Delhi Chunav Result 2025: दिल्ली में बीजेपी की जीत

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के रिजल्ट शनिवार (08 फरवरी 2025) को आए। भाजपा ने 26 साल बाद स्पष्ट बहुमत हासिल किया। भाजपा ने 48 और आम आदमी पार्टी (AAP) ने 22 सीटें जीतीं। भाजपा+ को AAP से 3.6% ज्यादा वोट मिले। इससे 26 सीटें ज्यादा मिलीं। पिछली चुनाव में 8 सीटें थीं। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली।

भाजपा ने 1993 में 49 सीटें यानी दो तिहाई बहुमत हासिल किया था। 5 साल की सरकार में मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज सीएम बनाए गए थे। 1998 के बाद कांग्रेस ने 15 साल राज किया। इसके बाद 2013 से आम आदमी पार्टी की सरकार थी।

इस बार भाजपा की 71% स्ट्राइक रेट के साथ 40 सीटें बढ़ीं। पार्टी ने 68 पर चुनाव लड़ा, 48 सीटें जीतीं। वहीं, AAP को 40 सीटों का नुकसान हुआ। आप का स्ट्राइक रेट 31% रहा। बीजेपी ने इस बार भी मुख्यमंत्री का कोई चेहरा पेश नहीं किया था, लेकिन पार्टी पीएम मोदी के नाम पर जनता के बीच उतरी और जीत हासिल करने में कामयाब रही।

भाजपा ने पिछले चुनाव

भाजपा ने पिछले चुनाव (2020) के मुकाबले वोट शेयर में 9% से ज्यादा का इजाफा किया। वहीं, AAP को करीब 10% का नुकसान हुआ है। कांग्रेस को भले ही एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वोट शेयर 2% बढ़ाने में कामयाब रही।

आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी बीते 11 साल से लगातार दिल्ली की सत्ता में बनी हुई थी. इस दौरान आप सरकार ने दिल्ली के लोगों के लिए कई एलान भी किए। इसमें मुफ़्त बिजली-पानी, महिलाओं को मुफ़्त में बस की यात्रा, बुज़ुर्गों को मुफ़्त में तीर्थ यात्रा वगैरह शामिल है।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) की 75वीं वर्षगांठ

भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने 7 फरवरी 2025 को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) की 75वीं वर्षगांठ विज्ञान भवन, नई दिल्ली में धूमधाम से मनाई। यह कार्यक्रम साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण, डेटा-आधारित प्रशासन और विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों को जोड़ने के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया गया।

इस समारोह में मुख्य वक्तव्य, विशेषज्ञ चर्चाएँ, डायमंड जुबली प्रकाशनों का अनावरण और NSS के फील्डवर्क को प्रदर्शित करने वाले विशेष प्रदर्शन आयोजित किए गए।

कार्यक्रम की प्रमुख झलकियाँ

1. उद्घाटन और स्वागत संबोधन

  • स्मृति गीता सिंह राठौड़, महानिदेशक (NSS) ने उपस्थित गणमान्य लोगों का स्वागत किया।
  • माननीय केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह (सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री) ने समारोह का उद्घाटन किया।
  • NSS के रोजगार, उपभोग, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में नीति निर्माण में योगदान को रेखांकित किया गया।
  • सरकार द्वारा आधुनिक तकनीकों के समावेश और सांख्यिकीय प्रणाली को मजबूत करने की प्रतिबद्धता पर बल दिया गया।

2. मुख्य वक्तव्य और संबोधन

अमिताभ कांत (भारत के G20 शेरपा) ने कहा:

  • NSS ने 75 वर्षों में भारत की सामाजिक-आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • डेटा-आधारित नीति निर्माण भारत की प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है।
  • आधुनिक नवाचार और प्रौद्योगिकी का उपयोग भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे रखेगा।

डॉ. सौरभ गर्ग (सचिव, MoSPI) ने कहा:

  • NSS ने विश्वसनीय डेटा प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने डेटा की उपलब्धता और सर्वेक्षण परिणामों को समय पर प्रस्तुत करने में सुधार किया है।

3. विशेष सम्मान और प्रकाशन अनावरण

माननीय मंत्री ने दो डायमंड जुबली प्रकाशनों का विमोचन किया:

  • “राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की 75 वर्षों की यात्रा – घरेलू सर्वेक्षणों के लिए”।
  • “राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की 75 वर्षों की यात्रा – उद्यम सर्वेक्षणों के लिए”।

श्रेष्ठ NSO कर्मियों को ‘कर्मयोगी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

NSS टीम द्वारा एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया, जिसमें NSS सर्वेक्षणों के फील्डवर्क और उनके प्रभाव को दर्शाया गया।

4. विशेषज्ञ पैनल चर्चाएँ

(i) ‘विकसित भारत @ 2047 के लिए भविष्य-तैयार भारतीय सांख्यिकीय प्रणाली’

संचालन: डॉ. दलीप सिंह, ADG, ESD, MoSPI।

पैनलिस्ट:

  • प्रो. चेतन घाते (निदेशक, IEG)।
  • डॉ. शलभ (प्रोफेसर, IIT कानपुर)।
  • सुश्री अदिति चौबाल (एसोसिएट प्रोफेसर, IIT बॉम्बे)।
  • श्री मार्सिन पिआटकोव्स्की (कार्यक्रम प्रमुख, विश्व बैंक)।

प्रमुख चर्चा बिंदु:

  • डेटा गैप को कम करने की आवश्यकता।
  • सर्वेक्षणों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की भूमिका।
  • नीति निर्माण में वास्तविक समय डेटा उत्पादन।
  • डेटा नवाचार के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी को मजबूत करना।

(ii) ‘आर्थिक नीतियों को आकार देने में वैकल्पिक डेटा स्रोतों का महत्व’

