IMF ने डिजिटल भुगतान परिवर्तन के लिए ब्लूप्रिंट के रूप में भारत के UPI मॉडल की सराहना की

भारत की फिनटेक क्रांति को एक बड़ी वैश्विक मान्यता मिली है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली में “परिवर्तनकारी शक्ति” करार देते हुए उसकी सराहना की है। 25 जून 2025 को IMF द्वारा प्रकाशित एक शोधपत्र में यह कहा गया कि भारत में सस्ती मोबाइल डेटा सुविधा, व्यापक बैंकिंग पहुंच, मजबूत डिजिटल पहचान प्रणाली और इंटरऑपरेबिलिटी (आपसी संगतता) जैसे कारकों ने UPI को ऐसा मॉडल बना दिया है जिसे कई देश अपनाना चाहेंगे।

क्यों है यह खबर में?

  • IMF ने एक पेपर जारी किया है:
    शीर्षक: बढ़ते खुदरा डिजिटल भुगतान: अंतर-संचालन का मूल्य
    लेखक: अलेक्जेंडर कोपेस्टेक, दिव्या कीर्ति, मारिया सोलेदाद मार्टिनेज पेरीया

  • इस पेपर में UPI को “वैश्विक मॉडल” बताया गया है और विकासशील देशों को इसे अपनाने की सलाह दी गई है।

IMF रिपोर्ट की प्रमुख बातें

UPI की सफलता के सूत्र

  • इंटरऑपरेबिलिटी (Interoperability): कई ऐप और बैंक एक ही प्लेटफॉर्म पर काम कर सकते हैं।

  • उपयोगकर्ता की स्वतंत्रता: कोई भी ऐप चुनने की सुविधा।

  • प्लेटफॉर्म-निरपेक्ष डिज़ाइन: प्रतियोगिता और नवाचार को बढ़ावा।

  • सरल उपयोग और भरोसा: इसके कारण आम जनता ने इसे तेजी से अपनाया।

UPI की पृष्ठभूमि और विकास

  • शुरुआत: 2016 में NPCI द्वारा लॉन्च किया गया।

  • बढ़ावा: 2016 की नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन की ओर रुझान बढ़ा।

  • 2025 तक: हर महीने 13 अरब से अधिक ट्रांजैक्शन

UPI की सफलता के सहायक कारक

  • दुनिया में सबसे सस्ता मोबाइल डेटा

  • जन धन योजना के माध्यम से बैंकिंग पहुंच का विस्तार।

  • आधार आधारित डिजिटल पहचान से आसान प्रमाणीकरण।

  • RBI और भारत सरकार की नीति समर्थन।

  • बैंक, फिनटेक और NPCI का सहयोगी इकोसिस्टम।

वैश्विक महत्व और सुझाव

IMF ने अन्य देशों को सलाह दी कि यदि वे डिजिटल भुगतान में भारत जैसी सफलता चाहते हैं तो उन्हें चाहिए कि वे:

  • मजबूत डिजिटल पहचान प्रणाली विकसित करें।

  • सस्ती और व्यापक इंटरनेट उपलब्ध कराएं।

  • बैंकिंग सेवाओं को सबके लिए सुलभ बनाएं।

  • इंटरऑपरेबल पेमेंट सिस्टम तैयार करें या उसे नियमन करें।

रिपोर्ट ने यह भी कहा कि भारत का मॉडल सीधे किसी देश में लागू नहीं किया जा सकता, बल्कि उसे स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार ढालना होगा।

एशिया वैश्विक औसत से दोगुनी गति से हो रहा गर्म: WMO Report

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की ताज़ा रिपोर्ट “State of the Climate in Asia 2024”, जो जून 2025 में जारी की गई, ने एशिया में जलवायु परिवर्तन की गंभीर स्थिति को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, एशिया वैश्विक औसत की तुलना में लगभग दोगुनी गति से गर्म हो रहा है, जिससे क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी, हिमनद पिघलना, बाढ़, चक्रवात और सूखा जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। वर्ष 2024 को एशिया का अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित किया गया है।

क्यों है यह खबर में?

