मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन का कार्यकाल मार्च 2027 तक बढ़ा

भारत सरकार ने मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंथा नागेश्वरन के कार्यकाल को मार्च 2027 तक बढ़ा दिया है। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा अनुमोदित किया गया। नागेश्वरन ने सरकार की आर्थिक नीतियों को दिशा देने और वार्षिक आर्थिक सर्वेक्षण तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका विस्तारित कार्यकाल ऐसे समय में आया है जब देश की आर्थिक वृद्धि धीमी होने की आशंका जताई जा रही है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, FY26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.3% से 6.8% रहने का अनुमान है।

महत्वपूर्ण बिंदु

कार्यकाल विस्तार:

वी. अनंथा नागेश्वरन मार्च 2027 तक मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्यरत रहेंगे।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25:

नागेश्वरन ने FY26 के लिए 6.3% से 6.8% जीडीपी वृद्धि का अनुमान प्रस्तुत किया।

आर्थिक स्थिति:

सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि घटकर 5.4% हो गई, जिससे आर्थिक मंदी की चिंताएँ बढ़ीं

वैश्विक आर्थिक जोखिम:

नागेश्वरन ने वैश्विक शेयर बाजारों में अस्थिरता और बाहरी आर्थिक कारकों के प्रभाव को उजागर किया।

दीर्घकालिक विकास पर जोर:

उन्होंने नौकरी निर्माण और आर्थिक संरचनात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए सतत आर्थिक वृद्धि की आवश्यकता पर बल दिया।

पूर्व भूमिकाएँ:

नागेश्वरन इससे पहले क्रेडिट सुइस, जूलियस बेयर जैसे वित्तीय संस्थानों में काम कर चुके हैं और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (PM-EAC) के सदस्य भी रह चुके हैं।

सरकार का विश्वास:

सरकार द्वारा उनका कार्यकाल बढ़ाने का निर्णय उनके विशेषज्ञता और आर्थिक नीतियों में योगदान पर भरोसे को दर्शाता है।

निष्कर्ष: वी. अनंथा नागेश्वरन की शैक्षणिक और कॉर्पोरेट अनुभव की पृष्ठभूमि और आर्थिक नीतियों के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका उन्हें भारत के आर्थिक भविष्य के लिए एक प्रमुख व्यक्तित्व बनाती है।

सारांश/स्थिर विवरण विवरण
क्यों चर्चा में? वी. अनंथा नागेश्वरन का मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के रूप में कार्यकाल मार्च 2027 तक बढ़ाया गया
कार्यकाल विस्तार वी. अनंथा नागेश्वरन का कार्यकाल मार्च 2027 तक विस्तारित
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 FY26 में जीडीपी वृद्धि 6.3%-6.8% रहने का अनुमान
हालिया आर्थिक वृद्धि सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि 5.4% (पिछले दो वर्षों में सबसे धीमी)।
वैश्विक आर्थिक जोखिम वैश्विक शेयर बाजारों में अस्थिरता और बाहरी कारकों का आर्थिक वृद्धि पर प्रभाव
नागेश्वरन की भूमिका आर्थिक नीतियों के प्रमुख सलाहकार, आर्थिक सर्वेक्षण तैयार करने और केंद्रीय बजट प्रस्तावों को आकार देने में अहम भूमिका।
पिछले पद क्रेडिट सुइस, जूलियस बेयर में कार्यरत रहे, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (PM-EAC) के सदस्य रहे, सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी में अकादमिक पदों पर कार्य किया।
नागेश्वरन का मुख्य ध्यान सतत दीर्घकालिक वृद्धि, संरचनात्मक आर्थिक चुनौतियों का समाधान और रोजगार सृजन
विस्तार की स्वीकृति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूरी

अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस 2025

अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस, जिसे अरुणाचल प्रदेश राज्य स्थापना दिवस के रूप में भी जाना जाता है, राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिवस हर साल 20 फरवरी को मनाया जाता है और इस दिन 1987 में अरुणाचल प्रदेश को केंद्रशासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। यह राज्य “उगते सूरज की भूमि” के रूप में प्रसिद्ध है, क्योंकि भारत में सबसे पहले सूर्योदय यहीं होता है। पूर्वोत्तर भारत में स्थित यह राज्य भूटान, चीन और म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगा हुआ है, जिससे यह भारत के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है।

अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस 2025 पूरे राज्य में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाएगा। यह कार्यक्रम राज्य की संस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व को सम्मानित करने का अवसर है, साथ ही इस दिन राज्य की प्रगति और विकास की यात्रा को भी याद किया जाता है।

अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस का इतिहास

अरुणाचल प्रदेश के राज्य बनने की यात्रा विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं और प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से हुई:

  • 1826: यंदाबू संधि (Treaty of Yandaboo) के तहत यह क्षेत्र पहली एंग्लो-बर्मी युद्ध के बाद ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया।
  • 1838: इस क्षेत्र को नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के रूप में औपचारिक रूप से नामित किया गया।
  • 1914: शिमला संधि (Shimla Treaty) के तहत तिब्बत और NEFA की सीमा निर्धारित की गई, जिसे चीन, तिब्बत और ब्रिटिश शासकों ने मान्यता दी।
  • 1947: भारत की स्वतंत्रता के बाद, NEFA को असम के प्रशासनिक नियंत्रण में रखा गया
  • 1972: NEFA का नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश रखा गया और इसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया।
  • 1987: 20 फरवरी 1987 को, 55वें संवैधानिक संशोधन के तहत अरुणाचल प्रदेश को भारत का 24वां राज्य बनाया गया।

अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस का महत्व

यह दिन अरुणाचल प्रदेश के लोगों के लिए गौरव और उपलब्धियों का प्रतीक है। इस अवसर पर राज्य के संघर्ष और उपलब्धियों को याद किया जाता है और यह दिन संस्कृतिक विविधता और समृद्धि का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है।

मुख्य उत्सव गतिविधियां

  • राज्य के विकास में योगदान देने वाले नेताओं का सम्मान
  • संस्कृतिक कार्यक्रम और परेड, जिसमें राज्य की विविध परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है।
  • सरकारी समारोह और भाषण, जिसमें राज्य की प्रगति और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जाता है।
  • सामुदायिक आयोजन और त्यौहार, जो लोगों में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देते हैं।

अरुणाचल प्रदेश के रोचक तथ्य

भौगोलिक और जनसांख्यिक विशेषताएं

  • पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा राज्य: अरुणाचल प्रदेश का क्षेत्रफल 83,743 वर्ग किलोमीटर है।
  • सबसे कम जनसंख्या घनत्व: यहां प्रति वर्ग किलोमीटर केवल 13 लोग रहते हैं, जो भारत में सबसे कम है।
  • भारत का पहला सूर्योदय: अरुणाचल प्रदेश के डोंग गांव में भारत में सबसे पहले सूरज की किरणें पड़ती हैं, इसलिए इसे “डॉन-लिट माउंटेन्स की भूमि” भी कहा जाता है।

