भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 6.33% बढ़कर ₹11.89 लाख करोड़ हुआ

भारत के प्रत्यक्ष कर संग्रह (Direct Tax Collections) में चालू वित्त वर्ष में स्थिर वृद्धि दर्ज की गई है। 12 अक्टूबर 2025 तक शुद्ध कर प्राप्तियाँ ₹11.89 लाख करोड़ को पार कर गई हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.33% की वृद्धि दर्शाती हैं। आयकर विभाग के अनुसार, यह वृद्धि मुख्य रूप से कॉरपोरेट टैक्स से बेहतर प्राप्तियों और कम रिफंड (वापसी) जारी होने के कारण हुई है। यह प्रदर्शन वित्त वर्ष 2025–26 के लिए सरकार के ₹25.20 लाख करोड़ के महत्वाकांक्षी वार्षिक लक्ष्य के लिए मजबूत आधार तैयार करता है।

संग्रह का विस्तृत विवरण

सकल बनाम शुद्ध संग्रह (Gross vs Net Collection)

  • सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह: ₹13.92 लाख करोड़

  • रिफंड जारी किए गए: ₹2.03 लाख करोड़ (पिछले वर्ष ₹2.41 लाख करोड़ से 16% कम)

  • शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह: ₹11.89 लाख करोड़

रिफंड की राशि में कमी ने शुद्ध कर संग्रह में बढ़ोतरी में योगदान दिया है, जिससे वित्तीय वर्ष के शुरुआती महीनों में राजकोषीय संतुलन (fiscal balance) में सुधार हुआ है।

कर श्रेणीवार राजस्व रुझान

कॉरपोरेट और गैर-कॉरपोरेट कर (Corporate & Non-Corporate Taxes)

  • कॉरपोरेट कर संग्रह: ₹5.02 लाख करोड़ (FY 2024–25 के ₹4.91 लाख करोड़ से अधिक)

  • गैर-कॉरपोरेट कर (मुख्यतः व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों से आयकर): ₹6.56 लाख करोड़ (पिछले वर्ष ₹5.94 लाख करोड़ से वृद्धि)

ये आँकड़े दर्शाते हैं कि व्यवसायों और व्यक्तिगत करदाताओं — दोनों ने प्रत्यक्ष कर आधार को मजबूत किया है, बावजूद इसके कि वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियाँ चुनौतीपूर्ण रहीं।

अन्य कर घटक (Other Tax Components)

  • सिक्योरिटीज़ ट्रांज़ैक्शन टैक्स (STT): ₹30,878 करोड़ (हल्की वृद्धि)

  • अन्य प्रत्यक्ष कर: ₹294 करोड़

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में ₹78,000 करोड़ का STT लक्ष्य निर्धारित किया है, जिससे आगामी तिमाहियों में और वृद्धि की उम्मीद है।

सरकार का वित्तीय लक्ष्य

  • वित्त वर्ष 2025–26 के बजट में प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य ₹25.20 लाख करोड़ रखा गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.7% की वृद्धि का लक्ष्य है।

  • वर्तमान आँकड़े दर्शाते हैं कि अब तक की प्रगति मजबूत और स्थिर है, लेकिन लक्ष्य हासिल करने के लिए आने वाले महीनों में गति बनाए रखना आवश्यक होगा।

  • यदि वर्तमान रुझान जारी रहते हैं — विशेषकर बेहतर अनुपालन (compliance) और डिजिटल टैक्स फाइलिंग प्रणाली के साथ — तो सरकार अपने लक्ष्य के करीब पहुँच सकती है या उसे पार भी कर सकती है।

  • हालांकि, वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही का प्रदर्शन निर्णायक रहेगा।

स्थिर तथ्य

संकेतक आँकड़ा
शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह (12 अक्तूबर 2025 तक) ₹11.89 लाख करोड़
वार्षिक वृद्धि दर (YoY Growth) 6.33%
सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह ₹13.92 लाख करोड़
रिफंड जारी किए गए ₹2.03 लाख करोड़ (16% की कमी)
कॉरपोरेट कर संग्रह ₹5.02 लाख करोड़
गैर-कॉरपोरेट कर संग्रह ₹6.56 लाख करोड़

सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर आठ साल के निचले स्तर 1.54 प्रतिशत पर पहुंची

उपभोक्ताओं और नीतिनिर्माताओं — दोनों के लिए बड़ी राहत की खबर है। भारत की खुदरा (रिटेल) मुद्रास्फीति सितंबर 2025 में घटकर 1.54% पर आ गई है, जो जून 2017 के बाद का सबसे निचला स्तर है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अनुसार, इस गिरावट का मुख्य कारण भोजन सामग्रियों में लगातार गिरते दाम और पिछले वर्ष के अनुकूल आधार प्रभाव (base effect) हैं। यह आँकड़ा अगस्त 2025 के 2.07% से तेज गिरावट दर्शाता है, जिससे संकेत मिलता है कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर दबाव लगातार घट रहा है।

