आंध्र प्रदेश ने स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने हेतु व्यक्तियों के लिए 2-बच्चे वाली नीति को खत्म किया

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आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में घटती प्रजनन दर को देखते हुए स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों के मानदंड को खत्म करने का फैसला किया है। 7 अगस्त को मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

राज्य मंत्रिमंडल ने एपी नगर निगम अधिनियम, 1994 और पंचायत राज अधिनियम, 1994 में आवश्यक संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। पहले कानून में दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को स्थानीय और नागरिक निकायों के चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था। सरकार का मानना है कि इस कदम से घटती तेलुगु आबादी के बेहतर जनसांख्यिकीय प्रबंधन में मदद मिलेगी।

शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में भाग लेने से किसे रोका गया?

मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1955 और आंध्र प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1965 में 1994 में किए गए संशोधनों को निरस्त करने की मंजूरी दे दी, जिसमें दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था। दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था। हालांकि 2019 में पंचायत राज चुनावों के लिए प्रतिबंध हटा दिया गया था, लेकिन यह अन्य स्थानीय निकायों पर लागू रहा।

राज्य में 60 वर्ष से अधिक आयु

यह भी पता चला कि वर्तमान में राज्य की 11 प्रतिशत आबादी 60 वर्ष से अधिक आयु की है। 2047 तक यह संख्या बढ़कर 19 प्रतिशत हो जाने की संभावना है। राष्ट्रीय स्तर पर यह संख्या वर्तमान में 10 प्रतिशत है और 2015 तक यह बढ़कर 15 प्रतिशत हो जाने की संभावना है। इस संदर्भ में, मंत्रिमंडल ने 1994 में किए गए संशोधनों को निरस्त करने का निर्णय लिया, जिसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोका गया था।

आंध्र प्रदेश का लिंग अनुपात क्या?

कैबिनेट ने कहा कि राष्ट्रीय प्रजनन दर 2.1 प्रतिशत है, जबकि आंध्र प्रदेश में यह केवल 1.5 प्रतिशत है। वर्तमान में राज्य में औसत पुरुष प्रजनन आयु 32.5 वर्ष है, जो 2047 तक 40 वर्ष तक पहुंचने की संभावना है। इसी तरह, राज्य में महिला प्रजनन आयु अभी 29 वर्ष है, जो 2047 तक 38 वर्ष तक पहुंचने की उम्मीद है। यह भी कहा गया कि आर्थिक विकास में योगदान देने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी आएगी।

कैबिनेट के ये भी फैसले

कैबिनेट ने राज्य के आधिकारिक प्रतीक और क्यूआर कोड वाले नए पट्टादार पासबुक (राजस्व रिकॉर्ड) जारी करने को भी मंजूरी दी। ये पिछली सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी की तस्वीर के साथ वितरित किए गए 22 लाख भूमि रिकॉर्ड की जगह लेंगे।

कैबिनेट ने आंध्र प्रदेश पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट, 1992 के अनुसार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी और रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (आरडीएफ) पर प्रतिबंध को एक साल तक बढ़ाने का भी फैसला किया। इसने 1 अक्टूबर से नई आबकारी नीति लागू करने का फैसला किया। मंत्री ने कहा कि कम कीमत पर गुणवत्तापूर्ण शराब बेची जाएगी।

 

भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता एक दशक में 165% बढ़ी

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केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता पिछले एक दशक में 165 प्रतिशत बढ़ी है। ये 2014 में 76.38 गीगावाट (GW) से बढ़कर 2024 में 203.1 गीगावाट हो गई है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से संबंधित अनुदानों की मांगों पर राज्य सभा में हुई बहस का उत्तर देते हुए जोशी ने बताया कि भारत अब नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है। साथ ही सौर और पवन ऊर्जा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