पर्यावरण और जैव विविधता

  • समृद्ध वन क्षेत्र: अरुणाचल प्रदेश का 82% भाग सदाबहार वनों से ढका हुआ है, जिससे यह भारत के सबसे जैव-विविधता वाले राज्यों में से एक बनता है।
  • प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान: नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान और मौलिंग राष्ट्रीय उद्यान यहां स्थित हैं।
    सबसे ऊँची चोटी: कांग्टो पर्वत (7,090 मीटर / 23,261 फीट) अरुणाचल प्रदेश की सबसे ऊँची चोटी है।

संस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

  • 26 प्रमुख जनजातियाँ: अरुणाचल प्रदेश में 100 से अधिक उप-जनजातियाँ रहती हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट परंपराएँ और रीति-रिवाज हैं।
  • तवांग मठ: यह भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बौद्ध मठ है।

अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस 2025 समारोह

इस वर्ष का स्थापना दिवस भव्य उत्सवों, सरकारी आयोजनों और लोक-संस्कृतिक कार्यक्रमों से भरा होगा।

मुख्य आकर्षण

राज्य स्तरीय समारोह:

  • राजधानी ईटानगर में आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
  • राजनीतिक नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों द्वारा राज्य की उपलब्धियों पर भाषण।
  • राज्य के विकास में योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया जाएगा।

संस्कृतिक कार्यक्रम:

  • विभिन्न जनजातीय समुदायों द्वारा पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत प्रस्तुतियाँ।
  • अरुणाचल प्रदेश के इतिहास, शिल्प और परंपराओं को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियाँ।

सार्वजनिक उत्सव एवं त्यौहार:

  • सामुदायिक भोज, जिसमें पारंपरिक अरुणाचली व्यंजन परोसे जाएंगे।
  • खेलकूद प्रतियोगिताएँ, जो विभिन्न जिलों में आयोजित की जाएंगी।

निष्कर्ष: अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस केवल एक सरकारी आयोजन नहीं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, विकास और एकता का प्रतीक है। यह दिन अरुणाचल प्रदेश के लोगों को अपनी पहचान, परंपरा और भविष्य की संभावनाओं पर गर्व करने का अवसर देता है।

भारत ने डिजिटल पायलट लाइसेंस जारी किया, चीन के बाद दूसरा

भारत ने अपने विमानन क्षेत्र को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए फ्लाइट क्रू के लिए इलेक्ट्रॉनिक पर्सनल लाइसेंस (EPL) लॉन्च किया है। इस पहल के साथ, भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा देश बन गया है जिसने डिजिटल लाइसेंसिंग प्रणाली को अपनाया है। नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू द्वारा शुरू किया गया यह EPL कार्यक्रम लाइसेंसिंग प्रक्रिया को अधिक सुविधाजनक, पारदर्शी और कुशल बनाने में मदद करेगा। यह पहल भारत के डिजिटल परिवर्तन और विमानन सुरक्षा के दृष्टिकोण के अनुरूप है, साथ ही विमानन उद्योग की बढ़ती मांग को पूरा करने में सहायक होगी।

EPL पहल के प्रमुख बिंदु

वैश्विक उपलब्धि: भारत अब चीन के बाद इलेक्ट्रॉनिक पर्सनल लाइसेंस (EPL) लागू करने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है।

लॉन्च विवरण:

  • शुभारंभकर्ता: नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू
  • नियामक संस्था: नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA)
  • लॉन्च तिथि: फरवरी 2025

उद्देश्य

  • पायलटों के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आसान और डिजिटल बनाना।
  • सुरक्षा, पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा देना।
  • विमानन क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन को गति देना।

EPL के लाभ

  • सुविधा: कागजी कार्रवाई कम होगी और लाइसेंस प्रक्रिया आसान होगी।
  • पारदर्शिता: पायलट प्रमाणपत्रों की रीयल-टाइम ट्रैकिंग और प्रमाणीकरण संभव होगा।
  • दक्षता: लाइसेंस जारी करने और नवीनीकरण की प्रक्रिया तेज़ होगी।
  • सुरक्षा: धोखाधड़ी की संभावनाएं कम होंगी और नियामक अनुपालन बेहतर होगा।

विमानन क्षेत्र की वृद्धि और भविष्य की योजनाएं

  • भारत दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक है।
  • अगले कुछ वर्षों में 20,000 नए पायलटों की आवश्यकता होगी।
  • पांच वर्षों में 50 नए हवाई अड्डों का विस्तार किया जाएगा।
  • अगले दशक में 120 नई घरेलू उड़ान मार्गों की शुरुआत होगी।
  • हवाई अड्डों के लिए “डिजिटल ट्विन” सिस्टम विकसित किए जाएंगे, जिससे रीयल-टाइम निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी।

उद्योग की प्रतिक्रियाएं और प्रभाव

  • एक वरिष्ठ भारतीय एयरलाइन पायलट ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि इससे प्रक्रिया सरल होगी और पायलट अपनी उड़ानों की सुरक्षा और दक्षता पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे
  • विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भारत के विमानन क्षेत्र के डिजिटलीकरण में एक मील का पत्थर साबित होगी, जिससे नियामक प्रक्रियाएं अधिक प्रभावी बनेंगी।

उत्तर प्रदेश बजट 2025-26: मुख्य बिंदु और सारांश

उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने 20 फरवरी 2025 को राज्य का बजट पेश किया, जिसकी कुल राशि ₹8,08,736 करोड़ (₹8.08 लाख करोड़) है। यह पिछले वर्ष 2024-25 के ₹7,36,437 करोड़ के बजट से 9.8% अधिक है। इस बजट का मुख्य ध्यान अनुसंधान एवं विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचा, कल्याणकारी योजनाओं और शहरी विकास पर केंद्रित है। साथ ही शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य सेवा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर विशेष जोर दिया गया है।

मुख्य बिंदु

  • बजट के बारें में
    • सरकार ने बजट में किसानों, युवाओं, महिलाओं व बच्चों का विशेष ध्‍यान रखा है।
    • बजट में समाज के हर वर्ग – गरीब, मध्यम वर्ग, किसान, महिला, युवा और आम लोगों की जरूरतों को पूरा करने का प्रयास है। यह वास्तव में जनहित का बजट है।
    • मुख्यमंत्री नए बजट को सनातन धर्म के सर्वे भवन्तु सुखिनः की अवधारणा के अनुरूप बताया है।
    • कुल बजट: 8,08,736 करोड़ रुपए का है, जो वित्त वर्ष 2024-25 के बजट से 9.8% अधिक है।
    • बजट में 28 हज़ार 478 करोड 34 लाख रुपए (28,478.34 करोड़ रुपए ) की नई योजनाएँ सम्मिलित की गई हैं।
    • उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 93 हजार रुपए से अधिक है।
    • भारतीय रिज़र्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी राज्यों के बीच कर प्राप्तियों (Tax Collection) में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी देश में सबसे अधिक है।
  • प्रदेश की GDP
  • वित्त वर्ष 2017-18 में प्रदेश की जी.डी.पी. 12.89 लाख करोड़ रुपए थी, जो वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 27.51 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
  • वर्ष 2023-24 में भारतदेश की जीडीपी की वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत थी जबकि उत्तर प्रदेश की वृद्धि दर 11.6 प्रतिशत रही है।
  • प्रदेश का राजकोषीय घाटा, सकल राज्य घरेलू उत्पाद की 2.97 प्रतिशत है, जो भारतीय रिजर्व बैंक FRBM अधिनियममें निर्धारित 3.5 प्रतिशत की सीमा से कम है। 

