भारत-मंगोलिया ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, मुफ्त वीज़ा की घोषणा की, 70 वर्ष पूरे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंगोलियाई राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना ने 14 अक्टूबर, 2025 को, नई दिल्ली में उच्च स्तरीय वार्ता की, जो भारत-मंगोलिया संबंधों में एक मील का पत्थर साबित हुई। 70 वर्षों के राजनयिक संबंधों के उपलक्ष्य में आयोजित इस यात्रा में कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और संपर्क, विकास तथा लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ाने के उद्देश्य से घोषणाएँ हुईं।

ऐतिहासिक संबंध और प्रमुख मील के पत्थर

  • भारत उन शुरुआती देशों में से था जिन्होंने 1955 में मंगोलिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए
  • दशकों में यह संबंध निरंतर मजबूत हुआ है।
  • 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंगोलिया यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच साझेदारी को रणनीतिक साझेदारी (Strategic Partnership) के स्तर तक बढ़ाया गया, जिसके तहत भारत ने 1 अरब डॉलर की ऋण सहायता (Credit Line) प्रदान की थी।
  • 2025 की यह यात्रा भारत–मंगोलिया के 70 वर्षों के द्विपक्षीय संबंधों और रणनीतिक साझेदारी के 10 वर्षों का प्रतीक है, जो एक परिपक्व और बहुआयामी सहयोग को दर्शाती है।

प्रमुख समझौते और पहलें

10 समझौता ज्ञापन (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें शामिल हैं —

  • मानवीय सहायता (Humanitarian Aid)

  • विरासत स्थलों का पुनरुद्धार (Restoration of Heritage Sites)

  • आप्रवासन सहयोग (Immigration Cooperation)

  • भूविज्ञान और खनिज संसाधन अन्वेषण (Geology & Mineral Resources Exploration)

  • सहकारी संस्थाओं का संवर्धन (Promotion of Cooperatives)

  • डिजिटल सहयोग और समाधान साझा करना (Digital Cooperation & Solution Sharing)

साथ ही, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (Ladakh Autonomous Hill Development Council) और मंगोलिया के अरखांगाई प्रांत (Arkhangai Province) के बीच क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग औपचारिक किया गया।

ऊर्जा और अवसंरचना सहयोग

  • भारत ने 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर की तेल रिफाइनरी परियोजना में समर्थन की पुनर्पुष्टि की।

  • यह मंगोलिया की पहली बड़ी तेल रिफाइनरी होगी, जिसकी क्षमता 1.5 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल को वार्षिक रूप से संसाधित करने की है।

  • परियोजना के 2028 तक चालू होने की उम्मीद है।

  • इसका उद्देश्य मंगोलिया की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ाना और क्षेत्र में भारत की आर्थिक उपस्थिति को सशक्त करना है।

  • भारत ने मंगोलिया में तेल और गैस अन्वेषण में भविष्य के सहयोग की भी रुचि जताई।

डिजिटल और शैक्षणिक कूटनीति

  • दोनों देशों के बीच ई-गवर्नेंस और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने हेतु ऐतिहासिक डिजिटल सहयोग MoU पर हस्ताक्षर हुए।

  • भारत 10 लाख प्राचीन मंगोलियाई पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण करेगा।

  • साथ ही, भारत एक संस्कृत शिक्षक को एक वर्ष के लिए मंगोलिया के गंदन मठ (Gandan Monastery) भेजेगा ताकि शैक्षणिक और आध्यात्मिक संबंध गहरे हों।

सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव

  • दोनों देशों के साझा बौद्ध विरासत को रेखांकित करते हुए नालंदा विश्वविद्यालय और गंदन मठ को जोड़ने की पहल की गई।

  • भारत ने घोषणा की कि अरहंत सारिपुत्र और मौद्गल्यायन (Sariputra and Maudgalyayana) के पवित्र अवशेष 2026 में मंगोलिया भेजे जाएंगे

  • भारत हर वर्ष युवा मंगोलियाई सांस्कृतिक राजदूतों के दौरे को प्रायोजित करेगा।

  • भारत ने मंगोलियाई नागरिकों के लिए ई-वीजा निःशुल्क करने की घोषणा की, जिससे यात्रा और जनसंपर्क को बढ़ावा मिलेगा।

  • 70 वर्षों के संबंधों की स्मृति में दोनों देशों ने संयुक्त डाक टिकट जारी किए

राजनयिक और वैश्विक सहयोग

बहुपक्षीय समर्थन:

  • मंगोलिया ने भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन व्यक्त किया।

  • साथ ही, भारत की 2028–29 की अस्थायी सीट उम्मीदवारी का भी समर्थन किया।

पर्यावरण और रक्षा सहयोग:

  • मंगोलिया ने भारत की पहल इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (International Big Cat Alliance) में शामिल होकर वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया।

  • भारत के उलानबटार दूतावास में एक निवासी रक्षा एटैचे (Defence Attaché) की नियुक्ति की जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • 70 वर्ष के राजनयिक संबंध और 10 वर्ष की रणनीतिक साझेदारी (2025)