  • WMO की रिपोर्ट ने एशिया में रिकॉर्ड-तोड़ तापमान, समुद्र स्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, और विनाशकारी तूफानों व बाढ़ जैसी चरम घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

  • यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं और जनता के लिए एक चेतावनी संकेत (wake-up call) है कि जलवायु परिवर्तन के प्रति तत्काल और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

प्रमुख निष्कर्ष

तापमान और हीटवेव

  • 2015 से 2024 तक के हर वर्ष, एशिया के इतिहास में 10 सबसे गर्म वर्षों में शामिल रहे।

  • जापान में 2024 की गर्मी ने अब तक के उच्चतम औसत तापमान की बराबरी की।

  • भारत में 2024 की गर्मी से 450 से अधिक मौतें दर्ज की गईं।

  • थाईलैंड, म्यांमार, सऊदी अरब और रूस के कुछ हिस्सों में तापमान ने नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े।

समुद्र स्तर में वृद्धि और ग्लेशियर हानि

  • एशिया में समुद्र स्तर में वृद्धि वैश्विक औसत से भी तेज़, जिससे तटीय क्षेत्रों पर खतरा।

  • हिमालय और तियान शान पर्वत श्रृंखलाओं में 24 में से 23 ग्लेशियरों ने अपना द्रव्यमान खोया।

  • नेपाल के कोशी क्षेत्र में ग्लेशियर झील फटने (GLOF) की घटनाएं, 130+ लोग विस्थापित।

घातक मौसम घटनाएं – 2024 में

  • UAE: 1949 के बाद सबसे अधिक 24 घंटे की वर्षा — 259.5 मिमी

  • नेपाल बाढ़ (सितंबर 2024): 246 मौतें, आर्थिक क्षति NPR 12.85 अरब।

  • भारत (केरल): वायनाड जिले में भारी वर्षा से 350 से अधिक मौतें

  • चीन: सूखे से 48 लाख लोग प्रभावित, फसलें नष्ट, आर्थिक नुकसान।

  • भारत में आकाशीय बिजली गिरने से 1,300+ मौतें, 10 जुलाई को अकेले 72 मौतें

  • श्रीलंका बाढ़ (दिसंबर 2024): 4.5 लाख लोग प्रभावित, 5,000+ लोग विस्थापित

चक्रवात

  • 2024 में 4 बड़े चक्रवात बने:

    • रिमाल (बंगाल की खाड़ी): 111 किमी/घंटा की रफ्तार, बांग्लादेश और भारत में 2.5 मीटर तक बाढ़

    • असना (अरब सागर): 1891 के बाद केवल तीसरा चक्रवात इस क्षेत्र में।

    • डाना और फेंगल: फेंगल श्रीलंका को पार कर भारत में टकराया, मौतें और विस्थापन

महत्वपूर्ण संदेश

  • यह रिपोर्ट बताती है कि एशिया, विशेषकर भारत और उसके पड़ोसी देश, जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों के प्रति बेहद संवेदनशील हैं।

  • नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों और नागरिकों को मिलकर जलवायु संकट से निपटने के लिए ठोस योजना बनानी होगी।

NABARD और NIRCA ने मिर्च और हल्दी की खेती करने वाले किसानों हेतु कटाई के बाद की तकनीक पर प्रशिक्षण शुरू किया

कृषि प्रसंस्करण मूल्य शृंखला को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) और भारतीय वाणिज्यिक कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-NIRCA) ने आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और व्यक्तिगत किसानों के लिए एक संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्षेत्र की प्रमुख फसलें—हल्दी और मिर्च—के लिए उत्पादन के बाद प्रबंधन एवं उन्नत प्रसंस्करण तकनीकों पर किसानों को प्रशिक्षित करना है।

क्यों है यह खबर में?

  • 25 जून 2025 को NIRCA के राजमहेंद्रवरम् परिसर में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में इस पहल की घोषणा की गई।

  • कार्यक्रम में NABARD और NIRCA के अधिकारियों ने वैज्ञानिक विधियों से भंडारण और हैंडलिंग के महत्व को रेखांकित किया ताकि नुकसान कम हो, गुणवत्ता बेहतर हो, और हल्दी व मिर्च का बाजार मूल्य बढ़ सके।

प्रशिक्षण के उद्देश्य

  • किसानों को वैज्ञानिक उत्पादन उपरांत विधियों से प्रशिक्षित करना।

  • नमी और सूक्ष्मजीवजनित संक्रमण के कारण होने वाले फसल नुकसान को कम करना।

  • मिर्च और हल्दी की निर्यात क्षमता एवं बाजार मूल्य को बढ़ाना।

  • FPOs को मूल्य संवर्धन तकनीकों में दक्ष बनाना।

प्रमुख घटक

  • प्रशिक्षण मॉड्यूल: सुखाने, छंटाई, भंडारण और पैकेजिंग पर केंद्रित।

  • क्षमता निर्माण: FPO कर्मचारियों और किसानों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण और प्रमाणन पर प्रशिक्षण।

