भारत रत्न भूपेन हजारिका जन्म शताब्दी समारोह

भारत ने भारत रत्न से सम्मानित दिग्गज गायक, कवि और संगीतकार भूपेन हजारिका की 100वीं जयंती का उत्सव मनाना शुरू कर दिया है। अपनी सशक्त आवाज़ और इंसानियत, समानता तथा सांस्कृतिक एकता पर आधारित अमर गीतों के लिए जाने जाने वाले हजारिका का काम आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करता है। यह शताब्दी समारोह उनके संगीत, सिनेमा और सामाजिक परिवर्तन में अमूल्य योगदान को सम्मानित करने और उनकी विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का प्रयास है।

भूपेन हजारिका कौन थे?

भूपेन हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 को असम में हुआ था। वे अपनी आत्मीय गायकी, प्रभावशाली गीतों और समाज को जागरूक करने वाली रचनाओं के कारण भारत के सबसे प्रतिष्ठित सांस्कृतिक व्यक्तित्वों में गिने जाते हैं। उन्होंने आम जनता के जीवन, वंचितों के संघर्ष और असम तथा पूर्वोत्तर की सुंदरता को अपने गीतों में स्वर दिया।

उन्हें संगीत और संस्कृति में असाधारण योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनका निधन 5 नवंबर 2011 को 85 वर्ष की आयु में हुआ।

प्रारंभिक जीवन

भूपेन हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 को असम के सदिया नगर में हुआ। वे अपनी माँ से पारंपरिक असमिया गीत सुनते हुए बड़े हुए। 10 साल की उम्र में ही उन्हें सांस्कृतिक दिग्गज ज्योतिप्रसाद अग्रवाला और विष्णु प्रसाद राभा ने खोज लिया था। 12 साल की उम्र में उन्होंने पहला गीत रिकॉर्ड किया और जल्दी ही अपनी गहरी आवाज़ और काव्यात्मक प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध हो गए।

शिक्षा और प्रेरणा

उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई की और बाद में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। वहीं उनकी मुलाकात नागरिक अधिकारों के योद्धा और गायक पॉल रोब्सन से हुई, जिन्होंने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। रोब्सन से प्रेरणा लेकर हजारिका ने संगीत को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बनाया और इंसानियत, न्याय तथा समानता पर आधारित गीत लिखे।

भूपेन हजारिका की संगीत धरोहर

भूपेन हजारिका ने मुख्य रूप से असमिया भाषा में गीत लिखे और गाए, लेकिन उनके गीतों का अनुवाद बंगाली, हिंदी और अन्य भाषाओं में भी हुआ। उनके कुछ लोकप्रिय गीत हैं:

  • बिस्तीर्णो पारोरे

  • मोई एति जाजाबोर

  • मनुहे मनुहोर बाबे

उन्होंने असम और पूर्वोत्तर भारत की लोक परंपराओं को भारतीय सिनेमा में स्थान दिलाया और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया। उनके गीत सांप्रदायिक सौहार्द और विश्व बंधुत्व के संदेश भी देते थे।

सिनेमा और राजनीति में योगदान

गायक होने के साथ-साथ हजारिका फिल्म निर्देशक और गीतकार भी थे। उन्होंने पुरस्कार विजेता असमिया फिल्में बनाईं और हिंदी तथा बंगाली फिल्मों जैसे रुदाली और दमन में संगीत दिया। वे असम विधान सभा के सदस्य रहे और 1998 से 2003 तक संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष भी रहे।

सम्मान और पुरस्कार

भूपेन हजारिका को जीवनकाल और निधन के बाद भी अनेक पुरस्कार मिले:

  • राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (1975)

  • पद्मश्री (1977) और पद्मभूषण (2001)

  • दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (1992)

  • संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप (2008)

  • पद्मविभूषण (2012, मरणोपरांत)

  • भारत रत्न (2019, मरणोपरांत)

उनकी स्मृति में मूर्तियाँ, डाक टिकट और असम का ढोला-सदिया पुल (भूपेन हजारिका सेतु) समर्पित किया गया है।

अंतिम समय और निधन

जीवन के अंतिम वर्षों में उन्होंने फिल्मकार कल्पना लाजमी के साथ कई हिंदी फिल्मों पर काम किया। 5 नवंबर 2011 को मुंबई में उनका निधन हो गया। असम में उनके अंतिम संस्कार में लाखों लोग शामिल हुए, जो उनके प्रति जनता के अपार प्रेम और सम्मान का प्रमाण था।

भारत अक्टूबर 2025 में 28वीं एशियाई टीटी टीम चैंपियनशिप की मेजबानी करेगा

भारत 28वीं आईटीटीएफ-एटीटीयू एशियन टेबल टेनिस टीम चैम्पियनशिप का आयोजन 11 से 15 अक्टूबर, 2025 तक भुवनेश्वर, ओडिशा में करेगा। यह प्रतिष्ठित महाद्वीपीय प्रतियोगिता पुरुष और महिला टीम मुकाबलों में शीर्ष स्तर का प्रदर्शन पेश करेगी और साथ ही 2026 आईटीटीएफ वर्ल्ड टीम चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफायर का काम करेगी। प्रत्येक श्रेणी की शीर्ष 13 टीमें वैश्विक टूर्नामेंट में जगह बनाएंगी।

