टाटा मोटर्स ने रचा इतिहास: इटली की इवेको को ₹34600 करोड़ में खरीदा

टाटा मोटर्स ने 30 जुलाई 2025 को ऐलान किया कि उसकी कार्यकारी समिति ने इटली की इवेको ग्रुप NV की 100% हिस्सेदारी खरीदने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। यह पूरी तरह नकद सौदा करीब 3.8 अरब यूरो (लगभग ₹34,600 करोड़) का है, जो सभी जरूरी मंजूरियों पर निर्भर करेगा। खास बात यह है कि यह डील इवेको के डिफेंस बिजनेस को शामिल नहीं करती, जिसे वह पहले ही अलग बेचने की तैयारी में है।

टाटा मोटर्स की भारत में मजबूत स्थिति

यह विलय टाटा मोटर्स की भारत में मजबूत स्थिति को इवेको की यूरोप और अमेरिका में स्थापित उपस्थिति के साथ जोड़ेगा। दोनों कंपनियों के संयुक्त रूप से वार्षिक राजस्व €22 अरब (₹2.2 लाख करोड़) होगा और ये सालाना 5.4 लाख से अधिक यूनिट्स की बिक्री करेंगी। इनकी बाज़ार हिस्सेदारी यूरोप में 50%, भारत में 35% और अमेरिका में 15% होगी। इसके साथ ही, एशिया और अफ्रीका जैसे उभरते बाजारों में भी आकर्षक विकास की संभावनाएं हैं। कंपनियों का कहना है कि यह साझेदारी उत्पाद पोर्टफोलियो और भौगोलिक दृष्टिकोण से एक-दूसरे की पूरक है, और उनके मौजूदा परिचालनों में कोई खास ओवरलैप नहीं है।

इवेको ग्रुप कौन है?

इवेको ग्रुप, जिसकी स्थापना जून 2021 में हुई और मुख्यालय इटली के ट्यूरिन में है, ट्रक, बसें, पावरट्रेन और वित्तीय सेवाएं बनाने वाली वैश्विक कंपनी है। उसका वित्त वर्ष 2024 का कारोबार (रक्षा व्यवसाय सहित) 15.3 अरब यूरो था। गैर-रक्षा व्यवसाय यूरोप, भारत, अमेरिका और 30 से ज्यादा देशों में फैला है।

टाटा को क्या मिलेगा?

यह अधिग्रहण टाटा मोटर्स की वैश्विक वाणिज्यिक वाहन बाजार में नेतृत्व की महत्वाकांक्षा को बल देगा। इससे उसे नई तकनीकों तक पहुंच, बाजार विस्तार और उत्पाद विविधीकरण में मदद मिलेगी। डील पूरी होने पर नई इकाई सालाना 5.4 लाख यूनिट बेचेगी और उसका राजस्व 22 अरब यूरो आंका गया है, जिसमें यूरोप (50%), भारत (35%) और अमेरिकी देशों (15%) का योगदान होगा।

बड़े शेयरधारक का समर्थन

इवेको के सबसे बड़े शेयरधारक एक्सोर एन.वी. (27.06% हिस्सेदारी) ने सौदे का समर्थन करने का ठोस वादा किया है। इवेको के बोर्ड ने भी टाटा के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार करने की सिफारिश की है। माना जा रहा है कि यह डील अप्रैल 2026 तक पूरी हो जाएगी, जिसके लिए यूरोपीय संघ और अन्य देशों की मर्जर मंजूरियां जरूरी हैं।

क्या है ISRO का HOPE मिशन?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 1 अगस्त, 2025 को लद्दाख में 10-दिवसीय उच्च-ऊंचाई वाले आइसोलेशन प्रयोग का शुभारंभ किया। 14,000 फीट की ऊँचाई पर आयोजित यह मिशन, चंद्रमा या मंगल ग्रह पर लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियानों में अंतरिक्ष यात्रियों के सामने आने वाली चरम स्थितियों का अनुकरण करता है। यह पहल भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम और भविष्य के अंतरग्रहीय अन्वेषण की तैयारियों का एक हिस्सा है।

होप: भारत की अंतरिक्ष समरूप अनुसंधान सुविधा

लद्दाख के त्सो कर के पास स्थित Himalayan Outpost for Planetary Exploration (HOPE) मिशन को इसरो ने गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन का अभ्यास करने हेतु शुरू किया है। इसे बेंगलुरु स्थित स्पेस टेक्नोलॉजी फर्म Protoplanet ने बनाया है और इसका उद्घाटन इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने मिशन शुरू होने से एक दिन पहले किया।

क्यों चुना गया HOPE?