प्रहलाद जोशी ने उच्च सदन में कहा कि केंद्रीय बजट 2024-25 में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए 21 हजार करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है। उन्होंने बताया प्रधानमंत्री सूर्य घर, प्रधानमंत्री कुसुम और नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी योजनाओं के लिए एक लाख 60 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

रोजगार के अवसर

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बजट बढ़ाए जाने से नवीकरणीय ऊर्जा में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे ऊर्जा सुरक्षा की चेतना बनेगी और कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा। सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा, यह पर्यावरण के हित में भी है।

विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर

बता दें कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता (बड़ी हाइड्रो सहित) में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है, पवन ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है और सौर ऊर्जा क्षमता में पांचवें स्थान पर है (REN21 नवीकरणीय 2024 वैश्विक स्थिति रिपोर्ट के अनुसार)। देश ने COP26 में 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा का एक बढ़ा हुआ लक्ष्य निर्धारित किया है। यह नवीकरणीय ऊर्जा में दुनिया की सबसे बड़ी विस्तार योजना है।

राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2024 की घोषणा: पूरी सूची देखें

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विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देने और सम्मानित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत सरकार ने राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारों की घोषणा की है। विभिन्न विज्ञान विभागों के 300 से अधिक पिछले पुरस्कारों की जगह लेने वाली इस नई पुरस्कार प्रणाली का उद्देश्य देश भर के शिक्षाविदों, प्रौद्योगिकीविदों और आविष्कारकों की उपलब्धियों का जश्न मनाना है।

विज्ञान रत्न पुरस्कार: जीवन भर की उपलब्धियों का सम्मान

डॉ. गोविंदराजन पद्मनाभन: प्रथम प्राप्तकर्ता

इस बार प्रख्यात बायोकेमिस्ट गोविंदराजन पद्मनाभन को पहले विज्ञान रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। सरकार ने विज्ञान के क्षेत्र में दिए जाने वाले इस सर्वोच्च पुरस्कार की शुरुआत इसी साल की है।

कौन हैं गोविंदराजन पद्मनाभन?

गोविंदराजन पद्मनाभन भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के पूर्व डायरेक्टर हैं और वर्तमान में वह IISc बेंगलुरु में मानद प्रोफेसर के तौर कर सेवाएं दे रहे हैं। उनको मलेरिया पैरासाइट पर रिसर्च के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब सराहा गया। उनको पद्म भूषण, पद्म श्री और शांति स्वरुप भटनागर अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। वह वर्तमान में IISc में जैव रसायन विभाग में मानद प्रोफेसर और तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।

33 राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारों की घोषणा

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 33 राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारों की घोषणा की है। राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार (आरवीपी) के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के विभिन्न क्षेत्रों में व्यक्तियों या टीम की तरफ से नामांकन किए जाते हैं।

इन चार श्रेणियों में राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार दिए जाते हैं

विज्ञान रत्न (वीआर): पूरे जीवनकाल में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने वाले विशिष्ट व्यकेतियों को यह पुरस्कार दिया जाता है। इस श्रेणी में अधिकतम तीन पुरस्कार दिए जाते हैं।

विज्ञान श्री (वीएस): विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को यह सम्मान दिया जाताहै। इस श्रेणी में अधिकतम 25 पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

विज्ञान युवा: शांति स्वरूप भटनागर (वीवाई-एसएसबी) पुरस्कार: विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले युवा वैज्ञानिकों को यह सम्मान दिया जाता है। इस श्रेणी में अधिकतम 25 पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

विज्ञान टीम (वीटी) पुरस्कार: तीन या अधिक वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की उस टीम को यह सम्मान दिया जाता है, जिसने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो। इस श्रेणी में तीन पुरस्कार दिए जाते हैं।

इन्हें दिए जाते हैं पुरस्कार

राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार पुरस्कार भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित और कंप्यूटर विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, इंजीनियरिंग विज्ञान, कृषि विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियां हासिल करने वाली विभूतियों को दिए जाते हैं। इसके लिए हर वर्ष 14 जनवरी से 28 फरवरी तक नामांकन आमंत्रित किए जाते हैं। 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