संचालन: श्री प्रवीन श्रीवास्तव (पूर्व सचिव और CSI, MoSPI)।

पैनलिस्ट:

  • सुश्री देबजानी घोष (विशिष्ट फेलो, नीति आयोग)।
  • डॉ. आशीष कुमार (पूर्व महानिदेशक, MoSPI)।
  • डॉ. हिमांशु (एसोसिएट प्रोफेसर, JNU)।
    प्रो. अभिरूप मुखोपाध्याय (ISI, दिल्ली)।
  • डॉ. राजेश शुक्ला (MD & CEO, PRICE)।

5. कार्यक्रम में भागीदारी और प्रभाव

  • 1,200 से अधिक प्रतिभागियों ने समारोह में भाग लिया, जिनमें शामिल थे:
  • नीति निर्माता
  • शोधकर्ता
  • राज्य सांख्यिकी निदेशालय (DES) अधिकारी
  • NSS और NSO फील्ड अधिकारी
  • अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि

निष्कर्ष

NSS की 75वीं वर्षगांठ समारोह ने भारत की सांख्यिकीय प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया और इसे ‘विकसित भारत 2047’ की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक सुधारों पर जोर दिया। डेटा-संचालित नीति निर्माण, प्रौद्योगिकी अपनाने और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के प्रयासों को इस कार्यक्रम में विशेष रूप से रेखांकित किया गया।

ओडिशा ने BBBP योजना के अंतर्गत प्रमुख पहलों को लागू किया

भारत में लिंग असमानता और घटते बाल लिंगानुपात को सुधारने के उद्देश्य से 22 जनवरी 2015 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना शुरू की गई थी। इस योजना के उद्देश्यों को साकार करने के लिए ओडिशा सरकार ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं, जो किशोरियों को सशक्त बनाने, बाल विवाह रोकने और शिक्षा एवं आत्मरक्षा कौशल को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं। ये पहल विभिन्न जिलों में लागू की गई हैं और इनका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करना और कौशल-आधारित प्रशिक्षण प्रदान करना है, ताकि लड़कियों के लिए एक सुरक्षित और समावेशी वातावरण तैयार किया जा सके।

ओडिशा में BBBP की प्रमुख पहलें

‘निर्भया कढ़ी’ (निडर कली) और ‘मो गेल्हा जिया’ (मेरी प्रिय बेटी) – गंजाम जिला

उद्देश्य:

  • किशोरियों को सशक्त बनाना और लिंग समानता को बढ़ावा देना।
  • बाल विवाह, भ्रूण हत्या और लिंग चयन को रोकना।

प्रभाव क्षेत्र:

  • गंजाम जिले के 3,309 गांवों में 1,83,933 किशोरियों को शामिल किया गया।

मुख्य उपलब्धियां:

  • गंजाम को 3 जनवरी 2022 को बाल विवाह मुक्त जिला घोषित किया गया।
  • 2019-2024 के बीच 953 में से 20 बाल विवाह रोके गए।
  • 3,614 स्कूलों के 4,50,000 छात्रों ने ‘बाल विवाह को ना’ कहने की शपथ ली।
  • बाल विवाह की पहली सूचना देने वाले को ₹5,000 का इनाम।
  • ओडिशा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (OSCPCR) ने गंजाम के प्रयासों को मान्यता दी।

‘कल्पना अभियान’ – ढेंकानाल जिला

उद्देश्य:

  • 10-19 वर्ष की किशोरियों की निगरानी और ट्रैकिंग।
  • बाल विवाह रोकने के लिए समुदाय की भागीदारी को मजबूत करना।

प्रभाव क्षेत्र:

  • 1,13,515 किशोरियों की पहचान कर उन्हें कार्यक्रम में शामिल किया गया।

मुख्य उपलब्धियां:

  • 2019-2024 के बीच 343 बाल विवाह रोके गए।
  • 3,425 स्कूलों के 4,45,000 छात्रों ने बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली।
  • 1,211 गांवों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
  • ढेंकानाल प्रशासन को ‘अंतर्राष्ट्रीय बालिका सप्ताह 2024’ के दौरान सम्मानित किया गया।
  • ओडिशा महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) और मिशन शक्ति ने पहल को मान्यता दी।
  • बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने पर वर्षा प्रियदर्शिनी साहू को सम्मानित किया गया।
  • एक बचाई गई पर्वतारोही को ‘कल्पना अभियान’ का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया।

‘स्वर्णा कालिका’ – क्योंझर जिला

उद्देश्य:

  • बाल विवाह के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • समुदाय-आधारित हस्तक्षेप को बढ़ावा देना।

मुख्य उपलब्धियां:

  • 2024 तक बाल विवाह में 50% की कमी दर्ज की गई।
  • 2,000 हितधारकों को जागरूकता अभियानों में शामिल किया गया।
  • ADVIKA ऐप को निगरानी और हस्तक्षेप के लिए बढ़ावा दिया गया।
  • समुदाय के नेताओं और किशोरियों ने सक्रिय रूप से अभियान में भाग लिया।

‘वीरांगना योजना’ – देवगढ़ जिला

उद्देश्य:

  • किशोरियों को मार्शल आर्ट और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना।
  • आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को बढ़ाना।

प्रभाव क्षेत्र:

  • 500 किशोरियों को 30-दिवसीय मार्शल आर्ट शिविर में प्रशिक्षित किया गया।
  • 300 शिक्षकों और अभिभावकों को लड़कियों के कानूनी अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाया गया।

मुख्य उपलब्धियां:

  • 50 मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए, जिन्होंने 300 स्कूलों में 6,000 छात्राओं को प्रशिक्षित किया।
  • इस पहल को स्कूलों और कॉलेजों में संस्थागत रूप से लागू किया गया।
  • यह योजना जिला महोत्सवों में प्रदर्शित की गई और प्रतिष्ठित ‘SKOCH अवार्ड’ जीता।