यह आयोजन भारतीय टेबल टेनिस के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है और भुवनेश्वर को भारत की उभरती खेल राजधानी के रूप में स्थापित करता है।

कार्यक्रम का महत्व

एशियाई टेबल टेनिस टीम चैम्पियनशिप, जिसका संचालन इंटरनेशनल टेबल टेनिस फेडरेशन (ITTF) और एशियन टेबल टेनिस यूनियन (ATTU) करते हैं, महाद्वीप का एक प्रमुख टूर्नामेंट है। इसकी मेज़बानी भारत को दिलाती है:

  • टेबल टेनिस की दुनिया में वैश्विक पहचान

  • भारतीय टीमों के लिए क्वालीफिकेशन का अवसर

  • खेल ढाँचे और आयोजन क्षमता दिखाने का मौका

यह पहली बार होगा जब ओडिशा एशियाई स्तर की टेबल टेनिस चैम्पियनशिप की मेज़बानी करेगा। हालांकि, राज्य ने पहले 2019 कॉमनवेल्थ टेबल टेनिस चैम्पियनशिप सफलतापूर्वक आयोजित की थी।

स्थान और ढाँचा 

मैच भुवनेश्वर में खेले जाएंगे, जिसने पहले एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप, खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स और सैफ चैम्पियनशिप जैसे बड़े आयोजनों की मेज़बानी की है।

टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया (TTFI) ने आश्वासन दिया है कि आयोजन अंतरराष्ट्रीय मानकों पर होगा, जिसमें शामिल हैं:

  • आईटीटीएफ-स्वीकृत फ्लोरिंग

  • उन्नत लाइटिंग और उपकरण

  • पूरी तरह से वातानुकूलित (एयर-कंडीशंड) एरेना

ये सुविधाएँ दर्शाती हैं कि ओडिशा भारत में मल्टी-स्पोर्ट उत्कृष्टता केंद्र बनने के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रतिस्पर्धा में कौन-कौन?

इस चैम्पियनशिप में एशिया की शीर्ष टेबल टेनिस टीमें भाग लेंगी, जिनमें शामिल हैं:

  • चीन (टेबल टेनिस में विश्व अग्रणी)

  • जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर

  • दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और मध्य एशिया की उभरती टीमें

भारत की पुरुष और महिला टीमें, हाल के अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन से प्रेरित होकर, होम एडवांटेज का लाभ उठाते हुए वर्ल्ड चैम्पियनशिप में क्वालीफाई करने का प्रयास करेंगी।

2026 वर्ल्ड टीम चैम्पियनशिप की राह

इस आयोजन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह 2026 आईटीटीएफ वर्ल्ड टीम चैम्पियनशिप का क्वालीफायर है। पुरुष और महिला दोनों वर्गों की शीर्ष 13 टीमें सीधे क्वालीफाई करेंगी। इससे हर मैच की प्रतिस्पर्धात्मक तीव्रता और बढ़ जाएगी।

यह अवसर भारतीय टीमों के लिए वैश्विक रैंकिंग और दृश्यता बनाए रखने या सुधारने में अहम साबित हो सकता है।

परीक्षा हेतु प्रमुख तथ्य

  • आयोजन: 28वीं आईटीटीएफ-एटीटीयू एशियन टेबल टेनिस टीम चैम्पियनशिप

  • तारीखें: 11–15 अक्टूबर, 2025

  • स्थान: भुवनेश्वर, ओडिशा

  • आयोजक निकाय: टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया (TTFI)

  • विशेषता: ओडिशा में पहली बार एशियाई स्तर की टेबल टेनिस चैम्पियनशिप

कमजोर मांग से जुलाई में कोयला आयात घटा

जुलाई 2025 में भारत का कोयला आयात 21.08 मिलियन टन (MT) रहा, जो पिछले वर्ष जुलाई 2024 के 25.23 एमटी की तुलना में 16.4% की गिरावट दर्शाता है। यह कमी मुख्य रूप से मानसून के दौरान कमजोर मांग और घरेलू स्तर पर पर्याप्त भंडारण के कारण हुई है। यह आंकड़े एमजंक्शन सर्विसेज (टाटा स्टील और सेल की संयुक्त इकाई) द्वारा जारी किए गए।

गिरावट के पीछे कारण

विनया वर्मा, एमडी और सीईओ, एमजंक्शन सर्विसेज ने बताया कि कोयला आयात में गिरावट के प्रमुख कारण हैं:

  • मानसून महीनों में उद्योग और बिजली की कमजोर मांग

  • थर्मल पावर प्लांट्स और उद्योगों में ऊँचा कोयला भंडार

  • घरेलू उत्पादन में वृद्धि से आयात की आवश्यकता कम होना

उन्होंने कहा कि सितंबर से शुरू होने वाले त्योहारी सीजन से पहले मांग बढ़ सकती है, जिससे कोयले की खपत में इज़ाफा होगा।

