केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 25 जून 2025 को “द एमरजेंसी डायरीज़” नामक एक नई पुस्तक का विमोचन किया, जो 1975 के आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रकाशित की गई है। यह पुस्तक आपातकाल के दौरान एक युवा आरएसएस प्रचारक के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को उजागर करती है, जिसमें उन्होंने तानाशाही के विरुद्ध लोकतंत्र की रक्षा के लिए किए गए प्रयासों को दर्शाया है। प्रत्यक्ष अनुभवों, संस्मरणों और अभिलेखीय दस्तावेजों पर आधारित यह पुस्तक लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के महत्व को रेखांकित करती है।
क्यों है यह ख़बरों में?
25 जून 2025 को भारत में आपातकाल लागू होने की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई। इसी अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह ने “The Emergency Diaries” पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक प्रधानमंत्री मोदी के विचारात्मक विकास और आपातकाल के दौरान उनके भूमिगत संघर्ष को चित्रित करती है। यह वर्तमान और भावी पीढ़ियों को लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं की अहमियत समझाने का एक माध्यम है।
पुस्तक के बारे में
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शीर्षक: द एमरजेंसी डायरीज़
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विमोचन: अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री
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केंद्रबिंदु: युवा प्रचारक के रूप में नरेंद्र मोदी की भूमिगत गतिविधियाँ और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में योगदान
स्रोत:
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पीएम मोदी के सहयोगियों के प्रत्यक्ष अनुभव
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ऐतिहासिक दस्तावेज और अभिलेखीय सामग्री
उद्देश्य और महत्व:
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तानाशाही के विरुद्ध संघर्ष करने वालों के बलिदान की स्मृति
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नई पीढ़ी को 1975–77 के आपातकाल और उस दौरान नागरिक अधिकारों के दमन की जानकारी देना
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पीएम मोदी के लोकतांत्रिक मूल्यों और विचारधारा की नींव को रेखांकित करना
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भारत के सबसे अंधकारमय लोकतांत्रिक काल को प्रत्यक्ष दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना
पृष्ठभूमि – क्या था आपातकाल?
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घोषणा: 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा
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अवधि: 21 महीने (मार्च 1977 तक)
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मुख्य विशेषताएँ:
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नागरिक स्वतंत्रताओं का निलंबन
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प्रेस पर सेंसरशिप
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विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी
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जबरन नसबंदी अभियान और कर्फ्यू
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आधिकारिक कारण: राष्ट्रीय सुरक्षा, लेकिन व्यापक रूप से इसे सत्ता बचाने का प्रयास माना गया
नेताओं के प्रमुख बयान:
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अमित शाह:
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“उस समय भारत एक जेल जैसा था।”
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“आपातकाल वंशवादी शासन को बचाने के लिए एक तानाशाही शासक द्वारा थोपा गया था।”
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पत्रकारों की गिरफ्तारी, नेताओं की नजरबंदी और फिल्मों/गीतों पर प्रतिबंध को उजागर किया।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी:
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आपातकाल को “सीखने का अनुभव” बताया
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इसे भारत के लोकतांत्रिक धैर्य की परीक्षा कहा
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तानाशाही के खिलाफ खड़े होने और उस समय की सर्वदलीय एकता से प्रेरणा लेने की बात कही
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यह पुस्तक न केवल अतीत की चेतावनी है, बल्कि भविष्य के लिए एक मार्गदर्शक भी है कि लोकतंत्र की रक्षा में सतर्कता और नागरिक जागरूकता कितनी आवश्यक है।