gdfgerwgt34t24tfdv

केंद्रीय बजट 2024-25: रक्षा मंत्रालय को 6.22 लाख करोड़ रुपये आवंटित

about | - Part 4_3.1

वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में रक्षा मंत्रालय को 6,21,940.85 करोड़ रुपये (लगभग 75 बिलियन यूएस डॉलर) आवंटित किए गए हैं, जो सभी मंत्रालयों में सर्वाधिक है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रक्षा मंत्रालय को हुआ आवंटन वित्त वर्ष 2022-23 के आवंटन से लगभग एक लाख करोड़ रुपये (18.43 प्रतिशत) ज्यादा है और वित्त वर्ष 2023-24 के आवंटन से 4.79 प्रतिशत ज्यादा है। इसमें से 27.66 प्रतिशत हिस्सा पूंजीगत व्यय के लिए, 14.82 प्रतिशत हिस्सा जीविका और परिचालन तत्परता पर राजस्व व्यय के लिए, 30.66 प्रतिशत हिस्सा वेतन और भत्तों के लिए, 22.70 प्रतिशत हिस्सा रक्षा पेंशन के लिए और 4.17 प्रतिशत हिस्सा रक्षा मंत्रालय के अधीन नागरिक संगठनों के लिए है। ये कुल आवंटन भारत संघ के बजटीय अनुमान का लगभग 12.90 प्रतिशत है।

मुख्य आवंटन विवरण

पूंजीगत व्यय: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रक्षा बलों को पूंजीगत मद के अंतर्गत बजटीय आवंटन 1.72 लाख करोड़ रुपये का है, जो वित्त वर्ष 2022-23 के वास्तविक व्यय से 20.33 प्रतिशत ज्यादा और वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित आवंटन से 9.40 प्रतिशत ज्यादा है।

परिचालन तत्परता: परिचालन तत्परता के लिए निरंतर ऊंचा आवंटन सशस्त्र बलों का मनोबल ऊंचा करता है, जिसका एकमात्र उद्देश्य उन्हें हर समय युद्ध के लिए तैयार रखना है। सरकार ने इस मद में चालू वित्त वर्ष के दौरान 92,088 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो वित्त वर्ष 2022-23 के बजटीय आवंटन से 48 प्रतिशत ज्यादा है।

पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवा: सरकार भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के लिए बढ़ाए गए आवंटन के माध्यम से पूर्व-सैनिकों और उनके आश्रितों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने को प्रतिबद्ध है। वित्त वर्ष 2024-25 के नियमित बजट में ईसीएचएस को 6,968 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष के आवंटन से 28 प्रतिशत ज्यादा है।

सीमा अवसंरचना: सीमा सड़क संगठनों (बीआरओ) को बजट अनुमान 2024-25 के लिए पूंजीगत मद में 6,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो वित्त वर्ष 2023-24 से 30% अधिक है और वित्त वर्ष 2021-22 से 160% अधिक है।

भारतीय तटरक्षक बल: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) को 7,651.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो वित्त वर्ष 2023-24 के आवंटन से 6.31 प्रतिशत ज्यादा है।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO): रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के लिए बजटीय आवंटन को वित्त वर्ष 2023-24 में 23,263.89 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2024-25 में 23,855 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस आवंटन में से 13,208 करोड़ रुपये का एक बड़ा हिस्सा पूंजीगत व्यय के लिए आवंटित किया गया है।

रक्षा पेंशन: रक्षा पेंशन के लिए कुल बजटीय आवंटन 1,41,205 करोड़ रुपये है, जो 2023-24 के दौरान किए गए आवंटन से 2.17 प्रतिशत ज्यादा है।

नवाचार और घरेलू खरीद

आदिति योजना

आईडीईएक्स (आदिति) योजना के साथ अभिनव प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने के माध्यम से रक्षा में नवाचार के लिए अतिरिक्त 400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।

घरेलू खरीद

आधुनिकीकरण बजट का 75% हिस्सा, जो 1,05,518.43 करोड़ रुपये है, घरेलू उद्योगों के माध्यम से खरीद के लिए निर्धारित किया गया है।

रणनीतिक परियोजनाएँ और बुनियादी ढाँचा

सीमावर्ती बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ: लद्दाख में न्योमा एयरफील्ड का विकास, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थायी पुल संपर्क, हिमाचल प्रदेश में शिंकू ला सुरंग, अरुणाचल प्रदेश में नेचिपु सुरंग और बजट से वित्तपोषित अन्य रणनीतिक परियोजनाएँ।

तटरक्षक बल में वृद्धि: पूंजीगत व्यय के लिए 3,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिससे गश्ती वाहनों, निगरानी प्रणालियों और हथियारों के अधिग्रहण में सुविधा होगी।

about | - Part 4_4.1

रेल बजट 2024-25: रिकॉर्ड आवंटन और मुख्य विशेषताएं

about | - Part 4_6.1

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में केंद्रीय बजट 2024-25 पेश किया। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान सरकार ने रेलवे के लिए रिकॉर्ड 2,62,200 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय आवंटित किया है। 2024-25 के दौरान रेलवे के लिए सकल बजटीय सहायता 2,52,200 करोड़ रुपये है। इससे पहले, 2023-24 में सकल बजटीय सहायता 2,40,200 करोड़ रुपये थी, जो 2013-14 में केवल 28,174 करोड़ रुपये था।

आर्थिक लचीलापन और समावेशी विकास

केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज कहा कि अर्थव्यवस्था आज पहले की तुलना में अधिक सहनीय और मजबूत स्थिति में है। उन्होंने कहा कि आज की अर्थव्यवस्था कल्याण, राजकोषीय विवेक, पूंजी निवेश और विनिर्माण में निवेश का एक संयोजन है। उन्होंने आगे कहा कि वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समावेशी विकास पर केंद्रित आर्थिक नीतियों की निरंतरता के रूप में है, जो पिछले दस वर्षों में इस सरकार का मुख्य आधार रही है।

माल ढुलाई और राजस्व वृद्धि

पूंजीगत व्यय के परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि भारतीय रेलवे ने वित्त वर्ष 2023-24 में 1588 मीट्रिक टन का अभूतपूर्व सर्वाधिक माल लदान हासिल किया है, जो 2014-15 में 1095 मीट्रिक टन था और रेलवे 2030 तक 3,000 मीट्रिक टन के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। रेलवे ने 2023-24 में 2,56,093 करोड़ रुपये की सर्वकालिक सर्वाधिक कुल प्राप्तियां हासिल कीं और पूंजीगत व्यय के पूरक के लिए 3,260 करोड़ रुपये का शुद्ध राजस्व का सृजन किया।

बुनियादी ढांचे का विकास

रेलवे ने इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी कई उपलब्धियां हासिल की हैं। पिछले 10 वर्षों में, रेलवे ने 31,180 ट्रैक किलोमीटर चालू किए। ट्रैक बिछाने की गति 2014-15 में 4 किमी प्रति दिन से बढ़कर 2023-24 में 14.54 किमी प्रति दिन हो गई। 2014-2024 के दौरान, भारतीय रेलवे ने 41,655 रूट किलोमीटर (आरकेएम) का विद्युतीकरण किया है, जबकि 2014 तक केवल 21,413 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण किया गया था।

सुरक्षा और औद्योगिक विकास

इस वर्ष के बजट में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने हेतु अतिरिक्त धनराशि आवंटित की गई है। इस धनराशि से महत्‍वपूर्ण बिंदुओं पर औद्योगिक क्लस्टर: विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे पर कोप्पार्थी, आंध्र प्रदेश में हैदराबाद-बेंगलुरु औद्योगिक गलियारे पर ओर्वाकल और बिहार में अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे पर गया– के विकास हेतु आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में सहायता की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य भारत के पूर्वी क्षेत्र में औद्योगिक विकास को गति प्रदान करना है।

नई पहल और गलियारे

रेलवे ने बुनियादी ढांचे के विकास हेतु नया दृष्टिकोण अपनाया है। मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को सक्षम बनाने के लिए पीएम गति शक्ति मिशन के तहत तीन आर्थिक रेलवे गिलयारों –

  • ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारा (192 परियोजनाएं)।
  • बंदरगाह कनेक्टिविटी गलियारा (42 परियोजनाएं)।
  • उच्च यातायात घनत्व गलियारा (200 परियोजनाएं)।

about | - Part 4_4.1

 

 

केंद्रीय बजट 2024-25 की मुख्य विशेषताएं

about | - Part 4_9.1

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का आम बजट संसद में पेश कर दिया है। उन्होंने 1 घंटे 40 मिनट के बजट भाषण में किसान, युवा, महिला, सोलर एनर्जी, स्पेशल पैकेज, सर्विस सेक्टर, रोजगार, कौशल, लोन और नौकरीपेशा से जुड़े ऐलान किए। वित्त मंत्री ने सबसे ज्यादा 44 बार टैक्स और 23 बार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) का जिक्र किया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में ‘केन्‍द्रीय बजट 2024-25’ पेश की। इस बजट की प्रमुख बातें निम्‍नलिखित हैं :

भाग- ए

बजट अनुमान 2024-25:

•  ऋण को छोड़कर कुल प्राप्तियां: 32.07 लाख करोड़ रुपये

•  कुल व्‍यय: 48.21 लाख करोड़ रुपये

•  सकल कर प्राप्ति: 25.83 लाख करोड़

•  वित्‍तीय घाटा: जीडीपी का 4.9 प्रतिशत।

•  सरकार का लक्ष्‍य घाटे को अगले साल 4.5 प्रतिशत से नीचे लाना है।

•  मुद्रास्‍फीति कम, स्‍थायी और 4 प्रतिशत के लक्ष्‍य की ओर जारी है।

•  कोर मुद्रास्‍फीति (गैर-खाद्य, गैर-ईंधन) 3.1 प्रतिशत।

•  बजट में रोजगारकौशलएमएसएमई और मध्‍य वर्ग पर विशेष ध्‍यान है

रोजगार और कौशल पर प्रधानमंत्री की पांच योजनाएं

•  4.1 करोड़ युवाओं के लिए पांच साल में रोजगार-कौशल और अन्‍य अवसरों के लिए प्रधानमंत्री की पांच योजनाएं और पहल।

1. योजना क– पहली बार वालों के लिए : ईपीएफओ में पंजीकृत पहली बार रोजगार पाने वाले कर्मचारियों को 15 हजार रुपये तक के एक महीने का वेतन जिसे तीन किस्तों में दिया जाएगा।

2. योजना ख– विनिर्माण में रोजगार सृजन : कर्मचारी और नियोक्‍ता दोनों को सीधे विनिर्दिष्‍ट स्‍केल पर प्रोत्‍साहन राशि उपलब्‍ध कराना जो नौकरी के पहले चार साल में दोनों के ईपीएफओ योगदान पर निर्भर है।

