भारत-वियतनाम संयुक्त पनडुब्बी बचाव सहायता पर सहमत: इसका क्या अर्थ है?

भारत और वियतनाम ने पनडुब्बी खोज और बचाव सहयोग पर पारस्परिक सहायता हेतु समझौता ज्ञापन (MoA) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह महत्वपूर्ण समझौता 15वें भारत–वियतनाम रक्षा नीति संवाद (Defence Policy Dialogue) के दौरान हनोई में हुआ, जिसकी सह-अध्यक्षता भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और वियतनाम के उप रक्षा मंत्री वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल होआंग जुआन चीएन ने की। इस समझौते का उद्देश्य पनडुब्बी से जुड़ी आपात स्थितियों में त्वरित सहायता और सहयोग सुनिश्चित करना है। इसी अवसर पर रक्षा उद्योग सहयोग पर एक आशय पत्र (Letter of Intent – LoI) पर भी हस्ताक्षर किए गए।

मुख्य उद्देश्य और फोकस क्षेत्र

1. पनडुब्बी खोज एवं बचाव सहयोग (Submarine Search and Rescue MoA)

यह समझौता दोनों देशों के बीच पनडुब्बी दुर्घटनाओं या आपात स्थितियों में सहयोग के लिए एक औपचारिक ढाँचा तैयार करता है। इसके अंतर्गत शामिल हैं —

  • समन्वित खोज और बचाव अभियान

  • आवश्यक कर्मियों, उपकरणों और तकनीकी विशेषज्ञता की तैनाती

  • संयुक्त प्रशिक्षण और साझा प्रोटोकॉल, जिससे परिचालन तत्परता सुनिश्चित हो सके

2. रक्षा उद्योग सहयोग (Defence Industry Collaboration)

आशय पत्र (LoI) का उद्देश्य रक्षा निर्माण, प्रौद्योगिकी साझेदारी और संभावित संयुक्त विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देना है।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक महत्व

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती पनडुब्बी गतिविधियों के बीच यह समझौता समुद्री सुरक्षा और पारस्परिक सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। यह दोनों नौसेनाओं को आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाता है और आपसी विश्वास और सामंजस्य को बढ़ावा देता है।

भारत–वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मज़बूती

यह समझौता भारत–वियतनाम के व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) को और गहरा करता है। इससे रक्षा और समुद्री सहयोग दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख स्तंभ के रूप में उभर रहे हैं। यह पहल भारत की “एक्ट ईस्ट नीति” और वियतनाम की क्षेत्रीय समुद्री भूमिका के अनुरूप है।

पनडुब्बी अभियानों में क्षमता निर्माण

यह समझौता दोनों देशों के रक्षा संबंधों की तकनीकी परिपक्वता और रणनीतिक गहराई को दर्शाता है। इससे संयुक्त प्रशिक्षण, सर्वोत्तम प्रक्रियाओं का आदान-प्रदान और भविष्य में पनडुब्बी बचाव तकनीक और नौसैनिक डिज़ाइन में सहयोग की संभावनाएँ खुलती हैं।

मुख्य तथ्य 

तथ्य विवरण
कार्यक्रम 15वाँ भारत–वियतनाम रक्षा नीति संवाद
तिथि नवम्बर 2025
स्थान हनोई, वियतनाम
भारतीय प्रतिनिधि रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह
वियतनामी प्रतिनिधि उप रक्षा मंत्री वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल होआंग जुआन चीएन
मुख्य समझौते पनडुब्बी खोज एवं बचाव सहयोग पर MoA
रक्षा उद्योग सहयोग पर LoI

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2025: भारत के शिक्षा और एकता के अग्रदूत को श्रद्धांजलि

भारत में हर वर्ष 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day) मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है — जो आधुनिक भारतीय शिक्षा प्रणाली के प्रमुख शिल्पकारों में से एक थे। यह दिवस शिक्षा, ज्ञान और राष्ट्रनिर्माण के प्रति उनके समर्पण को सम्मानित करता है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने की घोषणा मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने सितम्बर 2008 में की थी।

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय शिक्षा दिवस?

हर वर्ष 11 नवम्बर को मौलाना आज़ाद के जन्मदिन पर यह दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर देशभर के विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं —

  • शिक्षा सुधारों पर सेमिनार और वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ

  • निबंध लेखन और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएँ, ताकि साक्षरता को बढ़ावा दिया जा सके

  • कार्यशालाएँ और जन-जागरूकता रैलियाँ, जो शिक्षा के अधिकार पर बल देती हैं

इस दिवस का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में सुधार, आधुनिक चुनौतियों पर विचार और सभी के लिए शिक्षा के संवैधानिक अधिकार को दोहराना है।

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद: ज्ञान और दृष्टि के प्रतीक

  • जन्म: 11 नवम्बर 1888, मक्का (सऊदी अरब)

  • आज़ाद न केवल स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक दूरदर्शी शिक्षाविद, पत्रकार और चिंतक भी थे।

  • उन्होंने उर्दू साप्ताहिक “अल-हिलाल” (1912) और “अल-बलाघ” की स्थापना की, जो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रवादी विचारों के सशक्त माध्यम बने।

  • केवल 35 वर्ष की आयु में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे युवा अध्यक्षों में से एक बने (1923)।

  • स्वतंत्रता के बाद (1947–1958) उन्होंने भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया और देश की शिक्षा नीति की नींव रखी।

मौलाना आज़ाद के प्रमुख योगदान

मौलाना आज़ाद ने स्वतंत्र भारत की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। उनके कुछ प्रमुख योगदान —

  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना

  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs) और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु को प्रोत्साहन

  • अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) को सशक्त किया

  • वयस्क साक्षरता, वैज्ञानिक शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा दिया

  • साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी और संगीत नाटक अकादमी की स्थापना कर भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति को प्रोत्साहित किया

उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें 1992 में मरणोपरांत “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस क्यों मौलाना आज़ाद के नाम पर मनाया जाता है?

