धन

  • उच्च मांग वाले EV एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में युवाओं की रोजगारयोग्यता बढ़ाना

  • उद्योग–शैक्षणिक–सरकारी सहयोग को सुदृढ़ करना

  • भारत के व्यापक जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों का समर्थन

सन फार्मा ने कीर्ति गणोरकर को एमडी नियुक्त किया

भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (Sun Pharmaceutical Industries Ltd) ने किर्ति गणोरकर को नया प्रबंध निदेशक (Managing Director) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति 1 सितंबर 2025 से प्रभावी होगी। यह बदलाव संस्थापक दिलीप संघवी द्वारा कार्यकारी अध्यक्ष (Executive Chairman) की भूमिका संभालने के साथ एक योजनाबद्ध उत्तराधिकार प्रक्रिया का परिणाम है। गणोरकर अब कंपनी के दैनिक संचालन की जिम्मेदारी संभालेंगे, जबकि संघवी कंपनी की दीर्घकालिक रणनीति और स्पेशलिटी पोर्टफोलियो पर ध्यान केंद्रित करते रहेंगे।

क्यों है यह खबर में?

  • तारीख: 14 जून 2025

  • घटना: सन फार्मा ने नेतृत्व परिवर्तन की घोषणा की।

  • यह कदम गवर्नेंस, नवाचार और वैश्विक विस्तार के लिए दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है।

  • यह बदलाव भारत में कंपनी के मजबूत प्रदर्शन और आंतरिक नेतृत्व विकास में विश्वास को दर्शाता है।

किर्ति गणोरकर – पृष्ठभूमि और प्रोफ़ाइल

  • कंपनी से जुड़ाव: 1996 से

  • शैक्षणिक योग्यता: केमिकल इंजीनियरिंग और एमबीए

  • 2019 से: भारत कारोबार के प्रमुख के रूप में निरंतर वृद्धि और मार्केट शेयर में इजाफा किया।

  • पूर्व भूमिकाएँ:

    • बिजनेस डेवेलपमेंट

    • मार्केटिंग

    • विलय एवं अधिग्रहण (M&A)

    • बौद्धिक संपदा एवं मुकदमेबाजी (IP & Litigation)

    • नई दवाओं की शुरुआत और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट

प्रमुख उपलब्धियाँ

  • Ilumya (एक स्पेशलिटी उत्पाद) के अधिकार हासिल किए।

  • जापान में प्रवेश और यूरोपीय बाजार के लिए रणनीतिक तैयारी शुरू की।

  • अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की सफल लॉन्चिंग में सहयोग किया।

नेतृत्व संरचना और पुनर्गठन

  • अब सभी व्यापार और कार्यों की रिपोर्ट किर्ति गणोरकर को की जाएगी।

  • नियुक्ति की मंज़ूरी कंपनी की आगामी AGM में शेयरधारकों द्वारा दी जाएगी।

  • दिलीप संघवी कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बोर्ड में बने रहेंगे।

    • उनका ध्यान स्पेशलिटी सेगमेंट और रणनीतिक दिशा पर केंद्रित रहेगा।

वैश्विक नेतृत्व बदलाव

  • अबय गांधी, प्रेसिडेंट और CEO – नॉर्थ अमेरिका, पद छोड़ेंगे।

  • रिचर्ड ऐसक्रॉफ्ट को नया CEO – नॉर्थ अमेरिका नियुक्त किया गया है।

    • वे आलोक संघवी (Whole-time Director और COO) को रिपोर्ट करेंगे।

Gold Loan की एलटीवी में बढ़ोतरी से NBFC सेक्टर को मिलेगा फायदा

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सोने के गहनों पर ऋण (Gold Loan) देने वाले गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए उच्च ऋण-से-मूल्य (Loan-to-Value या LTV) अनुपात की अनुमति देने के लिए अंतिम निर्देश जारी किए हैं। यह कदम विशेष रूप से कम राशि के कर्जों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है और इससे NBFCs को लचीलापन व विकास के नए अवसर मिलेंगे। हालांकि, सोने की कीमतों में संभावित उतार-चढ़ाव को देखते हुए बेहतर जोखिम प्रबंधन की भी आवश्यकता होगी।

क्यों है यह खबर में?