निष्कर्ष:

ओडिशा सरकार द्वारा शुरू की गई ये पहलें बालिकाओं के संरक्षण, सशक्तिकरण और शिक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में प्रभावी कदम हैं। इन योजनाओं के माध्यम से लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने, बाल विवाह को रोकने और उनके उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

विकसित भारत@2047: प्रगति का मार्ग नीति आयोग कॉन्क्लेव

नीति आयोग ने 6 फरवरी 2025 को “विकसित भारत @ 2047: अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक साझेदारी और विधि को सशक्त बनाना” शीर्षक से एक उच्च स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया। यह कार्यक्रम नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में आयोजित किया गया, जिसमें नीति आयोग के उपाध्यक्ष, सदस्यगण और सीईओ के साथ-साथ भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार और रक्षा मंत्रालय के सचिव सहित कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हुए।

इस सम्मेलन में पैनल चर्चाएं, मुख्य वक्तव्य और विशेषज्ञ विचार-विमर्श शामिल थे, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दीर्घकालिक रणनीति पर चर्चा करना था। प्रमुख विषयों में आर्थिक सुधार, वैश्विक साझेदारी, राष्ट्रीय सुरक्षा, कानूनी ढांचा और डिजिटल बुनियादी ढांचे पर विचार-विमर्श किया गया।

प्रमुख चर्चाएं और मुख्य निष्कर्ष

1. 2047 तक आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता

  • नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों ने भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने के रोडमैप का विश्लेषण किया।
  • विनियामक सुधारों, बुनियादी ढांचे के विस्तार, नवाचार और रणनीतिक व्यापार भागीदारी पर जोर दिया गया।
  • अनुसंधान और विकास (R&D) में निजी क्षेत्र के निवेश, राजकोषीय संतुलन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण की भूमिका पर चर्चा हुई।
  • सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग, ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण कच्चे माल तक पहुंच को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • शिक्षा, कौशल विकास और आधारभूत संरचना को भारत की जनसांख्यिकीय लाभ का प्रमुख घटक माना गया।
  • साहसिक सुधारों, सतत ऊर्जा नीतियों और वैश्विक व्यापार में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की जरूरत पर जोर दिया गया।

2. विकास के लिए रणनीतिक साझेदारियां

  • भारत की वैश्विक दक्षिण (Global South) और वैश्विक उत्तर (Global North) के साथ संतुलित कूटनीतिक रणनीतियों पर चर्चा की गई।
  • आर्थिक लचीलापन और भू-राजनीतिक व्यापार व्यवधानों को कम करने के उपायों पर विचार किया गया।
  • नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका और महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने की रणनीतियों पर जोर दिया गया।
  • व्यापार उदारीकरण, टैरिफ में कमी और तकनीकी सहयोग को बढ़ाने की जरूरत पर चर्चा की गई।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure) को मजबूत कर बहुपक्षीय और द्विपक्षीय साझेदारियों को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
  • निवेश आकर्षित करने और व्यापार करने में सुगमता बढ़ाने के लिए कानूनी सुधारों की आवश्यकता पर चर्चा हुई।

3. आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और राष्ट्रीय रक्षा

  • आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और राष्ट्रीय रक्षा में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका पर चर्चा की गई।
  • नागरिक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए ‘जस्ट इन टाइम’ (JIT) मॉडल बनाम सैन्य रसद के लिए ‘जस्ट इन केस’ (JIC) मॉडल की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया गया।
  • मजबूत खरीद प्रक्रियाओं और प्रभावी कानूनी ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और परिचालन दक्षता की रक्षा के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत पर चर्चा हुई।
  • सैन्य और नागरिक अभियानों दोनों के लिए लॉजिस्टिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • रक्षा खरीद प्रक्रियाओं को सरल बनाने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रस्ताव रखे गए।

यह सम्मेलन भारत के दीर्घकालिक आर्थिक, सुरक्षा और वैश्विक रणनीतियों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इससे 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दृष्टि को साकार करने में सहायता मिलेगी।

गांधीनगर में बिम्सटेक युवा शिखर सम्मेलन 2025

BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 का आयोजन गांधीनगर, गुजरात में 7 से 11 फरवरी 2025 तक किया जाएगा। यह सम्मेलन BIMSTEC देशों के युवा नेताओं को एक मंच पर लाकर सहयोग, नवाचार और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देगा। इस शिखर सम्मेलन का उद्घाटन 8 फरवरी 2025 को केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया करेंगे। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड के युवाओं के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करना है। इसे भारत सरकार के युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय के युवा कार्य विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन का मुख्य फोकस युवा-नेतृत्व वाली पहलों, नेतृत्व चर्चाओं और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर रहेगा।

BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 क्यों महत्वपूर्ण है?

BIMSTEC (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल) की स्थापना 6 जून 1997 को बैंकॉक घोषणा के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है। वर्षों से, BIMSTEC ने व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और सांस्कृतिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में कार्य किया है। हालांकि, युवा सहभागिता अब एक प्रमुख फोकस क्षेत्र बन गई है, जिससे BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है, जहां युवा नेता अपने विचार साझा कर सकते हैं, नीतियों पर चर्चा कर सकते हैं और क्षेत्रीय प्रगति में योगदान दे सकते हैं।

इस शिखर सम्मेलन की थीम “अंतर-BIMSTEC आदान-प्रदान के लिए युवा एक सेतु के रूप में” रखी गई है, जो क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने में युवा दिमागों की भूमिका को दर्शाती है। भारत सरकार इस अवसर को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) 2030 के साथ जोड़ने के रूप में देख रही है, ताकि यह क्षेत्र नवाचार और सहयोग के माध्यम से निरंतर प्रगति कर सके।

मुख्य सत्र और पहल क्या हैं?

BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 में कई चर्चाएं और कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जो युवा प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करेंगी। एक प्रमुख सत्र “विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग X BIMSTEC” होगा, जिसमें सदस्य देशों के युवा नेता अपने-अपने देश की युवा केंद्रित पहलों को प्रस्तुत करेंगे।

इस शिखर सम्मेलन का एक अन्य प्रमुख आकर्षण “मेरा युवा भारत (MY भारत)” पहल है, जिसे भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था। MY भारत का उद्देश्य युवा विकास के लिए एक संस्थागत ढांचा तैयार करना है, जो तकनीकी नवाचार का उपयोग करके समान अवसर प्रदान करने पर केंद्रित है। यह पहल युवाओं को नेतृत्व भूमिकाओं के लिए तैयार करने, नीति निर्माण में उनकी भागीदारी बढ़ाने, और आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन को गति देने में मदद करेगी।

प्रतिनिधियों को कौन-कौन से सांस्कृतिक और तकनीकी अनुभव प्राप्त होंगे?

चर्चाओं और नीति संवादों के अलावा, BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 प्रतिभागियों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और तकनीकी प्रगति को करीब से देखने का अवसर देगा। इस दौरान प्रतिनिधि निम्नलिखित महत्वपूर्ण स्थलों का दौरा करेंगे:

  • दांडी कुटीरमहात्मा गांधी को समर्पित भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय, जो उनके आत्मनिर्भरता के विचार और जीवन दर्शन को प्रदर्शित करता है।
  • साबरमती आश्रमगांधीजी के अहिंसा और राष्ट्र निर्माण के आदर्शों का प्रतीक, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण स्थल रहा है।
  • साबरमती रिवरफ्रंटआधुनिक शहरी योजना और सतत विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण।
  • GIFT सिटी (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी)भारत की पहली स्मार्ट सिटी और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC), जहां प्रतिनिधि वित्तीय तकनीक और वैश्विक व्यापार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करेंगे।

GIFT सिटी का दौरा युवा प्रतिनिधियों को भारत की तकनीकी और वित्तीय उन्नति को प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर देगा, जिससे वे अपने-अपने देशों में इसी तरह के विकास मॉडल लागू करने के लिए प्रेरित होंगे।

BIMSTEC युवा सहयोग का भविष्य क्या है?

BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलन 2025 केवल एक सम्मेलन भर नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय एकता और प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण आंदोलन है। यह शिखर सम्मेलन युवा नेताओं, नीति निर्माताओं और नवाचारकर्ताओं के बीच सीधे संवाद को प्रोत्साहित करेगा, जिससे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के भविष्य को आकार देने में मदद मिलेगी।

यह आयोजन भविष्य के BIMSTEC युवा शिखर सम्मेलनों की एक मजबूत नींव रखेगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि युवा नेता आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाएं। इस पहल के माध्यम से सदस्य देश नवाचार, सहयोग और सतत विकास की दिशा में एक साथ आगे बढ़ सकेंगे, जिससे पूरे क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित होगा।

कैबिनेट ने नया आयकर विधेयक 2025 पारित किया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नए आयकर विधेयक (Income Tax Bill) को मंजूरी दे दी है, जो 1961 के छह दशक पुराने आयकर अधिनियम (Income Tax Act, 1961) की जगह लेगा। इस नए कानून का मुख्य उद्देश्य भारत की कर प्रणाली को सरल, आधुनिक और सुव्यवस्थित बनाना है, जिससे करदाताओं के लिए इसे समझना और अनुपालन करना आसान हो जाए।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में घोषणा की कि नया विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जाएगा। संसद में प्रस्तुत किए जाने के बाद, इसे वित्त स्थायी समिति (Standing Committee on Finance) के पास आगे की समीक्षा और चर्चा के लिए भेजा जाएगा।

नए आयकर विधेयक की आवश्यकता क्यों पड़ी?

1961 का आयकर अधिनियम कई बार संशोधित किया जा चुका है, जिससे यह जटिल और करदाताओं के लिए कठिन हो गया है। सरकार ने इसकी जटिलताओं को दूर करने के लिए नया कानून लाने का निर्णय लिया है। इसके मुख्य उद्देश्य हैं:

  • कानूनी भाषा को सरल बनाना, जिससे करदाताओं के लिए इसे समझना आसान हो।
  • विवादों और मुकदमों को कम करना, ताकि कर व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता और निश्चितता हो।
  • व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए कर नियमों को स्पष्ट करना, जिससे करदाता अनावश्यक भ्रम से बच सकें।
  • पुरानी और अप्रासंगिक धाराओं को हटाना, जिससे कर ढांचा आधुनिक बन सके।

सरकार का मानना है कि एक स्पष्ट और संक्षिप्त कर संरचना से कर अनुपालन (tax compliance) में वृद्धि होगी और कर चोरी (tax evasion) को रोका जा सकेगा

नए आयकर विधेयक की मुख्य विशेषताएं

सरल और प्रभावी कर प्रणाली बनाने के लिए, इस नए प्रत्यक्ष कर विधेयक (Direct Tax Bill) को उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाया जा रहा है। इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

कोई अतिरिक्त कर बोझ नहीं

नया विधेयक कर कानूनों को सरल बनाएगा, लेकिन इसमें नए करों को शामिल नहीं किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य कर अनुपालन को आसान बनाना है, न कि कर दरों को बढ़ाना।

सरल भाषा और संरचना

1961 के आयकर अधिनियम में जटिल कानूनी शब्दावली और लंबी व्याख्याएं शामिल थीं, जिससे आम करदाता के लिए इसे समझना मुश्किल था।