प्राप्तियाँ और व्यय का सारांश

विवरण राशि (रुपए में)
कुल प्राप्तियाँ 7,79,242.65
राजस्व प्राप्तियाँ 6,62,690.93
पूँजीगत प्राप्तियाँ 1,16,551.72
कर राजस्व 5,50,172.21
– स्वयं का कर राजस्व 2,95,000
– केंद्रीय करों में राज्य का अंश 2,55,172.21
कुल व्यय 8,08,736.06
राजस्व लेखे का व्यय 5,83,174.57
पूँजी लेखे का व्यय 2,25,561.49

क्षेत्रवार विवरण

  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME):
    • मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान वित्त वर्ष 2024-25 में शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य शिक्षित युवाओं को स्वरोज़गार से जोड़कर नए सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना करना।
    • वित्त वर्ष 2025-26 में इस योजना हेतु 1000 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित।
    • मुख्यमंत्री युवा स्वरोज़गार योजना हेतु 225 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित। 
  • हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग:
    • हथकरघा उद्योग प्रदेश का सर्वाधिक रोज़गार उपलब्ध कराने वाला विकेंद्रीकृत कुटीर उद्योग है।
    • प्रदेश में लगभग 1.91 लाख हथकरघा बुनकर एवं लगभग 80 हज़ार हाउस होल्ड हैं।
    • प्रदेश में 2.58 लाख पावरलूम कार्यरत हैं जिसके माध्यम से लगभग 5.50 लाख पावरलूम बुनकर अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं।
    • पीएम मित्र योजना के तहत टेक्सटाइल पार्क की स्थापना हेतु 300 करोड़ रुपए की व्यवस्था।
    • उत्तर प्रदेश वस्त्र गारमेन्टिंग पालिसी, 2022 के क्रियान्वयन हेतु 150 करोड़ रुपए की व्यवस्था।
    • PM मित्र टेक्सटाइल योजना के लिये 150 करोड़ रुपए।
    • वस्त्र गारमेंटिंग योजना के लिये 150 करोड़ रुपए।
    • अटल बिहारी वाजपेयी पावरलूम योजना के लिये 400 करोड़ रुपए।
    • डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिये 461 करोड़ रुपए का बजट।
  • अवस्थापना और विकास:
    • जल विद्युत परियोजना के लिये 3953 करोड़ रुपए।
    • एक्सप्रेस-वे के लिये 900 करोड़ रुपए (आगरा एक्सप्रेस-वे को गंगा एक्सप्रेस-वे से जोड़ने हेतु)।
    • गंगा एक्सप्रेस-वे का विस्तार हरिद्वार तक किया जाएगा।
    • मथुरा-वृंदावन बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर निर्माण के लिये 100 करोड़ रुपए।
    • मुख्यमंत्री ग्राम जोड़ो योजना हेतु मध्यम श्रेणी की इलेक्ट्रिक बसों के क्रय हेतु 100 करोड़ रुपए तथा चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना हेतु 50 करोड़ रुपए की व्यवस्था।
    • जल जीवन मिशन के लिये 4500 करोड़ रुपए की व्यवस्था।
  • शिक्षा और उच्च शिक्षा:
    • शिक्षा के लिये 13% राशि आवंटित।
    • 22 नए प्राथमिक स्कूलों के लिये 25 करोड़ रुपए।
    • पीएम श्री योजना के लिये 300 करोड़ रुपए।
    • डिजिटल लाइब्रेरी के लिये 454 करोड़ रुपए (गांवों में)।
    • पॉलिटेक्निक स्मार्ट क्लास रूम के लिये 10 करोड़ रुपए।
    • हायर एजुकेशन में छात्राओं को लाभ मिलेगा, स्कूटी योजना के तहत मेधावी छात्राओं को स्कूटी दी जाएगी।
    • गुरु गोरक्षनाथ आयुष विश्वविद्यालय (2025 में पूरा होगा)।
    • बलिया और बलरामपुर में राजकीय मेडिकल कॉलेज की घोषणा।
  • कृषि और ग्रामीण विकास:
    • कृषि और संबद्ध सेवाओं के लिये 11% राशि आवंटित।
    • गाँवों में नए स्टेडियम के लिये 125 करोड़ रुपए।
    • मत्स्य संपदा योजना के लिये 195 करोड़ रुपए।
    • स्वच्छ भारत मिशन के लिये 425 करोड़ रुपए। 
  • महिला एवं बाल विकास:
    • रानी लक्ष्मीबाई स्कूटी योजना के लिये 400 करोड़ रुपए।।
    • पात्रता के आधार पर स्कूटी प्रदान की जाएगी।
    • निराश्रित महिला पेंशन योजना के पात्र लाभार्थियों को देय पेंशन भुगतान के लिये 2980 करोड़ रुपए की व्यवस्था।
    • मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना हेतु 700 करोड़ रुपए की बजट व्यवस्था।
    • कोविड के दौरान संचालित उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के लिये 252 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित।
    • पुष्टाहार कार्यक्रम के लिये मूल्य समन्वित बाल विकास के लिये लगभग 4119 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है।
    • मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना की 100 करोड़ रुपए की व्यवस्था का प्रस्ताव।
  • सामाजिक विकास और जन कल्याण:
    • PM आवास योजना के लिये 4848 करोड़ रुपए।
    • 2025 में छात्रों को टैबलेट वितरण की योजना।
    • वृद्धावस्था/किसान पेंशन योजना के लिये (1000 रुपए प्रतिमाह पेंशन) 8105 करोड़ रुपए की व्यवस्था।
    • सभी वर्गों की पुत्रियों के विवाह हेतु अनुदान की मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना हेतु 550 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित।
    • वृद्ध एवं अशक्त व्यक्तियों के लिये आवासीय गृह संचालित करने हेतु स्वैच्छिक संस्थाओं को सहायता प्रदान किये जाने हेतु 60 करोड़ रुपए की धनराशि प्रस्तावित।
    • अनुसूचित जनजाति के छात्र/छात्राओं को पूर्वदशम एवं दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना हेतु लगभग 6 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित।
    • प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान “पीएम- जनमन” के अन्तर्गत विशेष रूप से कमजोर जन जातीय समूहों का समग्र विकास किया जाना है।
    • अल्पसंख्यक समुदाय के विकास एवं उत्थान हेतु वित्त वर्ष 2025-26 में 1998 करोड़ रुपए की बजट व्यवस्था।
    • कृषकों को दुर्घटनावश मृत्यु/अनैतिकता की स्थिति में आर्थिक सहायता की मुख्यमंत्री आकस्मिकता कल्याण योजना 1050 करोड़ रुपए की व्यवस्था।
  • स्वास्थ्य:
    • चिकित्सकीय और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये 6% राशि आवंटित।
    • आयुष्मान कार्ड बनाने में पूरे देश में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है।
    • राजकीय औषधि कॉलेज की स्थापना और वाराणसी में राजकीय होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज की स्थापना।
    • बलिया और बलरामपुर में राजकीय मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा। 
  • साइबर सुरक्षा और तकनीकी विकास:
    • साइबर सुरक्षा के लिये 3 करोड़ रुपए।
    • ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिटी’ की स्थापना की घोषणा।
    • ‘टेक्नोलॉजी रिसर्च ट्रान्सलेशन पार्क’ की स्थापना की योजना।
    • लखनऊ में AI सिटी बनाने के लिये 5 करोड़ रुपए का बजट।
    • ICT लैब और स्मार्ट सिटी की योजना
    • सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की योजना
  • नगर निकाय और शहरों का विकास:.
    • प्रत्येक नगर निकाय के लिये 2.5 करोड़ रुपए का बजट।
    • 58 नगर निकायों का विकास किया जाएगा।
    • NCR की तरह स्टेट कैपिटल रीजन (SCR) बनेगा, जिसमें 6 ज़िले – लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, उन्नाव, रायबरेली और बाराबंकी शामिल होंगे। 
  • पर्यटन और सांस्कृतिक विकास:
    • मथुरा-वृंदावन कॉरिडोर के लिये 100 करोड़ रुपए।
    • अयोध्या में पर्यटन विकास के लिये 150 करोड़ रुपए।
    • चित्रकूट और मथुरा में पर्यटन विकास के लिये 125 करोड़ रुपए।
    • जन उपयोगी मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिये 30 करोड़ रुपए। 
  • वन एवं पर्यावरण
    • वर्तमान प्रदेश में वृक्षाच्छादन प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्र का 9.96 प्रतिशत हो गया है।
    • उत्तर प्रदेश वनावरण व वृक्षाच्छादन में वृद्धि के मामले में पूरे देश में दूसरे स्थान पर है।
    • प्रदेश में वर्ष 2018 में बाघों की संख्या 173 से वर्ष 2022 में बाघों की संख्या 205 हो गयी है।
    • गोरखपुर में देश का पहला गिद्ध जनजाति केंद्र स्थापित किया गया।
    • गोरखपुर में उत्तर प्रदेश वानिकी एवं औद्यौनिक विश्वविद्यालय की स्थापना होगी।
श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? उत्तर प्रदेश बजट 2025-26: मुख्य बिंदु और सारांश
कुल बजट ₹8.08 लाख करोड़ (FY 2024-25 से 9.8% की वृद्धि)
नए व्यय ₹28,478 करोड़ नए पहलों के लिए आवंटित
बुनियादी ढांचा विकास ₹1.79 लाख करोड़ (बजट का 22%)
मुख्य बुनियादी ढांचा आवंटन ₹61,070 करोड़ (ऊर्जा), ₹25,308 करोड़ (शहरी विकास), ₹7,403 करोड़ (आवास), ₹21,340 करोड़ (सिंचाई), ₹3,152 करोड़ (नागरिक उड्डयन)
शिक्षा ₹1.06 लाख करोड़ (बजट का 13%)
शिक्षा संबंधी पहल स्मार्ट कक्षाएं, छात्रवृत्तियां, मेधावी छात्राओं के लिए स्कूटी, डिजिटल गवर्नेंस हेतु लैपटॉप
स्वास्थ्य सेवा ₹50,550 करोड़ (बजट का 6%)
प्रमुख स्वास्थ्य घोषणाएं मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के तहत ₹5 लाख तक मुफ्त इलाज, 13 नए मेडिकल कॉलेज, 1,500 नई मेडिकल सीटें
कृषि एवं ग्रामीण विकास ₹89,353 करोड़ (बजट का 11%)
प्रमुख कृषि पहल ₹1,050 करोड़ किसान कल्याण कोष, ज़ीरो गरीबी अभियान, नमामि गंगे विस्तार
सामाजिक कल्याण एवं महिला सशक्तिकरण ₹7,980 करोड़ आवंटित
प्रमुख सामाजिक योजनाएं ₹550 करोड़ (सामूहिक विवाह योजना), ₹2,980 करोड़ (विधवा पेंशन), ₹700 करोड़ (कन्या सुमंगला योजना)
एआई और साइबर सुरक्षा पहल एआई सिटी विकास, साइबर सुरक्षा रिसर्च पार्क
अन्य प्रमुख पहल उज्ज्वला योजना के तहत प्रति परिवार 2 मुफ्त एलपीजी सिलेंडर, लखनऊ में अंबेडकर मेमोरियल, श्रमिक कल्याण केंद्र
आर्थिक विकास लक्ष्य उत्तर प्रदेश को $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में बदलना
रणनीतिक फोकस क्षेत्र व्यापार, पर्यटन, प्रौद्योगिकी, परंपरा, प्रतिभा
जीडीपी वृद्धि ₹12.89 लाख करोड़ (2017-18) → ₹27.51 लाख करोड़ (2024-25)
दृष्टिकोण “सर्वे भवन्तु सुखिनः” – समावेशी विकास और सभी के लिए उन्नति

