28वीं यूपीयू कांग्रेस में भारत प्रशासन एवं डाक संचालन परिषद के लिए पुनः निर्वाचित

भारत को दुबई में आयोजित 28वें यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस के दौरान काउंसिल ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (CA) और पोस्टल ऑपरेशंस काउंसिल (POC) दोनों में पुनः निर्वाचित किया गया। संचार मंत्रालय ने इसे इंडिया पोस्ट के नेतृत्व, सुधारों और डिजिटल नवाचारों की अंतरराष्ट्रीय मान्यता बताया, जो डाक क्षेत्र में भारत के वैश्विक प्रभाव को और सशक्त करता है।

पुनर्निर्वाचन का महत्व

  • वैश्विक विश्वास: भारत के डाक सुधारों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भरोसा।

  • नेतृत्व की भूमिका: वैश्विक डाक शासन और तकनीकी संचालन में भारत की भूमिका और मजबूत।

  • डिजिटल प्रोत्साहन: डिजिटल वित्तीय समावेशन और आधुनिकीकरण में इंडिया पोस्ट की उपलब्धियों की स्वीकृति।

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यह पुनर्निर्वाचन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृष्टि और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के कूटनीतिक प्रयासों से संभव हुआ है।

भारत का योगदान

  • सदस्यता: 1876 से (लगभग 150 वर्षों से सक्रिय भागीदारी)।

  • योगदान: अंतरराष्ट्रीय डाक सहयोग को मजबूत करने में निरंतर भूमिका।

  • नवाचार: डिजिटल भुगतान सेवाएँ, वित्तीय समावेशन योजनाएँ, और ई-कॉमर्स एकीकरण के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा अर्जित।

यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU): परिचय

  • स्थापना: 1874 (बर्न, स्विट्ज़रलैंड)

  • विशेषीकृत संयुक्त राष्ट्र एजेंसी बनी: 1948

  • मुख्यालय: बर्न, स्विट्ज़रलैंड

  • सदस्य देश: 192

  • मुख्य उद्देश्य: डाक क्षेत्र में वैश्विक सहयोग और एकसमान, कुशल डाक सेवाओं का नेटवर्क सुनिश्चित करना।

UPU की प्रमुख परिषदें

  • काउंसिल ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (CA): नीतिगत, नियामक और प्रशासनिक मामलों का संचालन।

  • पोस्टल ऑपरेशंस काउंसिल (POC): तकनीकी एवं परिचालन संस्था; आधुनिकीकरण, डिजिटल सेवाओं और वैश्विक मानकों पर कार्य।

भारत का इन दोनों परिषदों में पुनर्निर्वाचन वैश्विक नीति-निर्माण और तकनीकी नवाचारों में उसकी निरंतर प्रभावशाली भूमिका को सुनिश्चित करता है।

त्वरित तथ्य

  • कार्यक्रम: 28वां यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस, दुबई

  • भारत की उपलब्धि: CA और POC दोनों में पुनर्निर्वाचन

  • केंद्रीय मंत्री: ज्योतिरादित्य सिंधिया (संचार)

  • UPU स्थापना: 1874 (बर्न, स्विट्ज़रलैंड)

  • UN विशेष एजेंसी बनी: 1948

  • वर्तमान सदस्य देश: 192

  • भारत की सदस्यता: 1876

  • मुख्यालय: बर्न, स्विट्ज़रलैंड

  • UPU कांग्रेस: हर 4 वर्ष में आयोजित; सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था

प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत धोरडो गुजरात का चौथा सौर गांव बना

गुजरात के कच्छ ज़िले में स्थित धोरडो गाँव ने सतत ऊर्जा के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान रच दिया है। यह गाँव अब राज्य का चौथा ऐसा गाँव बन गया है, जो पूरी तरह सौर ऊर्जा (Solar Energy) से संचालित है। धोरडो, जिसे UNWTO (संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन) ने “विश्व का सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव” घोषित किया था, अब नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने में भी एक उदाहरण बन गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस उपलब्धि को 20 सितंबर 2025 को भावनगर में आयोजित “समुद्र से समृद्धि” कार्यक्रम के दौरान राष्ट्र को समर्पित किया।

धोरडो का सौरकरण 

  • पहल (Initiative): पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना

  • कार्यान्वयन: हर आवासीय बिजली कनेक्शन का सौरकरण

  • कवरेज: 81 घरों में सोलर रूफ़टॉप सिस्टम लगाए गए

  • स्थापित क्षमता (Installed Capacity): 177 किलोवाट

  • अपेक्षित उत्पादन (Annual Output): 2.95 लाख यूनिट प्रति वर्ष

इस परियोजना से गाँव वालों के बिजली बिल में भारी बचत होगी और अतिरिक्त ऊर्जा को ग्रिड को बेचकर आमदनी भी होगी।

गाँववासियों को आर्थिक लाभ

  • प्रति घर वार्षिक बचत: लगभग ₹16,064

  • गाँव का कुल वार्षिक लाभ: ₹13 लाख से अधिक (बचत + अतिरिक्त ऊर्जा से आय)

  • समर्थन: सरकारी सब्सिडी और बैंक लोन से सौरकरण किफायती बना।

  • सामुदायिक प्रभाव: सरपंच मियाँ हुसैन ने बताया कि इस पहल से बिजली बिल घटे हैं और आय के नए अवसर खुले हैं।

गुजरात के अन्य सौर गाँव

धोरडो, गुजरात के इन तीन सौर गाँवों के बाद चौथा गाँव बना है:

  1. मोढेरा (मेहसाणा ज़िला): भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित गाँव (अक्टूबर 2022)

  2. सुखी (खेड़ा ज़िला)

  3. मसाली (बनासकांठा ज़िला)

  4. धोरडो (कच्छ ज़िला) – 2025 में शामिल

यह उपलब्धि गुजरात की नवीकरणीय ऊर्जा नेतृत्व को और मजबूत करती है।

वृहद महत्व 

  • सतत विकास: भारत के नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य के अनुरूप।

  • ग्रामीण सशक्तिकरण: परिवारों पर बिजली खर्च का बोझ कम और अतिरिक्त आय का साधन।

  • पर्यटन संवर्धन: रण उत्सव और UNWTO मान्यता के साथ धोरडो अब ऊर्जा स्थिरता का वैश्विक मॉडल।

  • ऊर्जा सुरक्षा: विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा से पारंपरिक बिजली पर निर्भरता घटेगी।

त्वरित तथ्य 

  • गाँव: धोरडो, कच्छ ज़िला, गुजरात

  • उपलब्धि: गुजरात का चौथा पूर्ण सौर गाँव

  • पहल: पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना

  • भारत का पहला सौर गाँव: मोढेरा, गुजरात (2022)

  • UNWTO मुख्यालय: मैड्रिड, स्पेन

  • भारत का नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य: 2030 तक 500 GW, 2070 तक नेट ज़ीरो

  • रण कच्छ: विश्व का सबसे बड़ा लवण मरुस्थल, धोरडो गाँव और रण उत्सव का स्थल

केंद्रीय मंत्री ने भारत के डिजिटल व्यापार को मजबूत करने के लिए एलडीबी 2.0 का शुभारंभ किया

वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में 20 सितंबर 2025 को लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (LDB) 2.0 का शुभारंभ किया। यह लॉन्च “मेक इन इंडिया” के दस वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हुआ और भारत की डिजिटल रूप से सशक्त, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह उन्नत प्लेटफ़ॉर्म रियल-टाइम डेटा ट्रैकिंग, मल्टी-मॉडल विज़िबिलिटी और हाई-सीज़ कंटेनर मॉनिटरिंग की सुविधा प्रदान करता है, जिससे विशेषकर MSMEs और निर्यातकों को लाभ होगा।

LDB 2.0 क्या है?

  • विकसित किया गया: NICDC Logistics Data Services (NLDSL) द्वारा

  • नए फीचर्स:

    • हाई-सीज़ कंटेनर ट्रैकिंग: अब निर्यातक कंटेनर को भारतीय बंदरगाह छोड़ने के बाद भी अंतरराष्ट्रीय जल में ट्रैक कर सकेंगे।

    • मल्टी-मॉडल शिपमेंट विज़िबिलिटी: सड़क, रेल और समुद्र – तीनों माध्यमों को जोड़कर ट्रैकिंग।

    • ULIP APIs इंटीग्रेशन: यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफ़ेस प्लेटफ़ॉर्म (ULIP) से डेटा का सहज आदान-प्रदान।

    • लाइव कंटेनर हीटमैप: भारतभर में कंटेनरों का वितरण दिखाने वाली प्रणाली, जिससे नीति निर्माताओं को क्षेत्रीय असंतुलन और बाधाओं को पहचानने में मदद मिलेगी।

LDB 2.0 क्यों महत्वपूर्ण है?

निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा:

  • लॉजिस्टिक्स लागत कम करना

  • आपूर्ति श्रृंखला की विश्वसनीयता सुधारना

  • वैश्विक बाजार में भारत की साख बढ़ाना

MSMEs और स्टार्टअप्स को सशक्त करना:

  • छोटे निर्यातकों को भी बड़े कॉर्पोरेट्स जैसी डेटा-आधारित सुविधाएँ मिलेंगी।

  • वैश्विक व्यापार में भागीदारी आसान होगी।

विकसित भारत @2047 का समर्थन:

  • भारत की डिजिटल लॉजिस्टिक्स रीढ़ को मजबूत करना

  • आत्मनिर्भर भारत और औद्योगिक विकास की अगली लहर के लिए तैयारी

सरकार की दृष्टि और नेतृत्व

श्री पीयूष गोयल ने कहा कि LDB 2.0 सिर्फ तकनीकी अपग्रेड नहीं बल्कि एक रणनीतिक सुधार (Strategic Reform) है।
यह पहल, डेटा + पारदर्शिता + डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के संयोजन से भारत को एक निर्यात महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर करेगी।

यह सरकार की इन प्राथमिकताओं से जुड़ा है:

  • मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना

  • ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को मजबूत करना

  • एकीकृत, निर्बाध लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम तैयार करना

मुख्य तथ्य 

  • लॉन्च तिथि: 20 सितंबर 2025

  • स्थान: नई दिल्ली

  • लॉन्च किया: श्री पीयूष गोयल, वाणिज्य और उद्योग मंत्री

  • विकसित किया: NICDC Logistics Data Services (NLDSL)

  • प्रमुख फीचर्स: हाई-सीज़ कंटेनर ट्रैकिंग, मल्टी-मॉडल विज़िबिलिटी, ULIP इंटीग्रेशन, लाइव कंटेनर हीटमैप

  • संरेखण (Alignment): मेक इन इंडिया (10 वर्ष), विकसित भारत @2047, आत्मनिर्भर भारत