ग्रामीण बनाम शहरी मुद्रास्फीति

यह गिरावट देशभर में व्यापक रही —

  • ग्रामीण मुद्रास्फीति: 1.07% — आवश्यक वस्तुओं में गहराई से कीमतों में गिरावट।

  • शहरी मुद्रास्फीति: 2.04% — ग्रामीण की तुलना में थोड़ी अधिक, लेकिन पिछले महीनों की औसत से काफी कम।

यह अंतर दर्शाता है कि कृषि प्रधान क्षेत्रों में मूल्य-वृद्धि पर नियंत्रण अधिक प्रभावी रहा।

खाद्य मुद्रास्फीति में डिफ्लेशन

खाद्य मुद्रास्फीति लगातार चौथे महीने नकारात्मक रही, जिससे समग्र मुद्रास्फीति दर नीचे आई।

  • संपूर्ण भारत उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI): –2.28%, दिसंबर 2018 के बाद का सबसे निचला स्तर।

  • ग्रामीण क्षेत्र: –2.17%

  • शहरी क्षेत्र: –2.47%

यह डिफ्लेशन मुख्यतः इन वस्तुओं की घटती कीमतों के कारण है —

  • सब्ज़ियाँ

  • दालें

  • अनाज

  • खाद्य तेल

  • फल

गिरावट के प्रमुख कारण

मंत्रालय ने इस रिकॉर्ड गिरावट के दो प्रमुख कारण बताए —

  1. अनुकूल आधार प्रभाव (Favorable Base Effect): सितंबर 2024 में मुद्रास्फीति दर अपेक्षाकृत अधिक थी, जिससे इस वर्ष के आँकड़े तुलनात्मक रूप से कम दिख रहे हैं।

  2. खाद्य पदार्थों की कीमतों में तीव्र गिरावट: सब्ज़ियों और तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं के दाम में निरंतर कमी आई है, जो बेहतर आपूर्ति श्रृंखला, अच्छे उत्पादन और नियंत्रित वितरण तंत्र का परिणाम है।

स्थिर तथ्य

संकेतक आँकड़ा
खुदरा मुद्रास्फीति (सितंबर 2025) 1.54% (जून 2017 के बाद सबसे कम)
पिछला महीना (अगस्त 2025) 2.07%
ग्रामीण मुद्रास्फीति 1.07%
शहरी मुद्रास्फीति 2.04%
खाद्य मुद्रास्फीति (संपूर्ण भारत) –2.28% (दिसंबर 2018 के बाद सबसे कम)

HSBC ने भारतीय स्टार्टअप्स के लिए 1 बिलियन डॉलर देने का वादा किया

भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूती देने की दिशा में एक बड़े कदम के तहत, एचएसबीसी (HSBC) ने अपने नए इनोवेशन बैंकिंग प्लेटफ़ॉर्म (Innovation Banking Platform) के माध्यम से शुरुआती और विकास-स्तर के स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए 1 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹8,880 करोड़) की प्रतिबद्धता जताई है। यह पहल गैर-इक्विटी आधारित ऋण पूंजी (Non-Dilutive Debt Capital) जैसे कार्यशील पूंजी (Working Capital) और टर्म लोन (Term Loans) के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, जिससे स्टार्टअप्स को अपने स्वामित्व में हिस्सेदारी दिए बिना धन प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही, भारत एचएसबीसी की इस विशेष इनोवेशन बैंकिंग सेवा से लाभान्वित होने वाला 13वां वैश्विक बाज़ार बन गया है।

पहल की प्रमुख विशेषताएँ

1. गैर-इक्विटी वित्तीय सहायता (Non-Dilutive Financial Support):
इस फंड के माध्यम से स्टार्टअप्स को ऐसे ऋण मिलेंगे जिनमें इक्विटी हिस्सेदारी छोड़ने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे संस्थापकों को अपने स्टार्टअप पर नियंत्रण बनाए रखते हुए विस्तार करने में मदद मिलेगी।

2. जीवनचक्र आधारित सहायता – बीज से लेकर IPO तक (Lifecycle Support – From Seed to IPO):
यह पहल स्टार्टअप्स के विभिन्न विकास चरणों के अनुसार पूंजी और वित्तीय सेवाएँ प्रदान करेगी — शुरुआती चरण से लेकर सार्वजनिक निर्गम (IPO) से पहले तक।