  • 10 MoUs पर हस्ताक्षर — मानवीय, डिजिटल, और खनिज क्षेत्रों में

  • $1.7 अरब तेल रिफाइनरी परियोजना, मंगोलिया की ऊर्जा सुरक्षा हेतु

  • मंगोलियाई नागरिकों के लिए निःशुल्क ई-वीजा

  • बौद्ध और सांस्कृतिक पहलें — अवशेष, संस्कृत शिक्षा, नालंदा–गंदन संबंध

सरकार ने 16वें वित्त आयोग का कार्यकाल 30 नवंबर तक बढ़ाया

भारत सरकार ने 16वें वित्त आयोग (16th Finance Commission) के कार्यकाल को एक माह के लिए बढ़ा दिया है। अब आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट 30 नवंबर 2025 तक प्रस्तुत करेगा, जबकि पहले इसकी समयसीमा 31 अक्टूबर 2025 तय थी। यह आयोग, जिसकी अध्यक्षता अरविंद पनगढ़िया (Arvind Panagariya) कर रहे हैं, 2026–2031 की अवधि के लिए केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व के वितरण तथा आपदा प्रबंधन वित्त व्यवस्था की समीक्षा पर सिफारिशें देगा।

16वें वित्त आयोग की पृष्ठभूमि

  • गठन तिथि: 31 दिसंबर 2023

  • संवैधानिक आधार: अनुच्छेद 280 (Article 280)

  • मुख्य उद्देश्य:

    • केंद्र और राज्यों के बीच करों के बंटवारे की सिफारिश करना

    • राजस्व वृद्धि के उपाय सुझाना

    • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत आपदा प्रत्युत्तर कोष और आपदा शमन कोष की वित्त व्यवस्था की समीक्षा करना

आयोग की संरचना

अध्यक्ष: अरविंद पनगढ़िया (पूर्व उपाध्यक्ष, नीति आयोग)

पूर्णकालिक सदस्य:

  1. एनी जॉर्ज मैथ्यू – सेवानिवृत्त नौकरशाह

  2. मनोज पांडा – अर्थशास्त्री

अंशकालिक सदस्य:

  1. सौम्यकांति घोष – मुख्य आर्थिक सलाहकार, एसबीआई

  2. टी. रबी शंकर – उप-गवर्नर, आरबीआई

सचिव: ऋत्विक पांडे
(सहयोगी अधिकारी – दो संयुक्त सचिव और एक आर्थिक सलाहकार)

प्रमुख फोकस क्षेत्र

  • कर-वितरण में संतुलन और समानता सुनिश्चित करना

  • राज्यों को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करना

  • आपदा प्रतिक्रिया व शमन कोष की सुदृढ़ समीक्षा

  • केंद्र और राज्यों के ऋण स्तरों की स्थिरता का आकलन

  • प्रदर्शन आधारित अनुदानों के लिए नए प्रोत्साहन मॉडल विकसित करना

पूर्ववर्ती सिफारिशों का संदर्भ

  • 15वें वित्त आयोग (अध्यक्ष: एन.के. सिंह) ने 2021–2026 के लिए केंद्र के विभाज्य करों में से 41% हिस्सेदारी राज्यों को देने की सिफारिश की थी।

  • यह 14वें आयोग (अध्यक्ष: वाई.वी. रेड्डी) की सिफारिशों के अनुरूप था।

  • 16वें आयोग से राज्यों को उम्मीद है कि राजकोषीय अनुशासन और योजनागत स्वायत्तता को लेकर अधिक स्पष्टता मिलेगी।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

बिंदु विवरण
आयोग का नाम 16वां वित्त आयोग
अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया
गठन तिथि 31 दिसंबर 2023
मूल समयसीमा 31 अक्टूबर 2025

गूगल आंध्र प्रदेश में एआई डेटा सेंटर में 15 अरब डॉलर का निवेश करेगा

भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को एक बड़ा प्रोत्साहन देते हुए गूगल (Google) ने अगले पांच वर्षों में $15 अरब (लगभग ₹1.25 लाख करोड़) के निवेश की घोषणा की है। इस निवेश के तहत कंपनी आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एक विश्व-स्तरीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) डेटा सेंटर कैंपस स्थापित करेगी। यह न केवल भारत में गूगल का अब तक का सबसे बड़ा निवेश है, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर उसकी सबसे बड़ी एआई परियोजनाओं में से एक भी है। यह कदम भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति और एआई-सक्षम सेवाओं की वैश्विक मांग को दर्शाता है।

निवेश की प्रमुख विशेषताएं

  • कुल निवेश राशि: $15 अरब (5 वर्षों में)

  • स्थान: विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश

  • परियोजना का प्रकार: एआई डेटा सेंटर कैंपस

  • प्रारंभिक क्षमता: 1 गीगावाट (आगे चलकर मल्टी-गीगावाट तक विस्तार योग्य)

  • रोज़गार सृजन: लगभग 1,88,000 नौकरियां (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष)

  • समय सीमा: 2025 से 2030 तक निवेश का चरणबद्ध कार्यान्वयन

परियोजना का महत्व

  • यह संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर गूगल की सबसे बड़ी एआई हब परियोजना है, जो भारत की वैश्विक एआई विकास में बढ़ती भूमिका को रेखांकित करती है।

  • यह परियोजना भारत की डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता को सशक्त बनाएगी और एआई व क्लाउड कंप्यूटिंग सेवाओं के बेहतर एकीकरण को संभव करेगी।

  • यह डिजिटल इंडिया और एआई मिशन भारत जैसी राष्ट्रीय पहलों के अनुरूप भारत को वैश्विक डिजिटल नवाचार केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