3. योजना ग– नौकरी देने वाले को मदद : सरकार नियोक्‍ता को उसके ईपीएफओ योगदान के लिए दो साल तक हर अतिरिक्‍त कर्मचारी पर 3000 हजार रुपये प्रत्‍येक महीना भुगतान करेगी।

4. कौशल के लिए नई केन्‍द्र प्रायोजित योजना

•  अगले पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं का कौशल बढ़ाया जाएगा।

•  1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थानों का उन्‍नयन किया जाएगा।

5. पांच साल में एक करोड़ युवाओं को पांच सौ टॉप कंपनियों में इंटर्नशिप के लिए  नई योजना।

‘विकसित भारत’ की दिशा में नौ बजट प्राथमिकताएं :

1. कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता

2. रोजगार और कौशल प्रशिक्षण

3. समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय

4. विनिर्माण और सेवाएं

5. शहरी विकास

6. ऊर्जा सुरक्षा

7. अवसंरचना

8. नवाचार, अनुसंधान और विकास, और

9. अगली पीढ़ी के सुधार

 प्राथमिकता 1: कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता

•  कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का आवंटन।

•  किसानों की खेतीबाड़ी के लिए 32 कृषि और बागवानी फसलों की नई 109 उच्च पैदावार वाली और जलवायु अनुकूल किस्में जारी की जाएंगी।

•  प्रमाण-पत्र और ब्रांडिंग व्यवस्था के साथ अगले दो वर्षों में पूरे देश में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक कृषि से जोड़ा जाएगा।

•  प्राकृतिक खेती के लिए 10,000 आवश्यकता आधारित जैव-आदान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

•  तीन साल में किसानों और उनकी जमीन को शामिल करने हेतु कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को लागू किया जाएगा।

प्राथमिकता 2: रोजगार और कौशल प्रशिक्षण

•  प्रधानमंत्री पैकेज के भाग के रूप में ‘रोजगार संबद्ध प्रोत्साहन’ के लिए निम्नलिखित 3 योजनाओं योजना क- पहली बार रोजगार पाने वाले, योजना ख- विनिर्माण  में रोजगार सृजन,  योजना ग- नियोक्‍ताओं को मदद।

•  कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए

o  औद्योगिक सहयोग से महिला छात्रावास और क्रेचों की स्‍थापना।

o  महिला केन्द्रित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन

o  महिला स्‍वयं सहायता समूह उद्यम को बाजार तक पहुंच को बढ़ाना

कौशल विकास 

o  प्रधानमंत्री के पैकेज के तहत पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं के कौशल विकास के लिए केन्‍द्र प्रायोजित नई योजना।

o  7.5 लाख रुपये तक के ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मॉडल कौशल ऋण योजना।

o  सरकार की योजनाओं और नीतियों के तहत किसी लाभ के लिए पात्र नहीं होने वाले युवाओं को घरेलू संस्थानों में उच्चतर शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण हेतु वित्तीय सहायता।

प्राथमिकता 3: समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय

पूर्वोदय

•  अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के साथ गया में औद्योगिक केंद्र का विकास।

•  21,400 करोड़ रुपये की लागत से विद्युत परियोजनाएं आरंभ की जाएंगी जिसमें पिरपैंती में 2400 मेगावाट का नया विद्युत संयंत्र शामिल।

आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम

•  बहुपक्षीय विकास एजेंसियों के माध्यम से मौजूदा वित्त वर्ष में 15,000 करोड़ रुपये की  विशेष वित्तीय सहायता।

•  विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे में कोप्पार्थी क्षेत्र और हैदराबाद–बेंगलुरु औद्योगिक गलियारे में ओरवाकल क्षेत्र में औद्योगिक केन्‍द्र।

महिलाओं के नेतृत्‍व विकास 

  • महिलाओं और लड़कियों को फायदा पहुंचाने वाली योजनाओं के लिए कुल तीन लाख करोड़ रुपये का आवंटन।

प्रधानमंत्री जनजातीय उन्‍नत ग्राम अभियान

•  जनजातीय-बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में जनजातीय परिवारों का सामाजिक-आर्थिक विकास, इसमें 63,000 गांवों के 5 करोड़ जनजातीय लोग लाभार्थी होंगे।

उत्‍तर-पूर्वी क्षेत्र में बैंक शाखाएं

  • उत्‍तर-पूर्वी क्षेत्र में इंडिया पोस्‍ट पेमेंट बैंक की 100 शाखाएं खोलना।

प्राथमिकता 4: विनिर्माण और सेवाएं

विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना

•  गिरवी या तृतीय पक्ष गारंटी के बिना मशीनरी और उपकरण की खरीद के लिए एमएसएमई को आवधिक ऋण की सुविधा देने के लिए ऋण गारंटी योजना।

संकट की अवधि के दौरान एमएसएमई को ऋण सहायता

• एमएसएमई को उनके संकट अवधि के दौरान बैंक ऋण जारी रखने की सुविधा के लिए एक नई व्यवस्था।

मुद्रा लोन

•  ‘तरुण’ श्रेणी के अंतर्गत मुद्रा ऋणों की सीमा को उन उद्यमियों के लिए मौजूदा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया जाएगा जिन्होंने पहले के ऋणों को सफलतापूर्वक चुका दिया है।

ट्रेड्स में अनिवार्य रूप से शामिल होने के लिए और अधिक संभावना

•  खरीददारों को ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए कारोबार की सीमा को 500 करोड़ रुपये से घटाकर 250 करोड़ रुपये कर दिया गया।

फूड इरेडिएशनगुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण के लिए एमएसएमई इकाइयां

•  एमएसएमई क्षेत्र में 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इरेडिएशन इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।

ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र

•  एमएसएमई तथा पारंपरिक कारीगरों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

महत्वपूर्ण खनिज मिशन

•  घरेलू उत्पादन, महत्वपूर्ण खनिजों की रिसाइक्लिंग और विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज संपदा का अधिग्रहण करने के लिए महत्वपूर्ण खनिज मिशन की स्थापना होगी।

खनिजों का अपतटीय खनन

•  पहले से किये गए खोज के आधार पर खनन के लिए अपतटीय ब्लॉकों के पहले भाग की नीलामी शुरू होगी।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) अनुप्रयोग

•  ऋण, ई-कॉमर्स, शिक्षा, स्वास्थ्य, विधि और न्याय, लॉजिस्टिक्स, एमएसएमई, सेवा प्रदायगी और शहरी शासन के क्षेत्र में डीपीआई अनुप्रयोगों का विकास।

प्राथमिकता 5: शहरी विकास 

आवागमन उन्मुखी विकास

•  30 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 14 बड़े शहरों के लिए कार्यान्वयन और वित्तपोषण रणनीति के साथ आवागमन उन्मुखी विकास योजनाएं तैयार की जाएंगी।

शहरी आवास

•  प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 2.0 के अंतर्गत, 2.2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता सहित 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश से अगले पांच वर्ष में 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की आवास जरूरतों का समाधान किया जाएगा।

स्ट्रीट मार्केट

•  अगले पांच वर्षों में प्रत्येक वर्ष चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक ‘हाट’ या स्ट्रीट फूड हब के विकास में सहायता के लिए नई योजना।

प्राथमिकता 6: ऊर्जा सुरक्षा

ऊर्जा परिवर्तन

•  रोजगार, विकास और पर्यावरण स्थायित्व की आवश्यकता के बीच संतुलन कायम करने के लिए समुचित ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में एक नीतिगत दस्तावेज।

पम्प्ड स्टोरेज पॉलिसी

•  विद्युत भंडारण के लिए पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं को बढ़ावा देने की एक नीति।

छोटे तथा मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों का अनुसंधान और विकास

•  भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर के अनुसंधान एवं विकास तथा परमाणु ऊर्जा के लिए और भारत स्मॉल रिएक्टर की स्थापना के लिए नई प्रौद्योगिकियों के लिए सरकार निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करेगी।

उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट

•  उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल (एयूएससी) प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके परिपूर्ण 800 मेगावाट का वाणिज्यिक संयंत्र स्थापित करने के लिए एनटीपीसी और बीएचईएल के बीच एक संयुक्त उद्यम प्रस्‍तावित।

‘हार्ड टू एबेट’ उद्योगों के लिए रोडमैप

• ‘हार्ड टू एबेट’ उद्योगों को वर्तमान के ‘परफॉर्म, एचीव एंड ट्रेड’ पद्धति से ‘इंडियन कार्बन मार्केट’ पद्धति में परिवर्तित करने के लिए उपयुक्त विनियम।

प्राथमिकताः 7 अवसंरचना

केंद्र सरकार द्वारा अवसंरचना में निवेश

  • पूंजीगत व्यय के लिए `11,11,111 करोड़ रुपये (जीडीपी का 3.4 प्रतिशत) का प्रावधान।

राज्य सरकारों द्वारा अवसंरचना में निवेश

•  राज्यों को उनके संसाधन आवंटन में सहायता करने के लिए इस वर्ष भी 1.5 लाख करोड़ रुपये के ब्याज रहित दीर्घावधि ऋण का प्रावधान।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)

• 25,000 ग्रामीण बसावटों के लिए बारहमासी सड़क संपर्क उपलब्ध कराने हेतु पीएमजीएसवाई का चरण IV आरंभ किया जाएगा।

सिंचाई और बाढ़ उपशमन

• बिहार में कोसी-मेची अंतर्राज्यीय लिंक और अन्‍य योजनाओं जैसी परियोजनाओं के लिए 11,500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता।

  • सरकार बाढ़, भूस्‍खलन और अन्‍य संबंधित परियोजनाओं के लिए असम, हिमाचल प्रदेश, उत्‍तराखंड और सिक्किम को सहायता प्रदान करेगी।

पर्यटन

  • विष्णुपद मंदिर गलियारा, महाबोधि मंदिर गलियारा और राजगीर का व्‍यापक विकास।

•  ओडिशा के मंदिरों, स्मारक, शिल्प, वन्य जीव अभयारण्य, प्राकृतिक भू-दृश्य और प्राचीन समुद्री तट के विकास हेतु सहायता

प्राथमिकता 8: नवाचारअनुसंधान और विकास

• मूलभूत अनुसंधान और प्रोटोटाइप विकास के लिए अनुसंधान नेशनल रिसर्च फंड।

• वाणिज्यिक स्तर पर निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के वित्तीय पूल व्यवस्था।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था

• अगले 10 वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 5 गुणा बढ़ाने पर निरन्तर जोर देते हुए 1,000 करोड़ रुपये की उद्यम पूंजी निधि।