भारत ने कार्ल्सबर्ग रिज में पॉलीमेटेलिक सल्फाइड अन्वेषण के लिए विशेष अधिकार हासिल किए

पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने 20 सितम्बर 2025 को एक ऐतिहासिक उपलब्धि की घोषणा की। भारत को हिन्द महासागर के कार्ल्सबर्ग रिज क्षेत्र में पॉलीमेटालिक सल्फ़ाइड्स (PMS) की खोज के लिए विशेष अधिकार प्राप्त हुए हैं। समुद्री विज्ञान मंत्रालय (MoES) और इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA) के बीच हुए 15 वर्ष के अनुबंध के तहत भारत को 10,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का अन्वेषण करने की अनुमति मिली है। इस उपलब्धि के साथ भारत दुनिया का पहला देश बन गया है जिसके पास दो PMS अन्वेषण अनुबंध हैं। यह कदम भारत की गहरे समुद्री संसाधन खोज (Deep-Sea Exploration) में बढ़ती नेतृत्वकारी भूमिका और डीप ओशन मिशन के तहत ब्लू इकॉनमी पहलों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इस उपलब्धि का महत्व

भारत की समुद्री उपस्थिति को मजबूती:
कार्ल्सबर्ग रिज़ में अधिकार हासिल करके भारत ने हिन्द महासागर में अपनी रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाई है और भविष्य में संसाधनों के उपयोग के लिए राष्ट्रीय क्षमता विकसित की है।

डीप ओशन मिशन का समर्थन:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च किए गए डीप ओशन मिशन के प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • समुद्र तल की खनिज संपदाओं का अन्वेषण

  • खनन तकनीकों का विकास

  • भारत की ब्लू इकॉनमी पहलों को सशक्त करना

नए अनुबंध से भारत की समुद्री विज्ञान और प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्व की स्थिति मजबूत हुई है।

दो PMS अनुबंध रखने वाला पहला देश:
भारत अब इन क्षेत्रों में PMS अन्वेषण अनुबंध रखता है:

  • सेंट्रल इंडियन रिज़ और साउथवेस्ट इंडियन रिज़

  • कार्ल्सबर्ग रिज़ में नया PMS अनुबंध

इससे भारत अंतरराष्ट्रीय समुद्री तल पर PMS अन्वेषण क्षेत्र का सबसे बड़ा धारक बन गया है।

पॉलीमेटालिक सल्फ़ाइड्स (PMS) क्या हैं:
PMS समुद्र तल पर हाइड्रोथर्मल गतिविधि से बनने वाले मूल्यवान धातुओं के समृद्ध भंडार हैं।
मुख्य धातुएँ: लोहा, तांबा, जिंक, चांदी, सोना, प्लैटिनम
इनकी रणनीतिक और व्यावसायिक मूल्य के कारण PMS अन्वेषण पर वैश्विक ध्यान बढ़ रहा है।

भारत और ISA का 30 वर्षीय साझेदारी:

  • भारत अंतरराष्ट्रीय जल में Polymetallic Nodules के लिए सबसे पहले अन्वेषण क्षेत्र प्राप्त करने वाला देश था।

  • ISA द्वारा “Pioneer Investor” के रूप में मान्यता प्राप्त।

  • दो PMS अनुबंधों के साथ भारत समुद्री तल अन्वेषण में अपनी दीर्घकालीन नेतृत्व भूमिका को फिर से स्थापित करता है।

  • भारत 18–20 सितंबर 2025 को गोवा में 8वीं ISA वार्षिक ठेकेदार बैठक की मेजबानी करेगा।

मुख्य तथ्य:

  • घोषित किया: डॉ. जितेंद्र सिंह, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

  • अनुबंध अवधि: 15 वर्ष

  • आवंटित क्षेत्र: 10,000 वर्ग किलोमीटर, कार्ल्सबर्ग रिज़, हिन्द महासागर

  • संस्था: Ministry of Earth Sciences (MoES), National Centre for Polar and Ocean Research (NCPOR)

  • वैश्विक महत्व: भारत पहला देश बन गया जिसके पास दो PMS अनुबंध हैं

  • ISA: 1994 में स्थापित, मुख्यालय किंग्स्टन, जमैका

  • UNCLOS: 1982 में अपनाया गया, समुद्री तल संसाधनों को नियंत्रित करता है

  • डीप ओशन मिशन: जून 2021 में पीएम मोदी द्वारा लॉन्च, ब्लू इकॉनमी और गहरे समुद्री अन्वेषण पर केंद्रित

नवरात्रि 2025: तिथियां, रंग, अनुष्ठान और महत्व

नवरात्रि, जिसे शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे पावन और प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरे भारत में अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए युद्ध का प्रतीक हैं, जिसमें दशमी तिथि (विजयादशमी / दशहरा) को देवी की विजय होती है। यह अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है।

नवरात्रि 2025 तिथियाँ:

  • सोमवार, 22 सितम्बर 2025 से बुधवार, 1 अक्टूबर 2025 तक
  • विजयादशमी (दशहरा): 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार

नवरात्रि 2025 पंचांग (कैलेंडर)

