केंद्र ने कृषि वानिकी विनियमन को आसान बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु आदर्श नियमों का अनावरण किया

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने 29 जून 2025 को “कृषि भूमि में पेड़ों की कटाई के लिए मॉडल नियम” जारी किए। यह पहल सतत कृषि, आजीविका संवर्धन, और आग्रोफॉरेस्ट्री (Agroforestry) को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही मंत्रालय ने आगामी नेशनल टिंबर मैनेजमेंट सिस्टम (NTMS) पोर्टल की भी घोषणा की, जो वृक्ष कटाई की मंजूरी प्रक्रिया को डिजिटली सरल बनाएगा।

समाचार में क्यों?

  • 29 जून 2025 को MoEFCC ने कृषि भूमि में पेड़ों की कटाई के लिए मॉडल नियम जारी किए।

  • इसका उद्देश्य राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को आग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देने और प्रक्रिया सरल बनाने में मदद करना है।

  • साथ ही NTMS पोर्टल के माध्यम से डिजिटल पंजीकरण व अनुमति प्रणाली की शुरुआत की जाएगी।

उद्देश्य

  • आग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देना और खेती में पेड़ों के समावेश को सुविधाजनक बनाना।

  • किसानों की आय बढ़ाने के लिए पेड़ आधारित खेती को व्यावसायिक रूप से लाभकारी बनाना।

  • पारिस्थितिक संतुलन के साथ आर्थिक विकास सुनिश्चित करना।

  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए पारदर्शिता और ट्रेसबिलिटी (traceability) को बढ़ाना।

पृष्ठभूमि और आवश्यकता

  • आग्रोफॉरेस्ट्री से मिट्टी की उर्वरता, जल संरक्षण, जैव विविधता और जलवायु सहनशीलता में सुधार होता है।

  • परंतु, किसानों को पेड़ लगाने के बाद कटाई की अनुमति लेने में अत्यधिक नौकरशाही का सामना करना पड़ता था।

  • इससे किसान हतोत्साहित होते थे और खेती में पेड़ लगाने से बचते थे।

मॉडल नियमों की मुख्य विशेषताएं

  • राज्य स्तर पर समितियों का गठन (2016 की वुड-बेस्ड इंडस्ट्रीज गाइडलाइंस के तहत)।

  • NTMS पोर्टल पर अनिवार्य पंजीकरण, जिसमें सम्मिलित हैं:

    • भूमि स्वामित्व का प्रमाण

    • खेत की लोकेशन (KML फाइल्स)

    • लगाए गए वृक्षों की प्रजातियां व विवरण

    • जियो-टैग्ड फोटोज

  • ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया द्वारा कटाई की अनुमति के लिए आवेदन।

  • प्रमाणित सत्यापन एजेंसियों द्वारा भौतिक निरीक्षण।

  • वन विभाग के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) इन एजेंसियों की निगरानी करेंगे।

महत्त्व और प्रभाव

  • घरेलू टिंबर (लकड़ी) उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा; आयात पर निर्भरता घटेगी।

  • वुड-बेस्ड इंडस्ट्रीज को स्थायी और ट्रेसेबल कच्चा माल उपलब्ध होगा।

  • निर्यात के नए अवसर खुलेंगे।

  • भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को समर्थन मिलेगा (पेड़ आवरण वृद्धि के माध्यम से)।

  • किसानों को उनकी ज़मीन का टिकाऊ आर्थिक उपयोग करने का अवसर मिलेगा।

National Doctor Day 2025: जानें क्यों मनाया जाता है नेशनल डॉक्टर्स डे?

हर साल भारत में 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे (National Doctor’s Day) मनाया जाता है। नेशनल डॉक्टर्स डे देश के उन सभी डॉक्टरों के लिए एक सम्मान के तौर पर मनाया जाता है, जो मानव जीवन को बचाने, रोगों से लड़ने और स्वस्थ समाज के निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं। भारत जैसे विविधताओं वाले देश में डॉक्टरों की भूमिका सिर्फ एक मरीज के इलाज तक सीमित नहीं है। बल्कि डॉक्टर समाज में जागरूकता लाने और पुरानी कुरीतियों को तोड़कर नया नजरिया देने का भी काम करते हैं।

यह दिन डॉ. बिधान चंद्र रॉय की स्मृति में 1991 में भारत सरकार द्वारा आरंभ किया गया था। डॉ. रॉय न केवल एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे, बल्कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में भी देश सेवा में अग्रणी रहे।

इतिहास और पृष्ठभूमि

  • डॉ. बी.सी. रॉय का जन्म 1 जुलाई को हुआ था और उन्हीं की पुण्यतिथि भी यही दिन है।

  • वे भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) और भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) के संस्थापक थे।

  • उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

  • उनका जीवन चिकित्सा नैतिकता, सेवा और नेतृत्व का प्रतीक था।

2025 की थीम: “Behind the Mask: Who Heals the Healers?”