मौलाना आज़ाद का मानना था कि सच्ची स्वतंत्रता तभी संभव है जब हर नागरिक शिक्षित हो। वे शिक्षा को केवल अकादमिक उपलब्धि नहीं, बल्कि रचनात्मकता, चिंतनशीलता और सामाजिक जागरूकता के माध्यम से राष्ट्र की प्रगति का आधार मानते थे।

अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस बनाम राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

  • राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (भारत): 11 नवम्बर

  • अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस (UN): 24 जनवरी
    (संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित)

2025 का वैश्विक विषय:
AI and Education: Preserving Human Agency in a World of Automation
(“कृत्रिम बुद्धिमत्ता और शिक्षा: स्वचालन के युग में मानवीय स्वतंत्रता की रक्षा”)

दोनों दिवसों का उद्देश्य समान है — सभी के लिए समान, गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करना, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 4 (SDG 4) से जुड़ा है।

मुख्य तथ्य: राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2025

विवरण जानकारी
तिथि 11 नवम्बर 2025
अवसर राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
समर्पित व्यक्तित्व मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (जन्म: 11 नवम्बर 1888)
प्रथम आयोजन वर्ष 2008
आयोजक मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
मुख्य उद्देश्य मौलाना आज़ाद के योगदान को सम्मानित करना और सबके लिए शिक्षा को बढ़ावा देना
प्रमुख संस्थान UGC, IITs, IISc, AICTE, साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी
सम्मान भारत रत्न (1992, मरणोपरांत)
अंतरराष्ट्रीय दिवस 24 जनवरी (UN द्वारा घोषित)

लाल किला विस्फोट 2025 – पूरी घटना का अवलोकन

दिल्ली में 10 नवम्बर 2025 को एक भयानक बम विस्फोट ने राजधानी को हिला दिया। यह धमाका पुरानी दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुआ, जिसमें कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग घायल हुए। विस्फोट के तुरंत बाद पुलिस, एनआईए और आपातकालीन टीमें मौके पर पहुंचीं और पूरे क्षेत्र को घेर लिया। चाँदनी चौक और लाल किला जैसे व्यस्त इलाकों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। घायलों को नजदीकी एलएनजेपी अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां आपात स्थिति घोषित कर दी गई। चश्मदीदों के अनुसार, धमाका लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर खड़ी एक कार में हुआ, जिससे आग और धुआँ तेजी से फैल गया। सुरक्षा एजेंसियाँ देर रात तक मौके पर जांच कर रही हैं, जबकि आईईडी और आतंकी कनेक्शन की भी जांच जारी है। दिल्ली और मुंबई में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, और पूरा देश इस हादसे की ताज़ा जानकारी पर नज़र बनाए हुए है।

लाल किले में विस्फोट में वास्तव में क्या हुआ था?

शाम करीब 6:50 बजे दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास जोरदार बम विस्फोट हुआ, जिसने पूरे इलाके को दहला दिया। यह धमाका उस समय हुआ जब आसपास की सड़कों पर दफ्तर से लौट रहे लोग और खरीददारों की भारी भीड़ थी। चश्मदीदों के अनुसार, विस्फोट के कुछ ही मिनटों में छह गाड़ियाँ और तीन ऑटो रिक्शा जलकर खाक हो गए। चाँदनी चौक और लाल किला क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई, पुलिस सायरन बजाते हुए मौके पर पहुँची और पूरे इलाके को घेर लिया। एनआईए और दिल्ली पुलिस की फॉरेंसिक टीमें तुरंत जांच के लिए घटनास्थल पर पहुँच गईं और सबूत जुटाने में लग गईं। यह कार ब्लास्ट हाल के वर्षों में दिल्ली में हुआ सबसे गंभीर आतंकी हमला माना जा रहा है, जिसके बाद राजधानी में उच्च सतर्कता (हाई अलर्ट) घोषित कर दी गई है।

दिल्ली धमाके में हताहतों की संख्या

रात तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, एलएनजेपी समेत प्रमुख अस्पतालों ने पुष्टि की कि दिल्ली बम विस्फोट में आठ लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं। कई घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है, और अस्पतालों में पीड़ितों के परिजनों की भीड़ लगी हुई है जो ताज़ा खबरों का इंतजार कर रही है। डॉक्टरों के अनुसार, यह हाल के वर्षों में दिल्ली का सबसे भयानक हमला माना जा रहा है।

विस्फोट के कारणों की जांच जारी

फिलहाल दिल्ली पुलिस और एनआईए ने लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोट के कारणों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। प्रारंभिक जांच में आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) या किसी अन्य शक्तिशाली विस्फोटक के इस्तेमाल की आशंका जताई गई है। सूत्रों के अनुसार, यह धमाका किसी बड़े आतंकी षड्यंत्र से जुड़ा हो सकता है, क्योंकि इसी दिन फरीदाबाद में विस्फोटक सामग्री का एक जखीरा भी बरामद किया गया था। सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है, और एक संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ जारी है। लाल किला विस्फोट की असली वजह और इसके पीछे की मंशा का पता लगाने के लिए जांच एजेंसियाँ लगातार काम कर रही हैं।

लाल किला धमाके के बाद दिल्ली में हाई अलर्ट

लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए बम विस्फोट के बाद दिल्ली को उच्चतम सतर्कता (हाई अलर्ट) पर रखा गया है। राजधानी के सभी प्रमुख स्थलों, मेट्रो स्टेशनों और अस्पतालों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। लाल किला, चाँदनी चौक और मेट्रो स्टेशन के आसपास का ट्रैफिक सुरक्षा कारणों से डायवर्ट कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह खुद स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की है। इस बीच एनडीटीवी, ज़ी न्यूज़, इंडिया टीवी जैसे समाचार चैनल लगातार लाइव अपडेट दे रहे हैं, जबकि सोशल मीडिया पर #RedFortBlast और #DelhiNews जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। पूरे दिल्ली में तनाव का माहौल है, और लोग हर नई खबर का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।

दिग्गज फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र का निधन?, सच्चाई या अफवाह, 12वीं पास कर मुंबई पहुंचे धर्मेन्द्र

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेन्द्र, जिन्होंने 1960 के दशक में अपने करियर की शुरुआत की थी और शोले, फूल और पत्थर तथा चुपके-चुपके जैसी फिल्मों से दर्शकों का दिल जीता, लगभग छह दशकों से हिंदी सिनेमा के महत्वपूर्ण चेहरों में शामिल हैं। दिसंबर में वे 90 वर्ष के होने जा रहे हैं। फिलहाल, अभिनेता को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। उनकी बेटी ईशा देओल ने पुष्टि की है कि धर्मेन्द्र की हालत में सुधार हो रहा है।