इस स्थान की चंद्रमा-सदृश चट्टानी सतह, ठंडी मरुस्थलीय जलवायु और कम ऑक्सीजन स्तर, इसे अंतरिक्ष जैसे तनावपूर्ण वातावरण का आदर्श स्थल बनाते हैं। रात के समय तापमान शून्य से काफी नीचे चला जाता है, जिससे चुनौती और बढ़ जाती है।

दो सदस्यीय क्रू

135 आवेदकों में से चुने गए:

  • राहुल मोगलापल्ली – पर्ड्यू यूनिवर्सिटी (PhD उम्मीदवार)

  • यमन अकोट – यूनिवर्सिटी ऑफ एबरडीन से ग्रह विज्ञान स्नातक

चयन मापदंड:

  • चिकित्सकीय फिटनेस

  • मानसिक सहनशक्ति

  • सीमित वातावरण में अनुभव

  • 15 दिनों का ऊंचाई पर अनुकूलन प्रशिक्षण भी लिया गया

मिशन के उद्देश्य

मिशन का लक्ष्य उच्च ऊंचाई, पृथकता और कठोर परिस्थितियों में मानव स्वास्थ्य और प्रदर्शन पर प्रभावों का अध्ययन करना है:

  • शारीरिक स्वास्थ्य निगरानी – रक्त, मूत्र, मल के नमूने लेकर तनाव पर जैविक प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण

  • मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन – मूड, नींद, स्मृति और सामाजिक व्यवहार का अवलोकन

  • ऑपरेशनल रेडीनेस – अंतरिक्ष यात्री जैसी दिनचर्या का अभ्यास: कार्य अनुसूचियां, व्यायाम, मिशन कंट्रोल संवाद

यह अभ्यास अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जैसी दिनचर्या को प्रतिबिंबित करता है और गगनयान के साथ-साथ चंद्र और मंगल अभियानों की योजना में मदद करेगा।

दुनिया के अन्य स्पेस एनालॉग मिशन

मिशन देश विशेषता
Mars Desert Research Station अमेरिका रेगिस्तानी वातावरण में अभ्यास
Flashline Mars Arctic Station कनाडा आर्कटिक क्षेत्र का अध्ययन
HI-SEAS हवाई मनोवैज्ञानिक अध्ययन
SIRIUS रूस 340 दिन तक पृथकता प्रयोग
ESA CAVES इटली भूमिगत प्रशिक्षण

HOPE की विशेषता यह है कि यह उच्च ऊंचाई + ठंडी मरुभूमि + चंद्र-जैसा भूभाग — तीनों तत्व एक ही स्थान पर उपलब्ध कराता है।

भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा में HOPE का योगदान

  • गगनयान और भविष्य के चंद्र/मंगल अभियानों के लिए आवश्यक मानव प्रदर्शन आंकड़े प्रदान करेगा।

  • भारत अब उन देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है जो वास्तविक ग्रह-समरूप सतह पर मिशन सिमुलेशन करते हैं।

  • HOPE की स्थापना से ISRO को देश में ही क्रू, उपकरण और संचालन रणनीतियों का परीक्षण करने की क्षमता मिली है — विदेशी सहयोग पर निर्भरता कम होगी।

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना के दूसरे चरण में महिला भागीदारी बढ़कर 41% हुई

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (पीएमआईएस) में महिला आवेदकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। पायलट प्रोजेक्ट के पहले चरण में भागीदारी 31% से बढ़कर दूसरे चरण में 41% हो गई। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के अनुसार, यह वृद्धि लक्षित आउटरीच पहलों और योजना की कार्यान्वयन प्रक्रिया में किए गए रणनीतिक बदलावों का परिणाम है।

महिला भागीदारी बढ़ने के प्रमुख कारण
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) ने महिला भागीदारी में इस उछाल के लिए दो प्रमुख कारण बताए:

  1. जन-जागरूकता अभियान
    राज्य सरकारों और मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालयों के सहयोग से जागरूकता अभियान चलाए गए जिससे महिलाओं को योजना की जानकारी अधिक प्रभावी ढंग से मिली।

  2. योजना की विशेषताओं में सुधार
    आवेदन प्रक्रिया और जानकारी साझा करने के तरीकों को और अधिक पारदर्शी और सुगम बनाया गया, जिससे महिलाओं को अवसरों तक पहुँचने में आसानी हुई।

इंटर्नशिप अवसर और आवेदन संख्या
जनवरी 2025 से शुरू हुए दूसरे चरण में:

  • 327 कंपनियों ने 1.18 लाख से अधिक इंटर्नशिप अवसर (नई और पहले की खाली पड़ी) पोस्ट किए।

  • ये अवसर 735 जिलों में फैले हुए थे।

  • 2.14 लाख उम्मीदवारों से 4.55 लाख आवेदन प्राप्त हुए।

  • यह पहले चरण की तुलना में एक बड़ा विस्तार दर्शाता है।

महत्वपूर्ण बदलाव जो असरदार साबित हुए

  • भू-स्थान टैगिंग (Geo-tagging) के साथ इंटर्नशिप की सटीक लोकेशन दर्शाना जिससे महिलाओं को घर के पास अवसर चुनने में सुविधा हुई।