जुलाई 2025 आयात आँकड़े

  • कुल कोयला आयात: 21.08 एमटी (जुलाई 2025) बनाम 25.23 एमटी (जुलाई 2024)

  • नॉन-कोकिंग कोल (बिजली उत्पादन हेतु): 11.54 एमटी (2025) बनाम 16.52 एमटी (2024)

  • कोकिंग कोल (इस्पात उद्योग हेतु): 5.85 एमटी (2025) बनाम 4.81 एमटी (2024)

नॉन-कोकिंग कोल की मांग बिजली क्षेत्र में कमी के कारण घटी, जबकि कोकिंग कोल आयात बढ़ा, जो इस्पात और भारी उद्योग में स्थिरता या वृद्धि को दर्शाता है।

अप्रैल–जुलाई 2025: संचयी आयात रुझान

  • कुल आयात: 97.49 एमटी (एफवाई 2025) बनाम 100.48 एमटी (एफवाई 2024)

  • नॉन-कोकिंग कोल: 60.62 एमटी (2025) बनाम 65.64 एमटी (2024)

  • कोकिंग कोल: 22.22 एमटी (2025) बनाम 20.26 एमटी (2024)

यह आँकड़े दिखाते हैं कि थर्मल (बिजली) कोल आयात घटा, लेकिन इस्पात क्षेत्र की मांग मजबूत बनी रही

परीक्षा हेतु प्रमुख तथ्य

  • जुलाई 2025 में कोयला आयात 16.4% घटकर 21.08 एमटी

  • अप्रैल–जुलाई 2025 संचयी आयात: 97.49 एमटी (पिछले वर्ष 100.48 एमटी)

  • नॉन-कोकिंग कोल में कमी, कोकिंग कोल में बढ़ोतरी

रूस ने आशाजनक परीक्षण परिणामों के बाद कोलन कैंसर का टीका पेश किया

रूस की फेडरल मेडिकल बायोलॉजिकल एजेंसी (FMBA) ने घोषणा की है कि उसका कोलन कैंसर (बृहदान्त्र कैंसर) का टीका अब उपयोग के लिए तैयार है। यह घोषणा 10वें ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (EEF), व्लादिवोस्तोक (3–6 सितम्बर 2025) में की गई। यह कैंसर इम्यूनोथेरेपी में एक महत्वपूर्ण कदम है, विशेषकर कोलोरेक्टल कैंसर के लिए, जो विश्वभर में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसरों में से एक है।

शोध से क्या सामने आया?

एफएमबीए प्रमुख वेरोनिका स्क्वॉर्त्सोवा के अनुसार, इस टीके ने प्री-क्लिनिकल परीक्षणों में उच्च स्तर की सुरक्षा और उल्लेखनीय प्रभावशीलता दिखाई। परीक्षणों में पाया गया:

  • ट्यूमर के आकार में 60%–80% की कमी

  • कैंसर की प्रगति में धीमापन

  • परीक्षण विषयों की जीवित रहने की दर में सुधार

  • कोई दुष्प्रभाव नहीं, चाहे खुराक दोहराई गई हो

यह शोध खासतौर पर कोलोरेक्टल कैंसर को लक्षित करता है, जो विश्वभर में करोड़ों लोगों को प्रभावित करता है और कैंसर से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है।

कैंसर वैक्सीन कैसे काम करती है?

सामान्य टीकों की तरह संक्रमण रोकने के बजाय कैंसर वैक्सीन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को सक्रिय कर कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने में मदद करती है।

  • पारंपरिक वैक्सीन → संक्रमण से बचाती है (जैसे HPV वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर रोकती है)

  • कैंसर वैक्सीन → उपचारात्मक (Therapeutic) होती है

एफएमबीए की कोलन कैंसर वैक्सीन का उद्देश्य है:

  • इम्यून सिस्टम को सक्रिय करना

  • ट्यूमर एंटीजेन की पहचान बढ़ाना

  • बीमारी की प्रगति को धीमा करना और जीवनकाल बढ़ाना

अगले कदम और स्वीकृति

हालाँकि वैक्सीन को “उपयोग हेतु तैयार” बताया गया है, लेकिन नियामक स्वीकृति (Regulatory Approval) अभी लंबित है। स्वीकृति मिलने के बाद यह रूस द्वारा विकसित पहला सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कोलोरेक्टल कैंसर इम्यूनोथेरेपी टीका होगा, और घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध कराया जा सकेगा।

अन्य टीके विकासाधीन

एफएमबीए अन्य कैंसरों के लिए भी वैक्सीन विकसित कर रहा है:

  • ग्लियोब्लास्टोमा (मस्तिष्क का आक्रामक कैंसर)

  • मेलानोमा (त्वचा का कैंसर, जिसमें दुर्लभ ऑक्यूलर मेलानोमा शामिल)