3. वैश्विक नेटवर्क से जुड़ाव (Global Integration):
इस लॉन्च के साथ भारतीय स्टार्टअप्स को एचएसबीसी के अंतरराष्ट्रीय इनोवेशन बैंकिंग नेटवर्क तक पहुँच मिलेगी, जो उन्हें वैश्विक बाज़ारों, वित्तीय सलाह और क्रॉस-बॉर्डर संचालन सहयोग से जोड़ने में मदद करेगी।

4. निवेश में विस्तार (Scaling Past Commitments):
एचएसबीसी ने पहले वर्ष 2020 में लगभग 50 मिलियन डॉलर और 2024 में इसे बढ़ाकर 600 मिलियन डॉलर किया था। 2025 में घोषित 1 अरब डॉलर का यह वचन भारत की नवाचार-आधारित अर्थव्यवस्था में उसकी गहरी भागीदारी को दर्शाता है।

भारत के लिए रणनीतिक महत्व

1. स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाना:
यह कदम भारत के स्टार्टअप परिदृश्य में मौजूद ऋण वित्त की कमी को दूर करेगा, जो अब तक अधिकतर इक्विटी निवेश पर निर्भर रहा है।

2. संस्थापकों की स्वामित्व सुरक्षा:
गैर-इक्विटी पूंजी से स्टार्टअप्स अपने दीर्घकालिक दृष्टिकोण और रणनीति पर नियंत्रण बनाए रख सकते हैं, जिससे बाहरी निवेशकों का दबाव कम होगा।

3. आर्थिक प्रभाव:
यह पहल भारत की 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की स्टार्टअप अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा के अनुरूप है, जिसके तहत प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से 5 करोड़ से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है।

स्थायी तथ्य

विवरण जानकारी
फंड आकार 1 अरब अमेरिकी डॉलर (₹8,880 करोड़ लगभग)
पूंजी का स्वरूप गैर-इक्विटी (ऋण आधारित)
उद्देश्य भारतीय स्टार्टअप्स के लिए कार्यशील पूंजी व टर्म लोन
लक्ष्य चरण बीज चरण से लेकर IPO तक

पुनर्निर्मित सुगम्य भारत ऐप: दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने की दिशा में एक नया कदम

भारत के सुगम्य भारत अभियान (Accessible India Campaign) के अंतर्गत विकसित सुगम्य भारत ऐप को हाल ही में पुनर्निर्मित (revamp) किया गया है ताकि इसे अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल और प्रभावशाली बनाया जा सके। यह ऐप दिव्यांगजन (Persons with Disabilities – PwDs) और वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से बनाया गया है, जिससे वे सार्वजनिक स्थलों, परिवहन और सूचना प्रौद्योगिकी में पहुँच संबंधी समस्याओं की रिपोर्ट कर सकें और विभिन्न योजनाओं व संसाधनों की जानकारी प्राप्त कर सकें।

सुगम्य भारत ऐप के बारे में

  • यह ऐप वर्ष 2021 में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।

  • यह एक क्राउडसोर्सिंग प्लेटफ़ॉर्म है, जिसके माध्यम से नागरिक निर्माण, परिवहन प्रणाली और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) में मौजूद पहुँच बाधाओं की पहचान और समाधान के लिए रिपोर्ट कर सकते हैं।

  • यह ऐप भारत सरकार के सुगम्य भारत अभियान के तहत सार्वभौमिक पहुँच (Universal Accessibility) सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्य विशेषताएँ और नए सुधार 

  1. उपयोगकर्ता-अनुकूल डिज़ाइन 

    • सरल नेविगेशन, सुलभ ड्रॉप-डाउन मेनू, वीडियो ट्यूटोरियल्स और फ़ॉन्ट साइज, स्क्रीन रीडर व कलर कॉन्ट्रास्ट जैसी सहायक सुविधाएँ जोड़ी गई हैं।

  2. एआई-सक्षम चैटबॉट सहायता 

    • ऐप में अब एक चैटबॉट जोड़ा गया है जो उपयोगकर्ताओं को वास्तविक समय में योजनाओं, शिकायत पंजीकरण और प्रक्रियाओं से संबंधित सहायता प्रदान करता है।

  3. जियो-टैग्ड शिकायत अपलोड 

    • उपयोगकर्ता अब अपनी शिकायतों के साथ स्थान की जानकारी और फ़ोटो अपलोड कर सकते हैं, जिससे संबंधित प्राधिकरण शीघ्र कार्रवाई कर सकें।

  4. नोटिफिकेशन और परिपत्र 

    • ऐप पर नई योजनाओं, पहल, शिकायत की स्थिति और सलाहों से संबंधित अपडेट प्राप्त किए जा सकते हैं।