  • कंपनियों के नाम व प्रोफाइल सार्वजनिक कर पारदर्शिता बढ़ाई गई।

  • सरकारी स्टाइपेंड के अतिरिक्त कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले अतिरिक्त लाभों की जानकारी भी साझा की गई।

  • ये विशेषताएँ उन महिलाओं के लिए खासतौर से सहायक रहीं जो यात्रा या स्थान संबंधी सीमाओं का सामना करती हैं।

सरकार और राज्यों का सहयोग

  • क्षेत्रीय कार्यालयों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए।

  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोडल विभाग/अधिकारी नामित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

  • IEC (सूचना, शिक्षा और संप्रेषण) अभियान के माध्यम से विद्यार्थियों और नौकरी चाहने वालों से सीधे संपर्क स्थापित किया गया।

महिला भर्ती पर प्रभाव

  • पहले चरण में महिला चयन की दर 28% थी, जो लगभग 31% महिला आवेदन दर से मेल खाती थी।

  • दूसरे चरण में महिला आवेदन दर 41% तक पहुँच गई, जिससे यह संकेत मिलता है कि इस बार चयन प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी और भी मजबूत हो सकती है।

केंद्र सरकार ने हथियार खरीद के लिए ₹67000 करोड़ की दी मंजूरी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना की परिचालन क्षमताओं को मज़बूत करने के लिए ₹67,000 करोड़ मूल्य के कई उच्च-मूल्य प्रस्तावों को मंज़ूरी दे दी है। इन अधिग्रहणों का उद्देश्य तीनों सेनाओं की निगरानी, गतिशीलता, मारक क्षमता और वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना है।

भारतीय नौसेना के लिए कॉम्पैक्ट ऑटोनोमस सरफेस क्राफ्ट, ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम और लॉन्चर की खरीद और बाराक-1 प्वाइंट डिफेंस मिसाइल सिस्टम के अपग्रेडेशन को मंजूरी दी गई है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि कॉम्पैक्ट ऑटोनोमस सरफेस क्राफ्ट की खरीद से नौसेना को पनडुब्बी रोधी अभियानों में खतरों की पहचान करने, वर्गीकरण करने और उन्हें निष्क्रिया करने की क्षमता मिलेगी।

हथियार प्रणाली के अपग्रेडेशन को मंजूरी

भारतीय वायु सेना के लिए माउंटेन रडार की खरीद और ‘सक्षम/स्पाइडर’ हथियार प्रणाली के अपग्रेडेशन को भी मंजूरी दी गई है। मंत्रालय ने कहा कि माउंटेन रडार की तैनाती से पहाड़ी इलाकों में सीमाओं के आसपास हवाई निगरानी की क्षमता बढ़ेगी। वहीं, सक्षम/स्पाइडर सिस्टम को ‘इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम’ से जोड़ने से वायु रक्षा की क्षमता में और इजाफा होगा।

युद्ध क्षमता में बढ़ोतरी

मंत्रालय ने यह भी बताया कि तीनों सेनाओं (थल, वायु और नौसेना) के लिए मीडियम ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (मेल) रीमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (ड्रोन) की खरीद को भी शुरुआती मंजूरी दी गई है। इन मेल ड्रोनों में कई तरह के हथियार और उपकरण ले जाने की क्षमता होगी और ये लंबे समय तक, लंबी दूरी तक उड़ान भर सकेंगे। मंत्रालय ने कहा कि इससे सेनाओं की चौबीसों घंटे निगरानी और युद्ध क्षमता में काफी बढ़ोतरी होगी।

सी-130जे विमानों के रखरखाव

इसके अलावा, डीएसी ने सी-17 और सी-130जे विमानों के रखरखाव और एस-400 लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के लिए एक व्यापक सालाना रखरखाव अनुबंध को भी शुरुआती मंजूरी दी है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि भारतीय सेना के बख्तरबंद वाहनों में इस्तेमाल के लिए ऐसी थर्मल इमेज प्रणाली खरीदी जाएगी जिससे उन्हें रात में चलाना आसान हो जाएगा। यह तकनीक सेना के बख्तरबंद वाहनों को रात में चलाने की क्षमता बढ़ाएगी और मशीनीकृत टुकड़ियों को तेजी से आगे बढ़ने और संचालन में लाभ प्रदान करेगी।

UPI ने बनाया रिकॉर्ड, एक ही दिन में 700 मिलियन से ज्यादा हुआ लेन-देन

भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर चुका है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2 अगस्त को UPI ने पहली बार 707 मिलियन दैनिक लेनदेन का आंकड़ा पार कर लिया। यह रिकॉर्ड देश के डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी छलांग है, जिसका हाल के वर्षों में तेज़ी से विस्तार हुआ है।