इनके शुरुआती नतीजे भी सुरक्षित और प्रभावी पाए गए हैं, जिससे उम्मीद है कि भविष्य में कैंसर वैक्सीन का दायरा और बढ़ेगा।

परीक्षा हेतु प्रमुख तथ्य

  • लक्षित कैंसर: कोलोरेक्टल (कोलन) कैंसर

  • घोषणा करने वाली: वेरोनिका स्क्वॉर्त्सोवा, प्रमुख – FMBA

  • घोषणा स्थल: 10वां ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम, व्लादिवोस्तोक (3–6 सितम्बर 2025)

  • प्रभावशीलता: ट्यूमर आकार में 60–80% कमी, जीवनकाल में सुधार

  • स्थिति: अंतिम नियामक स्वीकृति लंबित

PNB ने विकास को बढ़ावा देने हेतु राजस्थान के साथ ₹21,000 करोड़ के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

राज्य स्तरीय विकास को बढ़ावा देने के लिए पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने राजस्थान सरकार के साथ ₹21,000 करोड़ का समझौता ज्ञापन (MoU) साइन किया है। यह साझेदारी राइजिंग राजस्थान (Rising Rajasthan) पहल के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), महिला उद्यमिता, और डिजिटल वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करना है।

यह एमओयू जयपुर में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और पीएनबी के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ अशोक चंद्रा की मौजूदगी में साइन हुआ। इस अवसर पर बैंक ने जमीनी स्तर पर आर्थिक परिवर्तन को समर्थन देने का संकल्प दोहराया।

राइजिंग राजस्थान: रणनीतिक वित्तीय साझेदारी

राजस्थान सरकार की यह प्रमुख पहल निवेश आकर्षित करने, उद्यमिता को बढ़ावा देने और समावेशी विकास पर केंद्रित है। पीएनबी का यह वित्तीय निवेश तीन प्रमुख क्षेत्रों पर असर डालेगा:

  • छोटे व्यवसायों और स्टार्ट-अप्स को आसान ऋण उपलब्ध कराना

  • स्वयं सहायता समूह (SHGs) और महिला-नेतृत्व वाले उद्यमों को मज़बूती देना

  • ग्रामीण व अर्ध-शहरी क्षेत्रों में डिजिटल वित्तीय उपकरणों का प्रसार

महिला उद्यमियों को सशक्त बनाना

एमओयू के क्रियान्वयन के तहत पीएनबी ने जयपुर में आयोजित विशेष SHG ऋण वितरण कार्यक्रम में 2,000 महिला उद्यमियों को ऋण स्वीकृति पत्र वितरित किए। इस कार्यक्रम में 3,000 से अधिक SHG सदस्य शामिल हुए।
यह कदम लैंगिक समावेशी विकास को बढ़ावा देता है और महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता के माध्यम से सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम प्रयास है।

एमएसएमई और डिजिटल अपनाने पर फोकस

भारत का एमएसएमई सेक्टर रोज़गार और उत्पादन का अहम इंजन है। पीएनबी द्वारा ₹21,000 करोड़ की प्रतिबद्धता से:

  • सूक्ष्म व लघु उद्योगों के लिए ऋण उपलब्धता का विस्तार होगा

  • कम-ब्याज डिजिटल ऋणों के ज़रिए टेक्नोलॉजी अपनाने को बढ़ावा मिलेगा

  • सरकारी योजनाओं व सब्सिडी तक पहुँच आसान होगी

जयपुर में कर्मचारियों से बातचीत के दौरान अशोक चंद्रा ने खास तौर पर तीन बिंदुओं पर ज़ोर दिया:

  1. बैंकिंग सेवाओं में डिजिटल परिवर्तन

  2. वित्तीय साक्षरता और समावेशन

  3. धोखाधड़ी की रोकथाम और पहचान की मज़बूत व्यवस्था

परीक्षा हेतु प्रमुख तथ्य

  • एमओयू हस्ताक्षर: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और राजस्थान सरकार के बीच

  • राशि: ₹21,000 करोड़

  • अंतर्गत: राइजिंग राजस्थान (Rising Rajasthan) पहल

  • पीएनबी एमडी व सीईओ: अशोक चंद्रा

भारत ने हाई-स्पीड सड़क नेटवर्क के लिए 125 अरब डॉलर की योजना का अनावरण किया

भारत ने अपने अब तक के सबसे महत्वाकांक्षी अवसंरचना कार्यक्रमों में से एक की घोषणा की है। सरकार ₹11 लाख करोड़ (लगभग $125 अरब) का निवेश करके 2033 तक देश के हाई-स्पीड रोड नेटवर्क को पाँच गुना बढ़ाएगी। यह परियोजना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के नेतृत्व में पूरी होगी। इसके अंतर्गत 17,000 किमी एक्सेस-कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जाएगा, जिससे लॉजिस्टिक लागत कम होगी और आर्थिक कनेक्टिविटी तेज़ होगी।

