भारत के कृषि नवाचार को वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भारतीय किसान उर्वरक सहकारी संस्था (IFFCO) ने ब्राज़ील में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय नैनो उर्वरक निर्माण संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की है। यह रणनीतिक पहल ब्राज़ील की कंपनी NANOFERT के साथ साझेदारी में की गई है, जिसका उद्देश्य टिकाऊ और कुशल फसल पोषण समाधानों की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करना है।
क्यों है यह ख़बर में?
इस पहल के माध्यम से भारत की प्रतिष्ठित सहकारी संस्था IFFCO वैश्विक स्तर पर नैनो उर्वरकों के उत्पादन में कदम रख रही है। यह उर्वरक परंपरागत रासायनिक उर्वरकों की तुलना में अधिक कुशल है और पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम करता है। इस संयंत्र से मक्का, सोयाबीन और गन्ने जैसी प्रमुख फसलों की उपज बढ़ने की उम्मीद है।
प्रमुख तथ्य
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स्थान: कुरिचिबा, पराना प्रांत, ब्राज़ील
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संयुक्त उद्यम अनुपात: IFFCO Nanoventions (भारत) और NANOFERT (ब्राज़ील) – 7:3
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वार्षिक उत्पादन क्षमता: 45 लाख लीटर नैनो उर्वरक
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उत्पादन आरंभ: 2025 के अंत तक परीक्षण उत्पादन की संभावना
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लाभ: रासायनिक उर्वरकों का उपयोग घटेगा, पैदावार बढ़ेगी
पृष्ठभूमि
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IFFCO ने 2021 में भारत में नैनो यूरिया की शुरुआत की थी।
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अब तक 40+ देशों में 5 लाख से अधिक बोतलें निर्यात की जा चुकी हैं।
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प्रमुख उत्पाद:
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नैनो यूरिया: ₹240 प्रति 500 मि.ली. बोतल
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नैनो DAP: ₹600 प्रति 500 मि.ली. बोतल
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ब्राज़ील के लिए महत्त्व
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ब्राज़ील कृषि उत्पादन में वैश्विक अगुआ देश है।
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फील्ड ट्रायल परिणाम:
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मक्का और सोयाबीन में 10% पैदावार वृद्धि
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गन्ने में 7% वृद्धि
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20% से अधिक रासायनिक यूरिया और DAP की बचत
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रणनीतिक महत्त्व
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निर्यात लागत घटेगी, स्थानीय किसानों को लाभ
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भारत-ब्राज़ील कृषि तकनीक सहयोग को बढ़ावा
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भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को सशक्त करेगा टिकाऊ कृषि क्षेत्र में
भविष्य की योजनाएँ
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IFFCO जल्द ही नैनो जिंक और नैनो कॉपर लिक्विड वैरिएंट भी लॉन्च करेगा
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अब तक ₹4,200 करोड़ का निवेश नैनो उर्वरकों के अनुसंधान और उत्पादन में किया जा चुका है
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घरेलू स्तर पर धीमी अपनाने की दर के बावजूद, वैश्विक मांग तेज़ी से बढ़ रही है
यह कदम भारतीय कृषि उत्पादों और तकनीकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा और किसानों के लिए अधिक टिकाऊ व लाभकारी विकल्प प्रस्तुत करेगा।