विशाखापत्तनम की रणनीतिक अहमियत

  • दक्षिण भारत का प्रमुख बंदरगाह शहर होने के कारण, विशाखापत्तनम अंतरराष्ट्रीय डेटा ट्रांसमिशन और कनेक्टिविटी के लिए उपयुक्त स्थान है।

  • यहां कुशल तकनीकी प्रतिभा और तेजी से विकसित होता आईटी इकोसिस्टम गूगल जैसे वैश्विक टेक दिग्गजों के लिए इसे रणनीतिक रूप से आकर्षक बनाता है।

  • राज्य सरकार ने प्रारंभिक लागत $10 अरब आंकी थी, लेकिन गूगल ने इसे बढ़ाकर $15 अरब कर दिया — यह कंपनी के क्षेत्र में विश्वास और दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उद्योग और प्रतिस्पर्धी परिदृश्य

  • माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और अमेज़न (Amazon) पहले ही भारत में अपने मल्टी-बिलियन डॉलर डेटा सेंटर निवेश कर चुके हैं।

  • भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी और मुकेश अंबानी भी बड़े पैमाने पर डेटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रहे हैं।

  • एआई, क्लाउड कंप्यूटिंग और स्ट्रीमिंग सेवाओं के तेजी से बढ़ते उपयोग ने हाई-परफॉर्मेंस डेटा सेंटरों की भारी मांग पैदा की है।

गूगल का वैश्विक एआई नेटवर्क

विशाखापत्तनम का यह एआई हब गूगल के 12 देशों में फैले वैश्विक एआई डेटा सेंटर नेटवर्क का हिस्सा होगा।
यह नेटवर्क मशीन लर्निंग, डेटा विश्लेषण और एआई-आधारित सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्षम करेगा, जिससे भारत वैश्विक एआई परिदृश्य में एक रणनीतिक केंद्र (Strategic Hub) के रूप में उभरेगा।

स्थिर तथ्य 

  • कंपनी: Google

  • कुल निवेश: $15 अरब (₹1.25 लाख करोड़ लगभग)

  • अवधि: 2025–2030

  • स्थान: विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश

  • परियोजना: विश्व-स्तरीय एआई डेटा सेंटर कैंपस

  • रोज़गार सृजन: 1,88,000 (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष)

  • विशेषता: अमेरिका के बाहर गूगल का सबसे बड़ा एआई निवेश

मां से बच्चे में तीन गंभीर रोगों का संक्रमण रोकने वाला पहला देश बना मालदीव

एक ऐतिहासिक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धि के रूप में, मालदीव दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने मां से बच्चे में संक्रमण (MTCT) के माध्यम से एचआईवी (HIV), हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) और सिफिलिस (Syphilis) — इन तीनों बीमारियों के “ट्रिपल एलिमिनेशन” का लक्ष्य प्राप्त किया है। यह घोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अक्टूबर 2025 में की, जो नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करने वाले संक्रामक रोगों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।

ट्रिपल एलिमिनेशन का अर्थ

“ट्रिपल एलिमिनेशन” का मतलब है मां से बच्चे में संक्रमण (Vertical Transmission) को रोकने में सतत और सफल उपलब्धि —

  • एचआईवी (HIV): एड्स (AIDS) का कारण बनने वाला वायरस

  • हेपेटाइटिस बी (HBV): जिगर को प्रभावित करने वाला वायरल संक्रमण

  • सिफिलिस (Syphilis): एक जीवाणुजनित यौन संचारित संक्रमण, जो बिना इलाज के भ्रूण में गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है

WHO द्वारा किया गया प्रमाणीकरण इस बात की पुष्टि करता है कि देश ने सार्वजनिक स्वास्थ्य, नैदानिक और सांख्यिकीय मानकों को पूरा किया है और गर्भवती महिलाओं तथा शिशुओं में इन बीमारियों की रोकथाम व नियंत्रण सुनिश्चित किया है।

WHO की मान्यता और वैश्विक प्रशंसा

WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस ने मालदीव की नेतृत्व क्षमता और मातृ-शिशु स्वास्थ्य के प्रति समर्पण की सराहना की।
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि दर्शाती है कि मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली, सर्वव्यापी स्क्रीनिंग और उपचार की उपलब्धता से राष्ट्रीय स्तर पर बीमारियों का उन्मूलन संभव है।
डॉ. टेड्रोस ने कहा — “यह उपलब्धि अन्य देशों के लिए प्रेरणा है,” खासकर दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए, जहाँ 4.2 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से पीड़ित हैं और लगभग 25,000 एचआईवी-सकारात्मक गर्भवती महिलाओं को संक्रमण-रोकथाम सेवाओं की आवश्यकता है।

मालदीव ने यह उपलब्धि कैसे हासिल की

  • गर्भपूर्व देखभाल कवरेज: मालदीव में 95% से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव-पूर्व देखभाल मिलती है, जो जांच और हस्तक्षेप का आधार है।

  • सर्वव्यापी परीक्षण: लगभग सभी गर्भवती महिलाओं की HIV, सिफिलिस और हेपेटाइटिस B के लिए नियमित जांच की जाती है।

  • समय पर उपचार: संक्रमण पाए जाने पर महिलाओं को तुरंत इलाज दिया जाता है ताकि शिशु तक संक्रमण न पहुंचे।