  • प्रौद्योगिकी का प्रचार: जलवाष्पन (dehydration) और संदूषण नियंत्रण के लिए आधुनिक मशीनों का प्रदर्शन।

  • इंटरएक्टिव सत्र: NIRCA निदेशक डॉ. एम. शेषु माधव और NABARD अधिकारियों द्वारा संचालित।

पृष्ठभूमि

  • मिर्च और हल्दी जैसी नमी-संवेदनशील फसलें उत्पादन के बाद सही तरीके से न संभालने पर आसानी से खराब हो जाती हैं।

  • आंध्र प्रदेश भारत में हल्दी और मिर्च का प्रमुख उत्पादक राज्य है और इन फसलों का निर्यात में बड़ा योगदान है।

  • FPOs छोटे किसानों को संगठित करके बाजार में बेहतर सौदे और मूल्य संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

स्थैतिक जानकारी

  • NABARD: भारत का शीर्ष ग्रामीण विकास वित्तीय संस्थान।

  • NIRCA (ICAR): वाणिज्यिक फसलों पर अनुसंधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत विशेष संस्थान।

  • स्थान: NIRCA परिसर, राजमहेंद्रवरम्, आंध्र प्रदेश।

  • तिथि: 25 जून 2025।

महत्त्व और प्रभाव

  • उत्पादन के बाद नुकसान और संदूषण में कमी आएगी।

  • मूल्य शृंखला एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे किसान की आमदनी बढ़ेगी।

  • वैज्ञानिक कृषि और तकनीकी उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।

  • ग्रामीण कृषि व्यापार में FPOs की भूमिका और बाज़ार पहुँच मजबूत होगी।

अडानी और रिलायंस ने ईंधन अवसंरचना साझा करने के लिए समझौता किया

भारत के ईंधन खुदरा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत, अडाणी टोटल गैस लिमिटेड (ATGL) और रिलायंस बीपी मोबिलिटी लिमिटेड (जियो-बीपी) ने एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। इस समझौते के तहत दोनों कंपनियां एक-दूसरे के ईंधन उत्पादों को चुनिंदा आउटलेट्स पर वितरित करेंगी। यह सहयोग निजी क्षेत्र के दो दिग्गजों के बीच हुआ है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के प्रभुत्व वाले बाजार में अपने पदचिह्न को मजबूत करना है।

क्यों है यह खबर में?

  • 25 जून 2025 को यह साझेदारी सार्वजनिक की गई।

  • यह अडाणी समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के बीच कुछ महीनों के भीतर हुआ दूसरा बड़ा करार है।

  • साझेदारी से ईंधन खुदरा बाजार में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी और उपभोक्ता सेवा में सुधार होगा।

साझेदारी के प्रमुख बिंदु

म्यूचुअल फ्यूल डिस्पेंसिंग (आपसी ईंधन वितरण):

  • ATGL के स्टेशनों पर अब जियो-बीपी का पेट्रोल और डीज़ल मिलेगा।

  • चुनिंदा जियो-बीपी स्टेशनों पर ATGL की CNG यूनिट लगाई जाएगी।

भौगोलिक कवरेज:

  • केवल उन क्षेत्रों (GAs) में लागू जहां दोनों कंपनियों को अधिकृत किया गया है।

लक्ष्य:

  • एक-दूसरे की अवसंरचना (infrastructure) का लाभ उठाना और उपभोक्ताओं के लिए अनुभव बेहतर बनाना।

कंपनियों के बारे में

अडानी टोटल गैस लिमिटेड (ATGL):

  • अडाणी ग्रुप और फ्रांस की TotalEnergies की संयुक्त कंपनी।

  • 650+ CNG स्टेशन संचालित करती है।

  • CBG, EV चार्जिंग और LNG जैसी सेवाएं भी प्रदान करती है।

जियो-बीपी:

  • रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और ब्रिटेन की bp की संयुक्त कंपनी।

  • भारत में लगभग 2,000 फ्यूल स्टेशन संचालित करती है।

  • ईंधन रिटेल, लो-कार्बन ईंधन और आधुनिक रिटेल सुविधाओं पर फोकस।

महत्त्वपूर्ण प्रभाव

  • उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प और बेहतर सुविधा मिलेगी।

  • निजी कंपनियां अब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (HPCL, BPCL, IOC) के 90% बाजार हिस्से को चुनौती दे सकेंगी।

