रेलवे का बड़ा फैसला, 1 जुलाई से बदल जाएंगे टिकट बुकिंग से जुड़े ये 5 बड़े नियम

भारतीय रेलवे ने यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने और आरक्षण प्रणाली को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से एक व्यापक सुधार योजना की घोषणा की है। इन सुधारों को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, जिससे टिकट बुकिंग से लेकर यात्रा तक की प्रक्रिया सरल, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बन सके।

चार्ट तैयार करने का नया नियम: अब प्रतीक्षा सूची की स्थिति पहले से स्पष्ट

पुरानी व्यवस्था:

  • आरक्षण चार्ट आमतौर पर ट्रेन प्रस्थान से 4 घंटे पहले तैयार किया जाता था।

  • इससे प्रतीक्षा सूची वाले यात्रियों को अंतिम क्षण तक असमंजस बना रहता था, विशेषकर उन यात्रियों के लिए जो दूर-दराज से स्टेशन आते हैं।

नई व्यवस्था:

  • अब रेलवे ने चार्टिंग के लिए समय सीमा 8 घंटे पूर्व तय करने का निर्णय लिया है:

    • 2 बजे के बाद रवाना होने वाली ट्रेनों के लिए चार्ट उसी दिन 8 घंटे पहले तैयार होगा।

    • 2 बजे से पहले रवाना होने वाली ट्रेनों के लिए चार्ट पिछली रात 9 बजे तैयार कर लिया जाएगा।

लाभ:

  • प्रतीक्षा सूची की स्थिति पहले से पता चलेगी।

  • वैकल्पिक व्यवस्था करने का समय मिलेगा।

  • दूर-दराज से यात्रा करने वालों को सुविधा होगी।

  • यात्रा की योजना बनाना आसान होगा।

नया आधुनिक यात्री आरक्षण प्रणाली (PRS): दिसंबर 2025 तक होगा लॉन्च

भारतीय रेलवे की सूचना प्रणाली संस्था CRIS द्वारा एक नया और आधुनिक PRS विकसित किया जा रहा है, जो तेज, लचीला और तकनीकी रूप से अत्याधुनिक होगा।

प्रमुख विशेषताएं:

  • बुकिंग क्षमता: 32,000 टिकट/मिनट से बढ़कर 1.5 लाख टिकट/मिनट

  • पूछताछ क्षमता: 4 लाख/मिनट से बढ़कर 40 लाख/मिनट

  • सीट चयन का विकल्प: यात्री अपनी पसंदीदा सीट देख और चुन सकेंगे।

  • भाड़ा कैलेंडर: किराये की तुलना कर यात्रा योजना बनाई जा सकेगी।

  • विशेष श्रेणियों के लिए सेवा: दिव्यांगजन, छात्र, रोगी आदि के लिए अलग सुविधाएं।

  • बहुभाषीय इंटरफेस: क्षेत्रीय भाषाओं में बुकिंग और पूछताछ की सुविधा।

प्रभाव:

  • त्योहारी सीजन या तत्काल बुकिंग के दौरान सर्वर लोड नहीं बढ़ेगा।

  • डिजिटल समावेशन और नागरिक-केंद्रित शासन को बढ़ावा।

तत्काल टिकट अब केवल प्रमाणित उपयोगकर्ताओं को ही मिलेगा – पारदर्शिता और सुरक्षा में सुधार

1 जुलाई 2025 से तत्काल टिकट की बुकिंग अब सिर्फ सत्यापित यूजर्स के लिए उपलब्ध होगी।

प्रमाणीकरण प्रक्रिया:

  • OTP आधारित पहचान सत्यापन।

  • आधार कार्ड या DigiLocker में सुरक्षित सरकारी पहचान-पत्र से सत्यापन।

  • सत्यापन के बिना तत्काल बुकिंग संभव नहीं।

लाभ:

  • एजेंटों और बोट्स द्वारा टिकट हेराफेरी रुकेगी।

  • ईमानदार यात्रियों को अधिक अवसर मिलेंगे।

  • अंतिम समय की बुकिंग अब अधिक निष्पक्ष और सरल होगी।

भाषाई समावेशन: अब अपनी भाषा में टिकट बुक करें

नया PRS बहुभाषीय समर्थन प्रदान करेगा, जिससे देशभर के यात्री अपनी मातृभाषा में बुकिंग और पूछताछ कर सकेंगे।

फायदे:

  • ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लोगों के लिए आरक्षण प्रक्रिया अधिक सुलभ होगी।

  • डिजिटल खाई को पाटने की दिशा में बड़ा कदम।

नया युग: डिजिटल दक्षता और यात्री सुविधा का समन्वय

रेलवे के ये सभी नए प्रयास, विशेष रूप से डिजिटल इंडिया और नागरिक-केंद्रित शासन के विजन के अनुरूप हैं। ये सुधार न केवल यात्रा अनुभव को बेहतर बनाएंगे, बल्कि रेलवे को एक आधुनिक और भरोसेमंद परिवहन तंत्र के रूप में स्थापित करेंगे।