पिछले दो वर्षों में जबरदस्त वृद्धि

  • भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली, विशेषकर यूपीआई (UPI), ने बीते दो वर्षों में दैनिक लेन-देन की संख्या को दोगुना कर दिया है।
  • इसका अर्थ है कि देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को तेज़ी से अपनाया जा रहा है।
  • हालांकि लेन-देन की मूल्यवृद्धि की दर तुलनात्मक रूप से धीमी रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अब यूपीआई का उपयोग छोटे और बड़े दोनों प्रकार के लेन-देन के लिए किया जा रहा है।

सरकार का 100 करोड़ लेन-देन प्रतिदिन का लक्ष्य

  • भारत सरकार ने दैनिक 100 करोड़ (1 बिलियन) यूपीआई लेन-देन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
  • NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) का अनुमान है कि मौजूदा गति से यह लक्ष्य अगले वर्ष तक हासिल किया जा सकता है।
  • यह न सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि होगी, बल्कि भारत को वैश्विक डिजिटल समावेशन (Digital Financial Inclusion) के क्षेत्र में अग्रणी बना देगी।

भारत और दुनिया में UPI की बढ़ती पकड़

UPI की वर्तमान स्थिति:

  • भारत में कुल डिजिटल लेन-देन का 85% हिस्सा अब UPI के माध्यम से होता है

  • दुनिया भर में किए गए तत्काल डिजिटल भुगतान का लगभग 50% अकेले भारत में UPI के जरिए हो रहा है

यह आंकड़े भारत को रियल-टाइम भुगतान के क्षेत्र में दुनिया के विकसित देशों से आगे दिखाते हैं।

इसकी सफलता के प्रमुख कारण:

  • बैंक और ऐप्स के बीच इंटरऑपरेबिलिटी (अंतर-संचालन)

  • क्यूआर कोड आधारित भुगतान

  • व्यापारी के लिए शून्य शुल्क

  • सरल इंटरफेस और तेज़ प्रक्रिया

सर्वव्यापक उपयोग – हर जगह, हर दिन

  • छोटे दुकानदारों, ठेलेवालों, किराना दुकानों से लेकर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स तक, UPI अब भारत में भुगतान का मूलभूत तरीका बन चुका है।
  • UPI Lite जैसे विकल्पों ने कम मूल्य के ऑफलाइन लेन-देन को भी सक्षम किया है।
  • सिंगापुर और यूएई जैसे देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय UPI लिंकिंग ने इसकी पहुंच को वैश्विक स्तर पर बढ़ाया है।

ग्रामीण भारत में भी मजबूती से विस्तार

  • सस्ते स्मार्टफोन

  • डिजिटल जागरूकता अभियान

  • सरल एप्लिकेशन अनुभव

इन सबके चलते यूपीआई का उपयोग अब पहली बार इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले ग्रामीण उपभोक्ताओं तक भी पहुंच चुका है।

कारोबारी भरोसा सूचकांक अप्रैल-जून में बढ़कर 149.4 पर पहुंचा

राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) ने भारत के व्यावसायिक विश्वास सूचकांक (बीसीआई) में तीव्र वृद्धि दर्ज की है, जो 2024-25 की अप्रैल-जून तिमाही में पिछली तिमाही के 139.3 से बढ़कर 149.4 हो गया। विश्वास में यह वृद्धि सभी प्रमुख आर्थिक संकेतकों में सकारात्मक उम्मीदों से प्रेरित है, जो आने वाले महीनों के लिए भारतीय व्यवसायों में प्रबल आशावाद का संकेत है।

व्यवसायिक विश्वास में उछाल का कारण क्या है? 

नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) द्वारा जारी बिज़नेस एक्सपेक्टेशंस सर्वेक्षण (जून 2025) के अनुसार, भारत में व्यापारिक माहौल में मजबूत सुधार देखने को मिल रहा है। इस इंडेक्स की गणना चार प्रमुख कारकों पर आधारित होती है:

  1. अगले छह महीनों में आर्थिक हालात में सुधार की उम्मीद

  2. फर्मों की वित्तीय स्थिति में सुधार की आशा

  3. वर्तमान निवेश माहौल का सकारात्मक मूल्यांकन

  4. उत्पादन क्षमता का अनुकूल या उससे अधिक उपयोग

60% से अधिक कंपनियों ने इन सभी मापदंडों पर सकारात्मक उत्तर दिए हैं, जो व्यापक आशावाद को दर्शाता है।

उत्पादन, बिक्री और निर्यात में तेजी की उम्मीद

सर्वेक्षण के अनुसार, अधिकांश कंपनियों ने आने वाले महीनों में बेहतर प्रदर्शन की आशा जताई है:

  • 78.7% कंपनियां उत्पादन में वृद्धि की अपेक्षा कर रही हैं

  • 79.1% को घरेलू बिक्री में बढ़ोतरी की उम्मीद

  • 66.5% को निर्यात में वृद्धि की आशा

  • 54.3% को कच्चे माल के आयात में बढ़त की उम्मीद (पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 46.1% था)