  • नेटवर्क दोहराव (duplication) से बचते हुए अवसंरचना का बेहतर उपयोग होगा।

हाल की पृष्ठभूमि

  • मार्च 2025 में रिलायंस ने महान एनर्जन लिमिटेड (Adani Power की सहायक कंपनी) में 26% हिस्सेदारी खरीदी थी।

  • यह करार भारत की ऊर्जा प्रणाली में कॉरपोरेट सहयोग के बढ़ते रुझान को दर्शाता है।

यह साझेदारी भारत में ऊर्जा और ईंधन क्षेत्र में एक नई प्रतिस्पर्धात्मकता और संवेदनशील साझेदारी का प्रतीक है, जिससे अंततः उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्राप्त होंगी और निजी कंपनियों की भूमिका और सशक्त होगी।

Rinku Singh को योगी सरकार का बड़ा तोहफा, मिल रही है बेसिक शिक्षा विभाग में अफसर की ज़िम्मेदारी

क्रिकेट मैदान से जनसेवा तक एक अद्भुत बदलाव में, भारतीय क्रिकेटर रिंकू सिंह को उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) के रूप में नियुक्त किया जा रहा है। यह नियुक्ति “अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता डायरेक्ट भर्ती नियमावली 2022” के तहत की जा रही है, जो उन खिलाड़ियों को सम्मान देती है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब रिंकू सिंह और समाजवादी पार्टी की सांसद प्रिया सरोज की आगामी शादी, उनके नवंबर 2025 के क्रिकेट कार्यक्रमों के कारण स्थगित कर दी गई है।

क्यों है यह खबर में?

  • रिंकू सिंह को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग में अधिकारी बनाया जा रहा है।

  • यह नियुक्ति 2022 की डायरेक्ट भर्ती नियमावली के अंतर्गत की गई है, जो अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं को सरकारी नौकरी प्रदान करती है।

  • साथ ही, प्रिया सरोज से उनकी शादी क्रिकेट शेड्यूल के कारण टाल दी गई है।

नियुक्ति से जुड़ी जानकारी

  • योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन्हें जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

  • विभागीय स्तर पर आवश्यक औपचारिकताएं और दस्तावेज़ीकरण प्रारंभ हो चुका है।

  • यह कदम उन खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए है जिन्होंने खेलों में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरव दिलाया है।

अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता डायरेक्ट भर्ती नियमावली 2022

  • यह नीति अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं को प्रथम और द्वितीय श्रेणी की सरकारी सेवाओं में सीधी नियुक्ति की अनुमति देती है।

  • उद्देश्य: खेलों में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना और खिलाड़ियों को सुरक्षित सरकारी करियर देना।

  • रिंकू की नियुक्ति उनके क्रिकेट में दिए गए असाधारण योगदान का सम्मान है।

रिंकू सिंह के बारे में

  • जन्म: अलीगढ़, उत्तर प्रदेश

  • प्रसिद्धि: कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के लिए IPL में प्रदर्शन और भारतीय T20 टीम में योगदान

  • खास उपलब्धि: IPL में लगातार पाँच छक्के जड़कर चर्चा में आए

  • छोटे शहरों से उभरते नए खेल सितारों की पीढ़ी का प्रतीक हैं रिंकू

Ambubachi Mela 2025: कामाख्या मंदिर में अम्बुबाची मेला शुरू

असम के कामाख्या मंदिर में आयोजित होने वाला वार्षिक आध्यात्मिक उत्सव अम्बुबाची मेला देवी कामाख्या के मासिक धर्म चक्र का प्रतीक है। जून में चार दिनों तक मनाया जाने वाला यह मेला देवी के मासिक धर्म से गुजरने के संकेत के रूप में मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं, जो प्रजनन और नारीत्व का प्रतीक है। इस त्यौहार में लाखों श्रद्धालु आते हैं और इसे न केवल एक धार्मिक आयोजन के रूप में देखा जाता है, बल्कि मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने और समाज में इससे जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में भी देखा जाता है।

समाचार में क्यों?

कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी (असम) में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला अम्बुबाची मेला इस वर्ष 22 से 25 जून 2025 तक मनाया गया। चार दिन के प्रतीकात्मक “ऋतुकाल” के बाद 26 जून की सुबह 6 बजे मंदिर के द्वार फिर से भक्तों के लिए खोले गए।
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी इस अवसर पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएँ दीं और इसे एक आध्यात्मिक व सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्व बताया।

अम्बुबाची मेला क्या है?