प्राथमिकता 9: अगली पीढ़ी के सुधार

ग्रामीण भूमि संबंधी कार्य

• सभी भू-खण्डों के लिए अनन्य भूखंड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) अथवा भू-आधार

• संवर्गीय मानचित्रों का डिजिटलीकरण,

• वर्तमान स्वामित्व के अनुसार मानचित्र उप-प्रभागों का सर्वेक्षण

• भू-रजिस्ट्री की स्थापना, और

• कृषक रजिस्ट्री से जोड़ना।

शहरी भूमि संबंधी कार्य

• शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों को जीआईएस मैपिंग के साथ अंकीकृत किया जाएगा।

श्रमिकों के लिए सेवाएं

• ऐसे वन स्‍टॉप समाधान के लिए ई-श्रम पोर्टल को अन्‍य पोर्टलों से जोड़ना।

• तेजी से बदलते श्रमिक बाजार,  कौशल संबंधी जरूरतों और उपलब्‍ध रोजगार की भूमिकाओं के लिए मुक्‍त आर्किटेक्‍चर डाटाबेस।

• रोजगार के इच्‍छुक लोगों को संभावित नियोक्‍ताओं और कौशल प्रदाताओं के साथ जोड़ने के लिए प्रणाली।

एनपीएस वात्‍सल्‍य

• नाबालिगों के लिए माता-पिता और अभिभावकों द्वारा योगदान हेतु एक योजना के रूप में एनपीएस वात्‍सल्‍य।

खंड-बी

अप्रत्‍यक्ष कर

जीएसटी

• जीएसटी की सफलता से उत्‍साहित होकर, जीएसटी के शेष क्षेत्रों तक विस्‍तार हेतु सरलीकृत एवं तर्कसंगत कर संरचना।

क्षेत्र विशेष के लिए सीमा शुल्‍क के प्रस्‍ताव

औषधियां एवं चिकित्‍सा उपकरण

• कैंसर की तीन दवाइयां- ट्रेस्‍टुजुमाब डिरूक्‍सटीकेन, ओसिमर्टिनिब और डुर्वालुमैब को सीमा शुक्‍ल से पूरी तरह छूट।

• चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम के तहत एक्‍सरे ट्यूब और मेडिकल एक्‍सरे मशीनों में इस्‍तेमाल हेतु फलैट पैनल डिडेक्‍टरों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क में बदलाव।

मोबाइल फोन और संबंधित पुर्जे

• मोबाइल फोन, मोबाइल प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेम्‍बली (पीसीबीए) और मोबाइल चार्जर पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को घटाकर 15 प्रतिशत किया गया।

कीमती धातु

• सोने और चांदी पर सीमा शुल्‍क घटाकर 6 प्रतिशत किया गया और प्‍लेटिनम पर 6.4 प्रतिशत किया गया।

अन्‍य धातु

• लौह, निकेल और ब्लिस्‍टर तांबे पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया।

• लौह स्क्रैप और निकेल कैथोड पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया।

• तांबा स्‍क्रैप पर 2.5 प्रतिशत रियायती मूलभूत सीमा शुल्‍क।

इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स

• रेजिस्‍टरों के विनिर्माण हेतु ऑक्‍सीजन मुक्‍त तांबे पर कुछ शर्तों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया।

रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स

• अमोनियम नाइट्रेट पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया गया।

प्‍लास्टिक

  • पीवीसी फ्लैक्‍स बैनरों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया।

दूरसंचार उपकरण

• विनिर्दिष्ट दूरसंचार उपकरण के पी.सी.बी.ए. पर बीसीडी को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

व्यापार सुविधा

• घरेलू विमानन और नाव तथा जलयान के एमआरओ उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से मरम्मत के लिए आयात की गई वस्‍तुओं के निर्यात के लिए समयावधि को छह महीनों से बढ़ाकर एक वर्ष करने का प्रस्ताव।

• वारंटी वाली वस्‍तुओं को मरम्मत के लिए पुनः आयात करने की समय-सीमा को 3 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष करने का प्रस्ताव।

महत्वपूर्ण खनिज

• 25 महत्वपूर्ण खनिजों को सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट।

• 2 महत्वपूर्ण खनिजों पर बीसीडी को कम करने का प्रस्ताव।

सौर ऊर्जा

• सोलर सैल और पैनलों के विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाली पूंजीगत वस्तुएं सीमा शुल्‍क के दायरे से बाहर।

समुद्री उत्पाद

• कुछ ब्रूडस्टॉक, पॉलीकीट वॉर्म्स, श्रिम्प और फिश फीड पर बीसीडी को घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

• श्रिम्प और फिश फीड के विनिर्माण में इस्‍तेमाल होने वाले विभिन्‍न कच्‍चे माल को भी सीमा शुल्क से छूट देने का प्रस्ताव।

चमड़ा और कपड़ा

• बत्तख या हंस से मिलने वाले रियल डाउन फिलिंग मैटेरियल पर बीसीडी को कम करने का प्रस्ताव।

• स्पैन्डेक्स यार्न के विनिर्माण के लिए मिथाइलेन डाईफिनाइल डाईआईसोसाएनेट (एमडीआई) पर बीसीडी को कुछ शर्तों के साथ 7.5 से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

प्रत्यक्ष कर

• करों को सरल बनाने, करदाता सेवाओं में सुधार करने, कर निश्चितता प्रदान करने और मुकदमेबाजी को कम करने के प्रयासों जारी रहेंगे।

• सरकार की विकास और कल्याणकारी योजनाओं के वित्तपोषण के लिए राजस्व बढ़ाने पर जोर।

• वित्त वर्ष 2022-23 में 58 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स सरलीकृत कर व्यवस्था द्वारा जमा हुआ। वित्त वर्ष 2023-24 में दो तिहाई से अधिक करदाताओं ने सरलीकृत कर व्‍यवस्‍था का लाभ उठाया।

धर्मार्थ संस्थाओं और टीडीएस का सरलीकरण

• धर्मार्थ संस्थाओं के लिए कर में छूट की दो व्यवस्थाओं को मिलाकर एक करने का प्रस्ताव।

• विभिन्‍न भुगतानों पर 5 प्रतिशत टीडीएस दर को घटा कर 2 प्रतिशत टीडीएस दर किया जाएगा।

• म्युचुअल फंडों या यूटीआई द्वारा यूनिटों की पुनः खरीद पर 20 प्रतिशत टीडीएस दर को समाप्त करने का प्रस्‍ताव।

• ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर टीडीएस दर को 1 प्रतिशत से घटाकर 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

• टीडीएस के भुगतान में विलम्ब को टीडीएस के लिए विवरणी फाइल करने की नियत तारीख तक डिक्रिमिनलाईज करने का प्रस्ताव।

पुनः निर्धारण का सरलीकरण

  • किसी कर निर्धारण वर्ष के समाप्त होने के तीन से पांच वर्षों के बाद किसी कर निर्धारण को नए सिरे से केवल तभी खोला जा सकेगा जब कर से छूट प्राप्त आय 50 लाख या उससे अधिक हो।
  • सर्च मामलों में समय सीमा को दस वर्षों की मौजूदा समय सीमा के स्थान पर सर्च के वर्ष से पहले छह वर्ष की समय सीमा करने का प्रस्ताव।

कैपिटल गेन का सरलीकरण और युक्तिकरण

• कुछ वित्तीय परिसंपत्तियों के संबंध में लघु अवधि के लाभ पर 20 प्रतिशत कर लगेगा।

• सभी वित्तीय और गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर दीर्घ अवधि के लाभों पर 12.5 प्रतिशत की दर से कर लगेगा।

• परिसंपत्तियों पर कैपिटल गेन के छूट की सीमा को बढ़ाकर 1.25 लाख प्रतिवर्ष करने का प्रस्ताव।

करदाता सेवाएं

• सीमा शुल्क और आयकर की सभी शेष सेवाओं जिनमें ऑर्डर गिविंग इफेक्ट व रैक्टिफिकेशन सम्मिलित हैं, को अगले दो वर्षों के दौरान डिजिटलीकरण किया जाएगा।

मुकदमेबाजी और अपील

• अपील में लंबित कतिपय आयकर विवादों के समाधान के लिए विवाद से विश्वास योजना, 2024 का प्रस्ताव।

• टैक्स अधिकरणों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में प्रत्यक्ष करों, उत्पाद शुल्क और सेवा कर से संबंधित अपीलों को दायर करने के लिए मौद्रिक सीमाओं को क्रमशः 60 लाख रुपये, 2 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव।

• अंतरराष्ट्रीय कराधान में मुकदमेबाजी को कम करने और निश्चितता प्रदान करने के लिए सेफ हार्बर नियमों के दायरे का विस्तार।

रोजगार और निवेश

• स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को प्रोत्साहित करने के लिए सभी वर्गों निवेशकों के लिए एंजेल टैक्स को समाप्त करने का प्रस्ताव।

• भारत में क्रूज पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए घरेलू क्रूज का संचालन करने वाली विदेशी शिपिंग कंपनियों के लिए कर व्यवस्था को सरल करने का प्रस्ताव।

  • देश में अपरिष्कृत हीरा बेचने वाली विदेशी खनन कंपनियों के लिए सेफ हार्बर दरों का प्रावधान।

•  विदेशी कंपनियों पर कारपोरेट कर दर को 40 प्रतिशत से घटाकर 35 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

कर आधार का विस्तार

•  फ्यूचर्स और ऑप्सन्स के विकल्पों पर सिक्यूरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को बढ़ाकर क्रमशः 0.02 प्रतिशत और 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

• प्राप्तकर्ता के द्वारा शेयरों की पुनः खरीद पर प्राप्त आय पर कर लगेगा।

सामाजिक सुरक्षा लाभ

  • एनपीएस में नियोजनकर्ता द्वारा किए जा रहे योगदान को कर्मचारी के वेतन के 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

•  20 लाख रूपये तक की चल परिसंपत्तियों की सूचना न देने को गैर-दांडिक बनाने का प्रस्ताव।

वित्त विधेयक के अन्य प्रमुख प्रस्ताव

• 2 प्रतिशत के इक्वलाइजेशन लेवी को वापस।

नई कर व्‍यवस्‍था के तहत व्यक्तिगत आयकर में बदलाव

• वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रूपये से बढ़ाकर 75,000 रूपये करने का प्रस्ताव।

• पेंशनभोगियों के लिए पारिवारिक पेंशन पर कटौती को 15,000 रूपये से बढ़ाकर 25,000 रूपये करने का प्रस्ताव।