मिजोरम स्थापना दिवस 2025: 20 फरवरी

मिजोरम स्थापना दिवस हर साल 20 फरवरी को मनाया जाता है, जो इस उत्तर-पूर्वी राज्य के 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने की याद दिलाता है। यह ऐतिहासिक अवसर लुशाई हिल्स स्वायत्त जिला परिषद के एक पूर्ण राज्य में परिवर्तन को चिह्नित करता है, जिससे मिजोरम भारत का 23वां राज्य बना। यह दिन अरुणाचल प्रदेश के साथ साझा किया जाता है, जिसे भी 20 फरवरी 1987 को राज्य का दर्जा मिला था।

मिजोरम उत्तर-पूर्व भारत का एक सुरम्य राज्य है, जो त्रिपुरा, असम, मणिपुर और म्यांमार तथा बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरा हुआ है। यह राज्य अपनी हरियाली, समृद्ध जनजातीय संस्कृति और अनूठी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। मिजोरम स्थापना दिवस, मिजो लोगों के संघर्ष और उनकी राजनीतिक पहचान व स्वायत्तता की आकांक्षा को श्रद्धांजलि देने का अवसर है।

मिजोरम स्थापना दिवस का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

प्रारंभिक संघर्ष और मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) की स्थापना

1960 के दशक में, मिजो जनजातीय नेताओं ने 1961 में मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) का गठन किया। इसका मुख्य उद्देश्य मिजो लोगों के राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करना और भारत सरकार से स्वायत्तता प्राप्त करना था। मिजो लोगों में असंतोष का मुख्य कारण 1959 का “मौताम” अकाल था, जिसने कृषि व्यवस्था को तबाह कर दिया और व्यापक संकट पैदा कर दिया।

विद्रोह और शांति समझौता

1966 में, MNF ने भारतीय सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह शुरू किया और स्वतंत्रता की मांग की। यह संघर्ष लगभग दो दशकों तक चला, जिससे क्षेत्र में गंभीर अशांति फैल गई।

हालांकि, इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए राजनयिक प्रयास जारी रहे, और अंततः 1986 में भारत सरकार और MNF के बीच “मिजोरम शांति समझौता” (Mizoram Peace Accord) हुआ। इस समझौते के बाद 20 फरवरी 1987 को मिजोरम को 53वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम के तहत पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।

मिजोरम स्थापना दिवस का महत्व

1. राज्यत्व प्राप्ति के संघर्ष का सम्मान

यह दिन मिजो लोगों के संघर्ष और उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को मान्यता देता है। यह विद्रोह के दौरान झेले गए कठिन समय और राजनीतिक पहचान की लड़ाई को याद करने का अवसर है।

2. सांस्कृतिक विविधता का उत्सव

मिजोरम की संस्कृति उसकी जनजातीय परंपराओं, लोककथाओं, संगीत और नृत्य में गहराई से निहित है। यह दिन मिजोरम की अनूठी सांस्कृतिक पहचान को भारत और दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करता है।

3. प्रगति और विकास का आकलन

राज्य बनने के बाद मिजोरम ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और आर्थिक वृद्धि में उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य की साक्षरता दर 91.33% है, जो इसे भारत के सबसे शिक्षित राज्यों में से एक बनाती है।

मिजोरम स्थापना दिवस कैसे मनाया जाता है?