  • यह मेला गर्मियों में जून माह में होता है।

  • यह देवी कामाख्या के मासिक धर्म (menstrual cycle) के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है।

  • चार दिनों तक मंदिर के द्वार बंद रहते हैं क्योंकि माना जाता है कि देवी “ऋतुकाल” (menstruation) में होती हैं और उन्हें विश्राम की आवश्यकता होती है।

  • इसे “पूर्व का महाकुंभ” भी कहा जाता है।

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

  • यह उत्सव स्त्रीत्व और प्रजनन क्षमता का उत्सव है।

  • असम में मासिक धर्म को लेकर सामाजिक वर्जनाएँ अपेक्षाकृत कम हैं, जिसका श्रेय इस पर्व जैसी मान्यताओं को जाता है।

  • यह पर्व “तुलोनी बिया” (किशोरियों के पहले मासिक धर्म पर होने वाला पारंपरिक आयोजन) से भी जुड़ा हुआ है।

  • यह महिला शरीर की जैविक प्रक्रियाओं को सम्मान देने का प्रतीक बन गया है।

सरकारी व्यवस्था:

  • असम सरकार द्वारा मेले के दौरान सुरक्षा, स्वास्थ्य, सफाई और आवास की विस्तृत व्यवस्था की जाती है।

  • मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस पर्व को भारतीय सभ्यता की आध्यात्मिक शक्ति से जोड़ते हुए राष्ट्र की भलाई के लिए प्रार्थना की।

कामाख्या मंदिर का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व:

  • नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित, यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी की ओर देखता है।

  • यह 51 शक्तिपीठों में से एक है — जहां देवी सती का योनि अंग गिरा था।

  • माना जाता है कि इस स्थान पर कोई मूर्ति नहीं, बल्कि एक चट्टान के नीचे प्राकृतिक झरने से बहता जल ही पूजा का केंद्र है।

  • वर्तमान मंदिर का निर्माण 1565 में कोच राजा नरनारायण ने कराया था।

  • इससे जुड़ी नरकासुर राक्षस और कोच राजवंश पर लगे श्राप की कथाएं इसे और रहस्यमय बनाती हैं।

निष्कर्ष:

अम्बुबाची मेला एक ऐसा पर्व है जो धर्म, संस्कृति और सामाजिक विमर्श को जोड़ता है। यह न सिर्फ आध्यात्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि मासिक धर्म जैसे मुद्दों पर जागरूकता और स्वीकृति बढ़ाने का भी मंच बन चुका है। देवी कामाख्या की यह अनोखी आराधना भारतीय संस्कृति में स्त्री ऊर्जा और प्राकृतिक चक्रों का सम्मान करने की मिसाल है।

केरल के अरलम वन में भारत का पहला तितली अभयारण्य का उद्घाटन किया गया

जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केरल अब भारत के पहले तितली अभयारण्य का घर बन गया है। कन्नूर जिले में स्थित अरलम वन्यजीव अभयारण्य का नाम बदलकर अब “अरलम तितली अभयारण्य” रख दिया गया है। यह देश में अपनी तरह की पहली पहल है, जो पश्चिमी घाट की हरियाली में फैले 55 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और यहां 266 से अधिक तितली प्रजातियों को संरक्षित किया गया है, जिनमें कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी शामिल हैं।

क्यों है यह खबर में?

18 जून 2025 को, केरल राज्य वन्यजीव बोर्ड ने अरलम अभयारण्य को आधिकारिक रूप से भारत का पहला तितली अभयारण्य घोषित किया। यह घोषणा 25 वर्षों के संरक्षण प्रयासों, सर्वेक्षणों और पर्यावरणविदों व शोधकर्ताओं के सतत प्रयासों का परिणाम है।

उद्देश्य एवं लक्ष्य

  • तितलियों के लिए एक सुरक्षित आवास और प्रवास गलियारों की रक्षा करना

  • तितली संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाना

  • ईको-पर्यटन और वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, जिससे स्थानीय समुदायों और वैज्ञानिकों को लाभ हो

संक्षिप्त विवरण

  • स्थान: कन्नूर जिला, केरल

  • क्षेत्रफल: 55 वर्ग किलोमीटर

  • पर्यावरण प्रकार: उष्णकटिबंधीय और अर्ध-सदाबहार वन

  • तितली प्रजातियाँ: 266 से अधिक (केरल की तितली विविधता का 80%+)

  • दुर्लभ प्रजातियाँ: कॉमन अल्बाट्रॉस, डैनाइन स्पीशीज़, स्थानिक (एंडेमिक) तितलियाँ