यह संकेत देता है कि आने वाले समय में उत्पादन गतिविधियां और तेज़ हो सकती हैं

60.9% कंपनियों को उम्मीद है कि पूर्व-कर लाभ (Pre-Tax Profit) में सुधार होगा, जिससे यह संकेत मिलता है कि कंपनियों को बेहतर मार्जिन की संभावना दिख रही है।

श्रम बाज़ार में ठहराव

उत्पादन और बिक्री की आशावादिता के बावजूद:

  • नौकरी सृजन या वेतन वृद्धि में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया

  • सर्वेक्षण में हायरिंग सेंटिमेंट स्थिर पाया गया

  • कंपनियां आउटपुट बढ़ा रही हैं, पर वर्कफोर्स का विस्तार नहीं कर रहीं

यह दर्शाता है कि मुनाफे की प्राथमिकता पर ज़ोर दिया जा रहा है, श्रमिक लाभ बाद में आ सकता है।

सर्वेक्षण का दायरा और कवरेज

  • यह तिमाही सर्वे जून 2025 में किया गया

  • 6 प्रमुख भारतीय शहरों में स्थित 479 कंपनियों को शामिल किया गया

  • इसमें विविध उद्योग क्षेत्रों की कंपनियाँ शामिल हैं – जो देश की व्यवसायिक भावना का व्यापक चित्र प्रस्तुत करती है

अगले छह महीनों के लिए दृष्टिकोण

  • यदि यह सकारात्मक रुझान जारी रहता है, तो भारत में:

    • निवेश प्रवाह में तेजी

    • निर्यात वृद्धि

    • क्षमता उपयोग में सुधार
      जैसे कारक आर्थिक वृद्धि को मजबूती दे सकते हैं।

लेकिन श्रमिक बाज़ार में स्थिरता दर्शाती है कि विकास का लाभ आम लोगों तक पहुंचने में समय लग सकता है

इंडसइंड बैंक ने राजीव आनंद को नया प्रबंध निदेशक और सीईओ नियुक्त किया

भारत में निजी क्षेत्र के अग्रणी ऋणदाता, इंडसइंड बैंक ने राजीव आनंद को अपना नया प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त करने की घोषणा की है। आनंद का कार्यकाल 25 अगस्त, 2025 से शुरू होकर 24 अगस्त, 2028 तक रहेगा, जो बैंक की आगामी आम बैठक में शेयरधारकों की मंज़ूरी पर निर्भर करेगा।

नियुक्ति का विवरण

इंडसइंड बैंक के निदेशक मंडल ने राजीव आनंद को प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (MD & CEO) श्रेणी में अतिरिक्त निदेशक के रूप में नियुक्त करने को मंजूरी दी है।

  • कार्यकाल: 25 अगस्त 2025 से 24 अगस्त 2028 तक (3 वर्ष)

  • शर्त: आगामी आम बैठक में शेयरधारकों की स्वीकृति अपेक्षित है

राजीव आनंद का पेशेवर अनुभव

राजीव आनंद के पास बैंकिंग क्षेत्र में दो दशकों से अधिक का अनुभव है। वे विशेष रूप से एक्सिस बैंक में अपने कार्यकाल के लिए जाने जाते हैं, जो भारत का तीसरा सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का बैंक है।

उनके प्रमुख पद और योगदान:

  1. डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर, एक्सिस बैंक

    • कॉर्पोरेट (Wholesale) बैंकिंग डिवीजन का नेतृत्व किया

    • कॉर्पोरेट ग्राहकों के पोर्टफोलियो को बड़े स्तर पर बढ़ाया

  2. प्रेसिडेंट, रिटेल बैंकिंग, एक्सिस बैंक

    • बैंक की रिटेल सेवाओं का विस्तार किया और उपभोक्ता अनुभव को मजबूत किया

  3. प्रबंध निदेशक एवं सीईओ, एक्सिस एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड

    • 2009 में स्थापना से लेकर संचालन तक नेतृत्व किया

    • निवेश और म्यूचुअल फंड क्षेत्र में एक्सिस बैंक की सशक्त उपस्थिति बनाई

राजीव आनंद की सबसे बड़ी खासियत उनकी दोहरे क्षेत्र (retail & corporate) में रणनीतिक समझ और नेतृत्व क्षमता है।

इंडसइंड बैंक के लिए रणनीतिक महत्व

  • यह नियुक्ति बैंक की दीर्घकालिक विकास रणनीति के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य है:

    • स्थायित्व और निरंतरता

    • बाजार में उपस्थिति का विस्तार

    • नए अवसरों का लाभ उठाना

  • बैंक अब अनुभवी बैंकिंग पेशेवरों को शीर्ष प्रबंधन में शामिल कर, अपनी टीम को और मजबूत बना रहा है।

निष्कर्ष

राजीव आनंद की नियुक्ति इंडसइंड बैंक के लिए एक रणनीतिक परिवर्तन का संकेत है। उनकी नेतृत्व कुशलता और व्यापक बैंकिंग अनुभव से बैंक को मौजूदा प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में संतुलन और वृद्धि दोनों में सहायता मिलेगी। आने वाले वर्षों में उनका मार्गदर्शन बैंक के सतत विकास की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

