टाइम पत्रिका ने ‘आर्किटेक्ट्स ऑफ एआई’ को पर्सन ऑफ द ईयर किया नामित

टाइम पत्रिका ने 11 दिसंबर 2025 को ”आर्किटैक्ट्स आफ एआइ” को 2025 के लिए पर्सन आफ द ईयर नामित किया। पत्रिका ने 2025 को वह वर्ष बताया जब एआइ की क्षमता तेजी से सामने आई और अब पीछे मुड़ना असंभव है। टाइम ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट में कहा कि सोचने वाली मशीनों का युग लाने, मानवता को विस्मित और चिंतित करने, वर्तमान को बदलने और संभावनाओं से परे जाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वास्तुकार टाइम के 2025 के पर्सन आफ द ईयर हैं। टाइम ने 2025 को वह वर्ष बताया है जब एआई की पूरी क्षमता तेज़ी से सामने आई और इसने उद्योगों, राजनीति, अर्थव्यवस्था और अरबों लोगों के दैनिक जीवन को बदल दिया।

टाइम ने ‘आर्किटेक्ट्स ऑफ एआई’ को क्यों चुना?

टाइम मैगज़ीन के अनुसार, इन नवोन्मेषकों (innovators) ने:

  • सोचने वाली मशीनों का युग शुरू किया

  • समाज में उत्साह और चिंता दोनों को जन्म दिया

  • काम, शिक्षा, शासन, रचनात्मकता और वैश्विक शक्ति-संतुलन का भविष्य बदल दिया

संपादक-इन-चीफ सैम जैकब्स ने कहा कि जब किसी एक व्यक्ति का प्रभाव पर्याप्त न हो, तब टाइम ऐसे समूहों या विचारों को सम्मानित करता है — जैसे 1982 में पर्सनल कंप्यूटर और 1988 में “एंडेंजर्ड अर्थ”

2025 में एआई एक मोड़ पर पहुँचा:
यह एक सीमित तकनीक से निकलकर आम लोगों के लिए उपलब्ध मुख्यधारा की शक्ति बन गया।

कौन हैं ‘आर्किटेक्ट्स ऑफ एआई’?

टाइम ने अपनी एक प्रतीकात्मक कवर इमेज में आठ प्रमुख एआई नेताओं को दिखाया है, जिसे प्रसिद्ध फ़ोटोग्राफ “Lunch Atop a Skyscraper” से प्रेरित बनावट दी गई है।

फ़ीचर्ड एआई लीडर्स

  • मार्क ज़ुकरबर्ग — सीईओ, Meta

  • लीसा सु — सीईओ, AMD

  • एलोन मस्क — टेस्ला सीईओ, xAI के संस्थापक

  • जेंसन हुआंग — सीईओ, NVIDIA

  • सैम ऑल्टमैन — सीईओ, OpenAI

  • डेमिस हासाबिस — सीईओ, Google DeepMind

  • डेरियो अमोडेई — सीईओ, Anthropic

  • फेई-फेई ली — एआई वैज्ञानिक; वर्ल्ड लैब्स की संस्थापक

ये सभी नेता एआई विस्तार की रीढ़ हैं — चिप्स, मॉडल, हार्डवेयर, क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा अनुसंधान को आगे बढ़ाने वाले।

इनमें से कई — मस्क, ज़ुकरबर्ग, हुआंग, सु और ऑल्टमैन — अरबपति भी हैं, जिनकी कुल संपत्ति लगभग 870 अरब डॉलर है, जो हालिया एआई बूम के दौरान कई गुना बढ़ी।

2025: वह साल जब एआई हर जगह पहुँच गया

टाइम के अनुसार, एआई को यह सम्मान मिलने के कई कारण हैं:

  • एआई आम उपभोक्ताओं तक तेज़ी से पहुँचा

  • दुनिया भर की सरकारों ने एआई अपनाना और नियमन शुरू किया

  • अमेरिका की राजनीतिक घटनाओं में एआई कंपनियों के प्रमुख नेताओं की बड़ी भूमिका रही

  • जनरेटिव एआई ने कार्यस्थलों और रचनात्मक उद्योगों को बदल दिया

  • एआई स्टार्टअप और चिप कंपनियों ने वैश्विक बाजारों को झकझोर दिया

एआई का प्रभाव अब “अपरिहार्य” हो चुका है — आर्थिक, नैतिक, और सांस्कृतिक रूप से।

2025 के अन्य संभावित उम्मीदवार

कई भविष्यवाणी बाज़ारों में ये नाम प्रमुख थे:

  • जेंसन हुआंग (NVIDIA)

  • सैम ऑल्टमैन (OpenAI)

  • पोप लियो XIV — पहले अमेरिकी पोप

  • राजनीतिक नेता: डोनाल्ड ट्रंप, बेंजामिन नेतन्याहू, ज़ोहरान ममताानी

लेकिन अंततः यह स्पष्ट था कि कोई भी व्यक्तिगत नाम एआई निर्माताओं जितना प्रभावशाली नहीं रहा।

