शतरंज को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (AICF) ने 25 जून 2025 को “टॉप नेशनल प्लेयर्स स्टाइपेंड स्कीम” (TNPSS) की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य भारत के होनहार युवा शतरंज खिलाड़ियों को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जो अंडर-7 से अंडर-19 आयु वर्ग तक फैली हुई है। इस पहल के तहत हर तिमाही ₹60,000 से ₹1.5 लाख तक की सहायता राशि दी जाएगी, जिससे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान कर उन्हें भविष्य के चैंपियन के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी। यह योजना भारतीय शतरंज पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की AICF की दूरदर्शी रणनीति को दर्शाती है।
क्यों है ख़बरों में?
योजना की मुख्य विशेषताएं:
- नाम: टॉप नेशनल प्लेयर्स स्टाइपेंड स्कीम (TNPSS)
- लॉन्च करने वाला संगठन: अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (AICF)
- लॉन्च की तारीख: 25 जून 2025
- लाभार्थी वर्ग: अंडर-7 से अंडर-19 आयु वर्ग के शतरंज खिलाड़ी
- प्रारंभ में लाभान्वित खिलाड़ी: 78 (39 लड़के और 39 लड़कियां)
- त्रैमासिक स्टाइपेंड राशि: ₹60,000 से ₹1.5 लाख
- अप्रैल-जून तिमाही के लिए कुल वितरित राशि: ₹42.30 लाख
उद्देश्य:
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युवा शतरंज खिलाड़ियों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना।
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राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को पहचान कर जमीनी स्तर पर भागीदारी को बढ़ावा देना।
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प्रशिक्षण व प्रतियोगिता में भाग लेने में आने वाली आर्थिक बाधाओं को दूर करना।
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शुरुआती वर्षों में स्थिर वित्तीय सहायता प्रदान कर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन को प्रोत्साहित करना।
पृष्ठभूमि:
- अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (AICF) भारत में शतरंज को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत रहा है, विशेषकर आर. प्रग्गानानंदा, डी. गुकेश जैसे खिलाड़ियों के वैश्विक मंच पर उभार के बाद।
- COVID-19 के बाद Chess.com, ChessBase India जैसी डिजिटल शतरंज प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता ने देश में शतरंज के प्रति रुचि को तेजी से बढ़ाया है। इसी प्रेरणा से AICF ने इस खेल को अधिक समावेशी और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में यह पहल की है।
स्थिर तथ्य:
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मुख्यालय: चेन्नई, तमिलनाडु
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AICF अध्यक्ष: नितिन नरंग
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स्थापना: 1951
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संबद्धता: फिडे (FIDE – विश्व शतरंज महासंघ)
योजना का महत्व:
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प्रतिभा आधारित पुरस्कारों को बढ़ावा देता है और युवा खिलाड़ियों की समय रहते पहचान सुनिश्चित करता है।
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भारत को एक वैश्विक शतरंज महाशक्ति बनाने की दिशा में मजबूत खिलाड़ी आधार तैयार करता है।
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राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं को अधिक प्रासंगिक बनाता है, क्योंकि इन्हीं के प्रदर्शन के आधार पर भविष्य की स्टाइपेंड तय की जाएगी।
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लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है – लड़के और लड़कियों की संख्या बराबर रखी गई है।