भारतीय तीरंदाजी संघ ने तीरंदाजी लीग के पहले सत्र की घोषणा की

भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) ने देश की पहली फ्रैंचाइज़ी-आधारित तीरंदाजी लीग के शुभारंभ की घोषणा की है, जिसमें कंपाउंड और रिकर्व दोनों तीरंदाज भाग लेंगे। अक्टूबर 2025 में होने वाला यह आयोजन दिल्ली के यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में 11 दिनों तक चलेगा, जो भारतीय तीरंदाजी के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा।

फ्रेंचाइज़ी-आधारित तीरंदाज़ी लीग

भारत में तीरंदाज़ी को नया रूप देने के उद्देश्य से एक नई फ्रेंचाइज़ी-स्टाइल टूर्नामेंट की शुरुआत की जा रही है, जिसमें छह टीमों को शामिल किया जाएगा। प्रत्येक टीम में इन खिलाड़ियों का समावेश होगा:

  • भारत के शीर्ष तीरंदाज़, जिनमें ओलंपिक और राष्ट्रीय पदक विजेता शामिल हैं

  • विदेशी खिलाड़ी, जिनमें कुछ दुनिया की शीर्ष 10 रैंकिंग में शामिल तीरंदाज़ भी होंगे

इस प्रारूप का उद्देश्य घरेलू प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय अनुभव के साथ मिलाकर प्रतिस्पर्धात्मक और मनोरंजक मंच तैयार करना है।

वैश्विक और राष्ट्रीय संस्थाओं का समर्थन

इस पहल को निम्नलिखित संगठनों से मजबूत समर्थन प्राप्त हुआ है:

  • वर्ल्ड आर्चरी (World Archery)

  • वर्ल्ड आर्चरी एशिया (World Archery Asia)

  • भारत का खेल मंत्रालय

यह समर्थन लीग की वैश्विक मान्यता और इसके माध्यम से तीरंदाज़ी खेल की साख बढ़ाने की क्षमता को दर्शाता है।

भारत में तीरंदाज़ी का भविष्य गढ़ना

इस लीग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय अनुभव और मंच उपलब्ध कराकर, इसका उद्देश्य है:

  • भारत के खेल पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करना

  • भारतीय तीरंदाज़ों को अधिक दृश्यता और पहचान दिलाना

  • नई पीढ़ी को प्रेरित करना ताकि वे इस खेल को अपनाएं और देश का नाम रोशन करें

यह पहल भारत को वैश्विक तीरंदाज़ी मानचित्र पर एक सशक्त उपस्थिति दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत में पाम तेल का आयात घटा, सोया तेल का आयात तीन साल के उच्चतम स्तर पर

जुलाई महीने में भारत द्वारा आयात होने वाले पाम ऑयल में गिरावट आई है। वहीं सोयाबीन तेल का आयात पिछले तीन साल में उच्चतम स्तर पर है। पाम ऑयल तेल के आयात में गिरावट की वजह इंपोर्ट कॉन्टैक्ट का रद्द होना है। वहीं सोयाबीन तेल का आयात इसलिए बढ़ा है कि जून महीने में आयातित होने वाले तेल में देरी हुई, जो जुलाई में आयात किया है। भारत के आयात में गिरावट का असर इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों पर पड़ेगा, जो पाम ऑयल के प्रमुख उत्पादक देश हैं।

रिपोर्ट के अनुमान के अनुसार, जुलाई में पाम ऑयल का आयात 10 फीसदी घटकर 8,58,000 मीट्रिक टन रह गया, जो जून के 11 महीने के उच्चतम स्तर से कम है। वहीं जुलाई में सोयाबीन तेल के आयात में 38 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले महीने सोयाबीन तेल का आयात बढ़कर 4,95,000 टन हो गया था। गुजरात के कांडला बंदरगाह पर जहाजों की बढ़ती संख्या के कारण सोयाबीन तेल की टैंकर देर से पहुंची है। यही वजह है कि सोयाबीन तेल के आयात में 38 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सूरजमुखी तेल के आयात में भी 7 फीसदी की गिरावट आई है। यह घटकर 2,01,000 टन रह गया है।

