भारत ने रेल-आधारित लांचर से अग्नि-प्राइम मिसाइल का परीक्षण किया

भारत ने रेल-आधारित मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म से अग्नि-प्राइम (Agni-Prime) मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो रक्षा प्रौद्योगिकी में एक बड़ी उपलब्धि है। इस सफलता के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है—जैसे अमेरिका, चीन और रूस—जो रेल प्लेटफ़ॉर्म से बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम हैं। यह परीक्षण न केवल तकनीकी सफलता है, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भारत की सेकंड-स्ट्राइक क्षमता और नाभिकीय निवारक स्थिति को भी मजबूत करता है।

अग्नि-प्राइम क्या है?

अग्नि-प्राइम (Agni-P), डीआरडीओ द्वारा विकसित भारत की अग्नि मिसाइल श्रृंखला का नवीनतम संस्करण है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • श्रेणी: लगभग 2,000 किमी

  • प्रोपल्शन: दो-स्टेज ठोस ईंधन

  • लॉन्च प्रकार: कैनिस्टरीकृत (सुरक्षित और त्वरित तैनाती संभव)

  • मोबिलिटी: पहले रोड-मोबाइल संस्करण में शामिल, अब रेल-आधारित तैनाती सफल परीक्षण

  • सटीकता: हल्की, तेज और अधिक सटीक

उन्नत और स्वायत्त प्रणाली

अग्नि-प्राइम में शामिल हैं:

  • उन्नत संचार प्रणाली

  • स्वतंत्र लॉन्च प्रणाली

  • सुरक्षित संचालन के लिए सुरक्षा उपाय

  • ग्राउंड स्टेशनों ने पूरी उड़ान पथ की निगरानी की और मिशन उद्देश्यों की पुष्टि की

सफल लॉन्च का विवरण

  • सह-कार्यकारी संगठन: डीआरडीओ और स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (SFC)

  • स्थान: गुप्त

  • प्लेटफ़ॉर्म: विशेष रेल-मोबाइल लॉन्चर

  • विशेषता: पूरी प्रणाली स्वायत्त, तेजी से प्रतिक्रिया और छिपकर संचालन सक्षम

रणनीतिक महत्व

  1. सेकंड-स्ट्राइक क्षमता में वृद्धि

    • रेल-आधारित प्लेटफ़ॉर्म नाभिकीय त्रि-साधन (भूमि, वायु, समुद्र) में एक महत्वपूर्ण परत जोड़ते हैं।

  2. तेजी से तैनाती, अधिक कवरेज

    • रेल नेटवर्क से लॉन्चिंग प्रतिक्रिया समय कम करता है और मिसाइल बलों को तेजी से पुनर्स्थापित करने की सुविधा देता है।

  3. कम कमजोरता

    • स्थिर मिसाइल साइलो की तुलना में रेल मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म दुश्मन के लिए ट्रैक करना कठिन बनाते हैं।

मुख्य बिंदु

  • अग्नि-प्राइम का पहला रेल-आधारित सफल परीक्षण

  • श्रेणी: 2,000 किमी, सटीक मार क्षमता

  • रणनीतिक मोबिलिटी: रेल पर तैनाती से कम पता चलना

  • भारत की नाभिकीय निवारक क्षमता में मजबूती

  • परीक्षण डीआरडीओ और SFC ने मिलकर ऑपरेशनल परिस्थितियों में किया

प्रधानमंत्री मोदी बिहार की 75 लाख महिलाओं को 10,000 रुपये ट्रांसफर करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 सितंबर 2025 को बिहार की 75 लाख महिलाओं के खातों में ₹10,000-₹10,000 स्थानांतरित करेंगे। कुल ₹7,500 करोड़ की यह राशि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत दी जाएगी। योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और स्वरोज़गार को बढ़ावा देना है। यह बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एक बड़ा राजनीतिक और विकासात्मक कदम माना जा रहा है।

योजना क्या है?

  • बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई, ग्रामीण विकास विभाग और नगर विकास विभाग के सहयोग से लागू।

  • ₹10,000 की प्रारंभिक सहायता प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के ज़रिए।

  • छह माह बाद प्रदर्शन समीक्षा के आधार पर योग्य महिलाओं को ₹2 लाख का अनुदान

  • धनराशि से महिलाएँ दर्जी का काम, छोटी दुकानें, कृषि आधारित कार्य या अन्य सूक्ष्म उद्यम शुरू कर सकती हैं।

मुख्य विशेषताएँ

  • लॉन्च तिथि: 26 सितंबर 2025

  • लाभार्थी: 75 लाख महिलाएँ (ग्रामीण व शहरी)

  • पहली किश्त: ₹10,000 (गैर-वापसी योग्य)

  • अगला अनुदान: ₹2 लाख (प्रदर्शन पर आधारित)

  • कार्यान्वयन निकाय:

    • ग्रामीण क्षेत्र – ग्रामीण विकास विभाग

    • शहरी क्षेत्र – नगर विकास विभाग

पात्रता शर्तें

  • आयु: 18–60 वर्ष

  • आयकर दाता नहीं होना चाहिए

  • न्यूक्लियर परिवार से होना

  • जीविका स्व-सहायता समूह (SHG) की सदस्य हो या जुड़ने के लिए तैयार हो

  • विशेष पात्रता: अविवाहित वयस्क महिलाएँ जिनके माता-पिता जीवित नहीं हैं, तथा जीविका समूह की महिलाएँ

क्रियान्वयन रणनीति

  • अब तक 1.11 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए।

  • जिलों, प्रखंडों, क्लस्टर फेडरेशनों और गाँव संगठनों स्तर पर जागरूकता व वितरण कार्यक्रम आयोजित होंगे।

  • योजना को जीविका SHG नेटवर्क से जोड़कर लागू किया जाएगा।

त्वरित झलक

  • ₹10,000 की पहली किस्त – 75 लाख महिलाओं को, 26 सितम्बर 2025

  • कुल राशि: ₹7,500 करोड़ (DBT के ज़रिए)

  • 6 माह बाद ₹2 लाख का अनुदान (प्रदर्शन आधारित)

  • पात्र आयु: 18–60 वर्ष

  • कार्यान्वयन: ग्रामीण एवं शहरी विकास विभाग

  • राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: बिहार चुनाव 2025 से पहले महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल

बैंकिंग तरलता घाटा बढ़कर ₹87,183 करोड़ हुआ

भारतीय बैंकिंग प्रणाली की तरलता स्थिति में तेज गिरावट दर्ज की गई है। 23 सितंबर को तरलता घाटा ₹87,183 करोड़ तक पहुँच गया, जबकि 22 सितंबर को यह केवल ₹31,987 करोड़ था। मार्च 2025 के अंत से अब तक बैंकिंग प्रणाली अधिशेष में थी, लेकिन हाल के अग्रिम कर (Advance Tax) और वस्तु एवं सेवा कर (GST) भुगतान ने भारी धनराशि बाहर खींच ली, जिससे अल्पकालिक निधियों की उपलब्धता प्रभावित हुई।

आरबीआई की त्वरित कार्रवाई

  • 24 सितंबर को RBI ने ओवरनाइट वेरिएबल रेट रेपो (VRR) नीलामी आयोजित की, जिसके तहत ₹1.50 लाख करोड़ की पेशकश की गई।

  • बैंकों ने ₹48,980 करोड़ की बोली लगाई, जिसे औसत दर 5.51% पर पूरी तरह स्वीकार कर लिया गया।

  • 25 सितंबर को एक और VRR नीलामी निर्धारित है, जिसमें ₹1.25 लाख करोड़ की तरलता प्रणाली में डाली जाएगी।

तरलता घाटे के कारण

  • अग्रिम कर भुगतान: कंपनियों ने तिमाही कर जमा किए, जिससे बैंकों में जमा घटे।

  • GST भुगतान: व्यवसायों ने टैक्स सरकार को दिए, जिससे तरलता और कम हुई।

  • मौसमी नकदी मांग: त्योहारों और सरकारी व्यय चक्र के कारण नकदी की खपत बढ़ी।

वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव

  • अल्पकालिक उधारी लागत बढ़ सकती है

  • बैंक ऋण वितरण घटा सकते हैं या जमा आकर्षित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं।

  • RBI को स्थिरता बनाए रखने के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) और VRR नीलामियाँ जारी रखनी पड़ सकती हैं।

  • यह संकट अस्थायी माना जा रहा है क्योंकि यह मुख्यतः कर भुगतान कैलेंडर से जुड़ा है।