जुलाई में भारत का सेवा क्षेत्र पहुंचा 11 महीने के उच्च स्तर पर

एसएंडपी ग्लोबल द्वारा जारी नवीनतम एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के अनुसार, भारत का सेवा क्षेत्र जुलाई 2025 में 11 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया, जिसे मज़बूत अंतरराष्ट्रीय माँग और स्थिर घरेलू बिक्री से बल मिला। यह रिपोर्ट भारत के सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में से एक में निरंतर विस्तार को रेखांकित करती है, जो मुद्रास्फीति के दबाव और धीमी भर्तियों के बावजूद मज़बूत गति का संकेत देती है।

PMI 60.5 पर पहुँचा: स्थिर वृद्धि का संकेत

जुलाई 2025 में भारत की सेवा क्षेत्र क्रय प्रबंधक सूचकांक (Services PMI) बढ़कर 60.5 पर पहुँच गई, जो जून में 60.4 थी और प्रारंभिक अनुमान 59.8 से भी अधिक है। यह लगातार 48वां महीना है जब सेवा क्षेत्र में विस्तार दर्ज किया गया है (PMI का 50 से ऊपर होना वृद्धि का संकेत देता है)। यह वृद्धि घरेलू उपभोग और वैश्विक सेवा निर्यात में निरंतर गति को दर्शाती है, जो महामारी के बाद भारत की आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

अंतरराष्ट्रीय मांग बनी गति का प्रमुख आधार

  • रिपोर्ट में विशेष रूप से नए निर्यात व्यवसाय उप-सूचकांक (new export business sub-index) में तेज़ वृद्धि दर्ज की गई है — जो पिछले एक वर्ष में दूसरी सबसे मजबूत रही।
  • विशेषकर वित्त, बीमा, और आईटी सेवाओं की वैश्विक मांग में तेज़ उछाल देखने को मिला।

क्षेत्रीय प्रदर्शन: कौन आगे, कौन पीछे

शीर्ष प्रदर्शनकर्ता:

  • वित्त और बीमा (Finance & Insurance) — नई मांगों और समग्र गतिविधि में सबसे आगे रहा।

  • यह क्षेत्र आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद मजबूत बना रहा।

धीमी प्रगति वाले क्षेत्र:

  • रियल एस्टेट और बिज़नेस सर्विसेज — इनमें सबसे धीमी वृद्धि देखी गई।

  • कारण: बजट में कटौती और निवेश निर्णयों में देरी।

नौकरी और महंगाई की प्रवृत्ति

  • रोजगार वृद्धि: सेवा क्षेत्र में कामकाज तेज़ होने के बावजूद, नौकरी वृद्धि 15 महीने के निचले स्तर पर रही — संकेत कि कंपनियाँ लागत बढ़ने के कारण सतर्क हैं।

  • इनपुट लागत में बढ़ोतरी: खाद्य पदार्थ, मालभाड़ा और श्रम की कीमतें बढ़ीं।

  • उत्पादन मूल्य में वृद्धि: कंपनियों ने बढ़ती लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला — जिससे आउटपुट मुद्रास्फीति इनपुट लागत वृद्धि से आगे निकल गई।

यह बढ़ती महंगाई RBI की मौद्रिक नीति पर प्रभाव डाल सकती है, जो अब विकास और मूल्य स्थिरता के बीच संतुलन साधने में जुटी है।

मौद्रिक नीति का दृष्टिकोण

  • RBI की अगस्त 4–6 बैठक में रेपो दर को 5.50% पर स्थिर रखने की संभावना है।

  • हालांकि, यदि मुद्रास्फीति के आंकड़े नरम पड़ते हैं, तो अगली तिमाही में दर में कटौती संभव है (रायटर पोल के अनुसार)।

भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत

सेवा प्रदाताओं में जुलाई में व्यावसायिक आत्मविश्वास बढ़ा। उम्मीद जताई गई कि:

  • मार्केटिंग अभियानों,

  • तकनीकी नवाचारों, और

  • ऑनलाइन उपस्थिति विस्तार
    से उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

यह आशावाद निवेश और उत्पादकता में सुधार को बढ़ावा दे सकता है, जो दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है।

निष्कर्ष:

PMI का 60.5 तक पहुँचना दर्शाता है कि भारत का सेवा क्षेत्र मजबूती से आगे बढ़ रहा है, लेकिन रोजगार और महंगाई जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए संतुलित नीति-निर्णयों की आवश्यकता है।

IRDAI ने पॉलिसी ब्रोकर पर लगाया 5 करोड़ का जुर्माना

भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमा नियमों के कई उल्लंघनों के लिए पॉलिसीबाज़ार इंश्योरेंस ब्रोकर्स पर ₹5 करोड़ का भारी-भरकम जुर्माना लगाया है। इन उल्लंघनों में बीमा उत्पादों के भ्रामक प्रचार से लेकर प्रीमियम के भुगतान में देरी और आउटसोर्सिंग प्रथाओं में पारदर्शिता की कमी शामिल है। यह नियामक कार्रवाई बीमा मध्यस्थों के लिए उपभोक्ताओं का विश्वास और अनुपालन बनाए रखने की एक कड़ी चेतावनी है।

Policybazaar पर जुर्माना क्यों लगाया गया?

भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने Policybazaar पर कई अनियमितताओं के चलते बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 102 के तहत जुर्माना लगाया है। जुर्माने के साथ ही नियामक ने पालना सुधार, पारदर्शिता बढ़ाने की सलाह, और भविष्य में उल्लंघन से बचने की चेतावनी भी जारी की है।

बीमा योजनाओं का भ्रामक प्रचार

Policybazaar ने कुछ बीमा उत्पादों को “Best” या “Top Plans” के रूप में प्रचारित किया, बिना किसी निष्पक्ष मूल्यांकन मानदंड या तुलनात्मक उपकरण के। इससे उपभोक्ताओं को यह भ्रम हो सकता था कि ये योजनाएं IRDAI द्वारा अनुमोदित हैं या अन्य विकल्पों से बेहतर हैं। “कुछ बीमा उत्पादों को ‘Best’ या ‘Top Plans’ बताकर कुछ कंपनियों और उनकी योजनाओं को प्राथमिकता और बढ़ावा दिया गया।”

बीमा प्रीमियम के हस्तांतरण में देरी

नियमों के अनुसार, वेब एग्रीगेटर्स को बीमाधारकों से प्राप्त प्रीमियम राशि को तत्काल बीमा कंपनियों को ट्रांसफर करना चाहिए।
लेकिन Policybazaar ने कई मामलों में यह राशि 30 दिन से भी अधिक समय तक रोकी, जिससे उपभोक्ताओं को हुए जोखिम:

  • पॉलिसी जारी करने में देरी

  • बीमा कवर में अंतराल

  • दावे की स्थिति में सुरक्षा की कमी

आउटसोर्सिंग समझौतों में पारदर्शिता की कमी

Policybazaar ने जिन तृतीय-पक्ष एजेंसियों से सेवाएं लीं, उन्हें उच्च भुगतान किया, लेकिन उनके नियामक अनुपालन की निगरानी नहीं की गई।

  • लगभग 1 लाख टेलीमार्केटिंग-आधारित पॉलिसियों में उचित सत्यापन नहीं पाया गया।

  • कई कॉल रिकॉर्डिंग अधूरी या लापता थीं।

बीमा उत्पादों का चयनात्मक प्रदर्शन

जांच के दौरान पाया गया कि Policybazaar की वेबसाइट पर:

  • सिर्फ 5 बीमा कंपनियों की ULIP योजनाएं प्रदर्शित थीं, जबकि अधिक कंपनियों से करार था।

  • 23 में से सिर्फ 12 कंपनियों की स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को “Top Plans” में दिखाया गया।

यह उपभोक्ताओं को पूर्ण विकल्पों से वंचित करता है और बाज़ार में पक्षपात को बढ़ावा देता है।

कानूनी आधार और नियामकीय कार्रवाई

  • बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 102 के अंतर्गत कार्रवाई

  • नियामक द्वारा जारी निर्देश:

    • पालना सुधार के निर्देश

    • पारदर्शिता के लिए सलाह

    • भविष्य में उल्लंघन से सावधान रहने की चेतावनी

बीमा क्षेत्र पर प्रभाव और उपभोक्ताओं के लिए सबक

बीमा एग्रीगेटर्स के लिए सीख:

  • पारदर्शिता अनिवार्य है — सभी विकल्प निष्पक्ष और पूरी जानकारी के साथ दिखाना ज़रूरी

  • प्रीमियम राशि का शीघ्र ट्रांसफर बीमाधारकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक

  • आउटसोर्सिंग प्रक्रिया में अनुपालन और निगरानी अनिवार्य

उपभोक्ताओं के लिए सुझाव:

  • कई प्लेटफॉर्म पर तुलना करें

  • नीतियों की जानकारी बीमा कंपनियों से सीधे प्राप्त करें

  • “Best” या “Top” जैसे प्रचारक शब्दों से सावधान रहें — ये अक्सर मार्केटिंग रणनीति होती हैं, न कि प्रमाणित गुणवत्ता

भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति वक्तव्य 2025–26: विस्तृत विश्लेषण

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 56वीं बैठक 4-6 अगस्त, 2025 को भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर श्री संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में डॉ. नागेश कुमार, श्री सौगत भट्टाचार्य, प्रो. राम सिंह, डॉ. पूनम गुप्ता और डॉ. राजीव रंजन भी उपस्थित थे।

मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 56वीं बैठक

दिनांक: 4 से 6 अगस्त, 2025
स्थान: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
अध्यक्षता: गवर्नर श्री संजय मल्होत्रा द्वारा