टाइम ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ की विरासत

1927 से टाइम हर वर्ष उस व्यक्ति, समूह या विचार को चुनता है जिसने वर्ष भर में दुनिया पर सबसे बड़ा प्रभाव डाला हो।

हाल के विजेता:

  • डोनाल्ड ट्रंप — 2024

  • टेलर स्विफ्ट — 2023

और 2025 में, दुनिया की दिशा तय करने वाला विषय था — एआई और उसके आर्किटेक्ट्स

जर्मनी ने आठवीं बार जीता जूनियर मेंस हॉकी विश्व कप

जर्मनी ने बेहद रोमांचक फाइनल मुकाबले में 10 दिसंबर 2025 को स्पेन को शूटआउट में 3-2 से हराकर आठवीं बार जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप जीत लिया। सेमीफाइनल में भारत को हराने वाली जर्मनी के लिए बेनेडिक्ट गेयेर, एलेक वोन श्वेरिन और बेन हासबाश ने गोल किए जबकि स्पेन के लिए पाब्लो रोमन और जुआन प्राडो ही गोल कर सके. यह टूर्नामेंट 28 नवंबर से 10 दिसंबर 2025 तक मेयर राधाकृष्णन हॉकी स्टेडियम (चेन्नई) और मदुरै इंटरनेशनल हॉकी स्टेडियम में आयोजित हुआ।
इससे पहले निर्धारित समय में जर्मनी के लिए 26वें मिनट में जस्टस वारवेग ने गोल किया जबकि स्पेन के लिये 54वें मिनट में जी कोरोमिनास ने बराबरी का गोल दागा। जर्मन टीम सात बार (1982, 1985, 1989, 1993, 2009, 2013, 2023) खिताब जीत चुकी है। वहीं स्पेन ने 2005 में रोटरडम और 2023 में भुवनेश्वर और राउरकेला में हुए टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता था।

जर्मनी बना आठवीं बार जूनियर हॉकी विश्व चैंपियन

फाइनल मुकाबले में जर्मनी ने स्पेन को 1–1 की बराबरी के बाद शूट-आउट में 3–2 से हराकर अपना आठवाँ जूनियर हॉकी विश्व कप खिताब जीता।

फाइनल मैच सारांश

  • जर्मनी बनाम स्पेन

    • समय समाप्ति: 1–1

    • शूट-आउट: जर्मनी 3–2 से विजेता

इस जीत के साथ जर्मनी अब तक के सबसे सफल जूनियर हॉकी टीम के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत कर चुका है।

भारत ने रचा कमाल — अर्जेंटीना पर जीतकर जीता कांस्य पदक

भारत ने रोमांचक वापसी करते हुए 0–2 से पीछे होने के बाद अर्जेंटीना को 4–2 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया। अंतिम क्वार्टर में भारत ने सिर्फ 10 मिनट में चार गोल दागकर मैच पलट दिया।

भारत के गोल स्कोरर

  • अंकित पाल – 49′

  • मनमीत सिंह – 52′

  • शारदा नंद तिवारी – 57′

  • अनमोल एक्का – 58′

यह प्रदर्शन भारतीय जूनियर हॉकी की गहराई और क्षमता को दर्शाता है।

भारत के पूर्व स्वर्ण पदक (जूनियर विश्व कप)

  • 2001

  • 2016

2025 टूर्नामेंट की फाइनल रैंकिंग

रैंक टीम पदक
1 जर्मनी स्वर्ण
2 स्पेन रजत
3 भारत कांस्य

अन्य प्रमुख झलकियाँ

बेल्जियम ने हासिल किया पाँचवाँ स्थान

बेल्जियम ने नीदरलैंड को 3–3 की बराबरी के बाद शूट-आउट में 4–3 से हराया। ह्यूगो लैबुशेयर ने शानदार हैट्रिक (18′, 30′, 58′) लगाई।

पुरस्कार घोषणा

हॉकी इंडिया ने भारत की उपलब्धि पर घोषणा की—

  • प्रत्येक भारतीय खिलाड़ी को ₹5 लाख

  • प्रत्येक सहयोगी स्टाफ को ₹2.5 लाख

एफआईएच पुरुष जूनियर हॉकी विश्व कप के बारे में

  • शुरुआत: 1979

  • श्रेणी: अंडर-21

  • आयोजक: इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन (FIH)

  • आवृत्ति:

    • 2019 तक: हर चार वर्ष में

    • 2021 से: हर दो वर्ष (द्विवार्षिक)

यह टूर्नामेंट युवा हॉकी खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना कौशल दिखाने और सीनियर हॉकी में प्रवेश करने का महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है।

इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन (FIH) के बारे में

  • अध्यक्ष: तैय्यब इक़राम

  • मुख्यालय: लॉज़ेन, स्विट्ज़रलैंड

  • स्थापना: 1924

एफआईएच वैश्विक हॉकी प्रतियोगिताओं का संचालन करता है और दुनिया भर में हॉकी के विकास के लिए कार्य करता है।

मुल्लांपुर स्टेडियम में युवराज सिंह और हरमनप्रीत कौर के नाम पर बना नया स्टैंड

भारतीय क्रिकेट के दिग्गज युवराज सिंह और हरमनप्रीत कौर को 11 दिसंबर 2025 को एक बड़ा सम्मान मिला, जब न्यू चंडीगढ़ के मुल्लांपुर स्थित महाराजा यादविंद्र सिंह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में उनके नाम पर स्टैंड का नामकरण किया गया। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच दूसरे T20I मुकाबले से पहले इन स्टैंड्स का उद्घाटन किया, जो भारतीय क्रिकेट और पंजाब की खेल बिरादरी के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण था।

भारतीय क्रिकेट के दो सितारों को खास सम्मान

युवराज सिंह और हरमनप्रीत कौर के नाम पर स्टैंड का नामकरण भारतीय क्रिकेट में उनके असाधारण योगदान को सलाम करता है।

  • युवराज सिंह को भारत के महान मैच-विनर्स में गिना जाता है। वे एक ओवर में छह छक्के, 2007 T20 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन और 2011 ODI विश्व कप में ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ बने रहने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।

  • हरमनप्रीत कौर, भारतीय महिला क्रिकेट की सबसे बड़ी पहचान, हाल ही में भारत को पहला महिला वनडे विश्व कप खिताब दिलाने वाली कप्तान रही हैं। उन्होंने दबाव की स्थिति में कई मैच-विजेता पारियां खेलीं।

यह सम्मान दर्शाता है कि इन दोनों खिलाड़ियों ने पूरे भारत के युवा क्रिकेटरों को नई प्रेरणा दी है।

नकद पुरस्कारों की घोषणा

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस अवसर पर खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार भी प्रदान किए—

  • हरलीन, अमनजोत और हरमनप्रीत कौर को 11-11 लाख रुपये

  • मुनीश बाली को 5 लाख रुपये

यह कदम महिलाओं के क्रिकेट को बढ़ावा देने और उत्कृष्ट प्रदर्शन को सम्मानित करने की पंजाब सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मुल्लांपुर स्टेडियम में पहली बार पुरुषों का अंतरराष्ट्रीय मैच

यह आयोजन एक और ऐतिहासिक अवसर के साथ जुड़ा रहा—मुल्लांपुर स्टेडियम ने पहली बार पुरुषों का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच आयोजित किया। यह पंजाब में क्रिकेट अवसंरचना के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। हरमनप्रीत कौर की मौजूदगी विशेष रूप से प्रतीकात्मक रही, क्योंकि उन्होंने लगातार तीन हार के बाद भारत को पहला महिला वनडे विश्व कप खिताब जिताकर इतिहास रचा था।

अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस 2025

हर वर्ष 12 दिसंबर को दुनिया अंतरराष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस (UHC Day) मनाती है — यह याद दिलाने के लिए कि गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सेवा किसी विशेषाधिकार नहीं, बल्कि हर व्यक्ति का अधिकार है। यह दिवस वैश्विक नेताओं, सरकारों और समुदायों से ऐसे स्वास्थ्य तंत्र बनाने की अपील करता है जो हर जगह, सभी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

UHC Day 2025 का थीम — “Unaffordable health costs? We’re sick of it!” — बढ़ते स्वास्थ्य खर्चों के कारण दुनिया भर में परिवारों पर बढ़ते बोझ को उजागर करता है। यह थीम rising healthcare costs से प्रभावित मानव कहानियों पर ध्यान केंद्रित करती है और सरकारों से मजबूत, न्यायसंगत और अधिक किफायती स्वास्थ्य प्रणालियों में निवेश बढ़ाने का आग्रह करती है।

UHC Day का इतिहास

  • 12 दिसंबर 2012 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें सभी देशों से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में तेजी से कदम उठाने को कहा गया।

  • 12 दिसंबर 2017 को UN ने आधिकारिक रूप से इस दिन को अंतरराष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस घोषित किया (UNGA Resolution 72/138)।

तब से UHC Day एक वैश्विक मंच बन गया है, जिसके माध्यम से:

  • स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच पर जागरूकता बढ़ाई जाती है

  • राजनीतिक प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित किया जाता है

  • सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश बढ़ाने की मांग की जाती है

  • उन लोगों की कहानियाँ उजागर की जाती हैं जिन्हें अब भी मूल स्वास्थ्य सेवाएँ नहीं मिलतीं

यह दिन क्यों महत्वपूर्ण है?