मुख्य तथ्य

  • तरलता घाटा (23 सितंबर): ₹87,183 करोड़

  • मुख्य कारण: अग्रिम कर और GST भुगतान

  • RBI की कार्रवाई: ₹1.50 लाख करोड़ VRR नीलामी (24 सितंबर)

  • स्वीकृत बोली: ₹48,980 करोड़ (5.51% दर पर)

  • अगली नीलामी: ₹1.25 लाख करोड़ (25 सितंबर को)

आनंद पीरामल को पीरामल फाइनेंस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया

आनंद पिरामल को पिरामल फ़ाइनेंस का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति उनके पिता अजय पिरामल के पद छोड़ने के बाद हुई है, जिन्होंने हाल ही में हुए पिरामल एंटरप्राइजेज के विलय (Merger) के बाद गैर-कार्यकारी चेयरमैन (Non-Executive Chairman) का पद त्याग दिया। यह बदलाव 10 सितंबर 2025 को NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) द्वारा मंज़ूरी प्राप्त विलय के बाद हुई पहली बोर्ड बैठक में अनुमोदित किया गया।

प्रमुख नेतृत्व बदलाव

  • आनंद पिरामल – नए चेयरमैन

  • अजय पिरामल – गैर-कार्यकारी चेयरमैन पद से इस्तीफ़ा, परंतु पिरामल समूह के चेयरमैन बने रहेंगे

  • डॉ. स्वाति ए. पिरामल – गैर-कार्यकारी निदेशक पद से इस्तीफ़ा

  • जयराम श्रीधरन – नए एमडी एवं सीईओ (MD & CEO)

नए बोर्ड नियुक्तियाँ (शेयरधारकों की मंज़ूरी लंबित)

  • शिखा शर्मा (पूर्व एमडी एवं सीईओ, एक्सिस बैंक) – गैर-कार्यकारी निदेशक

  • राजीव महर्षि, असीत मेहता, अंजलि बंसल – स्वतंत्र निदेशक (5 वर्ष का कार्यकाल)

परिवर्तन का महत्व

  • यह कदम नेतृत्व की पीढ़ीगत बदलाव (Generational Shift) का प्रतीक है।

  • पिरामल फ़ाइनेंस को डिजिटल-फर्स्ट वित्तीय सेवाएँ और नवाचार-आधारित वृद्धि की दिशा में आगे ले जाने की रणनीति पर बल देगा।

  • बदलते एनबीएफसी (NBFC) क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा में कंपनी की स्थिति मज़बूत होगी।

त्वरित तथ्य

  • कंपनी: पिरामल फ़ाइनेंस (पिरामल समूह की NBFC शाखा)

  • नए चेयरमैन: आनंद पिरामल

  • पूर्व चेयरमैन: अजय पिरामल

  • नए सीईओ: जयराम श्रीधरन

  • विलय की मंज़ूरी दी: NCLT

  • प्रमुख नई निदेशक: शिखा शर्मा (पूर्व एमडी, एक्सिस बैंक)

विश्व पर्यावरणीय स्वास्थ्य दिवस 2025

विश्व पर्यावरणीय स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष 26 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिवस मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के गहरे संबंध की याद दिलाता है और सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करता है ताकि पर्यावरणीय खतरों से निपटा जा सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए सतत जीवन शैली को बढ़ावा दिया जा सके।

2025 की थीम: “स्वच्छ वायु, स्वस्थ लोग” — यह वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या, इसके श्वसन स्वास्थ्य पर प्रभाव और जलवायु परिवर्तन से इसके संबंध को रेखांकित करती है।

खबरों में क्यों?