नया विधेयक स्पष्ट और संक्षिप्त होगा, जिससे बिना विशेषज्ञ की मदद के भी करदाता इसे आसानी से समझ सकें

कर विवादों में कमी

  • मौजूदा कर प्रणाली में कानूनी मुकदमों और कर विवादों की संख्या अधिक है।
  • स्पष्ट कर प्रावधानों के माध्यम से विवादों को कम करेगा।
  • विवाद समाधान तंत्र (Dispute Resolution Mechanism) लागू करेगा, जिससे कर मामलों का शीघ्र निपटारा हो सके।
  • व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए कर अनुपालन को सरल बनाएगा।

अनुपालन में कमी (Compliance Reduction)

  • सरकार ने करदाताओं की अनुपालन संबंधी समस्याओं को कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया है। इस दिशा में उठाए गए कदम:
  • अनावश्यक दस्तावेजी आवश्यकताओं को समाप्त करना।
  • कर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना।
  • व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए कर प्रपत्रों (tax forms) की संख्या को कम करना।

सार्वजनिक परामर्श और हितधारकों के सुझाव

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर अधिनियम की व्यापक समीक्षा के लिए सार्वजनिक सुझाव आमंत्रित किए थे। चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया:

  • कानूनी भाषा को सरल बनाना।
  • कर विवादों में कमी लाना।
  • अनुपालन बोझ को कम करना।
  • अप्रचलित प्रावधानों को हटाना।

सरकार को करदाताओं, व्यवसायों और उद्योग विशेषज्ञों से 6,500 से अधिक सुझाव मिले। इससे सरकार का पारदर्शी और भागीदारी आधारित दृष्टिकोण सामने आया।

नए आयकर विधेयक को लागू करने की प्रक्रिया

कैबिनेट से मंजूरी और संसद में प्रस्तुति

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी है, और इसे अगले सप्ताह संसद में पेश किया जाएगा।

वित्त स्थायी समिति की समीक्षा

  • विधेयक को संसद में पेश किए जाने के बाद, इसे वित्त स्थायी समिति (Standing Committee on Finance) को भेजा जाएगा।
  • समिति इस विधेयक की विस्तार से समीक्षा करेगी, हितधारकों की प्रतिक्रिया लेगी और आवश्यक संशोधन सुझाएगी।

अंतिम मंजूरी और कार्यान्वयन

  • चर्चा के बाद, विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पारित कराया जाएगा और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद इसे लागू किया जाएगा

नए आयकर विधेयक के प्रभाव

  • बेहतर स्पष्टता और पारदर्शिता – सरल भाषा और स्पष्ट प्रावधानों से करदाताओं को इसे समझने में आसानी होगी।
  • कर विवादों में कमी – स्पष्ट कर कानूनों से मुकदमेबाजी और कर विवाद कम होंगे।
  • आसान अनुपालन – व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए कर फाइलिंग की प्रक्रिया कम जटिल होगी।
  • निवेश को बढ़ावा – स्थिर और पारदर्शी कर प्रणाली से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, जिससे आर्थिक विकास को बल मिलेगा।

चीन के ‘बेल्ट एंड रोड’ इनिशिएटिव से बाहर निकला पनामा

पनामा ने आधिकारिक रूप से चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से बाहर होने की घोषणा की है, जो एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक बदलाव को दर्शाता है। राष्ट्रपति जोसे राउल मुलिनो के इस फैसले से अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव साफ नजर आते हैं, खासकर पनामा नहर को लेकर। यह कदम पनामा की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जिसमें अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करना और देश में चीनी निवेश की समीक्षा करना शामिल है।

पनामा ने BRI में शुरुआत में शामिल होने का फैसला क्यों किया था?

पनामा ने 2017 में चीन की BRI पहल में शामिल होने का फैसला किया, जब उसने ताइवान से संबंध तोड़कर चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए। इस कदम का उद्देश्य एशिया और लैटिन अमेरिका के बीच व्यापार और बुनियादी ढांचे को मजबूत करना था

BRI के तहत, चीनी कंपनियों ने पनामा नहर पर चौथे पुल के निर्माण और पनामा सिटी में तीसरी मेट्रो लाइन जैसी बड़ी परियोजनाओं को अपने हाथ में लिया। इसके अलावा, पनामा से कोस्टा रिका तक $4.1 बिलियन की हाई-स्पीड रेल परियोजना की भी चर्चा हुई थी। ये परियोजनाएं पनामा को एक प्रमुख लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित करने के लिए बनाई गई थीं।

हालांकि, समय के साथ पनामा में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ने लगी, खासकर पनामा नहर के पास चीनी कंपनियों द्वारा पोर्ट ऑपरेशन्स को लेकर। अमेरिका, जिसने ऐतिहासिक रूप से नहर पर प्रभाव बनाए रखा है, पनामा से इस संबंध में पुनर्विचार करने का आग्रह करने लगा।

पनामा ने BRI से हटने का फैसला क्यों किया?

अमेरिका ने पनामा में चीन की बढ़ती उपस्थिति को लेकर लगातार चिंता जताई है। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने अपनी यात्रा के दौरान चीनी निवेश से जुड़े जोखिमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने चेतावनी दी कि पनामा नहर की तटस्थता को खतरा हो सकता है, क्योंकि यह मार्ग वैश्विक समुद्री व्यापार का 6% संचालन करता है। रुबियो ने कहा कि अगर पनामा ने चीन के प्रभाव को कम नहीं किया, तो अमेरिका नहर की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठा सकता है।

इन चिंताओं के मद्देनजर, राष्ट्रपति मुलिनो ने घोषणा की कि पनामा BRI समझौते का नवीनीकरण नहीं करेगा। यह समझौता 2026 में समाप्त होने वाला था, लेकिन इसे पहले ही समाप्त करने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अलावा, सरकार चीनी निवेश, खासकर बंदरगाहों और लॉजिस्टिक्स ऑपरेशन्स, की समीक्षा कर सकती है। यह निर्णय पनामा द्वारा आर्थिक हितों और राजनीतिक तटस्थता के बीच संतुलन साधने के प्रयास को दर्शाता है।

चीन की प्रतिक्रिया क्या रही?