प्राप्तकर्ताओं की तालिका

Award Category Recipient(s) Field
Vigyan Ratna Puraskar Dr. Govindarajan Padmanabhan Biochemistry
Vigyan Shri Dr. Annapurini Subramanian Astrophysics
Dr. Anandharamakrishnan C Agriculture Science
Dr. Avesh Kumar Tyagi Atomic Energy
Prof. Umesh Varshney, Prof. Jayant Bhalchandra Udgaonkar Biological Sciences
Prof. Syed Wajih Ahmad Naqvi Earth Sciences
Prof. Bhim Singh Engineering Sciences
Prof. Adimurthi Adi, Prof. Rahul Mukherjee Mathematics and Computer Science
Prof. Dr. Sanjay Behari Medicine
Prof. Lakshmanan Muthusamy, Prof. Naba Kumar Mondal Physics
Prof. Rohit Srivastava Technology and Innovation
Vigyan Yuva Krishna Murthy SL, Swarup Kumar Parida Agricultural Science
Radhakrishnan Mahalakshmi, Prof. Aravind Penmatsa Biological Sciences
Vivek Polshettiwar, Vishal Rai Chemistry
Roxy Mathew Koll Earth Sciences
Abhilash, Radha Krishna Ganti Engineering Sciences
Purabi Saikia, Bappi Paul Environmental Science
Mahesh Ramesh Kakde Mathematics and Computer Science
Jitendra Kumar Sahu, Pragya Dhruv Yadav Medicine
Urbasi Sinha Physics
Digendranath Swain, Prashant Kumar Space Science and Technology
Prabhu Rajagopal Technology and Innovation
Vigyan Team Team Chandrayaan-3 Space Science

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RBI ने लगातार नौंवी बार रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा

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भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने तीन दिन की बैठक के बाद रेपो रेट को मौजूदा दर 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 8 अगस्त को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने 6, 7 और 8 अगस्त को हुई बैठक के में 4:2 के बहुमत से नीतिगत ब्याज दरों यानी रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। रेपो रेट में फरवरी 2023 से कोई बदलाव नहीं किया गया है।

नौंवी बार रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर

एमपीसी ने लगातार नौंवी बैंठक में रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखने का फैसला किया है। एमपीसी के फैसलों के एलान के बाद अब एक बात साफ हो गई कि आम आदमी को ऋणों की ईएमआई पर फिलहाल कोई राहत नहीं मिलने वाली है।

एमपीसी के फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर अस्थिरता दिख रही है। हालांकि दुनियाभर में महंगाई में कमी आ रही है। सेंट्रल बैंक अर्थव्यवस्था की स्थिति के आधार पर ब्याज दरों पर फैसला ले रहे हैं। घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती कायम है। सर्विस सेक्टर का प्रदर्शन काफी बेहतर हुआ है। सेवा क्षेत्र और निर्माण क्षेत्र में मजबूती जारी है। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में जीडीपी 7.2% बरकरार रहने का अनुमान है।

रेपो दर क्या है?

रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को धन की कमी होने पर ऋण प्रदान करता है। यह मौद्रिक अधिकारियों के लिए मुद्रास्फीति के दबावों को प्रबंधित करने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है।

पिछली बैठक

मौद्रिक नीति समिति की पिछली बैठक जो जून में हुई थी में भी एमपीसी के छह में से चार सदस्यों ने रेपो दर को अपरिवर्तित रखने के पक्ष में मतदान किया था। जयंत वर्मा और आशिमा गोयल ने नीतिगत रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती और रुख में बदलाव के लिए मतदान किया था।

RBI गवर्नर महंगाई पर क्या बोले ?