  • इस वर्ष की थीम स्वास्थ्यकर्मियों की मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक भलाई पर केंद्रित है।

  • यह संदेश देती है कि डॉक्टर भी इंसान हैं—वे तनाव, थकावट और भावनात्मक दबाव से गुजरते हैं।

  • थीम का उद्देश्य है चिकित्सकों के लिए परामर्श, मानसिक स्वास्थ्य संसाधन और कार्य-जीवन संतुलन जैसी सहयोगी व्यवस्थाओं को बढ़ावा देना।

महत्त्व और उद्देश्य

  • यह दिन डॉक्टरों के निःस्वार्थ समर्पण, दैनिक चुनौतियों, और आपातकालीन स्थितियों में उनकी सतत सेवा को सम्मानित करता है।

  • साथ ही, यह समाज और नीति निर्माताओं को स्वास्थ्यकर्मियों के सुरक्षा, सम्मान, और संपर्क साधनों के बारे में जागरूक करता है।

डॉ. बी.सी. रॉय की विरासत

  • आधुनिक भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव रखने में उनकी भूमिका ऐतिहासिक है।

  • उन्होंने चिकित्सा शिक्षा, अस्पतालों और सार्वजनिक स्वास्थ्य संरचना को मजबूत किया।

  • उनका जीवन भावी पीढ़ी के डॉक्टरों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।

डॉक्टर्स डे कैसे मनाएं?

  • धन्यवाद पत्र या हस्तलिखित संदेश भेजें।

  • सोशल मीडिया पर #DoctorsDay या #NationalDoctorsDay के साथ प्रशंसा साझा करें।

  • स्थानीय अस्पतालों के साथ मिलकर ऑनलाइन स्वास्थ्य सेमिनार आयोजित करें।

  • डॉक्टरों के लिए भोजन, देखभाल पैकेज या सहायता उपलब्ध कराएं।

  • अपने पारिवारिक डॉक्टर से मिलें या फोन करके आभार व्यक्त करें।

यह दिन क्यों महत्वपूर्ण है?

  • यह सिर्फ औपचारिक धन्यवाद नहीं है—बल्कि डॉक्टरों की भूमिका, उनके अधिकारों, और स्वस्थ स्वास्थ्य तंत्र की आवश्यकता को समझने का अवसर है।

  • यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने स्वास्थ्य रक्षकों के लिए भी एक सुरक्षित, सहयोगी और सम्मानजनक वातावरण सुनिश्चित करें।

वॉरेन बफेट 2025 में पांच परोपकारी संस्थाओं को 6 बिलियन डॉलर दान करेंगे

प्रसिद्ध निवेशक और अरबपति परोपकारी वॉरेन बफेट, जो बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ हैं, ने 27 जून 2025 को कंपनी के स्टॉक्स के रूप में पाँच परोपकारी संस्थाओं को 6 अरब डॉलर का बड़ा दान देने की घोषणा की। यह उनका अब तक का सबसे बड़ा परोपकारी कदमों में से एक है, जिससे 2006 से अब तक उनके कुल दान की राशि लगभग 60 अरब डॉलर तक पहुँच गई है। इस बार का अधिकांश दान बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ट्रस्ट को मिलेगा, साथ ही उनके परिवार से जुड़ी अन्य प्रमुख संस्थाओं को भी लाभ होगा। बफेट की यह उदारता समाज में संपत्ति के पुनर्वितरण और परोपकार के प्रति उनकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

समाचार में क्यों?

वॉरेन बफेट ने 27 जून 2025 को घोषणा की कि वे Berkshire Hathaway की क्लास B शेयर्स के रूप में $6 बिलियन (लगभग ₹50,000 करोड़) का दान पांच प्रमुख फाउंडेशनों को करेंगे। इस उदार योगदान से 2006 से अब तक उनके कुल दान की राशि लगभग $60 बिलियन हो गई है। इस घोषणा ने वैश्विक स्तर पर धन के पुनर्वितरण, उत्तराधिकार में परोपकार और अरबपतियों की सामाजिक जिम्मेदारी पर बहस को फिर से प्रासंगिक बना दिया है।

दान से संबंधित प्रमुख तथ्य

  • कुल दान: 12.4 मिलियन क्लास B शेयर (प्रति शेयर मूल्य: $485.68)

  • दान की कुल राशि: लगभग $6 अरब

  • शेयर ट्रांसफर की तारीख: 30 जून 2025

जिन संस्थानों को दान मिला:

फाउंडेशन का नाम प्राप्त शेयरों की संख्या
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ट्रस्ट 94 लाख शेयर
सुसान थॉम्पसन बफेट फाउंडेशन 9.43 लाख शेयर
शेरवुड फाउंडेशन 6.60 लाख शेयर
हॉवर्ड जी. बफेट फाउंडेशन 6.60 लाख शेयर
नोवो फाउंडेशन 6.60 लाख शेयर
  • वैश्विक स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना

  • बफेट की प्रतिज्ञा को आगे बढ़ाना कि वे अपनी संपत्ति का 99.5% दान में देंगे

  • उनके बच्चों को भविष्य में शेष संपत्ति को सार्वजनिक भलाई हेतु संचालित करने की जिम्मेदारी देना

पृष्ठभूमि और दर्शन

  • वॉरेन बफेट ने 2006 में अपनी संपत्ति दान करने की शुरुआत की थी।

  • वे 2021 में गेट्स फाउंडेशन के ट्रस्टी पद से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन अब भी नियमित दानदाता हैं।

  • उनका परोपकार “सरल निर्णय, दीर्घकालिक निवेश और चक्रवृद्धि प्रभाव” के सिद्धांत पर आधारित है।

महत्त्व

  • यह दान विश्व में सबसे बड़े व्यक्तिगत दान में से एक है।

  • यह अरबपतियों के लिए सामाजिक उत्तरदायित्व की एक मिसाल कायम करता है।

  • बफेट की यह पहल परोपकार को उत्तराधिकार की संस्कृति का हिस्सा बनाती है।

सरकार ने लॉन्च किया GOI Stats ऐप

सांख्यिकी दिवस 2025 के अवसर पर सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने अपनी इकाई राष्ट्रीय सैंपल सर्वे कार्यालय (NSO) के माध्यम से GoIStats मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया। यह नवाचारपूर्ण ऐप नागरिकों को कहीं भी, कभी भी वास्तविक समय में आधिकारिक सरकारी आंकड़ों तक आसान पहुंच प्रदान करता है। यह पहल डेटा पारदर्शिता, नागरिक सशक्तिकरण और डिजिटल समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। GoIStats ऐप इंटरएक्टिव डैशबोर्ड, विजुअल स्टोरीटेलिंग और यूज़र-फ्रेंडली डिज़ाइन को एकीकृत करके, सरकारी आंकड़ों के साथ लोगों की सहभागिता को अधिक आसान, समझने योग्य और भागीदारीपूर्ण बनाता है।

समाचार में क्यों?

29 जून 2025 को सांख्यिकी दिवस के अवसर पर सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने अपनी इकाई राष्ट्रीय सैंपल सर्वे कार्यालय (NSO) के माध्यम से एक नवाचारपूर्ण मोबाइल एप्लिकेशन ‘GoIStats’ लॉन्च किया। इस ऐप का उद्देश्य सरकारी आंकड़ों को नागरिकों के लिए रियल टाइम में सुलभ बनाना, डेटा साक्षरता को बढ़ावा देना, और डिजिटल इंडिया तथा विकसित भारत की दिशा में योगदान देना है।

उद्देश्य

  • नागरिकों को कभी भी, कहीं भी सरकारी सांख्यिकीय आंकड़ों तक पहुंच प्रदान करना।

  • डेटा को आसान, इंटरैक्टिव और समझने योग्य बनाकर जनभागीदारी को प्रोत्साहित करना।

  • NSO की वेबसाइट, पोर्टल और मोबाइल ऐप के बीच डिजिटल एकीकरण स्थापित करना।

GoIStats ऐप की प्रमुख विशेषताएँ

इंटरएक्टिव ‘Key Trends’ डैशबोर्ड

  • GDP, महंगाई, रोजगार जैसे प्रमुख सामाजिक-आर्थिक संकेतकों पर डायनामिक डेटा विज़ुअलाइज़ेशन

‘Products’ सेक्शन

  • NSO डेटाबेस से datasets को एक-क्लिक में CSV डाउनलोड

  • एडवांस सर्च, फ़िल्टरिंग और मेटाडेटा के साथ पूर्ण जानकारी

विजुअल डेटा स्टोरीटेलिंग

  • इन्फोग्राफिक्स, इंटरएक्टिव चार्ट, और प्रासंगिक व्याख्याएं

  • स्रोत क्रेडिट और सोशल शेयरिंग विकल्प।

प्रकाशन अनुभाग

  • NSO की रिपोर्ट्स और शेड्यूल अपडेट्स को सीधे नोटिफिकेशन के माध्यम से प्राप्त करना।