यह नई प्रणाली भारतीय रेलवे के करोड़ों यात्रियों को सरल, तेज और पारदर्शी सेवा प्रदान करने की दिशा में एक क्रांतिकारी बदलाव है।

चुनाव आयोग 345 पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करेगा, जानें वजह

भारत के चुनाव आयोग ने 345 गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों (RUPPs) को अपनी लिस्ट से हटाने का फैसला किया है। ये वे दल हैं जो पिछले 6 सालों में एक भी चुनाव नहीं लड़े और इनके पंजीकृत पते पर कोई कार्यालय नहीं मिला। चुनाव आयोग ने बताया कि देश भर के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले इन 345 दलों ने रजिस्टर्ड अनरजिस्टर पॉलिटिकल पार्टी के रूप में बने रहने की अनिवार्य शर्तों को पूरा नहीं किया। आयोग के पास वर्तमान में 2800 से ज्यादा RUPPs रजिस्टर्ड हैं, लेकिन इनमें से कई दल न तो चुनाव लड़ रहे हैं और न ही अपनी मौजूदगी साबित कर पा रहे हैं।

समाचार में क्यों?

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 345 पंजीकृत अप्रत्याक्षित राजनीतिक दलों (Registered Unrecognised Political Parties – RUPPs) को शोकॉज नोटिस जारी किए हैं। ये वे दल हैं जिन्होंने 2019 के बाद से कोई चुनाव नहीं लड़ा है और जिनका भौतिक पता उपलब्ध नहीं है। यह कदम निर्वाचन सुधारों के प्रति आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, विशेषकर ऐसे दलों के विलयन (de-listing) की प्रक्रिया को सशक्त करने की दिशा में, जो सिर्फ कागजों पर अस्तित्व में हैं।

RUPPs क्या हैं?

  • ये वे राजनीतिक दल हैं जो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के अंतर्गत ECI में पंजीकृत होते हैं।

  • लेकिन वे राज्य या राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं होते, क्योंकि उनका चुनावी प्रदर्शन न्यूनतम शर्तें पूरी नहीं करता।

RUPPs को प्राप्त प्रमुख सुविधाएं:

  • आयकर में छूट (धारा 13A, आयकर अधिनियम 1961 के तहत)।

  • चुनाव चिह्न का आवंटन

  • 20 स्टार प्रचारकों के नामांकन का अधिकार।

समस्या क्या है?

  • भारत में 2800+ RUPPs पंजीकृत हैं, परंतु 2024 के आम चुनावों में केवल 750 ने ही भाग लिया।

  • शेष “लेटर पैड पार्टियाँ” कहलाती हैं — जो सिर्फ कागजों पर हैं, धरातल पर सक्रिय नहीं।

प्रमुख मुद्दे:

  • टैक्स छूट का दुरुपयोग

  • दानदाताओं की जानकारी नहीं दी जाती (धारा 29C का उल्लंघन)

  • कार्यालयों/पदाधिकारियों की जानकारी अपडेट नहीं की जाती

  • कई दलों का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं मिलता — धोखाधड़ी की आशंका

कानूनी पृष्ठभूमि:

  • सुप्रीम कोर्ट ने Indian National Congress बनाम Institute of Social Welfare (2002) मामले में कहा:

    • ECI किसी पार्टी का de-registration तभी कर सकता है, जब:

      • पंजीकरण धोखे से प्राप्त किया गया हो

      • दल संविधान के प्रति निष्ठा छोड़ दे

      • दल को सरकार गैरकानूनी घोषित कर दे

हाल की कार्रवाई

  • 345 RUPPs की पहचान, जिनमें से:

    • 2019 के बाद कोई चुनाव नहीं लड़ा

    • कोई वैध पता या संपर्क जानकारी नहीं

  • राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को नोटिस भेजने का निर्देश

  • मार्च 2024 (मई 2025 तक अद्यतन) सूची के अनुसार:

    • 281 दल de-list किए गए

    • 217 को निष्क्रिय घोषित किया गया

कानूनी और नीतिगत कमी

  • RP अधिनियम, 1951 में ECI को दलों का de-registration करने का स्पष्ट अधिकार नहीं दिया गया है।

  • कानून आयोग की सिफारिशें:

    • 170वीं रिपोर्ट (1999): राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र अनिवार्य हो

    • 255वीं रिपोर्ट (2015): 10 वर्षों से चुनाव में भाग नहीं लेने वाले दलों को हटाने की व्यवस्था

  • ECI का 2016 का मेमोरेंडम: RP अधिनियम में संशोधन की मांग

इस कदम का महत्व

  • चुनावी पारदर्शिता और प्रक्रियाओं की शुद्धता बढ़ेगी

  • करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग रोका जा सकेगा

  • राजनीतिक दलों में जवाबदेही और संवैधानिक मूल्यों का पालन सुनिश्चित होगा

  • व्यापक चुनावी और राजनीतिक सुधारों की नींव तैयार होगी

CBDT चेयरमैन रवि अग्रवाल का कार्यकाल जून 2026 तक बढ़ा

केंद्र सरकार ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के चेयरमैन रवि अग्रवाल का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है। अब वह 1 जुलाई 2025 से 30 जून 2026 तक अनुबंध के आधार पर इस पद पर बने रहेंगे। यह फैसला शनिवार को मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet) ने लिया। रवि अग्रवाल भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के 1988 बैच के अधिकारी हैं।

समाचार में क्यों?

