Rinku Singh को योगी सरकार का बड़ा तोहफा, मिल रही है बेसिक शिक्षा विभाग में अफसर की ज़िम्मेदारी

क्रिकेट मैदान से जनसेवा तक एक अद्भुत बदलाव में, भारतीय क्रिकेटर रिंकू सिंह को उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) के रूप में नियुक्त किया जा रहा है। यह नियुक्ति “अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता डायरेक्ट भर्ती नियमावली 2022” के तहत की जा रही है, जो उन खिलाड़ियों को सम्मान देती है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब रिंकू सिंह और समाजवादी पार्टी की सांसद प्रिया सरोज की आगामी शादी, उनके नवंबर 2025 के क्रिकेट कार्यक्रमों के कारण स्थगित कर दी गई है।

क्यों है यह खबर में?

  • रिंकू सिंह को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग में अधिकारी बनाया जा रहा है।

  • यह नियुक्ति 2022 की डायरेक्ट भर्ती नियमावली के अंतर्गत की गई है, जो अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं को सरकारी नौकरी प्रदान करती है।

  • साथ ही, प्रिया सरोज से उनकी शादी क्रिकेट शेड्यूल के कारण टाल दी गई है।

नियुक्ति से जुड़ी जानकारी

  • योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन्हें जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

  • विभागीय स्तर पर आवश्यक औपचारिकताएं और दस्तावेज़ीकरण प्रारंभ हो चुका है।

  • यह कदम उन खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए है जिन्होंने खेलों में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरव दिलाया है।

अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता डायरेक्ट भर्ती नियमावली 2022

  • यह नीति अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं को प्रथम और द्वितीय श्रेणी की सरकारी सेवाओं में सीधी नियुक्ति की अनुमति देती है।

  • उद्देश्य: खेलों में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना और खिलाड़ियों को सुरक्षित सरकारी करियर देना।

  • रिंकू की नियुक्ति उनके क्रिकेट में दिए गए असाधारण योगदान का सम्मान है।

रिंकू सिंह के बारे में

  • जन्म: अलीगढ़, उत्तर प्रदेश

  • प्रसिद्धि: कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के लिए IPL में प्रदर्शन और भारतीय T20 टीम में योगदान

  • खास उपलब्धि: IPL में लगातार पाँच छक्के जड़कर चर्चा में आए

  • छोटे शहरों से उभरते नए खेल सितारों की पीढ़ी का प्रतीक हैं रिंकू

Ambubachi Mela 2025: कामाख्या मंदिर में अम्बुबाची मेला शुरू

असम के कामाख्या मंदिर में आयोजित होने वाला वार्षिक आध्यात्मिक उत्सव अम्बुबाची मेला देवी कामाख्या के मासिक धर्म चक्र का प्रतीक है। जून में चार दिनों तक मनाया जाने वाला यह मेला देवी के मासिक धर्म से गुजरने के संकेत के रूप में मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं, जो प्रजनन और नारीत्व का प्रतीक है। इस त्यौहार में लाखों श्रद्धालु आते हैं और इसे न केवल एक धार्मिक आयोजन के रूप में देखा जाता है, बल्कि मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने और समाज में इससे जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में भी देखा जाता है।

समाचार में क्यों?

कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी (असम) में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला अम्बुबाची मेला इस वर्ष 22 से 25 जून 2025 तक मनाया गया। चार दिन के प्रतीकात्मक “ऋतुकाल” के बाद 26 जून की सुबह 6 बजे मंदिर के द्वार फिर से भक्तों के लिए खोले गए।
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी इस अवसर पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएँ दीं और इसे एक आध्यात्मिक व सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्व बताया।

अम्बुबाची मेला क्या है?

  • यह मेला गर्मियों में जून माह में होता है।

  • यह देवी कामाख्या के मासिक धर्म (menstrual cycle) के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है।

  • चार दिनों तक मंदिर के द्वार बंद रहते हैं क्योंकि माना जाता है कि देवी “ऋतुकाल” (menstruation) में होती हैं और उन्हें विश्राम की आवश्यकता होती है।

  • इसे “पूर्व का महाकुंभ” भी कहा जाता है।

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

  • यह उत्सव स्त्रीत्व और प्रजनन क्षमता का उत्सव है।

  • असम में मासिक धर्म को लेकर सामाजिक वर्जनाएँ अपेक्षाकृत कम हैं, जिसका श्रेय इस पर्व जैसी मान्यताओं को जाता है।

  • यह पर्व “तुलोनी बिया” (किशोरियों के पहले मासिक धर्म पर होने वाला पारंपरिक आयोजन) से भी जुड़ा हुआ है।