  • कर दरों का संशोधित संरचना:
0-3 लाख रूपये शून्य
3-7 लाख रूपये 5 प्रतिशत
7-10 लाख रूपये 10 प्रतिशत
10-12 लाख रूपये 15 प्रतिशत
12-15 लाख रूपये 20 प्रतिशत
15 लाख रूपये से अधिक 30 प्रतिशत

नई कर व्यवस्था में वेतनभोगी कर्मचारी को आयकर में ₹ 17,500/- तक की बचत होगी।

about | - Part 4_4.1

राष्ट्रीय आयकर दिवस 2024: परिवर्तन की यात्रा

about | - Part 4_12.1

राष्ट्रीय आयकर दिवस भारत के वित्तीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह दिवस 24 जुलाई को मनाया जाता है। आयकर एक महत्वपूर्ण सरकारी कर है जो व्यक्तियों और व्यवसायों द्वारा एक वित्तीय वर्ष के दौरान अर्जित आय पर लगाया जाता है। “आय” की अवधारणा को आयकर अधिनियम की धारा 2(24) के तहत व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है, जिसमें विभिन्न स्रोतों से होने वाली कमाई शामिल है।

कर योग्य आय के प्रकार

  1. वेतन से आय (Income from Salary): इस श्रेणी में वे सभी प्रकार के मुआवजे शामिल होते हैं जो एक कर्मचारी को उनके नियोक्ता से प्राप्त होते हैं। यह सिर्फ़ मूल वेतन तक सीमित नहीं है, बल्कि भत्ते, कमीशन और यहाँ तक कि सेवानिवृत्ति लाभ जैसे विभिन्न घटकों तक फैला हुआ है। इस श्रेणी की व्यापक प्रकृति यह सुनिश्चित करती है कि कर्मचारी को मिलने वाले सभी मौद्रिक लाभों को कर गणना में शामिल किया जाए।
  2. घर की संपत्ति से आय (Income from House Property): आवासीय या व्यावसायिक संपत्तियों से उत्पन्न कोई भी किराये की आय इस श्रेणी में आती है। चाहे आपके पास एक छोटा अपार्टमेंट हो या एक बड़ा व्यावसायिक परिसर, यदि आप उससे किराया कमा रहे हैं, तो वह आय कर योग्य है।
  3. व्यापार या पेशे से आय (Income from Business or Profession): इस श्रेणी में किसी भी व्यवसाय या पेशेवर गतिविधियों से अर्जित लाभ शामिल है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जब सकल आय पर विचार किया जाता है, तो कर की गणना वैध व्यावसायिक व्ययों को घटाने के बाद शुद्ध लाभ पर की जाती है। यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि कर का बोझ व्यापार या पेशेवर की वास्तविक आय के अनुपात में होता है।
  4. पूंजीगत लाभ से आय (Income from Capital Gains): जब आप पूंजीगत संपत्तियों जैसे संपत्ति, शेयर, या कीमती धातुओं जैसे सोना या चांदी को बेचते हैं, तो जो लाभ आप प्राप्त करते हैं, उसे पूंजीगत लाभ माना जाता है और वह कर योग्य होता है। कर की व्यवस्था यह निर्भर करती है कि ये लाभ दीर्घकालिक (लंबे समय तक संपत्ति के स्वामित्व के बाद) या तात्कालिक (छोटे समय के स्वामित्व के बाद) के रूप में वर्गीकृत होते हैं।
  5. पूंजीगत लाभ से आय (Income from Capital Gains): जब आप पूंजीगत संपत्तियों जैसे संपत्ति, शेयर, या कीमती धातुओं जैसे सोना या चांदी को बेचते हैं, तो जो लाभ आप प्राप्त करते हैं, उसे पूंजीगत लाभ माना जाता है और वह कर योग्य होता है। कर की व्यवस्था यह निर्भर करती है कि ये लाभ दीर्घकालिक (लंबे समय तक संपत्ति के स्वामित्व के बाद) या तात्कालिक (छोटे समय के स्वामित्व के बाद) के रूप में वर्गीकृत होते हैं।

भारत में आयकर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत में आयकर की कहानी एक वित्तीय विकास की कथा है, जो देश की उपनिवेशीय अर्थव्यवस्था से एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में एक मजबूत वित्तीय प्रणाली की ओर यात्रा को दर्शाती है।

शुरुआत : 1860

आयकर दिवस, जो 24 जुलाई को मनाया जाता है, भारत के वित्तीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण का स्मरण कराता है। 1860 में इसी दिन सर जेम्स विल्सन ने भारत में आयकर की अवधारणा को पेश किया। यह प्रारंभिक कार्यान्वयन, हालांकि प्राथमिक था, देश की भविष्य की कर संरचना के लिए महत्वपूर्ण आधारशिला रखता है।

प्रारंभिक वर्ष: 1922-1924

भारत की आयकर प्रणाली की वास्तविक संरचना 1922 के आयकर अधिनियम के साथ आई। इस व्यापक कानून ने कर दरों को परिभाषित करने से कहीं अधिक किया; इसने आयकर अधिकारियों का एक औपचारिक पदानुक्रम स्थापित किया और कर प्रशासन के लिए एक व्यवस्थित ढांचा तैयार किया। यह अधिनियम भारत की राजकोषीय नीतियों को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

इस आधार पर, 1924 के केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम ने कर ढांचे को और मजबूत किया। इस अधिनियम ने बोर्ड को एक वैधानिक निकाय के रूप में स्थापित किया, जिससे उसे आयकर अधिनियम को प्रशासित करने का अधिकार और जिम्मेदारी मिली। इस अवधि के दौरान, कर प्रशासन में महत्वपूर्ण विस्तार हुआ, जिसमें प्रत्येक प्रांत के लिए आयकर आयुक्त नियुक्त किए गए, जिन्हें सहायक आयुक्तों और आयकर अधिकारियों द्वारा सहायता प्रदान की गई।

व्यावसायिक विकास: 1946-1957

वर्ष 1946 में ग्रुप ए अधिकारियों की भर्ती के साथ एक और मील का पत्थर स्थापित हुआ, जिसने कर प्रशासन में व्यावसायिकता के एक नए युग की शुरुआत की। इन अधिकारियों के लिए प्रारंभिक प्रशिक्षण बॉम्बे और कलकत्ता में आयोजित किया गया था, जिसने एक कुशल कर कार्यबल की नींव रखी।

एक दशक बाद, 1957 में, नागपुर में I.R.S. (डायरेक्ट टैक्सेस) स्टाफ कॉलेज की स्थापना की गई, जिसे बाद में नेशनल अकादमी ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस नाम दिया गया, जिससे कर अधिकारियों के पेशेवर विकास को और बढ़ावा मिला। इस संस्थान ने भारत के कर प्रशासकों के कौशल और ज्ञान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

तकनीकी क्रांति: 1981-2009

आयकर विभाग ने 1981 में प्रौद्योगिकी को अपनाया, जो कम्प्यूटरीकरण युग की शुरुआत थी। प्रारंभिक चरण में चालान (आधिकारिक फॉर्म या रसीद) को इलेक्ट्रॉनिक रूप से संसाधित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो कर संग्रह और रिकॉर्ड रखने में दक्षता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

2009 में बेंगलुरु में सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) की स्थापना के साथ तकनीकी प्रगति अपने चरम पर पहुंच गई। यह अत्याधुनिक सुविधा ई-फाइल्ड और पेपर रिटर्न्स की बड़े पैमाने पर प्रोसेसिंग के लिए डिज़ाइन की गई थी। क्षेत्रीय सीमाओं से मुक्त काम करते हुए, CPC ने कर प्रसंस्करण की दक्षता और आधुनिकीकरण में एक बड़ी छलांग का प्रतिनिधित्व किया।

राष्ट्र निर्माण में आयकर का महत्व

आयकर केवल एक वित्तीय साधन नहीं है; यह राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है, जो देश के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को आकार देने में बहुआयामी भूमिका निभाता है।

आवश्यक सेवाओं को वित्तपोषित करना

आयकर का मुख्य उद्देश्य सरकार को आवश्यक राजस्व प्रदान करना है ताकि वह राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित कर सके और आवश्यक सेवाओं को वित्तपोषित कर सके। इन सेवाओं में शामिल हैं:

  • स्वास्थ्य सेवा: सरकार को सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना, अस्पतालों और चिकित्सा अनुसंधान में निवेश करने में सक्षम बनाना।
  • शिक्षा: स्कूलों, विश्वविद्यालयों और शैक्षिक कार्यक्रमों को वित्तपोषित करना जो भविष्य के कार्यबल को आकार देते हैं।
  • बुनियादी ढाँचा: सड़कों, पुलों, सार्वजनिक परिवहन और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के विकास का समर्थन करना जो आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी बनती हैं।

आर्थिक विकास और रोजगार सृजन

आयकर से प्राप्त राजस्व आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक है। यह सरकार को निम्न कार्य करने की अनुमति देता है:

  • अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करना, विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करना।
  • सार्वजनिक कार्य परियोजनाओं और सरकारी पहलों के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा करना।
  • उद्योगों को सब्सिडी और सहायता प्रदान करना, जिससे उन्हें वैश्विक स्तर पर बढ़ने और प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिले।

सामाजिक समानता और धन पुनर्वितरण

आयकर सामाजिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:

  • समाज में धन के वितरण को प्रभावित करना।
  • समाज के वंचित वर्गों का समर्थन करने वाले सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को वित्तपोषित करना।
  • एक प्रगतिशील कर संरचना बनाना जहाँ उच्च आय वाले अधिक योगदान करते हैं, सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देते हैं।

ज्य की शक्ति और जवाबदेही को मजबूत करना

कराधान की प्रक्रिया निम्नलिखित में मदद करती है:

  • प्रभावी ढंग से शासन करने के लिए वित्तीय साधन प्रदान करके राज्य शक्ति का निर्माण और उसे बनाए रखना।
  • राज्य और उसके नागरिकों के बीच एक सामाजिक अनुबंध स्थापित करना, जहाँ कर अनुपालन के बदले सरकारी सेवाएँ और प्रतिनिधित्व प्राप्त होता है।
  • अधिक जवाबदेही को बढ़ावा देना, क्योंकि करों का भुगतान करने वाले नागरिक सरकारी संचालन में पारदर्शिता और दक्षता की माँग करने की अधिक संभावना रखते हैं।

शासन और राज्य क्षमता में वृद्धि

एक प्रभावी कर प्रणाली निम्नलिखित की ओर ले जाती है:

  • अधिक उत्तरदायी और जवाबदेह शासन संरचनाओं का विकास।
  • जटिल सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए राज्य क्षमता का विस्तार।
  • कुशल सार्वजनिक सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से राज्य की वैधता में वृद्धि।