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धर्मेंद्र का करियर

धर्मेन्द्र ने 1960 में फिल्मफेयर पत्रिका द्वारा आयोजित एक प्रतिभा प्रतियोगिता जीती, जिसके बाद उन्हें हिंदी फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे में काम करने का मौका मिला, यही उनकी फिल्मी पारी की शुरुआत थी। साल 1954 में धर्मेन्द्र ने प्रकाश कौर से विवाह किया। बाद में, 1980 के दशक की शुरुआत में उन्होंने अभिनेत्री हेमा मालिनी से शादी की, हालांकि उन्होंने अपनी पहली पत्नी को तलाक नहीं दिया। धर्मेन्द्र को भारतीय सिनेमा के इतिहास के सबसे सफल और लोकप्रिय अभिनेताओं में गिना जाता है। पांच से अधिक दशकों तक फैले अपने करियर में उन्होंने न केवल एक्शन फिल्मों से बल्कि रोमांटिक और कॉमेडी भूमिकाओं से भी दर्शकों का दिल जीता। अपने शानदार व्यक्तित्व और दमदार अंदाज के कारण वे लंबे समय तक बॉलीवुड के “ही-मैन” के रूप में मशहूर रहे।

प्रारंभिक जीवन और करियर की शुरुआत

  • पूरा नाम: धर्मेन्द्र केवल कृष्ण देओल

  • जन्मस्थान: लुधियाना, पंजाब

  • पहली फिल्म: दिल भी तेरा हम भी तेरे (1960)
    धीरे-धीरे अपनी सशक्त अदाकारी और आकर्षक व्यक्तित्व के बल पर धर्मेन्द्र ने बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई और शीघ्र ही एक सुपरस्टार के रूप में उभरे।

प्रसिद्ध फ़िल्में और करियर की ऊँचाइयाँ

“ही-मैन” की उपाधि उन्हें उन दमदार भूमिकाओं के लिए मिली, जिनमें वे साहस, शक्ति और नायकत्व का प्रतीक बने।

कुछ प्रमुख फ़िल्में:

  • फूल और पत्थर (1966) – पहली बड़ी हिट फ़िल्म

  • मेरा गाँव मेरा देश (1971) – अभिनय की परिपक्वता का उदाहरण

  • यादों की बारात (1973) – संगीत और भावनाओं का बेहतरीन संगम

  • बेताब (1983) – उनके पुत्र सनी देओल की पहली फ़िल्म

  • घायल (1990) – एक्शन और संवेदना का संगम

  • शोले (1975), चुपके चुपके (1975) – उनके सर्वाधिक यादगार अभिनय में से एक

व्यक्तिगत जीवन

धर्मेन्द्र ने वर्ष 1954 में प्रकाश कौर से विवाह किया। बाद में उन्होंने अभिनेत्री हेमा मालिनी से विवाह किया, जो बॉलीवुड की सबसे चर्चित जोड़ियों में से एक रही।

संतानें:

  • सनी देओल, बॉबी देओल (प्रकाश कौर से)

  • ईशा देओल, अहाना देओल (हेमा मालिनी से)

  • अजीता और विजेता (प्रकाश कौर से)

उनके पुत्र सनी और बॉबी देओल हिंदी सिनेमा के प्रमुख अभिनेता हैं, वहीं ईशा और अहाना ने भी फिल्म और प्रोडक्शन क्षेत्र में कार्य किया है।

सम्मान और उपलब्धियाँ

  • पद्म भूषण (2012): भारत सरकार द्वारा कला क्षेत्र में योगदान हेतु प्रदान किया गया।

  • फिल्मफेयर पुरस्कार: सर्वश्रेष्ठ अभिनेता श्रेणी में कई बार नामांकन और पुरस्कार।
    धर्मेन्द्र को न केवल उनकी फिल्मों के लिए बल्कि भारतीय फिल्म उद्योग को आकार देने में उनके योगदान के लिए भी याद किया जाएगा।

परीक्षा हेतु प्रमुख तथ्य

तथ्य विवरण
पूरा नाम धर्मेन्द्र देओल
जन्म तिथि 8 दिसंबर 1935
अभी का आयु 89 वर्ष
प्रमुख फ़िल्में शोले, फूल और पत्थर, चुपके चुपके
उपनाम बॉलीवुड का “ही-मैन”
कुल फ़िल्में 300 से अधिक
सम्मान पद्म भूषण (2012), फिल्मफेयर पुरस्कार

भारत में आगामी चुनाव 2025-2029: चुनाव वाले राज्यों और उनके चुनाव वर्षों की पूरी सूची

भारत का राजनीतिक परिदृश्य 2025 से 2029 के बीच कई अहम चुनावी घटनाओं से भरा रहेगा। दिल्ली और बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव इस राजनीतिक यात्रा की शुरुआत करेंगे, जबकि तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, गुजरात जैसे बड़े राज्यों में अगले वर्षों में चुनाव होंगे। ये चुनाव न केवल क्षेत्रीय नेतृत्व का फैसला करेंगे बल्कि आने वाले 2029 के आम चुनावों (लोकसभा चुनाव) की दिशा भी तय करेंगे।

भारत का राजनीतिक रोडमैप (2025–2029)

आने वाले वर्षों में देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे जो राष्ट्रीय राजनीति के भविष्य को आकार देंगे।
2025 में दिल्ली और बिहार, फिर क्रमशः दक्षिण, पूर्व और उत्तर भारत के राज्यों में चुनावी लहर चलेगी।

यह दौर सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी INDIA ब्लॉक दोनों के लिए एक बड़ी परीक्षा साबित होगा, जिससे 2029 के लोकसभा चुनावों की रणनीति प्रभावित होगी।

भारत में आगामी चुनाव 2025–2029 (वर्षवार सारांश)