  • तारीख: 13 जून 2025

  • घटना: क्रिसिल रेटिंग्स (Crisil Ratings) ने RBI के संशोधित अंतिम दिशानिर्देशों का विश्लेषण प्रकाशित किया।

  • प्रभाव:

    • नए नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे।

    • विशेष रूप से ₹2.5 लाख तक के ऋणों के लिए LTV 85% तक बढ़ा दिया गया है (पहले 75%)।

RBI के मुख्य संशोधन – गोल्ड लोन के लिए

  • टियर-आधारित LTV ग्रिड शुरू की गई – यानी ऋण राशि के अनुसार अलग-अलग LTV सीमाएं।

  • बुलेट रीपेमेंट लोन के लिए LTV गणना पद्धति बदली:

    • अब केवल वितरित राशि नहीं, बल्कि ब्याज समेत कुल राशि को ध्यान में रखकर LTV तय होगा।

Crisil Ratings की प्रतिक्रिया

  • यह निर्णय कम आय वर्ग के उधारकर्ताओं को सेवाएं देने वाले NBFCs के लिए लाभकारी है।

  • NBFCs के लगभग 70% गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में ऋण ₹5 लाख से कम के हैं।

दो प्रमुख फायदे:

  1. कानूनी अनुपालन में लचीलापन:

    • अब ब्याज जुड़ने पर भी LTV सीमा पार नहीं होगी, जिससे बुलेट लोन में नियमों का पालन आसान होगा।

  2. लोन देने की गुंजाइश बढ़ेगी:

    • बुलेट लोन में LTV 65–68% से बढ़कर 70–75% तक हो सकता है।

चेतावनी और सावधानी

  • उच्च LTV से सोने की कीमतों में गिरावट आने पर सुरक्षा मार्जिन कम हो सकता है।

  • इसलिए NBFCs को चाहिए कि वे:

    • जोखिम प्रबंधन की रणनीतियाँ मजबूत करें।

    • समय पर नीलामी (Auction) कर सकें ताकि नुकसान कम हो।

कार्यान्वयन समयरेखा

  • नए दिशानिर्देश 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे।

  • NBFCs को अपने सिस्टम, प्रक्रियाओं और अनुपालन ढांचे में बदलाव के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।

समग्र क्षेत्रीय प्रभाव

Crisil का मानना है कि ये परिवर्तन प्रारंभ में ऑपरेशनल समायोजन की मांग करेंगे, लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ होंगे:

  • ऋण वृद्धि (Credit Growth) को समर्थन

  • वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ावा

  • NBFCs की लाभप्रदता में सुधार

निष्कर्ष:

RBI का यह कदम न केवल NBFCs को राहत देगा बल्कि गोल्ड लोन को और अधिक सुलभ, सुरक्षित और प्रभावी बनाएगा – खासकर उन लोगों के लिए जो कम राशि के सुरक्षित ऋण की तलाश में हैं। इससे भारत के वित्तीय क्षेत्र में समावेशी वृद्धि को बल मिलेगा।

भारतीय सेना ने सटीक हमले के लिए रुद्रास्त्र वीटीओएल ड्रोन का सफल परीक्षण किया

भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय सेना ने “रुद्रास्त्र” (Rudrastra) नामक एक वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग (VTOL) मानव रहित हवाई वाहन (UAV) के सफल परीक्षण पूरे किए हैं। यह उन्नत ड्रोन गहराई तक स्ट्राइक मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसे Solar Aerospace and Defence Limited (SDAL) ने विकसित किया है। रुद्रास्त्र की सफलता भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम संकेत है।

क्यों है यह खबर में?

  • परीक्षण स्थल: पोखरण फायरिंग रेंज, राजस्थान

  • घटना: रुद्रास्त्र VTOL ड्रोन ने सफलतापूर्वक फील्ड ट्रायल पास किया

  • प्रसंग:

    • सीमा पर तनाव और घुसपैठ की बढ़ती घटनाओं के बीच

    • भारतीय सेना की स्टैंड-ऑफ स्ट्राइक क्षमता बढ़ाने का प्रयास

    • स्वदेशी रक्षा तकनीक के उपयोग को प्रोत्साहन

रुद्रास्त्र VTOL ड्रोन – मुख्य क्षमताएँ

  • कुल रेंज: 170 किमी (जिसमें लॉयटरिंग समय भी शामिल है)

  • उड़ान समय: अधिकतम 1.5 घंटे

  • वारहेड:

    • एयरबर्स्ट गोला-बारूद से सुसज्जित

    • एंटी-पर्सनल (मानव लक्ष्य) हमलों में प्रभावी

  • स्ट्राइक तंत्र:

    • ऊँचाई से गिराकर व्यापक क्षेत्र में अधिकतम क्षति

  • विशेषताएँ:

    • स्वचालित संचालन करने में सक्षम

    • रीयल-टाइम वीडियो फीड रिले करता है

    • हमले के बाद बेस पर स्वत: लौटने में सक्षम

परीक्षण की मुख्य बातें

  • परीक्षण सीमा: 50 किमी के भीतर सटीक लक्ष्य भेदन

  • लाइव फीड, लक्ष्य पर हमला, और स्वचालित वापसी सफल

  • भारतीय सेना के नेतृत्व में परीक्षण

  • रेंज और पेलोड क्षमता में उन्नयन के साथ सफल ट्रायल

रणनीतिक महत्व

  • Make-in-India के तहत विकसित

  • लक्षित करने में सक्षम:

    • दुश्मन की तोपखाने की पोजिशन

    • आतंकी शिविर

    • घुसपैठ लॉन्च पैड्स

  • भारत की 100 किमी अंदर तक स्टैंड-ऑफ अटैक की क्षमता को बढ़ाता है

  • स्वदेशी ड्रोनों की नई पीढ़ी को प्रोत्साहन

भारतीय रक्षा निर्माताओं की भूमिका

  • कई भारतीय ड्रोन निर्माताओं को परीक्षणों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया

  • विदेशी रक्षा आयातों पर निर्भरता कम करने पर ज़ोर

  • भारत की मानव रहित प्रणालियों (Unmanned Systems) की विशेषज्ञता में वृद्धि

विस्तृत उद्देश्य

  • AI-आधारित और स्वचालित प्लेटफ़ॉर्म के जरिए युद्धक्षेत्र को आधुनिक बनाना

  • निगरानी व रणनीतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करना

  • असामान्य युद्ध (asymmetric warfare) की चुनौतियों के लिए तैयारी

निष्कर्ष:

रुद्रास्त्र ड्रोन का सफल परीक्षण भारत की रक्षा स्वावलंबन नीति को गति देता है और आधुनिक युद्ध की जरूरतों के अनुरूप एक प्रभावी स्टैंड-ऑफ अटैक प्लेटफ़ॉर्म के रूप में इसकी भूमिका को स्थापित करता है। यह भारत के “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के तहत स्वदेशी रक्षा तकनीक के विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है।

DFCC बैंक गिफ्ट सिटी में एनएसई IX पर बॉन्ड सूचीबद्ध करने वाली पहली विदेशी संस्था बन गई

सीमा पार सतत वित्त (Sustainable Finance) के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक विकास के तहत, श्रीलंका के DFCC बैंक पीएलसी (DFCC Bank PLC) ने भारत के गुजरात स्थित GIFT सिटी के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज – इंटरनेशनल एक्सचेंज (NSE IX) पर बॉन्ड सूचीबद्ध (list) कर पहला विदेशी कॉरपोरेट बनने का गौरव प्राप्त किया है। इस माध्यम से DFCC बैंक ने अपने एलकेआर 2.5 अरब (श्रीलंकाई रुपया) मूल्य के ग्रीन बॉन्ड की द्वितीयक लिस्टिंग की है, जो श्रीलंका के वित्तीय क्षेत्र के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप वैश्विक पूंजी बाजारों में बैंक की उपस्थिति को बढ़ाता है।

क्यों है यह खबर में?

  • दिनांक: 9 जून 2025

  • स्थान: ग्रैंड मर्क्योर, GIFT सिटी, गुजरात

  • घटना: DFCC बैंक ने अपना ग्रीन बॉन्ड NSE इंटरनेशनल एक्सचेंज (NSE IX) पर सूचीबद्ध किया

  • महत्व:

    • भारत के GIFT सिटी पर लिस्टिंग करने वाला पहला विदेशी कॉरपोरेट

    • भारत–श्रीलंका पूंजी बाजार सहयोग को मजबूत करता है

    • क्षेत्रीय सतत विकास लक्ष्यों को प्रोत्साहन

    • GIFT सिटी को वैश्विक वित्तीय केंद्र बनाने के भारत के लक्ष्य के अनुरूप

बॉन्ड का विवरण

  • राशि: एलकेआर 2.5 अरब (श्रीलंकाई रुपया)

