जानें कौन हैं एस राधा चौहान, जिन्हें केंद्र सरकार में मिली बड़ी जिम्मेदारी

 केंद्र सरकार ने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) की पूर्व सचिव एस. राधा चौहान को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। हाल ही में जारी आदेश के अनुसार, उन्हें क्षमता निर्माण आयोग (Capacity Building Commission-CBC) की पूर्णकालिक अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। आदेश के मुताबिक, राधा चौहान 1 अगस्त 2025 से तीन वर्षों की अवधि के लिए या अगले आदेश तक इस पद पर रहेंगी।

लोक सेवा में एक विशिष्ट करियर

तीन दशकों से अधिक के शानदार प्रशासनिक अनुभव के साथ, श्रीमती चौहान ने उत्तर प्रदेश राज्य सरकार और भारत सरकार दोनों में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। विशेष रूप से, उन्होंने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) की सचिव के रूप में कार्य करते हुए नीति निर्माण और सिविल सेवाओं के मानव संसाधन प्रबंधन में अहम भूमिका निभाई। उनका व्यापक प्रशासनिक अनुभव और शासन सुधारों की गहरी समझ उन्हें क्षमता निर्माण आयोग (Capacity Building Commission) का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त बनाता है, जिसका उद्देश्य भारत की सिविल सेवाओं को सशक्त बनाना है।

क्षमता निर्माण आयोग के बारे में

क्षमता निर्माण आयोग की स्थापना भारत सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2021 को मिशन कर्मयोगी पहल के तहत की गई थी। इसका उद्देश्य भारत की सिविल सेवाओं में क्षमता निर्माण प्रयासों का मानकीकरण, समन्वय और समरसता सुनिश्चित करना है।

यह आयोग सिविल सेवा सुधारों का संरक्षक माना जाता है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम आधुनिक, प्रासंगिक और भारत की बदलती शासन आवश्यकताओं के अनुरूप हों। यह मंत्रालयों, राज्य सरकारों और प्रशिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर क्षमता-आधारित रूपरेखाओं का विकास करता है और प्रशिक्षण पहलों के प्रभाव का मूल्यांकन करता है।

श्रीमती चौहान के नेतृत्व में आगे की राह

अध्यक्ष के रूप में, श्रीमती चौहान के नेतृत्व में आयोग से यह अपेक्षा की जा रही है कि वह प्रशिक्षण मानकों को संस्थागत रूप दे, डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा दे और सरकारी विभागों में क्षमता-आधारित मानव संसाधन प्रबंधन को और अधिक सुदृढ़ करे। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब मिशन कर्मयोगी भारतीय नौकरशाही को अधिक चुस्त, नागरिक-केंद्रित और भविष्य के लिए तैयार सेवा में बदलने पर केंद्रित है। उनके नेतृत्व से इस महत्वाकांक्षी सुधार अभियान को नई गति और दिशा मिलने की उम्मीद है।

कौन हैं एस. राधा चौहान

राधा चौहान यूपी कैडर की 1988 बैच की आईएएस अधिकारी रही हैं। 30 जून 2025 को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की सचिव पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। वो मई 2022 से DoPT की सचिव रह चुकी हैं। इससे पहले नेशनल ई-गवर्नेंस डिविजन (NeGD) की चेयरपर्सन और CEO के पद पर कार्य कर चुकीं हैं। इतना ही नहीं, 2011 से 2015 तक मानव संसाधन मंत्रालय के तहत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग में संयुक्त सचिव भी रह चुकी हैं। यूपी में गाजियाबाद की कमिश्नर, नोएडा अथॉरिटी की CEO, ग्रेटर नोएडा की डिप्टी CEO, बुलंदशहर, पीलीभीत की डीएम, आगरा और मेरठ की एडिशनल कमिश्नर रह चुकी हैं।

eSAKSHI पोर्टल: सांसद निधि प्रबंधन में रियल-टाइम ट्रैकिंग के साथ क्रांतिकारी बदलाव

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने eSAKSHI पोर्टल को अपनाने और उसके प्रभाव में उल्लेखनीय प्रगति की घोषणा की है। यह एक अभूतपूर्व डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जिसने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) निधि प्रबंधन प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल दिया है। 1 अप्रैल, 2023 को भारतीय स्टेट बैंक के सहयोग से शुरू की गई eSAKSHI प्रणाली, परियोजना कार्यान्वयन के हर चरण—सांसदों की सिफ़ारिशों से लेकर ज़िला प्राधिकरण की मंज़ूरी और कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा क्रियान्वयन—को एक एकल, निर्बाध डिजिटल वर्कफ़्लो में एकीकृत करती है।

eSAKSHI पोर्टल: MPLADS निधि प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही की नई दिशा
eSAKSHI पोर्टल भौतिक अभिलेखों की आवश्यकता को समाप्त कर पूरी तरह डिजिटल फंड फ्लो और सुरक्षित सत्यापन प्रणाली को सक्षम बनाता है। सभी संबंधित पक्षों को एक ही मंच पर जोड़कर इसने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के तहत निधियों के उपयोग में दक्षता, पारदर्शिता और रियल-टाइम ट्रैकिंग को सशक्त किया है।

मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • सांसदों, जिला अधिकारियों और क्रियान्वयन एजेंसियों के लिए विशेष डैशबोर्ड।

  • स्वीकृत कार्यों की रियल-टाइम प्रगति निगरानी।

  • डिजिटल माध्यम से निधियों की निर्गति, जिससे विलंब और कागजी कार्यवाही में कमी।

  • मोबाइल ऐप के माध्यम से सांसद अपने सुझाव दे सकते हैं और परियोजनाओं की निगरानी कर सकते हैं।

देशव्यापी कार्यान्वयन और प्रशिक्षण
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को eSAKSHI पोर्टल पर सफलतापूर्वक जोड़ा गया है। इसकी प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मंत्रालय द्वारा सांसदों और अन्य हितधारकों हेतु कार्यशालाएं, वेबिनार और व्यवहारिक प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं।

इसके अतिरिक्त, संसद के मानसून सत्र 2023 से ही संसद भवन परिसर में ई-सहायता कियोस्क लगाए गए हैं, जहाँ सांसदों को प्रत्यक्ष सहयोग उपलब्ध कराया जाता है। कार्य दिवसों में सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक एक समर्पित हेल्पडेस्क भी सक्रिय है। पोर्टल पर विस्तृत उपयोगकर्ता पुस्तिकाएं और मार्गदर्शक वीडियो भी उपलब्ध हैं।

कार्य निष्पादन हेतु सख्त समय-सीमा
MPLADS दिशानिर्देश, 2023 के तहत कार्यों की स्वीकृति और पूर्णता के लिए सख्त समयसीमाएं तय की गई हैं:

  • सांसद द्वारा की गई अनुशंसा को 45 दिनों में स्वीकृत या अस्वीकृत करना।

  • क्रियान्वयन एजेंसियों द्वारा एक वर्ष में कार्य पूर्ण करना (कठिन क्षेत्रों को छोड़कर)।

  • सांसद का कार्यकाल समाप्त होने के 18 माह के भीतर लंबित कार्यों का पूर्ण होना।

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मासिक समीक्षा बैठकें आयोजित की जाती हैं, जिनमें विलंबित स्वीकृतियों, अधूरी परियोजनाओं और भुगतान में देरी पर रिपोर्टिंग की जाती है।

पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा
eSAKSHI पोर्टल ने MPLADS के सभी स्तरों पर जवाबदेही को मजबूत किया है। रियल-टाइम निगरानी और पारदर्शी रिपोर्टिंग से रुकावटें पहचानने में आसानी हुई है, वहीं डिजिटल फंड फ्लो से गड़बड़ियों और अक्षमता पर अंकुश लगा है। मोबाइल ऐप के माध्यम से सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र की परियोजनाओं से जुड़े रह सकते हैं, चाहे वे जिले से बाहर ही क्यों न हों।

MoSPI (सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय) निरंतर सुधार की दिशा में प्रतिबद्ध है और हितधारकों की प्रतिक्रिया के आधार पर पोर्टल को और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल और प्रभावी बनाने के लिए नियमित अद्यतन कर रहा है, जिससे यह प्लेटफ़ॉर्म शासन के बदलते स्वरूप के साथ तालमेल बनाए रख सके।

असम में बालिकाओं की उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु ‘निजुत मोइना 2.0’ योजना की शुरुआत

असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने आज ‘निजुत मोइना 2.0’ योजना का शुभारंभ किया, जो बालिकाओं के उच्च शिक्षा में नामांकन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की गई एक प्रमुख पहल है। इस योजना के तहत छात्राओं को मासिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसका औपचारिक शुभारंभ गुवाहाटी विश्वविद्यालय के बिरिंचि कुमार बरुआ सभागार में किया गया, वहीं पूरे राज्य में एक साथ कार्यक्रम आयोजित कर आवेदन पत्रों का प्रतीकात्मक वितरण भी किया गया।