राज्य / क्षेत्र वर्तमान कार्यकाल राज्यसभा सीटें संभावित चुनाव अवधि
दिल्ली 24 फ़रवरी 2020 – 23 फ़रवरी 2025 3 फ़रवरी–मार्च 2025
बिहार 23 नवम्बर 2021 – 22 नवम्बर 2025 16 अक्टूबर–नवम्बर 2025
असम 21 मई 2021 – 20 मई 2026 7 अप्रैल–मई 2026
केरल 24 मई 2021 – 23 मई 2026 9 अप्रैल–मई 2026
तमिलनाडु 11 मई 2021 – 10 मई 2026 18 अप्रैल–मई 2026
पश्चिम बंगाल 8 मई 2021 – 7 मई 2026 16 अप्रैल–मई 2026
पुडुचेरी 16 जून 2021 – 15 जून 2026 1 मई–जून 2026
गोवा 15 मार्च 2022 – 14 मार्च 2027 1 फ़रवरी–मार्च 2027
मणिपुर 14 मार्च 2022 – 13 मार्च 2027 1 फ़रवरी–मार्च 2027
पंजाब 17 मार्च 2022 – 16 मार्च 2027 7 फ़रवरी–मार्च 2027
उत्तर प्रदेश 23 मई 2022 – 22 मई 2027 31 अप्रैल–मई 2027
गुजरात 12 दिसम्बर 2022 – 11 दिसम्बर 2027 11 नवम्बर–दिसम्बर 2027
हिमाचल प्रदेश 12 दिसम्बर 2022 – 11 दिसम्बर 2027 3 नवम्बर–दिसम्बर 2027
छत्तीसगढ़ 5 दिसम्बर 2023 – 4 दिसम्बर 2028 5 नवम्बर–दिसम्बर 2028
मध्य प्रदेश 5 दिसम्बर 2023 – 4 दिसम्बर 2028 11 नवम्बर–दिसम्बर 2028
राजस्थान 5 दिसम्बर 2023 – 4 दिसम्बर 2028 10 नवम्बर–दिसम्बर 2028
तेलंगाना 5 दिसम्बर 2023 – 4 दिसम्बर 2028 7 नवम्बर–दिसम्बर 2028
कर्नाटक 14 मई 2023 – 13 मई 2028 12 अप्रैल–मई 2028
मेघालय 23 मार्च 2023 – 22 मार्च 2028 1 फ़रवरी–मार्च 2028
नागालैंड 23 मार्च 2023 – 22 मार्च 2028 1 फ़रवरी–मार्च 2028
त्रिपुरा 23 मार्च 2023 – 22 मार्च 2028 1 फ़रवरी–मार्च 2028
मिज़ोरम 6 दिसम्बर 2023 – 5 दिसम्बर 2028 1 नवम्बर–दिसम्बर 2028
आंध्र प्रदेश 6 जून 2024 – 5 जून 2029 11 मई–जून 2029
ओडिशा 6 जून 2024 – 5 जून 2029 10 मई–जून 2029
अरुणाचल प्रदेश 6 जून 2024 – 5 जून 2029 1 मई–जून 2029
सिक्किम 6 जून 2024 – 5 जून 2029 1 मई–जून 2029
जम्मू और कश्मीर 8 अक्टूबर 2024 – 7 अक्टूबर 2029 4 सितम्बर–अक्टूबर 2029
हरियाणा 8 अक्टूबर 2024 – 7 अक्टूबर 2029 5 सितम्बर–अक्टूबर 2029
महाराष्ट्र 23 नवम्बर 2024 – 22 नवम्बर 2029 19 अक्टूबर–नवम्बर 2029
झारखंड 23 नवम्बर 2024 – 22 नवम्बर 2029 6 अक्टूबर–नवम्बर 2029
भारतीय संसद (लोकसभा) 6 जून 2024 – 5 जून 2029 245 मई–जून 2029

इन चुनावों का भारत के भविष्य पर प्रभाव

हर राज्य चुनाव का असर राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ेगा —

  • भाजपा (BJP) अपने मजबूत गढ़ जैसे उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में प्रभुत्व बनाए रखने की कोशिश करेगी।

  • कांग्रेस और क्षेत्रीय दल (जैसे तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, भारत राष्ट्र समिति) अपने-अपने राज्यों में प्रभाव बढ़ाने की दिशा में रणनीति बनाएंगे।

  • दक्षिण और पूर्वी राज्यों — तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल — के रुझान भविष्य के गठबंधन समीकरणों का संकेत दे सकते हैं।

इन राज्यों के परिणाम 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक जनमत, नेतृत्व की ताकत और गठबंधन की संभावनाओं को स्पष्ट करेंगे।

ब्रह्मांड में कितनी आकाशगंगाएँ मौजूद हैं?

ब्रह्मांड एक असीम रहस्य है, जिसमें असंख्य तारे, ग्रह और आकाशगंगाएँ (Galaxies) अनगिनत दूरियों तक फैली हुई हैं। खगोलविद (Astronomers) सदियों से रात के आसमान का अध्ययन करते आ रहे हैं ताकि यह समझ सकें कि यह कितना विशाल है। आधुनिक तकनीक और शक्तिशाली दूरबीनों की मदद से वैज्ञानिक अब पहले से कहीं गहराई तक अंतरिक्ष का अन्वेषण कर रहे हैं — यह जानने के लिए कि ब्रह्मांड में कुल कितनी आकाशगंगाएँ हो सकती हैं।

आकाशगंगाओं की खोज (Discovery of Galaxies)

एक समय था जब लोग मानते थे कि मिल्की वे (आकाशगंगा) ही पूरा ब्रह्मांड है। लेकिन 1920 के दशक में खगोलशास्त्री एडविन हबल (Edwin Hubble) ने एक ऐतिहासिक खोज की — उन्होंने यह पाया कि जिन “नेबुला” (धुंधले बादलों) को लोग मिल्की वे का हिस्सा समझते थे, वे वास्तव में स्वतंत्र आकाशगंगाएँ थीं, जो हमारी आकाशगंगा से बहुत दूर स्थित हैं।
इस खोज ने हमारे ब्रह्मांड की संरचना और उसके आकार के बारे में मानवता की समझ को पूरी तरह बदल दिया।

आकाशगंगाओं के प्रकार (Different Types of Galaxies)

आकाशगंगाएँ आकार और संरचना में एक-दूसरे से भिन्न होती हैं। मुख्यतः तीन प्रकार की आकाशगंगाएँ होती हैं —

  1. सर्पिल आकाशगंगाएँ (Spiral Galaxies):
    इनमें एक चमकीला केंद्र होता है जिसके चारों ओर भुजाएँ सर्पिल रूप में घूमती हैं। हमारी मिल्की वे (Milky Way) भी इसी प्रकार की है।

  2. दीर्घवृत्ताकार आकाशगंगाएँ (Elliptical Galaxies):
    ये गोल या अंडाकार होती हैं और मुख्यतः पुराने तारों से बनी होती हैं। इनमें नए तारे बहुत कम बनते हैं।

  3. अनियमित आकाशगंगाएँ (Irregular Galaxies):
    इनका कोई निश्चित आकार नहीं होता। अक्सर ये दो आकाशगंगाओं के आपस में टकराने या मिल जाने के बाद बनती हैं।

हर प्रकार की आकाशगंगा यह दिखाती है कि ब्रह्मांड में समय के साथ तारों और पदार्थ का निर्माण व परिवर्तन कैसे होता है।

ब्रह्मांड में कितनी आकाशगंगाएँ हैं? (How Many Galaxies Exist?)