यह पहल भारत को चीन और अमेरिका जैसे वैश्विक अवसंरचना नेताओं की श्रेणी में खड़ा करती है और आधुनिक गतिशीलता, निवेश आकर्षण और आर्थिक दक्षता पर फोकस दर्शाती है।

परियोजना का दायरा और समयसीमा

  • नई सड़कों पर वाहन 120 किमी/घंटा की रफ़्तार से सुरक्षित रूप से चल सकेंगे।

  • मार्च 2025 तक भारत के पास 1.46 लाख किमी राष्ट्रीय राजमार्ग थे, जिनमें से केवल 4,500 किमी हाई-स्पीड मानकों पर थे।

  • नई योजना के अंतर्गत:

    • 17,000 किमी एक्सप्रेसवे जोड़े जाएंगे

    • 40% कार्य प्रगति पर, 2030 तक पूरा होगा

    • शेष कॉरिडोर 2028 से शुरू होकर 2033 तक पूरे होंगे

वित्तपोषण मॉडल और निजी क्षेत्र की भागीदारी

सरकार इस मेगा-प्रोजेक्ट को हाइब्रिड फाइनेंसिंग मॉडल से पूरा करेगी:

  1. बीओटी (Build-Operate-Transfer) मॉडल

    • उच्च रिटर्न (15%+) वाले प्रोजेक्ट्स पर लागू

    • निजी कंपनियाँ टोल संग्रह के माध्यम से लागत वसूलेंगी

  2. हाइब्रिड एन्‍युटी मॉडल (HAM)

    • सरकार 40% निर्माण लागत अग्रिम देगी

    • शेष राशि डेवलपर लगाएंगे और धीरे-धीरे भुगतान मिलेगा

वर्तमान में HAM मॉडल सबसे अधिक प्रयोग में है। सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र की भागीदारी और बढ़े। ब्रुकफ़ील्ड, ब्लैकस्टोन और मैक्वेरी जैसे वैश्विक निवेशक रुचि दिखा रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र में बड़ा उछाल आने की संभावना है।

वैश्विक एक्सप्रेसवे नेटवर्क की तुलना

  • चीन – 1990 के दशक से अब तक 1,80,000+ किमी एक्सप्रेसवे

  • अमेरिका – 75,000+ किमी इंटरस्टेट हाईवे

  • भारत (2025) – 4,500 किमी हाई-स्पीड सड़कें

  • भारत (2033 लक्ष्य) – 21,500 किमी

हालाँकि पैमाना अभी छोटा है, लेकिन भारत की योजना समयसीमा और महत्वाकांक्षा दोनों में आक्रामक है।

परीक्षा हेतु प्रमुख तथ्य

  • निवेश राशि: ₹11 लाख करोड़ (~$125 अरब)

  • लक्ष्य: 2033 तक 17,000 किमी हाई-स्पीड रोड

  • प्रमुख एजेंसी: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH), NHAI

  • मॉडल: BOT (उच्च रिटर्न वाले प्रोजेक्ट), HAM (अन्य प्रोजेक्ट)

  • वर्तमान एक्सप्रेसवे: 4,500 किमी

  • परियोजना के बाद: 21,500 किमी

भारत ने विश्व चैंपियनशिप में पुरुषों की कंपाउंड तीरंदाजी में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता

भारत ने 7 सितम्बर 2025 को ग्वांग्जू, दक्षिण कोरिया में आयोजित विश्व तीरंदाज़ी चैंपियनशिप में पुरुषों की कंपाउंड टीम स्पर्धा में पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। रोमांचक फाइनल में भारतीय त्रयी ऋषभ यादव, अमन सैनी और पृथमेश फुगे ने फ्रांस को 235–233 से मात दी। यह उपलब्धि भारतीय कंपाउंड तीरंदाज़ी के लिए मील का पत्थर साबित हुई।

ऐतिहासिक फाइनल: भारत बनाम फ्रांस

  • फ्रांस की मज़बूत टीम (निकोलस गिरार्ड, जीन फिलिप बूल्च और फ्रांस्वा डुबोइस) के खिलाफ भारत ने दबाव में अद्भुत वापसी की।

  • पहले राउंड में 57–59 से पीछे रहने के बावजूद, दूसरे राउंड में भारत ने छह परफेक्ट 10 लगाकर स्कोर 117–117 कर दिया।

  • तीसरे राउंड में दोनों टीमें 176–176 पर बराबरी पर थीं।

  • आख़िरी राउंड में पृथमेश फुगे के लगातार छह परफेक्ट 10, जिसमें निर्णायक तीर भी शामिल था, ने भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई।

रणनीति और कोच का योगदान

  • ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ राउंड ऑफ 16 में संघर्ष के बाद, कोच जीवनजोत सिंह तेजा ने शूटरों के क्रम में बदलाव किया।

  • नया क्रम—ऋषभ यादव पहले, अमन सैनी दूसरे और पृथमेश फुगे अंतिम—पूरे टूर्नामेंट में अजेय साबित हुआ।