पाम तेल आयात में गिरावट

जुलाई 2025 में भारत का पाम तेल आयात घटकर 8.58 लाख मीट्रिक टन रह गया, जो जून में दर्ज 11 महीनों के उच्चतम स्तर से कम है।
इस गिरावट का प्रमुख कारण आयात अनुबंधों का रद्द होना रहा।

इस कमी के चलते इंडोनेशिया और मलेशिया, जो दुनिया के सबसे बड़े पाम तेल उत्पादक देश हैं, वहां स्टॉक बढ़ने की आशंका है, जिससे मलेशियाई पाम तेल वायदा कीमतों पर दबाव पड़ सकता है।

सोयाबीन तेल आयात में तेज़ उछाल

  • सोयाबीन तेल का आयात जुलाई में 38% बढ़कर 4.95 लाख टन हो गया, जो 2022 के बाद का सबसे उच्च स्तर है।

  • यह वृद्धि इन कारणों से हुई:

    • वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी मूल्य

    • जून की विलंबित खेपें जो जुलाई में गुजरात के कांडला बंदरगाह पर पहुँचीं

सोयाबीन तेल के इस उछाल ने पाम तेल की गिरावट की भरपाई की और कुल खाद्य तेल आयात को बढ़ावा दिया।

सूरजमुखी तेल का रुझान

  • सूरजमुखी तेल का आयात जुलाई में 7% गिरकर 2.01 लाख टन रह गया।

  • इसकी गिरावट के पीछे कारण रहे:

    • कम मांग

    • और मूल्य प्रतिस्पर्धा की कमी

कुल खाद्य तेल आयात में वृद्धि

  • भारत का कुल खाद्य तेल आयात जुलाई में 1.5% बढ़कर 15.3 लाख टन हो गया।

  • यह नवंबर 2024 के बाद का सबसे ऊँचा स्तर है, जिसका मुख्य कारण सोयाबीन तेल के आयात में तेज़ वृद्धि है।

यह परिदृश्य भारत के तेल बाजार में बदलते आयात स्वरूप और वैश्विक कीमतों व आपूर्ति श्रृंखला के प्रभाव को दर्शाता है।

भारत का चाय उत्पादन जून में नौ प्रतिशत घटकर 13.35 करोड़ किलोग्राम

भारत का चाय उत्पादन जून में सालाना आधार पर नौ प्रतिशत घटकर 13.35 करोड़ किलोग्राम रह गया। भारतीय चाय संघ के अनुसार, उत्पादन में गिरावट प्रतिकूल मौसम और कीटों के हमले के कारण हुई। पश्चिम बंगाल और असम सहित उत्तर भारत में उत्पादन जून में घटकर 11.25 करोड़ किलोग्राम रह गया जबकि पिछले साल जून में यह 12.15 करोड़ किलोग्राम था। दक्षिण भारत में भी उत्पादन जून में घटकर 2.09 करोड़ किलोग्राम रह गया, जबकि 2024 के इसी महीने में यह 2.52 करोड़ किलोग्राम था।

इस गिरावट का मुख्य कारण प्रतिकूल मौसम परिस्थितियाँ और कीट संक्रमण रहा, जिसने उत्तर और दक्षिण भारत के बड़े बागान मालिकों के साथ-साथ छोटे उत्पादकों को भी बुरी तरह प्रभावित किया।

गिरावट के पीछे के कारण

भारत के प्रमुख चाय उत्पादक राज्यों में प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों ने चाय बागानों की गतिविधियों को बाधित किया। इसके अलावा, कीट संक्रमण ने फसल की पैदावार को और घटा दिया, विशेष रूप से असम और पश्चिम बंगाल में। इंडियन टी एसोसिएशन ने बताया कि इस गिरावट से बड़े चाय बागान मालिकों और छोटे किसानों, दोनों को नुकसान उठाना पड़ा।

क्षेत्रवार उत्पादन प्रवृत्तियाँ

उत्तर भारत (असम और पश्चिम बंगाल)

  • जून 2025: 112.51 मिलियन किलोग्राम

  • जून 2024: 121.52 मिलियन किलोग्राम

  • गिरावट का सबसे बड़ा हिस्सा, अनियमित मानसून और कीट हमलों के कारण दर्ज किया गया।

दक्षिण भारत (केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक)