नासा (NASA) के हबल स्पेस टेलीस्कोप जैसी दूरबीनों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, प्रेक्षण योग्य ब्रह्मांड (Observable Universe) में लगभग 100 से 200 अरब आकाशगंगाएँ हो सकती हैं।
हर आकाशगंगा में अरबों तारे और असंख्य ग्रह मौजूद हैं।
जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ेगी, वैज्ञानिक उन आकाशगंगाओं का भी पता लगा सकते हैं जो अभी बहुत दूर या बहुत धुंधली हैं और हमें दिखाई नहीं देतीं।

आकाशगंगाएँ कहाँ पाई जाती हैं? (Where Are Galaxies Found?)

आकाशगंगाएँ पूरे अंतरिक्ष में समान रूप से फैली नहीं हैं। वे समूहों (Clusters) में बनती हैं।
कई समूह मिलकर सुपरक्लस्टर (Superclusters) बनाते हैं।
ये समूह कॉस्मिक फिलामेंट्स (Cosmic Filaments) नामक पदार्थ की लंबी डोरियों से जुड़े होते हैं, जिनके बीच विशाल खाली स्थान (Voids) होते हैं।
यह जाल जैसी संरचना वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करती है कि ब्रह्मांड का निर्माण कैसे हुआ और यह आज भी कैसे फैल रहा है

आकाशगंगाएँ क्यों महत्वपूर्ण हैं? (Why Galaxies Matter?)

आकाशगंगाएँ हमेशा परिवर्तनशील होती हैं। वे टकराती हैं, आपस में मिलती हैं और नए तारे बनाती रहती हैं।
कई आकाशगंगाओं के केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल (Supermassive Black Hole) होते हैं जो अत्यधिक ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं।

आकाशगंगाओं का अध्ययन करने से वैज्ञानिक यह जान पाते हैं —

  • ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई,

  • यह समय के साथ कैसे विकसित हो रहा है,

  • और भविष्य में इसका स्वरूप क्या हो सकता है।

संक्षेप में 

विषय विवरण
मुख्य खोजकर्ता एडविन हबल (1920 के दशक में)
हमारी आकाशगंगा का नाम मिल्की वे (आकाशगंगा)
आकाशगंगाओं की संख्या (अनुमानित) 100–200 अरब
मुख्य प्रकार सर्पिल, दीर्घवृत्ताकार, अनियमित
वैज्ञानिक उपकरण हबल स्पेस टेलीस्कोप, जेम्स वेब टेलीस्कोप आदि
महत्व ब्रह्मांड की उत्पत्ति, संरचना और भविष्य को समझने में सहायक

विश्व विज्ञान दिवस 2025

हर साल 10 नवंबर को पूरी दुनिया विश्व शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस मनाती है। इसे यूनेस्को (UNESCO) ने 2001 में स्थापित किया था। इस दिवस का उद्देश्य यह दिखाना है कि विज्ञान किस तरह से शांति को बढ़ावा देता है, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करता है और मानव जीवन को बेहतर बनाता है।

वर्ष 2025 की थीम

“Trust, Transformation, and Tomorrow: The Science We Need for 2050”
(विश्वास, परिवर्तन और भविष्य: 2050 के लिए आवश्यक विज्ञान)

यह थीम छात्रों और युवाओं को प्रेरित करती है कि वे वैज्ञानिक सोच और रचनात्मकता के माध्यम से एक अधिक शांतिपूर्ण और टिकाऊ विश्व बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएँ।

विश्व विज्ञान दिवस का महत्व

यह दिवस विज्ञान और समाज के बीच संबंध को मजबूत करता है ताकि वैज्ञानिक प्रगति केवल वैज्ञानिक समुदाय तक सीमित न रह जाए, बल्कि आम जनता तक पहुँचे और उनके जीवन को बेहतर बनाए।

यह दिवस निम्न बातों पर ज़ोर देता है —

  • जलवायु परिवर्तन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और संसाधन प्रबंधन जैसे वैश्विक मुद्दों पर विज्ञान का प्रभाव

  • वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रों और संस्कृतियों के बीच सहयोग की आवश्यकता

  • विज्ञान शिक्षा की भूमिका — शांति, सहिष्णुता और सतत विकास को बढ़ावा देने में

छात्रों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह दिवस

विज्ञान को अक्सर कठिन और तकनीकी विषय माना जाता है, लेकिन यह दिवस छात्रों को बताता है कि —

  • विज्ञान हर जगह है — मोबाइल फ़ोन, कृषि, दवा, पर्यावरण, ऊर्जा आदि में।

  • यह सवाल पूछने और समस्याएँ सुलझाने की सोच विकसित करता है।

  • विज्ञान उन्हें ज्ञान के माध्यम से असमानताओं, स्वास्थ्य संकटों और पर्यावरणीय क्षति से निपटने की शक्ति देता है।

  • यह केवल एक करियर नहीं, बल्कि परिवर्तन का साधन है — और छात्रों के विचार महत्वपूर्ण हैं।

विज्ञान शांति और विकास में कैसे मदद करता है

विज्ञान और नवाचार ऐसे समाधानों का निर्माण करते हैं जो संघर्ष के मूल कारणों — जैसे संसाधनों की कमी, जलवायु आपदाएँ और स्वास्थ्य संकट — को कम करते हैं।
यह राष्ट्रों के बीच सहयोग और विश्वास को भी बढ़ावा देता है।