शिक्षा के माध्यम से बेटियों को सशक्त बनाने की पहल
‘निजुत मोइना’ योजना का उद्देश्य बेटियों को सशक्त बनाना और ड्रॉपआउट दर को कम करना है। इस योजना के अंतर्गत उन्हें उच्चतर माध्यमिक (HS) से लेकर स्नातकोत्तर (PG) तक की पढ़ाई के लिए निरंतर वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। यह योजना समावेशी है—आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना सभी परिवारों की बेटियां इससे लाभ उठा सकती हैं।

शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का सबसे प्रभावशाली माध्यम है, और ‘निजुत मोइना’ जैसी पहलें युवतियों को सशक्त बनाने और उनके सुरक्षित भविष्य के निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगी।

वित्तीय सहायता की संरचना
‘निजुत मोइना 2.0’ योजना के तहत छात्राओं को निम्नानुसार वार्षिक सहायता दी जाएगी:

  • एचएस प्रथम वर्ष की छात्राएं – ₹10,000 वार्षिक (₹1,000 प्रतिमाह, 10 माह तक)

  • स्नातक स्तर की छात्राएं – ₹12,500 वार्षिक (₹1,250 प्रतिमाह, 10 माह तक)

  • स्नातकोत्तर स्तर की छात्राएं – ₹25,000 वार्षिक (₹2,500 प्रतिमाह, 10 माह तक)

यह योजना सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत छात्राओं को कवर करती है। केवल इस वर्ष ही चार लाख से अधिक बालिकाओं को इस योजना का लाभ मिलने की उम्मीद है।

राज्यव्यापी क्रियान्वयन
गुवाहाटी में मुख्य कार्यक्रम के साथ-साथ पूरे राज्य में जिला स्तर पर भी कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें आवेदन पत्रों का वितरण किया गया और योजना के प्रति जागरूकता बढ़ाई गई। शैक्षणिक संस्थानों, सामुदायिक नेताओं और महिला समूहों की सक्रिय भागीदारी से योजना को मजबूत स्थानीय समर्थन प्राप्त हुआ।

यह वित्तीय सहायता एक बार की नहीं, बल्कि छात्राओं की पूरी शैक्षणिक यात्रा के दौरान निरंतर समर्थन देने वाली व्यवस्था है, जिससे वे आर्थिक बोझ से मुक्त होकर पूरी लगन से पढ़ाई कर सकें।

शैक्षिक समानता की दिशा में कदम
‘निजुत मोइना’ योजना असम की व्यापक लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दृष्टि के अनुरूप है। यह पहल छात्राओं को वित्तीय आत्मनिर्भरता प्रदान कर उच्च शिक्षा में लिंग आधारित अंतर को पाटने और राज्य में समावेशी विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2025: इतिहास और महत्व

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस प्रतिवर्ष 7 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय हथकरघा परंपरा की समृद्ध विरासत को सम्मानित करने और बुनकरों के बहुमूल्य योगदान को रेखांकित करने के लिए समर्पित है। हर साल 7 अगस्त को मनाया जाने वाला यह दिवस 1905 में स्वदेशी आंदोलन की ऐतिहासिक शुरुआत का प्रतीक है, जब भारतीयों ने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने और स्वदेशी हथकरघा क्षेत्र को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया था।

इस वर्ष राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2025 “हथकरघा – महिला सशक्तिकरण, राष्ट्र सशक्तिकरण” थीम के साथ मनाया जा रहा है। यह विषय महिला बुनकरों की उस महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है, जो वे हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में निभा रही हैं।

7 अगस्त क्यों है महत्वपूर्ण

यह तिथि स्वदेशी आंदोलन की स्मृति में चुनी गई है, जिसकी शुरुआत 7 अगस्त 1905 को बंगाल विभाजन के ब्रिटिश निर्णय के विरोध में एक शांतिपूर्ण आंदोलन के रूप में हुई थी। इस आंदोलन ने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं—विशेषकर हस्तनिर्मित वस्त्रों—का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया, जिससे आर्थिक स्वावलंबन और राष्ट्रीय गौरव को बल मिला।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की औपचारिक शुरुआत 7 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी, ताकि भारत की कारीगर परंपराओं और वस्त्र विरासत के प्रति देश की प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि दी जा सके।

2025 की थीम: महिला बुनकरों का उत्सव

इस वर्ष की थीम “हथकरघा – महिला सशक्तिकरण, राष्ट्र सशक्तिकरण” इस तथ्य को रेखांकित करती है कि भारत के हथकरघा क्षेत्र में 70% से अधिक कार्यबल महिलाएं हैं। उनका कौशल न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि यह क्षेत्रीय पहचान, पारंपरिक तकनीकों और टिकाऊ फैशन की परंपराओं को भी जीवित रखता है।