  • टीकाकरण कार्यक्रम: नवजात शिशुओं को जन्म के 24 घंटे के भीतर हेपेटाइटिस बी का टीका लगाया जाता है, जिससे संक्रमण का खतरा काफी घटता है।

  • स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण: सटीक रिकॉर्ड-कीपिंग, जनजागरूकता, सामुदायिक शिक्षा और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों ने देशव्यापी निरंतरता सुनिश्चित की।

वैश्विक महत्व और अनुकरणीय मॉडल

मालदीव की यह उपलब्धि अन्य देशों के लिए एक मॉडल (Blueprint) के रूप में देखी जा रही है:

  • सभी गर्भवती महिलाओं के लिए सार्वभौमिक परीक्षण को प्राथमिकता दें

  • प्रारंभिक और सतत उपचार सुनिश्चित करें

  • जन्म के समय टीकाकरण कार्यक्रमों का विस्तार करें

  • समुदाय-स्तर पर स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा दें

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य डेटा-प्रणालियों का उपयोग कर निगरानी को मजबूत करें

छोटे जनसंख्या वाले या उच्च स्वास्थ्य-पहुंच वाले देश विशेष रूप से मालदीव के इस मॉडल से लाभ उठा सकते हैं।

स्थिर तथ्य 

  • देश: मालदीव

  • उपलब्धि: एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सिफिलिस के मातृ-शिशु संक्रमण के “ट्रिपल एलिमिनेशन” को प्राप्त करने वाला पहला देश

  • प्रमाणन: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा

  • WHO प्रमुख: डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस

  • गर्भपूर्व देखभाल कवरेज: 95% से अधिक

  • गर्भवती महिलाओं के लिए सार्वभौमिक परीक्षण: एचआईवी, सिफिलिस और हेपेटाइटिस बी

चीन के बांध निर्माण के प्रयासों के बीच भारत ने 77 अरब डॉलर की जलविद्युत योजना का अनावरण किया

भारत ने अपनी ऊर्जा आत्मनिर्भरता और नवीकरणीय क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से ₹6.4 ट्रिलियन (लगभग $77 अरब) की एक महत्त्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है, जिसके तहत वर्ष 2047 तक ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन से 76 गीगावाट (GW) जलविद्युत क्षमता विकसित की जाएगी। यह घोषणा केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority – CEA) द्वारा 13 अक्टूबर 2025 को की गई। यह योजना ऐसे समय में आई है जब भारत एक ओर तेजी से बढ़ती बिजली मांगों को पूरा करना चाहता है और दूसरी ओर जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

प्रमुख विशेषताएं: ब्रह्मपुत्र हाइड्रो ट्रांसमिशन योजना

इस विशाल योजना के तहत भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के 12 उप-बेसिनों में फैले 208 बड़े जलविद्युत परियोजनाओं से बिजली को देश के बाकी हिस्सों तक पहुंचाने के लिए ट्रांसमिशन नेटवर्क तैयार किया जाएगा।
इन राज्यों में शामिल हैं —

  • अरुणाचल प्रदेश

  • असम

  • सिक्किम

  • मिज़ोरम

  • मणिपुर

  • मेघालय

  • नागालैंड

  • पश्चिम बंगाल

इन क्षेत्रों में भारत की 80% से अधिक अप्रयुक्त जलविद्युत क्षमता निहित है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश अकेले 52.2 GW की संभावित क्षमता प्रदान करता है।

इसके अलावा, योजना में 11.1 GW पंप्ड-स्टोरेज क्षमता भी शामिल है, जो बिजली ग्रिड के उतार-चढ़ाव को संतुलित करने और नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण में मदद करेगी।

निवेश और चरणबद्ध क्रियान्वयन

इस ₹6.4 ट्रिलियन योजना को दो मुख्य चरणों में विभाजित किया गया है —

चरण 1 (2035 तक): ₹1.91 ट्रिलियन (~$23 अरब)
चरण 2 (2035–2047): ₹4.52 ट्रिलियन (~$54 अरब)

इस परियोजना में प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों की भागीदारी होगी, जिनमें शामिल हैं —

  • एनएचपीसी (राष्ट्रीय जलविद्युत निगम)

  • नीपको (उत्तर पूर्वी विद्युत निगम)

  • एसजेवीएन (सतलुज जल विद्युत निगम)

कई परियोजनाएं पहले से ही विकास के चरण में हैं, जिससे इस बड़े पैमाने की ट्रांसमिशन योजना को प्रारंभिक गति मिली है।

भू-राजनीतिक संदर्भ: चीन के ऊपरी बांध की चुनौती

  • ब्रह्मपुत्र नदी, जो तिब्बत में यारलुंग जांगबो (Yarlung Zangbo) नाम से जानी जाती है, चीन से निकलकर भारत में प्रवेश करती है और आगे बांग्लादेश में बहती है।

  • यह नदी लंबे समय से भारत-चीन के बीच एक भू-राजनीतिक मुद्दा रही है, क्योंकि चीन ने इसके ऊपरी हिस्से पर एक बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डैम बनाना शुरू किया है।

  • भारतीय विशेषज्ञों को आशंका है कि चीन की अपस्ट्रीम गतिविधियाँ शुष्क मौसम में नदी के प्रवाह को 85% तक घटा सकती हैं, जिससे अरुणाचल प्रदेश और असम में जल उपलब्धता और पारिस्थितिकी पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