उदाहरण के लिए —

  • कृषि में नवाचार से खाद्य संकट रोका जा सकता है।

  • टीकाकरण और स्वास्थ्य अनुसंधान से महामारी नियंत्रित होती हैं।

  • अक्षय ऊर्जा तकनीक पर्यावरण को संरक्षित रखती है।

छात्र कैसे मना सकते हैं यह दिवस

छात्र निम्न तरीकों से इस दिवस को सार्थक बना सकते हैं —

  • विज्ञान मेले या प्रदर्शनियाँ आयोजित करना जिनका विषय “शांति और विज्ञान” हो।

  • कार्यशालाएँ और चर्चाएँ आयोजित करना कि विज्ञान वैश्विक समस्याओं को कैसे सुलझा सकता है।

  • सोशल मीडिया पर विज्ञान से जुड़ी जानकारी और तथ्य साझा करना।

  • वैज्ञानिकों या पर्यावरणविदों के साथ संवाद सत्र आयोजित करना।

  • छोटे प्रयोग या नवाचार प्रोजेक्ट तैयार करना।

इन गतिविधियों से छात्रों को यह समझने में मदद मिलती है कि उनकी जिज्ञासा और मेहनत मानवता और पृथ्वी की भलाई में योगदान देती है।

युवा: भविष्य के वैज्ञानिक नवाचारों के वाहक

विज्ञान एक सतत यात्रा है — और छात्र इस यात्रा के भविष्य हैं।
वे आने वाले संकटों और अवसरों का सामना करने के लिए वैज्ञानिक सोच, तथ्यों और नवाचार के माध्यम से समाधान तैयार करेंगे।

युवा वर्ग के सामने यह ज़िम्मेदारी है कि —

  • वे विज्ञान में विश्वास बढ़ाएँ,

  • भ्रम और गलत जानकारी का मुकाबला करें,

  • और सत्य, अनुसंधान और सहयोग के माध्यम से समाज में सुधार लाएँ।

मुख्य तथ्य

बिंदु विवरण
दिवस का नाम विश्व शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस (World Science Day for Peace and Development)
तारीख 10 नवंबर
स्थापना यूनेस्को द्वारा, वर्ष 2001 में
2025 की थीम “Trust, Transformation, and Tomorrow: The Science We Need for 2050”
मुख्य उद्देश्य विज्ञान को समाज से जोड़ना, शांति और सतत विकास को बढ़ावा देना
छात्रों के लिए संदेश विज्ञान को समझना, प्रयोग करना और दुनिया को बेहतर बनाने में योगदान देना
महत्व विज्ञान में सार्वजनिक विश्वास बढ़ाना और शिक्षा के माध्यम से गलत सूचना का मुकाबला करना

अब आधार पर आपका पूरा नियंत्रण: नया ऐप लाया एआई, गोपनीयता उपकरण और बायोमेट्रिक लॉक फीचर

भारत की डिजिटल पहचान प्रणाली में बड़ा परिवर्तन लाते हुए, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने एक अपग्रेडेड आधार मोबाइल ऐप लॉन्च किया है, जिसमें उन्नत सुरक्षा और प्रमाणीकरण (Authentication) फीचर्स शामिल हैं। यह नया ऐप 140 करोड़ से अधिक नागरिकों के लिए डिजिटल पहचान प्रबंधन को और सशक्त बनाता है, जिसमें एआई-संचालित फेस ऑथेंटिकेशन, बायोमेट्रिक लॉक, और क्यूआर-आधारित पहचान सत्यापन जैसे फीचर्स शामिल हैं — जिससे आधार उपयोग अधिक सुरक्षित, सहज और उपयोगकर्ता-केंद्रित बन गया है।

एआई-संचालित फेस ऑथेंटिकेशन

इस नए ऐप की सबसे बड़ी विशेषता है कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित फेस रिकग्निशन तकनीक, जो सीधे उपयोगकर्ता की आधार फोटो से जुड़ती है —

  • अब बिना फिंगरप्रिंट या आइरिस स्कैन के संपर्करहित (Contactless) पहचान सत्यापन संभव है।

  • यह प्रक्रिया न केवल उपयोगकर्ताओं बल्कि सेवा प्रदाताओं के लिए भी सरल बनाती है।

  • भौतिक बायोमेट्रिक उपकरणों पर निर्भरता घटती है, जिससे यह तरीका अधिक सुलभ और स्वच्छ बनता है।

यह नवाचार भारत की डिजिटल-प्रथम शासन (Digital-First Governance) की दृष्टि के अनुरूप है, जो उपयोगकर्ताओं को केवल एक फेस स्कैन से अपनी पहचान प्रमाणित करने की सुविधा देता है।

उन्नत गोपनीयता और डेटा साझा करने का नियंत्रण

UIDAI ने इस ऐप में गोपनीयता संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है —

  • उपयोगकर्ता अब यह तय कर सकते हैं कि वे कौन-सी व्यक्तिगत जानकारी साझा करना चाहते हैं, जैसे नाम या फोटो, जबकि संवेदनशील डेटा सुरक्षित रहता है।

  • बिना किसी भौतिक दस्तावेज़ या फोटोकॉपी के पेपरलेस सत्यापन संभव होगा।

  • एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के माध्यम से डेटा सुरक्षा और डिजिटल लेनदेन में विश्वास को मजबूत किया गया है।

यह सुविधा नागरिकों को उनकी पहचान पर पूर्ण नियंत्रण देती है, जिससे दुरुपयोग या अनधिकृत पहुंच की संभावना घटती है।

क्यूआर कोड आधारित ऑथेंटिकेशन

भारत की यूपीआई भुगतान प्रणाली से प्रेरित होकर, नया आधार ऐप अब क्यूआर-आधारित पहचान सत्यापन सुविधा प्रदान करता है —

  • केवल एक क्यूआर कोड स्कैन करके बैंक, हवाई अड्डा या सरकारी दफ्तर जैसे स्थानों पर तत्काल आधार सत्यापन किया जा सकता है।

  • यह प्रक्रिया डेटा एंट्री त्रुटियों को समाप्त करती है और रीयल-टाइम पहचान सत्यापन सुनिश्चित करती है।

  • यह सुविधा ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सेवा वितरण के लिए अत्यंत उपयोगी है।