  5. शिकायत ट्रैकिंग और रिमाइंडर 

    • उपयोगकर्ता अपनी शिकायतों की स्थिति देख सकते हैं, ईमेल अलर्ट प्राप्त कर सकते हैं और समाधान की प्रगति को वास्तविक समय में ट्रैक कर सकते हैं।

  6. बहुभाषीय समर्थन 

    • यह ऐप 23 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है और स्क्रीन रीडर, टेक्स्ट-टू-स्पीच जैसी सुलभ तकनीकों के साथ संगत है।

प्रयोग और प्रभाव 

  • 25 जून 2025 तक ऐप पर 14,358 पंजीकृत उपयोगकर्ता और 83,791 डाउनलोड दर्ज किए गए (82,291 एंड्रॉयड, 1,500 iOS)।

  • कुल 2,705 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 1,897 शिकायतों का समाधान किया जा चुका है।

  • ऐप गूगल प्ले स्टोर और एप्पल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।

  • पुनर्निर्मित ऐप अब अधिक सहज, उत्तरदायी और संसाधन-संयुक्त है, जिससे दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों को वास्तविक सशक्तिकरण का अनुभव प्राप्त होगा।

संक्षिप्त तथ्य 

  • लॉन्च वर्ष: 2021

  • पुनर्निर्माण तिथि: 2025

  • विकसित किया गया: DEPwD, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा

  • उद्देश्य: सार्वभौमिक पहुँच और शिकायत समाधान

  • समर्थित भाषाएँ: 23 भारतीय भाषाएँ

  • डाउनलोड: 83,791 (जून 2025 तक)

पलाऊ में दुनिया का पहला लाइव अंडरवाटर इंटरव्यू आयोजित

इतिहास में पहली बार पलाऊ (Palau) के राष्ट्रपति सुरांगेल व्हिप्स जूनियर (Surangel Whipps Jr.) ने प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) की गहराइयों में लाइव अंडरवाटर इंटरव्यू किया। इस अनोखे प्रसारण में लाइ-फाई (Li-Fi) तकनीक का उपयोग किया गया, जो पारंपरिक रेडियो तरंगों के बजाय प्रकाश के माध्यम से डेटा संचारित करती है। इस इंटरव्यू का उद्देश्य महासागर संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के खतरों और पलाऊ जैसे छोटे द्वीपीय देशों के अस्तित्वगत संकटों पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना था।

अंडरवाटर इंटरव्यू और उसका संदेश

  • यह साक्षात्कार समुद्र के भीतर हुआ, जिसमें राष्ट्रपति सुरांगेल व्हिप्स जूनियर और समुद्री कार्यकर्ता मर्ल लीवांड (Merle Liivand) ने वास्तविक समय में बातचीत की।

  • इसमें प्रयुक्त Li-Fi तकनीक प्रकाश के माध्यम से डेटा संचारित करती है, जो पानी के भीतर संचार के लिए रेडियो तरंगों की तुलना में अधिक प्रभावी है।

  • इस अद्वितीय पहल के ज़रिए पलाऊ के नेतृत्व ने महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा, मूंगा भित्तियों (coral reefs) के क्षरण, समुद्र स्तर में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के असमान प्रभावों पर वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया।

पलाऊ: प्रमुख तथ्य

  • स्थान: पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीपीय देश

  • संरचना: लगभग 300 द्वीपों का समूह, कुल भूमि क्षेत्र लगभग 458 वर्ग किलोमीटर

  • भौगोलिक स्थिति: उत्तरी और पूर्वी गोलार्ध दोनों में फैला हुआ

  • सीमाएँ: माइक्रोनेशिया (पूर्व), इंडोनेशिया (दक्षिण), फिलीपींस (पश्चिम) और उत्तर में अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र

  • राजधानी: नगेरुलमुद (Ngerulmud) – विश्व की सबसे कम जनसंख्या वाली राजधानी

  • मुख्य शहर: कोरर (Koror) – देश का वाणिज्यिक केंद्र

  • आधिकारिक भाषाएँ: पलाऊअन और अंग्रेज़ी; साथ ही जापानी, सॉन्सोरोलीज़ और टोबियन भी बोली जाती हैं

  • स्वतंत्रता: वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र के अमेरिकी प्रशासित ट्रस्टीशिप से स्वतंत्र हुआ

  • अमेरिका से संबंध: “कॉम्पैक्ट ऑफ फ्री एसोसिएशन” समझौते के तहत अमेरिका रक्षा और वित्तीय सहायता प्रदान करता है तथा सैन्य ठिकानों की स्थापना का अधिकार रखता है।

महत्व और निहितार्थ

  • यह विश्व का पहला अंडरवाटर इंटरव्यू केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि एक सशक्त प्रतीकात्मक कदम है।