आज भी दुनिया में लाखों लोग गंभीर स्वास्थ्य असमानताओं का सामना कर रहे हैं:

  • दुनिया की आधी से अधिक आबादी को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ नहीं मिलतीं

  • हर चार में से एक व्यक्ति को इलाज के लिए आर्थिक कठिनाई झेलनी पड़ती है

  • कई लोग दवाइयों और बुनियादी आवश्यकताओं (खाना, शिक्षा, आवास) में से किसी एक को चुनने को मजबूर हैं

इस दिन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दुनिया भर के नेता और सरकारें मजबूत, लचीली और समावेशी स्वास्थ्य प्रणालियाँ विकसित करें।

2025 की थीम का महत्व

बढ़ती स्वास्थ्य लागत लोगों को:

  • आर्थिक रूप से कमजोर बनाती है

  • बीमारी बढ़ाती है, क्योंकि कई लोग इलाज टाल देते हैं

  • सामाजिक असमानता को बढ़ाती है

यह थीम सरकारों से स्वास्थ्य वित्तीय सुरक्षा (Financial Protection) को प्राथमिकता देने की मांग करती है।
यह वैश्विक अभियान अक्टूबर 2024 से शुरू हुआ और 12 दिसंबर 2025 को अपने चरम पर पहुँचेगा।

COVID-19 के सबक: क्यों जरूरी है UHC?

कोविड-19 महामारी ने स्पष्ट कर दिया कि स्वास्थ्य सुरक्षा और UHC एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। मजबूत स्वास्थ्य प्रणालियाँ:

  • संकटों का पता लगाने और तेजी से प्रतिक्रिया देने में सक्षम होती हैं

  • आपातकाल के दौरान भी आवश्यक सेवाएँ प्रदान कर सकती हैं

  • कमजोर समूहों को गंभीर प्रभावों से बचाती हैं

एक स्वास्थ्य प्रणाली तभी प्रभावी है जब कोई भी व्यक्ति पीछे न छूटे — चाहे उसकी आय, लिंग, आयु या स्थान कोई भी हो।

UHC विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों, किशोरों और हाशिये पर रहने वाले समूहों पर केंद्रित होती है।

UHC के तीन प्रमुख आयाम (SDG लक्ष्य 3.8)

1. जनसंख्या कवरेज (Population Coverage)

कौन स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त कर रहा है?
यह समानता और सबसे कमजोर लोगों तक पहुंच पर केंद्रित है।

2. सेवा कवरेज (Service Coverage)

कौन-सी सेवाएँ उपलब्ध हैं?
UHC में शामिल हैं:

  • स्वास्थ्य संवर्धन

  • रोकथाम

  • उपचार

  • पुनर्वास

  • उपशामक देखभाल

3. वित्तीय सुरक्षा (Financial Protection)

क्या लोग चिकित्सा खर्चों से आर्थिक संकट में तो नहीं आ रहे?
स्वास्थ्य सेवाओं के कारण किसी परिवार को गरीबी में नहीं धकेला जाना चाहिए।

सरकारें और लोग UHC को कैसे मजबूत कर सकते हैं?

  • राष्ट्रीय बजट में स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना

  • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्य कर्मियों में निवेश

  • आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च कम करना

  • बीमा कवरेज और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाना

  • आपदा व स्वास्थ्य आपातकालीन तैयारी को मजबूत करना

  • जागरूकता अभियान और सामुदायिक भागीदारी बढ़ाना

इन प्रयासों से दुनिया 2030 तक UHC हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।

अंतर्राष्ट्रीय तटस्थता दिवस 2025: इतिहास और महत्व

हर साल 12 दिसंबर को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय तटस्थता दिवस मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा घोषित किया गया है और देशों के बीच तटस्थता, यानी बिना पक्ष लिए शांति बनाए रखने के सिद्धांत को महत्व देता है।

सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह दिन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वैश्विक शांति, संयुक्त राष्ट्र की पहल और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति से सीधे जुड़ा है।

तटस्थता क्या होती है?

तटस्थता (Neutrality) का अर्थ है कि कोई देश:

  • युद्ध या संघर्ष में किसी भी पक्ष का समर्थन न करे,

  • सभी पक्षों के प्रति निष्पक्ष और समान दूरी बनाए रखे,

  • तटस्थ देश के रूप में अन्य देशों द्वारा मान्यता प्राप्त हो।

तटस्थता से देशों के बीच विश्वास बढ़ता है और ऐसे राष्ट्र शांति वार्ता, मध्यस्थता और मानवीय सहायता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

संयुक्त राष्ट्र तटस्थता को क्यों बढ़ावा देता है?