तिथि दिन पूजा / अनुष्ठान तिथि (चंद्र)
22 सितम्बर 2025 सोमवार घटस्थापना, माँ शैलपुत्री पूजा प्रतिपदा
23 सितम्बर 2025 मंगलवार माँ ब्रह्मचारिणी पूजा द्वितीया
24 सितम्बर 2025 बुधवार माँ चंद्रघंटा पूजा तृतीया
25 सितम्बर 2025 गुरुवार माँ कूष्मांडा पूजा चतुर्थी
26 सितम्बर 2025 शुक्रवार माँ स्कंदमाता पूजा पंचमी
27 सितम्बर 2025 शनिवार माँ कात्यायनी पूजा षष्ठी
28 सितम्बर 2025 रविवार माँ कालरात्रि पूजा सप्तमी
29 सितम्बर 2025 सोमवार माँ महागौरी पूजा अष्टमी
30 सितम्बर 2025 मंगलवार माँ सिद्धिदात्री पूजा, महा नवमी नवमी
1 अक्टूबर 2025 बुधवार नवरात्रि समापन दशमी
2 अक्टूबर 2025 गुरुवार विजयादशमी (दशहरा) दशमी

पौराणिक महत्व

  • माँ दुर्गा और महिषासुर: नवरात्रि में माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर धर्म की रक्षा की।

  • भगवान राम और रावण: श्रीराम ने रावण-वध से पूर्व माँ दुर्गा की पूजा की, जिससे यह धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक है।

  • उमा (पार्वती) का आगमन: पूर्वी भारत में नवरात्रि को दुर्गा पूजा कहा जाता है, जहाँ इसे माँ दुर्गा के मायके आगमन के रूप में मनाया जाता है।

माँ दुर्गा के नौ स्वरूप (नवदुर्गा)

  1. माँ शैलपुत्री – शक्ति और स्थिरता की देवी

  2. माँ ब्रह्मचारिणी – तपस्या और भक्ति की प्रतीक

  3. माँ चंद्रघंटा – शांति और वीरता की दात्री

  4. माँ कूष्मांडा – ब्रह्मांडीय ऊर्जा की सृष्टिकर्ता

  5. माँ स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा की देवी

  6. माँ कात्यायनी – दुष्टों का संहार करने वाली

  7. माँ कालरात्रि – भय और अंधकार का नाश करने वाली

  8. माँ महागौरी – शुद्धता और क्षमा की देवी

  9. माँ सिद्धिदात्री – सिद्धियों और आध्यात्मिक शक्तियों की दात्री

नवरात्रि के रंग 2025

दिन तिथि रंग प्रतीक
प्रथम दिन 22 सितम्बर पीला आनंद, सकारात्मकता
द्वितीय दिन 23 सितम्बर हरा विकास, सामंजस्य
तृतीय दिन 24 सितम्बर धूसर संतुलन, शांति
चतुर्थ दिन 25 सितम्बर नारंगी साहस, सृजनशीलता
पंचम दिन 26 सितम्बर सफेद शांति, पवित्रता
षष्ठी दिन 27 सितम्बर लाल शक्ति, उत्साह
सप्तमी दिन 28 सितम्बर रॉयल ब्लू समृद्धि, गहराई
अष्टमी दिन 29 सितम्बर गुलाबी प्रेम, करुणा
नवमी दिन 30 सितम्बर बैंगनी गरिमा, भक्ति
दशमी (1–2 अक्टूबर) मोरपंखी हरा विशिष्टता, बुद्धिमत्ता

नवरात्रि के प्रमुख अनुष्ठान

  • घटस्थापना (कलश स्थापना) – माँ दुर्गा की आह्वान पूजा।

  • व्रत और आरती – प्रतिदिन उपवास, पूजा और भोग अर्पण।

  • कन्या पूजन (अष्टमी/नवमी) – कन्याओं की पूजा, देवी स्वरूप मानकर।

  • गरबा और डांडिया – गुजरात और महाराष्ट्र में पारंपरिक नृत्य।

  • दुर्गा पूजा (पूर्वी भारत) – भव्य पंडाल, सांस्कृतिक कार्यक्रम और मूर्ति विसर्जन।

  • आयुध पूजा (दक्षिण भारत) – औजारों, पुस्तकों और साधनों की पूजा।

  • सिंदूर खेला – बंगाल में महिलाएँ विजयादशमी पर एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस 2025: इतिहास, थीम और महत्व

अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस, जिसे विश्व शांति दिवस भी कहा जाता है, हर वर्ष 21 सितम्बर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन की स्थापना इसलिए की थी ताकि अहिंसा, एकता और सद्भावना के महत्व को रेखांकित किया जा सके और सतत समाजों के निर्माण की दिशा में प्रयास किए जा सकें। 2025 में यह दिवस और भी अधिक मायने रखता है क्योंकि विश्व विभिन्न संघर्षों और मानवीय संकटों का सामना कर रहा है। यह दिन राष्ट्रों और व्यक्तियों से हिंसा की जगह संवाद अपनाने, असहिष्णुता की जगह सहयोग और नफ़रत की जगह करुणा का मार्ग चुनने का आह्वान करता है।

इतिहास

  • स्थापना: 1981 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा।

  • निश्चित तिथि: 2011 में UNGA ने 21 सितम्बर को स्थायी तिथि घोषित किया।

  • प्रतीकात्मक समारोह: हर वर्ष संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय (न्यूयॉर्क) में शांति घंटी (जापान का उपहार) बजाकर वैश्विक एकजुटता और अहिंसा का संदेश दिया जाता है।

  • वैश्विक विस्तार: समय के साथ यह दिन एक अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन में बदल गया है, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, संवाद, शांति मार्च और सामुदायिक आयोजन शामिल हैं।

2025 का विषय (Theme)

“अभी कदम बढ़ाएँ, एक शांतिपूर्ण विश्व के लिए” (Act Now for a Peaceful World)