1. सरकारी कार्यक्रम

राज्य सरकार इस अवसर पर औपचारिक समारोहों का आयोजन करती है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री जनता को संबोधित करते हैं, राज्य की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की जाती है।

2. सांस्कृतिक कार्यक्रम और आयोजन

  • चेरव नृत्य (Bamboo Dance): यह मिजोरम का सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक नृत्य है, जिसे इस दिन विशेष रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
  • गायन, चित्रकला, और हस्तशिल्प प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिससे मिजो लोगों की कला और संस्कृति प्रदर्शित होती है।

3. सामुदायिक समारोह और पारंपरिक भोज

स्थानीय समुदाय सामूहिक भोज और सामाजिक समारोहों का आयोजन करते हैं। इस दौरान पारंपरिक मिजो व्यंजन जैसे – बाई (सब्जियों की करी), बांस की कोपलों के व्यंजन और सॉहचियार (मांस के साथ चावल की खिचड़ी) परोसे जाते हैं।

4. खेलकूद और जागरूकता अभियान

  • फुटबॉल, तीरंदाजी और पारंपरिक मिजो कुश्ती प्रतियोगिताएं होती हैं।
  • पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और सामाजिक कल्याण से जुड़े अभियान भी चलाए जाते हैं।

मिजोरम से जुड़े रोचक तथ्य

  • भारत में सबसे अधिक साक्षरता दर वाला उत्तर-पूर्वी राज्य – 91.33%।
  • दुनिया का सबसे बड़ा परिवार मिजोरम में – ज़ियोना चाना के परिवार में 180 से अधिक सदस्य थे।
  • 95% से अधिक जनसंख्या अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित – मुख्य रूप से मिजो जनजाति।
  • हरियाली से भरपूर राज्य – 75% से अधिक क्षेत्र जंगलों से ढका हुआ है।
  • आइजोल – एक खूबसूरत राजधानी – अपने सुरम्य दृश्यों और समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध।

निष्कर्ष:
मिजोरम स्थापना दिवस न केवल राज्य के इतिहास का जश्न मनाने का अवसर है, बल्कि यह मिजो लोगों की एकता, संघर्ष और सांस्कृतिक समृद्धि को भी दर्शाता है। यह दिन राज्य की प्रगति का मूल्यांकन करने और एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ने का संकल्प लेने का भी दिन है।

श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? मिजोरम स्थापना दिवस हर वर्ष 20 फरवरी को मनाया जाता है, जो 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने की वर्षगांठ है। इसी दिन अरुणाचल प्रदेश को भी राज्य का दर्जा मिला था।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि लुशाई हिल्स स्वायत्त जिला परिषद से राज्य का गठन हुआ।
1961 में मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) की स्थापना स्वायत्तता की मांग के लिए हुई।
1966 में सशस्त्र विद्रोह शुरू हुआ।
1986 में शांति समझौता हुआ, जिसके बाद 1987 में 53वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत मिजोरम को राज्य का दर्जा मिला।
महत्व – मिजो लोगों के राजनीतिक पहचान के संघर्ष को सम्मान देता है।
– मिजोरम की समृद्ध जनजातीय विरासत और सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करता है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में हुई प्रगति पर विचार करने का अवसर देता है।
उत्सव सरकारी कार्यक्रम: राज्यपाल और मुख्यमंत्री का संबोधन, पुरस्कार वितरण।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: चेरव (बांस नृत्य), लोक संगीत, प्रदर्शनियां।
सामुदायिक आयोजन: पारंपरिक भोज, सामाजिक कार्यक्रम।
खेल और जागरूकता अभियान: फुटबॉल, तीरंदाजी, कुश्ती, पर्यावरण और सामाजिक कार्यक्रम।
रोचक तथ्य पूर्वोत्तर भारत में सर्वोच्च साक्षरता दर (91.33%)
दुनिया का सबसे बड़ा परिवार (ज़ियोना चाना) मिजोरम में रहता था।
95% जनसंख्या अनुसूचित जनजातियों से संबंधित
राज्य का 75% से अधिक भाग वनाच्छादित
आइजोल, राजधानी, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध।

केरल ने सुरक्षित दवा निपटान के लिए nPROUD का शुभारंभ किया

केरल स्वास्थ्य विभाग ने nPROUD (न्यू प्रोग्राम फॉर रिमूवल ऑफ अनयूज्ड ड्रग्स) पहल शुरू की है, जो खराब और अनुपयोगी दवाओं के सुरक्षित निपटान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गलत तरीके से दवाओं के निपटान से होने वाले पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को रोकना है। केरल भारत का पहला राज्य है जिसने इस तरह की सरकारी स्तर पर संचालित दवा निपटान योजना लागू की है।

nPROUD कैसे काम करेगा?

यह पहल घरों और मेडिकल स्टोर्स से खराब और अनुपयोगी दवाओं को इकट्ठा करके वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करने के लिए बनाई गई है। इसे सबसे पहले कोझिकोड कॉर्पोरेशन और उल्लीयेरी पंचायत में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा, जहां लगभग 2 लाख घरों और कई फार्मेसियों को कवर किया जाएगा। बाद में इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।

  • घरों से दवाओं का संग्रहण: हरिता कर्म सेना और कुदुंबश्री के स्वयंसेवक बिना किसी शुल्क के घर-घर जाकर अनुपयोगी दवाएं इकट्ठा करेंगे। इससे एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance – AMR) के खतरों के प्रति जागरूकता भी फैलेगी।
  • फार्मेसी भागीदारी: मेडिकल स्टोर्स में नीले कूड़ेदान (Blue Bins) रखे जाएंगे, जहां लोग अपनी अनुपयोगी दवाएं डाल सकेंगे। हालांकि, विक्रेताओं, थोक व्यापारियों और अस्पतालों को इस सेवा के लिए ₹40 प्रति किलोग्राम का शुल्क देना होगा।
  • विशेष संग्रहण अभियान: “गो ब्लू डे” (Go Blue Day) जैसे अभियान चलाए जाएंगे, जहां निर्धारित स्थानों पर दवाओं के निपटान के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
  • सुरक्षित निपटान प्रक्रिया: सभी एकत्रित दवाओं को केरल एन्वायरो इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (KEIL), एर्नाकुलम में वैज्ञानिक तरीके से जलाकर नष्ट (incineration) किया जाएगा ताकि पर्यावरण सुरक्षा मानकों का पालन किया जा सके।

nPROUD की शुरुआत क्यों की गई?