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई को लेकर केंद्रीय बैंक सतर्क है। उम्मीद है कि मुद्रास्फीति कम होगी। उन्होंने कहा कि महंगाई दर 4 फीसदी पर लाने की आरबीआई की कोशिश जारी है। दास ने कहा कि खाद्य महंगाई दर अब भी चिंताजनक स्थिति में है। मौद्रिक नीति समिति ने वित्तीय वर्ष (FY25) के लिए महंगाई पर अपने पूर्वानुमान को 4.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला किया है। एमपीसी की बैठक में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर भी सावधानी बरतने की बात कही गई।

केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी, तीसरी और चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति क्रमश: 4.4 प्रतिशत, 4.7 प्रतिशत और 4.3 प्रतिशत रहेगी। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि विकास दर में तेजी बरकरार रहेगी।

भारत छोड़ो आंदोलन दिवस, जानें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास

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भारत छोड़ो आंदोलन ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक ऐतिहासिक घटना थी। वर्ष 2024 इस महत्वपूर्ण आंदोलन की 82वीं वर्षगांठ है जिसने भारत के इतिहास की दिशा बदल दी। भारत में हर साल 8 अगस्त को अगस्त क्रांति दिवस (August Kranti Diwas) के रूप में मनाया जाता है, जिसमें शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा दी गई शिक्षाओं को याद किया जाता है।

यह दिवस 8 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है?

हर साल 8 अगस्त को भारतीय इतिहास में आजादी की आखिरी लड़ाई की शुरुआत के रूप में याद किया जाता है। इसी दिन 1942 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) की नींव रखी गई थी। आजादी के बाद से, 8 अगस्त को क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है और बॉम्बे में जहां इसे झंडा फहराकर शुरू किया गया था, उसे क्रांति मैदान के रूप में जाना जाता है।

कब शुरू हुआ था भारत छोड़ो आंदोलन?

भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 08 अगस्त 1942 को हुई थी। इस आंदोलन का नेतृत्व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था। महात्मा गांधी ने 08 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के बॉम्बे (अब मुंबई) अधिवेशन में इसकी शुरुआत की थी। भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ काफी प्रभावशाली साबित हुआ और शासन की नींद उड़ गई थी।

भारत छोड़ो आंदोलन की विरासत

भारत छोड़ो आंदोलन ने एक स्थायी विरासत छोड़ी जिसने दिखाया कि अहिंसक विरोध और एकता कैसे बड़े बदलाव ला सकते हैं। इस आंदोलन ने 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारत छोड़ो आंदोलन को कहा गया अगस्त क्रांति

भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त क्रांति के नाम के नाम से भा जाना जाता है। इस आंदोलन की शुरुआत आठ अगस्त को हुई थी, लेकिन आमतौर पर लोगों का मानना है कि इसकी शुरुआत नौ अगस्त को हुई थी। इस आंदोलन के दौरान 14 हजार से अधिक लोगों को जेल में डाल दिया गया था।

भारत छोड़ो आंदोलन का उद्देश्य

भारत छोड़ो आंदोलन का प्राथमिक उद्देश्य ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से तत्काल और पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था। इसमें भारत पर से अंग्रेजों का नियंत्रण समाप्त कर एक संप्रभु एवं स्वशासित राष्ट्र की स्थापना करने की मांग की गई।

भारत छोड़ो आंदोलन का महत्व

भारत छोड़ो आंदोलन का भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। यह अहिंसक प्रतिरोध की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता था और सभी पृष्ठभूमियों के एकजुट लोग स्वतंत्रता के लिए एक साथ खड़े थे। कठोर दमन के बावजूद, आंदोलन ने स्व-शासन की मांग को हवा दी और ब्रिटिश सरकार को भारतीय नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए मजबूर किया।

 

पेरिस ओलंपिक 2024: विनेश फोगट ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा की