राष्ट्रीय स्तर का उत्सव : भारत मंडपम में

इस वर्ष का मुख्य समारोह नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित हो रहा है, जहां भारत की महामहिम राष्ट्रपति की उपस्थिति में 2024 के संत कबीर पुरस्कार और राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।

इस अवसर पर कुल 24 बुनकरों को सम्मानित किया जाएगा, जिनमें 5 को संत कबीर पुरस्कार और 19 को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाएगा—इनमें पारंपरिक बुनाई की उत्कृष्टता को मान्यता दी गई है।

सांस्कृतिक महत्व और सतत फैशन

राजस्थान से नागालैंड तक, भारत के हर क्षेत्र की अपनी अनूठी बुनाई परंपरा है—चाहे वह नाजुक चंदेरी हो, शाही कांचीवरम हो या पर्यावरण अनुकूल एरी रेशम। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस यह स्मरण कराता है कि ये वस्त्र केवल कपड़े नहीं हैं, बल्कि वे इतिहास, पहचान और स्थायित्व का प्रतीक हैं।

जैसे-जैसे विश्व में स्लो फैशन और सतत वस्त्रों की चर्चा बढ़ रही है, भारत का हथकरघा क्षेत्र एक सामुदायिक-आधारित, पर्यावरण के अनुकूल निर्माण मॉडल के रूप में उभर रहा है जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी समर्थन देता है।

देशभर में आयोजन और गतिविधियाँ

वस्त्र मंत्रालय देशभर में विद्यालयों, महाविद्यालयों और सामुदायिक संगठनों के सहयोग से जागरूकता अभियान, प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। भाषण प्रतियोगिताएं, निबंध लेखन, हथकरघा मेले और जन-संपर्क गतिविधियां युवाओं को भारतीय हथकरघा विरासत को समझने और सराहने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कर्तव्य भवन का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (सीसीएस) परियोजना के तहत पहली इमारत, कर्तव्य भवन का उद्घाटन किया, जो सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना का एक प्रमुख तत्व है। यह कई मंत्रालयों और विभागों को एक एकल, आधुनिक और कुशल परिसर में समेकित करके केंद्र सरकार के कामकाज के तरीके को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

केंद्रीकृत शासन की ओर एक दृष्टिकोण
हाल ही में उद्घाटित कर्तव्य भवन – 03 में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME), कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT), पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, तथा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय स्थापित किया जाएगा।

वर्तमान में कई मंत्रालय शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन जैसी इमारतों से संचालित हो रहे हैं, जिन्हें 1950 से 1970 के दशक के बीच बनाया गया था। ये भवन अब संरचनात्मक रूप से पुराने और कार्यकुशलता की दृष्टि से अनुपयुक्त माने जा रहे हैं, जिससे आधुनिकीकरण की आवश्यकता और भी अधिक हो गई है।

बड़ा लक्ष्य: 10 नए केंद्रीय सचिवालय भवन
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत, केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा 10 कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (CCS) भवनों का निर्माण किया जा रहा है। इन भवनों में 50 से अधिक मंत्रालयों और विभागों को एक छत के नीचे लाया जाएगा, जिससे शासन व्यवस्था अधिक समन्वित और कुशल बनेगी।

CCS 2 और CCS 3 अगले माह तक पूर्ण होने की उम्मीद है, जबकि CCS 10 अप्रैल 2026 तक और CCS 6 एवं CCS 7 अक्टूबर 2026 तक तैयार होने की संभावना है।

निर्माण को सुगम बनाने के लिए अस्थायी स्थानांतरण
निर्माण कार्य में बाधा न आए, इसके लिए केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि चार प्रमुख भवनों से कार्यरत कई मंत्रालयों को अस्थायी रूप से कस्तूरबा गांधी मार्ग, मिंटो रोड और नेताजी पैलेस स्थित परिसरों में दो वर्षों के लिए स्थानांतरित किया जाएगा।

हालांकि, कुछ इमारतों को संरक्षित रखा जाएगा, जैसे—राष्ट्रीय संग्रहालय, राष्ट्रीय अभिलेखागार, जवाहरलाल नेहरू भवन (विदेश मंत्रालय), डॉ. आंबेडकर ऑडिटोरियम और वाणिज्य भवन, क्योंकि ये या तो हाल ही में निर्मित हैं या विरासत महत्व की हैं।

सिर्फ सचिवालय नहीं, सेंट्रल विस्टा की व्यापक योजना
सेंट्रल विस्टा परियोजना भारत के इतिहास की सबसे बड़ी अधोसंरचना परियोजनाओं में से एक है। इसमें कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट के अलावा शामिल हैं:

  • नया संसद भवन

  • उपराष्ट्रपति एन्क्लेव

  • विजय चौक से इंडिया गेट तक का पुनर्विकसित कर्तव्य पथ

  • एक कार्यकारी एन्क्लेव जिसमें नया प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय, इंडिया हाउस और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय शामिल होंगे

  • अगले चरण में नया प्रधानमंत्री आवास भी प्रस्तावित है

इस परियोजना का उद्देश्य आधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ प्रशासनिक दक्षता को जोड़ना है, जिससे 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप कार्यस्थल तैयार हो सके।

शासन का नया युग
एक ही परिसर में मंत्रालयों को एकत्रित कर, यह कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट प्रणाली अंतर्विभागीय समन्वय को सुदृढ़ करेगी, दोहराव को कम करेगी और नागरिकों को सेवाएं देने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भविष्योन्मुख और दक्ष शासन मॉडल की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

SECI ने ग्रीन अमोनिया की खरीद के लिए पहली बार नीलामी आयोजित की

भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होते हुए, भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत हरित अमोनिया की खरीद के लिए देश की पहली नीलामी सफलतापूर्वक आयोजित की है। SIGHT योजना (मोड-2A) के तहत आयोजित इस नीलामी में ₹55.75 प्रति किलोग्राम की रिकॉर्ड-कम कीमत प्राप्त हुई – जो पिछले वर्ष की बेंचमार्क कीमत का लगभग आधा है।

हरित हाइड्रोजन और अमोनिया के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम
यह नीलामी ओडिशा स्थित पराद्वीप फॉस्फेट्स लिमिटेड को प्रति वर्ष 75,000 मीट्रिक टन हरित अमोनिया की आपूर्ति के लिए आयोजित की गई है। यह नीलामी 13 नियोजित नीलामियों में से पहली है, जिनका कुल वार्षिक लक्ष्य 7.24 लाख मीट्रिक टन हरित अमोनिया की खरीद है।

इस नीलामी में ₹55.75 प्रति किलोग्राम (अमेरिकी डॉलर 641 प्रति मीट्रिक टन) की खोजी गई कीमत, 2024 की H2Global नीलामी में तय ₹100.28 प्रति किलोग्राम (USD 1,153/MT) के मुकाबले काफी कम है। मार्च 2025 में ग्रे अमोनिया की कीमत USD 515/MT थी। यह प्रतिस्पर्धी दर 10 वर्षों के लिए स्थिर मूल्य अनुबंध प्रदान करती है, जो उद्योगों को पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों से हरित विकल्पों की ओर आकर्षित करती है।

निवेशकों का मजबूत विश्वास
इस नीलामी में डेवलपर्स के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा देखी गई, जिससे भारत के नवीकरणीय ऊर्जा ढांचे पर निवेशकों के मजबूत विश्वास का संकेत मिलता है। इस प्रक्रिया में SECI (सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) मध्यस्थ खरीदार की भूमिका में था, जो नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) और उर्वरक विभाग के साथ मिलकर काम कर रहा था।

इस योजना में शामिल भुगतान सुरक्षा तंत्र डेवलपर्स का भरोसा और बढ़ाएगा, जिससे हरित ईंधनों में दीर्घकालिक निवेश का वातावरण मजबूत होगा।

भारत के हरित ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में बड़ा कदम
यह मूल्य खोज भारत की हरित हाइड्रोजन यात्रा में एक मील का पत्थर मानी जा रही है, जो यह दर्शाती है कि स्वच्छ ईंधन विकल्प पारंपरिक जीवाश्म-आधारित उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं। सरकार का उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव्स जैसे हरित अमोनिया के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है, जो उर्वरक, शिपिंग और भारी उद्योगों जैसे क्षेत्रों के कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

आगे की राह
SECI की यह नीलामी हरित अमोनिया के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और जीवाश्म-आधारित आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में पहला कदम है। जैसे-जैसे अगले 12 नीलामियां आयोजित होंगी, विश्लेषकों को मूल्य में और स्थिरता और वैश्विक खिलाड़ियों की बढ़ती भागीदारी की उम्मीद है।

बड़े पैमाने पर उत्पादन और दीर्घकालिक मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करके, भारत हरित ईंधनों को व्यापक रूप से अपनाने की राह खोल रहा है और 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के अपने संकल्प को मजबूत कर रहा है।

गति शक्ति विश्वविद्यालय और SAP ने भारत के लॉजिस्टिक्स एवं परिवहन क्षेत्र में पेशेवरों को डिजिटल रूप से कुशल बनाने हेतु समझौता