  • जून 2025: 20.99 मिलियन किलोग्राम

  • जून 2024: 25.20 मिलियन किलोग्राम

  • यह गिरावट मुख्यतः अत्यधिक वर्षा और पत्तों की बीमारियों के कारण हुई।

उत्पादकों पर प्रभाव

बड़े और संगठित बागान

  • जून 2025 में उत्पादन: 55.21 मिलियन किलोग्राम

  • जून 2024 में उत्पादन: 68.38 मिलियन किलोग्राम

छोटे उत्पादक (Small Growers)

  • जून 2025 में उत्पादन: 68.28 मिलियन किलोग्राम

  • जून 2024 में उत्पादन: 78.34 मिलियन किलोग्राम

प्रभावित चाय की किस्में

  • CTC (क्रश, टीयर, कर्ल): 117.84 मिलियन किलोग्राम (उत्पादन का प्रमुख हिस्सा)

  • ऑर्थोडॉक्स चाय: 13.82 मिलियन किलोग्राम

  • ग्रीन टी: 1.84 मिलियन किलोग्राम

इन तीनों किस्मों के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई, जिससे घरेलू आपूर्ति और निर्यात, दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।

LTIMindtree को आयकर विभाग से मिला ₹811 करोड़ का PAN 2.0 प्रोजेक्ट

भारत की डिजिटल गवर्नेंस को एक बड़ी मजबूती देते हुए, आयकर विभाग ने LTIMindtree Ltd (लार्सन एंड टुब्रो की सहायक कंपनी) को PAN 2.0 परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए चुना है। यह परियोजना नवंबर 2024 में कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) द्वारा मंजूरी दी गई थी। ₹811.5 करोड़ मूल्य की इस परियोजना का उद्देश्य पैन (PAN) और टैन (TAN) सेवाओं को आधुनिक बनाना और अधिक कुशल व पारदर्शी बनाना है। यह परियोजना अगले 18 महीनों के भीतर लागू होने की उम्मीद है।

परियोजना मूल्य और चयन प्रक्रिया

  • प्रस्तावित बोली मूल्य: ₹811.5 करोड़ (करों को छोड़कर)

  • समायोजित बोली मूल्य: ₹792.55 करोड़

  • बोली प्रक्रिया: चार कंपनियों ने भाग लिया था, जिनमें से LTIMindtree ने RFP मूल्यांकन के माध्यम से सफल बोलीदाता के रूप में चयन प्राप्त किया।

क्या है PAN 2.0?

PAN 2.0 परियोजना भारत की स्थायी खाता संख्या (PAN) प्रणाली को एक तकनीकी रूप से उन्नत और आधुनिक ढांचे में परिवर्तित करने की एक डिजिटल पहल है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • सभी PAN और TAN सेवाओं के लिए एकीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म

  • आवेदन और शिकायतों का तेज़ प्रोसेसिंग

  • AI और उन्नत डिजिटल समाधानों के माध्यम से सुरक्षा को बेहतर बनाना

  • आधार से एकीकृत प्रणाली, जिससे त्वरित अपडेट और प्रमाणन संभव हो सके

PAN और TAN का महत्व

PAN (स्थायी खाता संख्या)

  • 10-अंकीय अल्फ़ान्यूमेरिक पहचान संख्या

  • आवश्यक उपयोग:

    • आयकर दाखिल करने

    • बैंक खाता खोलने

    • बड़ी नकद जमा,

    • संपत्ति खरीद

    • शेयर बाजार में निवेश

  • यह संख्या करदाता के सभी वित्तीय लेनदेन को ट्रैक करने में मदद करती है।

TAN (टैक्स डिडक्शन एंड कलेक्शन अकाउंट नंबर)

  • उन संस्थाओं के लिए अनिवार्य जो स्रोत पर टैक्स काटती या जमा करती हैं (TDS/TCS)

  • टैक्स संग्रह और कटौती की निगरानी सुनिश्चित करता है।

वर्तमान आंकड़े

  • 780 मिलियन (78 करोड़) से अधिक PAN कार्ड

  • 73 लाख से अधिक TAN पंजीकरण

PAN 2.0 से अपेक्षित लाभ

  • PAN कार्ड का तेज़ आवंटन और पुनः जारी करने की प्रक्रिया

  • सुधारों और अपडेट्स में अधिक सटीकता

  • आधार-पैन लिंकिंग की रीयल-टाइम सुविधा

  • वित्तीय संस्थाओं के लिए ऑनलाइन PAN प्रमाणीकरण

  • सुरक्षित और तकनीक-संचालित प्रक्रियाओं से बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव

  • सरकार के लिए लागत में कमी और सुरक्षा में सुधार

निष्कर्ष:

PAN 2.0 परियोजना भारत की कर व्यवस्थाओं को डिजिटल और आधुनिक बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है, जिससे न केवल उपयोगकर्ताओं को सुविधा होगी बल्कि सरकार की निगरानी और सेवा दक्षता भी कई गुना बढ़ेगी।

टाटा मोटर्स के पीबी बालाजी जगुआर लैंड रोवर के नए सीईओ नियुक्त

टाटा मोटर्स की लग्ज़री ऑटोमोबाइल इकाई जगुआर लैंड रोवर (JLR) ने पीबी बालाजी को अपना नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नियुक्त किया है। वे एड्रियन मार्डेल का स्थान लेंगे, जो JLR में अपने शानदार 35 वर्षीय करियर के बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं। यह नेतृत्व परिवर्तन 17 नवंबर 2025 से प्रभावी होगा, जो इस प्रतिष्ठित ब्रिटिश ऑटोमोबाइल कंपनी के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत है।

एड्रियन मार्डेल की विरासत: तीन दशकों की सेवा

एड्रियन मार्डेल, जिन्होंने तीन दशक पहले जेएलआर (JLR) की यात्रा शुरू की थी, कंपनी के सबसे परिवर्तनशील वर्षों में उसके मार्गदर्शक रहे हैं। 2022 से CEO के रूप में उन्होंने जेएलआर की ‘Reimagine’ रणनीति का नेतृत्व किया, जिससे कंपनी ने विद्युतीकरण (इलेक्ट्रिफिकेशन) और टिकाऊ भविष्य की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाए।

वे 31 दिसंबर 2025 को आधिकारिक रूप से सेवानिवृत्त होंगे, लेकिन तब तक वे अपने पद पर बने रहेंगे ताकि नेतृत्व परिवर्तन सुचारू रूप से हो सके। टाटा संस और टाटा मोटर्स के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने मार्डेल की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने रिकॉर्ड उपलब्धियाँ हासिल कीं और हाल के वर्षों में कंपनी को उल्लेखनीय पुनरुत्थान की ओर अग्रसर किया।

पीबी बालाजी: जेएलआर नेतृत्व का नया चेहरा

पीबी बालाजी, जो वर्तमान में टाटा मोटर्स के समूह मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) हैं, को जेएलआर की दूरदर्शी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए चुना गया है। नियुक्ति की घोषणा के बाद अपने पहले वक्तव्य में बालाजी ने कहा: “इस अद्भुत कंपनी का नेतृत्व करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। पिछले 8 वर्षों में मैंने इस कंपनी और इसके विश्वविख्यात ब्रांडों को गहराई से जाना और पसंद किया है।”

बालाजी का करियर और योग्यता

  • आईआईटी-चेन्नई और आईआईएम-कोलकाता के पूर्व छात्र।

  • ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता वस्तु (FMCG) क्षेत्रों में तीन दशकों का अनुभव, जिसमें मुंबई, लंदन, सिंगापुर और स्विट्ज़रलैंड जैसे वैश्विक शहरों में नेतृत्वकारी भूमिकाएँ शामिल हैं।

  • 2017 में टाटा मोटर्स से जुड़ने के बाद, उन्होंने कंपनी की वित्तीय और परिचालन स्थिति को सुदृढ़ करने में प्रमुख भूमिका निभाई, जिससे टाटा मोटर्स की वैश्विक साख और भी मजबूत हुई।

भारत दुनिया का 5वां सबसे बड़ा विमानन बाजार बना

भारत अब आधिकारिक रूप से विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा विमानन बाजार बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) द्वारा जारी नवीनतम वर्ल्ड एयर ट्रांसपोर्ट स्टैटिस्टिक्स (WATS) के अनुसार, वर्ष 2024 में भारत ने 24.1 करोड़ (241 मिलियन) यात्रियों की आवाजाही संभाली।दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई मार्गों में मुंबई- दिल्ली मार्ग को सातवाँ स्थान मिला है, जो वैश्विक हवाई यात्रा में भारत के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।