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विनेश फोगाट (Vinesh Phogat Retirement) ने कुश्ती को अलविदा कह दिया है। बता दें कि 8 अगस्त की सुबह फोगाट ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपने रिटायरमेंट की घोषणा की है। एक दिन पहले पेरिस ओलंपिक्स (Paris Olympics) में उन्हें 50 किलोग्राम कुश्ती इवेंट के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था। फोगाट इस इवेंट के फाइनल में पहुंच गई थीं। लेकिन उनका वजन तय मानकों से 100 ग्राम ज्यादा पाया गया था।

माँ कुश्ती मेरे से जीत गई

विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए अपने संन्यास का ऐलान करने के साथ लिखा कि माँ कुश्ती मेरे से जीत गई मैं हार गई माफ करना आपका सपना मेरी हिम्मत सब टूट चुके इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024। मैं आपकी सबकी हमेशा ऋणी रहूँगी माफी।

डिस्क्वालिफिकेशन के खिलाफ अपील भी की

विनेश ने संन्यास के ऐलान से पहले अपने डिस्क्वालिफिकेशन के खिलाफ अपील दायर की है। उन्होंने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स से मांग की कि उन्हें संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल दिया जाए। विनेश ने पहले फाइनल खेलने की मांग भी की थी। फिर उन्होंने अपील बदली और अब संयुक्त रूप से सिल्वर दिए जाने की मांग की।

बता दें, 7 अगस्त को विनेश का वजन उनकी तय कैटेगरी 50kg से 100 ग्राम ज्यादा निकला। इसके बाद ओलिंपिक एसोसिएशन ने उन्हें फ्रीस्टाइल महिला कुश्ती के लिए अयोग्य घोषित कर दिया।

इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन ने क्या कहा?

इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन (IOA) ने कहा कि यह बेहद खेदजनक है कि विनेश फोगाट को ज्यादा वजन के कारण महिला कुश्ती के 50 kg कैटेगरी में अयोग्य घोषित कर दिया गया है। रातभर की कोशिशों के बावजूद सुबह उनका वजन 50 kg से कुछ ग्राम अधिक पाया गया।

ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर

विनेश फोगाट 3 मुकाबले जीतकर 50 kg रेसलिंग ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वालीं पहली भारतीय महिला रेसलर बनी थीं। सेमीफाइनल में उन्होंने क्यूबा की पहलवान गुजमान लोपेजी को, क्वार्टरफाइनल में यूक्रेन की ओकसाना लिवाच और प्री-क्वार्टरफाइनल में वर्ल्ड चैंपियन जापान की युई सुसाकी को 3-2 से मात दी थी।

विनेश फोगाट का तीसरा ओलिंपिक

विनेश फोगाट का यह तीसरा ओलिंपिक है। साल 2016 के रियो ओलिंपिक में वे चोट की वजह से बाहर हो गई थीं। इसके बाद 2020 के टोक्यो ओलिंपिक में वे क्वार्टर फाइनल में हार गई थीं। पेरिस ओलिंपिक में विनेश अपना कोई मुकाबला नहीं हारी थीं।

भारत और सेंट क्रिस्टोफर एंड नेविस ने खेल सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

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भारत और सेंट क्रिस्टोफर एंड नेविस ने खेल के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते को भारत के युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और सेंट क्रिस्टोफर एंड नेविस के विदेश मंत्री डॉ. डेन्ज़िल डगलस ने औपचारिक रूप दिया। यह समझौता ज्ञापन दोनों देशों के बीच खेल के बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षण और प्रबंधन में सुधार के उद्देश्य से सहयोग के कई प्रमुख क्षेत्रों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।

सहयोग के प्रमुख क्षेत्र

एथलीट और टीम विकास

  • एथलीटों और एथलेटिक टीमों के लिए प्रशिक्षण और प्रतियोगिता।
  • कोचों के लिए तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण।

विनिमय कार्यक्रम

  • खेल नेताओं, अधिकारियों, प्रशासकों, पेशेवरों और सहायक कर्मियों के लिए दौरे और आदान-प्रदान।
  • बैडमिंटन, शूटिंग, कुश्ती, कबड्डी और एथलेटिक्स जैसे खेल विषयों में युवा और जूनियर आदान-प्रदान।