nPROUD कार्यक्रम 2019 में शुरू किए गए PROUD (Programme on Removal of Unused Drugs) की अगली कड़ी है, जिसे केरल राज्य औषधि नियंत्रण विभाग और ऑल केरल केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन (AKCDA) द्वारा लॉन्च किया गया था।

  • PROUD पहल के तहत तिरुवनंतपुरम में 21 टन अनुपयोगी दवाओं का संग्रहण किया गया था, जिन्हें मंगलुरु भेजकर नष्ट किया गया था।
  • हालांकि, केरल में बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट की कमी और दूसरे राज्यों में कचरा भेजने की ऊँची लागत के कारण PROUD को व्यापक स्तर पर लागू करना संभव नहीं हो पाया।
  • इन समस्याओं को हल करने के लिए, केरल सरकार ने क्लीन केरल कंपनी लिमिटेड (CKCL) और ड्रग्स कंट्रोल विभाग के बीच एक समझौता किया, जिससे nPROUD का गठन हुआ।

क्या nPROUD अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बनेगा?

nPROUD भारत में अपनी तरह की पहली पहल है और अन्य राज्यों को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित कर सकती है। दिल्ली और कर्नाटक के स्वास्थ्य अधिकारियों ने पहले ही इस मॉडल में रुचि दिखाई है। केरल सरकार को उम्मीद है कि यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में बदलाव लाने और पूरे भारत में दवा निपटान को अनिवार्य बनाने में सहायक होगी।

इस कार्यक्रम का आधिकारिक शुभारंभ 22 फरवरी, 2025 को कोझिकोड में केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के नेतृत्व में होगा। सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने वाली इस पहल को देशव्यापी क्रियान्वयन के लिए एक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है

विषय विवरण
क्यों चर्चा में? केरल ने nPROUD (न्यू प्रोग्राम फॉर रिमूवल ऑफ अनयूज्ड ड्रग्स) लॉन्च किया, जो खराब और अनुपयोगी दवाओं के सुरक्षित निपटान के लिए एक पहल है।
लॉन्च तिथि 22 फरवरी, 2025
पायलट स्थान कोझिकोड कॉर्पोरेशन और उल्लीयेरी पंचायत
संग्रहण विधियां 1. घरों से संग्रहणहरिता कर्म सेना और कुदुंबश्री के स्वयंसेवक मुफ्त में दवाएं एकत्र करेंगे।
2. फार्मेसी ड्रॉप-ऑफ – मेडिकल स्टोर्स में नीले कूड़ेदान (Blue Bins) रखे जाएंगे।
3. विशेष अभियानगो ब्लू डे” जैसे विशेष आयोजन किए जाएंगे।
निपटान प्रक्रिया सभी एकत्रित दवाओं को KEIL, एर्नाकुलम में वैज्ञानिक रूप से जलाकर नष्ट (Incineration) किया जाएगा।
निपटान शुल्क घरों के लिए निःशुल्क, लेकिन व्यावसायिक इकाइयों (खुदरा विक्रेता, थोक व्यापारी, अस्पताल) के लिए ₹40 प्रति किलोग्राम शुल्क।
पृष्ठभूमि यह 2019 में शुरू किए गए PROUD कार्यक्रम पर आधारित है, जो लॉजिस्टिक्स और लागत संबंधी चुनौतियों के कारण सीमित था।
राष्ट्रीय प्रभाव केरल भारत का पहला राज्य है जिसने यह पहल शुरू की है। दिल्ली और कर्नाटक भी इसी तरह की योजना अपनाने पर विचार कर रहे हैं।
नेतृत्व में स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2025: थीम, इतिहास और महत्व

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को मनाया जाता है। यह दिन भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के महत्व की याद दिलाता है तथा दुनिया भर में संकटग्रस्त भाषाओं की सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर देता है।

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की थीम

इस साल यूनेस्को “अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का सिल्वर जुबली समारोह” थीम (Theme) पर अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मना रहा है। इस दिन कविताएं पढ़ने, अलग-अलग भाषाओं में कहानी सुनाने और सांस्कृतिक संगीत से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। यह सेलिब्रेशन यूनेस्को के पेरिस, फ्रांस हेडक्वार्टर्स में हो रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास

उत्पत्ति और घोषणा

इस दिवस को मनाने की प्रेरणा बांग्लादेश से मिली, जहाँ 1952 के भाषा आंदोलन ने बांग्ला को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 17 नवंबर 1999 को यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित किया, जिससे भाषाई विविधता और बहुभाषावाद को बढ़ावा दिया जा सके।

संयुक्त राष्ट्र का समर्थन

2002 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिवस की घोषणा का स्वागत किया। इसके बाद, 2007 में, महासभा ने प्रस्ताव A/RES/61/266 पारित किया, जिसमें सदस्य देशों से सभी भाषाओं के संरक्षण और सुरक्षा को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया। इसके अतिरिक्त, 2008 को “अंतर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष” घोषित किया गया, जिसमें यूनेस्को ने बहुभाषावाद को प्रोत्साहित करने के लिए नेतृत्व किया।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का महत्व

भाषाई और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण

भाषाएँ पहचान, परंपरा और इतिहास की संवाहक होती हैं। किसी भाषा के विलुप्त होने से सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ, पारंपरिक ज्ञान और लोक-व्यवहार समाप्त हो जाते हैं। यह दिन संकटग्रस्त भाषाओं के दस्तावेजीकरण, पुनर्जीवन और सुरक्षा की आवश्यकता पर जागरूकता बढ़ाता है।

बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा

मातृभाषा-आधारित बहुभाषी शिक्षा से सीखने के परिणाम बेहतर होते हैं, स्थानीय भाषाओं को संरक्षित किया जाता है और समावेशी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्रोत्साहन मिलता है। शिक्षा प्रणाली में मातृभाषाओं को शामिल करने से भाषाई विविधता को अगली पीढ़ियों तक संरक्षित रखा जा सकता है।

सामाजिक समावेशन और एकता को सुदृढ़ करना

भाषाई विविधता सामाजिक एकता, सांस्कृतिक विविधता के प्रति सम्मान और समावेशी समाजों को प्रोत्साहित करती है। सभी भाषाओं को सार्वजनिक संवाद, शासन और प्रौद्योगिकी में उचित स्थान देने से भाषाई समुदायों के लिए समान अवसर उपलब्ध होते हैं।

डिजिटल समावेशन को प्रोत्साहन

डिजिटल युग में भाषा प्रतिनिधित्व की असमानता एक बड़ी चुनौती है। वर्तमान में, केवल सौ से भी कम भाषाएँ डिजिटल दुनिया में प्रमुख रूप से उपयोग हो रही हैं। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, एआई टूल्स और ऑनलाइन शिक्षा में अधिक भाषाई प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना आधुनिक युग में भाषाई विविधता की रक्षा के लिए आवश्यक है।