  • प्राथमिक उपयोग:

    • सौर ऊर्जा परियोजनाओं (छत पर लगे सौर पैनल और ग्राउंड-माउंटेड सोलर प्लांट्स) के लिए वित्तपोषण

    • हरित ऊर्जा लक्ष्यों (Green Energy Goals) में योगदान

रणनीतिक महत्व

  • DFCC बैंक की मल्टीपल लिस्टिंग रणनीति का हिस्सा

    • पहले श्रीलंका में जारी

    • लक्समबर्ग स्टॉक एक्सचेंज में द्वितीय सूचीबद्ध

    • अब भारत के NSE IX में तृतीय सूचीबद्ध

  • सतत वित्त और वैश्विक निवेशकों तक पहुंच को मजबूत करता है

  • श्रीलंका की ग्रीन फाइनेंस में क्षेत्रीय भागीदारी को दर्शाता है

प्रमुख हस्तियां एवं सहभागिता

  • मुख्य अतिथि: के. राजारामन (अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण – IFSCA)

  • DFCC बैंक की ओर से:

    • थिमल परेरा (CEO)

    • प्रिंस परेरा (SVP – कोष, निवेश, और होलसेल बैंकिंग)

  • NSE IX की ओर से:

    • वी. बालासुब्रमण्यम (MD और CEO)

सततता और SDG (Sustainable Development Goals) से संरेखण

  • श्रीलंका की ग्रीन फाइनेंस टैक्सोनॉमी के अनुरूप

  • अंतरराष्ट्रीय ग्रीन बॉन्ड प्रिंसिपल्स (ICMA) का पालन

  • संबंधित संयुक्त राष्ट्र SDGs:

    • SDG 7: सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा

    • SDG 13: जलवायु कार्रवाई

दृष्टिकोण और प्रभाव

  • श्रीलंका का लक्ष्य: 2030 तक 70% बिजली नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करना

  • BIMSTEC क्षेत्र में वित्तीय एकीकरण (financial integration) को प्रोत्साहन

  • दक्षिण एशिया के अन्य जारीकर्ताओं को GIFT सिटी से पूंजी जुटाने के लिए प्रेरित करता है

निष्कर्ष:

DFCC बैंक की यह लिस्टिंग न केवल श्रीलंका के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के GIFT सिटी को एक प्रभावशाली वैश्विक वित्तीय मंच के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी है। यह पहल क्षेत्रीय सहयोग, हरित ऊर्जा निवेश और सतत विकास के वैश्विक एजेंडे को आगे बढ़ाने में सहायक होगी।

भारत ने घरेलू क्षमता बढ़ाने के लिए जापान को दुर्लभ मृदा का निर्यात रोका

भारत सरकार ने अपनी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी IREL (India Rare Earths Limited) को जापान के साथ 13 साल पुराने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earths) के निर्यात समझौते को निलंबित करने का निर्देश दिया है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब चीन द्वारा इन तत्वों के निर्यात पर पाबंदी लगाने के बाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अस्थिरता बढ़ गई है। भारत अब अपने संसाधनों की रक्षा करने, आयात पर निर्भरता (विशेष रूप से चीन पर) कम करने, और घरेलू मूल्यवर्धित रियर अर्थ उद्योग को विकसित करने की दिशा में कदम उठा रहा है।

क्यों है यह खबर में?

भारत सरकार ने IREL को जापान की कंपनी Toyotsu Rare Earths India के साथ द्विपक्षीय समझौते के तहत दुर्लभ तत्वों की आपूर्ति रोकने का निर्देश दिया है।

  • कारण: भारत में घरेलू मांग में तेज़ वृद्धि और स्वदेशी प्रसंस्करण क्षमता (processing capacity) का विकास।

  • संदर्भ: चीन द्वारा दुर्लभ तत्वों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों से वैश्विक बाजार में अस्थिरता।

  • भारत अब एक आत्मनिर्भर रियर अर्थ आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करना चाहता है।

पृष्ठभूमि एवं समझौते का विवरण

  • समझौते का वर्ष: 2012

  • पक्षकार: IREL (भारत) और Toyotsu Rare Earths India (Toyota Tsusho की जापानी सहायक कंपनी)