UN Charter के Article 2 के अनुसार देशों को:

  • विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करना चाहिए,

  • बल प्रयोग या धमकी से बचना चाहिए।

UNGA ने 21/275 प्रस्ताव अपनाकर माना कि तटस्थता अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

तटस्थता से:

  • राजनीतिक तनाव कम होते हैं

  • संवाद के लिए सुरक्षित स्थान मिलता है

  • शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संबंध मजबूत होते हैं

  • बिना हिंसा से विवाद सुलझाने में सहायता मिलती है

अंतरराष्ट्रीय तटस्थता दिवस का इतिहास

  • यह दिन 2 फरवरी 2017 को UNGA द्वारा सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करने के बाद घोषित किया गया।

  • प्रस्ताव को तुर्कमेनिस्तान ने प्रस्तुत किया था, जिसे 12 दिसंबर 1995 को स्थायी तटस्थ राष्ट्र का दर्जा मिला था।

  • संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को सतत विकास लक्ष्य (SDGs 2030) से भी जोड़ा है, क्योंकि शांतिपूर्ण समाज विकास का आधार होते हैं।

इसी कारण 12 दिसंबर को आधिकारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय तटस्थता दिवस मनाया जाने लगा।

आज की दुनिया में तटस्थता क्यों महत्वपूर्ण है?

वर्तमान समय में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच तटस्थता निम्न सिद्धांतों को मजबूत बनाती है:

  • राज्यों की संप्रभुता (Sovereignty)

  • समानता का सिद्धांत

  • सीमाओं की अखंडता

  • गैर-हस्तक्षेप (Non-intervention)

  • आत्मनिर्णय का अधिकार

तटस्थ देश अक्सर:

  • संघर्ष रोकथाम (Preventive Diplomacy)

  • मध्यस्थता (Mediation)

  • शांति स्थापना और शांति निर्माण (UN Peacekeeping & Peacebuilding)

  • मानवीय सहायता
    में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

तटस्थता से जुड़े प्रमुख सिद्धांत

1. प्रीवेंटीव डिप्लोमेसी (Preventive Diplomacy)

UN का मुख्य लक्ष्य है संघर्ष शुरू होने से पहले रोकना। इसके अंतर्गत:

  • शुरुआती चेतावनी

  • मध्यस्थता

  • वार्ता और परामर्श

  • शांति निर्माण
    शामिल हैं।

2. मध्यस्थता (Mediation)

संयुक्त राष्ट्र संघर्षरत पक्षों को बातचीत करने और समझौते तक पहुंचने में मदद करता है।
सफल मध्यस्थता के लिए जरूरी है:

  • अनुभवी विशेष दूत

  • मजबूत लॉजिस्टिक समर्थन

  • विशेषज्ञ सलाहकार टीमें

3. शांति स्थापना (Peacemaking)

UN राजनीतिक समाधान को बढ़ावा देता है।
शीत युद्ध के बाद कई अंतरराष्ट्रीय संघर्ष UN-नेतृत्व वाले समझौतों से समाप्त हुए।
आज भी क्षेत्रीय संगठनों के सहयोग से संकटों को जल्दी सुलझाने पर काम किया जाता है।

पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल का निधन

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का 12 दिसंबर 2025 को महाराष्ट्र के लातूर में निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे। परिवार के अनुसार पाटिल का निधन उनके निवास ‘देवघर’ में अल्पकालिक बीमारी के बाद हुआ।

उनका जाना भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण दौर का अंत माना जा रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें मर्यादित व्यवहार, शांत स्वभाव और संवैधानिक मामलों की गहरी समझ के लिए याद किया।

प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक शुरुआत

12 अक्टूबर 1935 को जन्मे शिवराज पाटिल ने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत लातूर नगरपालिका परिषद के प्रमुख के रूप में की। स्थानीय स्तर पर नेतृत्व ने उनकी लंबी और प्रभावशाली राजनीतिक यात्रा की नींव रखी। वे 1970 के दशक की शुरुआत में विधायक बने, जिसके बाद वे महाराष्ट्र के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शामिल हो गए। उन्होंने लातूर लोकसभा सीट से सात बार चुनाव जीतकर क्षेत्र में मजबूत जन समर्थन हासिल किया।

मुख्य पद और उनका योगदान

1. केंद्रीय गृह मंत्री (2004–2008)

इस दौरान देश में कई आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पाटिल अपने संयमित और संतुलित नेतृत्व के लिए जाने गए।

2. लोकसभा अध्यक्ष (1991–1996)

वे 10वें लोकसभा अध्यक्ष बने। उनकी निष्पक्षता, अनुशासन और संसदीय प्रक्रियाओं की गहरी समझ के लिए उन्हें व्यापक सम्मान मिला।

3. पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक (2010–2015)

इस संवैधानिक पद पर उन्होंने प्रशासनिक स्थिरता और सुशासन को प्राथमिकता दी।

उनका राजनीतिक करियर कई दशकों तक चला, जो उनके सार्वजनिक सेवा, लोकतांत्रिक मूल्यों और संसदीय मर्यादा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