  • कोच तेजा ने कहा कि भारत में घरेलू तीरंदाज़ी का स्तर अब इतना ऊँचा है कि जूनियर खिलाड़ी भी लगातार 350–355/360 स्कोर करने लगे हैं।

स्टार प्रदर्शन

  • ऋषभ यादव – भारत के शीर्ष क्वालिफ़ायर, जिन्होंने मिक्स्ड टीम में भी रजत पदक जीता।

  • पृथमेश फुगे – सबसे कम रैंकिंग वाले खिलाड़ी होते हुए भी फाइनल में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए छह परफेक्ट 10 लगाए।

  • यादव को अनुभवी अभिषेक वर्मा का मार्गदर्शन मिला है और 2018 में पदार्पण के बाद वे भारत के प्रमुख तीरंदाज़ों में से एक बन गए हैं।

मिक्स्ड टीम में रजत पदक

  • ऋषभ यादव और ज्योति सुरेखा वेन्नम ने मिक्स्ड टीम फाइनल में नीदरलैंड्स की नंबर 1 जोड़ी (माइक श्लोएसर और साने डी लाट) से 155–157 से हारकर रजत पदक जीता।

  • यह भारत की 2023 बर्लिन संस्करण के बाद मिक्स्ड टीम में वापसी है।

  • मिक्स्ड कंपाउंड टीम स्पर्धा 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में शामिल होगी, जिससे भारत की संभावनाएँ और मज़बूत होती हैं।

महिलाओं की टीम की निराशा

  • महिला कंपाउंड टीम, जिसने 2017 से लगातार हर विश्व चैंपियनशिप में पदक जीते थे, इस बार प्री-क्वार्टर फाइनल में हारकर बाहर हो गई।

  • यह ग्वांग्जू अभियान में भारत की एकमात्र कमी रही।

परीक्षा हेतु प्रमुख तथ्य

  • इवेंट: पुरुष कंपाउंड टीम

  • परिणाम: भारत ने फ्रांस को 235–233 से हराया

  • स्वर्ण पदक विजेता: ऋषभ यादव, अमन सैनी, पृथमेश फुगे

  • स्थान: ग्वांग्जू, दक्षिण कोरिया

  • मिक्स्ड टीम: रजत पदक (ऋषभ यादव और ज्योति सुरेखा वेन्नम)

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में क्या अंतर है?

आकाश हमें अक्सर मनमोहक घटनाओं से चकित करता है, और ग्रहण उनमें से सबसे रोचक घटनाओं में गिने जाते हैं। सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों तभी होते हैं जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा विशेष ढंग से एक सीध में आ जाते हैं। हालांकि इन दोनों घटनाओं में वही तीन खगोलीय पिंड शामिल होते हैं, फिर भी ये एक-दूसरे से बिल्कुल अलग दिखते हैं और अलग ढंग से अनुभव किए जाते हैं। आइए जानें कि इनमें क्या अंतर है, क्या समानताएँ हैं और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं।

सूर्य ग्रहण क्या है?

सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है, जिससे सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाती। ग्रहण किस प्रकार का होगा यह इस संरेखण (alignment) पर निर्भर करता है:

  • पूर्ण सूर्य ग्रहण – जब सूर्य पूरी तरह ढक जाता है।

  • आंशिक सूर्य ग्रहण – जब सूर्य का केवल कुछ भाग ढकता है।

  • कंकणाकृति (वलयाकार) सूर्य ग्रहण – जब चंद्रमा सूर्य के केंद्र को ढक लेता है और चारों ओर चमकदार अंगूठी जैसा प्रकाश दिखाई देता है।

सूर्य ग्रहण कुछ ही मिनटों तक रहता है और इसे केवल पृथ्वी के कुछ विशेष क्षेत्रों से देखा जा सकता है। सूर्य की तेज रोशनी के कारण इसे देखने के लिए विशेष सोलर चश्मे की आवश्यकता होती है।

चंद्र ग्रहण क्या है?

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इसके प्रकार हैं:

  • पूर्ण चंद्र ग्रहण – जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आकर लालिमा लिए दिखाई देता है (इसे अक्सर “रक्त चंद्र” कहा जाता है)।

  • आंशिक चंद्र ग्रहण – जब केवल चंद्रमा का कुछ हिस्सा छाया में आता है।

  • उपछाया चंद्र ग्रहण (पेनुम्ब्रल) – जब चंद्रमा पर हल्की छाया पड़ती है और वह थोड़ा धुंधला दिखता है।

चंद्र ग्रहण की अवधि सूर्य ग्रहण से कहीं लंबी होती है – कई बार यह कुछ घंटों तक चलता है। यह वहाँ से दिखाई देता है जहाँ भी रात होती है, और इसे नंगी आँखों से सुरक्षित रूप से देखा जा सकता है

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में मुख्य अंतर

  • सूर्य ग्रहण: चंद्रमा सूर्य की रोशनी को रोककर पृथ्वी पर छाया डालता है।

  • चंद्र ग्रहण: पृथ्वी सूर्य की रोशनी को रोककर चंद्रमा पर छाया डालती है।

  • दोनों घटनाएँ सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के कारण होती हैं, लेकिन इनमें दृश्यता, अवधि और स्वरूप अलग-अलग होते हैं।