चीन ने अमेरिका पर पनामा पर दबाव डालने का आरोप लगाया और कहा कि BRI निवेश ने पनामा की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। बीजिंग ने पनामा से आग्रह किया कि वह बाहरी हस्तक्षेप से बचें और चीन के साथ दीर्घकालिक सहयोग बनाए रखें।

हालांकि, पनामा की यह वापसी एक व्यापक वैश्विक प्रवृत्ति को दर्शाती है, जिसमें कई देश BRI में अपनी भागीदारी की समीक्षा कर रहे हैं। ऋण निर्भरता और राजनीतिक प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताओं के कारण कई देशों ने या तो अपनी भागीदारी कम कर दी है या पूरी तरह समाप्त कर दी है। पनामा के इस निर्णय से लैटिन अमेरिका में भविष्य के चीनी निवेश पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

पनामा और पनामा नहर का भविष्य क्या होगा?

पनामा नहर वैश्विक शक्ति संघर्ष का केंद्र बना हुआ है। अमेरिका ने विशेष रूप से पनामा नहर के दोनों किनारों पर चीनी कंपनियों की मौजूदगी को लेकर चिंता जताई है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यहां तक कहा था कि अगर चीन का प्रभाव नहीं रोका गया, तो अमेरिका फिर से नहर पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर सकता है

आगे चलकर, पनामा अमेरिका के साथ आर्थिक और राजनयिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। सरकार अब चीन द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के लिए वैकल्पिक निवेशकों की तलाश कर सकती है। यह निर्णय चीन और पश्चिमी शक्तियों के बीच बढ़ते वैश्विक विभाजन को भी उजागर करता है, जिसमें लैटिन अमेरिकी देश इस रणनीतिक लड़ाई के केंद्र में आ गए हैं

ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर मार्कस स्टोइनिस ने वनडे क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की

ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर मार्कस स्टोइनिस ने वनडे क्रिकेट से तत्काल संन्यास लेने की घोषणा की, जिससे वह 2025 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में नहीं खेलेंगे। 35 वर्षीय स्टोइनिस अब केवल टी20 क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित करेंगे और इस प्रारूप में चयन के लिए उपलब्ध रहेंगे।

स्टोइनिस ऑस्ट्रेलिया की 2023 वनडे विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा थे और उन्होंने अहम योगदान दिया था। उनका यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब ऑस्ट्रेलियाई टीम पहले ही मिशेल मार्श, पैट कमिंस और जोश हेजलवुड जैसी प्रमुख खिलाड़ियों की चोटों से जूझ रही है।

मुख्य बातें:

  • मार्कस स्टोइनिस ने वनडे से संन्यास लेकर टी20 करियर पर ध्यान देने का फैसला किया।
  • 2025 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में नहीं खेलेंगे।

वनडे करियर:

  • मैच: 71 वनडे खेले
  • रन: 1495 रन, औसत 26.69
  • सर्वश्रेष्ठ स्कोर: 146 बनाम न्यूजीलैंड (2017, ऑकलैंड)
  • विकेट: 48 विकेट, गेंदबाजी औसत 43.12

अंतिम वर्षों में प्रदर्शन:

  • 2023 वनडे विश्व कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा रहे और महत्वपूर्ण विकेट लिए।
  • अंतिम वनडे: नवंबर 2024 में पाकिस्तान के खिलाफ खेला।
  • क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया का 2024 केंद्रीय अनुबंध नहीं मिला, लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी टीम में चयन की उम्मीद थी।

कोच की प्रतिक्रिया:

  • मुख्य कोच एंड्रयू मैकडॉनल्ड ने स्टोइनिस को एक बेहतरीन टीम लीडर और मूल्यवान खिलाड़ी बताया।
  • सहायक कोच डेनियल विटोरी ने कहा कि स्टोइनिस ने 2023 वनडे विश्व कप में अहम भूमिका निभाई थी।

स्टोइनिस के संन्यास के बाद ऑस्ट्रेलियाई वनडे टीम को एक अनुभवी ऑलराउंडर की कमी खलेगी, लेकिन वह टी20 प्रारूप में अपनी उपयोगिता बनाए रखेंगे।

कई देशों ने लगाया DeepSeek AI पर बैन, जानें वजह

चीन का AI चैटबॉट DeepSeek AI हाल ही में वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। इसे शुरू में चीन के ChatGPT के जवाब के रूप में देखा गया, लेकिन कुछ ही दिनों में यह विभिन्न देशों के सरकारी नियामकों की कड़ी जांच के दायरे में आ गया।

डीपसीक पर बैन लगाने वालों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और भारत और अन्य देश शामिल हैं। इस पर बैन लगाने वाले देशों का कहना है कि सिक्योरिटी और डेटा प्राइवेसी से जुड़ी चिंताओं के चलते ऐसा किया जा रहा है। यहां हम आपको उन सभी देशों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिन्होंने चाइनीज एआई मॉडल को बैन किया है।

DeepSeek AI पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है?