राजनीतिक चुनौतियाँ

लातूर से कई बार जीतने के बावजूद, वे 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की रुपताई पाटिल निलंगेकर से हार गए।
इसके बावजूद उन्होंने राजनीतिक और संवैधानिक भूमिकाओं में सक्रिय बने रहकर योगदान जारी रखा।

मर्यादा और गंभीरता के प्रतीक नेता

शिवराज पाटिल को उनके इन गुणों के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है:

  • गरिमापूर्ण और मर्यादित व्यवहार

  • संवैधानिक विषयों का गहरा अध्ययन

  • मराठी, हिंदी और अंग्रेजी में उत्कृष्ट वक्तृत्व कौशल

  • शांत, संयमित और संतुलित राजनीतिक दृष्टिकोण

पार्टी सदस्यों के अनुसार वे हमेशा उच्च स्तर का राजनीतिक संवाद और शालीनता कायम रखते थे।

International Mountain Day 2025: 11 दिसंबर को क्यों मनाते हैं अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस?

अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस 11 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन पर्वतों और पहाड़ों के महत्व को समझने और उनके संरक्षण के लिए वैश्विक समुदाय को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। पर्वतों का महत्व न केवल प्राकृतिक सौंदर्य में है, बल्कि ये पृथ्वी के जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनका प्रभाव नदियों, जलवायु, वनस्पति, और जीव-जंतुओं पर पड़ता है। पर्वतों में रहने वाले समुदायों की जीवनशैली, उनकी संस्कृति और रोज़मर्रा की जरूरतों के बारे में भी जागरूकता फैलाने के लिए यह दिन मनाया जाता है।

पर्वत दिवस 2025 की थीम

हर वर्ष पर्वत दिवस की एक विशेष थीम होती है। 11 दिसंबर को आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस 2025 की थीम है “ग्लेशियर पहाड़ों और उसके बाहर पानी, भोजन और आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं।” यह विषय संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2025 को अंतर्राष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण वर्ष के रूप में घोषित किए जाने के साथ मेल खाता है, जिसका उद्देश्य पिघलते ग्लेशियरों की रक्षा करने की तत्काल आवश्यकता और अरबों लोगों के जीवन, कृषि और जल सुरक्षा को बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देना है।

अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस का उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस का उद्देश्य पर्वतों के संरक्षण और उनके महत्व के बारे में वैश्विक जागरूकता फैलाना है। यह दिन न केवल प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए आवश्यक है, बल्कि पर्वतों में रहने वाले समुदायों के जीवन की रक्षा के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। 2025 की थीम और इसके महत्व को ध्यान में रखते हुए, हम सभी को पर्वतों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और उनके संरक्षण में अपना योगदान देना होगा।

पर्वत दिवस का इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस की शुरुआत 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य पर्वतों के संरक्षण और उनके स्थिर विकास को बढ़ावा देना था। इस दिन का ऐतिहासिक महत्व इस बात से भी जुड़ा है कि पर्वतों में रहने वाले लोगों के जीवन और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित किया जा सके।

भारत की पहली ज़ीरो-एमिशन इलेक्ट्रिक टग प्रोजेक्ट का उद्घाटन

भारत ने स्वच्छ और आधुनिक पोर्ट संचालन की ओर एक अहम कदम बढ़ाया है। केंद्रीय मंत्री सरबानंद सोनोवाल ने वर्चुअली देश के पहले पूरी तरह इलेक्ट्रिक ग्रीन टग के स्टील-कटिंग समारोह की शुरुआत की। यह परियोजना भारत के बंदरगाहों को अधिक स्वच्छ, हरित और भविष्य-उन्मुख बनाने के राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा है।

ग्रीन समुद्री विकास की दिशा में महत्वपूर्ण पहल

यह नया इलेक्ट्रिक टग कांडला स्थित दीनदयाल पोर्ट प्राधिकरण (DPA) के लिए ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (GTTP) के तहत बनाया जा रहा है। सोनोवाल ने बताया कि यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर और पर्यावरण-अनुकूल समुद्री क्षेत्र के विज़न को मजबूत करती है। यह मेक इन इंडिया, ग्रीन ग्रोथ और ग्रीन शिपिंग टेक्नोलॉजी में भारत की नेतृत्व क्षमता को भी प्रदर्शित करती है।

पूरी तरह इलेक्ट्रिक टग की मुख्य विशेषताएँ

इस इलेक्ट्रिक टग में आधुनिक तकनीक शामिल होगी, जिसका उद्देश्य उत्सर्जन को कम करना और प्रदर्शन को बेहतर बनाना है।

मुख्य फीचर्स:

  • 60 टन बोलार्ड पुल क्षमता

  • शून्य कार्बन उत्सर्जन

  • शांत और स्मूथ ऑपरेशन

  • उन्नत नेविगेशन सिस्टम

  • उच्च ऊर्जा दक्षता

विशेषज्ञों का मानना है कि यह टग संचालन लागत को कम करेगा और भारत के अन्य बंदरगाहों को भी स्वच्छ तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (GTTP) के तहत प्रगति

सरकार का लक्ष्य 2030 तक 50 ग्रीन टग को शामिल करना है।

  • पहले चरण (2024–2027) में 16 ग्रीन टग शामिल किए जाएंगे।

  • दीनदयाल पोर्ट (DPA), कांडला सबसे पहला पोर्ट है जहाँ निर्माण कार्य शुरू हो चुका है।

  • परादीप, जेएनपीए, और वीओसी पोर्ट भी कार्य आदेश जारी कर चुके हैं।

टग कहाँ और कैसे बनाया जा रहा है?