  • इसने महासागर संरक्षण और जलवायु न्याय के लिए वैश्विक विमर्श को गहराई दी है, विशेष रूप से छोटे द्वीपीय देशों के संदर्भ में।

  • Li-Fi तकनीक के माध्यम से नवाचारपूर्ण संवाद का यह उदाहरण दर्शाता है कि आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग सामाजिक और पर्यावरणीय संदेशों के प्रसार में कैसे किया जा सकता है।

  • इस पहल ने पलाऊ की पहचान को महासागर के संरक्षक और जलवायु नेतृत्वकर्ता देश के रूप में और भी सशक्त किया है।

Economics Nobel 2025: जोएल मोकिर, फिलिप अघियन और पीटर हॉविट को अर्थशास्त्र का नोबेल

अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार का ऐलान हो गया है. इस साल यह पुरस्कार जोएल मोकिर, फिलिप अघियन और पीटर हॉविट को संयुक्त रूप से दिया गया है। यह पुरस्कार इनोवेशन ड्रिवन इकोनॉमिक ग्रोथ (Innovation-Driven Economic Growth) की अवधारणा को समझाने के लिए प्रदान किया गया। पिछले साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए रॉबिन्सन को दिया गया था।

आर्थशास्त्र के नोबेल विजेताओं का कहां से नाता?

जोएल मोकिर अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। वहीं, फिलिप अघियन फ्रांस के कॉलेज डी फ्रांस और INSEAD और ब्रिटेन के द लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से ताल्लुक रखते हैं। पीटर हॉविट अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी से संबंध रखते हैं। इन्हें सतत विकास के लिए स्थितियों की पहचान करने के लिए वर्ष 2025 के लिए आर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है।

नोबेल समिति ने विजेताओं के बारे में क्या बताया?

नोबेल समिति ने बताया कि मोकिर ने “यह प्रदर्शित किया कि यदि नवाचारों को एक स्व-उत्पादक प्रक्रिया में एक-दूसरे का उत्तराधिकारी बनाना है, तो हमें न केवल यह जानना होगा कि कोई चीज कैसे काम करती है, बल्कि हमें यह भी जानना होगा कि ऐसा क्यों होता है।”

अघियन और हॉविट ने सतत विकास के पीछे के तंत्र का भी अध्ययन किया। इसमें 1992 का एक लेख भी शामिल है, जिसमें उन्होंने रचनात्मक विनाश नामक गणितीय मॉडल का निर्माण किया। इसमें बताया गया कि जब एक नया और बेहतर उत्पाद बाजार में प्रवेश करता है, तो पुराने उत्पाद बेचने वाली कंपनियां नुकसान में आ जाती हैं।

अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के बारे में

  • अर्थशास्त्र में नोबेल अब तक 99 व्यक्तियों को दिया गया है।
  • अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार 1968 में शुरू किया गया।
  • आर्थिक विज्ञान में यह पुरस्कार 1969 से अब तक 56 बार प्रदान किया जा चुका है।
  • आर्थिक विज्ञान में पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति एस्तेर डुफ्लो थीं, जिनकी आयु 46 वर्ष थी।
  • आर्थिक विज्ञान में पुरस्कार पाने वाले सबसे बुजुर्ग व्यक्ति 90 वर्ष की आयु में लियोनिद हर्विक्ज थे।

अर्थशास्त्र में नोबेल मेमोरियल प्राइज के आयोजनकर्ता रॉयल स्वीडिश सोसाइटी की ओर से इसके विजेता या विजेताओं के नाम का एलान किया गया। पिछले वर्ष का पुरस्कार तीन अर्थशास्त्रियों- डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए. रॉबिन्सन को दिया गया था।

साहित्य के लिए 2025 का नोबेल पुरस्कार लास्जलो क्रास्ज्नाहोरकाई को मिला

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने गुरुवार 9 अक्टूबर को साहित्य के नोबेल पुरस्कार का एलान किया। साल 2025 के लिए साहित्य का नोबेल प्राइज हंगरी के लेखक लास्जलो क्रास्ज्नाहोरकाई को दिया गया। लास्जलो को ये पुरस्कार उनके मनमोहक और दूरदर्शी कामों के लिए दिया गया।

पिछले साल साहित्य में नोबेल पुरस्कार दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग को दिया गया था। जिन्होंने मानव जीवन की नाजुकता को उजागर करने से संबंधित लेखनी का कार्य किया था। साहित्य में नोबेल पुरस्कार इस हफ्ते घोषित होने वाला चौथा पुरस्कार था, इससे पहले में मेडिसिन, फिजिक्स आयर केमिस्ट्री में नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई थी।

नोबेल पुरस्कार 2025: अर्थशास्त्र का विजेता घोषित, जानिए इस बार किसे मिला अर्थशास्त्र का नोबेल?