भारत में विमानन क्षेत्र की तेज़ प्रगति
भारत ने वर्ष 2024 में कुल 24.1 करोड़ (241 मिलियन) हवाई यात्रियों की आवाजाही दर्ज की, जो 2023 के 21.1 करोड़ (211 मिलियन) यात्रियों की तुलना में 11.1% अधिक है। इस उल्लेखनीय वृद्धि के चलते भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया, जिसने 20.5 करोड़ यात्रियों (18.6% वृद्धि) को संभाला। अब वैश्विक रैंकिंग में भारत केवल अमेरिका, चीन, यूनाइटेड किंगडम और स्पेन से पीछे है।

वैश्विक रैंकिंग झलक

  • संयुक्त राज्य अमेरिका – 87.6 करोड़ यात्री (5.2% वृद्धि)

  • चीन – 74.1 करोड़ यात्री (18.7% वृद्धि)

  • यूनाइटेड किंगडम – 26.1 करोड़ यात्री

  • स्पेन – 24.1 करोड़ यात्री

  • भारत – 24.1 करोड़ यात्री

मुंबई-दिल्ली: दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई मार्गों में शामिल
मुंबई और दिल्ली के बीच की हवाई मार्ग (एयर कॉरिडोर) वर्ष 2024 में 5.9 मिलियन यात्रियों के साथ वैश्विक स्तर पर सातवाँ सबसे व्यस्त हवाई मार्ग रहा। एशिया-प्रशांत क्षेत्र ने दुनिया के शीर्ष 10 व्यस्त मार्गों में दबदबा बनाए रखा। दक्षिण कोरिया का जेजू-सेओल (CJU-GMP) मार्ग 13.2 मिलियन यात्रियों के साथ पहले स्थान पर रहा। शीर्ष 10 में एकमात्र गैर-एशिया-प्रशांत मार्ग जेद्दाह-रियाद (सऊदी अरब) रहा।

प्रीमियम श्रेणी की यात्रा में वृद्धि
बिज़नेस और फर्स्ट क्लास यात्रा में 2024 में उल्लेखनीय 11.8% की वृद्धि दर्ज की गई, जो कि इकॉनमी यात्रा की 11.5% वृद्धि से थोड़ी अधिक थी। कुल 11.69 करोड़ अंतरराष्ट्रीय प्रीमियम यात्री दर्ज किए गए, जो सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों का 6% हिस्सा हैं।

क्षेत्रीय आंकड़े

  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र में प्रीमियम यात्रियों में 22.8% की वृद्धि के साथ कुल 2.1 करोड़ यात्री दर्ज हुए।

  • यूरोप 3.93 करोड़ प्रीमियम यात्रियों के साथ सबसे बड़ा प्रीमियम यात्रा बाजार रहा।

  • मध्य पूर्व (Middle East) में कुल यात्रियों में से 14.7% प्रीमियम श्रेणी के थे, जो सबसे अधिक अनुपात रहा।

भारतीय हवाई अड्डों को मान्यता
भारत की विमानन उपलब्धियों में एक और जुड़ाव के रूप में मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को Travel + Leisure पत्रिका द्वारा विश्व के शीर्ष 10 हवाई अड्डों में शामिल किया गया।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन

पूर्व जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त 2025 को 79 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्होंने दोपहर लगभग 1 बजे दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां वे इलाज के लिए भर्ती थे। सत्यपाल मलिक एक अनुभवी राजनीतिज्ञ थे और जम्मू-कश्मीर के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक—2019 में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने—के दौरान उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।

प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक यात्रा
सत्यपाल मलिक ने 1970 के दशक में एक समाजवादी नेता के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। उन्होंने शुरुआत में चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में भारतीय क्रांति दल का प्रतिनिधित्व किया और 1974 में उत्तर प्रदेश की बागपत सीट से विधायक निर्वाचित हुए।

बाद में उन्होंने कई वरिष्ठ पदों पर कार्य किया, जिनमें लोकदल के महासचिव का पद भी शामिल है। मलिक ने दो बार राज्यसभा में सेवा दी—पहली बार 1980 में और दूसरी बार 1989 में, जब वे कांग्रेस पार्टी से सांसद थे।