विषय विवरण
क्यों चर्चा में? अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
2024 की थीम अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की रजत जयंती समारोह।
उत्पत्ति और घोषणा 1952 के बांग्लादेश भाषा आंदोलन से प्रेरित; यूनेस्को ने 1999 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया।
संयुक्त राष्ट्र की स्वीकृति 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिवस को मान्यता दी। 2007 में प्रस्ताव A/RES/61/266 के माध्यम से भाषा संरक्षण को बढ़ावा दिया गया। 2008 को अंतर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित किया गया।
महत्व धरोहर संरक्षण: संकटग्रस्त भाषाओं और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा।
बहुभाषी शिक्षा: शिक्षण को सशक्त बनाना और भाषाई विविधता को बनाए रखना।
सामाजिक समावेशन: सांस्कृतिक सम्मान और समान अवसरों को मजबूत करना।
डिजिटल समावेशन: एआई, प्रौद्योगिकी और ऑनलाइन शिक्षा में भाषाई प्रतिनिधित्व का विस्तार।

नागालैंड की वन परियोजना को SKOCH पुरस्कार से सम्मानित किया गया

नागालैंड फॉरेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट (NFMP) को SKOCH अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया है, जो राष्ट्रीय विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाने वाला एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। यह सम्मान 15 फरवरी 2025 को इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित 100वें SKOCH समिट के दौरान प्रदान किया गया।

इस पुरस्कार को नागालैंड सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग (DEFCC) की ओर से एनगो कोन्याक (डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर, NFMP) और वेंयेई कोन्याक (रेजिडेंट कमिश्नर, नागालैंड हाउस, नई दिल्ली) ने स्वीकार किया।

NFMP परियोजना जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) के सहयोग से संचालित की जा रही है, जिसका उद्देश्य वन पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करना, झूम (स्थानांतरण कृषि) खेती वाले क्षेत्रों को पुनर्वासित करना और सतत आजीविका के साधनों को बढ़ावा देना है।

NFMP की प्रमुख विशेषताएँ

  • परियोजना का लक्ष्य – वन संरक्षण को सुदृढ़ करना, आय सृजन को प्रोत्साहित करना और झूम कृषि क्षेत्रों का पुनर्वास करना।
  • कार्यान्वयन – परियोजना का प्रबंधन नागालैंड सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग (DEFCC) द्वारा किया जा रहा है, जिसमें JICA का तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग प्राप्त है।
  • अवधि – परियोजना 2017 से 2027 तक के लिए निर्धारित है।

कवरेज क्षेत्र

  • 79,096 हेक्टेयर वन क्षेत्र को पुनर्वासित किया जा रहा है।
  • 11 जिलों और 22 वन रेंजों में 185 गाँवों को इस परियोजना के तहत कवर किया गया है।
  • 555 स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाए जा रहे हैं ताकि स्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त किया जा सके।

मुख्य फोकस क्षेत्र

  • सतत वन प्रबंधन
  • पर्यावरण संरक्षण
  • गाँव-आधारित आजीविका सुधार

SKOCH अवार्ड 2024

  • 100वें SKOCH समिट में प्रस्तुत किया गया।
  • भारत का सर्वोच्च स्वतंत्र पुरस्कार, जो सुशासन, लोक सेवा और सामाजिक विकास में उत्कृष्टता को मान्यता देता है।

NFMP की सफलता यह दर्शाती है कि सरकार, स्थानीय समुदायों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों (जैसे JICA) के बीच समन्वित प्रयास सतत वन प्रबंधन और ग्रामीण समुदायों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यह परियोजना वन संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर आजीविका सुधारने के प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

विषय विवरण
क्यों चर्चा में? नागालैंड का वन प्रबंधन प्रोजेक्ट SKOCH अवार्ड से सम्मानित
पुरस्कार SKOCH अवार्ड 2024
पुरस्कार समारोह 100वां SKOCH समिट, इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली
पुरस्कार प्राप्तकर्ता एनगो कोन्याक (उप परियोजना निदेशक, NFMP), वेंयेई कोन्याक (रेजिडेंट कमिश्नर, नागालैंड हाउस)
कार्यान्वयन एजेंसी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, नागालैंड सरकार (DEFCC)
सहयोग जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA)
परियोजना अवधि 2017-2027
कवरेज क्षेत्र 79,096 हेक्टेयर, 185 गाँव, 11 जिले, 22 वन रेंज
आजीविका घटक 555 स्वयं सहायता समूहों (SHG) का गठन
मुख्य फोकस सतत वन प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, आजीविका सुधार
SKOCH अवार्ड का महत्व सुशासन और सामाजिक विकास में उत्कृष्टता को मान्यता देना

IRDAI ने UPI-आधारित बीमा भुगतान के लिए बीमा-ASBA की शुरुआत की

भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान को सरल बनाने के लिए बिमा-ASBA (Bima Applications Supported by Blocked Amount) की शुरुआत की है। यह पहल 1 मार्च 2025 से प्रभावी होगी और पॉलिसीधारकों को वन-टाइम UPI मैंडेट (OTM) के माध्यम से अपने बैंक खाते में निधियों को ब्लॉक करने की अनुमति देगी। यह राशि तब तक खाते में बनी रहती है जब तक कि बीमा कंपनी पॉलिसी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर लेती, जिससे लेन-देन में अधिक पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

बिमा-ASBA कैसे काम करता है?

बिमा-ASBA प्रणाली यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से कार्य करती है, जिससे पॉलिसीधारक अपने प्रीमियम भुगतान के लिए वन-टाइम मैंडेट (OTM) सेट कर सकते हैं। इसमें बीमा कंपनी सीधे राशि डेबिट करने के बजाय, केवल निधियों को ब्लॉक करती है।

  • यदि पॉलिसी स्वीकृत हो जाती है, तो यह राशि खाते से डेबिट कर ली जाती है।
  • यदि पॉलिसी अस्वीकृत या रद्द कर दी जाती है, तो पूरी राशि बिना किसी कटौती के वापस कर दी जाती है।

इस प्रक्रिया से पॉलिसीधारकों को अपने पैसे पर पूरा नियंत्रण मिलता है जब तक कि बीमा अंडरराइटिंग प्रक्रिया पूरी न हो जाए। साथ ही, यह अनधिकृत डेबिट से सुरक्षा और बार-बार भुगतान करने की आवश्यकता को समाप्त करता है।

बिमा-ASBA के प्रमुख लाभ

  • बीमा कंपनियों के लिए अनिवार्य – सभी जीवन और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को 1 मार्च 2025 तक इस सुविधा को लागू करना होगा। हालांकि, ग्राहक इसे चुनने या पारंपरिक भुगतान विधियों को जारी रखने का विकल्प रख सकते हैं।
  • ग्राहकों के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं – इस सुविधा का कोई प्रसंस्करण शुल्क या छिपी हुई लागत नहीं होगी।
  • राशि अधिकतम 14 दिनों तक ब्लॉक रहेगी – प्रीमियम राशि 14 दिनों तक सुरक्षित रूप से रखी जाएगी या जब तक कि बीमा कंपनी अंडरराइटिंग निर्णय नहीं ले लेती। यदि इस अवधि में निर्णय नहीं लिया जाता, तो राशि स्वचालित रूप से रिलीज कर दी जाएगी।
  • अस्वीकृति पर तत्काल रिफंड – यदि बीमा आवेदन अस्वीकृत या वापस ले लिया जाता है, तो ब्लॉक की गई राशि एक कार्य दिवस के भीतर वापस कर दी जाएगी।
  • रियल-टाइम ट्रांजेक्शन अपडेट – पॉलिसीधारकों को प्रत्येक चरण पर तत्काल सूचनाएँ मिलेंगी—राशि ब्लॉक होने, डेबिट होने और रिलीज़ होने की जानकारी।
  • बैंकों के साथ साझेदारी – बीमा कंपनियों को UPI लेन-देन और नियामकीय अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कई बैंकों के साथ साझेदारी करनी होगी।