विभिन्न सरकारों ने DeepSeek AI पर प्रतिबंध लगाने के कई कारण बताए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • डेटा गोपनीयता संबंधी जोखिम – उपयोगकर्ता डेटा कैसे एकत्र, संग्रहीत और उपयोग किया जाता है, इसे लेकर चिंताएँ।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा – संवेदनशील जानकारी के लीक और सीमा-पार डेटा ट्रांसमिशन को लेकर खतरे।
  • साइबर सुरक्षा से जुड़ी चिंताएँ – AI प्लेटफॉर्म में मौजूद संभावित कमजोरियाँ, जो सरकारी और व्यक्तिगत डेटा को खतरे में डाल सकती हैं।
  • पारदर्शिता की कमी – DeepSeek AI के डेवलपर्स द्वारा डेटा हैंडलिंग नीतियों पर स्पष्ट जानकारी न देना।

जनरेटिव AI के बढ़ते उपयोग को देखते हुए देश अब इस बात को लेकर अधिक सतर्क हो रहे हैं कि विदेशी AI मॉडल यूजर डेटा को कैसे प्रोसेस और स्टोर करते हैं, खासकर जब AI उन देशों से संबंधित हो जहां सरकारी निगरानी प्रणाली (Government Surveillance Policies) सख्त हैं।

DeepSeek AI को प्रतिबंधित करने वाले देश

कई देशों ने DeepSeek AI पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे सरकारी कर्मचारियों, सार्वजनिक संस्थानों और कुछ मामलों में आम नागरिकों को इसे इस्तेमाल करने से रोका गया है।

1. इटली – DeepSeek AI पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश

इटली दुनिया का पहला देश बना जिसने DeepSeek AI पर प्रतिबंध लगाया।

प्रतिबंध का कारण:

इटली के डेटा सुरक्षा प्राधिकरण (DPA) ने AI चैटबॉट की डेटा संग्रह और उपयोगकर्ता गोपनीयता नीतियों को लेकर चिंता जताई। Euroconsumers नामक उपभोक्ता अधिकार समूह की शिकायत के बाद DPA ने DeepSeek AI के डेवलपर्स से जानकारी मांगी, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

प्रतिबंध का दायरा:

  • DeepSeek AI इटली के ऐप स्टोर्स से हटा दिया गया है।
  • आम जनता के लिए यह पूरी तरह से अनुपलब्ध कर दिया गया है।

2. ताइवान – राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा संरक्षण को लेकर प्रतिबंध

ताइवान ने DeepSeek AI पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) में इसके उपयोग पर रोक लगा दी है।

प्रतिबंध का दायरा:

  • सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रतिबंधित – सार्वजनिक क्षेत्र में DeepSeek AI का उपयोग पूरी तरह वर्जित।
  • सरकारी स्कूलों और राज्य-स्वामित्व वाली कंपनियों में प्रतिबंध – छात्रों और सरकारी संगठनों में DeepSeek AI का उपयोग निषिद्ध।
  • महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे (Critical Infrastructure) में प्रतिबंध – प्रमुख उद्योगों में DeepSeek AI को एकीकृत करने की अनुमति नहीं।

मुख्य चिंता:

ताइवान के डिजिटल मामलों के मंत्रालय ने DeepSeek AI में डेटा लीक और चीनी सरकार द्वारा संभावित निगरानी (Surveillance) के जोखिम को प्रमुख कारण बताया है।

3. ऑस्ट्रेलिया – सुरक्षा खतरे के रूप में DeepSeek AI पर प्रतिबंध

ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में सरकारी कर्मचारियों के लिए DeepSeek AI के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है, इसे एक गंभीर सुरक्षा जोखिम करार देते हुए

प्रतिबंध का निर्णय:

  • यह फैसला ऑस्ट्रेलियाई गृह मंत्री टोनी बर्क (Tony Burke) द्वारा लिया गया।

प्रतिबंध के प्रमुख कारण:

  • राष्ट्रीय खुफिया आकलन (National Intelligence Assessment) ने DeepSeek AI को “अस्वीकार्य सुरक्षा जोखिम” करार दिया।
  • AI मॉडल में मौजूद डेटा की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ।
  • विदेशी संस्थाओं द्वारा AI के दुरुपयोग और जासूसी (Espionage) का खतरा।

प्रतिबंध का दायरा:

  • ऑस्ट्रेलियाई सरकारी सिस्टम से DeepSeek AI को हटा दिया गया।
  • निजी उपकरणों पर प्रतिबंध नहीं, लेकिन नागरिकों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई।

ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने अपने नागरिकों से ऑनलाइन डेटा गोपनीयता को लेकर सतर्क रहने का आग्रह किया है, यह बताते हुए कि AI-संचालित साइबर खतरों का जोखिम बढ़ रहा है।

क्या और देश DeepSeek AI पर प्रतिबंध लगाएंगे?

अन्य कई सरकारें DeepSeek AI की सुरक्षा चिंताओं की समीक्षा कर रही हैं, जिससे आने वाले समय में और प्रतिबंध लगने की संभावना है।

संभावित देश जो प्रतिबंध लगा सकते हैं:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका – अमेरिकी अधिकारी विदेशी AI सुरक्षा जोखिमों की निगरानी कर रहे हैं।
  • यूनाइटेड किंगडम – UK सरकार उन AI सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है जो गोपनीयता मानकों पर खरे नहीं उतरते।
  • यूरोपीय संघ (EU) – प्रस्तावित EU AI अधिनियम के तहत DeepSeek AI जैसे प्लेटफार्मों पर सख्त नियम लगाए जा सकते हैं।

DeepSeek AI पर प्रतिबंध का प्रभाव

DeepSeek AI पर बढ़ते प्रतिबंध वैश्विक स्तर पर AI नियमन (Regulation) में बदलाव की ओर इशारा करते हैं। अब देश अपनी साइबर सुरक्षा और डेटा संप्रभुता (Data Sovereignty) को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि AI प्लेटफॉर्म:

  • सख्त गोपनीयता नीतियों का पालन करें।
  • स्थानीय साइबर सुरक्षा कानूनों के अनुरूप हों।
  • अंतरराष्ट्रीय डेटा सुरक्षा समझौतों का पालन करें।

ये प्रतिबंध यह भी दर्शाते हैं कि चीन और पश्चिमी देशों के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है, और AI तकनीक अब डिजिटल सुरक्षा और वैश्विक तकनीकी प्रभुत्व (Technological Supremacy) की नई प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन रही है।