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका
सत्यपाल मलिक को अगस्त 2018 में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य का अंतिम राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण बन गया जब 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया। यह कदम भारत की राजनीतिक दिशा में सबसे निर्णायक निर्णयों में से एक माना जाता है, और यह मलिक के राज्यपाल रहते हुए ही हुआ।

बाद के राज्यपाल कार्यकाल – गोवा और मेघालय
जम्मू-कश्मीर के बाद मलिक को गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया और इसके पश्चात वे मेघालय के राज्यपाल रहे, जहाँ उन्होंने अक्टूबर 2022 तक सेवा दी। विभिन्न राज्यों में उनके राज्यपालीय कार्यकाल ने उनकी लंबी संवैधानिक सेवा को दर्शाया। इससे पहले, 2017 में, उन्होंने संक्षिप्त रूप से बिहार के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया था।

विरासत और योगदान
सत्यपाल मलिक की राजनीतिक यात्रा उनकी अनुकूलता और विभिन्न राजनीतिक दलों में व्यापक अनुभव को दर्शाती है—समाजवादी समूहों से लेकर 2004 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़ने तक। अनुच्छेद 370 को हटाने के समय उनके नेतृत्व को उनकी सबसे प्रमुख विरासत के रूप में देखा जाता है, जिसने उन्हें भारत के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन

भारत ने अपने सबसे प्रभावशाली आदिवासी नेताओं में से एक और झारखंड राज्य के निर्माण के प्रमुख शिल्पकार को खो दिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन का 4 अगस्त 2025 को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। “दिशोम गुरु” के नाम से लोकप्रिय सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति में एक युग के अंत को दर्शाता है।

उनके निधन की घोषणा

शिबू सोरेन को किडनी संबंधी समस्याओं के चलते जून के आखिरी हफ्ते में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिता के निधन की जानकारी एक्स पर दी। उनके निधन की पुष्टि उनके पुत्र और वर्तमान झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की, जिन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक भावुक संदेश साझा किया: “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए… मैं आज ‘शून्य’ हो गया हूँ।” यह मार्मिक श्रद्धांजलि न केवल व्यक्तिगत शोक को दर्शाती है, बल्कि झारखंड की जनता के सामूहिक दुःख को भी अभिव्यक्त करती है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “आज मैं खाली हाथ हूँ। गुरुजी ने न केवल झारखंड में, बल्कि पूरे देश में सामाजिक न्याय के लिए अनगिनत लड़ाइयाँ लड़ीं। उनकी कमी हमेशा खलेगी।”

अंतिम दिनों में स्वास्थ्य संबंधी संघर्ष

शिबू सोरेन को किडनी संबंधी समस्याओं के चलते जून के आखिरी हफ्ते में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोरेन को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लगभग छह सप्ताह पहले उन्हें स्ट्रोक आया था, जिससे उनकी स्थिति और गंभीर हो गई। पिछले एक महीने से वे जीवन रक्षक प्रणाली (लाइफ सपोर्ट) पर थे और वरिष्ठ नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. ए.के. भल्ला की देखरेख में इलाज चल रहा था। 4 अगस्त 2025 को सुबह 8:56 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

उनकी राजनीतिक यात्रा और विरासत

शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, बल्कि वे आदिवासी अस्मिता और गर्व का प्रतीक थे। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की स्थापना की और लगभग चार दशकों तक इसका नेतृत्व किया। वे झारखंड को बिहार से अलग एक स्वतंत्र राज्य बनाए जाने के आंदोलन के अग्रणी नेता थे, जो अंततः वर्ष 2000 में साकार हुआ।
सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे और राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उनकी राजनीतिक यात्रा झारखंड के आदिवासी समाज की आकांक्षाओं से गहराई से जुड़ी रही, जिसके कारण उन्हें “दिशोम गुरु” (भूमि के नेता) की उपाधि मिली।