भारत के तेज़ी से बढ़ते लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र के लिए भविष्य के लिए तैयार कार्यबल तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, यूरोप की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी SAP ने गति शक्ति विश्वविद्यालय (GSV) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस साझेदारी का उद्देश्य पेशेवरों को डिजिटल रूप से कुशल बनाना और शिक्षा के ढांचे में अत्याधुनिक लॉजिस्टिक्स समाधानों को एकीकृत करना है।

रोज़गार सशक्तिकरण:
गतिशक्ति विश्वविद्याय (GSV) से प्रशिक्षित स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को उद्योग-प्रासंगिक डिजिटल लॉजिस्टिक्स कौशल प्रदान किए जाएंगे। इसका उद्देश्य शैक्षणिक प्रशिक्षण और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच की खाई को पाटना है।

पाठ्यक्रम संवर्धन एवं क्षमतावर्धन:
SAP के डिजिटल लॉजिस्टिक्स उपकरणों को GSV के शिक्षण मॉड्यूल में शामिल किया जाएगा। यह प्रशिक्षण छात्रों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों को भी दिया जाएगा, ताकि उन्हें वास्तविक जीवन की परिस्थितियों के लिए व्यावहारिक रूप से तैयार किया जा सके।

उद्योग से जुड़ाव: अनुसंधान, नवाचार और रोज़गार के अवसर
इस साझेदारी का उद्देश्य डिजिटल लॉजिस्टिक्स और परिवहन के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है। साथ ही, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को मज़बूत कर राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार करना भी इसका प्रमुख उद्देश्य है।

भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर प्रभाव
यह सरकारी–औद्योगिक साझेदारी निम्नलिखित लाभ देने की संभावना रखती है:

  • ज्ञान हस्तांतरण और संयुक्त नवाचार को सक्षम बनाना।

  • छात्रों को प्रायोगिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करना।

  • ऐसे कार्यबल का निर्माण करना जो भारत के तेज़ी से विकसित हो रहे लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम की मांगों को पूरा कर सके।

SAP की वैश्विक विशेषज्ञता और GSV की परिवहन और लॉजिस्टिक्स पर विशेषीकृत समझ के समन्वय से यह पहल कौशल विकास में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने का लक्ष्य रखती है।

SAP लैब्स इंडिया का विस्तार
इस समझौते के साथ ही SAP लैब्स इंडिया ने बेंगलुरु में अपना दूसरा कैंपस शुरू किया है। यह कदम भारत को एक वैश्विक प्रौद्योगिकी और नवाचार केंद्र के रूप में विकसित करने की SAP की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत अब 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ते हुए तीसरे स्थान की ओर अग्रसर है। पिछले 11 वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में आठ गुना वृद्धि हुई है, और जल्द ही देश में निर्मित पहला सेमीकंडक्टर चिप भी उत्पादन के लिए तैयार होगा।

भारत-फिलीपींस के बीच हुए ये 9 समझौते

पीएम मोदी और फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर मार्कोस जूनियर के बीच 5 अगस्त 2025 को हुई बातचीत के बाद भारत, फिलीपींस ने रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। दोनों देशों के बीच 9 समझौते हुए हैं। फिलीपींस के राष्ट्रपति आर. मार्कोस जूनियर पांच दिवसीय यात्रा पर भारत आए हुए हैं। ये समझौते सहयोग के एक नए चरण को चिह्नित करते हैं क्योंकि दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

दोनों देशों के बीच इन 9 समझौते पर हुए हस्ताक्षर

  1. भारत और फिलीपींस के बीच रणनीतिक साझेदारी की स्थापना पर घोषणा, भारत और फिलीपींस के बीच रणनीतिक साझेदारी के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना (एक्शन प्लान)।
  2. एयर स्टाफ वार्ता पर भारतीय वायु सेना और फिलीपीन वायु सेना के बीच संदर्भ की शर्तें (Terms of Reference), सेना-से-सेना स्टाफ वार्ता पर भारतीय सेना और फिलीपीन सेना के बीच संदर्भ की शर्तें, नौसेना-से-नौसेना स्टाफ वार्ता पर भारतीय नौसेना और फिलीपीन नौसेना के बीच संदर्भ की शर्तें।
  3. भारत सरकार और फिलीपींस सरकार के बीच आपराधिक मामले में पारस्परिक कानूनी सहायता पर संधि. भारत सरकार और फिलीपींस सरकार के बीच (एक साथ) सजायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण पर संधि।
  4. भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और फिलीपींस के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के बीच 2025-2028 की अवधि के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग कार्यक्रम।
  5. फिलीपींस सरकार के पर्यटन विभाग और भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के बीच पर्यटन सहयोग पर कार्यान्वयन कार्यक्रम (2025-2028)।
  6. डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग पर भारत सरकार और फिलीपींस सरकार के बीच समझौता ज्ञापन।
  7. बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर सहयोग पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भारत गणराज्य और फिलीपीन अंतरिक्ष एजेंसी, फिलीपींस के बीच आशय का वक्तव्य (Statement of Intent)।
  8. भारतीय तट रक्षक और फिलीपीन तट रक्षक के बीच उन्नत समुद्री सहयोग के लिए संदर्भ की शर्तें।
  9. भारत सरकार और फिलीपींस सरकार के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम।

ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला पहला देश है फिलीपींस

फिलीपींस भारत निर्मित ब्राह्मोस मिसाइल खरीदने वाला पहला देश है। भारत की तरफ से बताया गया है कि मंगलवार को हुई बैठक में फिलीपींस की तरफ से भारत के कई रक्षा प्लेटफार्मों (हथियारों व उपकरणों) में रूचि दिखाई गई है।

फिलीपींस के साथ अलग से ट्रेड करेगा भारत

राष्ट्रपति मार्कोस जूनियर ने भारत की रक्षा क्षेत्र में उपलब्धियो की भूरी भूरी तारीफ की है। बाद में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि फिलीपींस भारत के कई रक्षा उपकरणों में रूचि दिखाया है। दोनों देशों के बीच वरीयतापूर्ण कारोबारी समझौता करने पर वार्ता शुरू करने की सहमति भी बनी है। भारत का आसियान के साथ एफटीए है, इसके बावजूद फिलीपींस के साथ वह अलग से ट्रेड डील करने जा रहा है।

भारतीय इकोनॉमी के लिए डेलॉयट इंडिया का अनुमान, FY26 में 6.4-6.7% रह सकती है ग्रोथ रेट

कंसल्टिंग फर्म डेलॉयट इंडिया ने कहा कि मजबूत घरेलू बुनियाद और बढ़ते वैश्विक अवसरों के साथ चालू वित्त वर्ष (2025-26) में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.4 से 6.7 प्रतिशत रह सकती है। हालांकि, इसने यह भी कहा कि भारत को अपने व्यापार जोखिम पर नजर रखनी चाहिए और वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं से उत्पन्न नतीजों के लिए तैयार रहना चाहिए। डेलॉयट इंडिया के अनुसार, रणनीतिक व्यापार बातचीत आय, रोजगार, मार्केट एक्सेस और घरेलू मांग को बढ़ाने वाले शक्तिशाली फैक्टर्स के रूप में काम करेंगी।

विकास के प्रमुख प्रेरक तत्व

डेलॉइट की रिपोर्ट में भारत की आर्थिक गति को आगे बढ़ाने वाले “सकारात्मक त्रिवेणी प्रभाव” (Virtuous Trifecta) की पहचान की गई है:

  • शेयर बाजारों की मजबूती – भारत के स्टॉक मार्केट्स में घरेलू और विदेशी निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी बनी हुई है।

  • बढ़ती क्रय शक्ति और उपभोग – मध्यम वर्ग की बढ़ती आय और खपत खुदरा व सेवा क्षेत्रों को मजबूती दे रही है।

  • कुशल प्रतिभा – तकनीक, निर्माण और सेवा क्षेत्रों में उपलब्ध प्रतिभा भारत को वैश्विक व्यापारों के लिए आकर्षक बनाती है।

रणनीतिक व्यापार वार्ताओं से बढ़त
भारत उच्च प्रभाव वाली व्यापार वार्ताओं में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है:

  • यूके – मई 2025 में हुए रणनीतिक व्यापार समझौते से द्विपक्षीय सहयोग को बल मिलेगा।

  • अमेरिका – प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, एआई सहयोग, और डिजिटल अर्थव्यवस्था साझेदारी को लेकर बातचीत जारी है।

  • यूरोपीय संघ – 2025 के अंत तक एक प्रमुख व्यापार समझौता संभव है, जो बाज़ार पहुंच, रोजगार और निवेश प्रवाह को बढ़ावा देगा।

इन व्यापार समझौतों से आय, रोजगार और भारत की वैश्विक बाजार उपस्थिति में वृद्धि की संभावना है। साथ ही, यह एआई, डिजिटल परिवर्तन और नवाचार आधारित स्टार्टअप्स के लिए नए अवसर भी लाएंगे।

मुद्रास्फीति में राहत, मांग में मजबूती
मुद्रास्फीति के दबाव में कमी आने से घरेलू मांग आर्थिक वृद्धि का मुख्य इंजन बनी रहेगी:

  • मजबूत घरेलू खर्च

  • शहरी उपभोग में निरंतर वृद्धि

  • ग्रामीण मांग में स्थिरता

सरकार की बुनियादी ढांचे के विकास और निवेश को बढ़ावा देने वाली नीतियों से निजी क्षेत्र का आत्मविश्वास भी और मजबूत हो रहा है।

जोखिम और चुनौतियाँ
हालांकि परिदृश्य सकारात्मक है, लेकिन डेलॉइट ने कुछ जोखिमों पर सतर्क रहने की सलाह दी है:

  • आंचलिक संघर्ष – वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित कर सकते हैं।

  • महत्वपूर्ण खनिजों और विशेषीकृत उर्वरकों पर प्रतिबंध – विनिर्माण और कृषि को प्रभावित कर सकते हैं।

  • वैश्विक अस्थिरता के कारण वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए संतुलित दृष्टिकोण
डेलॉइट का पूर्वानुमान दर्शाता है कि भारत की वृद्धि घरेलू लचीलापन और वैश्विक अवसरों के संतुलन पर निर्भर करेगी।
हालांकि वैश्विक चुनौतियाँ बनी रहेंगी, लेकिन भारत की मजबूत बुनियादी स्थिति और सक्रिय व्यापार कूटनीति इसे सतत विकास के पथ पर बनाए रख सकती है।

चीन मुक्त होगा Paytm, 3803 करोड़ वाली डील की तैयारी

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और निवेशक भावना के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, जैक मा की एंटफिन, जो एंट ग्रुप की चीनी सहयोगी है, ने पेटीएम की मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस से पूरी तरह से बाहर निकलने का फैसला किया है। इस कदम से इस प्रमुख वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी से सभी चीनी स्वामित्व समाप्त हो गए हैं, जो कंपनी के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा और संभावित रूप से इसके निवेशक आधार का विस्तार करेगा। एंटफिन ने अपनी पूरी 5.84% हिस्सेदारी—जो 3.73 करोड़ शेयरों के बराबर है—लगभग ₹3,803 करोड़ के बड़े सौदे में बेच दी।

डील का विवरण
शेयरों की बिक्री ₹1,020 प्रति शेयर के फ़्लोर प्राइस पर की गई, जो कि Paytm के पिछले एनएसई क्लोजिंग प्राइस ₹1,078.20 की तुलना में लगभग 5.4% की छूट दर्शाता है। इस घोषणा के बाद Paytm के शेयरों में थोड़ी गिरावट देखी गई—एनएसई पर 1.45% की गिरावट के साथ ₹1,062.60 और बीएसई पर 1.23% की गिरावट के साथ ₹1,065 पर बंद हुए।

यह एग्ज़िट क्यों महत्वपूर्ण है
चीनी स्वामित्व का पूर्ण निष्कासन भारतीय निवेशकों और संपूर्ण फिनटेक उद्योग के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। इससे उन भू-राजनीतिक और नियामकीय चिंताओं का समाधान होता है जो भारत की संवेदनशील डिजिटल भुगतान क्षेत्र में चीनी निवेश को लेकर लंबे समय से बनी हुई थीं।

विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से उन घरेलू और विदेशी संस्थागत निवेशकों का मार्ग प्रशस्त होगा जो पहले चीनी हिस्सेदारी के कारण निवेश करने में हिचक रहे थे।

एंट ग्रुप का परिचय
एंट ग्रुप, जिसे पहले एंट फाइनेंशियल के नाम से जाना जाता था, अलीबाबा समूह से संबद्ध एक प्रमुख चीनी फिनटेक कंपनी है। इसके नीदरलैंड्स-आधारित एंटफिन (Netherlands) होल्डिंग बीवी के माध्यम से Paytm में निवेश किया गया था। इस नवीनतम निकासी के साथ ही दोनों कंपनियों के बीच वर्षों पुराना संबंध समाप्त हो गया है।

Paytm पर प्रभाव

  • निवेशक विश्वास में वृद्धि – नियामकीय चिंताओं के कम होने से संस्थागत और रिटेल निवेशकों की भागीदारी बढ़ सकती है।

  • रणनीतिक स्वायत्तता – चीनी स्वामित्व से मुक्त होकर Paytm अब अपनी रणनीतियों में अधिक स्वतंत्रता के साथ निर्णय ले सकता है।

  • भू-राजनीतिक लाभ – वैश्विक टेक और वित्तीय कंपनियों के साथ साझेदारियों में संभावित रुकावटें अब दूर हो गई हैं।

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