Nobel Prize 2025 Winners: जानें सभी कैटेगरी के विजेताओं के नाम और उन्हे किन उपलब्धियां पर मिला नोबेल

नोबेल विजेताओं को कितनी मिलती है धनराशी?

नोबेल पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु की सालगिरह पर आयोजित किया जाएगा। अल्फ्रेड नोबेल एक स्वीडिश वज्ञानिक थे जिन्होंने डायनामाइट का आविष्कार किया था। 1896 में उनके निधन के पांच साल बाद 1901 में इस पुरस्कार कीशुरुआत हुई थी। जिसके बाद हर साल इस पुरस्कार को दिया जाता है। पुरस्कार पाने वाले विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग साढ़े दस करोड़ रुपए) कि पुरस्कार राशि दी जाती है। साथ ही विनर को 18 कैरेट का गोल्ड मेडल और एक डिप्लोमा भी दिया जाता है।

कौन हैं लास्जलो क्रास्ज्नाहोरकाई?

लेखक क्रास्ज्नाहोरकाई का जन्म 1954 में दक्षिण-पूर्वी हंगरी के रोमानियाई बोर्डर के पास, ग्युला नामक छोटे से कस्बे में हुआ था। साल 1985 में प्रकाशित उनके पहले उपन्यास ‘सतांतंगो’ से यो चर्चे में आयें, जो हंगरी में एक साहित्यिक सनसनी थी। उन्होंने अपने उम्न्यास ‘हर्श्ट 07769’ के जरिये देश की सामाजिक अशांति को सटीकता से चित्रित किया था।

जानिए कौन-है मारिया कोरीना माचाडो, जिन्होंने ट्रम्प को पीछे छोड़ जीता का शांति नोबेल पुरस्कार 2025

जानिए क्यों दिया जाता है साहित्य मे नोबेल पुरस्कार,देखें 1901 से 2025 तक के विजेताओं की पूरी सूची

भारत का पहला सेमीकंडक्टर नवाचार संग्रहालय खुला

भारत के प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, सेमीकंडक्टर इनोवेशन म्यूज़ियम का उद्घाटन 12 अक्टूबर 2025 को हैदराबाद में टेक्नोलॉजी चिप इनोवेशन प्रोग्राम (T-Chip) द्वारा किया गया। यह संग्रहालय भारत में अपनी तरह का पहला केंद्र है, जिसका उद्देश्य सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स पारिस्थितिकी तंत्र में जनसहभागिता और उद्योग सहयोग को बढ़ावा देना है।

दृष्टि और उद्देश्य

संग्रहालय की स्थापना निम्नलिखित लक्ष्यों के साथ की गई है—

  • भारत की बढ़ती सेमीकंडक्टर डिजाइन और विनिर्माण क्षमताओं को प्रदर्शित करना

  • नवाचार, निवेश और प्रतिभा खोज के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करना

  • इंजीनियरों, डेवलपर्स और नीति निर्माताओं की नई पीढ़ी को प्रेरित करना

  • निवेशकों और तकनीकी नेताओं के लिए मासिक डेमो डे, वैश्विक प्रदर्शन और नेटवर्किंग कार्यक्रम आयोजित करना

यह पहल हैदराबाद को एक उभरते सेमीकंडक्टर इनोवेशन क्लस्टर के रूप में मजबूत करती है और भारत के वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनने के व्यापक लक्ष्य से मेल खाती है।

प्रदर्शन की प्रमुख झलकियाँ

संग्रहालय में तकनीक और नवाचार को प्रदर्शित करने वाले कई इंटरैक्टिव मॉडल हैं, जिनमें शामिल हैं—

  • भारत का पहला स्वदेशी एआई चिप

  • एआई-संचालित मानवाकृति रोबोट

  • रोबोटिक पालतू साथी

  • पुन: प्रयोज्य रॉकेट इंजन प्रोटोटाइप

  • नई पीढ़ी की ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) तकनीक और स्मार्ट डिस्प्ले सिस्टम

ये प्रदर्शन न केवल भारत की तकनीकी प्रगति को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि सेमीकंडक्टर का उपयोग रक्षा, अंतरिक्ष, गतिशीलता और उपभोक्ता प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कैसे हो रहा है।

रणनीतिक प्रासंगिकता

भारत का सेमीकंडक्टर क्षेत्र में विस्तार इन वैश्विक परिस्थितियों के बीच हो रहा है—