यह टग अत्रेय शिपयार्ड में भारतीय और वैश्विक तकनीकी साझेदारों के सहयोग से निर्मित किया जा रहा है।
पूरा होने के बाद इसका उपयोग इन कार्यों के लिए किया जाएगा:

  • हार्बर ऑपरेशन

  • एस्कॉर्ट ड्यूटी

  • आपातकालीन प्रतिक्रिया

इससे पोर्ट की सुरक्षा और संचालन क्षमता में सुधार होगा।

भारत की वैश्विक प्रतिबद्धताओं के अनुरूप

यह परियोजना भारत के जलवायु लक्ष्यों और अंतरराष्ट्रीय डिकार्बोनाइज़ेशन वादों के अनुरूप है। यह Maritime India Vision 2030 और अमृत काल के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को भी समर्थन देती है।

भारतीय बंदरगाहों के लिए स्थायी भविष्य की शुरुआत

सोनोवाल ने कहा कि इलेक्ट्रिक टग की शुरुआत भारत के लिए एक नई दिशा का संकेत है। यह दर्शाता है कि भारत एक स्थायी, प्रतिस्पर्धी और विश्वस्तरीय समुद्री इकोसिस्टम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

बैंक ऑफ बड़ौदा को ‘द बैंकर’ द्वारा ‘भारत में सर्वश्रेष्ठ बैंक’ के रूप में मान्यता मिली

बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) को फ़ाइनेंशियल टाइम्स की प्रतिष्ठित प्रकाशन द बैंकर द्वारा आयोजित बैंक ऑफ द ईयर अवॉर्ड्स 2025 – एशिया-पैसिफ़िक में ‘बेस्ट बैंक इन इंडिया’ के सम्मान से नवाज़ा गया है। यह उपलब्धि बैंक के तेज़ी से हुए परिवर्तन, नवोन्मेषी बैंकिंग सेवाओं और भारत की वित्तीय प्रणाली को मज़बूत करने में इसकी बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह ख़बर महत्वपूर्ण है, क्योंकि पुरस्कारों, बैंकिंग सुधारों, वित्तीय समावेशन और प्रमुख संस्थानों से जुड़े प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।

बैंक ऑफ बड़ौदा को ‘बेस्ट बैंक इन इंडिया’ अवॉर्ड क्यों मिला?

1. फ़िजिटल बैंकिंग मॉडल का विस्तार
बैंक ऑफ बड़ौदा को यह सम्मान उसके सफल फिजिटल (Physical + Digital) बैंकिंग मॉडल के कारण मिला है। इस मॉडल में ग्राहक पा सकते हैं:

  • त्वरित स्टेटमेंट

  • आयकर भुगतान प्रमाणपत्र

  • नामिनी अपडेट की सुविधा

ग्राहक वीडियो कॉल के माध्यम से डिजिटल रूप से बैंक से जुड़ सकते हैं, या ज़रूरत पड़ने पर शाखा में जाकर यूनिवर्सल सर्विस डेस्क पर सहायता ले सकते हैं। यह हाइब्रिड मॉडल बैंक की ग्राहक सेवा को आधुनिक और सुविधाजनक बनाता है।

2. मजबूत ग्राहक सहायता और पहुंच
बैंक ने देशभर में 184 नई शाखाएँ खोलकर अपने नेटवर्क को और मज़बूत किया है, जिससे:

  • स्थानीय व्यापार को बढ़ावा

  • क्रेडिट तक बेहतर पहुंच

  • वित्तीय समावेशन में सुधार

The Banker मैगज़ीन के अनुसार, बैंक का यह विस्तार ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोगों के लिए बैंकिंग को अधिक सरल और सुलभ बनाता है।

3. छोटे व्यवसायों के लिए Smart OD सुविधा
MSMEs को मज़बूत करने के लिए बैंक ने Smart OD (ओवरड्राफ्ट) सुविधा लॉन्च की। यह छोटे व्यवसायों को त्वरित वर्किंग कैपिटल उपलब्ध कराती है।

डिजिटल वेरिफिकेशन के जरिए तेज़ लोन
BoB अब ग्राहकों को इन आंकड़ों के आधार पर फंडिंग प्रदान करता है:

  • B2B सेल्स डेटा

  • GST रिटर्न

  • करेंट अकाउंट लेनदेन

ऐसे लोन 24 घंटे से भी कम समय में स्वीकृत हो जाते हैं। यह तेज़ और तकनीक-आधारित प्रणाली छोटे व्यवसायों के लिए बड़ी राहत है।

4. खुदरा ग्राहकों के लिए नवोन्मेषी बैंकिंग उत्पाद
बैंक ने लिक्विड फिक्स्ड डिपॉज़िट जैसे उत्पाद पेश किए हैं, जिनमें:

  • FD की ऊंची ब्याज दरें

  • सेविंग अकाउंट जैसी निकासी सुविधा

ग्राहक बिना पूरे FD को तोड़े कुछ हिस्सा निकाल सकते हैं और शेष राशि पर ब्याज मिलता रहता है। यह सुविधा घर-परिवार और नौकरीपेशा लोगों के लिए बेहद उपयोगी है।

5. राष्ट्र निर्माण और समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता
BoB के MD & CEO, देबदत्ता चंद ने कहा कि बैंक का लक्ष्य है:

  • समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देना

  • वित्तीय पहुंच को मजबूत करना

  • भारत की वैश्विक वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करना

यह भारत के डिजिटल बैंकिंग, क्रेडिट एक्सेस और आर्थिक विकास के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप है।

भारत के बैंकिंग सेक्टर के लिए इस पुरस्कार का महत्व

भारत की वैश्विक साख बढ़ी
यह सम्मान दर्शाता है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली डिजिटल नवाचार और ग्राहक-केंद्रित सेवाओं में तेज़ी से प्रगति कर रही है।

निवेशकों और ग्राहकों का भरोसा बढ़ा
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली यह पहचान बैंक में विश्वास और विश्वसनीयता को बढ़ाती है।

स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा
ऐसे अवॉर्ड अन्य बैंकों को भी नवाचार, डिजिटल सेवाओं और ग्राहक सुविधा पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करते हैं।

भारत में होगी पहली राष्ट्रमंडल खो खो चैंपियनशिप

भारत 9 मार्च से 14 मार्च 2026 तक पहली बार कॉमनवेल्थ खो-खो चैम्पियनशिप की मेजबानी करने जा रहा है। कॉमनवेल्थ के 24 से अधिक देशों के इसमें भाग लेने की उम्मीद है, जो पारंपरिक भारतीय खेल खो-खो के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।

कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स से मंजूरी

कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स ने आधिकारिक रूप से भारत को 2026 खो-खो चैम्पियनशिप की मेजबानी की मंजूरी दे दी है। यह फैसला इस खेल के प्रति बढ़ती वैश्विक रुचि और भारत की खेल विरासत की पहचान को दर्शाता है।

वैश्विक भागीदारी

एशिया, यूरोप, अफ्रीका, ओशिनिया और अमेरिका सहित कॉमनवेल्थ के 24 से अधिक देश इस चैम्पियनशिप में हिस्सा लेंगे। कॉमनवेल्थ 56 स्वतंत्र देशों का संगठन है, जिसकी जनसंख्या लगभग 2.7 अरब है—जिससे यह आयोजन वास्तव में अंतरराष्ट्रीय बन जाता है।

खो-खो वर्ल्ड कप के बाद अगला बड़ा आयोजन

इस वर्ष नई दिल्ली में आयोजित पहले खो-खो वर्ल्ड कप के बाद यह चैम्पियनशिप खो-खो का अगला प्रमुख वैश्विक कार्यक्रम मानी जा रही है। वर्ल्ड कप में 23 देशों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 20 पुरुष और 19 महिला टीमें शामिल थीं।

2026 चैम्पियनशिप में भी 16 पुरुष टीमों और 16 महिला टीमों के एक साथ मुकाबले होंगे।

स्थान और भविष्य की योजनाएँ

खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया कई राज्यों से बातचीत कर रहा है ताकि आयोजन स्थल को अंतिम रूप दिया जा सके। उम्मीद है कि अहमदाबाद—जो 2030 में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी करेगा—इस आयोजन से लाभान्वित होगा।

फेडरेशन के महासचिव उपकार सिंह विर्क के अनुसार, यह चैम्पियनशिप खो-खो को भविष्य के अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में शामिल कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, जैसे:

  • दोहा एशियाई खेल 2030

  • कॉमनवेल्थ गेम्स 2030

  • ब्रिस्बेन ओलंपिक 2032

भारतीय पारंपरिक खेलों को बढ़ावा

यह अंतरराष्ट्रीय आयोजन भारतीय पारंपरिक खेलों की लोकप्रियता को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने में मदद करेगा। साथ ही, यह भारत के युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेगा और खो-खो के अंतरराष्ट्रीय विस्तार के लिए नए अवसर खोलेगा।

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