  • मुख्य फोकस: हिंसा, भेदभाव और नफ़रत के खिलाफ सक्रिय कदम उठाना और सहानुभूति, सहयोग व विविधता को बढ़ावा देना।

  • संदेश: शांति सिर्फ युद्ध की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि न्याय, समानता और स्थिरता सुनिश्चित करने का सतत प्रयास है।

  • ज़ोर: सरकारों, शांति रक्षकों, सामुदायिक नेताओं, छात्रों और नागरिकों – सभी की ज़िम्मेदारी है कि शांति का पोषण करें।

महत्व

  • वैश्विक स्मरण: शांति सतत विकास और समृद्धि की नींव है।

  • अहिंसा को बढ़ावा: विवादों का समाधान हिंसा की बजाय संवाद और कूटनीति से करने पर बल।

  • शिक्षा व जागरूकता: विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में सहिष्णुता, सहानुभूति और सम्मान पर कार्यक्रम।

  • एकता को प्रोत्साहन: राष्ट्रों, संस्कृतियों और धर्मों को जोड़ने का प्रयास।

  • SDGs से जुड़ाव: गरीबी उन्मूलन, पर्यावरण संरक्षण और मानवाधिकार जैसे संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के साथ शांति को जोड़ना।

2025 की गतिविधियाँ

  • शांति मार्च: शहरों में रैलियाँ और वॉक आयोजित।

  • शैक्षणिक कार्यशालाएँ: संवाद और संघर्ष समाधान पर सेमिनार।

  • सांस्कृतिक कार्यक्रम: कला, संगीत और नाट्य प्रस्तुतियाँ जो शांति का संदेश देती हैं।

  • सामुदायिक संवाद: स्थानीय विवादों को हल करने और सहयोग मजबूत करने के मंच।

  • स्पोर्ट्स फॉर पीस: खेल आयोजनों के माध्यम से एकता का संदेश।

  • प्रतीकात्मक गतिविधियाँ: शांति ध्वज, मोमबत्ती जलूस और मौन प्रार्थनाएँ।

त्वरित तथ्य

  • दिवस: 21 सितम्बर 2025 (रविवार)

  • थीम: “अभी कदम बढ़ाएँ, एक शांतिपूर्ण विश्व के लिए”

  • स्थापना: 1981, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा

  • निश्चित तिथि निर्णय: 2011 (21 सितम्बर)

  • प्रतीक: संयुक्त राष्ट्र शांति घंटी (जापान का उपहार)

विश्व अल्ज़ाइमर दिवस 2025: थीम, इतिहास और महत्व

हर वर्ष 21 सितम्बर को विश्व अल्ज़ाइमर दिवस मनाया जाता है। यह एक वैश्विक जागरूकता अभियान है, जिसका उद्देश्य अल्ज़ाइमर रोग और अन्य डिमेंशिया के बारे में जानकारी फैलाना, कलंक को कम करना, देखभाल और शोध को बढ़ावा देना है। यह दिवस विश्व अल्ज़ाइमर माह (सितम्बर) का हिस्सा है, जो पूरे महीने मनाया जाता है।

विश्व अल्जाइमर दिवस की थीम

अल्जाइमर दिवस मनाने के लिए हर साल एक खास थीम निर्धारित की जाती है। थीम के अनुसार दुनिया भर में अल्जाइमर की रोकथाम के कार्यक्रम साल भर चलाए जाते हैं। इस साल 2025 में विश्व अल्जाइमर दिवस की थीम – Alzheimer’s Day 2025 Theme ‘अल्जाइमर के बारे में पूछें, डिमेंशिया के बारे में पूछें'(Ask about Alzheimer’s, ask about dementia) तय की गई है

विश्व अल्ज़ाइमर दिवस का इतिहास

  • 1994: अल्ज़ाइमर डिज़ीज़ इंटरनेशनल (ADI) की 10वीं वर्षगाँठ पर पहली बार 21 सितम्बर को मनाया गया।

  • 2012: इसे बढ़ाकर विश्व अल्ज़ाइमर माह के रूप में मनाना शुरू किया गया, ताकि लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा सके।

  • तब से, इस दिन को वैश्विक आयोजनों, फंडरेज़िंग अभियानों, जागरूकता कार्यशालाओं और मेमोरी वॉक के जरिए मनाया जाता है।

2025 की थीम का उद्देश्य

  • लोगों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करना और डर व गलत धारणाओं को दूर करना।

  • लक्षण दिखने पर समय रहते डॉक्टर से परामर्श और प्रारंभिक निदान को बढ़ावा देना।

  • रोगियों, परिवारों और देखभालकर्ताओं पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूक करना।

  • कलंक को घटाकर समाज में स्वीकृति और संवेदनशीलता बढ़ाना।

  • संवाद के महत्व को उजागर करना, ताकि बेहतर देखभाल और समझ विकसित हो सके।

इस दिवस का महत्व

  • वैश्विक चेतावनी: डिमेंशिया से प्रभावित लाखों लोगों की स्थिति को सामने लाता है।

  • प्रारंभिक निदान को प्रोत्साहन: समय पर इलाज और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है।

  • देखभालकर्ताओं का सम्मान: परिवार और केयरगिवर्स की भूमिका को मान्यता देता है।

  • कलंक से लड़ाई: मिथकों को तोड़ता है और प्रभावित लोगों को समाज से जोड़ता है।

  • शोध और रोकथाम को बढ़ावा: अधिक फंडिंग, वैज्ञानिक नवाचार और मस्तिष्क स्वास्थ्य पर जागरूकता को आगे बढ़ाता है।