  • ऐसे परिदृश्य में, भारत की यह हाइड्रो विस्तार योजना रणनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाती है।

परियोजना का व्यापक महत्व

  • यह योजना भारत को स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ाएगी।

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास तेज़ होगा।

  • जलविद्युत क्षमता में वृद्धि से भारत को ग्रिड स्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण में मजबूती मिलेगी।

  • यह पहल ‘विकसित भारत 2047’ विज़न का हिस्सा है, जो सतत और हरित ऊर्जा भविष्य की ओर संकेत करता है।

स्थिर तथ्य 

तथ्य विवरण
घोषणा करने वाला संगठन केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA)
घोषणा की तिथि 13 अक्टूबर 2025
कुल निवेश ₹6.4 ट्रिलियन (~$77 अरब)
कुल लक्ष्य क्षमता 76 GW जलविद्युत + 11.1 GW पंप्ड स्टोरेज
परियोजनाओं की संख्या 208 जलविद्युत परियोजनाएँ
कुल उप-बेसिन 12
शामिल राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम, मिज़ोरम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, पश्चिम बंगाल
चरण 1 लागत (2035 तक) ₹1.91 ट्रिलियन
चरण 2 लागत (2035–2047) ₹4.52 ट्रिलियन
मुख्य पीएसयू (PSUs) NHPC, NEEPCO, SJVN

काजीरंगा की निदेशक सोनाली घोष ने वैश्विक स्थिरता पुरस्कार जीता

भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं टाइगर रिज़र्व की निदेशक डॉ. सोनाली घोष को संरक्षित क्षेत्रों के सतत प्रबंधन में नवाचार (Innovation in Sustainable Protected Area Management) के लिए प्रतिष्ठित केंटन आर. मिलर अवॉर्ड (Kenton R. Miller Award) से सम्मानित किया गया है।

यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की इकाई वर्ल्ड कमीशन ऑन प्रोटेक्टेड एरियाज़ (WCPA) द्वारा 10 अक्टूबर 2025 को अबू धाबी में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। डॉ. घोष यह सम्मान प्राप्त करने वाली पहली भारतीय हैं। उन्होंने यह पुरस्कार इक्वाडोर के रोक सिमोन सेविला लारेआ (Roque Simón Sevilla Larrea) के साथ साझा किया।

केंटन आर. मिलर अवॉर्ड के बारे में

  • यह पुरस्कार उन व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है जिन्होंने राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और जैव विविधता क्षेत्रों के प्रबंधन में नवोन्मेषी और सतत मॉडल प्रस्तुत किए हों।

  • इसे WCPA (World Commission on Protected Areas) द्वारा संचालित किया जाता है, जो IUCN की छह तकनीकी आयोगों में से एक है।

  • यह पुरस्कार प्रसिद्ध पर्यावरणविद केंटन आर. मिलर के नाम पर है और विश्वभर में सतत प्राकृतिक संसाधन उपयोगजैव विविधता संरक्षण रणनीतियों को बढ़ावा देने वाले नवाचारों को सम्मानित करता है।

डॉ. सोनाली घोष को यह सम्मान क्यों मिला

IUCN के अनुसार, डॉ. घोष को उनके समुदाय-आधारित संरक्षण मॉडल के लिए सम्मानित किया गया, जो निम्नलिखित तत्वों को जोड़ता है —

  • पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान

  • आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • समुदाय की जागरूकता और भागीदारी

  • संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्रों में जमीनी कार्यान्वयन

उनका यह मॉडल असम के मानस और काज़ीरंगा जैसे संरक्षण परिदृश्यों में विशेष रूप से सफल रहा है, जहाँ उन्होंने स्थानीय समुदायों और वन्यजीवों दोनों के लिए सतत संरक्षण प्रणाली स्थापित की है।

डॉ. सोनाली घोष के बारे में

  • डॉ. घोष एक अनुभवी वन अधिकारी और संरक्षण वैज्ञानिक हैं।

  • वर्तमान में वे काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं टाइगर रिज़र्व की निदेशक हैं, जो अपने एक-सींग वाले गैंडों और समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है।

  • उन्होंने अपने कार्य में निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है:

    • वन्यजीव प्रबंधन

    • पारिस्थितिकीय अनुसंधान

    • सामुदायिक भागीदारी

    • नीति निर्माण और रणनीतिक योजना

उनकी पहल ने पूर्वोत्तर भारत के संरक्षित क्षेत्रों में वैज्ञानिक दृष्टि और समावेशी संरक्षण को सशक्त किया है।

भारत और असम के लिए महत्व

डॉ. घोष का यह वैश्विक सम्मान दर्शाता है कि —

  • भारत सतत और सहभागी संरक्षण मॉडल में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

  • असम भारत की जैव विविधता संरक्षण में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है।

  • स्थानीय समुदायों को संरक्षण के साझेदार बनाना दीर्घकालिक पर्यावरणीय सफलता का मार्ग है।

उनका यह मॉडल भारत और विश्व के अन्य पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है।

स्थिर तथ्य

तथ्य विवरण
पुरस्कार का नाम Kenton R. Miller Award
सम्मानित व्यक्ति डॉ. सोनाली घोष
पद निदेशक, काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं टाइगर रिज़र्व
सम्मान प्रदान करने वाला संगठन WCPA (World Commission on Protected Areas), IUCN के अंतर्गत
समारोह स्थल अबू धाबी
तारीख 10 अक्टूबर 2025
सह-पुरस्कार विजेता रोक सिमोन सेविला लारेआ (इक्वाडोर)