बायोमेट्रिक लॉक और उन्नत सुरक्षा उपाय

गोपनीयता और अनधिकृत उपयोग की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए UIDAI ने बायोमेट्रिक लॉक सुविधा जोड़ी है —

  • उपयोगकर्ता किसी भी समय अपने फिंगरप्रिंट, आइरिस या फेस डेटा को लॉक या अनलॉक कर सकते हैं।

  • यह सुविधा किसी भी धोखाधड़ी या गलत ऑथेंटिकेशन प्रयासों को रोकती है।

  • जो लोग कई डिजिटल सेवाओं का उपयोग करते हैं, उनके लिए यह एक अतिरिक्त सुरक्षा कवच का काम करती है।

इन कदमों के साथ UIDAI ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि डेटा सुरक्षा, उपयोगकर्ता नियंत्रण और भरोसा आधार पारिस्थितिकी तंत्र (Aadhaar ecosystem) की मुख्य प्राथमिकताएं हैं।

क्या भारत की जैव अर्थव्यवस्था 2030 तक 300 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है?

भारत का बायोइकोनॉमी क्षेत्र (जैव-अर्थव्यवस्था क्षेत्र) — जो कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण और स्वास्थ्य को बायोटेक्नोलॉजी के माध्यम से जोड़ता है — अब सतत आर्थिक विकास का एक प्रमुख स्तंभ बनता जा रहा है। वर्ष 2024 में इसका मूल्य 150 अरब अमेरिकी डॉलर आँका गया था, जिसमें से लगभग 55% योगदान कृषि क्षेत्र का है। बढ़ती निर्यात मांग, हरित रोजगार अवसर और ग्रामीण आय वृद्धि के साथ यह क्षेत्र “विकसित भारत @2047” के लक्ष्य में परिवर्तनकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

क्षेत्र का अवलोकन: वृद्धि और संभावनाएँ

भारत की बायोइकोनॉमी केवल बढ़ नहीं रही, बल्कि तेज़ी से विविधीकरण भी कर रही है।

  • वर्तमान मूल्यांकन (2024): 150 अरब डॉलर

  • लक्ष्य (2030): 300 अरब डॉलर (BioE3 नीति के तहत)

  • कृषि-बायोटेक निर्यात वृद्धि: 14–16% वार्षिक, विशेष रूप से बायोफर्टिलाइज़र और बायोपेस्टिसाइड में

  • स्टार्टअप्स: 3,000 से अधिक एग्री-बायोटेक स्टार्टअप सक्रिय, DBT, ICAR और राज्य तकनीकी मिशनों द्वारा समर्थित

मुख्य तकनीकी क्षेत्र:

  • जलवायु-सहिष्णु बीज

  • एआई और डिजिटल ट्विन्स आधारित सटीक कृषि

  • जैव-इनपुट (एंजाइम, बायोफोर्टिफाइड फसलें)

  • छोटे किसानों के लिए स्मार्ट मशीनीकरण

सामाजिक-आर्थिक महत्व

बायोइकोनॉमी केवल अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि खाद्य, पोषण और जलवायु लक्ष्यों को भी मजबूत करती है।

  • खाद्य सुरक्षा: कृषि में अभी भी 43% श्रमबल कार्यरत; बायोटेक उत्पादकता और लचीलापन बढ़ाती है।

  • ग्रामीण रोजगार: 2030 तक 1 करोड़ (10 मिलियन) हरित नौकरियाँ उत्पन्न होने की संभावना।

  • आय वृद्धि: जैव-आधारित मूल्य श्रृंखलाएँ किसानों की आय में 25–30% तक बढ़ोतरी कर सकती हैं (नीति आयोग मॉडल)।

  • पोषण सुरक्षा: बायोफोर्टिफाइड फसलें ग्रामीण परिवारों (35%) में छिपी भूख को घटाती हैं।

  • हरित विकास: 2030 तक 20 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन में कमी की संभावना।

  • वैश्विक लक्ष्य: भारत 2030 तक वैश्विक बायोइकोनॉमी (1.5 ट्रिलियन डॉलर) में 5% हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य रखता है।

किसान वर्गीकरण और तकनीकी आवश्यकताएँ

भारत के किसान एकरूप नहीं हैं, इसलिए तकनीकी समाधान भी उनके अनुरूप होने चाहिए।

किसान वर्ग अनुपात आवश्यक तकनीकी दृष्टिकोण
छोटे किसान (Aspiring) 70–80% कम लागत वाले सरल समाधान
संक्रमणशील किसान (Transitioning) 15–20% मध्यम स्तर का मशीनीकरण
उन्नत किसान (Advanced) 1–2% डिजिटल टूल और डाटा-आधारित कृषि

इसका अर्थ है कि एक ही समाधान सबके लिए उपयुक्त नहीं, बल्कि स्थानीय आवश्यकताओं पर आधारित कृषि-तकनीक मॉडल जरूरी हैं।

सरकार की प्रमुख योजनाएँ

भारत सरकार ने बायोइकोनॉमी के विकास के लिए कई नीतियाँ और योजनाएँ शुरू की हैं —

  • BioE3 नीति (2024): 2030 तक 300 अरब डॉलर का रोडमैप

  • राष्ट्रीय जैव-अर्थव्यवस्था नीति (ड्राफ्ट 2024): जैव संसाधनों के सतत उपयोग को प्रोत्साहन

  • गोबरधन योजना: जैव-अपशिष्ट को जैव-उत्पादों में बदलने हेतु सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल

  • डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन (2021–25): सटीक कृषि हेतु GIS और डिजिटल उपकरण

  • राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी रणनीति (2022–25): अनुसंधान एवं उद्योगिक पैमाने पर जैव-तकनीकी विस्तार

  • राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA): जलवायु-संवेदनशील तकनीकों को बढ़ावा

प्रमुख चुनौतियाँ

तेज़ी के बावजूद कुछ बाधाएँ अब भी क्षेत्र की प्रगति को सीमित करती हैं —

  • कम तकनीकी पहुँच: केवल 12% किसान ही उन्नत एग्रीटेक का उपयोग करते हैं (FAO 2024)

  • भूमि खंडन: औसत जोत आकार मात्र 1.08 हेक्टेयर, जिससे मशीनीकरण कठिन होता है

  • वित्तीय बाधा: एग्रीटेक स्टार्टअप्स को कुल कृषि ऋण का केवल 1.8% प्राप्त होता है (NABARD 2025)