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के बीच अंतर

अंतर का आधार सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण
कारण चंद्रमा सूर्य की रोशनी को रोकता है पृथ्वी सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुँचने से रोकती है
कहाँ दिखाई देता है? केवल पृथ्वी के कुछ विशेष हिस्सों में जहाँ भी रात होती है वहाँ से
प्रकार पूर्ण, आंशिक, कंकणाकृति (वलयाकार) पूर्ण, आंशिक, उपछाया (पेनुम्ब्रल)
अवधि कुछ मिनट कई घंटे तक
सुरक्षा विशेष चश्मे से ही सुरक्षित रूप से देखा जा सकता है नंगी आँखों से सुरक्षित रूप से देखा जा सकता है
प्रभाव दिन में अंधकार, तापमान में गिरावट चंद्रमा का रंग बदलता है, अक्सर लालिमा लिए दिखाई देता है

जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने दिया इस्तीफा, जानें वजह

जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा आने वाले दिनों में अपना पद छोड़ देंगे। सत्तारूढ़ पार्टी में विभाजन से बचने के जापानी पीएम ने ये फैसला किया है। इस बात की जानकारी सामने आने के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में नई राजनीतिक अनिश्चितता पैदा हो गई है। जापान में इसी साल जुलाई में उच्च सदन के लिए हुए चुनाव हुआ था। इसमें हार के बाद इशिबा को सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के भीतर आलोचना का सामना करना पड़ा है।

पिछले साल बने थे जापान के पीएम

बता दें कि जापान के पीएम इशिबा ने पिछले साल ही पीएम पद की कमान संभाली थी। इस दौरान उन्होंने महंगाई से निपटने, पार्टी में सुधार समेत कई बड़े वादे किए थे। हालांकि, इसके बाद जब वह सत्ता में आए उसके बाद उन्हें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वहीं, उनकी पार्टी एनडीपी पर राजनीतिक धन उगाही घोटालों के आरोप ने उनकी मुश्किलों को बढ़ाया है।

इस्तीफ़े के पीछे का संदर्भ

यह निर्णय लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर बढ़ते दबाव के बाद आया, जब इशिबा के नेतृत्व में सरकार को दशकों में सबसे खराब चुनावी हार का सामना करना पड़ा। शुरुआत में इशिबा इस्तीफ़े के लिए तैयार नहीं थे और उन्होंने जापान-अमेरिका टैरिफ समझौते के कार्यान्वयन की आवश्यकता को प्राथमिकता बताया।

रविवार को उन्होंने कहा: “जापान ने व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और [अमेरिकी] राष्ट्रपति ने कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, हमने एक महत्वपूर्ण बाधा पार कर ली है… मैं यह जिम्मेदारी अगले पीढ़ी को सौंपना चाहता हूँ।”

इस बयान से उनके इस्तीफ़े का संकेत मिला और यह भी स्पष्ट हुआ कि उनका छोटा कार्यकाल मुख्य अंतरराष्ट्रीय आर्थिक कार्य पूरा कर चुका है।

समयरेखा और कार्यकाल

  • शिगेरु इशिबा अक्टूबर 2024 में प्रधानमंत्री बने।

  • उनका नेतृत्व सुरक्षा पर कठोर दृष्टिकोण, तकनीकी प्रशासनिक शैली, और LDP की छवि सुधारने के प्रयास के लिए ध्यान केंद्रित था।

  • जुलाई 2025 के चुनावों में LDP की ruling coalition की हार ने न केवल इशिबा के नेतृत्व को चुनौती दी, बल्कि पार्टी के भविष्य की दिशा पर भी सवाल खड़े किए।

जापानी राजनीति पर प्रभाव

इशिबा का इस्तीफ़ा LDP के भीतर नेतृत्व चुनाव को खोलता है, जिससे राजनीतिक पुनर्गठन और गठबंधन की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। नए LDP अध्यक्ष को निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना होगा:

  • चुनावी हार के बाद जनता का विश्वास बहाल करना

  • आर्थिक परिणामों का प्रबंधन और जापान-अमेरिका व्यापार समझौते का कार्यान्वयन

  • दक्षिण चीन सागर और उत्तर कोरिया के साथ बढ़ती क्षेत्रीय तनाव का समाधान

  • 2026 के आम चुनाव की तैयारी

राजनीतिक विश्लेषक चेतावनी देते हैं कि यह अस्थिरता कानून निर्माण की गति धीमी कर सकती है और जापान की कूटनीतिक निरंतरता में बाधा डाल सकती है।

LDP और जापान के लिए आगे क्या?