खेल विज्ञान और शिक्षा

  • खेल विज्ञान कर्मियों के लिए प्रशिक्षण और विनिमय कार्यक्रम।
  • खेल विज्ञान और कोच शिक्षा में विकास सहायता।
  • पाठ्यक्रम विकास और खेल शिक्षा।
  • खेल प्रबंधन और बुनियादी ढांचे का विकास।

अनुसंधान और प्रौद्योगिकी

  • खेल अवसंरचना और कार्यक्रम विकास के लिए प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान।
  • प्रशिक्षण और डोपिंग रोधी कार्यक्रमों सहित खेल अनुसंधान और विकास में सहयोग।

शारीरिक शिक्षा और फिटनेस

  • दोनों देशों के विश्वविद्यालयों और शारीरिक शिक्षा संस्थानों के बीच शारीरिक शिक्षा और फिटनेस विकास में संयुक्त कार्यक्रम।

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सरकार ने SBI के अध्यक्ष के रूप में चल्ला श्रीनिवासुलु सेट्टी को नियुक्त किया

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6 अगस्त, 2024 को कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के चेयरमैन के रूप में चल्ला श्रीनिवासुलु सेट्टी की नियुक्ति को मंजूरी दे दी। वर्तमान में SBI के सबसे वरिष्ठ प्रबंध निदेशक (MD) सेट्टी 28 अगस्त, 2024 को दिनेश कुमार खारा की जगह लेंगे, जो इस पद के लिए 63 वर्ष की आयु सीमा तक पहुंचने पर सेवानिवृत्त होंगे।

नियुक्ति विवरण

अध्यक्ष के रूप में शेट्टी का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा, जिसकी शुरुआत उनके पदभार ग्रहण करने की तिथि से होगी। ACC का निर्णय वित्तीय सेवा संस्थान ब्यूरो (FSIB) की अनुशंसा के बाद लिया गया है, जो केंद्र सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय है। शेट्टी का व्यापक अनुभव कॉर्पोरेट ऋण, खुदरा बैंकिंग, डिजिटल बैंकिंग, अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग और विकसित बाजारों में बैंकिंग को शामिल करता है। उन्होंने 1988 में SBI में प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में अपना करियर शुरू किया और तब से उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों और टास्क फोर्स का नेतृत्व किया है।

नई एमडी नियुक्ति

शेट्टी की नियुक्ति के साथ ही, राणा आशुतोष कुमार सिंह को एसबीआई में नया एमडी नियुक्त किया गया है। सिंह, जो वर्तमान में बैंक में उप प्रबंध निदेशक (डीएमडी) हैं, 30 जून, 2027 को पदभार ग्रहण करेंगे, जो उनकी सेवानिवृत्ति की आयु है। यह नियुक्ति एसबीआई की संरचना के अनुरूप है, जहां अध्यक्ष को चार एमडी द्वारा समर्थन दिया जाता है।

सेट्टी की पृष्ठभूमि

शेट्टी के पास कृषि में विज्ञान स्नातक की डिग्री है और वे भारतीय बैंकर्स संस्थान के प्रमाणित एसोसिएट हैं। भारत सरकार द्वारा गठित विभिन्न टास्क फोर्स और समितियों में उनका नेतृत्व और योगदान बैंकिंग क्षेत्र में उनकी गहन विशेषज्ञता को दर्शाता है।

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एयरबस के सहयोग से गति शक्ति विश्वविद्यालय की हुई शुरुआत

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गति शक्ति विश्वविद्यालय (GSV) ने नई दिल्ली के द्वारका स्थित एशियाई परिवहन विकास संस्थान (AITD) में विमानन क्षेत्र के लिए अपना पहला कार्यकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। 5 अगस्त से 7 अगस्त तक चलने वाला यह तीन दिवसीय कार्यक्रम कामकाजी पेशेवरों के लिए “सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली” पर केंद्रित होगा, यह एयरबस के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