विश्व अल्ज़ाइमर दिवस 2025 की गतिविधियाँ

  • मेमोरी वॉक और फंडरेज़र – शोध और देखभाल कार्यक्रमों के लिए समर्थन।

  • शैक्षणिक अभियान – कार्यशालाएँ, सेमिनार और वेबिनार।

  • सामुदायिक संवाद – कलंक कम करने और सहयोग को बढ़ावा देने हेतु चर्चा।

  • सांस्कृतिक और कला कार्यक्रम – सहानुभूति और करुणा को प्रोत्साहित करते हैं।

  • सोशल मीडिया अभियान – हैशटैग #AskAboutDementia और #AskAboutAlzheimers का उपयोग।

अल्ज़ाइमर देखभाल और शोध को समर्थन कैसे दें

  • क्लीनिकल ट्रायल्स में भाग लें – शोध और संभावित उपचार में मदद करें।

  • दान और फंडरेज़िंग – वैश्विक और स्थानीय संगठनों का समर्थन करें।

  • मस्तिष्क-स्वस्थ आदतें अपनाएँ – संतुलित आहार, व्यायाम, मानसिक सक्रियता और सामाजिक मेलजोल से जोखिम घटता है।

  • स्वयंसेवा – डिमेंशिया देखभाल केंद्रों में सहयोग और साथ दें।

त्वरित तथ्य 

  • विश्व अल्ज़ाइमर दिवस: 21 सितम्बर 2025

  • थीम: “डिमेंशिया के बारे में पूछें। अल्ज़ाइमर के बारे में पूछें।”

  • पहली बार मनाया गया: 1994 (ADI द्वारा)

  • अल्ज़ाइमर रोग: मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला प्रगतिशील तंत्रिका विकार, डिमेंशिया का सबसे आम कारण।

  • वैश्विक आँकड़े (WHO): लगभग 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया के साथ जीवन जी रहे हैं।

  • भारत का बोझ: लगभग 53 लाख मरीज, संख्या 2050 तक तीन गुना होने की संभावना।

विश्व गुलाब दिवस 2025: आशा और करुणा के साथ कैंसर रोगियों का सम्मान

विश्व गुलाब दिवस हर साल 22 सितम्बर को मनाया जाता है। यह दिन कैंसर रोगियों, कैंसर से उबर चुके लोगों और उनके देखभालकर्ताओं (केयरगिवर्स) को सम्मान देने के लिए समर्पित है। यह आशा, धैर्य और करुणा का प्रतीक है, जो समाज को यह याद दिलाता है कि कैंसर से लड़ रहे लोगों के साथ खड़े रहना कितना आवश्यक है। इस अवसर पर गुलाब भेंट करके, हौसला बढ़ाने वाले संदेश साझा करके और जागरूकता अभियान आयोजित करके लोग मरीजों और देखभालकर्ताओं के प्रति एकजुटता प्रकट करते हैं। साथ ही, यह दिवस कैंसर की रोकथाम, शुरुआती पहचान और उपचार सहायता की आवश्यकता पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

विश्व गुलाब दिवस का इतिहास और उत्पत्ति

विश्व गुलाब दिवस मनाया जाता है मेलिंडा रोज़ की स्मृति में, जो कनाडा की 12 वर्षीय बच्ची थीं। उन्हें रक्त कैंसर के एक दुर्लभ और आक्रामक रूप एस्किन्स ट्यूमर का पता चला था। डॉक्टरों ने उन्हें केवल कुछ हफ्तों की जिंदगी बताई थी, लेकिन मेलिंडा ने अपने अंतिम समय में कविताएँ, पत्र और ईमेल लिखकर अन्य कैंसर रोगियों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया। उनकी दृढ़ता, दयालुता और आशावाद ने कैंसर रोगियों को गुलाब भेंट करने की परंपरा को जन्म दिया, जो सहानुभूति और प्रोत्साहन का प्रतीक बन गई। समय के साथ यह दिवस भारत से लेकर अन्य देशों तक फैल गया और अब यह कैंसर जागरूकता का वैश्विक दिवस बन चुका है।

विश्व गुलाब दिवस 2025 थीम

  • आधिकारिक थीम 2025: अभी घोषित नहीं हुई है।

  • पिछले वर्षों की थीमें:

    • 2022: Five Rhino Species Together (त्रुटिपूर्ण, यहाँ कैंसर दिवस की जगह ग़लती से दर्ज हो गया)

    • 2023: Rhinos and Communities (ग़लती से दर्ज)

    • वास्तव में, कैंसर पर केंद्रित थीमें “Hope for Cancer Warriors” और “Together in Strength” जैसी रही हैं।

  • इस वर्ष की थीम भी मरीजों और देखभालकर्ताओं के लिए प्रेम, साहस और समर्थन पर केंद्रित होगी।

विश्व गुलाब दिवस कैसे मनाया जाता है

  • गुलाब और कार्ड भेंट करना – अस्पतालों और घरों में मरीजों को गुलाब और प्रोत्साहन संदेश दिए जाते हैं।

  • जागरूकता अभियान – एनजीओ, स्कूल और समुदाय कैंसर की रोकथाम और उपचार पर रैलियाँ, कार्यशालाएँ और सेमिनार आयोजित करते हैं।