यूज़र-फ्रेंडली डिज़ाइन

  • मोबाइल-फ्रेंडली टेबल्स, सरल नेविगेशन, और “Contact Us” सेक्शन से सीधा संवाद।

  • इनबिल्ट फीडबैक सिस्टम भविष्य के सुधारों के लिए।

प्लेटफॉर्म उपलब्धता

  • Android वर्जन: गूगल प्ले स्टोर पर मुफ्त उपलब्ध

  • iOS वर्जन: जल्द ही जारी किया जाएगा।

महत्व और प्रभाव

  • छात्रों, शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और आम नागरिकों के लिए सांख्यिकीय जानकारी तक आसान पहुंच

  • डिजिटल इंडिया, विकसित भारत और खुले शासन (Open Governance) को बढ़ावा।

  • विश्वसनीय, पारदर्शी और भागीदारी आधारित शासन प्रणाली के निर्माण की दिशा में सशक्त प्रयास।

कृषि क्षेत्र का उत्पादन वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 29.49 लाख करोड़ रुपये हुआ: NSO रिपोर्ट

कृषि और संबद्ध क्षेत्र से उत्पादन का सकल मूल्य (जीवीओ) वित्त वर्ष 2012 से वित्त वर्ष 2024 के दौरान स्थिर मूल्यों पर 54.6 प्रतिशत बढ़कर 29.49 लाख करोड़ रुपये हो गया। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने यह जानकारी दी। सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के तहत आने वाले एनएसओ ने ‘कृषि व संबद्ध क्षेत्रों से उत्पादन के मूल्य पर सांख्यिकीय रिपोर्ट (2011-12 से 2023-24)’ का वार्षिक प्रकाशन जारी किया है।

समाचार में क्यों?

एनएसओ ने कहा, “स्थिर मूल्यों पर कृषि और संबद्ध क्षेत्र से सकल उत्पादन मूल्य (जीवीओ) ने 2011-12 में 1,908 हजार करोड़ रुपये से 2023-24 में 2,949 हजार करोड़ रुपये तक की स्थिर वृद्धि दिखाई है, जो लगभग 54.6 प्रतिशत की समग्र वृद्धि को दर्शाता है।”

मुख्य बिंदु

  • GVO (स्थिर मूल्यों पर) FY12 में ₹19.08 लाख करोड़ → FY24 में ₹29.49 लाख करोड़

  • 12 वर्षों में कुल वृद्धि: 54.6%

  • आँकड़ों में कृषि, पशुपालन, वानिकी और मत्स्य पालन को शामिल किया गया है

  • रिपोर्ट मंत्रालय के MoSPI (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के तहत प्रकाशित की गई है

रिपोर्ट के उद्देश्य

  • कृषि क्षेत्र के आर्थिक उत्पादन का सटीक मूल्यांकन प्रदान करना

  • नीति-निर्माताओं को सब्सिडी, खरीद नीति, और ग्रामीण कल्याण योजनाओं में निर्णय लेने में मदद करना

  • कृषि सुधारों, जलवायु कारकों और बाजार की प्रवृत्तियों के प्रभाव को ट्रैक करना

पृष्ठभूमि जानकारी

  • आधार वर्ष: 2011-12 (स्थिर कीमतों के लिए)

  • GVO का अर्थ: कुल उत्पादन मूल्य (Gross Output), जो Gross Value Added (GVA) से अलग है — इसमें मध्यवर्ती उपभोग (intermediate consumption) घटाया नहीं जाता

  • यह रिपोर्ट भारतीय कृषि के संरचनात्मक परिवर्तन को समझने में सहायक है

स्थैतिक तथ्य

  • कृषि और संबद्ध क्षेत्र भारत की GDP में लगभग 18–20% का योगदान करते हैं

  • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश (चीन के बाद) है

  • यह क्षेत्र देश की 50% से अधिक आबादी को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आजीविका प्रदान करता है

महत्व और संकेत

  • यह रिपोर्ट भारतीय किसानों की लचीलापन क्षमता और सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता को दर्शाती है, जैसे:

    • पीएम किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)

    • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)

    • मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card)

    • सूक्ष्म सिंचाई और PMKSY जैसे जल परियोजनाएं

  • कृषि अवसंरचना, तकनीकी अपनाने, और ग्रामीण रोजगार में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा

  • यह दिखाता है कि मानसून की अनिश्चितता, वैश्विक मंदी, और मुद्रास्फीति जैसी चुनौतियों के बावजूद कृषि अर्थव्यवस्था में सतत वृद्धि हुई है

ESIC ने अनुपालन बढ़ाने हेतु SPREE को पुनः शुरू किया और एमनेस्टी स्कीम 2025 की शुरुआत की

सामाजिक सुरक्षा कवरेज में सुधार और कानूनी विवादों को कम करने के एक ऐतिहासिक निर्णय में, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) ने 1 जुलाई से 31 दिसंबर, 2025 तक एसपीआरईई योजना (नियोक्ता/कर्मचारियों के पंजीकरण को बढ़ावा देने की योजना) को फिर से शुरू करने की घोषणा की है। इसके साथ ही, इसने एमनेस्टी स्कीम-2025 की शुरुआत की है, जो 1 अक्टूबर, 2025 से 30 सितंबर, 2026 तक चलने वाली एकमुश्त विवाद समाधान खिड़की है। इन पहलों का उद्देश्य औपचारिक पंजीकरण को बढ़ावा देना, बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंच सुनिश्चित करना और ईएसआई अधिनियम के तहत स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देना है।

समाचार में क्यों?