प्रमुख एयरलाइनों की भागीदारी

इस कार्यक्रम को बहुत उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है, जिसमें इंडिगो, विस्तारा जैसी प्रमुख एयरलाइनों के साथ-साथ एयरबस और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया है। उल्लेखनीय है कि इस पाठ्यक्रम में नेपाल से चार और भूटान से चार प्रतिभागियों सहित अंतर्राष्ट्रीय पेशेवर भी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम के प्रशिक्षक उद्योग के अग्रणी विशेषज्ञ हैं।

ग्रुप कैप्टन जीवीजी युगंधर द्वारा उद्घाटन किया गया

पाठ्यक्रम का उद्घाटन ग्रुप कैप्टन जीवीजी युगांधर महानिदेशक, विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और श्री सुनील भास्करन निदेशक, एयर इंडिया एविएशन अकादमी ने जीएसवी के कुलपति प्रो. मनोज चौधरी और डीन (कार्यकारी शिक्षा) प्रो. प्रदीप गर्ग की उपस्थिति में किया।

इस कार्यक्रम के बारे में

5 अगस्त से शुरू हुआ यह तीन दिवसीय कार्यक्रम कामकाजी पेशेवरों के लिए सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियों पर केंद्रित होगा। इस कार्यक्रम में अग्रणी एयरलाइनों के साथ-साथ एयरबस और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रतिनिधि भी भाग ले रहे हैं। इस पाठ्यक्रम में नेपाल से चार और भूटान से चार प्रतिभागियों सहित अंतर्राष्ट्रीय पेशेवर भी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम के प्रशिक्षक उद्योग के अग्रणी विशेषज्ञ हैं।

“उद्योग संचालित” दृष्टिकोण,

“उद्योग-संचालित” दृष्टिकोण में काम करते हुए, जीएसवी पहले से ही रेलवे, बंदरगाह और शिपिंग और मेट्रो रेल प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न परिवहन और रसद क्षेत्रों के लिए नियमित शिक्षा (स्नातक / परास्नातक / डॉक्टरेट स्तर) और कार्यकारी शिक्षा कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। जीएसवी ने इस शैक्षणिक वर्ष से एविएशन इंजीनियरिंग में बी.टेक भी शुरू किया है।

 

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यूपी और बिहार में 920 करोड़ रुपये की नमामि गंगे मिशन 2.0 परियोजनाएं

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पवित्र नदी गंगा के कायाकल्प और संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में नमामि गंगे मिशन 2.0 के तहत चार प्रमुख परियोजनाओं को सफलतापूर्वक चालू कर दिया है। बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा नदी की मुख्यधारा में स्थित ये पहल, प्रदूषण को रोकने और गंगा और उसकी सहायक नदियों के पारिस्थितिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के चल रहे प्रयासों में महत्वपूर्ण हैं।

इस परियोजना के बारे में

920 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित ये परियोजनाएं 145 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता को बढ़ाएंगी, बेहतर सीवर नेटवर्क प्रदान करेंगी और कई नालों को रोकेंगी। राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा निर्धारित कड़े निर्वहन मानकों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई ये पहल गंगा और उसकी सहायक नदियों के पानी की गुणवत्ता में पर्याप्त सुधार सुनिश्चित करती हैं।

बिहार में परियोजना

मुंगेर (बिहार) में परियोजना से सीवर नेटवर्क में सुधार होगा और 366 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किया जाएगा। इस व्यापक परियोजना में 175 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क का विकास और 30 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी का निर्माण शामिल है। परियोजना को DBOT (डिजाइन, बिल्ड, ऑपरेट और ट्रांसफर) मॉडल का उपयोग करके कार्यान्वित किया गया है। इससे लगभग 3,00,000 निवासियों को लाभ होगा क्योंकि उनके घरों को सीवर नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, शहर के स्वच्छता बुनियादी ढांचे में काफी सुधार होगा और गंगा नदी में अनुपचारित सीवेज के निर्वहन को रोका जाएगा।