  • प्रकृति: IREL दुर्लभ तत्वों का खनन करता था, जिन्हें Toyotsu जापान निर्यात हेतु संसाधित करता था।

  • प्रमुख तत्व: मुख्य रूप से Neodymium, जिसका उपयोग EV मोटर के मैग्नेट में होता है।

वर्तमान निर्णय की मुख्य बातें

  • IREL को निर्यात रोकने का निर्देश मिला ताकि घरेलू आपूर्ति सुरक्षित रह सके।

  • वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल की एक उद्योग बैठक में इस निर्णय की जानकारी दी।

  • भारत जापान के साथ मैत्रीपूर्ण समाधान चाहता है, क्योंकि दोनों देशों के राजनयिक संबंध मजबूत हैं।

FY2024 तक की स्थिति

  • Toyotsu ने जापान को 1,000+ मीट्रिक टन दुर्लभ तत्व भेजे।

  • भारत ने कुल 2,900 मीट्रिक टन दुर्लभ तत्वों का खनन किया।

  • चीन की कटौती के कारण भारत में घरेलू मांग तेज़ी से बढ़ी

भारत की दुर्लभ पृथ्वी क्षमताएं और चुनौतियाँ

  • भारत के पास लगभग 6.9 मिलियन मीट्रिक टन के साथ विश्व में 5वां सबसे बड़ा भंडार है।

  • अभी तक भारत के पास मैग्नेट उत्पादन संयंत्र नहीं हैं, और चीन से भारी आयात पर निर्भर है।

  • FY2024-25 में भारत ने 53,748 मीट्रिक टन दुर्लभ तत्व मैग्नेट आयात किए।

  • खनन अधिकार केवल IREL को, जो परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन है।

भविष्य की योजनाएँ 

IREL के लक्ष्य:

  • FY2026 तक 450 मीट्रिक टन Neodymium का निष्कर्षण।

  • 2030 तक उत्पादन को दोगुना करना।

  • संयंत्र:

    • ओडिशा में निष्कर्षण

    • केरल में परिष्करण (refining)

  • घरेलू मैग्नेट निर्माण के लिए निजी कंपनियों से साझेदारी तलाशना।

  • सरकार द्वारा प्रोसेसिंग हेतु प्रोत्साहन योजनाएँ भी विकसित की जा रही हैं।

वैश्विक संदर्भ

  • चीन वैश्विक रियर अर्थ प्रोसेसिंग का 80% से अधिक नियंत्रण करता है।

  • रियर अर्थ का उपयोग इन क्षेत्रों में होता है:

    • इलेक्ट्रिक वाहन

    • पवन टर्बाइन (Wind Turbines)

    • चिकित्सीय इमेजिंग उपकरण

    • स्मार्टफोन और रक्षा उपकरण

  • चीन ने अप्रैल 2025 से दुर्लभ तत्वों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे उद्योग जगत में हड़कंप मच गया है — यह 2010 में जापान पर लगाए गए प्रतिबंधों जैसी स्थिति बनाता है।

निष्कर्ष:

भारत का यह निर्णय “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत में स्थानीय विनिर्माण, रोज़गार सृजन और रणनीतिक संसाधनों की सुरक्षा को बल मिलेगा। साथ ही यह नीति परिवर्तन भारत को दुर्लभ तत्वों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रमुख खिलाड़ी बना सकता है।

ADB ने गुजरात में कौशल विकास को बढ़ावा देने हेतु 109.97 मिलियन डॉलर के ऋण को मंजूरी दी

भारत की कार्यबल क्षमता को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ी पहल के तहत एशियाई विकास बैंक (ADB) ने गुजरात के तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण (TVET) क्षेत्र को मजबूत करने के लिए 109.97 मिलियन अमेरिकी डॉलर के परिणाम-आधारित ऋण को मंज़ूरी दी है। यह पहल गुजरात स्किल्स डेवलेपमेंट प्रोग्राम के माध्यम से कार्यान्वित की जाएगी, जिसका उद्देश्य एक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी, समावेशी और तकनीकी रूप से सुसज्जित कार्यबल तैयार करना है, जो ऑटोमोटिव, लॉजिस्टिक्स, आईटी, हेल्थकेयर और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्रों की मांग को पूरा कर सके।

क्यों है यह खबर में?