विश्व पर्यावरणीय स्वास्थ्य दिवस 2025 का महत्व इसलिए और बढ़ गया है क्योंकि यह वायु गुणवत्ता और उसके स्वास्थ्य प्रभावों पर केंद्रित है। यह थीम विशेष रूप से ध्यान दिलाती है:

  • प्रदूषित वायु से होने वाले श्वसन रोगों का वैश्विक बोझ।

  • सतत शहरी नियोजन और स्वच्छ ऊर्जा नीतियों का महत्व।

  • पर्यावरणीय सुधारों की भूमिका सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में।

100 से अधिक देशों में यह दिवस शैक्षिक अभियानों, नीतिगत चर्चाओं और जमीनी स्तर की गतिविधियों के साथ मनाया जाता है।

इतिहास और उत्पत्ति

  • यह दिवस 2011 में इंडोनेशिया में अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य महासंघ (IFEH) की परिषद बैठक में शुरू किया गया।

  • IFEH की स्थापना 1986 में हुई थी। इसका उद्देश्य पर्यावरणीय स्वास्थ्य से जुड़े ज्ञान और सहयोग को बढ़ावा देना है।

  • इस दिवस का मकसद था:

    • पर्यावरणीय कारकों और स्वास्थ्य परिणामों के बीच संबंध को उजागर करना।

    • प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छता और शहरीकरण जैसी चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना।

    • नागरिक समाज और सरकारों को सतत सुधारों की ओर प्रेरित करना।

समय के साथ यह दिवस वैश्विक मंच बन गया है, जिसकी थीम में सुरक्षित जल, अपशिष्ट प्रबंधन और जलवायु लचीलापन जैसे मुद्दे शामिल रहे हैं।

2025 की थीम: “स्वच्छ वायु, स्वस्थ लोग”

यह थीम सीधे इस बात पर ज़ोर देती है कि वायु गुणवत्ता का मानव स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है।

मुख्य उद्देश्य:

  • लोगों को जागरूक करना कि वायु प्रदूषण से दमा, COPD और हृदय रोग जैसी समस्याएँ होती हैं।

  • उत्सर्जन कम करने के लिए वैज्ञानिक शोध और नीतिगत हस्तक्षेपों को बढ़ावा देना।

  • पर्यावरण नीति और सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों के बीच संबंध मजबूत करना।

  • सामुदायिक व व्यक्तिगत स्तर पर पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करना।

  • एसडीजी लक्ष्यों (विशेषकर जलवायु कार्रवाई, स्वास्थ्य और सतत शहरों) के साथ तालमेल बनाना।

महत्व और प्रासंगिकता

यह दिवस महत्वपूर्ण है क्योंकि:

  • यह मान्यता देता है कि स्वास्थ्य और पर्यावरणीय गुणवत्ता सीधा संबंध रखते हैं।

  • प्रदूषण नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता और जलवायु लचीलापन पर कार्रवाई की ज़रूरत पर बल देता है।

  • हरे-भरे अभ्यासों को बढ़ावा देता है — जैसे वृक्षारोपण, स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण–अनुकूल शहरी योजना।

  • वैश्विक सहयोग, सामुदायिक भागीदारी और साझेदारी को प्रोत्साहित करता है।

आयोजन और गतिविधियाँ

विश्व पर्यावरणीय स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर विविध गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जैसे:

  • शहरों व गाँवों में स्वच्छता अभियान

  • वृक्षारोपण कार्यक्रम

  • स्वास्थ्य जांच शिविर, विशेषकर श्वसन व प्रदूषण-संबंधी रोगों पर।

  • विद्यालयी कार्यक्रम, जिनमें बच्चों को सतत जीवनशैली का महत्व बताया जाता है।

  • मीडिया अभियान व जन चर्चाएँ, जो नीतियों और स्वास्थ्य जोखिमों पर केंद्रित हों।

  • विशेषज्ञ कार्यशालाएँ और पैनल चर्चा, जिनमें प्रदूषण व जलवायु जोखिमों से निपटने के व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किए जाएँ।

इन गतिविधियों से सामुदायिक लचीलापन बढ़ता है, जागरूकता फैलती है और सतत पर्यावरण संरक्षण की संस्कृति विकसित होती है।

यूरोपीय भाषा दिवस 2025: पूरे महाद्वीप में भाषाई विविधता का जश्न

यूरोपीय भाषाओं का दिवस हर वर्ष 26 सितंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य यूरोप की समृद्ध भाषाई और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव मनाना है। इसकी शुरुआत 2001 में यूरोपीय भाषाओं के वर्ष के समापन पर यूरोप की परिषद (Council of Europe) द्वारा की गई थी। इस दिवस का मकसद बहुभाषावाद, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सभी उम्र के लोगों के बीच आजीवन भाषा-शिक्षण को बढ़ावा देना है। यूरोप में लगभग 225 स्वदेशी भाषाएँ और अनेक प्रवासी भाषाएँ बोली जाती हैं, जिससे इसकी विशिष्ट भाषाई विविधता झलकती है।