बीमा उद्योग पर बिमा-ASBA का प्रभाव

बिमा-ASBA की शुरुआत IRDAI की बीमा भुगतान प्रणाली को आधुनिक बनाने की व्यापक पहल का हिस्सा है। UPI के माध्यम से प्रीमियम भुगतान को लागू करके, यह पहल ग्राहक सुरक्षा को बढ़ाने, लेन-देन की विफलताओं को कम करने और बीमा खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का प्रयास करती है।

हालांकि, इसकी सफलता बीमा कंपनियों द्वारा सही कार्यान्वयन और ग्राहकों के बीच जागरूकता पर निर्भर करेगी। IRDAI ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे सभी मैंडेट्स का विस्तृत रिकॉर्ड रखें और उन्हें नियामक समीक्षा के लिए प्रस्तुत करें।

यह कदम IRDAI के अनधिकृत कटौती को रोकने और यह सुनिश्चित करने के पिछले प्रयासों का विस्तार है कि प्रीमियम भुगतान केवल पॉलिसी स्वीकृति के बाद ही एकत्र किए जाएँ। 1 मार्च 2025 की समय सीमा के साथ, बीमा कंपनियों को इस प्रणाली को एकीकृत करना होगा, जबकि पॉलिसीधारकों को यह समझना चाहिए कि बिमा-ASBA कैसे उनके भुगतान अनुभव को आसान बना सकता है।

आरबीआई ने लॉन्च किया ‘आरबीडाटा’ ऐप

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने RBIDATA नामक एक नया मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित वृहद आर्थिक और वित्तीय डेटा तक आसान पहुंच प्रदान करता है। यह ऐप शोधकर्ताओं, छात्रों, नीति-निर्माताओं और आम जनता के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है, जिससे वे 11,000 से अधिक आर्थिक डेटा श्रृंखलाओं का अध्ययन कर सकते हैं।

RBIDATA का मुख्य उद्देश्य उपयोगकर्ताओं के लिए आर्थिक आंकड़ों को सुव्यवस्थित और इंटरैक्टिव तरीके से प्रस्तुत करना है। यह ऐप iOS और Android (संस्करण 12 और उससे ऊपर) के लिए उपलब्ध है और सीधे RBI के Database on Indian Economy (DBIE) से जुड़ा हुआ है, जिससे आर्थिक डेटा तक पहुंच पहले से कहीं अधिक आसान हो गई है।

RBIDATA से आर्थिक डेटा तक पहुंच कैसे आसान हुई?

RBIDATA डाटा पारदर्शिता और पहुंच को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस ऐप में कई विशेषताएँ हैं, जो उपयोगकर्ताओं को आर्थिक जानकारी तक आसान पहुंच और विश्लेषण करने में मदद करती हैं:

  • विस्तृत आर्थिक डेटा संग्रह: उपयोगकर्ता 11,000+ डेटा श्रृंखलाओं का पता लगा सकते हैं, जो विभिन्न आर्थिक पहलुओं को कवर करती हैं।
  • इंटरएक्टिव विज़ुअलाइज़ेशन: ग्राफ़ और चार्ट के माध्यम से समय-श्रृंखला डेटा का विश्लेषण किया जा सकता है, जिससे वित्तीय रुझानों को समझना आसान हो जाता है।
  • त्वरित खोज और रिपोर्ट्स: शक्तिशाली सर्च फीचर के माध्यम से उपयोगकर्ता आवश्यक डेटा खोज सकते हैं, और “लोकप्रिय रिपोर्ट्स” सेक्शन में अक्सर एक्सेस की जाने वाली रिपोर्ट उपलब्ध रहती हैं।
  • बैंकिंग सुविधा लोकेटर: उपयोगकर्ता 20 किमी की सीमा के भीतर बैंक शाखाएँ और वित्तीय सुविधाएँ ढूंढ सकते हैं, जिससे बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच में सुधार होगा।
  • SAARC आर्थिक डेटा: इस ऐप में SAARC देशों के वित्तीय आंकड़े भी उपलब्ध हैं, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक तुलना संभव होगी।

RBIDATA की खासियत क्या है?

RBIDATA की सबसे बड़ी खासियत इसका सरल और उपयोगकर्ता-अनुकूल डिज़ाइन है। उपयोगकर्ताओं को जटिल टेबल्स और दस्तावेज़ों में नहीं भटकना पड़ता, बल्कि वे संरचित प्रारूप में आवश्यक आर्थिक डेटा प्राप्त कर सकते हैं।

प्रत्येक डेटा सेट में निम्नलिखित विवरण होते हैं:

  • जानकारी का स्रोत
  • मापन इकाइयाँ
  • डेटा अपडेट की आवृत्ति
  • अतिरिक्त व्याख्यात्मक नोट्स

इस स्पष्टता के कारण छात्रों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं के लिए वित्तीय रुझानों को बेहतर ढंग से समझना संभव हो जाता है।

RBIDATA से कौन-कौन लाभ उठा सकता है?

RBIDATA छात्रों, अर्थशास्त्रियों, विश्लेषकों और व्यवसायों के लिए एक केंद्रीकृत वित्तीय जानकारी केंद्र के रूप में कार्य करता है। चूँकि यह ऐप सीधे RBI के DBIE पोर्टल से जुड़ा हुआ है, इसलिए उपयोगकर्ताओं को सटीक और अद्यतन डेटा मिलता है।

यह पहल RBI की डिजिटल परिवर्तन रणनीति का हिस्सा है, जो वित्तीय जानकारी के प्रसार को अधिक सुलभ और संरचित बनाने का प्रयास कर रही है। इससे विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों को विश्वसनीय डेटा के आधार पर सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

पहलू विवरण
क्यों चर्चा में? RBI ने RBIDATA नामक मोबाइल ऐप लॉन्च किया, जो वृहद आर्थिक और वित्तीय डेटा तक आसान पहुंच प्रदान करता है।
उद्देश्य शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और आम जनता के लिए 11,000+ डेटा श्रृंखलाओं की जानकारी उपलब्ध कराना।
मुख्य विशेषताएँ इंटरएक्टिव चार्ट, उन्नत खोज सुविधा, बैंकिंग आउटलेट लोकेटर, SAARC वित्तीय डेटा और लोकप्रिय रिपोर्ट्स।
एकीकरण वास्तविक समय के इनसाइट्स के लिए RBI के Database on the Indian Economy (DBIE) से जुड़ा हुआ है।
उपलब्धता iOS और Android (संस्करण 12+) पर मुफ्त में उपलब्ध।
महत्व डेटा पारदर्शिता और वित्तीय विश्लेषण को बढ़ावा देकर बेहतर निर्णय लेने में सहायक।

Recent Posts

about | - Part 371_12.1