ADB ने 13 जून 2025 को गुजरात सरकार के श्रम, कौशल विकास और रोजगार विभाग को 109.97 मिलियन डॉलर का ऋण देने को मंजूरी दी। यह योजना “कौशल्या: द स्किल यूनिवर्सिटी (KSU)” के साथ साझेदारी में चलाई जाएगी। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और गुजरात कौशल विकास योजना (2025–2030) के अनुरूप भारत की औद्योगिक कार्यबल को भविष्य के लिए तैयार करने के व्यापक लक्ष्य का हिस्सा है।

उद्देश्य और दायरा

  • युवाओं को उद्योगोन्मुखी उन्नत कौशल प्रदान करना।

  • TVET प्रणाली के प्रशासन और संस्थागत क्षमता को मजबूत बनाना।

  • भारत के अन्य राज्यों के लिए पुनरुत्पादक (replicable) मॉडल स्थापित करना।

प्रमुख हस्तक्षेप 

  • 11 बड़े औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITIs) का उन्नयन।

  • उन्नत कौशल प्रशिक्षण हेतु उत्कृष्टता केंद्रों (Centers of Excellence) की स्थापना।

  • KSU द्वारा संचालित हब-एंड-स्पोक मॉडल, जो निजी प्रशिक्षण भागीदारों से जुड़ा होगा।

  • उद्योगों के साथ मिलकर इंडस्ट्री-इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रमों का निर्माण।

प्राथमिकता वाले क्षेत्र

  • लॉजिस्टिक्स

  • ऑटोमोबाइल

  • एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग

  • सूचना प्रौद्योगिकी

  • स्वास्थ्य सेवा

  • नवीकरणीय ऊर्जा

  • एग्रीटेक

समावेशन और लैंगिक सशक्तिकरण

  • इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में महिला नामांकन को बढ़ावा देना।

  • 1.75 लाख वंचित वर्गों के युवाओं को प्रशिक्षित करना।

  • 60,000 से अधिक छात्र 2030 तक उन्नत तकनीकी कौशल के साथ स्नातक होंगे।

परिणाम-आधारित ऋण (RBL) की विशेषताएँ

ऋण की राशि कुछ ठोस परिणामों से जुड़ी होगी, जैसे कि:

  • छात्रों की रोज़गार क्षमता में सुधार।

  • KSU की शासन व्यवस्था में मजबूती।

  • वैश्विक प्रमाणन निकायों के साथ साझेदारी।

  • शिक्षक गुणवत्ता और पाठ्य सामग्री का उन्नयन।

सततता और जलवायु लचीलापन

  • हरित निर्माण विशेषताएं और जलवायु सहनशीलता को एकीकृत करना।

  • गुजरात के पर्यावरण-अनुकूल बुनियादी ढांचे और समावेशी विकास के व्यापक लक्ष्यों को समर्थन देना।

एशियाई विकास बैंक (ADB) – एक परिचय

  • स्थापना: 1966

  • सदस्य देश: 69 (जिनमें 50 एशिया-प्रशांत क्षेत्र से हैं)

  • उद्देश्य: एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सतत, समावेशी और लचीला विकास

  • कार्यप्रणाली: रणनीतिक वित्तपोषण, साझेदारी और नवाचार आधारित विकास सहायता

निष्कर्ष:

ADB का यह ऋण गुजरात और भारत दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे न केवल युवाओं को भविष्य के अनुकूल कौशल मिलेंगे, बल्कि यह पहल भारत की आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं को भी मज़बूती देगी।

Cristiano Ronaldo को ईस्पोर्ट्स वर्ल्ड कप 2025 के लिए वैश्विक राजदूत नियुक्त किया गया

फुटबॉल आइकन क्रिस्टियानो रोनाल्डो को ईस्पोर्ट्स वर्ल्ड कप फाउंडेशन (EWCF) द्वारा आधिकारिक तौर पर ईस्पोर्ट्स वर्ल्ड कप 2025 (EWC) के लिए ग्लोबल एंबेसडर घोषित किया गया है। यह नियुक्ति पारंपरिक खेलों और ईस्पोर्ट्स के बीच एक महत्वपूर्ण क्रॉसओवर को चिह्नित करती है, क्योंकि पांच बार बैलन डी’ओर विजेता वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी गेमिंग को बढ़ावा देने के प्रयासों में शामिल हो गया है। यह टूर्नामेंट 7 जुलाई से 24 अगस्त, 2025 तक सऊदी अरब के रियाद में होने वाला है, जिसमें शीर्ष खिलाड़ी, वैश्विक क्लब और रिकॉर्ड तोड़ने वाली पुरस्कार राशि शामिल है।

क्यों है चर्चा में?