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) ने 1 जुलाई से 31 दिसंबर 2025 तक SPREE योजना (Scheme to Promote Registration of Employers/Employees) को दोबारा शुरू करने की घोषणा की है। साथ ही, “एमनेस्टी स्कीम – 2025” नामक एक एकमुश्त विवाद समाधान योजना को 1 अक्टूबर 2025 से 30 सितंबर 2026 तक लागू किया जाएगा। इस निर्णय का उद्देश्य स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देना, कानूनी विवादों को सुलझाना, और अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना है।

मुख्य पृष्ठभूमि:

यह घोषणाएँ शिमला में आयोजित ईएसआईसी की 196वीं बैठक के दौरान की गईं, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने की। इसमें नीतिगत फैसलों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के एकीकरण, और श्रमिक कल्याण को प्राथमिकता दी गई।

प्रमुख निर्णय व विवरण

SPREE योजना (1 जुलाई – 31 दिसंबर 2025):

  • अपंजीकृत नियोजकों और छूटे हुए कर्मचारियों को एकमुश्त पंजीकरण का अवसर।

  • नियोजक के लिए कवरेज घोषित तिथि से लागू होगा।

  • कर्मचारियों को पंजीकरण की तिथि से लाभ मिलेगा।

  • दंड नहीं, स्वैच्छिक अनुपालन पर ज़ोर।

एमनेस्टी स्कीम – 2025 (1 अक्टूबर 2025 – 30 सितंबर 2026):

  • पुराने विवादों को सुलझाने और लंबित कानूनी मामलों को कम करने के लिए।

  • नुकसान, ब्याज और कवरेज संबंधित मामलों को शामिल किया गया।

  • क्षेत्रीय निदेशक केस वापस ले सकते हैं यदि:

    • संबंधित योगदान और ब्याज का भुगतान हो चुका हो

    • मामला 5 साल से अधिक पुराना हो और कोई नई नोटिस न आई हो।

अन्य प्रमुख स्वीकृतियाँ

RGSKY योजना में लचीलापन:

  • राजीव गांधी श्रमिक कल्याण योजना के तहत नौकरी छूटने पर लाभ के लिए आवेदन की 12 माह की सीमा में ढील देने का अधिकार ईएसआईसी के महानिदेशक को।

AYUSH नीति में सुधार:

  • आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी को ESIC के तहत एकीकृत करना।

  • समग्र एवं कल्याण-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा।

पायलट परियोजना – चैरिटेबल अस्पतालों के साथ साझेदारी:

  • दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए।

  • अस्पताल OPD से लेकर इमरजेंसी सेवाओं तक सभी सुविधाएं देंगे।

उद्देश्य और महत्व

  • औपचारिकरण को प्रोत्साहन: पंजीकरण की प्रक्रिया सरल बनाकर नियोजकों और कर्मचारियों को प्रणाली में लाना।

  • विवादों का समाधान: बिना लंबी कानूनी प्रक्रिया के निपटारा।

  • स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार: आधुनिक और पारंपरिक दोनों चिकित्सा पद्धतियों पर बल।

  • सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच: विशेष रूप से पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों में लाभ पहुंचाना।

  • सरकार के प्रति भरोसा बढ़ाना: श्रमिक और नियोजक दोनों को सहयोगी दृष्टिकोण।

स्थैतिक जानकारी:

  • ईएसआईसी की स्थापना: 1948, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम के तहत

  • संबद्ध मंत्रालय: श्रम एवं रोजगार मंत्रालय

  • सेवाएं: चिकित्सा, बीमारी, मातृत्व, विकलांगता व मृत्यु लाभ

  • RGSKY: बेरोजगारी भत्ता योजना — बीमित व्यक्ति को नौकरी छूटने पर सहायता प्रदान करता है।

G7 राष्ट्र अमेरिकी कंपनियों को वैश्विक न्यूनतम कर से छूट देने पर सहमत हुए

एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव में, ग्रुप ऑफ सेवन (G7) देशों ने अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को वैश्विक न्यूनतम कर ढांचे से छूट देने पर सहमति व्यक्त की है, जिससे उन्हें एक विशेष “साइड-बाय-साइड” कराधान समाधान की पेशकश की गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन द्वारा आगे बढ़ाई गई यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करेगी कि अमेरिकी निगमों पर घरेलू और विदेशी दोनों तरह के मुनाफ़े पर केवल संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा कर लगाया जाए, जो संभवतः 2021 से OECD ढांचे के तहत बातचीत की गई वैश्विक कर संरचना को नया रूप दे सकता है।

समाचार में क्यों?