45वां GITEX ग्लोबल दुबई में 6,800 से अधिक प्रदर्शकों के साथ शुरू हुआ

दुनिया का सबसे बड़ा प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) प्रदर्शनी GITEX Global का 45वां संस्करण आज दुबई में औपचारिक रूप से शुरू हुआ। यह पांच दिवसीय कार्यक्रम 13 से 17 अक्टूबर तक दुबई वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और दुबई हार्बर में आयोजित हो रहा है, जिसमें 6,800 से अधिक प्रदर्शक और 2,000 स्टार्टअप्स 180 से अधिक देशों से हिस्सा ले रहे हैं। AI, क्वांटम कंप्यूटिंग, बायोटेक्नोलॉजी और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी पर विशेष ध्यान के साथ, GITEX 2025 UAE को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का वैश्विक केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

GITEX: केवल प्रदर्शनी नहीं, बल्कि वैश्विक सहयोग का मंच
70% प्रतिभागी C-लेवल के अधिकारी, नीति निर्माता और नवप्रवर्तक हैं, जो इसे केवल टेक एक्सपो नहीं बल्कि वैश्विक सहयोग का रणनीतिक मंच बनाते हैं। इसके प्रमुख विषय हैं:

  • जलवायु लचीलापन (Climate Resilience)

  • साइबर सुरक्षा (Cybersecurity)

  • शहरी गतिशीलता (Urban Mobility)

  • स्वास्थ्य नवाचार (Healthcare Innovation)

GITEX 2025 सिर्फ तकनीक को प्रदर्शित नहीं करता, बल्कि अंतरराष्ट्रीय साझेदारी, नीति संवाद और निवेश को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण है।

AI ने लिया केंद्र स्थान
इस वर्ष आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण है। मुख्य सत्रों, प्रदर्शनी और कार्यशालाओं में AI-नेटीव समाज की अगली दिशा पर चर्चा की जा रही है। प्रमुख हाइलाइट्स:

  • OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन 14 अक्टूबर को वर्चुअल प्रस्तुति देंगे।

  • UAE आधारित G42 के ग्रुप CEO पेंग शियाओ और Microsoft के वरिष्ठ अधिकारी AI-सॉवरिन इकोसिस्टम पर चर्चा करेंगे।

  • Andrew Feldman, CEO of Cerebras Systems और e& Group के लीडर्स नई पीढ़ी के AI, रोबोटिक्स और नेटवर्क समाधान पेश करेंगे।

  • AI गवर्नेंस, नैतिकता, डेटा संप्रभुता और कार्यबल अनुकूलन जैसे विषय केंद्र में हैं।

भारत की अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी
इस वर्ष भारत की GITEX में सबसे बड़ी भागीदारी दर्ज हुई:

  • 237 भारतीय प्रदर्शक क्लाउड कंप्यूटिंग, AI और उभरती तकनीकों के क्षेत्रों में भाग ले रहे हैं।

  • ESC (Electronics and Computer Software Export Promotion Council) 100 कंपनियों का प्रतिनिधिमंडल नेतृत्व कर रहा है।

  • केरल IT पार्क 30 कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है; TEPC 16; NASSCOM 15 सॉफ्टवेयर और सेवा कंपनियां लाए हैं।

  • अतिरिक्त 76 भारतीय कंपनियां स्वतंत्र रूप से प्रदर्शन कर रही हैं।

यह मजबूत भागीदारी भारत के बढ़ते तकनीकी निर्यात और UAE के साथ डिजिटल साझेदारी को दर्शाती है।

क्वांटम और बायोटेक
क्वांटम कंप्यूटिंग इस वर्ष प्रमुख है, जिसमें QuantumBasel, Girls in Quantum, Vernex Quantum Valley जैसी कंपनियां हिस्सा ले रही हैं।
हेल्थटेक क्षेत्र में बायोटेक्नोलॉजी मुख्य विषय है, साथ ही:

  • Web 3.0

  • 5G और इंटेलिजेंट कनेक्टिविटी

  • सेमीकंडक्टर नवाचार

  • क्लाउड कंप्यूटिंग

इन विषयों पर डिजिटल संप्रभुता, नैतिक परिनियोजन और समावेशी डिजिटल विकास के दृष्टिकोण से चर्चा की जा रही है।

स्थिर तथ्य:

  • आयोजन का नाम: 45वीं GITEX Global

  • तिथियाँ: 13–17 अक्टूबर 2025

  • स्थान: दुबई वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और दुबई हार्बर

  • प्रदर्शक: 6,800+

  • स्टार्टअप्स: 2,000+ (180+ देशों से)

  • भारत की भागीदारी: 237 प्रदर्शक, नेतृत्व ESC, NASSCOM, TEPC और केरल IT पार्क द्वारा

वैष्णव ने मैपल्स को गूगल मैप्स के जवाब के रूप में समर्थन दिया

गूगल मैप्स को टक्कर देने वाला स्वदेशी ऐप Mappls लॉन्च हो गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को इस नेविगेशन ऐप का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया है। इस स्वेदशी नेविगेशन ऐप में गूगल मैप से भी अधिक फीचर्स दिए गए हैं। इस ऐप के फैन खुद रेल मंत्री अश्विन वैष्णव भी हो गए हैं। उन्होंने कहा जल्द रेलवे और मैपल्स का एमओयू साइन होगा।

