जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केरल अब भारत के पहले तितली अभयारण्य का घर बन गया है। कन्नूर जिले में स्थित अरलम वन्यजीव अभयारण्य का नाम बदलकर अब “अरलम तितली अभयारण्य” रख दिया गया है। यह देश में अपनी तरह की पहली पहल है, जो पश्चिमी घाट की हरियाली में फैले 55 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और यहां 266 से अधिक तितली प्रजातियों को संरक्षित किया गया है, जिनमें कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
क्यों है यह खबर में?
18 जून 2025 को, केरल राज्य वन्यजीव बोर्ड ने अरलम अभयारण्य को आधिकारिक रूप से भारत का पहला तितली अभयारण्य घोषित किया। यह घोषणा 25 वर्षों के संरक्षण प्रयासों, सर्वेक्षणों और पर्यावरणविदों व शोधकर्ताओं के सतत प्रयासों का परिणाम है।
उद्देश्य एवं लक्ष्य
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तितलियों के लिए एक सुरक्षित आवास और प्रवास गलियारों की रक्षा करना
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तितली संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाना
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ईको-पर्यटन और वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, जिससे स्थानीय समुदायों और वैज्ञानिकों को लाभ हो
संक्षिप्त विवरण
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स्थान: कन्नूर जिला, केरल
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क्षेत्रफल: 55 वर्ग किलोमीटर
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पर्यावरण प्रकार: उष्णकटिबंधीय और अर्ध-सदाबहार वन
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तितली प्रजातियाँ: 266 से अधिक (केरल की तितली विविधता का 80%+)
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दुर्लभ प्रजातियाँ: कॉमन अल्बाट्रॉस, डैनाइन स्पीशीज़, स्थानिक (एंडेमिक) तितलियाँ
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प्रवास काल: दिसंबर से फरवरी के बीच तितलियों का चरम प्रवासन
पृष्ठभूमि और अनुसंधान
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स्थापना: 1984
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मालाबार नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सहयोग से 20+ वर्षों से वार्षिक तितली सर्वेक्षण होते आ रहे हैं
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बटरफ्लाई माइग्रेशन स्टडी (जनवरी–फरवरी में आयोजित) एक प्रमुख अनुसंधान और पर्यटन आकर्षण है
संरक्षण का महत्त्व
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दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों की रक्षा
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वैज्ञानिक खोजों को बढ़ावा – आज भी नई प्रजातियाँ खोजी जा रही हैं
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परागणकर्ता के रूप में तितलियाँ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम
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आधिकारिक दर्जा मिलने से वित्तीय सहायता और संरक्षण नीति में मजबूती मिलेगी