केंद्र सरकार ने रवि अग्रवाल के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल को 30 जून 2026 तक बढ़ा दिया है। यह निर्णय कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) द्वारा लिया गया है और इसका उद्देश्य प्रत्यक्ष कर नीति-निर्माण में नेतृत्व की निरंतरता सुनिश्चित करना है।

प्रमुख तथ्य

  • पद: अध्यक्ष, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT)

  • अधिकारी: रवि अग्रवाल

  • बैच: 1988 बैच, भारतीय राजस्व सेवा (IRS – आयकर संवर्ग)

  • कार्यकाल विस्तार: 1 जुलाई 2025 से 30 जून 2026 तक (या अगले आदेश तक)

  • नियुक्ति का स्वरूप: अनुबंध आधार पर

  • स्वीकृति निकाय: कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC)

पृष्ठभूमि और करियर हाइलाइट्स

  • जुलाई 2023 में CBDT के सदस्य (प्रशासन) के रूप में नियुक्त।

  • जून 2024 में अध्यक्ष बने, नितिन गुप्ता (1986 बैच IRS) के स्थान पर।

  • प्रत्यक्ष कर प्रशासन, नीति क्रियान्वयन और संगठनात्मक दक्षता में गहरी समझ के लिए जाने जाते हैं।

CBDT की संरचना

  • CBDT, वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत आता है।

  • आयकर, कॉरपोरेट टैक्स और अन्य प्रत्यक्ष करों की नीति तैयार करने और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी निभाता है।

  • इसमें एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं, जो विशेष सचिव स्तर के अधिकारी होते हैं।

पुनर्नियुक्ति का महत्व

  • कर सुधारों के दौर में नेतृत्व की निरंतरता सुनिश्चित करता है।

  • आयकर विभाग के कार्यों में प्रशासनिक स्थिरता और पारदर्शिता को बनाए रखने में सहायक।

  • वित्त मंत्रालय को नीति-निर्माण में सलाह देने में प्रमुख भूमिका निभाता है।

  • सरकार का रवि अग्रवाल के अनुभव और कार्यशैली पर विश्वास का प्रतीक है।

कर्नाटक बैंक के प्रबंध निदेशक, कार्यकारी निदेशक ने इस्तीफा दिया

कर्नाटक बैंक के प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) श्रीकृष्णन हरि हर सरमा और कार्यकारी निदेशक शेखर राव ने इस्तीफा दे दिया है। कर्नाटक बैंक ने बयान में कहा, इसके अलावा कार्यकारी निदेशक (ईडी) शेखर राव ने मंगलुरु स्थानांतरित होने में असमर्थता और अन्य व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ दिया है। जुलाई 2025 से प्रभावी ये इस्तीफे बैंक के चल रहे परिवर्तन अभियान के बीच आए हैं। इसके जवाब में, निदेशक मंडल ने उपयुक्त उत्तराधिकारियों की नियुक्ति करने और निर्बाध नेतृत्व निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एक खोज समिति का गठन किया है।

समाचार में क्यों?

जुलाई 2025 में कर्नाटक बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ श्रीकृष्णन हरि हर शर्मा और कार्यकारी निदेशक शेखर राव ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है। इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बीच बैंक ने नए नेतृत्व की तलाश शुरू कर दी है और संचालन की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) की नियुक्ति की घोषणा की है।

मुख्य बिंदु

  • श्रीकृष्णन शर्मा का इस्तीफा 15 जुलाई 2025 से प्रभावी होगा।
    उन्होंने मुंबई में बसने की योजना के चलते पद छोड़ा।

  • शेखर राव का इस्तीफा 31 जुलाई 2025 से प्रभावी होगा।
    उन्होंने मैंगलुरु स्थानांतरण में असमर्थता जताई।

  • COO की नियुक्ति 2 जुलाई से लागू होगी, जब तक स्थायी नियुक्तियाँ नहीं हो जातीं।

  • नियुक्तियों को लेकर RBI की मंज़ूरी लंबित है।

  • बैंक के निदेशक मंडल ने खोज समिति (Search Committee) गठित की है, जो नए MD, CEO और ED की नियुक्ति सुनिश्चित करेगी।

पृष्ठभूमि और संदर्भ

  • श्रीकृष्णन शर्मा को बैंक के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण की दिशा में नेतृत्व के लिए चुना गया था।