वैज्ञानिकों ने IVF का उपयोग करके पहला कंगारू भ्रूण बनाया

वैज्ञानिकों ने एक ऐतिहासिक सफलता हासिल करते हुए पहली बार इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक का उपयोग करके कंगारू भ्रूण तैयार किए हैं। यह उपलब्धि संकटग्रस्त मार्सुपियल (थैलीधारी) प्रजातियों के संरक्षण में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है और विलुप्ति के खतरे से बचाने में सहायक हो सकती है।

यह अध्ययन ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया और इसे ‘रिप्रोडक्शन, फर्टिलिटी एंड डेवलपमेंट’ नामक वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। शोध में यह उजागर किया गया है कि सहायक प्रजनन तकनीक (ART) को कोआला, तस्मानियन डेविल, उत्तरी हेरी-नोस वॉम्बैट और लीडबीटर्स पॉसम जैसे संकटग्रस्त प्राणियों के संरक्षण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस उपलब्धि का महत्व

  • पहली बार कंगारू भ्रूण IVF तकनीक से विकसित किए गए, जो संकटग्रस्त मार्सुपियल्स के संरक्षण के लिए नई संभावनाएँ खोलते हैं।
  • IVF तकनीक अब तक मुख्य रूप से मनुष्यों और पालतू जानवरों में प्रयुक्त होती रही है, लेकिन मार्सुपियल्स में इसका उपयोग अब तक सीमित था।
  • इस शोध से संकटग्रस्त मार्सुपियल्स के लिए नई संरक्षण रणनीतियों का मार्ग प्रशस्त होगा और उनके प्रजनन को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

IVF के माध्यम से कंगारू भ्रूण बनाने की प्रक्रिया

1. अध्ययन का उद्देश्य

इस शोध का मुख्य उद्देश्य संकटग्रस्त मार्सुपियल्स के प्रजनन को संरक्षित करने के लिए नई विधियों का विकास करना था। इसके तहत:

  • संकटग्रस्त प्रजातियों की आनुवंशिक सामग्री संरक्षित करने के प्रयास।
  • मार्सुपियल प्रजनन में IVF तकनीक के उपयोग का विस्तार
  • प्राकृतिक आवासों के विनाश, जलवायु परिवर्तन और बीमारियों से प्रभावित प्रजातियों को बचाना।

2. कंगारू भ्रूण विकसित करने की प्रक्रिया

वैज्ञानिकों ने पूर्वी ग्रे कंगारू (Eastern Grey Kangaroo) को मॉडल प्रजाति के रूप में चुना और उनके प्रजनन को IVF तकनीक से अनुकूलित किया।

अंडाणु और शुक्राणु का संग्रहण:

  • अनुसंधान उद्देश्यों के लिए पूर्वी ग्रे कंगारू के अंडाणु और शुक्राणु एकत्र किए गए।
  • एक मादा कंगारू से कुल 32 अंडाशय कूप (follicles) प्राप्त किए गए।
  • इनमें से 78% ने वृद्धि दिखाई, जबकि 12% आकार में दोगुने हो गए।

इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) तकनीक:

  • वैज्ञानिकों ने ICSI विधि का उपयोग किया, जिसमें एक शुक्राणु को सीधे एक परिपक्व अंडाणु में इंजेक्ट किया जाता है।
  • इस प्रक्रिया के बाद, सफलतापूर्वक कंगारू भ्रूण का निर्माण किया गया।

संरक्षण प्रयासों में IVF का महत्व

1. संकटग्रस्त मार्सुपियल्स की सुरक्षा

इस तकनीक से जिन प्रजातियों को लाभ मिल सकता है, उनमें शामिल हैं:

  • कोआला – आवास क्षति और बीमारियों से प्रभावित।
  • तस्मानियन डेविल – डेविल फेशियल ट्यूमर रोग से खतरे में।
  • उत्तरी हेरी-नोस वॉम्बैट – दुर्लभतम मार्सुपियल्स में से एक।
  • लीडबीटर्स पॉसम – वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित।

2. आनुवंशिक सामग्री का संरक्षण और उपयोग

  • IVF के माध्यम से अंडाणु और शुक्राणु को संरक्षित किया जा सकता है, जिससे जैव विविधता बनी रहेगी
  • इस तकनीक से सीधे प्रजनन कार्यक्रमों की आवश्यकता के बिना प्रजातियों को फिर से जंगल में बसाने में मदद मिलेगी।

3. भविष्य में IVF से जन्मे कंगारू

अब तक कोई कंगारू IVF के माध्यम से जन्म नहीं लिया है, लेकिन वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आने वाले दशक में पहला IVF-जनित मार्सुपियल जन्म ले सकता है

वैश्विक स्तर पर संरक्षण में IVF की भूमिका

मार्सुपियल्स में IVF की सफलता वैश्विक स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण में सहायक प्रजनन तकनीकों के बढ़ते उपयोग का हिस्सा है।

  • जनवरी 2024 में जर्मनी के वैज्ञानिकों ने गैंडे का पहला IVF भ्रूण सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया।
  • इसी तरह, बाघों, हाथियों और अन्य संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए IVF तकनीक का परीक्षण किया गया है।
  • कंगारू IVF अध्ययन यह साबित करता है कि ये तकनीकें अन्य वन्यजीव प्रजातियों में भी सफल हो सकती हैं, जिससे भविष्य में संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।

यह खोज न केवल कंगारू और अन्य मार्सुपियल प्रजातियों के संरक्षण में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी, बल्कि भविष्य में विलुप्ति के कगार पर खड़ी कई प्रजातियों को बचाने में भी मददगार साबित हो सकती है।

Recent Posts

about | - Part 390_12.1