उद्देश्य

यूरोपीय भाषाओं का दिवस मुख्यतः तीन लक्ष्यों पर केंद्रित है:

  1. भाषाएँ सीखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना ताकि बहुभाषावाद और अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा मिले।

  2. भाषाई विविधता को यूरोप की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में प्रोत्साहित करना।

  3. औपचारिक शिक्षा और अनौपचारिक तरीकों से आजीवन भाषा-शिक्षण को प्रोत्साहित करना।

लोगों को नई भाषा सीखने या अपनी मौजूदा भाषा-कौशल पर गर्व करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जबकि संस्थानों को विविध भाषा-शिक्षण के अवसरों को अधिक सुलभ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसमें अंग्रेज़ी से आगे बढ़कर अन्य भाषाओं के अध्ययन पर विशेष बल दिया जाता है।

गतिविधियाँ

यह दिवस यूरोप की परिषद या यूरोपीय संघ द्वारा केंद्रीकृत रूप से संचालित नहीं है, बल्कि विभिन्न देशों में स्थानीय स्तर पर विविध गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जैसे:

  • भाषा कक्षाएँ और कार्यशालाएँ

  • सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनी

  • टेलीविजन और रेडियो कार्यक्रम

  • शैक्षणिक प्रतियोगिताएँ और खेल

  • भाषा नीति पर सेमिनार और सम्मेलन

इसके लिए प्रत्येक देश राष्ट्रीय समन्वयक (National Relay Persons) नियुक्त करता है, जो स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर कार्यक्रम आयोजित करते हैं।

यूरोप की भाषाएँ: एक समृद्ध ताना-बाना

यूरोप में लगभग 225 स्वदेशी भाषाएँ बोली जाती हैं, जो विश्व की कुल भाषाओं का लगभग 3% हैं। इनमें से अधिकांश हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार से संबंधित हैं, जबकि यूरालिक, तुर्किक और कॉकेशियाई भाषाएँ भी महत्वपूर्ण रूप से बोली जाती हैं।

यूरोप की प्रमुख मातृभाषाएँ

  • रूसी: लगभग 15 करोड़

  • जर्मन: लगभग 9.5 करोड़

  • तुर्की: लगभग 8 करोड़

  • अंग्रेज़ी व फ्रेंच: लगभग 6.5 करोड़ प्रत्येक

  • इतालवी: लगभग 6 करोड़

  • स्पेनिश व पोलिश: लगभग 4 करोड़ प्रत्येक

  • यूक्रेनी: लगभग 3 करोड़

  • रोमानियाई: लगभग 2.6 करोड़

हालाँकि विदेशी भाषा अध्ययन के मामले में अंग्रेज़ी सबसे लोकप्रिय है, इसके बाद जर्मन, फ्रेंच, इतालवी, रूसी और स्पेनिश का स्थान आता है।

जर्मन वर्ल्ड कप विजेता जेरोम बोएटेंग ने संन्यास की घोषणा की

जर्मनी के दिग्गज डिफेंडर और बायर्न म्यूनिख के पूर्व स्टार खिलाड़ी जेरोम बोएटेंग ने 37 वर्ष की आयु में प्रोफेशनल फुटबॉल से संन्यास लेने की घोषणा की है। यह घोषणा उन्होंने 20 सितंबर 2025 को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के माध्यम से की। लगभग दो दशकों तक चले शानदार करियर का समापन करते हुए बोएटेंग ने फुटबॉल जगत को भावुक विदाई दी। वे 2014 फीफा विश्व कप विजेता जर्मन टीम का हिस्सा थे और बायर्न म्यूनिख के स्वर्णिम दौर के प्रमुख स्तंभ रहे। अपनी रणनीतिक अनुशासन, दमदार रक्षात्मक खेल और सटीक लंबी पासिंग के लिए पहचाने जाने वाले बोएटेंग फुटबॉल इतिहास में एक यादगार स्थान रखते हैं।