28 जून 2025 को G7 देशों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को 15% वैश्विक न्यूनतम कर व्यवस्था से छूट देने पर सहमति जताई है। यह निर्णय कैनेडा की अध्यक्षता में हुई G7 बैठक के बाद सामने आया। यह छूट अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार की पहल पर आधारित है और OECD द्वारा 2021 में स्थापित वैश्विक कर समझौते से बड़ा विचलन दर्शाती है।

पृष्ठभूमि: OECD का वैश्विक कर ढांचा (2021 समझौता)

  • पिलर 1: बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कर अधिकारों का पुनर्वितरण
  • पिलर 2: 15% का वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट टैक्स, ताकि टैक्स चोरी और कर-आधार क्षरण रोका जा सके
  • अमेरिका, विशेषकर ट्रंप शासन के दौरान, इस समझौते के कुछ हिस्सों का विरोध करता रहा है, इसे संप्रभुता और प्रतिस्पर्धा के विरुद्ध मानते हुए।

G7 करार के मुख्य बिंदु

“साइड-बाय-साइड” मॉडल:
अब अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर केवल अमेरिका में ही कर लगाया जाएगा, न कि उन देशों में जहां वे कारोबार करती हैं।

इस छूट से अमेरिकी कंपनियों को मिलेगा:

  • कर स्थिरता और कम अनुपालन बोझ

  • दोहरे कराधान से बचाव

  • विदेशी निवेश में वृद्धि की संभावना

अभी अंतिम मंजूरी नहीं:
OECD को इस छूट पर अंतिम स्वीकृति देनी बाकी है।

ट्रंप की नीति पहल: “One Big Beautiful Bill”

यह अमेरिका का बड़ा घरेलू विधेयक है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कर संबंधी प्रमुख संशोधन शामिल हैं। इसमें एक विवादास्पद धारा 899 है:

धारा 899 विवाद:

  • अमेरिका को यह अधिकार देता है कि वह उन विदेशी निवेशकों पर कर लगाए, जिनके देश अमेरिकी कंपनियों पर “अनुचित कर” लगाते हैं।

  • इसे “बदला कर” (revenge tax) कहा जा रहा है, जिससे प्रतिशोधात्मक व्यापार नीतियाँ लागू हो सकती हैं।

वैश्विक प्रभाव

  • वैश्विक कर सहयोग के प्रयासों को कमज़ोर कर सकता है

  • अन्य देश भी एकतरफा छूट या समान नीतियाँ लागू कर सकते हैं

  • इससे दोहरी वैश्विक कर प्रणाली का जोखिम पैदा हो सकता है

  • न्यायपूर्ण प्रतिस्पर्धा और कर पारदर्शिता को नुकसान हो सकता है

स्थिर तथ्य 

G7 सदस्य:
कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD):
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development) – 38 सदस्य देशों वाला समूह जो वैश्विक आर्थिक नीतियों और मानकों पर कार्य करता है।

निष्कर्ष

G7 द्वारा अमेरिकी कंपनियों को दी गई यह कर छूट अंतरराष्ट्रीय कर व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव का संकेत है। यदि OECD इसे मंजूरी देता है, तो इससे वैश्विक टैक्स समानता और सहयोग की दिशा में अब तक के प्रयासों को गहरा झटका लग सकता है। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए भी यह नीति-निर्धारण का नई चुनौती पेश कर सकती है।

अदाणी ग्रीन ने 15,000 मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को किया पार

अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने बताया कि कंपनी ने 15,000 मेगावाट (मेगावाट) की परिचालन क्षमता को पार कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जो कि अब 15,539.9 मेगावाट तक पहुंच गई है। यह उपलब्धि भारत में अब तक की सबसे तेज और बड़ी क्षमता वृद्धि को दर्शाती है। भारत की सबसे बड़ी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी ने कहा कि परिचालन पोर्टफोलियो में 11,005.5 मेगावाट सोलर, 1,977.8 मेगावाट विंड और 2,556.6 मेगावाट विंड-सोलर हाइब्रिड क्षमता शामिल है।

समाचार में क्यों?

अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) ने जून 2025 तक 15 गीगावाट (GW) से अधिक स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल कर ली है। 15,539.9 मेगावाट (MW) की कुल परिचालन क्षमता के साथ AGEL न केवल भारत की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी बन गई है, बल्कि यह विश्व की शीर्ष 10 स्वतंत्र विद्युत उत्पादक कंपनियों में भी शामिल हो गई है। यह उपलब्धि भारत की हरित ऊर्जा (Green Energy) में तेज़ प्रगति का संकेत देती है और अदाणी समूह के 2030 तक 50 GW के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

प्रमुख आँकड़े और विवरण

कुल स्थापित क्षमता (जून 2025):
15,539.9 MW

बिजली से लाभान्वित घरों की संख्या:
लगभग 79 लाख परिवार

वार्षिक कार्बन उत्सर्जन में कटौती:
28.6 मिलियन टन CO₂

पर्यावरणीय तुल्यता:

  • 6.3 मिलियन कारों को सड़क से हटाने के बराबर

  • 1.36 बिलियन पेड़ लगाने के बराबर

क्षमता विभाजन:

  • सौर ऊर्जा: 11,005.5 MW

  • पवन ऊर्जा: 1,977.8 MW

  • हाइब्रिड (सौर+पवन): 2,556.6 MW

हालिया उपलब्धियाँ:

  • FY25 में 3,309 MW जोड़ा गया — किसी भी भारतीय कंपनी द्वारा एक वर्ष में सबसे अधिक।

  • यह पूरी क्षमता ग्रीनफील्ड विकास (नई परियोजनाएं, अधिग्रहण नहीं) से प्राप्त की गई है।

प्रमुख परियोजनाएँ:

  • कमुथी सोलर प्लांट (तमिलनाडु): 648 MW – FY16 में चालू

  • जैसलमेर हाइब्रिड प्रोजेक्ट (राजस्थान): 2,140 MW – FY23

खवड़ा परियोजना (कच्छ, गुजरात):

  • लक्ष्य: 30,000 MW (2030 तक)

  • अब तक चालू: 5,355.9 MW

  • क्षेत्रफल: 538 वर्ग किलोमीटर

  • विश्व की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना बनने की दिशा में अग्रसर

भविष्य के लक्ष्य:

  • 2030 तक लक्ष्य: 50 GW स्थापित क्षमता

  • वार्षिक पूंजीगत व्यय (Capex) योजना: $20 बिलियन (आंतरिक स्रोत + ऋण के माध्यम से)

  • अदाणी समूह का बड़ा लक्ष्य: 2030 तक 100 GW कुल विद्युत उत्पादन क्षमता

भारत का विदेशी ऋण 10 प्रतिशत बढ़कर 736.3 अरब डॉलर पर: RBI Data

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि भारत का बाह्य यानी विदेशी ऋण मार्च 2025 के अंत तक 10 प्रतिशत बढ़कर 736.3 अरब डॉलर हो गया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 668.8 अरब डॉलर था। जीडीपी के प्रतिशत के रूप में बाह्य ऋण एक साल पहले के 18.5 प्रतिशत से बढ़कर 2024-25 के अंत तक 19.1 प्रतिशत हो गया। आरबीआई ने कहा कि समीक्षाधीन वित्त वर्ष में मुद्रा बाजारों में कुछ उतार-चढ़ाव देखा गया, और रुपये तथा अन्य मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मूल्य में वृद्धि के कारण ‘मूल्यांकन प्रभाव’ 5.3 अरब डॉलर रहा।

समाचार में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 के अंत तक भारत का बाह्य ऋण $736.3 बिलियन तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्ष ($668.8 बिलियन) की तुलना में $67.5 बिलियन (10%) की वृद्धि को दर्शाता है। इस वृद्धि के साथ बाह्य ऋण-से-GDP अनुपात भी FY24 के 18.5% से बढ़कर FY25 में 19.1% हो गया है, जो वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों, ऋण की बढ़ती मांग और मुद्रा विनिमय दरों का असर दिखाता है।

प्रमुख आँकड़े 

कुल बाह्य ऋण (मार्च 2025):

$736.3 बिलियन

पिछला वर्ष (मार्च 2024):
$668.8 बिलियन

वार्षिक वृद्धि:

$67.5 बिलियन (10%)

बाह्य ऋण-से-GDP अनुपात:

FY24: 18.5% → FY25: 19.1%

मूल्यांकन प्रभाव (Valuation Effect):

अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण $5.3 बिलियन का मूल्य प्रभाव

मूल्य प्रभाव को छोड़कर, वास्तविक ऋण वृद्धि होती $72.9 बिलियन

उधारकर्ता के अनुसार ऋण वितरण

  • गैर-वित्तीय निगम: $261.7 बिलियन

  • सरकार: $168.4 बिलियन

  • जमा-स्वीकार करने वाले निगम (बिना RBI): $202.1 बिलियन

ऋण की परिपक्वता संरचना

दीर्घकालिक ऋण (> 1 वर्ष):