सकारात्मक चक्र का निर्माण

आयकर समाज में सकारात्मक प्रतिक्रिया चक्र में योगदान देता है:

  • सुधरी हुई सार्वजनिक सेवाएँ सरकार में अधिक विश्वास पैदा करती हैं।
  • बढ़ा हुआ विश्वास बेहतर कर अनुपालन को प्रोत्साहित करता है।
  • बेहतर अनुपालन के परिणामस्वरूप सार्वजनिक भलाई के लिए अधिक संसाधन मिलते हैं, जिससे सेवाओं में और सुधार होता है।

असल में, आयकर केवल राजस्व सृजन तक सीमित नहीं है; यह अपने नागरिकों की आवश्यकताओं को पूरा करने और समग्र सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने में सक्षम प्रभावी, आत्मनिर्भर राज्य बनाने का एक मौलिक साधन है। यह केवल वित्तीय विचारों से परे है, एक स्थिर, न्यायसंगत और समृद्ध समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

भारत में व्यक्तिगत आयकर का वर्तमान परिदृश्य

भारत में व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) परिदृश्य ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है, जो देश के आर्थिक विस्तार और बेहतर कर अनुपालन उपायों को दर्शाता है।

वित्तीय वर्ष 2020-21

COVID-19 महामारी द्वारा उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, सकल व्यक्तिगत आयकर, जिसमें सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) शामिल है, ₹5.75 लाख करोड़ पर खड़ा था। यह महत्वपूर्ण योगदान राष्ट्रीय राजस्व में भारत की कर प्रणाली की स्थिरता को दर्शाता है, भले ही वैश्विक आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा हो।

वित्तीय वर्ष 2021-22

जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था महामारी के प्रभाव से उबरने लगी, सकल पीआईटी संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। यह आंकड़ा बढ़कर ₹7.10 लाख करोड़ हो गया, जो साल-दर-साल उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। इस वृद्धि का श्रेय निम्नलिखित को दिया जा सकता है:

  • महामारी के बाद धीरे-धीरे आर्थिक सुधार
  • बढ़ी हुई कर संग्रह प्रणाली
  • बेहतर अनुपालन उपाय

वित्तीय वर्ष 2022-23

बढ़ती प्रवृत्ति जारी रही, जिसमें पीआईटी संग्रह ₹9.67 लाख करोड़ तक पहुँच गया। इस पर्याप्त वृद्धि ने दर्शाया:

  • चल रहे कर सुधारों की प्रभावशीलता
  • एक उत्साही आर्थिक वातावरण
  • नागरिकों के बीच कर जागरूकता और अनुपालन में वृद्धि

वित्तीय वर्ष 2023-24

इस वर्ष तक, एसटीटी सहित व्यक्तिगत आयकर संग्रह बढ़कर ₹12.01 लाख करोड़ (अनंतिम, 21 अप्रैल, 2024 तक) हो गया था। यह उल्लेखनीय वृद्धि रेखांकित करती है:

  • भारतीय अर्थव्यवस्था की लचीलापन और मजबूती
  • करदाता अनुपालन में सुधार
  • कर आधार को व्यापक बनाने के लिए सरकार के सफल प्रयास

पी.आई.टी. संग्रह में लगातार हो रही वृद्धि भारत के आर्थिक बुनियादी ढांचे और लोक कल्याण कार्यक्रमों को समर्थन देने में आयकर की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है।

बजट 2024-25: आयकर स्लैब में प्रमुख बदलाव

2024-25 के बजट में आयकर व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए, जिसका उद्देश्य वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ पहुंचाना है:

मानक कटौती में वृद्धि

नई कर व्यवस्था को चुनने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए, मानक कटौती को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया गया। यह परिवर्तन कार्यबल के एक बड़े हिस्से को तत्काल राहत प्रदान करता है, जिससे उनके हाथ में आने वाली राशि बढ़ जाती है।

पारिवारिक पेंशन पर बढ़ी हुई कटौती

पेंशनभोगियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, पारिवारिक पेंशन पर कटौती को ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 कर दिया गया। यह वृद्धि पेंशनभोगियों और उनके परिवारों को अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

मूल्यांकन पुन: खोलने की समय सीमा

मूल्यांकन को फिर से खोलने की समय सीमा को संशोधित किया गया। अब, मूल्यांकन वर्ष के अंत से तीन साल से अधिक, पाँच साल तक के लिए मूल्यांकन को फिर से खोला जा सकता है, केवल तभी जब बची हुई आय ₹50 लाख से अधिक हो। यह परिवर्तन करदाताओं को अधिक निश्चितता प्रदान करता है, साथ ही कर विभाग को अघोषित आय के महत्वपूर्ण मामलों को निपटाने की अनुमति भी देता है।

संशोधित कर व्यवस्था के तहत लाभ

संशोधित कर व्यवस्था में काफी लाभ मिलते हैं, वेतनभोगी कर्मचारियों को संभावित रूप से आयकर में ₹17,500 तक का लाभ मिलता है। कर देयता में इस कमी से डिस्पोजेबल आय में वृद्धि और उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

कर संग्रह और कर आधार को बढ़ावा देने के लिए पहल

केंद्र सरकार ने कर संग्रह को बढ़ाने, कर आधार का विस्तार करने और स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई रणनीतिक पहलों को लागू किया है। ये उपाय प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हैं और कर दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाने का लक्ष्य रखते हैं:

व्यक्तिगत आयकर का सरलीकरण

  1. वित्त अधिनियम, 2020: व्यक्तिगत करदाताओं के लिए कम स्लैब दरों पर आयकर का भुगतान करने का विकल्प पेश किया गया, यदि वे निर्दिष्ट छूट और प्रोत्साहनों को छोड़ देते हैं। इस कदम का उद्देश्य कर गणना को सरल बनाना और करदाताओं पर बोझ कम करना था, जो एक सीधी कर संरचना पसंद करते हैं।
  2. वित्त अधिनियम, 2023: दायरे का विस्तार किया और व्यक्तियों पर लागू दरों को कम किया। कर निर्धारण वर्ष 2024-25 से आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 115BAC(1A) के अंतर्गत दरें डिफ़ॉल्ट दरें बन गईं। यह परिवर्तन अधिक संख्या में करदाताओं को लाभ पहुंचाने और नई कर व्यवस्था को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया गया था।

नए फॉर्म 26AS का परिचय

नया फॉर्म 26AS एक व्यापक कर विवरण है जिसमें शामिल है:

  • स्रोत पर कर की कटौती या संग्रह की जानकारी
    निर्दिष्ट वित्तीय लेन-देन (SFT) के विवरण
  • करों का भुगतान
  • मांग और रिफंड की जानकारी

फॉर्म 26AS में SFT डेटा को शामिल करने से करदाताओं को अपने लेनदेन के बारे में पहले से पता चल जाता है, जिससे उन्हें अपनी वास्तविक आय का खुलासा करने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

आयकर रिटर्न (ITR) को पहले से भरना

कर अनुपालन को सरल बनाने के लिए, व्यक्तिगत करदाताओं को पहले से भरे गए ITR प्रदान किए गए हैं। यह सुविधा निम्न जैसी जानकारी को स्वचालित रूप से भर देती है:

  • वेतन आय
  • बैंक ब्याज
  • लाभांश
  • अन्य आय स्रोत

डेटा की मैन्युअल प्रविष्टि को कम करके, इस पहल का उद्देश्य त्रुटियों को कम करना और करदाताओं के लिए समय बचाना है।

अपडेटेड रिटर्न की शुरुआत

अधिनियम की धारा 139(8ए) ने अपडेटेड रिटर्न की अवधारणा पेश की, जो:

  • करदाताओं को प्रासंगिक मूल्यांकन वर्ष की समाप्ति से दो साल के भीतर कभी भी अपना रिटर्न अपडेट करने की अनुमति देता है
  • स्वेच्छा से चूक या गलतियों को स्वीकार करके अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की सुविधा देता है
  • लागू होने पर अतिरिक्त कर का भुगतान करने की आवश्यकता होती है

यह प्रावधान करदाताओं को गंभीर दंड का सामना किए बिना त्रुटियों को सुधारने या अतिरिक्त आय का खुलासा करने का अवसर देता है।

ई-सत्यापन योजना

यह योजना अधिकारियों को करदाता की आय के सटीक और व्यापक निर्धारण के लिए जानकारी एकत्र करने में सक्षम बनाती है। इसका उद्देश्य है:

  • विभिन्न स्रोतों से वित्तीय जानकारी को क्रॉस-रेफ़रेंस करके कर चोरी को कम करना
  • करदाताओं को विभिन्न संस्थाओं से एकत्रित प्रासंगिक वित्तीय जानकारी प्रदान करना

विवाद समाधान समिति (DRC) की स्थापना

छोटे करदाताओं के लिए मुकदमेबाजी को कम करने और विवाद समाधान को बढ़ावा देने के लिए, एक विवाद समाधान समिति का गठन किया गया है। मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:

  • 50 लाख रुपये तक की कर योग्य आय और 10 लाख रुपये तक की विवादित आय वाले करदाताओं के लिए पात्रता
  • ई-विवाद समाधान समिति योजना, 2021 के तहत विवाद समाधान के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म

इस पहल का उद्देश्य छोटे कर मामलों के लिए एक तेज़ और अधिक सुलभ विवाद समाधान तंत्र प्रदान करना है।

TDS/TCS के दायरे का विस्तार

नए करदाताओं को आयकर के दायरे में लाने के लिए, स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) और स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) के दायरे का विस्तार किया गया, जिसमें शामिल हैं:

  • बड़ी मात्रा में नकद निकासी
  • विदेशी रेमिटेंस
  • लक्जरी कारों की खरीद
  • ई-कॉमर्स प्रतिभागी
  • माल की बिक्री

इस विस्तार का उद्देश्य ऐसे लेन-देन को शामिल करना है जो कर योग्य आय का संकेत दे सकते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में कर अनुपालन को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

आयकर रिटर्न: एक बढ़ता हुआ रुझान

आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति अपनी आय और करों के बारे में जानकारी भारत के आयकर विभाग को प्रस्तुत करते हैं। ITR में किसी विशेष वित्तीय वर्ष से संबंधित विवरण होते हैं, जो 1 अप्रैल से शुरू होता है और अगले वर्ष की 31 मार्च को समाप्त होता है।

ITR दाखिल करने वालों की बढ़ती संख्या

आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले व्यक्तियों की संख्या में पिछले चार वर्षों में लगातार वृद्धि देखी गई है:

  • 2019-20: 6.48 करोड़ दाखिलकर्ता
  • 2020-21: 6.72 करोड़ दाखिलकर्ता
  • 2021-22: 6.94 करोड़ दाखिलकर्ता
  • 2022-23: 7.40 करोड़ दाखिलकर्ता