करियर अवलोकन

जेरोम बोएटेंग ने अपने पेशेवर फुटबॉल करियर की शुरुआत हर्था बीएससी से की, जिसके बाद उन्होंने हैम्बर्गर एसवी, मैनचेस्टर सिटी और अंततः बायर्न म्यूनिख के लिए खेला। बायर्न म्यूनिख में ही उन्होंने अपने करियर का सबसे महत्वपूर्ण और सफल चरण बिताया। अपने उत्कर्ष काल में उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सेंटर-बैक्स में से एक माना जाता था।

प्रमुख उपलब्धियाँ

  • फीफा विश्व कप विजेता (2014, ब्राज़ील)

  • 2× यूईएफए चैंपियंस लीग विजेता (2013, 2020 – बायर्न म्यूनिख के साथ)

  • 9× बुंडेसलीगा खिताब

  • 5× डीएफबी-पोकल (जर्मन कप) खिताब

  • बायर्न म्यूनिख के लिए 350 से अधिक मैच

  • जर्मनी के लिए 76 अंतरराष्ट्रीय मैच

लंबी और सटीक पासिंग के साथ विपक्षी डिफेंस को तोड़ने की क्षमता तथा दमदार शारीरिक उपस्थिति ने उन्हें आधुनिक फुटबॉल के एक संपूर्ण डिफेंडर के रूप में स्थापित किया।

एक युग का अंत

हालाँकि करियर के अंतिम वर्षों में बोएटेंग का प्रदर्शन फिटनेस समस्याओं और कुछ विवादों से प्रभावित हुआ, लेकिन उनके मैदान पर दिए गए योगदान निर्विवाद और ऐतिहासिक हैं। वे बायर्न म्यूनिख की डिफेंसिव यूनिट के अहम स्तंभ थे और मैट्स हुम्मेल्स, डेविड अला्बा और फिलिप लाम जैसे खिलाड़ियों के साथ मजबूत साझेदारी निभाई।
2012–13 के ट्रेबल-विजेता सीजन और 2020 की यूईएफए चैंपियंस लीग जीत में उनकी भूमिका ने उन्हें क्लब के सबसे सफल अध्यायों का हिस्सा बना दिया।

मुख्य तथ्य

  • खिलाड़ी: जेरोम बोएटेंग

  • संन्यास की आयु: 37 वर्ष

  • घोषणा तिथि: 20 सितंबर 2025

  • प्रमुख खिताब: फीफा विश्व कप (2014), 2× चैंपियंस लीग, 9× बुंडेसलीगा

  • खेली गई टीमें: हर्था बीएससी, हैम्बर्गर एसवी, मैनचेस्टर सिटी, बायर्न म्यूनिख

  • जर्मनी के लिए अंतरराष्ट्रीय मैच: 76

एनसीएस पोर्टल के माध्यम से नौकरियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार और Zepto ने साझेदारी की

मज़दूरी एवं रोज़गार मंत्रालय ने युवाओं के लिए अधिक रोजगार अवसर और रोज़गार योग्यता (Employability) बढ़ाने की दिशा में Zepto (प्रमुख क्विक-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म) के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की उपस्थिति में सितंबर 2025 में हुआ। इस पहल के तहत सरकार के राष्ट्रीय करियर सेवा (NCS) पोर्टल का उपयोग किया जाएगा, जो नौकरी खोजने वालों को सत्यापित नियोक्ताओं से जोड़ने के लिए बनाया गया एक डिजिटल मंच है।

राष्ट्रीय करियर सेवा (NCS) पोर्टल

  • शुरुआत: 20 जुलाई 2015

  • मंत्रालय: मज़दूरी एवं रोज़गार मंत्रालय

  • वेबसाइट: www.ncs.gov.in

  • उद्देश्य: रोजगार मिलान, करियर मार्गदर्शन, व्यावसायिक प्रशिक्षण, जॉब फेयर और शिकायत निवारण

  • पंजीकृत नियोक्ता: 52 लाख से अधिक

  • शुरुआत से अब तक रिक्तियां: लगभग 7.5 करोड़

साझेदारी की मुख्य विशेषताएँ

1. रोजगार सृजन

  • Zepto इस MoU के तहत 10,000 शहरी रोजगार अवसर उपलब्ध कराएगा।

  • इससे विशेष लाभ होगा:

    • युवाओं को

    • महिलाओं को

    • प्रथम बार नौकरी करने वालों को

  • यह पहल गिग और प्लेटफ़ॉर्म अर्थव्यवस्था में स्थिर एवं संरचित रोजगार अवसर बनाएगी।