उत्तर प्रदेश में परियोजना

मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) में स्थापित अन्य महत्वपूर्ण परियोजना गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए अवरोधन, मोड़ और उपचार कार्य के लिए है। 129 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित यह परियोजना अब चालू है और नौ नालों को रोककर और छह मौजूदा नाला अवरोधन संरचनाओं के पुनर्वास के माध्यम से मिर्जापुर में गंगा में प्रदूषण के उन्मूलन पर केंद्रित है।

इस परियोजना का लाभ

दो नए एसटीपी- पक्का पोखरा और बिसुंदरपुर- की स्थापना के साथ-साथ 8.5 एमएलडी की क्षमता के साथ मौजूदा एसटीपी के पुनर्वास के साथ, सीवेज उपचार क्षमता अब 31 एमएलडी तक बढ़ गई है। यह परियोजना अनुपचारित सीवेज को गंगा में जाने से रोकती है, जिससे पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार होता है और जलीय जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है।

गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)

गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) में यह परियोजना गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए अवरोधन, मोड़ और उपचार कार्यों के लिए स्थापित की गई है, जिसकी स्वीकृत लागत 153 करोड़ रुपये है। यह परियोजना, जो अब चालू है, में 1.3 किलोमीटर का आईएंडडी नेटवर्क और 21 एमएलडी एसटीपी का विकास शामिल है। यह परियोजना सीवेज को प्रभावी ढंग से उपचारित करके शहर को लाभ पहुंचाती है, जिससे गंगा में अनुपचारित सीवेज के निर्वहन को रोका जा सकता है।

बरेली (उत्तर प्रदेश)

मिर्जापुर और गाजीपुर के अलावा, बरेली (उत्तर प्रदेश) में 271 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अवरोधन, मोड़ और सीवेज उपचार कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना स्थापित की गई है और अब यह चालू है। इस परियोजना का लक्ष्य नदी में प्रदूषण कम करना है। इसमें 15 नालों को रोकना और मोड़ना और 63 एमएलडी की संयुक्त क्षमता वाले तीन एसटीपी का निर्माण शामिल है। इस परियोजना से शहर को फायदा होगा क्योंकि एसटीपी में सीवेज का उपचार किया जाएगा और इस तरह रामगंगा नदी में अनुपचारित सीवेज के निर्वहन से बचा जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के माध्यम से भारत सरकार गंगा के समग्र कायाकल्प के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में अडिग है। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की भावी पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, स्वस्थ और अधिक जीवंत नदी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं।

नमामि गंगे मिशन क्या है?

‘नमामि गंगे कार्यक्रम’ एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा ‘फ्लैगशिप कार्यक्रम’ के रूप में अनुमोदित किया गया था, जिसका बजट परिव्यय 20,000 करोड़ रुपये है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय नदी गंगा के प्रदूषण में प्रभावी कमी, संरक्षण और पुनरुद्धार के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करना है।

नमामि गंगे मिशन 2.0 परियोजनाएँ:

इन परियोजनाओं से प्रतिदिन 145 मेगालीटर एम.एल.डी. सीवेज उपचार क्षमता बढ़ेगी तथा बेहतर सीवर नेटवर्क उपलब्ध होंगे। हाइब्रिड एन्युटी पी.पी.पी. मॉडल पर आधारित इन परियोजनाओं को एडवांस्ड सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर तकनीक के आधार पर डिजाइन किया गया है तथा ये राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा निर्धारित कड़े मानकों को पूरा करती हैं। इन पहलों से गंगा तथा उसकी सहायक नदियों के जल की गुणवत्ता में पर्याप्त सुधार सुनिश्चित होगा।

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