अन्य सदस्य:

  • डॉ. नागेश कुमार

  • श्री सौगाता भट्टाचार्य

  • प्रो. राम सिंह

  • डॉ. पूनम गुप्ता

  • डॉ. राजीव रंजन

मुख्य निर्णय

रेपो दर को 5.50% पर स्थिर रखा गया

अन्य प्रमुख दरें:

  • स्टैंडिंग डिपॉज़िट फैसिलिटी (SDF): 5.25%

  • मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) और बैंक रेट: 5.75%

निर्णय का उद्देश्य

यह निर्णय RBI के दोहरे लक्ष्य को संतुलित करता है:

  1. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति को 4% ±2% के दायरे में बनाए रखना

  2. आर्थिक वृद्धि को समर्थन देना

भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति (2025–26) का विस्तृत विश्लेषण – वृद्धि और मुद्रास्फीति परिदृश्य

वैश्विक परिदृश्य 

  • IMF द्वारा वृद्धि अनुमानों में संशोधन के बावजूद वैश्विक आर्थिक वृद्धि धीमी बनी हुई है।

  • डिसइंफ्लेशन (मुद्रास्फीति में गिरावट) की रफ्तार कम हो गई है और कुछ विकसित देशों में मुद्रास्फीति में फिर से वृद्धि देखी जा रही है।

  • व्यापारिक तनाव, टैरिफ बदलाव, और नीति अनिश्चितताएं चिंता के विषय हैं।

घरेलू अर्थव्यवस्था 

  • आर्थिक वृद्धि लचीली बनी हुई है।

  • निजी खपत (विशेषकर ग्रामीण मांग) और स्थिर पूंजी निवेश में मजबूती दिखाई दे रही है, जिसे सरकार के मजबूत पूंजीगत व्यय से समर्थन मिल रहा है।

कृषि क्षेत्र:

  • दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहा और खरीफ बुवाई अच्छी रही।

सेवा क्षेत्र:

  • निर्माण और व्यापार के नेतृत्व में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

औद्योगिक क्षेत्र:

  • वृद्धि असमान है — बिजली और खनन क्षेत्र पीछे हैं।

GDP वृद्धि अनुमान (2025–26): 6.5%

तिमाही अनुमानित वृद्धि दर
Q1 6.5%
Q2 6.7%
Q3 6.6%
Q4 6.3%
Q1 2026–27 6.6%

वर्तमान स्थिति (जून 2025):

  • CPI मुद्रास्फीति: 2.1% (पिछले 77 महीनों में सबसे कम) — लगातार आठवीं बार गिरावट

  • खाद्य मुद्रास्फीति: -0.2% (ऋणात्मक) — फरवरी 2019 के बाद पहली बार।

  • कोर मुद्रास्फीति: बढ़कर 4.4% — मुख्यतः सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण।

2025–26 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान: 3.1%

तिमाही अनुमानित CPI मुद्रास्फीति
Q2 2.1%
Q3 3.1%
Q4 4.4%
Q1 2026–27 4.9%
  • मौसम संबंधित झटके (फसल उत्पादन पर असर)

  • वैश्विक अनिश्चितताएं और व्यापार विवाद

  • बाद की तिमाहियों में नीतिगत उपायों से उत्पन्न मांग दबाव

रेपो दर को यथावत रखने का कारण 

  1. मुद्रास्फीति नियंत्रण:

    • फिलहाल लक्ष्य से नीचे है, पर वर्ष के अंत तक 4% से ऊपर जाने की संभावना है।

  2. आर्थिक वृद्धि स्थिर:

    • GDP वृद्धि अनुमान 6.5% पर स्थिर है।

  3. पिछली कटौतियों का असर:

    • फरवरी 2025 से अब तक 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की जा चुकी है — इनके पूर्ण प्रभाव की प्रतीक्षा की जा रही है।

  4. वैश्विक अनिश्चितताएं:

    • व्यापार और पूंजी प्रवाह पर टैरिफ तनाव का प्रभाव संभव।

  5. तटस्थ मौद्रिक रुख (Neutral Stance):

    • MPC आगे के निर्णय डेटा आधारित मूल्यांकन के आधार पर लेगी।

परीक्षा की दृष्टि से प्रमुख बिंदु 

  • रेपो रेट: 5.50% (बिना बदलाव)

  • GDP वृद्धि (2025–26): 6.5%

  • CPI मुद्रास्फीति (2025–26): 3.1% (Q4 में 4% से ऊपर जाने की संभावना)

  • दर में बदलाव नहीं: पूर्व की कटौतियों का प्रभाव समय के साथ दिखेगा; मुद्रास्फीति में फिर से वृद्धि संभव

  • प्रमुख जोखिम: मौसम, वैश्विक व्यापार तनाव, आयात/निर्यात में बाधा

  • अगली MPC बैठक: 29 सितंबर से 1 अक्टूबर, 2025

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