  • उनकी अगुवाई में बैंक ने जोखिम प्रबंधन, डिजिटल बैंकिंग, और परिचालन दक्षता को प्राथमिकता दी।

  • शेखर राव ने बैंक की रणनीतिक पहल और कार्यान्वयन में अहम भूमिका निभाई।

  • इस्तीफे ऐसे समय आए हैं जब बैंक के FY25 वित्तीय विवरणों में ऑडिटर टिप्पणियाँ भी सामने आई हैं।

कर्नाटक बैंक: स्थायी जानकारी

  • स्थापना: 1924

  • मुख्यालय: मैंगलुरु, कर्नाटक

  • विनियामक: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)

  • स्थिति: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, देशव्यापी उपस्थिति

महत्व और प्रभाव

  • नेतृत्व परिवर्तन से निवेशक विश्वास, कर्मचारियों का मनोबल और परिवर्तन प्रक्रिया की गति प्रभावित हो सकती है।

  • बैंक ने आश्वस्त किया है कि
    वह पूरी तरह से पूंजीकृत (well-capitalized) है,
    और उसका परिवर्तन कार्यक्रम जारी रहेगा।

  • COO की त्वरित नियुक्ति और खोज समिति का गठन बैंक के सुशासन और संक्रमण प्रबंधन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

केंद्र ने कृषि वानिकी विनियमन को आसान बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु आदर्श नियमों का अनावरण किया

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने 29 जून 2025 को “कृषि भूमि में पेड़ों की कटाई के लिए मॉडल नियम” जारी किए। यह पहल सतत कृषि, आजीविका संवर्धन, और आग्रोफॉरेस्ट्री (Agroforestry) को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही मंत्रालय ने आगामी नेशनल टिंबर मैनेजमेंट सिस्टम (NTMS) पोर्टल की भी घोषणा की, जो वृक्ष कटाई की मंजूरी प्रक्रिया को डिजिटली सरल बनाएगा।

समाचार में क्यों?

  • 29 जून 2025 को MoEFCC ने कृषि भूमि में पेड़ों की कटाई के लिए मॉडल नियम जारी किए।

  • इसका उद्देश्य राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को आग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देने और प्रक्रिया सरल बनाने में मदद करना है।

  • साथ ही NTMS पोर्टल के माध्यम से डिजिटल पंजीकरण व अनुमति प्रणाली की शुरुआत की जाएगी।

उद्देश्य

  • आग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देना और खेती में पेड़ों के समावेश को सुविधाजनक बनाना।

  • किसानों की आय बढ़ाने के लिए पेड़ आधारित खेती को व्यावसायिक रूप से लाभकारी बनाना।

  • पारिस्थितिक संतुलन के साथ आर्थिक विकास सुनिश्चित करना।

  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए पारदर्शिता और ट्रेसबिलिटी (traceability) को बढ़ाना।

पृष्ठभूमि और आवश्यकता

  • आग्रोफॉरेस्ट्री से मिट्टी की उर्वरता, जल संरक्षण, जैव विविधता और जलवायु सहनशीलता में सुधार होता है।

  • परंतु, किसानों को पेड़ लगाने के बाद कटाई की अनुमति लेने में अत्यधिक नौकरशाही का सामना करना पड़ता था।

  • इससे किसान हतोत्साहित होते थे और खेती में पेड़ लगाने से बचते थे।

मॉडल नियमों की मुख्य विशेषताएं

  • राज्य स्तर पर समितियों का गठन (2016 की वुड-बेस्ड इंडस्ट्रीज गाइडलाइंस के तहत)।

  • NTMS पोर्टल पर अनिवार्य पंजीकरण, जिसमें सम्मिलित हैं:

    • भूमि स्वामित्व का प्रमाण

    • खेत की लोकेशन (KML फाइल्स)

    • लगाए गए वृक्षों की प्रजातियां व विवरण

    • जियो-टैग्ड फोटोज

  • ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया द्वारा कटाई की अनुमति के लिए आवेदन।

  • प्रमाणित सत्यापन एजेंसियों द्वारा भौतिक निरीक्षण।

  • वन विभाग के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) इन एजेंसियों की निगरानी करेंगे।

महत्त्व और प्रभाव

  • घरेलू टिंबर (लकड़ी) उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा; आयात पर निर्भरता घटेगी।

  • वुड-बेस्ड इंडस्ट्रीज को स्थायी और ट्रेसेबल कच्चा माल उपलब्ध होगा।

  • निर्यात के नए अवसर खुलेंगे।

  • भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को समर्थन मिलेगा (पेड़ आवरण वृद्धि के माध्यम से)।

  • किसानों को उनकी ज़मीन का टिकाऊ आर्थिक उपयोग करने का अवसर मिलेगा।

National Doctor Day 2025: जानें क्यों मनाया जाता है नेशनल डॉक्टर्स डे?