ITR दाखिल करने में यह स्थिर वृद्धि कई सकारात्मक रुझानों को दर्शाती है:

  1. कर आधार का विस्तार: अधिक व्यक्ति कर के दायरे में आ रहे हैं, जो औपचारिक अर्थव्यवस्था के विस्तार का संकेत देता है।
  2. आर्थिक विकास: जैसे-जैसे अधिक लोग कर योग्य आय अर्जित करते हैं, यह समग्र आर्थिक विकास की ओर इशारा करता है।
  3. सरकारी पहलों की प्रभावशीलता: फाइलिंग में वृद्धि का श्रेय कर प्रक्रिया को सरल बनाने और जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न सरकारी उपायों को दिया जा सकता है।
  4. डिजिटल अपनाना: यह वृद्धि कर दाखिल करने की प्रक्रियाओं के बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ संरेखित होती है, जिससे यह बड़ी आबादी के लिए अधिक सुलभ हो जाती है।

आईटीआर फाइलिंग में लगातार साल-दर-साल वृद्धि भारत के विकसित होते कर परिदृश्य का एक सकारात्मक संकेतक है, जो आर्थिक प्रगति और बेहतर कर प्रशासन दोनों को दर्शाता है।

about | - Part 4_4.1

केंद्रीय बजट 2024-25: संपूर्ण बजट विश्लेषण

about | - Part 4_15.1

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को लगातार सातवीं बार बजट पेश किया। सीतारमण ने अपने 1 घंटे 23 मिनट के बजट भाषण में युवा, गरीब, महिला और अन्नदाताओं को ध्‍यान मे रखते हुए विशेष नौ सूत्रीय योजनाओं का एलान किया। बिहार को 58.9 हजार करोड़ और आंध्र प्रदेश को 15 हजार करोड़ रुपये की मदद मुहैया कराने की घोषणा की है। बजट 2024-25 में कुल व्यय 48.21 लाख करोड़ रुपये और प्राप्तियां (उधार को छोड़कर) 32.07 लाख करोड़ रुपये का अनुमान है, जबकि शुद्ध कर प्राप्तियां 25.83 लाख करोड़ रुपये अनुमानित हैं।

राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.9% रहने का अनुमान है। “विकसित भारत” थीम के तहत प्रमुख पहलों में बारह औद्योगिक पार्क विकसित करना, शीर्ष कंपनियों में 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप प्रदान करना, औद्योगिक श्रमिकों के लिए छात्रावास-प्रकार के आवास के साथ किराये के आवास को बढ़ावा देना और ऊर्जा सुरक्षा के लिए भारत लघु रिएक्टर स्थापित करना शामिल है। इन प्रयासों का उद्देश्य आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देना, युवाओं को रोजगार का समर्थन करना, आवास को बढ़ाना और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को सुरक्षित करना है।

बजट 2024-2025 की मुख्य विशेषताएं

बजट थीम

  • ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोडमैप।

चार प्रमुख समूहों पर ध्यान केंद्रित करें:

  • महिलाएं
  • गरीब
  • युवा
  • अन्नदाता (किसान)

2024-25 के लिए मुख्य वित्तीय विवरण

कुल प्राप्तियां

कुल प्राप्तियां (उधार को छोड़कर): ₹32.07 लाख करोड़

कुल व्यय

  • कुल व्यय: ₹48.21 लाख करोड़

शुद्ध कर प्राप्तियां

  • शुद्ध कर प्राप्तियां: ₹25.83 लाख करोड़

राजकोषीय घाटा

  • राजकोषीय घाटा: सकल घरेलू उत्पाद का 4.9% अनुमानित

वित्तीय आवंटन

व्यय:

  • ब्याज भुगतान: 19%
  • केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं (रक्षा और सब्सिडी पर पूंजीगत व्यय को छोड़कर): 16%
  • सब्सिडी: 6%
  • रक्षा: 8%
  • अन्य व्यय: 9%
  • केंद्र प्रायोजित योजनाएं: 8%
  • वित्त आयोग और अन्य हस्तांतरण: 9%
  • करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा: 21%
  • पेंशन: 4%

राजस्व:

  • गैर-कर प्राप्तियां: 9%
  • गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियां: 1%
  • सीमा शुल्क: 4%
  • निगम कर: 17%
  • जीएसटी और अन्य कर: 18%
  • संघीय उत्पाद शुल्क: 5%
  • आयकर: 19%
  • उधार और अन्य देयताएं: 27%

प्राप्तियां (₹ लाख करोड़ में)

राजस्व प्राप्तियां:

  • 2022-23 (वास्तविक): 23.8
  • 2023-24 (बीई): 26.3
  • 2023-24 (आरई): 27.0
  • 2024-25 (बीई): 31.3

पूंजी प्राप्तियां:

  • 2022-23 (वास्तविक): 18.1
  • 2023-24 (बीई): 18.7
  • 2023-24 (आरई): 17.9
  • 2024-25 (बीई): 16.9

व्यय (₹ लाख करोड़ में)

राजस्व व्यय:

  • 2022-23 (वास्तविक): 34.5
  • 2023-24 (बजट अनुमान): 35.0
  • 2023-24 (संशोधित अनुमान): 35.4
  • 2024-25 (बजट अनुमान): 37.1

प्रभावी पूंजीगत व्यय:

  • 2022-23 (वास्तविक): 10.5
  • 2023-24 (बजट अनुमान): 13.7
  • 2023-24 (संशोधित अनुमान): 12.7
  • 2024-25 (बजट अनुमान): 15.0

बुनियादी ढांचा

दीर्घकालिक ऋण:

  • राज्यों को दीर्घकालिक ब्याज मुक्त ऋण के रूप में ₹1.5 लाख करोड़।

संपूर्ण बुनियादी ढांचा निवेश:

  • बुनियादी ढांचे के लिए ₹11,11,111 करोड़ (11.11 लाख करोड़) का आवंटन (जीडीपी का 3.4%)।

प्रमुख मदों पर व्यय (करोड़ रुपये में)

  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय: 2,65,808
  • रक्षा: 2024-25 के नियमित केंद्रीय बजट में रक्षा मंत्रालय को आवंटित 6.22 लाख करोड़ रुपये, सभी मंत्रालयों में सबसे अधिक; वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 4.79% अधिक।
  • ऊर्जा: 1,51,851
  • कृषि और संबद्ध गतिविधियाँ: 1,51,851
  • गृह मंत्रालय: 1,50,983
  • शिक्षा: 1,25,638
  • आईटी और दूरसंचार: 1,16,342
  • स्वास्थ्य: 89,287
  • ग्रामीण विकास: 68,769
  • सामाजिक कल्याण: 56,501
  • वाणिज्य और उद्योग: 47,559
  • रेलवे: 2,78,500 करोड़
  • प्रमुख योजनाओं के लिए आवंटन (करोड़ रुपये में)

मनरेगा:

  • 2023-24(बजट अनुमान): 86,000
  • 2024-25(बजट अनुमान): 60,000

अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएँ:

  • 2023-24(बजट अनुमान): 1,200
  • 2024-25(बजट अनुमान): 840

परमाणु ऊर्जा परियोजनाएँ:

  • 2023-24(बीई): 2,228
  • 2024-25(बीई): 442

फार्मास्युटिकल उद्योग के लिए पीएलआई:

  • 2023-24(बीई): 2,143
  • 2024-25(बीई): 1,200

सौर ऊर्जा (ग्रिड):

  • 2023-24(बीई): 10,000
  • 2024-25(बीई): 4,970

सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण का विकास:

  • 2023-24(बीई): 6,903
  • 2024-25(बीई): 3,000

आईडीईए योजना के तहत ऋण की लाइनें:

  • 2023-24(बीई): 1,300
  • 2024-25(बीई): 3,849

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण – एलपीजी:

  • 2023-24(बीई): 1,500
  • 2024-25(बीई): 180

कृषि

सब्जी उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला:

  • सब्जी आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए एफपीओ, सहकारी समितियों और स्टार्टअप को बढ़ावा देना।

नई किस्मों का विमोचन:

  • 32 फसलों की 109 नई उच्च उपज देने वाली और जलवायु-अनुकूल किस्में।

राष्ट्रीय सहयोग नीति:

  • सहकारी क्षेत्र का व्यवस्थित विकास।

तिलहनों में आत्मनिर्भरता:

  • सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी पर ध्यान केंद्रित करना।

कृषि अनुसंधान में बदलाव:

  • उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु-अनुकूल किस्मों को विकसित करने के लिए व्यापक समीक्षा।

प्राकृतिक खेती:

  • प्रमाणीकरण और ब्रांडिंग के लिए समर्थन के साथ 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती में शामिल करना।
  • 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केंद्रों की स्थापना।

झींगा उत्पादन और निर्यात:

  • NABARD के माध्यम से झींगा पालन, प्रसंस्करण और निर्यात के लिए वित्तपोषण।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI):

  • 3 वर्षों के भीतर किसानों और उनकी भूमि का कवरेज।
  • 400 जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण।
  • जन समर्थ-आधारित किसान क्रेडिट कार्ड जारी करना।
  • रोज़गार और कौशल

महिला कार्यबल भागीदारी:

  • कामकाजी महिला छात्रावास और क्रेच की स्थापना।

नए प्रवेशकों के लिए प्रोत्साहन:

  • औपचारिक क्षेत्र में नए प्रवेशकों के लिए एक महीने का वेतन ₹15,000 तक, जिससे 210 लाख युवाओं को लाभ होगा।

EPFO योगदान प्रोत्साहन:

  • पहली बार काम करने वाले कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए 4 वर्षों में EPFO ​​योगदान के लिए प्रोत्साहन, जिससे 30 लाख युवाओं को लाभ होगा।
    नई नियुक्तियों के लिए ईपीएफओ अंशदान की सरकार 3000 रुपये प्रति माह तक की प्रतिपूर्ति 2 वर्षों तक करेगी, जिससे 50 लाख नौकरियां पैदा होंगी।

शिक्षा ऋण:

  • सरकारी गारंटी के साथ 7.5 लाख रुपये तक का ऋण, जिससे सालाना 25,000 छात्रों को मदद मिलेगी।
  • घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए वित्तीय सहायता।
  • सालाना 1 लाख छात्रों को सीधे ई-वाउचर।
  • सालाना 3% ब्याज छूट।

कौशल कार्यक्रम:

  • 5 वर्षों में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करना।
  • हब और स्पोक व्यवस्था के साथ 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को अपग्रेड करना।
  • उद्योग-संरेखित पाठ्यक्रम सामग्री और डिजाइन।

समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय

पूर्वोदय: विकास भी विरासत भी:

  • पूर्वी राज्यों के लिए आर्थिक अवसर: बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश।
  • अमृतसर कोलकाता औद्योगिक गलियारे और गया में औद्योगिक नोड का विकास।

महिलाओं की योजनाएँ:

  • महिलाओं और लड़कियों को लाभ पहुँचाने वाली योजनाओं के लिए ₹3 लाख करोड़ से अधिक आवंटित।

आदिवासी विकास:

  • प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान: 63,000 गाँव, 5 करोड़ आदिवासी लोगों को लाभ पहुँचाना।
  • उत्तर पूर्व क्षेत्र: इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की 100+ शाखाएँ।
  • आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम: बुनियादी ढाँचे और पोलावरम सिंचाई परियोजना को पूरा करने के लिए ₹15,000 करोड़।

विनिर्माण और सेवाएँ

औद्योगिक पार्क:

  • राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत बारह औद्योगिक पार्कों का विकास।

इंटर्नशिप के अवसर:

  • 5 वर्षों में 1 करोड़ युवाओं के लिए 500 शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप।
  • सीएसआर फंड के माध्यम से ₹5,000/माह का भत्ता और ₹6,000 की एकमुश्त सहायता।

किराए पर आवास:

  • वीजीएफ समर्थन के साथ पीपीपी मोड में औद्योगिक श्रमिकों के लिए छात्रावास-प्रकार का आवास।

महत्वपूर्ण खनिज मिशन:

  • महत्वपूर्ण खनिजों का घरेलू उत्पादन, पुनर्चक्रण और विदेश में अधिग्रहण।

एमएसएमई ऋण सहायता:

  • ऋण सहायता और बढ़ी हुई ऋण गारंटी योजनाएँ।
  • ‘तरुण’ श्रेणी के तहत मुद्रा ऋण सीमा ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹20 लाख कर दी गई।

शहरी विकास

स्टाम्प ड्यूटी:

  • महिलाओं द्वारा खरीदी गई संपत्तियों के लिए स्टाम्प ड्यूटी कम करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करना।

स्ट्रीट मार्केट:

  • चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक ‘हाट’ या स्ट्रीट फूड हब का विकास।
  • पारगमन-उन्मुख विकास: 30 लाख से अधिक आबादी वाले 14 बड़े शहरों के लिए योजनाएँ। जल प्रबंधन: 100 बड़े शहरों में जल आपूर्ति, सीवेज उपचार और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देना। आवास: पीएम आवास योजना शहरी 2.0: 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों की आवास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ₹10 लाख करोड़ का निवेश। कुशल किराये के आवास बाजारों के लिए नीतियाँ और नियम।

ऊर्जा सुरक्षा

भारत लघु रिएक्टर:

  • भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों का विकास और अनुसंधान एवं विकास।

ऊर्जा लेखा परीक्षा:

  • 60 क्लस्टरों में निवेश-ग्रेड ऊर्जा लेखा परीक्षा, 100 क्लस्टरों तक विस्तार।

पंप स्टोरेज नीति:

  • एनटीपीसी-भेल संयुक्त उद्यम 800 मेगावाट का वाणिज्यिक संयंत्र स्थापित करेगा।

स्वच्छ ऊर्जा:

  • सूक्ष्म और लघु उद्योगों को स्वच्छ ऊर्जा रूपों में स्थानांतरित करने के लिए वित्तीय सहायता।

पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना:

  • 1 करोड़ घरों के लिए प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ़्त बिजली का प्रावधान।

ग्रामीण संपर्क:

  • पीएमजीएसवाई का चरण IV: 25,000 ग्रामीण बस्तियों के लिए सभी मौसम की कनेक्टिविटी।

सिंचाई और बाढ़ शमन:

  • कोसी-मेची अंतर-राज्यीय लिंक और अन्य योजनाओं जैसी परियोजनाओं के लिए ₹11,500 करोड़।
  • हिमाचल प्रदेश, असम, सिक्किम और उत्तराखंड में पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए सहायता।

 

 

MSME के ग्रीन फाइनेंसिंग के लिए SIDBI का $1B फंड: हरित भविष्य की ओर एक कदम

about | - Part 4_17.1

भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI), जिसे ग्रीन क्लाइमेट फंड से $215.6 मिलियन की वित्तीय सहायता की मंजूरी मिली है, मध्यम और लघु उद्यमों (MSMEs) की ‘मिटिगेशन और एडाप्टेशन प्रोजेक्ट्स’ (FMAP) के वित्तपोषण के लिए $1 बिलियन का कोष बनाएगा। ग्रीन क्लाइमेट फंड के बोर्ड, जो संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) द्वारा स्थापित एक इकाई है, ने SIDBI के लिए $200 मिलियन के ऋण और क्षमता निर्माण के लिए $15.6 मिलियन की अनुदान राशि को मंजूरी दी है।

MSMEs को 10,000 रियायती ऋण

SIDBI द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि FMAP सुविधा MSMEs को “लगभग 10,000 रियायती ऋण” प्रदान करेगी, ताकि निम्न-उत्सर्जन, जलवायु-सहनशील तकनीकों को बढ़ावा दिया जा सके। FMAP कार्यक्रम से 35.3 मिलियन टन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आने की उम्मीद है। अनुकूलन गतिविधियाँ “पर्याप्त जल बचत” और कमजोर समुदायों में सहनशीलता का निर्माण करेंगी, जिससे “10.8 मिलियन से अधिक लाभार्थियों को लाभ होगा।”

विकास वित्तीय संस्थान अपने बैलेंस शीट से और आंशिक रूप से बाज़ार से $800 मिलियन जुटाएगा, जिससे $1 बिलियन का फंड बनेगा। यह फंड MSMEs के लिए नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, ऊर्जा भंडारण और ई-मोबिलिटी जैसी परियोजनाओं के लिए ‘FMAP सुविधा’ प्रदान करेगा। विशेष रूप से, यह एशियाई विकास बैंक द्वारा भारत में रूफटॉप सोलर परियोजनाओं के लिए $240 मिलियन के ऋण को मंजूरी देने के बाद आया है, जिसकी घोषणा 17 जुलाई को की गई थी। एडीबी का ऋण भारतीय स्टेट बैंक और NABARD के माध्यम से दिया जाएगा।

ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) क्या है?

ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF), “दुनिया का सबसे बड़ा समर्पित जलवायु फंड” है। यह संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) की वित्तीय तंत्र की एक परिचालन इकाई है। इस फंड के पास 130 विकासशील देशों में परिवर्तनकारी जलवायु कार्रवाई के लिए $14.9 बिलियन ($58.7 बिलियन सह-वित्तपोषण सहित) के 270 परियोजनाओं का पोर्टफोलियो है। SIDBI को दिया गया ऋण 35 विकासशील देशों में 17 परियोजनाओं के लिए $1 बिलियन के वित्तपोषण अनुमोदनों का हिस्सा है।

 

हरमनप्रीत कौर भारत की ओर से सबसे ज्यादा टी20 रन बनाने वाली खिलाड़ी बनीं

about | - Part 4_19.1

हरमनप्रीत कौर अब स्मृति मंधाना को पछाड़कर भारत की ओर से महिला टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी बन गई हैं। यह उपलब्धि 21 जुलाई को दांबुला में यूएई के खिलाफ भारत के महिला एशिया कप टी-20 मैच के दौरान हासिल की गई। यूएई ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया, स्मृति मंधाना 13 रन बनाकर आउट हो गईं।

भारतीय कैप्शन और अन्य का प्रदर्शन

शेफाली वर्मा ने आक्रामक खेल दिखाया और आउट होने से पहले 18 गेंदों पर 37 रन बनाए। हरमनप्रीत कौर को स्मृति के 3,378 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए केवल 30 रनों की जरूरत थी।

भारतीय कप्तान ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 47 गेंदों पर सात चौकों और एक छक्के की मदद से 66 रन बनाए। जेमिमाह रोड्रिग्स और ऋचा घोष के साथ मजबूत साझेदारी बनाने के बाद वह अंतिम ओवर में रन आउट हो गईं।

हरमनप्रीत के अब तक 171 टी20 मैचों में 3,415 रन हो गए हैं, जिसमें 28.22 की औसत और 107.35 की स्ट्राइक रेट शामिल है। वह अभी अपने डिप्टी से 37 रन आगे हैं।

ऋचा घोष ने भी बल्ले से कमाल दिखाया और 29 गेंदों पर 12 चौकों और एक छक्के की मदद से 64 रन बनाए। वह नाबाद रहीं और भारत ने 20 ओवर में 201/5 का चुनौतीपूर्ण स्कोर बनाया, जो विश्व टी20 में भारत का पहला 200 से ज़्यादा का स्कोर था। इससे पहले, उनका सर्वोच्च स्कोर मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ़ 198/4 था।

जीत का मौका

हालाँकि, 202 रन के लक्ष्य का पीछा करना यूएई की अनुभवहीन बल्लेबाजी लाइनअप के लिए एक कठिन काम होगा। सात बार के एशिया कप चैंपियन भारत के पास अपने पहले मैच में पाकिस्तान को सात विकेट से हराने के बाद लगातार दो मैच जीतने का मौका है। इसके विपरीत, यूएई को नेपाल के खिलाफ अपने पहले मैच में हार का सामना करना पड़ा।

about | - Part 4_4.1

ओलंपिक ईस्पोर्ट्स गेम्स सऊदी अरब में आयोजित किए जाएंगे: आईओसी

about | - Part 4_22.1

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने 12 जुलाई को घोषणा की कि उसने सऊदी अरब में 2025 के पहले ओलंपिक ईस्पोर्ट्स गेम्स की मेजबानी के लिए सऊदी अरब की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (एनओसी) के साथ साझेदारी की है। यह महत्वपूर्ण कदम आईओसी की हाल की घोषणा के बाद उठाया गया है जिसमें कहा गया है कि आईओसी कार्यकारी बोर्ड (ईबी) ने ओलंपिक ईस्पोर्ट्स गेम्स की स्थापना की है। यह प्रस्ताव आईओसी सत्र में रखा जाएगा, जो 2024 पेरिस ओलंपिक खेलों की पूर्व संध्या पर आयोजित किया जाएगा।