13 जून 2025 को Esports World Cup Foundation (EWCF) ने आधिकारिक रूप से क्रिस्टियानो रोनाल्डो को Esports World Cup 2025 (EWC 2025) का ग्लोबल एम्बेसडर घोषित किया। यह नियुक्ति पारंपरिक खेल और ईस्पोर्ट्स के बीच एक ऐतिहासिक मेल है, क्योंकि 5 बार के बैलन डी’ऑर विजेता अब प्रतिस्पर्धी गेमिंग को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देंगे। EWC 2025 का आयोजन 7 जुलाई से 24 अगस्त 2025 तक रियाद, सऊदी अरब में होगा और इसमें 2,000 खिलाड़ी और 200 क्लब 100+ देशों से भाग लेंगे।

रोनाल्डो की भूमिका और ईस्पोर्ट्स में योगदान

एम्बेसडर की भूमिका:

  • पारंपरिक खेलों और ईस्पोर्ट्स के बीच सेतु का कार्य।

  • दुनियाभर के युवाओं और गेमर्स को प्रेरित करना।

  • ईस्पोर्ट्स को मुख्यधारा की प्रतिस्पर्धा के रूप में पहचान दिलाना।

क्रिस्टियानो रोनाल्डो का बयान:

“मैं Esports World Cup का ग्लोबल एम्बेसडर बनकर गौरव महसूस कर रहा हूँ – मैं उन ईस्पोर्ट्स एथलीटों के साथ खड़ा हूँ जो खुद को साबित करते हैं और अगली पीढ़ी को प्रेरित करते हैं।”

EWCF के CEO राल्फ रीशर्ट का कहना:

“एक ग्लोबल एम्बेसडर के रूप में रोनाल्डो पारंपरिक खेल और प्रतिस्पर्धी गेमिंग के बीच की दूरी को पाटते हैं।”

रोनाल्डो का EWCF से पूर्व जुड़ाव

  • 2023 में EWC 2024 के लॉन्च इवेंट में भाग लिया था।

  • 2024 में रियाद में हुए EWC 2024 समापन समारोह में उपस्थित रहे।

  • यह रुझान दर्शाता है कि कैसे विश्व स्तरीय एथलीट अब ईस्पोर्ट्स की दुनिया में कदम रख रहे हैं।

Esports World Cup 2025 – एक दृष्टि में

  • स्थान: रियाद, सऊदी अरब

  • तारीखें: 7 जुलाई – 24 अगस्त 2025

  • प्रतिभागी:

    • 2,000 पेशेवर खिलाड़ी

    • 200 क्लब

    • 100+ देशों से

  • गेम्स और टूर्नामेंट्स:

    • कुल 24 प्रतिस्पर्धी गेम्स में 25 टूर्नामेंट

    • “Fatal Fury: City of the Wolves” गेम में रोनाल्डो एक प्लेएबल कैरेक्टर होंगे

  • इनामी राशि:

    • $70 मिलियन+, जो ईस्पोर्ट्स इतिहास की सबसे बड़ी प्राइज पूल है

नियुक्ति का महत्व

  • वैश्विक पहुंच: रोनाल्डो की लोकप्रियता से टूर्नामेंट को दुनियाभर में प्रचार मिलेगा।

  • क्रॉस-सेक्टर एंगेजमेंट: फुटबॉल और गेमिंग प्रशंसकों के बीच सहभागिता बढ़ेगी।

  • युवा प्रेरणा: प्रतिस्पर्धात्मक डिजिटल गेमिंग को करियर विकल्प के रूप में प्रेरणा मिलेगी।

  • ईस्पोर्ट्स की वैधता: यह संदेश जाता है कि ईस्पोर्ट्स भी कौशल, समर्पण और एथलेटिकिज़्म की मांग करता है।

निष्कर्ष:

क्रिस्टियानो रोनाल्डो का Esports World Cup 2025 से जुड़ना सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक क्रांति है जो पारंपरिक खेलों और डिजिटल प्रतिस्पर्धा के बीच की दूरी को मिटाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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