2. रोजगार योग्यता में वृद्धि

  • केवल नौकरी उपलब्ध कराना ही नहीं, बल्कि युवाओं की क्षमता बढ़ाने पर भी ज़ोर।

  • प्रमुख कदम:

    • गिग वर्करों का औपचारिकरण

    • e-Shram पोर्टल से एकीकरण

    • सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुँच

    • कौशल विकास एवं प्रशिक्षण अवसर

3. सामाजिक सुरक्षा एवं संरक्षण

  • यह सहयोग असंगठित एवं औपचारिक रोज़गार के बीच की खाई को पाटेगा।

  • गिग वर्करों एवं प्लेटफ़ॉर्म कर्मचारियों को जोड़ा जाएगा:

    • ई-श्रम पंजीकरण (असंगठित मज़दूरों का राष्ट्रीय डाटाबेस)

    • सरकार समर्थित बीमा, स्वास्थ्य देखभाल और वित्तीय समावेशन योजनाओं से

प्रमुख तथ्य (Static Facts)

  • समझौता: सितंबर 2025

  • संस्थान: मज़दूरी एवं रोज़गार मंत्रालय और Zepto

  • रोज़गार अवसर: 10,000

  • लाभार्थी: युवा, महिलाएँ, प्रथम बार नौकरी करने वाले

  • पोर्टल: राष्ट्रीय करियर सेवा (NCS)

  • NCS शुरुआत: 20 जुलाई 2015

  • ई-श्रम एकीकरण: सक्षम किया गया

कैबिनेट ने डीएसआईआर/सीएसआईआर “क्षमता निर्माण एवं मानव संसाधन विकास” योजना को हरी झंडी दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) की महत्वाकांक्षी योजना “क्षमता निर्माण एवं मानव संसाधन विकास (CBHRD)” को मंजूरी दी है। इस योजना का कुल व्यय ₹2,277.397 करोड़ होगा और इसे 15वें वित्त आयोग अवधि (2021–22 से 2025–26) के दौरान वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा लागू किया जाएगा।

योजना के बारे में

  • लक्ष्य: युवा वैज्ञानिकों को सशक्त बनाना, STEMM (Science, Technology, Engineering, Medical, Mathematical) विषयों में उत्कृष्टता बढ़ाना, तथा विश्वस्तरीय R&D कार्यबल तैयार करना।

  • क्षेत्र: राष्ट्रीय प्रयोगशालाएँ, राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान, उत्कृष्टता संस्थान, विश्वविद्यालय और शोध संस्थान।

  • सहयोग: अकादमिक-औद्योगिक साझेदारी को बढ़ावा देना और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में योगदान देना।

प्रमुख उप-योजनाएँ

  1. डॉक्टोरल और पोस्ट-डॉक्टोरल फैलोशिप – युवा शोधकर्ताओं को उच्च अध्ययन हेतु सहायता।

  2. बाह्य अनुसंधान, एमेरिटस वैज्ञानिक एवं भटनागर फैलोशिप योजना – वरिष्ठ वैज्ञानिकों और सहयोगी परियोजनाओं को प्रोत्साहन।

  3. पुरस्कारों के माध्यम से उत्कृष्टता की मान्यता और प्रोत्साहन – उत्कृष्ट वैज्ञानिक योगदान का सम्मान।

  4. यात्रा एवं संगोष्ठी अनुदान – सम्मेलन, कार्यशाला और शैक्षणिक आदान-प्रदान में भागीदारी हेतु सहयोग।

यह ढाँचा शोध करियर के हर स्तर पर वैज्ञानिक प्रतिभा को प्रोत्साहन देता है।

योजना का महत्त्व

  • भारत का स्थान वैश्विक नवाचार सूचकांक 2024 में 39वाँ।

  • भारत वैज्ञानिक प्रकाशनों में शीर्ष 3 देशों में शामिल।

  • CBHRD से होगा:

    • राष्ट्रीय शोध प्रतिभा पूल का विस्तार

    • नवाचार-आधारित विकास को बढ़ावा

    • विज्ञान-प्रौद्योगिकी में वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता में वृद्धि