  • कुशल श्रम की कमी: ग्रामीण युवाओं में केवल 7% ही बायोटेक या डिजिटल कृषि में प्रशिक्षित (NSDC 2024)

  • आयात पर निर्भरता: लगभग 80% जैव-एंजाइम, लैब उपकरण, बायोरिएक्टर आयातित

  • अनुसंधान-उद्योग समन्वय की कमी: केवल 15% ICAR–DBT शोध उत्पाद बाजार तक पहुँचते हैं

  • धीमी नियामक मंज़ूरी: जैव-इनपुट्स को स्वीकृति में 18–24 महीने लगते हैं

स्थिर तथ्य एवं परीक्षा हेतु मुख्य बिंदु

बिंदु विवरण
वर्तमान मूल्य (2024) 150 अरब अमेरिकी डॉलर
लक्ष्य (2030) 300 अरब डॉलर एवं 5% वैश्विक हिस्सेदारी
कृषि-बायोटेक निर्यात 14–16% वार्षिक वृद्धि
रोजगार सृजन 2030 तक 1 करोड़ हरित नौकरियाँ
तकनीकी चुनौतियाँ 12% टेक अपनाना, 1.08 हे. औसत जोत, 1.8% ऋण स्टार्टअप्स को
मुख्य नीतियाँ BioE3, डिजिटल कृषि मिशन, गोबरधन, NMSA
मुख्य बाधाएँ नियामक देरी, आयात निर्भरता, कमजोर अनुसंधान-व्यवसाय जुड़ाव

अक्टूबर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.6 अरब डॉलर घटा

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 31 अक्टूबर 2025 तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में $5.6 अरब की तेज गिरावट दर्ज की गई, जिससे कुल भंडार घटकर $689.73 अरब रह गया। यह लगातार दूसरा सप्ताह है जब भंडार में गिरावट आई है। इस गिरावट ने वैश्विक बाजार के दबाव, मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव, और सोने की कीमतों में सुधार पर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।

गिरावट का विस्तृत विवरण 

1. विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (Foreign Currency Assets – FCAs)

  • गिरावट: $1.9 अरब

  • नया स्तर: $564.59 अरब

  • FCAs विदेशी मुद्राओं (जैसे यूरो, पाउंड, येन आदि) में रखी गई संपत्तियाँ हैं।

  • इनमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इन मुद्राओं के मूल्य में होने वाले उतार-चढ़ाव का प्रभाव भी शामिल होता है।

2. स्वर्ण भंडार (Gold Reserves)

  • गिरावट: $3.8 अरब

  • नया स्तर: $101.72 अरब

  • सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेज गिरावट के चलते यह प्रमुख कारण रहा।

  • अक्टूबर की शुरुआत में भारत के स्वर्ण भंडार ने पहली बार $100 अरब का आँकड़ा पार किया था, लेकिन वैश्विक सुधार ने इसे नीचे खींच लिया।

3. विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDRs)

  • गिरावट: $19 मिलियन

  • नया स्तर: $18.64 अरब

  • SDRs, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा बनाए गए भंडार परिसंपत्तियाँ हैं, जो पाँच प्रमुख मुद्राओं की टोकरी पर आधारित होती हैं।

4. IMF में भंडार स्थिति (IMF Reserve Position)

  • वृद्धि: $16.4 मिलियन

  • नया स्तर: $4.77 अरब

  • यह भारत की वित्तीय विश्वसनीयता और बहुपक्षीय ढाँचों में मजबूत स्थिति को दर्शाता है।

विदेशी मुद्रा भंडार क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई संपत्तियाँ हैं, जिनमें — विदेशी मुद्राएँ, सोना, SDRs, और IMF में आरक्षित स्थिति शामिल होती हैं।

इनका उपयोग कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाता है:

  1. रुपये की स्थिरता:
    RBI विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रुपये में अत्यधिक अस्थिरता को रोकता है।

  2. आयात सुरक्षा (Import Cover):
    उच्च भंडार सुनिश्चित करते हैं कि भारत आवश्यक आयात (जैसे कच्चा तेल, मशीनरी आदि) का भुगतान आसानी से कर सके।

  3. निवेशक विश्वास (Investor Confidence):
    मजबूत भंडार विदेशी निवेशकों और क्रेडिट एजेंसियों को आर्थिक स्थिरता का संकेत देता है।

  4. ऋण प्रबंधन (External Debt Management):
    पर्याप्त भंडार बाहरी झटकों से सुरक्षा प्रदान करते हैं और ऋण दायित्वों को पूरा करने में मदद करते हैं।

RBI का मुद्रा हस्तक्षेप पर रुख

RBI ने स्पष्ट किया है कि उसका हस्तक्षेप किसी विशेष विनिमय दर को लक्ष्य करने के लिए नहीं होता, बल्कि बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए होता है।
इसका उद्देश्य विदेशी निवेशकों की निकासी या वैश्विक वित्तीय दबाव के समय रुपये में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को रोकना है।

भंडार में गिरावट के निहितार्थ 

हालाँकि $5.6 अरब की गिरावट दिखने में बड़ी है, लेकिन भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी वैश्विक स्तर पर शीर्ष देशों में बना हुआ है।

मुख्य टिप्पणियाँ (Key Observations):

  • स्वर्ण भंडार अंतरराष्ट्रीय कीमतों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होता है।

  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में परिवर्तन डॉलर की मजबूती या अन्य मुद्राओं के मूल्यांकन में बदलाव से प्रभावित होते हैं।

  • RBI की सक्रिय नीतियाँ बाहरी झटकों को संतुलित करने और निवेशकों के विश्वास को बनाए रखने में मदद करती हैं।

मुख्य तथ्य 

घटक परिवर्तन नया स्तर (अक्टूबर 31, 2025)
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCAs) -$1.9 अरब $564.59 अरब
स्वर्ण भंडार -$3.8 अरब $101.72 अरब
विशेष आहरण अधिकार (SDRs) -$19 मिलियन $18.64 अरब
IMF आरक्षित स्थिति +$16.4 मिलियन $4.77 अरब
कुल विदेशी मुद्रा भंडार -$5.6 अरब $689.73 अरब

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