शिबू सोरेन का जन्म

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को हजारीबाग के नेमरा गांव में हुआ था। शिबू सोरेन ने 2 मार्च 2005 को पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह मौका JMM, कांग्रेस और राजद के गठबंधन के बाद आया था। 27 अगस्त 2008 को शिबू सोरेन दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस बार JMM और BJP के गठबंधन ने उन्हें सत्ता दिलाई। 30 दिसंबर 2009 को सोरेन तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, जब JMM और BJP ने फिर गठबंधन किया। लेकिन मई 2010 में गठबंधन टूट गया जब सोरेन ने लोकसभा में UPA सरकार के समर्थन में वोट दिया, जबकि BJP इसका हिस्सा थी।

फिच ने वित्त वर्ष 26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.3% किया

वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने 1 अगस्त 2025 को जारी अपनी नवीनतम “इंडिया कॉर्पोरेट क्रेडिट ट्रेंड्स रिपोर्ट” में वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.3% कर दिया है, जो पहले 6.4% अनुमानित था। एजेंसी ने बताया कि जहां उच्च स्तर का बुनियादी ढांचा निवेश प्रमुख क्षेत्रों में मांग को बढ़ावा देता रहेगा, वहीं वैश्विक व्यापार से जुड़ी चुनौतियाँ और शुल्क (टैरिफ) संबंधी जोखिम भारत की विकास गति पर दबाव डाल सकते हैं।

मांग को बढ़ावा देगा अवसंरचना पर खर्च

फिच रेटिंग्स के अनुसार, भारत का मजबूत अवसंरचना निवेश विकास का एक प्रमुख इंजन बना रहेगा। यह निवेश निम्नलिखित प्रमुख उद्योगों में मांग को समर्थन देगा:

  • सीमेंट

  • ऊर्जा (पावर)

  • पेट्रोलियम उत्पाद

  • निर्माण (कंस्ट्रक्शन)

  • भवन निर्माण सामग्री

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारी पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) के बावजूद भारतीय कंपनियों की क्रेडिट प्रोफाइल में सुधार की संभावना है, क्योंकि EBITDA मार्जिन (आय पूर्व ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन) बेहतर बने हुए हैं।

भारतीय कंपनियों पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव

फिच ने अमेरिका द्वारा घोषित 25% शुल्क (टैरिफ) पर चिंता जताई, जो 7 अगस्त 2025 से लागू होंगे। इसके अतिरिक्त, भारत-रूस व्यापार से जुड़ी अतिरिक्त दंडात्मक कार्रवाइयों का भी उल्लेख किया गया है।

  • सीमित प्रत्यक्ष प्रभाव: अधिकांश रेटेड भारतीय कंपनियों की अमेरिका में निर्यात हिस्सेदारी कम से मध्यम स्तर की है, जिससे उन्हें तत्काल बड़ा नुकसान नहीं होगा।

  • द्वितीयक जोखिम: हालांकि, फिच ने चेताया कि वैश्विक आपूर्ति अधिशेष, विशेषकर इस्पात और रसायन क्षेत्रों में, भारत की ओर मोड़ दी जा सकती है, जिससे कीमतों में गिरावट और मेटल व माइनिंग कंपनियों के लिए अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।

क्षेत्रीय परिदृश्य

आईटी, ऑटो और फार्मा

  • आईटी सेवाएं, ऑटो कंपोनेंट्स और फार्मास्युटिकल जैसे निर्यात-आधारित क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। अमेरिका और यूरोप में टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितता से मांग में गिरावट आ सकती है।
  • अमेरिकी नीतिगत बदलाव विशेष रूप से भारतीय दवा उद्योग को प्रभावित कर सकते हैं, जो विदेशी बाजारों पर काफी निर्भर है।

सापेक्ष रूप से सुरक्षित क्षेत्र

कुछ क्षेत्र अपेक्षाकृत स्थिर और सुरक्षित बने रहने की संभावना रखते हैं, जैसे:

  • दूरसंचार (टेलीकॉम)

  • तेल और गैस

  • यूटिलिटीज

  • निर्माण

ये क्षेत्र मुख्य रूप से घरेलू मांग-आधारित हैं और नियामकीय स्थिरता का लाभ उठाते हैं, जिससे बाहरी जोखिम कम हो जाते हैं।