    • अकादमिक अनुसंधान और उद्योग अनुप्रयोगों के बीच सेतु निर्माण

बजट एवं क्रियान्वयन

  • कुल बजट: ₹2,277.397 करोड़ (2021–26)

  • नोडल संस्था: CSIR (DSIR के अंतर्गत)

  • कवरेज: सभी प्रमुख अकादमिक एवं शोध संस्थान

  • विशेष प्रावधान:

    • भटनागर फैलोशिप – ₹40 लाख प्रतिवर्ष तक का आर्थिक सहयोग + ₹25 लाख वार्षिक अनुसंधान अनुदान।

मुख्य तथ्य (Static Facts)

  • योजना का नाम: क्षमता निर्माण एवं मानव संसाधन विकास (CBHRD)

  • कुल व्यय: ₹2,277.397 करोड़

  • अवधि: 2021–22 से 2025–26

  • क्रियान्वयन: CSIR, DSIR के अंतर्गत

  • मुख्य तत्व: फैलोशिप, अनुसंधान अनुदान, पुरस्कार, यात्रा अनुदान

  • लक्ष्य: STEMM कार्यबल को सशक्त बनाना एवं भारत की नवाचार क्षमता बढ़ाना

वित्त मंत्री द्वारा जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) का शुभारंभ

केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 24 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय अधिकरण (GSTAT) का औपचारिक शुभारंभ किया। यह कदम भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में संरचनात्मक सुधार का प्रतीक है और करदाताओं को एक समान, पारदर्शी एवं प्रभावी अपीलीय तंत्र उपलब्ध कराता है।

उद्देश्य और दृष्टि

  • समयबद्ध एवं न्यायसंगत विवाद निपटारा

  • कर कानूनों की समान व्याख्या सुनिश्चित करना

  • करदाताओं के विश्वास और व्यावसायिक माहौल को मज़बूत करना

  • मुकदमेबाजी में कमी और Ease of Doing Business को बढ़ावा देना

  • नागरिक देवो भवः” की भावना के अनुरूप, सरलता, डिजिटलीकरण और नागरिक-प्रथम सेवा पर बल

GSTAT की संरचना

  • प्रधान पीठ (Principal Bench): नई दिल्ली

  • राज्य पीठें (State Benches): 31 पीठें, 45 स्थानों पर

  • प्रत्येक पीठ की संरचना:

    • 2 न्यायिक सदस्य (Judicial Members)

    • 1 तकनीकी सदस्य (केंद्र)

    • 1 तकनीकी सदस्य (राज्य)

यह ढाँचा सहकारी संघवाद की भावना को दर्शाता है और कानूनी एवं तकनीकी विशेषज्ञता के संतुलन से निर्णय प्रक्रिया को सुदृढ़ करता है।

तकनीकी नवाचार – GSTAT e-Courts Portal

  • विकसित: GSTN और NIC द्वारा

  • मुख्य विशेषताएँ:

    • अपीलों का e-Filing

    • डिजिटल सुनवाई (Digital Hearings)

    • ऑनलाइन केस ट्रैकिंग

    • केस प्रबंधन उपकरण (Case Management Tools)

    • उपयोगकर्ता सहायता: FAQs, गाइड और वीडियो

करदाता 30 जून 2026 तक अपील दाख़िल कर सकेंगे, जिससे MSMEs और व्यक्तिगत करदाताओं को पर्याप्त तैयारी समय मिलेगा।

GSTAT के लाभ

  • राज्यों में कर निर्णयों की समानता

  • अपीलों का त्वरित निपटारा

  • व्यवसायों के लिए कानूनी अनिश्चितता में कमी

  • MSMEs, निर्यातकों और स्टार्टअप्स के लिए सहूलियत

  • मेक इन इंडिया और Ease of Doing Business को मज़बूती

इससे भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली अधिक न्यायपूर्ण, सुलभ और तकनीकी रूप से उन्नत बनेगी।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

  • नाम: वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय अधिकरण (GSTAT)

  • शुभारंभ तिथि: 24 सितंबर 2025

  • शुभारंभकर्ता: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

  • संरचना: 1 प्रधान पीठ (दिल्ली), 31 राज्य पीठें

  • प्रमुख सुविधा: GSTAT e-Courts Portal (efiling.gstat.gov.in)

  • उद्देश्य: GST विवादों के लिए एक समान और स्वतंत्र अपीलीय मंच

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