  • चिप की वैश्विक कमी

  • आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पर भू-राजनीतिक ध्यान

  • ईवी, 5जी, आईओटी और एआई-आधारित उत्पादों में बढ़ती मांग

यह संग्रहालय नीति स्तर की पहलों को पूरक बनाता है, जैसे—

  • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM)

  • इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए PLI योजनाएँ

  • डिजिटल इंडिया के तहत स्टार्टअप और डिजाइन इनक्यूबेटर

हैदराबाद का बढ़ता तकनीकी योगदान

हैदराबाद तेजी से एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है, विशेष रूप से—

  • फैबलेस चिप डिजाइन,

  • उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण,

  • एआई और डीप-टेक अनुसंधान एवं विकास (R&D) में।

AMD, Qualcomm जैसी अग्रणी कंपनियाँ और अब T-Chip का इनोवेशन इकोसिस्टम हैदराबाद को भारत के राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर नर्व सेंटर के रूप में स्थापित कर रहे हैं।

स्थैतिक तथ्य 

  • उद्घाटन तिथि: 12 अक्टूबर 2025

  • स्थान: हैदराबाद, तेलंगाना

  • द्वारा: T-Chip (टेक्नोलॉजी चिप इनोवेशन प्रोग्राम)

  • भारत का पहला: सेमीकंडक्टर इनोवेशन म्यूज़ियम

  • मुख्य प्रदर्शन: स्वदेशी एआई चिप, एआई रोबोट, ईवी सिस्टम, पुन: प्रयोज्य रॉकेट इंजन

  • कार्यक्रम: मासिक डेमो, निवेशक मीट, वैश्विक टेक प्रदर्शनी

भारत करेगा यूएनटीसीसी सम्मेलन की मेजबानी

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सैनिकों का योगदान देने वाले देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों के सम्मेलन का भारत 14 से 16 अक्टूबर तक मेजबानी करेगा। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, शांति अभियानों के लिए अवर महासचिव (यूएसजी, डीपीओ), जीन पियरे लैक्रोइक्स भाग लेंगे। यह महत्वपूर्ण तीन दिवसीय कार्यक्रम 32 देशों के सैन्य नेताओं को एक मंच पर लाता है, जो संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना अभियानों में अहम भूमिका निभाते हैं। सम्मेलन का उद्देश्य संचालन संबंधी चुनौतियों पर चर्चा करना, सहयोग को बढ़ाना और वैश्विक शांति अभियानों में सामूहिक समझ और समन्वय को प्रोत्साहित करना है।

भारत की भूमिका और सम्मेलन के उद्देश्य
भारत संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों में सैनिक योगदान देने वाले सबसे बड़े देशों में से एक है और वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के प्रति इसका लंबा और प्रतिबद्ध इतिहास है। यह सम्मेलन निम्नलिखित विषयों पर संवाद का मंच प्रदान करता है:

  • संघर्ष क्षेत्रों में संचालन संबंधी चुनौतियाँ

  • शांति अभियानों के सामने उभरते वैश्विक खतरे

  • क्षेत्रीय संचालन में सर्वोत्तम प्रथाएँ

  • साझा प्रशिक्षण और संसाधनों के माध्यम से क्षमता निर्माण

  • द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करना

यह कार्यक्रम भारत की सांस्कृतिक विचारधारा “वसुधैव कुटुम्बकम” के अनुरूप भी है, जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है।

सम्मेलन की संरचना

संपूर्ण सत्र और उच्च स्तरीय संवाद:
सीनियर रक्षा अधिकारी, जिनमें प्रमुख और प्रतिनिधि मंडलों के प्रमुख शामिल हैं, लॉजिस्टिक्स, सुरक्षा, इंटरऑपरेबिलिटी और शांति स्थापना में सामरिक नवाचारों पर केंद्रित चर्चा में भाग लेंगे।

क्षमता निर्माण और सांस्कृतिक कार्यक्रम:
सम्मेलन में रक्षा प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी, जिसमें भारत की स्वदेशी तकनीक और शांति स्थापना उपकरण प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके अलावा, द्विपक्षीय बैठकें और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, ताकि कूटनीतिक और सैन्य सहयोग को और गहरा किया जा सके।

भाग लेने वाले देश:
सम्मेलन में 32 देशों की भागीदारी है, जिनमें शामिल हैं:
अल्जीरिया, आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्राज़ील, बुरुंडी, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, फिजी, फ्रांस, घाना, इटली, कजाकिस्तान, केन्या, किर्गिज़स्तान, मेडागास्कर, मलेशिया, मंगोलिया, मोरक्को, नेपाल, नाइजीरिया, पोलैंड, रवांडा, श्रीलंका, सेनेगल, तंज़ानिया, थाईलैंड, युगांडा, उरुग्वे और वियतनाम।