  • यह महिला शरीर की जैविक प्रक्रियाओं को सम्मान देने का प्रतीक बन गया है।

सरकारी व्यवस्था:

  • असम सरकार द्वारा मेले के दौरान सुरक्षा, स्वास्थ्य, सफाई और आवास की विस्तृत व्यवस्था की जाती है।

  • मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस पर्व को भारतीय सभ्यता की आध्यात्मिक शक्ति से जोड़ते हुए राष्ट्र की भलाई के लिए प्रार्थना की।

कामाख्या मंदिर का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व:

  • नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित, यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी की ओर देखता है।

  • यह 51 शक्तिपीठों में से एक है — जहां देवी सती का योनि अंग गिरा था।

  • माना जाता है कि इस स्थान पर कोई मूर्ति नहीं, बल्कि एक चट्टान के नीचे प्राकृतिक झरने से बहता जल ही पूजा का केंद्र है।

  • वर्तमान मंदिर का निर्माण 1565 में कोच राजा नरनारायण ने कराया था।

  • इससे जुड़ी नरकासुर राक्षस और कोच राजवंश पर लगे श्राप की कथाएं इसे और रहस्यमय बनाती हैं।

निष्कर्ष:

अम्बुबाची मेला एक ऐसा पर्व है जो धर्म, संस्कृति और सामाजिक विमर्श को जोड़ता है। यह न सिर्फ आध्यात्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि मासिक धर्म जैसे मुद्दों पर जागरूकता और स्वीकृति बढ़ाने का भी मंच बन चुका है। देवी कामाख्या की यह अनोखी आराधना भारतीय संस्कृति में स्त्री ऊर्जा और प्राकृतिक चक्रों का सम्मान करने की मिसाल है।

केरल के अरलम वन में भारत का पहला तितली अभयारण्य का उद्घाटन किया गया

जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केरल अब भारत के पहले तितली अभयारण्य का घर बन गया है। कन्नूर जिले में स्थित अरलम वन्यजीव अभयारण्य का नाम बदलकर अब “अरलम तितली अभयारण्य” रख दिया गया है। यह देश में अपनी तरह की पहली पहल है, जो पश्चिमी घाट की हरियाली में फैले 55 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और यहां 266 से अधिक तितली प्रजातियों को संरक्षित किया गया है, जिनमें कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी शामिल हैं।

क्यों है यह खबर में?

18 जून 2025 को, केरल राज्य वन्यजीव बोर्ड ने अरलम अभयारण्य को आधिकारिक रूप से भारत का पहला तितली अभयारण्य घोषित किया। यह घोषणा 25 वर्षों के संरक्षण प्रयासों, सर्वेक्षणों और पर्यावरणविदों व शोधकर्ताओं के सतत प्रयासों का परिणाम है।

उद्देश्य एवं लक्ष्य

  • तितलियों के लिए एक सुरक्षित आवास और प्रवास गलियारों की रक्षा करना

  • तितली संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाना

  • ईको-पर्यटन और वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, जिससे स्थानीय समुदायों और वैज्ञानिकों को लाभ हो

संक्षिप्त विवरण

  • स्थान: कन्नूर जिला, केरल

  • क्षेत्रफल: 55 वर्ग किलोमीटर

  • पर्यावरण प्रकार: उष्णकटिबंधीय और अर्ध-सदाबहार वन

  • तितली प्रजातियाँ: 266 से अधिक (केरल की तितली विविधता का 80%+)

  • दुर्लभ प्रजातियाँ: कॉमन अल्बाट्रॉस, डैनाइन स्पीशीज़, स्थानिक (एंडेमिक) तितलियाँ

  • प्रवास काल: दिसंबर से फरवरी के बीच तितलियों का चरम प्रवासन

पृष्ठभूमि और अनुसंधान

  • स्थापना: 1984

  • मालाबार नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सहयोग से 20+ वर्षों से वार्षिक तितली सर्वेक्षण होते आ रहे हैं

  • बटरफ्लाई माइग्रेशन स्टडी (जनवरी–फरवरी में आयोजित) एक प्रमुख अनुसंधान और पर्यटन आकर्षण है

संरक्षण का महत्त्व

  • दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों की रक्षा

  • वैज्ञानिक खोजों को बढ़ावा – आज भी नई प्रजातियाँ खोजी जा रही हैं

  • परागणकर्ता के रूप में तितलियाँ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम

  • आधिकारिक दर्जा मिलने से वित्तीय सहायता और संरक्षण नीति में मजबूती मिलेगी

इफको ने ब्राजील में पहला विदेशी नैनो उर्वरक संयंत्र स्थापित किया

भारत के कृषि नवाचार को वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भारतीय किसान उर्वरक सहकारी संस्था (IFFCO) ने ब्राज़ील में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय नैनो उर्वरक निर्माण संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की है। यह रणनीतिक पहल ब्राज़ील की कंपनी NANOFERT के साथ साझेदारी में की गई है, जिसका उद्देश्य टिकाऊ और कुशल फसल पोषण समाधानों की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करना है।

क्यों है यह ख़बर में?