दरअसल, Mappls स्वेदशी ऐप को MapmyIndia द्वारा तैयार किया गया है। इसमें आपको वो सभी फीचर्स मिल जाएंगे, जो गूगल मैप्स पर मिलते हैं। यही नहीं इस स्वदेशी नेविगेशन ऐप पर यूजर्स द्वारा रोड की कंडीशन, रूट्स पर मिलने वाले पेट्रोल पंप, ढ़ाबा और जंक्शन प्वाइंट्स आदि के बारे में भी जानकारी अपडेट की जा सकेगी।

मंत्री द्वारा ऐप का सार्वजनिक प्रदर्शन इसके लोकप्रिय होने की शुरुआत बना, जो भारत के “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के लक्ष्यों के अनुरूप है और स्वदेशी तकनीकी समाधानों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।

सरकारी समर्थन से लोकप्रियता में वृद्धि
वैष्णव के समर्थन के बाद:

  • Mappls Apple App Store पर Google Maps के ठीक पीछे #2 नेविगेशन ऐप बन गया।

  • Google Play पर Mappls ने 1 करोड़ (10 मिलियन) डाउनलोड पार किए।

  • दो हफ्तों के भीतर दैनिक डाउनलोड में दस गुना वृद्धि हुई।

  • भारतीय रेलवे Mappls के साथ अपने मैपिंग सर्विसेज को इंटीग्रेट करने के लिए MoU तैयार कर रहा है।

Mappls की विशेषताएं
Mappls भारत-विशेष फीचर्स के साथ अलग पहचान रखता है:

  • बेहतर रियल-टाइम निर्णय के लिए 3D जंक्शन व्यू।

  • समर्थित शहरों में ट्रैफिक सिग्नल काउंटडाउन।

  • मॉल और भवनों के लिए इनडोर नेविगेशन।

  • स्पीड ब्रेकर, तीव्र मोड़ और दुर्घटना ज़ोन के लिए अलर्ट।

  • 12+ भारतीय भाषाओं का समर्थन।

  • सटीक स्थान के लिए यूनिक Mappls PIN।

उद्योग और बाजार पर प्रभाव
टेक समुदाय, जिनमें Zoho के सह-संस्थापक श्रीधर वेम्बू शामिल हैं, ने Mappls की सराहना की और इसे “दशकों की R&D का परिणाम” बताया। निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा — इसकी मूल कंपनी CE Info Systems का शेयर 8% बढ़ गया। कंपनी PLI योजना के तहत निर्मित स्मार्टफोन पर Mappls के प्री-इंस्टालेशन के लिए भी प्रयास कर रही है, जिससे घरेलू अपनाने में बढ़त मिलेगी।

स्थिर तथ्य

  • डेवलपर: MapmyIndia (CE Info Systems Ltd.)

  • समर्थक: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव

  • अन्य समर्थक: Zoho सह-संस्थापक श्रीधर वेम्बू

  • Google Play डाउनलोड: 1 करोड़+

  • App Store रैंक: #2 (नेविगेशन)

 

विश्व मानक दिवस 2025: इतिहास और महत्व

हर साल 14 अक्टूबर को, दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय मानक विकसित करने वाले विशेषज्ञों और संगठनों के अमूल्य योगदान को मान्यता देने के लिए विश्व मानक दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल आयोग (IEC), अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO), और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के नेतृत्व में, यह दिवस उन वैश्विक प्रयासों को श्रद्धांजलि देता है जो सीमाओं के पार प्रणालियों की कार्यप्रणाली, सुरक्षा और अंतर-संचालनीयता को मज़बूत करते हैं।

विश्व मानक दिवस का उद्देश्य

  • विश्व मानक दिवस उन हज़ारों तकनीकी विशेषज्ञों, इंजीनियरों और नीति विशेषज्ञों को सम्मानित करता है जो स्वैच्छिक तकनीकी समझौतों का मसौदा तैयार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक निकायों के अंतर्गत सहयोग करते हैं।
  • ये मानक आधुनिक जीवन के लगभग हर पहलू को प्रभावित करते हैं – इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वास्थ्य सेवा से लेकर विनिर्माण, पर्यावरण सुरक्षा और दूरसंचार तक।

यह पहल निम्नलिखित में मदद करती है:

  • अंतर-संचालन और दक्षता को बढ़ावा देना
  • उपभोक्ता सुरक्षा को बढ़ाना
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और नवाचार को सक्षम बनाना
  • सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का समर्थन करना

विषय

2025 का विषय: “A Shared Vision for a Better World” इस बात पर जोर देता है कि अंतरराष्ट्रीय मानक समावेशी, सतत और लचीले वैश्विक विकास को कैसे आगे बढ़ाते हैं। मानक एक साझा भाषा प्रदान करते हैं जो विभिन्न उद्योगों, देशों और हितधारकों को जोड़ती है, जिससे वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, डिजिटल रूपांतरण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा, सर्कुलर इकोनॉमी और ऊर्जा संक्रमण के समाधान में सहयोग संभव होता है। IEC, ISO और ITU का संदेश है कि अंतरराष्ट्रीय मानक केवल नियमों का पालन कराने के साधन नहीं हैं, बल्कि विश्वास बनाने, नवाचार को बढ़ाने और दुनिया भर में जीवन को बेहतर बनाने के महत्वपूर्ण उपकरण भी हैं।