व्यापार वार्ताओं में भारत का सख्त रुख

  • रिपोर्ट में बताया गया कि भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्रों में अमेरिकी शुल्क रियायतों की मांग का कड़ा विरोध किया है। ये क्षेत्र भारत के किसी भी मौजूदा मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में शामिल नहीं हैं।
  • वर्तमान व्यापार वार्ताओं का परिणाम भारतीय कंपनियों की निर्यात विविधता और नए व्यापारिक परिदृश्यों के अनुकूलन की रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
  • फिच ने ज़ोर दिया कि इन वार्ताओं का परिणाम भारत के बाह्य क्षेत्र की मजबूती तय करने में आने वाले समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Pariksha pe Charcha 2025: 3.53 करोड़ रजिस्ट्रेशन के साथ बना वर्ल्ड रिकॉर्ड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रमुख पहल “परीक्षा पे चर्चा (PPC)” ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया है। यह रिकॉर्ड “एक माह में नागरिक सहभागिता प्लेटफॉर्म पर सबसे अधिक लोगों के पंजीकरण” के लिए दर्ज किया गया है। इस वर्ष आयोजित कार्यक्रम के आठवें संस्करण में मायगव (MyGov) प्लेटफॉर्म पर कुल 3.53 करोड़ वैध पंजीकरण हुए, जो इस अनोखी शैक्षिक पहल की अपार लोकप्रियता और जनविश्वास को दर्शाता है।

एक ऐतिहासिक मान्यता

गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड का यह सम्मान नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में औपचारिक रूप से प्रदान किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, रेल, और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद, और शिक्षा एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। यह मान्यता गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के आधिकारिक निर्णायक ऋषि नाथ द्वारा प्रमाणित की गई। यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए वैश्विक पहचान लेकर आई है, बल्कि देश को नागरिक सहभागिता आधारित शैक्षिक पहल के क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है।

परीक्षा के तनाव को बना दिया सीखने का उत्सव

साल 2018 में आरंभ हुई ‘परीक्षा पे चर्चा’ (PPC) आज एक वैश्विक मंच बन चुकी है, जहाँ प्रधानमंत्री मोदी सीधे छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद करते हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य है — परीक्षा से जुड़े तनाव को कम करना और शिक्षा को आनंददायक, समग्र एवं जीवनमूल्य आधारित अनुभव बनाना। 2025 संस्करण में इस कार्यक्रम को 21 करोड़ से अधिक दर्शकों ने विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर देखा, जिससे यह भारत की सबसे बड़ी शैक्षिक पहलों में से एक बन गई है।

यह कार्यक्रम परीक्षा को केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सीखने का उत्सव बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। प्रधानमंत्री ने इसे विशेष रूप से भारत के अमृतकाल में छात्रों के कल्याण और करियर जागरूकता को प्रोत्साहित करने वाला कदम बताया है, और कहा कि गिनीज़ मान्यता इस कार्यक्रम में जनता के विश्वास का प्रमाण है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 से समरसता

यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सोच से घनिष्ठ रूप से जुड़ी है, जो रटंत पढ़ाई के स्थान पर तनाव-मुक्त, अनुभवात्मक और आनंदमयी शिक्षा पर बल देती है। प्रधानमंत्री मोदी संवाद के दौरान निम्नलिखित महत्वपूर्ण विषयों पर छात्रों से चर्चा करते हैं:

  • समय प्रबंधन और प्रभावी परीक्षा तैयारी

  • डिजिटल व्याकुलताओं से निपटना

  • भावनात्मक दृढ़ता का विकास

  • एकाग्रता बनाए रखने के लिए माइंडफुलनेस का अभ्यास

ये विषय केवल छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी उपयोगी मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जिससे शिक्षा का समग्र दृष्टिकोण सुदृढ़ होता है।

एक कार्यक्रम से आगे बढ़कर बना जनआंदोलन

पिछले कुछ वर्षों में, परीक्षा पे चर्चा एक वार्षिक आयोजन से एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन में तब्दील हो गया है। यह एक सशक्त संदेश देता है कि परीक्षाएँ अंत नहीं, बल्कि सीखने और विकास की यात्रा में एक नई शुरुआत हैं।

शिक्षा मंत्रालय ने, अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ, पीपीसी की रिकॉर्ड तोड़ सफलता का श्रेय समावेशी और समग्र शिक्षा के माध्यम से एक विकसित भारत के निर्माण के प्रति राष्ट्र की सामूहिक प्रतिबद्धता को दिया।

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