हर साल भारत में 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे (National Doctor’s Day) मनाया जाता है। नेशनल डॉक्टर्स डे देश के उन सभी डॉक्टरों के लिए एक सम्मान के तौर पर मनाया जाता है, जो मानव जीवन को बचाने, रोगों से लड़ने और स्वस्थ समाज के निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं। भारत जैसे विविधताओं वाले देश में डॉक्टरों की भूमिका सिर्फ एक मरीज के इलाज तक सीमित नहीं है। बल्कि डॉक्टर समाज में जागरूकता लाने और पुरानी कुरीतियों को तोड़कर नया नजरिया देने का भी काम करते हैं।

यह दिन डॉ. बिधान चंद्र रॉय की स्मृति में 1991 में भारत सरकार द्वारा आरंभ किया गया था। डॉ. रॉय न केवल एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे, बल्कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में भी देश सेवा में अग्रणी रहे।

इतिहास और पृष्ठभूमि

  • डॉ. बी.सी. रॉय का जन्म 1 जुलाई को हुआ था और उन्हीं की पुण्यतिथि भी यही दिन है।

  • वे भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) और भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) के संस्थापक थे।

  • उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

  • उनका जीवन चिकित्सा नैतिकता, सेवा और नेतृत्व का प्रतीक था।

2025 की थीम: “Behind the Mask: Who Heals the Healers?”

  • इस वर्ष की थीम स्वास्थ्यकर्मियों की मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक भलाई पर केंद्रित है।

  • यह संदेश देती है कि डॉक्टर भी इंसान हैं—वे तनाव, थकावट और भावनात्मक दबाव से गुजरते हैं।

  • थीम का उद्देश्य है चिकित्सकों के लिए परामर्श, मानसिक स्वास्थ्य संसाधन और कार्य-जीवन संतुलन जैसी सहयोगी व्यवस्थाओं को बढ़ावा देना।

महत्त्व और उद्देश्य

  • यह दिन डॉक्टरों के निःस्वार्थ समर्पण, दैनिक चुनौतियों, और आपातकालीन स्थितियों में उनकी सतत सेवा को सम्मानित करता है।

  • साथ ही, यह समाज और नीति निर्माताओं को स्वास्थ्यकर्मियों के सुरक्षा, सम्मान, और संपर्क साधनों के बारे में जागरूक करता है।

डॉ. बी.सी. रॉय की विरासत

  • आधुनिक भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव रखने में उनकी भूमिका ऐतिहासिक है।

  • उन्होंने चिकित्सा शिक्षा, अस्पतालों और सार्वजनिक स्वास्थ्य संरचना को मजबूत किया।

  • उनका जीवन भावी पीढ़ी के डॉक्टरों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।

डॉक्टर्स डे कैसे मनाएं?

  • धन्यवाद पत्र या हस्तलिखित संदेश भेजें।

  • सोशल मीडिया पर #DoctorsDay या #NationalDoctorsDay के साथ प्रशंसा साझा करें।

  • स्थानीय अस्पतालों के साथ मिलकर ऑनलाइन स्वास्थ्य सेमिनार आयोजित करें।

  • डॉक्टरों के लिए भोजन, देखभाल पैकेज या सहायता उपलब्ध कराएं।

  • अपने पारिवारिक डॉक्टर से मिलें या फोन करके आभार व्यक्त करें।

यह दिन क्यों महत्वपूर्ण है?

  • यह सिर्फ औपचारिक धन्यवाद नहीं है—बल्कि डॉक्टरों की भूमिका, उनके अधिकारों, और स्वस्थ स्वास्थ्य तंत्र की आवश्यकता को समझने का अवसर है।

  • यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने स्वास्थ्य रक्षकों के लिए भी एक सुरक्षित, सहयोगी और सम्मानजनक वातावरण सुनिश्चित करें।

वॉरेन बफेट 2025 में पांच परोपकारी संस्थाओं को 6 बिलियन डॉलर दान करेंगे

प्रसिद्ध निवेशक और अरबपति परोपकारी वॉरेन बफेट, जो बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ हैं, ने 27 जून 2025 को कंपनी के स्टॉक्स के रूप में पाँच परोपकारी संस्थाओं को 6 अरब डॉलर का बड़ा दान देने की घोषणा की। यह उनका अब तक का सबसे बड़ा परोपकारी कदमों में से एक है, जिससे 2006 से अब तक उनके कुल दान की राशि लगभग 60 अरब डॉलर तक पहुँच गई है। इस बार का अधिकांश दान बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ट्रस्ट को मिलेगा, साथ ही उनके परिवार से जुड़ी अन्य प्रमुख संस्थाओं को भी लाभ होगा। बफेट की यह उदारता समाज में संपत्ति के पुनर्वितरण और परोपकार के प्रति उनकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

समाचार में क्यों?