इस पहल के माध्यम से भारत की प्रतिष्ठित सहकारी संस्था IFFCO वैश्विक स्तर पर नैनो उर्वरकों के उत्पादन में कदम रख रही है। यह उर्वरक परंपरागत रासायनिक उर्वरकों की तुलना में अधिक कुशल है और पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम करता है। इस संयंत्र से मक्का, सोयाबीन और गन्ने जैसी प्रमुख फसलों की उपज बढ़ने की उम्मीद है।

प्रमुख तथ्य

  • स्थान: कुरिचिबा, पराना प्रांत, ब्राज़ील

  • संयुक्त उद्यम अनुपात: IFFCO Nanoventions (भारत) और NANOFERT (ब्राज़ील) – 7:3

  • वार्षिक उत्पादन क्षमता: 45 लाख लीटर नैनो उर्वरक

  • उत्पादन आरंभ: 2025 के अंत तक परीक्षण उत्पादन की संभावना

  • लाभ: रासायनिक उर्वरकों का उपयोग घटेगा, पैदावार बढ़ेगी

पृष्ठभूमि

  • IFFCO ने 2021 में भारत में नैनो यूरिया की शुरुआत की थी।

  • अब तक 40+ देशों में 5 लाख से अधिक बोतलें निर्यात की जा चुकी हैं।

  • प्रमुख उत्पाद:

    • नैनो यूरिया: ₹240 प्रति 500 मि.ली. बोतल

    • नैनो DAP: ₹600 प्रति 500 मि.ली. बोतल

ब्राज़ील के लिए महत्त्व

  • ब्राज़ील कृषि उत्पादन में वैश्विक अगुआ देश है।

  • फील्ड ट्रायल परिणाम:

    • मक्का और सोयाबीन में 10% पैदावार वृद्धि

    • गन्ने में 7% वृद्धि

    • 20% से अधिक रासायनिक यूरिया और DAP की बचत

रणनीतिक महत्त्व

  • निर्यात लागत घटेगी, स्थानीय किसानों को लाभ

  • भारत-ब्राज़ील कृषि तकनीक सहयोग को बढ़ावा

  • भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को सशक्त करेगा टिकाऊ कृषि क्षेत्र में

भविष्य की योजनाएँ

  • IFFCO जल्द ही नैनो जिंक और नैनो कॉपर लिक्विड वैरिएंट भी लॉन्च करेगा

  • अब तक ₹4,200 करोड़ का निवेश नैनो उर्वरकों के अनुसंधान और उत्पादन में किया जा चुका है

  • घरेलू स्तर पर धीमी अपनाने की दर के बावजूद, वैश्विक मांग तेज़ी से बढ़ रही है

यह कदम भारतीय कृषि उत्पादों और तकनीकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा और किसानों के लिए अधिक टिकाऊ व लाभकारी विकल्प प्रस्तुत करेगा।

टाटा ग्रुप बना देश का सबसे वैल्यूएबल ब्रांड

ब्रांड फाइनेंस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की टॉप 100 कंपनियों का संयुक्त ब्रांड वैल्यू 236.5 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई है। यह रैंकिंग टेक्नोलॉजी, फाइनेंस, इन्फ्रास्ट्रक्चर और हॉस्पिटैलिटी समेत विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख भारतीय ब्रांडों के ग्रोथ को दर्शा रही है।

ब्रांड फाइनेंस इंडिया 100 रिपोर्ट 2025 के अनुसार, टाटा समूह ने $30 अरब का आंकड़ा पार कर $31.6 अरब की ब्रांड वैल्यू के साथ नया इतिहास रच दिया है। यह उपलब्धि समूह की वर्ष दर वर्ष 10% की वृद्धि को दर्शाती है और वैश्विक स्तर पर भारतीय ब्रांडों के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करती है। इन्फोसिस और एचडीएफसी जैसे ब्रांड भी शीर्ष स्थानों पर हैं, वहीं अडानी ग्रुप, बिड़ला ओपस और जोमैटो जैसे नए प्रवेशकर्ता भारत की आर्थिक ताकत को दर्शाते हैं।

क्यों है चर्चा में?