यह ध्यान देने योग्य है कि पाकिस्तान और चीन को आमंत्रित नहीं किया गया है, जो भारत की रणनीतिक दृष्टिकोण और साझेदार देशों के चयन में परिचालन अनुभव और सामंजस्य को दर्शाता है।

स्थैतिक तथ्य:

  • कार्यक्रम का नाम: UN Troop Contributing Countries’ Chiefs’ Conclave

  • आयोजन तिथि: 14–16 अक्टूबर 2025

  • स्थान: नई दिल्ली

  • मेज़बान: भारतीय सेना

  • भारत की रैंक: UN शांति स्थापना अभियानों में शीर्ष 3 सैनिक योगदानकर्ताओं में शामिल

अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस 2025

प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूकंप, सुनामी, बाढ़ और ज्वालामुखी विस्फोट हर साल दुनिया भर में व्यापक विनाश फैलाती हैं और लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करती हैं। हालांकि, पर्याप्त तैयारी और जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियों के माध्यम से इनके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस (IDDRR) हर साल 13 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिवस सरकारों, समुदायों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्राकृतिक खतरों के जोखिम और प्रभाव कम करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को सम्मानित करता है।

उद्देश्य और महत्व

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित, IDDRR का उद्देश्य है:

  • आपदा जोखिम कम करने में हुई उपलब्धियों का जश्न मनाना

  • आपदा रोकथाम के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना

  • प्रतिक्रियाशील (reactive) रणनीतियों से सक्रिय (proactive) रणनीतियों की ओर बदलाव को प्रोत्साहित करना

  • समुदायों को प्राकृतिक और मानव-जनित खतरों के प्रति सहिष्णु (resilient) बनाना

यह दिवस Sendai Framework for Disaster Risk Reduction (2015–2030) के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है, जिसका लक्ष्य जीवन, आजीविका और स्वास्थ्य में आपदा से होने वाले नुकसान को कम करना है।

आपदा जोखिम को समझना

आपदाएँ केवल प्राकृतिक खतरों के कारण नहीं होतीं। वे तब होती हैं जब ये खतरे संवेदनशील परिस्थितियों के साथ जुड़ जाते हैं, जैसे:

  • खराब शहरी योजना

  • अपर्याप्त अवसंरचना

  • पर्यावरणीय क्षरण

  • शुरुआती चेतावनी प्रणालियों का अभाव

इन अंतर्निहित जोखिम कारकों को संबोधित करके, समाज आपदा और गरीबी के चक्र को तोड़ सकता है, विशेष रूप से विकासशील देशों में।

यूनेस्को की भूमिका

यूनेस्को वैश्विक आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभाता है। यह देशों को मदद करता है:

  • शुरुआती चेतावनी प्रणालियों की स्थापना में तकनीकी सहायता देना

  • आपदा तैयारी पर शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना

  • विज्ञान-आधारित जोखिम विश्लेषण और मानचित्रण को बढ़ावा देना

  • जलवायु और आपदा-संबंधित जोखिमों का प्रबंधन करने की क्षमता बढ़ाना

यूनेस्को निवारक संस्कृति (culture of prevention) को भी बढ़ावा देता है, जिसमें निवेश शामिल हैं:

  • आपदा-प्रतिरोधी अवसंरचना

  • समुदाय-आधारित जोखिम न्यूनीकरण पहल

  • स्कूल पाठ्यक्रम में आपदा शिक्षा का समावेश

आपदा पूर्व कार्रवाई की आवश्यकता

हालांकि आपदा के बाद राहत आवश्यक है, ध्यान रोकथाम और तैयारी की ओर होना चाहिए। कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं:

  • सभी अवसंरचना परियोजनाओं के लिए जोखिम मूल्यांकन

  • समुदाय-आधारित शुरुआती चेतावनी प्रणालियाँ

  • आपदा सिमुलेशन और ड्रिल्स

  • संवेदनशील समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली समावेशी नीतियाँ

सहिष्णुता (resilience) की शुरुआत जानकारी प्राप्त और सशक्त समुदायों से होती है, जो अपने जोखिम को समझते हैं और प्रभावी रूप से प्रतिक्रिया देने में सक्षम होते हैं।

स्थैतिक तथ्य

  • मनाया जाता है: हर साल 13 अक्टूबर

  • पहली बार घोषित: संयुक्त राष्ट्र महासभा

  • मुख्य उद्देश्य: आपदा रोकथाम और समुदाय की सहिष्णुता बढ़ाना

  • वैश्विक ढांचा: Sendai Framework for Disaster Risk Reduction (2015–2030)

  • यूनेस्को की भूमिका: शुरुआती चेतावनी, शिक्षा और जोखिम मानचित्रण में सहायता

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