वॉरेन बफेट ने 27 जून 2025 को घोषणा की कि वे Berkshire Hathaway की क्लास B शेयर्स के रूप में $6 बिलियन (लगभग ₹50,000 करोड़) का दान पांच प्रमुख फाउंडेशनों को करेंगे। इस उदार योगदान से 2006 से अब तक उनके कुल दान की राशि लगभग $60 बिलियन हो गई है। इस घोषणा ने वैश्विक स्तर पर धन के पुनर्वितरण, उत्तराधिकार में परोपकार और अरबपतियों की सामाजिक जिम्मेदारी पर बहस को फिर से प्रासंगिक बना दिया है।

दान से संबंधित प्रमुख तथ्य

  • कुल दान: 12.4 मिलियन क्लास B शेयर (प्रति शेयर मूल्य: $485.68)

  • दान की कुल राशि: लगभग $6 अरब

  • शेयर ट्रांसफर की तारीख: 30 जून 2025

जिन संस्थानों को दान मिला:

फाउंडेशन का नाम प्राप्त शेयरों की संख्या
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ट्रस्ट 94 लाख शेयर
सुसान थॉम्पसन बफेट फाउंडेशन 9.43 लाख शेयर
शेरवुड फाउंडेशन 6.60 लाख शेयर
हॉवर्ड जी. बफेट फाउंडेशन 6.60 लाख शेयर
नोवो फाउंडेशन 6.60 लाख शेयर
  • वैश्विक स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना

  • बफेट की प्रतिज्ञा को आगे बढ़ाना कि वे अपनी संपत्ति का 99.5% दान में देंगे

  • उनके बच्चों को भविष्य में शेष संपत्ति को सार्वजनिक भलाई हेतु संचालित करने की जिम्मेदारी देना

पृष्ठभूमि और दर्शन

  • वॉरेन बफेट ने 2006 में अपनी संपत्ति दान करने की शुरुआत की थी।

  • वे 2021 में गेट्स फाउंडेशन के ट्रस्टी पद से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन अब भी नियमित दानदाता हैं।

  • उनका परोपकार “सरल निर्णय, दीर्घकालिक निवेश और चक्रवृद्धि प्रभाव” के सिद्धांत पर आधारित है।

महत्त्व

  • यह दान विश्व में सबसे बड़े व्यक्तिगत दान में से एक है।

  • यह अरबपतियों के लिए सामाजिक उत्तरदायित्व की एक मिसाल कायम करता है।

  • बफेट की यह पहल परोपकार को उत्तराधिकार की संस्कृति का हिस्सा बनाती है।

सरकार ने लॉन्च किया GOI Stats ऐप

सांख्यिकी दिवस 2025 के अवसर पर सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने अपनी इकाई राष्ट्रीय सैंपल सर्वे कार्यालय (NSO) के माध्यम से GoIStats मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया। यह नवाचारपूर्ण ऐप नागरिकों को कहीं भी, कभी भी वास्तविक समय में आधिकारिक सरकारी आंकड़ों तक आसान पहुंच प्रदान करता है। यह पहल डेटा पारदर्शिता, नागरिक सशक्तिकरण और डिजिटल समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। GoIStats ऐप इंटरएक्टिव डैशबोर्ड, विजुअल स्टोरीटेलिंग और यूज़र-फ्रेंडली डिज़ाइन को एकीकृत करके, सरकारी आंकड़ों के साथ लोगों की सहभागिता को अधिक आसान, समझने योग्य और भागीदारीपूर्ण बनाता है।

समाचार में क्यों?

29 जून 2025 को सांख्यिकी दिवस के अवसर पर सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने अपनी इकाई राष्ट्रीय सैंपल सर्वे कार्यालय (NSO) के माध्यम से एक नवाचारपूर्ण मोबाइल एप्लिकेशन ‘GoIStats’ लॉन्च किया। इस ऐप का उद्देश्य सरकारी आंकड़ों को नागरिकों के लिए रियल टाइम में सुलभ बनाना, डेटा साक्षरता को बढ़ावा देना, और डिजिटल इंडिया तथा विकसित भारत की दिशा में योगदान देना है।

उद्देश्य

  • नागरिकों को कभी भी, कहीं भी सरकारी सांख्यिकीय आंकड़ों तक पहुंच प्रदान करना।

  • डेटा को आसान, इंटरैक्टिव और समझने योग्य बनाकर जनभागीदारी को प्रोत्साहित करना।

  • NSO की वेबसाइट, पोर्टल और मोबाइल ऐप के बीच डिजिटल एकीकरण स्थापित करना।

GoIStats ऐप की प्रमुख विशेषताएँ

इंटरएक्टिव ‘Key Trends’ डैशबोर्ड

  • GDP, महंगाई, रोजगार जैसे प्रमुख सामाजिक-आर्थिक संकेतकों पर डायनामिक डेटा विज़ुअलाइज़ेशन