25 जून 2025 को जारी ब्रांड फाइनेंस इंडिया 100 रैंकिंग के अनुसार, टाटा समूह $30 अरब की ब्रांड वैल्यू पार करने वाला भारत का पहला ब्रांड बन गया है।

ब्रांड फाइनेंस इंडिया 100 (2025) – मुख्य बिंदु

टाटा समूह

  • ब्रांड वैल्यू: $31.6 अरब

  • स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) मूल्य: $4.3 अरब (भारतीय ब्रांडों में सर्वाधिक)

भारत के टॉप 5 सबसे मूल्यवान ब्रांड

  1. टाटा समूह – $31.6 अरब

  2. इन्फोसिस – $16.3 अरब (15% वृद्धि)

  3. एचडीएफसी समूह – $14.2 अरब (37% वृद्धि – विलय के बाद)

  4. LIC

  5. एयरटेल

सबसे तेज़ी से बढ़ता ब्रांड

  • अडानी ग्रुप – 82% ब्रांड वैल्यू में उछाल (इन्फ्रास्ट्रक्चर व ऊर्जा क्षेत्रों में विस्तार के कारण)

सबसे मजबूत ब्रांड (ब्रांड स्ट्रेंथ इंडेक्स – BSI पर आधारित)

  • ताज होटल्स – BSI: 92.2/100, AAA+ (लगातार चौथे वर्ष शीर्ष पर)

  • एशियन पेंट्स – BSI: 92/100 (दुनिया का सबसे मजबूत पेंट ब्रांड)

  • अमूल – BSI: 91.2/100

नए प्रवेशकर्ता

  • जोमैटो – ब्रांड वैल्यू: $1 अरब, स्थान: 39

  • बिड़ला ओपस – सजावटी पेंट क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव

  • बिड़लासॉफ्ट – $164 मिलियन, आईटी सेवा क्षेत्र में नया नाम

उल्लेखनीय उभरते ब्रांड

  • HMEL – ब्रांड वैल्यू: $656 मिलियन, 7 स्थानों की छलांग

  • ज़ेटवर्क – भारत के ESDM क्षेत्र की अग्रणी भूमिका को दर्शाता

बड़ी तस्वीर: वैश्विक प्रभाव

  • भारत के शीर्ष 100 ब्रांडों की कुल वैल्यू: $236.5 अरब

  • वैश्विक कॉर्पोरेट परिदृश्य में भारत की बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है।

क्षेत्रीय प्रभुत्व

  • आईटी और टेक्नोलॉजी: इन्फोसिस अग्रणी, परसिस्टेंट सिस्टम्स 33% वृद्धि के साथ

  • वित्तीय सेवाएं: एचडीएफसी ने संरचनात्मक मजबूती के चलते तेज़ उछाल दिखाया

  • हॉस्पिटैलिटी व एफएमसीजी: ताज व अमूल सेवा की गुणवत्ता में अग्रणी

सस्टेनेबिलिटी और ब्रांड वैल्यू

  • इन्फोसिस को सबसे अधिक सकारात्मक सस्टेनेबिलिटी गैप ($115 मिलियन) के लिए सराहा गया – जो भविष्य में ब्रांड वैल्यू वृद्धि का संकेत देता है।

एनपीसीआई का अधिशेष वित्त वर्ष 2024-25 में ₹1,500 करोड़ के पार, राजस्व ₹3,270 करोड़ तक पहुँचा

भारत के डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम की रीढ़ मानी जाने वाली नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने वित्त वर्ष 2024-25 में 42% की उल्लेखनीय वृद्धि के साथ ₹1,552 करोड़ का स्टैंडअलोन शुद्ध लाभ (जिसे ‘सरप्लस’ कहा जाता है) दर्ज किया है। ICRA द्वारा जारी अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, इसी अवधि में एनपीसीआई की राजस्व आय 19% बढ़कर ₹3,270 करोड़ तक पहुँच गई। यह वृद्धि देश में यूपीआई, आईएमपीएस और रूपे जैसे प्रमुख पेमेंट प्लेटफॉर्म्स के प्रभावी प्रबंधन और डिजिटल लेनदेन की तेज़ी से बढ़ती मांग को दर्शाती है, जिससे एनपीसीआई की केंद्रीय भूमिका और मजबूत हुई है।

क्यों है यह ख़बर में?