  • प्रवास काल: दिसंबर से फरवरी के बीच तितलियों का चरम प्रवासन

पृष्ठभूमि और अनुसंधान

  • स्थापना: 1984

  • मालाबार नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सहयोग से 20+ वर्षों से वार्षिक तितली सर्वेक्षण होते आ रहे हैं

  • बटरफ्लाई माइग्रेशन स्टडी (जनवरी–फरवरी में आयोजित) एक प्रमुख अनुसंधान और पर्यटन आकर्षण है

संरक्षण का महत्त्व

  • दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों की रक्षा

  • वैज्ञानिक खोजों को बढ़ावा – आज भी नई प्रजातियाँ खोजी जा रही हैं

  • परागणकर्ता के रूप में तितलियाँ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम

  • आधिकारिक दर्जा मिलने से वित्तीय सहायता और संरक्षण नीति में मजबूती मिलेगी

इफको ने ब्राजील में पहला विदेशी नैनो उर्वरक संयंत्र स्थापित किया

भारत के कृषि नवाचार को वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भारतीय किसान उर्वरक सहकारी संस्था (IFFCO) ने ब्राज़ील में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय नैनो उर्वरक निर्माण संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की है। यह रणनीतिक पहल ब्राज़ील की कंपनी NANOFERT के साथ साझेदारी में की गई है, जिसका उद्देश्य टिकाऊ और कुशल फसल पोषण समाधानों की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करना है।

क्यों है यह ख़बर में?

इस पहल के माध्यम से भारत की प्रतिष्ठित सहकारी संस्था IFFCO वैश्विक स्तर पर नैनो उर्वरकों के उत्पादन में कदम रख रही है। यह उर्वरक परंपरागत रासायनिक उर्वरकों की तुलना में अधिक कुशल है और पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम करता है। इस संयंत्र से मक्का, सोयाबीन और गन्ने जैसी प्रमुख फसलों की उपज बढ़ने की उम्मीद है।

प्रमुख तथ्य

  • स्थान: कुरिचिबा, पराना प्रांत, ब्राज़ील

  • संयुक्त उद्यम अनुपात: IFFCO Nanoventions (भारत) और NANOFERT (ब्राज़ील) – 7:3

  • वार्षिक उत्पादन क्षमता: 45 लाख लीटर नैनो उर्वरक

  • उत्पादन आरंभ: 2025 के अंत तक परीक्षण उत्पादन की संभावना

  • लाभ: रासायनिक उर्वरकों का उपयोग घटेगा, पैदावार बढ़ेगी

पृष्ठभूमि

  • IFFCO ने 2021 में भारत में नैनो यूरिया की शुरुआत की थी।

  • अब तक 40+ देशों में 5 लाख से अधिक बोतलें निर्यात की जा चुकी हैं।

  • प्रमुख उत्पाद:

    • नैनो यूरिया: ₹240 प्रति 500 मि.ली. बोतल

    • नैनो DAP: ₹600 प्रति 500 मि.ली. बोतल

ब्राज़ील के लिए महत्त्व

  • ब्राज़ील कृषि उत्पादन में वैश्विक अगुआ देश है।

  • फील्ड ट्रायल परिणाम:

    • मक्का और सोयाबीन में 10% पैदावार वृद्धि

    • गन्ने में 7% वृद्धि

    • 20% से अधिक रासायनिक यूरिया और DAP की बचत

रणनीतिक महत्त्व

  • निर्यात लागत घटेगी, स्थानीय किसानों को लाभ

  • भारत-ब्राज़ील कृषि तकनीक सहयोग को बढ़ावा

  • भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को सशक्त करेगा टिकाऊ कृषि क्षेत्र में

भविष्य की योजनाएँ

  • IFFCO जल्द ही नैनो जिंक और नैनो कॉपर लिक्विड वैरिएंट भी लॉन्च करेगा

  • अब तक ₹4,200 करोड़ का निवेश नैनो उर्वरकों के अनुसंधान और उत्पादन में किया जा चुका है

  • घरेलू स्तर पर धीमी अपनाने की दर के बावजूद, वैश्विक मांग तेज़ी से बढ़ रही है

यह कदम भारतीय कृषि उत्पादों और तकनीकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा और किसानों के लिए अधिक टिकाऊ व लाभकारी विकल्प प्रस्तुत करेगा।

टाटा ग्रुप बना देश का सबसे वैल्यूएबल ब्रांड

ब्रांड फाइनेंस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की टॉप 100 कंपनियों का संयुक्त ब्रांड वैल्यू 236.5 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई है। यह रैंकिंग टेक्नोलॉजी, फाइनेंस, इन्फ्रास्ट्रक्चर और हॉस्पिटैलिटी समेत विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख भारतीय ब्रांडों के ग्रोथ को दर्शा रही है।