  • रचनात्मक गतिविधियाँ – पोस्टर निर्माण, कला प्रदर्शन, कहानियाँ और कैंसर से उबर चुके लोगों की बातें प्रेरणा देती हैं।

  • डिजिटल जागरूकता – सोशल मीडिया अभियानों, हैशटैग्स और सर्वाइवर कहानियों से वैश्विक स्तर पर संदेश पहुँचता है।

  • धन एकत्रीकरण – कैंसर अनुसंधान, इलाज और देखभालकर्ता सहायता के लिए दान और फंडरेज़िंग कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

विश्व गुलाब दिवस का महत्व

  • भावनात्मक सहारा – यह कैंसर रोगियों की मानसिक चुनौतियों को पहचानता है।

  • देखभालकर्ताओं का सम्मान – परिवार, डॉक्टर और केयरगिवर्स की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।

  • जागरूकता निर्माण – समाज को कैंसर के लक्षण, प्रारंभिक पहचान और इलाज के विकल्पों के बारे में शिक्षित करता है।

  • आशा का संचार – गंभीर बीमारी से लड़ने वालों के लिए सकारात्मकता और एकजुटता को बढ़ावा देता है।

प्रेरणादायक उद्धरण

  • “जहाँ आशा है, वहाँ चमत्कार हैं।” – मेलिंडा रोज़ से प्रेरित

  • “योद्धाओं के लिए गुलाब: आप इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं।”

  • “प्रेम बाँटें, आशा जगाएँ, बदलाव लाएँ।”

त्वरित तथ्य

  • विश्व गुलाब दिवस (कैंसर रोगियों के कल्याण हेतु)

  • तिथि: 22 सितम्बर 2025

  • उद्देश्य: कैंसर रोगियों का सम्मान और देखभालकर्ताओं का समर्थन

  • उत्पत्ति: कनाडा की मेलिंडा रोज़ की स्मृति में

  • आयोजन: गुलाब भेंट, जागरूकता अभियान, सर्वाइवर कहानियाँ, फंडरेज़िंग

  • थीम 2025: अभी घोषित नहीं (हर वर्ष आशा और समर्थन पर केंद्रित)

  • विश्व कैंसर दिवस: 4 फरवरी (UICC द्वारा)

  • राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (भारत): 7 नवम्बर (डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी की जयंती पर)

  • WHO आँकड़े: कैंसर एक गैर-संचारी रोग है और वैश्विक स्तर पर मृत्यु का प्रमुख कारण (~1 करोड़ मौतें प्रतिवर्ष)।

विश्व गैंडा दिवस 2025: इतिहास और थीम

विश्व गैंडा दिवस हर साल 22 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन पशुओं को बचाने की दिशा में कार्य करने का अवसर प्रदान करता है, जो दशकों से शिकारियों का लक्ष्य रहा है। शक्ति के प्रतीक होने के बावजूद, गैंडे आज अवैध शिकार, आवास के नुकसान और मानव-वन्यजीव संघर्ष के गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं। यह दिवस दुनिया भर की सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और समुदायों को गैंडों की सभी पाँच प्रजातियों के संरक्षण और उन्हें विलुप्त होने से बचाने के प्रयासों में एकजुट करता है।

विश्व गैंडा दिवस 2025

इतिहास

  • स्थापना: 2011 में वन्यजीव संरक्षणवादियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा।

  • उद्देश्य: पाँच प्रजातियों के गैंडों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना।

    • एक-सींग वाला गैंडा (भारत, नेपाल)

    • काला गैंडा (अफ्रीका)

    • सफेद गैंडा (अफ्रीका)

    • जावन गैंडा (इंडोनेशिया)

    • सुमात्रन गैंडा (इंडोनेशिया)

  • यह दिवस समय के साथ अवैध वन्यजीव व्यापार, शिकार और आवास ह्रास जैसी चुनौतियों पर वैश्विक मंच बन गया है।

विश्व गैंडा दिवस 2025 की थीम

  • थीम: अभी आधिकारिक घोषणा शेष।

  • पिछली थीमें:

    • 2022: Five Rhino Species Together

    • 2023: Rhinos and Communities

    • 2024: Keep the Five Alive

  • 2025 की अपेक्षित थीम: आवास संरक्षण, साझेदारी और सामूहिक जिम्मेदारी पर केंद्रित।

गैंडा संरक्षण स्थिति (IUCN, 2025)

गैंडा प्रजाति IUCN स्थिति (2025) क्षेत्र अनुमानित जनसंख्या
एक-सींग वाला गैंडा असुरक्षित (स्थिर) भारत, नेपाल ~4,000+
काला गैंडा गंभीर रूप से संकटग्रस्त अफ्रीका ~6,500
सफेद गैंडा निकट संकटग्रस्त अफ्रीका ~16,800
जावन गैंडा गंभीर रूप से संकटग्रस्त इंडोनेशिया (जावा) ~76
सुमात्रन गैंडा गंभीर रूप से संकटग्रस्त इंडोनेशिया (सुमात्रा, बोर्नियो) <80

भारत में गैंडा संरक्षण

  1. इंडियन राइनो विज़न 2020 (IRV 2020) – 2005, असम

    • लक्ष्य: 7 संरक्षित क्षेत्रों में 3,000 गैंडे।

    • उपलब्धि: मानस राष्ट्रीय उद्यान में गैंडे पुनर्जीवित, असम में सुरक्षा बढ़ी, नए क्षेत्रों में ट्रांसलोकेशन।

  2. राष्ट्रीय गैंडा रणनीति (2019)