आईईसी, आईएसओ और आईटीयू की भूमिका

आईईसी (अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल आयोग)

ऊर्जा दक्षता और स्मार्ट प्रणालियों सहित विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकियों के लिए वैश्विक मानक विकसित करता है।

आईएसओ (अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन)

खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता प्रबंधन से लेकर सूचना सुरक्षा तक, विविध उद्योगों में मानकों का समन्वय करता है।

आईटीयू (अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ)

मोबाइल नेटवर्क, 5जी और ब्रॉडबैंड सहित आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है।

ये तीनों संगठन मिलकर अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण प्रयासों की रीढ़ हैं, जो तकनीकी अनुकूलता और सीमा-पार समन्वय सुनिश्चित करते हैं।

मानकों का महत्व

  • वैश्विक व्यापार को बढ़ावा: मानक तकनीकी बाधाओं को हटाकर वस्तुओं और सेवाओं का सीमाओं पार निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करते हैं।

  • नवाचार को प्रोत्साहन: डेवलपर्स और स्टार्टअप साझा ढांचे पर भरोसा करके स्केलेबल और इंटरऑपरेबल तकनीकें विकसित कर सकते हैं।

  • उपभोक्ताओं की सुरक्षा: सुरक्षा, प्रदर्शन और गुणवत्ता मानक यह सुनिश्चित करते हैं कि उपभोक्ता विश्वसनीय और सुरक्षित उत्पाद प्राप्त करें।

  • सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन: ऊर्जा, अवसंरचना या उद्योग में मानक संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप कार्य करने में मदद करते हैं।

RBI ने भूटान, नेपाल और श्रीलंका के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए रुपये में ऋण सुलभ किया

क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने और बाहरी भुगतान प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के एक रणनीतिक कदम के तहत, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने घोषणा की है कि अब भारतीय बैंक और उनकी विदेशी शाखाएं भूटान, नेपाल और श्रीलंका के निवासी और बैंकों को भारतीय रुपये (INR) में ऋण प्रदान कर सकती हैं। यह कदम, जो 13 अक्टूबर 2025 को जारी किया गया, सीमा-पार व्यापारिक लेनदेन को सरल बनाने और दक्षिण एशिया में रुपये के उपयोग को बढ़ाने की उम्मीद करता है।

प्रमुख नीति अपडेट

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, अब भारत के अधिकृत डीलर (AD) बैंक और उनकी विदेशी शाखाएं आधिकारिक तौर पर निम्न कार्य कर सकती हैं —

  • भारतीय रुपये (INR) में ऋण देना

  • भूटान, नेपाल और श्रीलंका के निवासी और बैंकों को

  • सीमा-पार व्यापार को सुगम बनाने के उद्देश्य से

यह उदारीकरण दो प्रमुख नियमों में संशोधन के तहत किया गया है —

  1. विदेशी मुद्रा प्रबंधन (उधार और उधार) विनियम, 2018

  2. विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियम, 2015

RBI ने बताया कि यह बदलाव बाहरी व्यापार और भुगतान को आसान बनाने और क्षेत्रीय व्यापार में रुपये की भूमिका मजबूत करने के प्रयासों के अनुरूप है।

क्षेत्रीय व्यापार पर प्रभाव

यह नीति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है —

  • डॉलर की कमी वाले पड़ोसी देशों, जैसे श्रीलंका, के लिए

  • भूटान और नेपाल के साथ व्यापार विविधीकरण के प्रयासों में

  • पहले से लागू रुपये में चालान और निपटान प्रणाली के लिए

रुपये में ऋण की अनुमति देकर, भारत दक्षिण एशिया में द्विपक्षीय व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर या अन्य विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम करना चाहता है।

निर्यातक खाता नियमों में बदलाव

संबंधित कदम में, RBI ने भारतीय निर्यातकों द्वारा रखे गए विदेशी मुद्रा खातों के नियम भी अपडेट किए हैं —

  • जनवरी 2025 से निर्यातकों को विदेश में विदेशी मुद्रा खाते खोलने की अनुमति थी।

  • अब भारतीय IFSCs (अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों) में रखे गए विदेशी मुद्रा खातों के अव्यवहृत शेष की प्रत्यर्पण अवधि तीन महीने कर दी गई है।

  • इसका उद्देश्य विदेशी खरीदारों और मुद्रा रूपांतरण में लचीलापन प्रदान करना है।

स्थिर तथ्य

बिंदु विवरण
घोषक संस्था भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
घोषणा तिथि 13 अक्टूबर 2025
मुख्य अपडेट भारतीय बैंक अब भूटान, नेपाल और श्रीलंका के निवासी और बैंकों को रुपये में ऋण दे सकते हैं
कानूनी संशोधन फेमा (उधार लेना और उधार देना) विनियम, 2018; फेमा (विदेशी मुद्रा खाते) विनियम, 2015
निर्यातक नियम परिवर्तन भारतीय IFSCs में विदेशी मुद्रा खातों के लिए प्रत्यर्पण अवधि तीन महीने
उद्देश्य सीमा-पार व्यापार और भुगतान को सुगम बनाना
क्षेत्रीय फोकस दक्षिण एशिया (भूटान, नेपाल, श्रीलंका)

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