अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस, जिसे अरुणाचल प्रदेश राज्य स्थापना दिवस के रूप में भी जाना जाता है, राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिवस हर साल 20 फरवरी को मनाया जाता है और इस दिन 1987 में अरुणाचल प्रदेश को केंद्रशासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। यह राज्य “उगते सूरज की भूमि” के रूप में प्रसिद्ध है, क्योंकि भारत में सबसे पहले सूर्योदय यहीं होता है। पूर्वोत्तर भारत में स्थित यह राज्य भूटान, चीन और म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगा हुआ है, जिससे यह भारत के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है।
अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस 2025 पूरे राज्य में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाएगा। यह कार्यक्रम राज्य की संस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व को सम्मानित करने का अवसर है, साथ ही इस दिन राज्य की प्रगति और विकास की यात्रा को भी याद किया जाता है।
अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस का इतिहास
अरुणाचल प्रदेश के राज्य बनने की यात्रा विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं और प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से हुई:
- 1826: यंदाबू संधि (Treaty of Yandaboo) के तहत यह क्षेत्र पहली एंग्लो-बर्मी युद्ध के बाद ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया।
- 1838: इस क्षेत्र को नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के रूप में औपचारिक रूप से नामित किया गया।
- 1914: शिमला संधि (Shimla Treaty) के तहत तिब्बत और NEFA की सीमा निर्धारित की गई, जिसे चीन, तिब्बत और ब्रिटिश शासकों ने मान्यता दी।
- 1947: भारत की स्वतंत्रता के बाद, NEFA को असम के प्रशासनिक नियंत्रण में रखा गया।
- 1972: NEFA का नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश रखा गया और इसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया।
- 1987: 20 फरवरी 1987 को, 55वें संवैधानिक संशोधन के तहत अरुणाचल प्रदेश को भारत का 24वां राज्य बनाया गया।
अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस का महत्व
यह दिन अरुणाचल प्रदेश के लोगों के लिए गौरव और उपलब्धियों का प्रतीक है। इस अवसर पर राज्य के संघर्ष और उपलब्धियों को याद किया जाता है और यह दिन संस्कृतिक विविधता और समृद्धि का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है।
मुख्य उत्सव गतिविधियां
- राज्य के विकास में योगदान देने वाले नेताओं का सम्मान।
- संस्कृतिक कार्यक्रम और परेड, जिसमें राज्य की विविध परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है।
- सरकारी समारोह और भाषण, जिसमें राज्य की प्रगति और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जाता है।
- सामुदायिक आयोजन और त्यौहार, जो लोगों में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देते हैं।
अरुणाचल प्रदेश के रोचक तथ्य
भौगोलिक और जनसांख्यिक विशेषताएं
- पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा राज्य: अरुणाचल प्रदेश का क्षेत्रफल 83,743 वर्ग किलोमीटर है।
- सबसे कम जनसंख्या घनत्व: यहां प्रति वर्ग किलोमीटर केवल 13 लोग रहते हैं, जो भारत में सबसे कम है।
- भारत का पहला सूर्योदय: अरुणाचल प्रदेश के डोंग गांव में भारत में सबसे पहले सूरज की किरणें पड़ती हैं, इसलिए इसे “डॉन-लिट माउंटेन्स की भूमि” भी कहा जाता है।
पर्यावरण और जैव विविधता
- समृद्ध वन क्षेत्र: अरुणाचल प्रदेश का 82% भाग सदाबहार वनों से ढका हुआ है, जिससे यह भारत के सबसे जैव-विविधता वाले राज्यों में से एक बनता है।
- प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान: नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान और मौलिंग राष्ट्रीय उद्यान यहां स्थित हैं।
सबसे ऊँची चोटी: कांग्टो पर्वत (7,090 मीटर / 23,261 फीट) अरुणाचल प्रदेश की सबसे ऊँची चोटी है।
संस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
- 26 प्रमुख जनजातियाँ: अरुणाचल प्रदेश में 100 से अधिक उप-जनजातियाँ रहती हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट परंपराएँ और रीति-रिवाज हैं।
- तवांग मठ: यह भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बौद्ध मठ है।
अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस 2025 समारोह
इस वर्ष का स्थापना दिवस भव्य उत्सवों, सरकारी आयोजनों और लोक-संस्कृतिक कार्यक्रमों से भरा होगा।
मुख्य आकर्षण
राज्य स्तरीय समारोह:
- राजधानी ईटानगर में आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- राजनीतिक नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों द्वारा राज्य की उपलब्धियों पर भाषण।
- राज्य के विकास में योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया जाएगा।
संस्कृतिक कार्यक्रम:
- विभिन्न जनजातीय समुदायों द्वारा पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत प्रस्तुतियाँ।
- अरुणाचल प्रदेश के इतिहास, शिल्प और परंपराओं को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियाँ।
सार्वजनिक उत्सव एवं त्यौहार:
- सामुदायिक भोज, जिसमें पारंपरिक अरुणाचली व्यंजन परोसे जाएंगे।
- खेलकूद प्रतियोगिताएँ, जो विभिन्न जिलों में आयोजित की जाएंगी।
निष्कर्ष: अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस केवल एक सरकारी आयोजन नहीं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, विकास और एकता का प्रतीक है। यह दिन अरुणाचल प्रदेश के लोगों को अपनी पहचान, परंपरा और भविष्य की संभावनाओं पर गर्व करने का अवसर देता है।