LDP नेतृत्व चुनाव तुरंत शुरू होने की संभावना है। संभावित उत्तराधिकारी में शामिल हैं:

  • फुमियो किशिदा – मध्यम रुख और पूर्व विदेश नीति अनुभव के लिए जाने जाते हैं

  • तारो कोनो – युवाओं में लोकप्रिय और सुधारवादी नीतियों के लिए प्रसिद्ध

  • सेइको नोदा – जापानी राजनीति की कुछ प्रमुख महिलाओं में से एक, सामाजिक मुद्दों की समर्थक

इस चुनाव का परिणाम न केवल जापान के अगले प्रधानमंत्री को तय करेगा, बल्कि देश की घरेलू और विदेशी नीति की दिशा को भी प्रभावित करेगा।

परीक्षा के लिए मुख्य बिंदु

  • नाम: शिगेरु इशिबा

  • पद: प्रधानमंत्री, जापान (अक्टूबर 2024 – सितंबर 2025)

  • इस्तीफ़े का कारण: जुलाई 2025 में ऐतिहासिक चुनावी हार

  • पार्टी: लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP)

  • घोषणा की तारीख: 7 सितंबर 2025

Grandparents Day 2025: कैसे हुई ग्रैंड पैरेंट्स डे मनाने की शुरुआत, जानें इस दिन का इतिहास और महत्‍व

ग्रैंड पैरेंट्स डे 2025 रविवार, 7 सितंबर को मनाया गया और इसे संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और भारत में मनाया जाता है। यह हमेशा लेबर डे के बाद पहला रविवार आता है। हालांकि यह एक संघीय अवकाश नहीं है, यह एक व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त अवसर है जो दादा-दादी और उनके पोते-पोतियों के बीच के अनूठे बंधन का जश्न मनाता है।

क्या ग्रैंड पैरेंट्स डे एक सार्वजनिक अवकाश है?

नहीं, ग्रैंड पैरेंट्स डे एक सार्वजनिक अवकाश नहीं है। व्यवसाय, स्कूल और सरकारी कार्यालय अपने नियमित रविवार कार्यक्रमों के अनुसार खुलते हैं।

हम ग्रैंड पैरेंट्स डे क्यों मनाते हैं?

यह दिन दादा-दादी के योगदान, ज्ञान और प्रेम का सम्मान करता है। यह उनके परिवारों को पीढ़ियों के बीच जोड़ने, मार्गदर्शन करने और पोषण करने में उनके भूमिका को भी उजागर करता है। बदलती पारिवारिक संरचनाओं और डिजिटल दूरी के बढ़ने के बीच, दादा-दादी दिवस यह याद दिलाता है कि हमें अपने जीवन के बुजुर्गों के साथ फिर से जुड़ना चाहिए।

ग्रैंड पैरेंट्स डे की शुरुआत किसने की?

यह अवकाश मैरियन मैकक्वाड द्वारा प्रेरित था, जो वेस्ट वर्जीनिया की एक गृहिणी और वरिष्ठ नागरिक देखभाल की समर्थक थीं। उन्होंने 1970 के दशक में दादा-दादी को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय दिवस की मांग की।
उनके प्रयासों के कारण:

  • 1978 में, राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने इसे आधिकारिक बनाने की घोषणा की।

  • पहली बार यह 9 सितंबर 1979 को मनाया गया।

ग्रैंड पैरेंट्स डे के प्रतीक

  • आधिकारिक फूल: फॉरगेट-मी-नॉट – स्मृति और प्रेम का प्रतीक।

  • आधिकारिक गीत: “A Song for Grandma and Grandpa” जॉनी प्रिल द्वारा, 2024 में इसका स्पेनिश संस्करण (“Una Canción para la Abuela y el Abuelo”) भी जारी किया गया।

परिवार ग्रैंड पैरेंट्स डे कैसे मनाते हैं?

परिवार निम्न तरीकों से सराहना दिखाते हैं:

  • उपहार देना: हस्तनिर्मित कार्ड, फूल या व्यक्तिगत स्मृति चिन्ह।

  • साथ समय बिताना: भोजन, मुलाकात या साझा गतिविधियाँ।

  • वर्चुअल कनेक्शन: वीडियो कॉल या डिजिटल फोटो एल्बम।

  • स्कूल कार्यक्रम: कला प्रतियोगिताएँ, कहानी साझा करना या प्रदर्शन।

ग्रैंड पैरेंट्स डे 2025 मनाने के रचनात्मक तरीके

  • साथ में परिवार वृक्ष बनाना

  • उनके पसंदीदा व्यंजन पकाना

  • उनकी जीवन कहानियों को रिकॉर्ड करना

  • ग्रैंडपैरेंट ट्रिविया नाइट आयोजित करना

  • दूरस्थ रिश्तेदारों के लिए वर्चुअल जश्न का आयोजन

  • समय का उपहार देना – बिना डिजिटल उपकरणों के

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • मनाया जाता है: रविवार, 7 सितंबर, 2025

  • शुरुआत की: मैरियन मैकक्वाड, वेस्ट वर्जीनिया की सक्रियकर्मी, 1970 के दशक में

  • आधिकारिक रूप से घोषित: 1978, राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा

  • सालाना पुनरावृत्ति: लेबर डे के बाद पहला रविवार

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