    • एकीकृत राष्ट्रीय नीति।

    • सख्त एंटी-पोचिंग कानून।

    • समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहन।

  3. वर्तमान प्रयास (2025)

    • पुनर्वास व ट्रांसलोकेशन – मानस, दुधवा।

    • ड्रोन व स्मार्ट पेट्रोलिंग सिस्टम।

    • समुदाय आधारित कार्यक्रम।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान – गैंडा संरक्षण का हृदय

  • असम स्थित काजीरंगा, विश्व में सबसे बड़ा एक-सींग वाले गैंडों का आवास।

  • सफलता के कारण:

    • सख्त एंटी-पोचिंग उपाय और सतत पेट्रोलिंग।

    • समुदाय की भागीदारी।

    • आवास पुनर्स्थापन।

  • अन्य आवास: पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य (सर्वाधिक घनत्व), ओरांग राष्ट्रीय उद्यान, मानस राष्ट्रीय उद्यान, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान।

महत्व

  • शिकार और अवैध व्यापार पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना।

  • संकटग्रस्त प्रजातियों की रक्षा हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।

  • भारत की काजीरंगा सफलता को उदाहरण बनाना।

  • अफ्रीकी और इंडोनेशियाई गैंडों की गंभीर स्थिति पर चेतावनी।

  • इको-टूरिज़्म और समुदाय की आजीविका को संरक्षण से जोड़ना।

त्वरित तथ्य

  • विश्व गैंडा दिवस 2025 की तारीख: 22 सितम्बर 2025

  • स्थापना: 2011

  • उद्देश्य: गैंडा संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना

  • शामिल प्रजातियाँ: एक-सींग वाला, काला, सफेद, जावन, सुमात्रन

  • भारत की पहल: प्रोजेक्ट राइनो (IRV 2020, राष्ट्रीय गैंडा रणनीति)

  • मुख्य आवास: काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, असम

  • जनसंख्या (एक-सींग वाला): ~4,000+ (भारत व नेपाल)

  • खतरे: शिकार, अवैध व्यापार, आवास हानि, मानव-वन्यजीव संघर्ष

भारत ने 1965 के युद्ध में विजय के 60 वर्ष पूरे किए

भारत ने 1965 के भारत–पाकिस्तान युद्ध की 60वीं वर्षगांठ का solemly (गौरवपूर्ण) रूप से आयोजन किया, जो देश के सैन्य इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह माह छह दशकों का प्रतीक है जब भारतीय सशस्त्र बलों के वीर प्रयासों ने रणनीतिक विजय हासिल की और देश की संप्रभुता की रक्षा के प्रति संकल्प को मजबूत किया। इस अवसर पर रक्षा मंत्रालय द्वारा एक श्रृंखला कार्यक्रम आयोजित की जा रही है, जिसमें उन सभी को सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने युद्ध में संघर्ष किया, कष्ट उठाया और विजय प्राप्त की।

1965 का युद्ध: साहस और शक्ति की परीक्षा

  • अवधि: 22 दिन (अगस्त–सितंबर 1965)

  • युद्ध भूमि, वायु और समुद्र पर लड़ा गया।

  • विशेष रूप से टैंक युद्ध, फाइटर जेट्स की डॉगफाइट्स और भारतीय सैनिकों की दृढ़ता के लिए याद किया जाता है।

मुख्य युद्धस्थल:

  1. जम्मू और कश्मीर: पाकिस्तान की ऑपरेशन गिब्राल्टर के बाद शत्रुता शुरू हुई।

  2. पंजाब सेक्टर: निर्णायक टैंक युद्ध, विशेषकर असाल उत्तर की लड़ाई

  3. राजस्थान फ्रंट: रेगिस्तानी क्षेत्र में पाकिस्तानी आक्रमण का मुकाबला।

  • भारतीय सैनिकों ने कठिन मौसम और प्रतिकूल परिस्थितियों में साहस और संयम का प्रदर्शन किया।

  • युद्ध स्टैलेमेट पर समाप्त हुआ, पर इसे नैतिक और रणनीतिक विजय माना जाता है, जिसमें दुश्मन को भारी क्षति हुई और भारत को कुछ क्षेत्रीय लाभ भी प्राप्त हुए।

1965 युद्ध का आज का महत्व

  • केवल क्षेत्रीय रक्षा ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और सिद्धांतों की रक्षा

  • भारत की द्रुत और निर्णायक प्रतिक्रिया की क्षमता को दर्शाया।

  • सशस्त्र बलों की तैयारी और आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता को उजागर किया।

  • आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की शुरुआत, जिसे बाद में और बढ़ाया गया।

  • सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच एकता और समन्वय की अहमियत।

युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा

  • युद्ध के वरिष्ठ सैनिकों ने अपने अनुभव साझा किए और युवाओं से भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने की अपील की।

  • उनकी कहानियाँ — साहस, सहयोग और समर्पण — युवा पीढ़ी को प्रेरित करती हैं, जो शांति और तैयारी के बीच खड़ी है।

सारांश

  • कार्यक्रम: 1965 भारत–पाकिस्तान युद्ध की 60वीं वर्षगांठ

  • युद्ध की अवधि: 22 दिन (अगस्त–सितंबर 1965)

  • प्रमुख लड़ाइयाँ: असाल उत्तर, लाहौर फ्रंट, कश्मीर ऑपरेशन्स

  • रक्षा मंत्री: राजनाथ सिंह

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