  • $601.9 बिलियन (वार्षिक वृद्धि: $60.6 बिलियन)

अल्पकालिक ऋण (≤ 1 वर्ष):

  • कुल ऋण में हिस्सेदारी: 19.1% → 18.3%
  • लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार के प्रतिशत में वृद्धि: 19.7% → 20.1%

मुद्रा के अनुसार ऋण

  • अमेरिकी डॉलर: 54.2%

  • भारतीय रुपया: 31.1%

  • जापानी येन: 6.2%

  • स्पेशल ड्राइंग राइट्स: 4.6%

  • यूरो: 3.2%

ऋण के साधनों के अनुसार वितरण 

  • ऋण: 34%

  • मुद्रा एवं जमा: 22.8%

  • व्यापारिक ऋण एवं अग्रिम: 17.8%

  • ऋण प्रतिभूतियाँ: 17.7%

RBI ने AEPS से जुड़ी सेवाओं पर सख्त निगरानी के निर्देश जारी किए

डिजिटल बैंकिंग को सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आधार आधारित भुगतान प्रणाली (AEPS) से जुड़ी सेवाओं पर सख्त निगरानी के निर्देश जारी किए हैं। अब अंगूठा लगाकर बैंक से पैसे निकालने वाली प्रक्रिया में कड़े नियम लागू होंगे। RBI ने बैंकों से कहा है कि AEPS सेवाएं देने वाले ऑपरेटरों को सिस्टम में जोड़ने से पहले उनकी अच्छी तरह से जांच-पड़ताल की जाए, ताकि फ्रॉड और पहचान की चोरी जैसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।

समाचार में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) के माध्यम से हो रही धोखाधड़ी गतिविधियों में वृद्धि के मद्देनज़र नए सख्त परिचालन दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये नियम 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगे और सभी संबंधित पक्षों को तीन माह के भीतर इन्हें लागू करना होगा। यह कदम ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग लेन-देन की सुरक्षा, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • AePS लेन-देन की सुरक्षा और विश्वसनीयता को मज़बूत करना
  • पहचान की चोरी, डेटा दुरुपयोग और धोखाधड़ी को रोकना
  • बैंक मित्रों और बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स (BCs) की जवाबदेही बढ़ाना
  • बैंकों और ऑपरेटरों के बीच नियंत्रण और समन्वय सुनिश्चित करना

प्रमुख दिशानिर्देश

KYC और ड्यू डिलिजेंस

  • ऑनबोर्डिंग के समय अधिग्रहणकर्ता बैंकों को पूर्ण KYC करना होगा (RBI के KYC मास्टर दिशा-निर्देश, 2016 के अनुसार)।

  • 6 महीने से निष्क्रिय ऑपरेटरों को फिर से सक्रिय करने से पहले KYC पुन: सत्यापन अनिवार्य होगा।

“एक ऑपरेटर–एक बैंक” नियम

  • प्रत्येक AePS टचपॉइंट ऑपरेटर केवल एक अधिग्रहणकर्ता बैंक के साथ ही कार्य कर सकेगा।

  • इस नियम के प्रवर्तन और निगरानी की जिम्मेदारी NPCI और बैंकों की होगी।

ऑपरेटर गतिविधि निगरानी

  • बैंक को ऑपरेटर के लेन-देन की निरंतर निगरानी करनी होगी।

  • ऑपरेटर को जोखिम प्रोफ़ाइल के आधार पर लेन-देन सीमा निर्धारित की जाएगी।

  • लेन-देन का स्थान, पंजीकृत पते से मेल खाना अनिवार्य होगा।

रीयल-टाइम अनियमितता पहचान प्रणाली

  • स्थान विसंगति, संदिग्ध गतिविधियाँ, या अनधिकृत पहुँच की तत्काल पहचान की व्यवस्था की जाएगी।

  • यह व्यवस्था चोरी या क्लोन किए गए आधार डेटा से होने वाली धोखाधड़ी को रोकने में सहायक होगी।

अनिवार्य अनुपालन

  • सभी संबंधित इकाइयों को NPCI के AePS दिशानिर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा।

  • यह भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत आता है।

पृष्ठभूमि

AePS प्रणाली के तहत आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोग बैलेंस पूछताछ, नकद निकासी, आदि जैसे बुनियादी बैंकिंग लेन-देन कर सकते हैं। हालांकि, ढीली KYC प्रक्रियाएँ और एकाधिक बैंक ऑपरेटर सेटअप के चलते धोखाधड़ी की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही थी।

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