ओलंपिक ईस्पोर्ट्स गेम्स के बारे में

आईओसी और सऊदी एनओसी के बीच साझेदारी की अवधि 12 वर्ष होगी, जिसमें ओलंपिक ईस्पोर्ट्स गेम्स नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे। सऊदी अरब के खेल मंत्री और ओलंपिक एवं पैरालंपिक समिति के अध्यक्ष एचआरएच प्रिंस अब्दुलअजीज बिन तुर्की अल फैसल ने कहा, “सऊदी अरब आईओसी के साथ साझेदारी करने और अंतर्राष्ट्रीय खेलों के लिए एक बिल्कुल नए युग का स्वागत करने में मदद करने की संभावना से बेहद उत्साहित है।” हमारा मानना ​​है कि ओलंपिक खेलों में भाग लेना किसी भी एथलीट के लिए सबसे बड़ा सम्मान है। और हमें ओलंपिक इतिहास में एक नया अध्याय लिखने में सहयोग करने पर गर्व है, जिसमें दुनिया भर के लाखों एथलीटों के लिए नए सपने और नई महत्वाकांक्षाएँ प्रेरित करने की क्षमता है।

खेल का महत्वपूर्ण विकास

यह साझेदारी ऐसे समय में हुई है जब सऊदी अरब में खेलों का समग्र विकास हो रहा है और यह विज़न 2030 के तहत देश के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन से प्रेरित है। 2018 से, किंगडम को कुछ सबसे बड़े वैश्विक खेल आयोजनों का आयोजन करने का काम सौंपा गया है, जिसमें पुरुष और महिला एथलीटों के लिए 100 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन शामिल हैं, जिनमें ईस्पोर्ट्स, फ़ुटबॉल, मोटरस्पोर्ट्स, टेनिस, घुड़सवारी और गोल्फ़ शामिल हैं, जो 2.6 मिलियन से अधिक खेल प्रशंसकों को आकर्षित करते हैं।

खेल भागीदारी स्तर

परिणामस्वरूप, खेल सऊदी अरब में शौकिया से लेकर अभिजात वर्ग तक हर स्तर पर रोज़मर्रा की ज़िंदगी का एक हिस्सा बन गया है। 2015 से कुल मिलाकर खेल भागीदारी का स्तर तीन गुना से ज़्यादा बढ़कर देश की आबादी का लगभग 50 प्रतिशत हो गया है। इस दौरान खेल महासंघों की संख्या भी तीन गुना बढ़कर 32 से 98 हो गई है, जिसमें सऊदी ईस्पोर्ट्स फेडरेशन इस वृद्धि का एक उदाहरण है। सऊदी की 67 प्रतिशत आबादी खुद को गेमर मानती है, और पूर्णकालिक करियर बनाने वाले प्रो ईस्पोर्ट्स खिलाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो वर्तमान में 100 है।

महिलाओं के खेल में तेज़ी से वृद्धि

विशेष रूप से महिलाओं के खेल में तेज़ी से वृद्धि देखी गई है, और किंगडम के 23 मिलियन गेमर्स में से लगभग आधी महिलाएँ हैं। अब 330,000 से ज़्यादा पंजीकृत महिला एथलीट हैं और लगभग 40 महिला राष्ट्रीय टीमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। जमीनी स्तर पर खेल भी फल-फूल रहे हैं, तथा खेल सभी लड़कियों के लिए स्कूली पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बन गए हैं, जैसा कि प्रत्येक सप्ताह स्कूल फुटबॉल लीग में खेल रही 70,000 स्कूली लड़कियों से स्पष्ट होता है। खेल खेलने के अलावा, विनियमों में सुधार से यह सुनिश्चित हो गया है कि सभी खेल महासंघों के बोर्ड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हो, तथा अब 100 से अधिक महिलाओं की नियुक्ति हो चुकी है, जिनमें सात महिला महासंघ अध्यक्ष भी शामिल हैं।

about | - Part 4_4.1

 

भारत का राष्ट्रीय ध्वज दिवस 2024: तिरंगे का सम्मान

about | - Part 4_25.1

भारत का राष्ट्रीय ध्वज दिवस 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा द्वारा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने की याद में मनाया जाता है, जो 15 अगस्त, 1947 को देश को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने से कुछ ही दिन पहले हुआ था। सरकारी वेबसाइट नो इंडिया के अनुसार, यह दिन बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के प्रतीक का सम्मान करता है।

ध्वज का डिज़ाइन और प्रतीकात्मकता

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज, जिसे “तिरंगा” के नाम से जाना जाता है, में समान चौड़ाई की तीन क्षैतिज पट्टियाँ होती हैं। सबसे ऊपर की पट्टी केसरिया रंग की है, जो साहस और बलिदान का प्रतीक है। बीच की पट्टी सफ़ेद रंग की है, जो शांति और सत्य का प्रतीक है, जिसके बीच में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र है, जो कानून के शाश्वत चक्र का प्रतीक है। नीचे की पट्टी हरे रंग की है, जो विकास और शुभता को दर्शाती है। ध्वज का अनुपात 2:3 के अनुपात में है, और अशोक चक्र में 24 तीलियाँ हैं, जो निरंतर प्रगति का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह डिज़ाइन गहरे प्रतीकात्मकता को दर्शाता है, जो भारतीय राष्ट्र के मूल्यों और आकांक्षाओं को दर्शाता है।

ऐतिहासिक संदर्भ

ध्वज का डिज़ाइन भारत की स्वतंत्रता से कुछ सप्ताह पहले ही अपनाया गया था, इसे पहले के संस्करण को बदलने के लिए चुना गया था। एक महत्वपूर्ण बदलाव यह था कि चरखे या “चरखे” की जगह अशोक चक्र को रखा गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान चरखा आत्मनिर्भरता और प्रतिरोध का एक शक्तिशाली प्रतीक रहा था। इस बदलाव का सुझाव बदरुद्दीन तैयबजी ने दिया था और महात्मा गांधी ने इसका समर्थन किया था, जो संघर्ष के प्रतीकों से शासन और प्रगति के प्रतीकों में बदलाव का प्रतीक था।

भारतीय ध्वज संहिता

2002 में, भारतीय ध्वज संहिता को संशोधित किया गया था ताकि नागरिकों को किसी भी दिन राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित करने और उसका उपयोग करने की अनुमति मिल सके, न कि केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, जैसा कि पहले अनिवार्य था। इस परिवर्तन का उद्देश्य नागरिकों और उनके राष्ट्रीय प्रतीक के बीच गहरा संबंध विकसित करना था। हालाँकि, संहिता इस बात पर ज़ोर देती है कि ध्वज का हमेशा सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए।

महत्व और पालन

राष्ट्रीय ध्वज दिवस केवल ध्वज का सम्मान करने का दिन नहीं है; यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े मूल्यों और बलिदानों पर चिंतन करने का अवसर भी है। स्कूल, सरकारी संस्थान और विभिन्न संगठन अक्सर इस राष्ट्रीय प्रतीक को श्रद्धांजलि देने और नागरिकों को इसके महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए समारोह आयोजित करते हैं।

इन समारोहों में आम तौर पर ध्वजारोहण समारोह, देशभक्ति के गीत और ध्वज के इतिहास और महत्व के बारे में शैक्षिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। ऐसे आयोजन सभी उम्र के नागरिकों में राष्ट्रीय गौरव और एकता की भावना पैदा करने में मदद करते हैं।

यह दिन भारतीयों की सामूहिक पहचान और ध्वज में निहित आदर्शों की याद दिलाता है। यह देश की समृद्ध विरासत, विविध संस्कृति और प्रगति और एकता की दिशा में चल रही यात्रा का प्रतिनिधित्व करता है। तिरंगे का सम्मान करके, भारतीय लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं जो उनके राष्ट्र की नींव बनाते हैं।

शिक्षा सप्ताह 2024: NEP 2020 के 4 साल पूरे होने का जश्न

about | - Part 4_27.1

स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की चौथी वर्षगांठ मनाने के लिए 22 जुलाई से 28 जुलाई, 2024 तक शिक्षा सप्ताह मना रहा है। सप्ताह भर चलने वाला यह कार्यक्रम सहयोग को बढ़ावा देने और NEP 2020 द्वारा शुरू किए गए शैक्षिक सुधारों पर प्रकाश डालने पर केंद्रित है।

इवेंट ओवरव्यू

तिथियाँ: 22 जुलाई – 28 जुलाई, 2024
उद्देश्य: सहयोग को बढ़ावा देना और NEP 2020 सुधारों के प्रभाव को प्रदर्शित करना
प्रतिभागी: शिक्षक, छात्र और शैक्षिक हितधारक

दैनिक विषय-वस्तु और गतिविधियाँ

दिन 1 – सोमवार, 22 जुलाई, 2024: शिक्षण-अधिगम सामग्री (टीएलएम) दिवस

शिक्षक कक्षा में स्थानीय संदर्भों पर आधारित शिक्षण-अधिगम सामग्री का प्रदर्शन और उपयोग करेंगे।

दिन 2 – मंगलवार, 23 जुलाई, 2024: आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN) दिवस

निपुण/FLN मिशन के सफल कार्यान्वयन के समर्थन हेतु जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।

दिन 3 – बुधवार, 24 जुलाई, 2024: खेल दिवस
प्रतियोगिताएं खेल विभाग, युवा मामले, एनएसएस और सामुदायिक सदस्यों के सहयोग से आयोजित की जाएंगी।

दिन 4 – गुरुवार, 25 जुलाई, 2024: सांस्कृतिक दिवस
छात्रों में एकता और विविधता की भावना को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

दिन 5 – शुक्रवार, 26 जुलाई, 2024: कौशल और डिजिटल पहल दिवस

बदलते रोजगार बाजार, नई कौशल आवश्यकताओं और कक्षा के अनुभवों को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल पहलों को समझने पर ध्यान केंद्रित करना।

दिन 6 – शनिवार, 27 जुलाई 2024: ईको क्लब और स्कूल पोषण दिवस
नई ईको क्लबों की स्थापना और #Plant4Mother पहल के तहत एक पौधारोपण अभियान आयोजित किया जाएगा।

दिन 7 – रविवार, 28 जुलाई 2024: सामुदायिक सहभागिता दिवस
गतिविधियों में स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग बढ़ाने और सामाजिक-भावनात्मक कल्याण का समर्थन करने के लिए तिथि भोजन और विद्यांजलि शामिल हैं।

उद्देश्य और दिशानिर्देश

वस्‍तुनिष्‍ठ

NEP 2020 की उपलब्धियों का सम्मान करते हुए छात्रों और शिक्षकों को ज्ञान और अवसरों से सशक्त बनाना।

स्कूलों के लिए दिशानिर्देश

  • TLM सामग्री के साथ प्रदर्शनियों की मेज़बानी करें, संगीत और साहित्यिक प्रदर्शनों का आयोजन करें।
  • राज्य दिशानिर्देशों के अनुसार ग्रेड-वार गतिविधियों की तैयारी करें।
  • घटनाओं का डेटा संकलित करें और जिला उप निदेशक को प्रस्तुत करें।

about | - Part 4_4.1

Recent Posts