ब्रांड फाइनेंस इंडिया 100 रिपोर्ट 2025 के अनुसार, टाटा समूह ने $30 अरब का आंकड़ा पार कर $31.6 अरब की ब्रांड वैल्यू के साथ नया इतिहास रच दिया है। यह उपलब्धि समूह की वर्ष दर वर्ष 10% की वृद्धि को दर्शाती है और वैश्विक स्तर पर भारतीय ब्रांडों के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करती है। इन्फोसिस और एचडीएफसी जैसे ब्रांड भी शीर्ष स्थानों पर हैं, वहीं अडानी ग्रुप, बिड़ला ओपस और जोमैटो जैसे नए प्रवेशकर्ता भारत की आर्थिक ताकत को दर्शाते हैं।

क्यों है चर्चा में?

25 जून 2025 को जारी ब्रांड फाइनेंस इंडिया 100 रैंकिंग के अनुसार, टाटा समूह $30 अरब की ब्रांड वैल्यू पार करने वाला भारत का पहला ब्रांड बन गया है।

ब्रांड फाइनेंस इंडिया 100 (2025) – मुख्य बिंदु

टाटा समूह

  • ब्रांड वैल्यू: $31.6 अरब

  • स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) मूल्य: $4.3 अरब (भारतीय ब्रांडों में सर्वाधिक)

भारत के टॉप 5 सबसे मूल्यवान ब्रांड

  1. टाटा समूह – $31.6 अरब

  2. इन्फोसिस – $16.3 अरब (15% वृद्धि)

  3. एचडीएफसी समूह – $14.2 अरब (37% वृद्धि – विलय के बाद)

  4. LIC

  5. एयरटेल

सबसे तेज़ी से बढ़ता ब्रांड

  • अडानी ग्रुप – 82% ब्रांड वैल्यू में उछाल (इन्फ्रास्ट्रक्चर व ऊर्जा क्षेत्रों में विस्तार के कारण)

सबसे मजबूत ब्रांड (ब्रांड स्ट्रेंथ इंडेक्स – BSI पर आधारित)

  • ताज होटल्स – BSI: 92.2/100, AAA+ (लगातार चौथे वर्ष शीर्ष पर)

  • एशियन पेंट्स – BSI: 92/100 (दुनिया का सबसे मजबूत पेंट ब्रांड)

  • अमूल – BSI: 91.2/100

नए प्रवेशकर्ता

  • जोमैटो – ब्रांड वैल्यू: $1 अरब, स्थान: 39

  • बिड़ला ओपस – सजावटी पेंट क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव

  • बिड़लासॉफ्ट – $164 मिलियन, आईटी सेवा क्षेत्र में नया नाम

उल्लेखनीय उभरते ब्रांड

  • HMEL – ब्रांड वैल्यू: $656 मिलियन, 7 स्थानों की छलांग

  • ज़ेटवर्क – भारत के ESDM क्षेत्र की अग्रणी भूमिका को दर्शाता

बड़ी तस्वीर: वैश्विक प्रभाव

  • भारत के शीर्ष 100 ब्रांडों की कुल वैल्यू: $236.5 अरब

  • वैश्विक कॉर्पोरेट परिदृश्य में भारत की बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है।

क्षेत्रीय प्रभुत्व

  • आईटी और टेक्नोलॉजी: इन्फोसिस अग्रणी, परसिस्टेंट सिस्टम्स 33% वृद्धि के साथ

  • वित्तीय सेवाएं: एचडीएफसी ने संरचनात्मक मजबूती के चलते तेज़ उछाल दिखाया

  • हॉस्पिटैलिटी व एफएमसीजी: ताज व अमूल सेवा की गुणवत्ता में अग्रणी

सस्टेनेबिलिटी और ब्रांड वैल्यू

  • इन्फोसिस को सबसे अधिक सकारात्मक सस्टेनेबिलिटी गैप ($115 मिलियन) के लिए सराहा गया – जो भविष्य में ब्रांड वैल्यू वृद्धि का संकेत देता है।

एनपीसीआई का अधिशेष वित्त वर्ष 2024-25 में ₹1,500 करोड़ के पार, राजस्व ₹3,270 करोड़ तक पहुँचा