‘Products’ सेक्शन

  • NSO डेटाबेस से datasets को एक-क्लिक में CSV डाउनलोड

  • एडवांस सर्च, फ़िल्टरिंग और मेटाडेटा के साथ पूर्ण जानकारी

विजुअल डेटा स्टोरीटेलिंग

  • इन्फोग्राफिक्स, इंटरएक्टिव चार्ट, और प्रासंगिक व्याख्याएं

  • स्रोत क्रेडिट और सोशल शेयरिंग विकल्प।

प्रकाशन अनुभाग

  • NSO की रिपोर्ट्स और शेड्यूल अपडेट्स को सीधे नोटिफिकेशन के माध्यम से प्राप्त करना।

यूज़र-फ्रेंडली डिज़ाइन

  • मोबाइल-फ्रेंडली टेबल्स, सरल नेविगेशन, और “Contact Us” सेक्शन से सीधा संवाद।

  • इनबिल्ट फीडबैक सिस्टम भविष्य के सुधारों के लिए।

प्लेटफॉर्म उपलब्धता

  • Android वर्जन: गूगल प्ले स्टोर पर मुफ्त उपलब्ध

  • iOS वर्जन: जल्द ही जारी किया जाएगा।

महत्व और प्रभाव

  • छात्रों, शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और आम नागरिकों के लिए सांख्यिकीय जानकारी तक आसान पहुंच

  • डिजिटल इंडिया, विकसित भारत और खुले शासन (Open Governance) को बढ़ावा।

  • विश्वसनीय, पारदर्शी और भागीदारी आधारित शासन प्रणाली के निर्माण की दिशा में सशक्त प्रयास।

कृषि क्षेत्र का उत्पादन वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 29.49 लाख करोड़ रुपये हुआ: NSO रिपोर्ट

कृषि और संबद्ध क्षेत्र से उत्पादन का सकल मूल्य (जीवीओ) वित्त वर्ष 2012 से वित्त वर्ष 2024 के दौरान स्थिर मूल्यों पर 54.6 प्रतिशत बढ़कर 29.49 लाख करोड़ रुपये हो गया। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने यह जानकारी दी। सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के तहत आने वाले एनएसओ ने ‘कृषि व संबद्ध क्षेत्रों से उत्पादन के मूल्य पर सांख्यिकीय रिपोर्ट (2011-12 से 2023-24)’ का वार्षिक प्रकाशन जारी किया है।

समाचार में क्यों?

एनएसओ ने कहा, “स्थिर मूल्यों पर कृषि और संबद्ध क्षेत्र से सकल उत्पादन मूल्य (जीवीओ) ने 2011-12 में 1,908 हजार करोड़ रुपये से 2023-24 में 2,949 हजार करोड़ रुपये तक की स्थिर वृद्धि दिखाई है, जो लगभग 54.6 प्रतिशत की समग्र वृद्धि को दर्शाता है।”

मुख्य बिंदु

  • GVO (स्थिर मूल्यों पर) FY12 में ₹19.08 लाख करोड़ → FY24 में ₹29.49 लाख करोड़

  • 12 वर्षों में कुल वृद्धि: 54.6%

  • आँकड़ों में कृषि, पशुपालन, वानिकी और मत्स्य पालन को शामिल किया गया है

  • रिपोर्ट मंत्रालय के MoSPI (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के तहत प्रकाशित की गई है

रिपोर्ट के उद्देश्य

  • कृषि क्षेत्र के आर्थिक उत्पादन का सटीक मूल्यांकन प्रदान करना

  • नीति-निर्माताओं को सब्सिडी, खरीद नीति, और ग्रामीण कल्याण योजनाओं में निर्णय लेने में मदद करना

  • कृषि सुधारों, जलवायु कारकों और बाजार की प्रवृत्तियों के प्रभाव को ट्रैक करना

पृष्ठभूमि जानकारी

  • आधार वर्ष: 2011-12 (स्थिर कीमतों के लिए)

  • GVO का अर्थ: कुल उत्पादन मूल्य (Gross Output), जो Gross Value Added (GVA) से अलग है — इसमें मध्यवर्ती उपभोग (intermediate consumption) घटाया नहीं जाता

  • यह रिपोर्ट भारतीय कृषि के संरचनात्मक परिवर्तन को समझने में सहायक है

स्थैतिक तथ्य

  • कृषि और संबद्ध क्षेत्र भारत की GDP में लगभग 18–20% का योगदान करते हैं

  • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश (चीन के बाद) है

  • यह क्षेत्र देश की 50% से अधिक आबादी को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आजीविका प्रदान करता है

महत्व और संकेत

  • यह रिपोर्ट भारतीय किसानों की लचीलापन क्षमता और सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता को दर्शाती है, जैसे:

    • पीएम किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)

    • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)

    • मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card)

    • सूक्ष्म सिंचाई और PMKSY जैसे जल परियोजनाएं

  • कृषि अवसंरचना, तकनीकी अपनाने, और ग्रामीण रोजगार में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा

  • यह दिखाता है कि मानसून की अनिश्चितता, वैश्विक मंदी, और मुद्रास्फीति जैसी चुनौतियों के बावजूद कृषि अर्थव्यवस्था में सतत वृद्धि हुई है

ESIC ने अनुपालन बढ़ाने हेतु SPREE को पुनः शुरू किया और एमनेस्टी स्कीम 2025 की शुरुआत की

सामाजिक सुरक्षा कवरेज में सुधार और कानूनी विवादों को कम करने के एक ऐतिहासिक निर्णय में, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) ने 1 जुलाई से 31 दिसंबर, 2025 तक एसपीआरईई योजना (नियोक्ता/कर्मचारियों के पंजीकरण को बढ़ावा देने की योजना) को फिर से शुरू करने की घोषणा की है। इसके साथ ही, इसने एमनेस्टी स्कीम-2025 की शुरुआत की है, जो 1 अक्टूबर, 2025 से 30 सितंबर, 2026 तक चलने वाली एकमुश्त विवाद समाधान खिड़की है। इन पहलों का उद्देश्य औपचारिक पंजीकरण को बढ़ावा देना, बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंच सुनिश्चित करना और ईएसआई अधिनियम के तहत स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देना है।

समाचार में क्यों?

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) ने 1 जुलाई से 31 दिसंबर 2025 तक SPREE योजना (Scheme to Promote Registration of Employers/Employees) को दोबारा शुरू करने की घोषणा की है। साथ ही, “एमनेस्टी स्कीम – 2025” नामक एक एकमुश्त विवाद समाधान योजना को 1 अक्टूबर 2025 से 30 सितंबर 2026 तक लागू किया जाएगा। इस निर्णय का उद्देश्य स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देना, कानूनी विवादों को सुलझाना, और अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना है।

मुख्य पृष्ठभूमि:

यह घोषणाएँ शिमला में आयोजित ईएसआईसी की 196वीं बैठक के दौरान की गईं, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने की। इसमें नीतिगत फैसलों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के एकीकरण, और श्रमिक कल्याण को प्राथमिकता दी गई।

प्रमुख निर्णय व विवरण

SPREE योजना (1 जुलाई – 31 दिसंबर 2025):

  • अपंजीकृत नियोजकों और छूटे हुए कर्मचारियों को एकमुश्त पंजीकरण का अवसर।

  • नियोजक के लिए कवरेज घोषित तिथि से लागू होगा।

  • कर्मचारियों को पंजीकरण की तिथि से लाभ मिलेगा।

  • दंड नहीं, स्वैच्छिक अनुपालन पर ज़ोर।

एमनेस्टी स्कीम – 2025 (1 अक्टूबर 2025 – 30 सितंबर 2026):

  • पुराने विवादों को सुलझाने और लंबित कानूनी मामलों को कम करने के लिए।

  • नुकसान, ब्याज और कवरेज संबंधित मामलों को शामिल किया गया।

  • क्षेत्रीय निदेशक केस वापस ले सकते हैं यदि:

    • संबंधित योगदान और ब्याज का भुगतान हो चुका हो

    • मामला 5 साल से अधिक पुराना हो और कोई नई नोटिस न आई हो।

अन्य प्रमुख स्वीकृतियाँ

RGSKY योजना में लचीलापन:

  • राजीव गांधी श्रमिक कल्याण योजना के तहत नौकरी छूटने पर लाभ के लिए आवेदन की 12 माह की सीमा में ढील देने का अधिकार ईएसआईसी के महानिदेशक को।

AYUSH नीति में सुधार:

  • आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी को ESIC के तहत एकीकृत करना।

  • समग्र एवं कल्याण-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा।

पायलट परियोजना – चैरिटेबल अस्पतालों के साथ साझेदारी:

  • दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए।

  • अस्पताल OPD से लेकर इमरजेंसी सेवाओं तक सभी सुविधाएं देंगे।

उद्देश्य और महत्व

  • औपचारिकरण को प्रोत्साहन: पंजीकरण की प्रक्रिया सरल बनाकर नियोजकों और कर्मचारियों को प्रणाली में लाना।

  • विवादों का समाधान: बिना लंबी कानूनी प्रक्रिया के निपटारा।

  • स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार: आधुनिक और पारंपरिक दोनों चिकित्सा पद्धतियों पर बल।

  • सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच: विशेष रूप से पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों में लाभ पहुंचाना।

  • सरकार के प्रति भरोसा बढ़ाना: श्रमिक और नियोजक दोनों को सहयोगी दृष्टिकोण।

स्थैतिक जानकारी:

  • ईएसआईसी की स्थापना: 1948, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम के तहत

  • संबद्ध मंत्रालय: श्रम एवं रोजगार मंत्रालय

  • सेवाएं: चिकित्सा, बीमारी, मातृत्व, विकलांगता व मृत्यु लाभ

  • RGSKY: बेरोजगारी भत्ता योजना — बीमित व्यक्ति को नौकरी छूटने पर सहायता प्रदान करता है।

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