एनपीसीआई (NPCI) के वित्त वर्ष 2024-25 के वित्तीय नतीजों में उल्लेखनीय लाभ और राजस्व वृद्धि दर्ज की गई है।
सरप्लस ₹1,552 करोड़ तक पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 42% की बढ़ोतरी दर्शाता है।
राजस्व ₹3,270 करोड़ को पार कर गया, जो देश में यूपीआई लेनदेन की बढ़ती मात्रा को दर्शाता है।

ये आँकड़े ऐसे समय सामने आए हैं जब यूपीआई इकोसिस्टम पर टिकाऊपन (sustainability), बार-बार होने वाली तकनीकी समस्याओं (outages), और फिनटेक कंपनियों द्वारा एमडीआर (MDR) की मांग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

पृष्ठभूमि और संरचना
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा की गई थी।
यह एक गैर-लाभकारी संस्था (not-for-profit organisation) के रूप में पंजीकृत है और अपने वित्तीय विवरणों में “लाभ” को “सरप्लस” कहा जाता है।
भारत के प्रमुख बैंकों के संघ के स्वामित्व में है।
NPCI भारत में डिजिटल भुगतान के लिए केंद्रीय बुनियादी ढांचा प्रदान करता है।

मुख्य कार्य
NPCI निम्नलिखित प्रमुख भुगतान प्लेटफॉर्म का संचालन करता है:

  • UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस)

  • IMPS (इमीडिएट पेमेंट सर्विस)

  • AePS (आधार सक्षम भुगतान प्रणाली)

  • NACH (नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस)

  • RuPay कार्ड नेटवर्क

इसके अतिरिक्त, NPCI दो प्रमुख सहायक कंपनियों का प्रबंधन करता है:

  • NIPL (NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड) – वैश्विक स्तर पर NPCI प्लेटफॉर्म का विस्तार

  • NBBL (NPCI भारत बिलपे लिमिटेड) – डिजिटल बिल भुगतान का एग्रीगेटर

वित्तीय वर्ष 2024–25 की प्रमुख बातें (ICRA के अनुसार अनंतिम आंकड़े)

  • स्टैंडअलोन नेट सरप्लस: ₹1,552 करोड़ (FY24 में ₹1,095 करोड़) → 42% की वृद्धि

  • राजस्व: ₹3,270 करोड़ (FY24 में ₹2,749 करोड़) → 19% की वृद्धि

  • अंतिम ऑडिटेड आंकड़े CAG द्वारा बाद में जारी किए जाएंगे।

UPI इकोसिस्टम और प्रदर्शन

  • भारत के कुल डिजिटल लेनदेन का 85% से अधिक हिस्सा UPI के माध्यम से होता है।

  • प्रतिदिन के लेनदेन: 600–650 मिलियन

  • मई 2025: 18+ अरब लेनदेन, कुल मूल्य ₹25 लाख करोड़

  • UPI अब वैश्विक स्तर पर Visa को दैनिक लेनदेन में पीछे छोड़ने के करीब है।

चुनौतियाँ और विवाद

  • फिनटेक कंपनियाँ UPI लेनदेन के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) की मांग कर रही हैं ताकि मॉडल टिकाऊ बन सके।

  • सरकार ने ‘शून्य MDR’ नीति को बनाए रखा है ताकि डिजिटल भुगतान को अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके।

  • हाल के महीनों में UPI आउटेज की कई घटनाएँ हुईं, जिससे उपयोगकर्ताओं में असंतोष देखा गया।

RuPay की प्रगति

  • डेबिट कार्ड बाजार में 80% से अधिक हिस्सेदारी RuPay की है।

  • अब RuPay क्रेडिट कार्ड को भी UPI से जोड़ा जा सकता है, जिससे इसका उपयोग Visa और Mastercard की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है।

AICF ने खिलाड़ियों के लिए वजीफा योजना शुरू की

शतरंज को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (AICF) ने 25 जून 2025 को “टॉप नेशनल प्लेयर्स स्टाइपेंड स्कीम” (TNPSS) की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य भारत के होनहार युवा शतरंज खिलाड़ियों को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जो अंडर-7 से अंडर-19 आयु वर्ग तक फैली हुई है। इस पहल के तहत हर तिमाही ₹60,000 से ₹1.5 लाख तक की सहायता राशि दी जाएगी, जिससे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान कर उन्हें भविष्य के चैंपियन के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी। यह योजना भारतीय शतरंज पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की AICF की दूरदर्शी रणनीति को दर्शाती है।

क्यों है ख़बरों में?

अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (AICF) द्वारा 25 जून 2025 को “टॉप नेशनल प्लेयर्स स्टाइपेंड स्कीम” (TNPSS) को औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया। इस योजना के तहत पहली तिमाही की कुल ₹42.30 लाख की राशि सीधे 78 युवा खिलाड़ियों (39 लड़कों और 39 लड़कियों) के बैंक खातों में जमा कर दी गई है। यह भारतीय शतरंज इतिहास में पहली बार है जब इतनी कम उम्र में खिलाड़ियों को एक संरचित वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भागीदारी को प्रोत्साहित करना और भविष्य में उनकी सफलता की ठोस नींव तैयार करना है।

योजना की मुख्य विशेषताएं:

  • नाम: टॉप नेशनल प्लेयर्स स्टाइपेंड स्कीम (TNPSS)
  • लॉन्च करने वाला संगठन: अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (AICF)
  • लॉन्च की तारीख: 25 जून 2025
  • लाभार्थी वर्ग: अंडर-7 से अंडर-19 आयु वर्ग के शतरंज खिलाड़ी
  • प्रारंभ में लाभान्वित खिलाड़ी: 78 (39 लड़के और 39 लड़कियां)
  • त्रैमासिक स्टाइपेंड राशि: ₹60,000 से ₹1.5 लाख
  • अप्रैल-जून तिमाही के लिए कुल वितरित राशि: ₹42.30 लाख

उद्देश्य:

  • युवा शतरंज खिलाड़ियों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना।

  • राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को पहचान कर जमीनी स्तर पर भागीदारी को बढ़ावा देना।

  • प्रशिक्षण व प्रतियोगिता में भाग लेने में आने वाली आर्थिक बाधाओं को दूर करना।

  • शुरुआती वर्षों में स्थिर वित्तीय सहायता प्रदान कर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन को प्रोत्साहित करना।

पृष्ठभूमि:

  • अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (AICF) भारत में शतरंज को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत रहा है, विशेषकर आर. प्रग्गानानंदा, डी. गुकेश जैसे खिलाड़ियों के वैश्विक मंच पर उभार के बाद।
  • COVID-19 के बाद Chess.com, ChessBase India जैसी डिजिटल शतरंज प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता ने देश में शतरंज के प्रति रुचि को तेजी से बढ़ाया है। इसी प्रेरणा से AICF ने इस खेल को अधिक समावेशी और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में यह पहल की है।

स्थिर तथ्य:

  • मुख्यालय: चेन्नई, तमिलनाडु

  • AICF अध्यक्ष: नितिन नरंग

  • स्थापना: 1951

  • संबद्धता: फिडे (FIDE – विश्व शतरंज महासंघ)

योजना का महत्व:

  • प्रतिभा आधारित पुरस्कारों को बढ़ावा देता है और युवा खिलाड़ियों की समय रहते पहचान सुनिश्चित करता है।

  • भारत को एक वैश्विक शतरंज महाशक्ति बनाने की दिशा में मजबूत खिलाड़ी आधार तैयार करता है।

  • राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं को अधिक प्रासंगिक बनाता है, क्योंकि इन्हीं के प्रदर्शन के आधार पर भविष्य की स्टाइपेंड तय की जाएगी।

  • लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है – लड़के और लड़कियों की संख्या बराबर रखी गई है।

अप्रैल 2025 में विदेशी निवेश का आंकड़ा 8.8 बिलियन डॉलर पहुंचा: RBI बुलेटिन

भारत में अप्रैल 2025 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जो $8.8 बिलियन तक पहुंच गई। यह जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मासिक बुलेटिन में दी गई है। मार्च 2025 में यह आंकड़ा $5.9 बिलियन और अप्रैल 2024 में $7.2 बिलियन था। इस तेजी को भारत की मजबूत आर्थिक स्थिरता और विनिर्माण व व्यापार सेवाओं जैसे क्षेत्रों में लचीलापन के प्रति वैश्विक विश्वास के रूप में देखा जा रहा है।

चर्चा में क्यों?

यह खबर महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें अप्रैल 2025 में भारत में एफडीआई प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाया गया है। ग्रीनफील्ड निवेश, एनआरआई जमा और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) में मजबूत प्रदर्शन। भारत का एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में उभरना, विशेष रूप से डिजिटल अर्थव्यवस्था और पूंजीगत सामान क्षेत्रों में। भारतीय रुपये और बाहरी संतुलन को मजबूत करना, व्यापक आर्थिक स्थिरता में योगदान देना।

FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) प्रवाह

  • अप्रैल 2025: $8.8 बिलियन

  • मार्च 2025: $5.9 बिलियन

  • अप्रैल 2024: $7.2 बिलियन

यह वृद्धि भारत की आर्थिक स्थिरता और वैश्विक निवेशकों के विश्वास को दर्शाती है।

FDI प्राप्त करने वाले प्रमुख क्षेत्र

  • विनिर्माण और व्यावसायिक सेवाएं: कुल निवेश का लगभग 50%

  • दूरसंचार, कैपिटल गुड्स, और सेवाएं भी प्रमुख क्षेत्र रहे।

भारत की वैश्विक स्थिति

  • FDI प्रवाह में वैश्विक रैंकिंग: 16वां स्थान

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था में $114 बिलियन का ग्रीनफील्ड निवेश (2020–2024)

  • ग्लोबल साउथ देशों में सबसे अधिक ग्रीनफील्ड निवेश प्राप्त करने वाला देश

FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश)

  • मई 2025 में नेट FPI प्रवाह: $1.7 बिलियन

  • प्रमुख कारण:

    • भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम

    • अमेरिका-चीन व्यापार समझौता

    • वित्त वर्ष 2024–25 की Q4 में मजबूत कॉर्पोरेट प्रदर्शन

  • इक्विटी सेगमेंट: लगातार तीसरे महीने लाभ में

ऋण बाजार गतिविधियाँ 

  • पिछले महीने (अप्रैल) में आउटफ्लो दर्ज

  • मई 2025 में आउटफ्लो रुका, हालांकि भारत-अमेरिका बॉन्ड यील्ड अंतर केवल <2% रहा

NRI जमा (प्रवासी भारतीय जमा)

  • अप्रैल 2025 में कुल जमा: $165.43 बिलियन

  • अप्रैल 2024 में: $164.68 बिलियन

  • FCNR(B) जमा: साल-दर-साल 9% की वृद्धि

    • बैलेंस अप्रैल 2025: $33.08 बिलियन (2024 में $30.26 बिलियन)

    • मासिक प्रवाह: $483 मिलियन (2024 में $272 मिलियन)

विनिमय दर और विदेशी मुद्रा भंडार

  • मई 2025 में रुपये में 0.4% की सराहना अमेरिकी डॉलर के मुकाबले

  • विदेशी मुद्रा भंडार: 11+ महीनों के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त

  • वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी रुपये का प्रदर्शन स्थिर

भारत जैव विविधता की चुनौतियों से निपटने के लिए ICCON 2025 की मेजबानी करेगा

भारत 25 से 27 जून 2025 तक देश का प्रमुख संरक्षण विज्ञान और नीति सम्मेलन — इंडियन कंजर्वेशन कॉन्फ्रेंस (ICCON) 2025 — आयोजित करने जा रहा है। यह तीन दिवसीय आयोजन वन्यजीव संस्थान, देहरादून (Wildlife Institute of India – WII) में होगा, जिसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री भूपेंद्र यादव करेंगे।

यह सम्मेलन वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं, वन अधिकारियों, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और युवाओं को एक मंच पर लाकर भारत की जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी चुनौतियों का समाधान खोजने का प्रयास करेगा।

चर्चा में क्यों?

भारतीय संरक्षण सम्मेलन (ICCON) 2025 25-27 जून, 2025 को WII, देहरादून में आयोजित किया जाएगा। सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव करेंगे। इस वर्ष के संस्करण में टेकब्रिज, 17 विषयगत क्षेत्र और 10 क्षमता निर्माण कार्यशालाओं जैसे अभिनव परिवर्धन शामिल हैं। यह संरक्षण विज्ञान और समावेशी पर्यावरण संवाद में भारत के निरंतर नेतृत्व को दर्शाता है।

मुख्य विशेषताएँ

  • आयोजन का नाम: इंडियन कंजर्वेशन कॉन्फ्रेंस (ICCON) 2025

  • तिथि और स्थान: 25–27 जून 2025 | वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून

  • आयोजक: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC)

  • प्रतिभागी: 500+ प्रतिनिधि, जिनमें वैज्ञानिक, विद्यार्थी, नीति-निर्माता, एनजीओ और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं शामिल हैं

  • उद्घाटन: श्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री

  • विशेष फोकस: TechBridge – वन्यजीव तकनीक पर आधारित नवाचार मंच

ICCON 2025 के उद्देश्य

  • संरक्षण विज्ञान और कार्य-प्रणाली में हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना

  • भारत की तात्कालिक जैव विविधता और वन्यजीव प्रबंधन चुनौतियों पर समाधान तलाशना

  • युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और आरंभिक स्तर के शोधकर्ताओं को नेटवर्किंग के अवसर देना

  • सर्वोत्तम प्रथाओं और तकनीकी नवाचारों को साझा करने हेतु एक बहु-आयामी मंच प्रदान करना

पृष्ठभूमि और विकास

  • पहली बार 2023 में प्रोजेक्ट टाइगर की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित किया गया

  • उसी वर्ष इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) की भी घोषणा हुई थी

  • शुरुआत से ही ICCON एक समावेशी, बहु-क्षेत्रीय मंच बनकर उभरा है

  • यह भारत की वैश्विक जैव विविधता और सतत पर्यावरणीय शासन में प्रतिबद्धता को दर्शाता है

ICCON 2025 की प्रमुख विशेषताएँ

  • 17 विषयगत क्षेत्र – संरक्षण और पर्यावरण विज्ञान से संबंधित

  • सैकड़ों मौखिक प्रस्तुतियाँ, पोस्टर सत्र और स्पीड टॉक्स

  • 10 कार्यशालाएँ – क्षेत्रीय और अकादमिक क्षमता निर्माण के लिए

  • TechBridge – अत्याधुनिक वन्यजीव तकनीक को प्रदर्शित करने का मंच

  • यात्रा छात्रवृत्तियाँ – छात्रों और युवा शोधकर्ताओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु

महत्त्व और प्रभाव

  • भारत की संरक्षण प्राथमिकताओं पर विचार के लिए राष्ट्रीय थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है

  • समुदाय-आधारित संरक्षण, युवाओं की भागीदारी और विज्ञान-नीति एकीकरण को प्रोत्साहन

  • भारत की वैश्विक जैव विविधता नेतृत्व को सशक्त बनाता है

  • ग्लोबल साउथ देशों के साथ ज्ञान और अनुभवों का आदान-प्रदान सुनिश्चित करता है

निष्कर्ष:
ICCON 2025 भारत के संरक्षण क्षेत्र में वैज्ञानिक सहयोग, युवा प्रेरणा, और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने वाला एक ऐतिहासिक आयोजन है, जो भारत को जैव विविधता संरक्षण में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने की दिशा में सशक्त कदम है।

गृहमंत्री शाह ने ‘The Emergency Diaries का किया विमोचन

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 25 जून 2025 को “द एमरजेंसी डायरीज़” नामक एक नई पुस्तक का विमोचन किया, जो 1975 के आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रकाशित की गई है। यह पुस्तक आपातकाल के दौरान एक युवा आरएसएस प्रचारक के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को उजागर करती है, जिसमें उन्होंने तानाशाही के विरुद्ध लोकतंत्र की रक्षा के लिए किए गए प्रयासों को दर्शाया है। प्रत्यक्ष अनुभवों, संस्मरणों और अभिलेखीय दस्तावेजों पर आधारित यह पुस्तक लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के महत्व को रेखांकित करती है।

क्यों है यह ख़बरों में?

25 जून 2025 को भारत में आपातकाल लागू होने की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई। इसी अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह ने “The Emergency Diaries” पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक प्रधानमंत्री मोदी के विचारात्मक विकास और आपातकाल के दौरान उनके भूमिगत संघर्ष को चित्रित करती है। यह वर्तमान और भावी पीढ़ियों को लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं की अहमियत समझाने का एक माध्यम है।

पुस्तक के बारे में

  • शीर्षक: द एमरजेंसी डायरीज़

  • विमोचन: अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री

  • केंद्रबिंदु: युवा प्रचारक के रूप में नरेंद्र मोदी की भूमिगत गतिविधियाँ और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में योगदान

स्रोत:

  • पीएम मोदी के सहयोगियों के प्रत्यक्ष अनुभव

  • ऐतिहासिक दस्तावेज और अभिलेखीय सामग्री

उद्देश्य और महत्व:

  • तानाशाही के विरुद्ध संघर्ष करने वालों के बलिदान की स्मृति

  • नई पीढ़ी को 1975–77 के आपातकाल और उस दौरान नागरिक अधिकारों के दमन की जानकारी देना

  • पीएम मोदी के लोकतांत्रिक मूल्यों और विचारधारा की नींव को रेखांकित करना

  • भारत के सबसे अंधकारमय लोकतांत्रिक काल को प्रत्यक्ष दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना

पृष्ठभूमि – क्या था आपातकाल?

  • घोषणा: 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा

  • अवधि: 21 महीने (मार्च 1977 तक)

  • मुख्य विशेषताएँ:

    • नागरिक स्वतंत्रताओं का निलंबन

    • प्रेस पर सेंसरशिप

    • विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी

    • जबरन नसबंदी अभियान और कर्फ्यू

  • आधिकारिक कारण: राष्ट्रीय सुरक्षा, लेकिन व्यापक रूप से इसे सत्ता बचाने का प्रयास माना गया

नेताओं के प्रमुख बयान:

  • अमित शाह:

    • “उस समय भारत एक जेल जैसा था।”

    • “आपातकाल वंशवादी शासन को बचाने के लिए एक तानाशाही शासक द्वारा थोपा गया था।”

    • पत्रकारों की गिरफ्तारी, नेताओं की नजरबंदी और फिल्मों/गीतों पर प्रतिबंध को उजागर किया।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी:

    • आपातकाल को “सीखने का अनुभव” बताया

    • इसे भारत के लोकतांत्रिक धैर्य की परीक्षा कहा

    • तानाशाही के खिलाफ खड़े होने और उस समय की सर्वदलीय एकता से प्रेरणा लेने की बात कही

यह पुस्तक न केवल अतीत की चेतावनी है, बल्कि भविष्य के लिए एक मार्गदर्शक भी है कि लोकतंत्र की रक्षा में सतर्कता और नागरिक जागरूकता कितनी आवश्यक है।

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