भारत के डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम की रीढ़ मानी जाने वाली नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने वित्त वर्ष 2024-25 में 42% की उल्लेखनीय वृद्धि के साथ ₹1,552 करोड़ का स्टैंडअलोन शुद्ध लाभ (जिसे ‘सरप्लस’ कहा जाता है) दर्ज किया है। ICRA द्वारा जारी अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, इसी अवधि में एनपीसीआई की राजस्व आय 19% बढ़कर ₹3,270 करोड़ तक पहुँच गई। यह वृद्धि देश में यूपीआई, आईएमपीएस और रूपे जैसे प्रमुख पेमेंट प्लेटफॉर्म्स के प्रभावी प्रबंधन और डिजिटल लेनदेन की तेज़ी से बढ़ती मांग को दर्शाती है, जिससे एनपीसीआई की केंद्रीय भूमिका और मजबूत हुई है।

क्यों है यह ख़बर में?

एनपीसीआई (NPCI) के वित्त वर्ष 2024-25 के वित्तीय नतीजों में उल्लेखनीय लाभ और राजस्व वृद्धि दर्ज की गई है।
सरप्लस ₹1,552 करोड़ तक पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 42% की बढ़ोतरी दर्शाता है।
राजस्व ₹3,270 करोड़ को पार कर गया, जो देश में यूपीआई लेनदेन की बढ़ती मात्रा को दर्शाता है।

ये आँकड़े ऐसे समय सामने आए हैं जब यूपीआई इकोसिस्टम पर टिकाऊपन (sustainability), बार-बार होने वाली तकनीकी समस्याओं (outages), और फिनटेक कंपनियों द्वारा एमडीआर (MDR) की मांग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

पृष्ठभूमि और संरचना
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा की गई थी।
यह एक गैर-लाभकारी संस्था (not-for-profit organisation) के रूप में पंजीकृत है और अपने वित्तीय विवरणों में “लाभ” को “सरप्लस” कहा जाता है।
भारत के प्रमुख बैंकों के संघ के स्वामित्व में है।
NPCI भारत में डिजिटल भुगतान के लिए केंद्रीय बुनियादी ढांचा प्रदान करता है।

मुख्य कार्य
NPCI निम्नलिखित प्रमुख भुगतान प्लेटफॉर्म का संचालन करता है:

  • UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस)

  • IMPS (इमीडिएट पेमेंट सर्विस)

  • AePS (आधार सक्षम भुगतान प्रणाली)

  • NACH (नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस)

  • RuPay कार्ड नेटवर्क

इसके अतिरिक्त, NPCI दो प्रमुख सहायक कंपनियों का प्रबंधन करता है:

  • NIPL (NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड) – वैश्विक स्तर पर NPCI प्लेटफॉर्म का विस्तार

  • NBBL (NPCI भारत बिलपे लिमिटेड) – डिजिटल बिल भुगतान का एग्रीगेटर

वित्तीय वर्ष 2024–25 की प्रमुख बातें (ICRA के अनुसार अनंतिम आंकड़े)

  • स्टैंडअलोन नेट सरप्लस: ₹1,552 करोड़ (FY24 में ₹1,095 करोड़) → 42% की वृद्धि

  • राजस्व: ₹3,270 करोड़ (FY24 में ₹2,749 करोड़) → 19% की वृद्धि

  • अंतिम ऑडिटेड आंकड़े CAG द्वारा बाद में जारी किए जाएंगे।

UPI इकोसिस्टम और प्रदर्शन

  • भारत के कुल डिजिटल लेनदेन का 85% से अधिक हिस्सा UPI के माध्यम से होता है।

  • प्रतिदिन के लेनदेन: 600–650 मिलियन

  • मई 2025: 18+ अरब लेनदेन, कुल मूल्य ₹25 लाख करोड़

  • UPI अब वैश्विक स्तर पर Visa को दैनिक लेनदेन में पीछे छोड़ने के करीब है।

चुनौतियाँ और विवाद

  • फिनटेक कंपनियाँ UPI लेनदेन के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) की मांग कर रही हैं ताकि मॉडल टिकाऊ बन सके।

  • सरकार ने ‘शून्य MDR’ नीति को बनाए रखा है ताकि डिजिटल भुगतान को अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके।

  • हाल के महीनों में UPI आउटेज की कई घटनाएँ हुईं, जिससे उपयोगकर्ताओं में असंतोष देखा गया।

RuPay की प्रगति

  • डेबिट कार्ड बाजार में 80% से अधिक हिस्सेदारी RuPay की है।

  • अब RuPay क्रेडिट कार्ड को भी UPI से जोड़ा जा सकता है, जिससे इसका उपयोग Visa और Mastercard की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है।

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