सेबी ने डीबी रियल्टी एंड एसोसिएट्स पर जुर्माना लगाया

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने डीबी रियल्टी लिमिटेड (अब वेलोर एस्टेट लिमिटेड) और सात संबंधित व्यक्तियों पर वित्तीय गड़बड़ियों और अनिवार्य खुलासों में चूक के लिए कुल ₹25 लाख का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई कंपनी द्वारा लेखा मानकों के उल्लंघन और पुणे बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड (PBPL) के लिए बैंक ऑफ इंडिया को दी गई कॉर्पोरेट गारंटी को ठीक से उजागर न करने के कारण की गई।

SEBI की कार्रवाई का कारण

SEBI की जांच में सामने आया कि डीबी रियल्टी ने 2013 में PBPL के लिए बैंक ऑफ इंडिया से लिए गए ऋण से संबंधित वित्तीय विवरणों में लेखा मानकों का पालन नहीं किया। यह ऋण जून 2020 तक ₹516 करोड़ तक बढ़ गया था। हालांकि, कंपनी ने महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे कि इस ऋण का गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) के रूप में वर्गीकरण, गारंटी का उपयोग, और बैंक द्वारा संपत्तियों के सांकेतिक अधिग्रहण को स्टॉक एक्सचेंज को सही तरीके से सूचित नहीं किया।

कौन-कौन हुए दंडित?

SEBI ने निम्नलिखित व्यक्तियों और संस्थाओं पर जुर्माना लगाया:

  • ₹5 लाख का जुर्माना: डीबी रियल्टी, चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक विनोद कुमार गोयनका, और प्रबंध निदेशक शाहिद बलवा उस्मान
  • ₹2 लाख का जुर्माना: आसिफ यूसुफ बलवा, जयवर्धन विनोद गोयनका, सलीम बलवा उस्मान, सुनीता गोयनका, और नबील यूसुफ पटेल

इन व्यक्तियों पर वित्तीय विवरणों में महत्वपूर्ण जानकारियों को छुपाने और PBPL की वित्तीय स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का आरोप लगा है।

पिछली नियामकीय कार्रवाइयों से संबंध

यह कार्रवाई डीबी रियल्टी के खिलाफ नियामकीय सख्ती के एक पैटर्न को दर्शाती है। दिसंबर 2024 में, राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) ने हरिभक्ति एंड कंपनी LLP के दो लेखा परीक्षकों पर ₹8 लाख का जुर्माना लगाया था। इन लेखा परीक्षकों को वित्त वर्ष 2015-16 में डीबी रियल्टी के ऑडिट के दौरान पेशेवर लापरवाही और पर्याप्त ऑडिट साक्ष्य एकत्र करने में विफलता के लिए दोषी पाया गया था।

निवेशकों के लिए क्या मायने रखता है?

निवेशकों को इस नियामकीय कार्रवाई के प्रति सतर्क रहना चाहिए क्योंकि यह डीबी रियल्टी की पारदर्शिता और कॉर्पोरेट गवर्नेंस में गंभीर कमियों को उजागर करता है। यह जुर्माना दर्शाता है कि वित्तीय रिपोर्टिंग और खुलासे में उच्च मानकों का पालन करना आवश्यक है। इस घटनाक्रम का कंपनी के शेयर प्रदर्शन पर भी प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए निवेशकों को इस पर लगातार नज़र बनाए रखनी चाहिए।

एथलेटिक एसोसिएशन ने ट्रंप के आदेश पर महिलाओं के खेल में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगाया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार, 5 फरवरी 2025 को “नो मेन इन विमेंस स्पोर्ट्स एक्जीक्यूटिव ऑर्डर” पर हस्ताक्षर किए। यह आदेश ट्रांसजेंडर महिलाओं और लड़कियों को महिला खेलों में भाग लेने से प्रतिबंधित करता है। यह ट्रंप प्रशासन का 20 जनवरी 2025 को कार्यभार संभालने के बाद ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ चौथा कार्यकारी आदेश है।

ट्रंप के कार्यकारी आदेश का औचित्य

  1. महिला खेलों में ‘जैविक लिंग’ की रक्षा
    • व्हाइट हाउस में महिला एथलीटों के साथ खड़े होकर ट्रंप ने कहा कि कट्टर वामपंथी समूह जैविक लिंग को समाप्त कर ट्रांसजेंडर विचारधारा को थोपना चाहते हैं।
    • उन्होंने दावा किया, “इस कार्यकारी आदेश के साथ, महिलाओं के खेलों पर चल रहा युद्ध समाप्त हो गया है।”
    • ट्रंप का तर्क है कि ट्रांसजेंडर महिलाओं (जो जन्म से पुरुष होती हैं) को महिला खेलों में भाग लेने की अनुमति देना अनुचित लाभ देता है, जिससे जैविक महिलाओं के अवसर छिनते हैं।
  2. ट्रांस एथलीटों को लेकर भ्रामक दावे
    • ट्रंप ने अपने भाषण में पुरुष-जनित एथलीटों द्वारा महिला खिलाड़ियों की जीत ‘चुराने’ का उदाहरण दिया।
    • उन्होंने गलती से दावा किया कि अल्जीरियाई महिला मुक्केबाज इमाने खलीफ, जिन्हें अगस्त 2024 में पेरिस ओलंपिक में लिंग जांच का सामना करना पड़ा था, जन्म से पुरुष थीं।

कार्यकारी आदेश का कार्यान्वयन

  1. बाइडेन प्रशासन की टाइटल IX सुरक्षा को समाप्त करना
    • इस आदेश के तहत बाइडेन प्रशासन की वह नीति रद्द कर दी गई है, जो ट्रांसजेंडर छात्रों को उनके लिंग पहचान के अनुसार स्कूल खेलों में भाग लेने की अनुमति देती थी।
    • अब स्कूलों को ट्रांस लड़कियों और महिलाओं को महिला खेल टीमों में शामिल करने से रोक दिया जाएगा।
    • ट्रांसजेंडर छात्रों को स्कूलों में महिला शौचालयों के उपयोग की अनुमति भी नहीं होगी।
    • अमेरिकी शिक्षा विभाग उल्लंघन की जांच करेगा और गैर-अनुपालन करने वाले स्कूलों की संघीय फंडिंग काटी जा सकती है।
  2. खेल संगठनों के साथ सहयोग
    • ट्रंप प्रशासन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) सहित खेल संगठनों के साथ मिलकर महिला खेल श्रेणियों से ट्रांसजेंडर महिलाओं को बाहर रखने के लिए काम करेगा।
    • यह आदेश अमेरिकी वीज़ा नीतियों को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे ट्रांसजेंडर महिला एथलीटों को अमेरिका में महिला खेलों में भाग लेने से रोका जा सकता है।
    • व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के अनुसार, अमेरिका में महिला खेलों में भाग लेने के लिए प्रवेश करने वाली विदेशी ट्रांसजेंडर एथलीटों की ‘धोखाधड़ी’ की जांच की जाएगी।

अमेरिका के बाद अब अर्जेंटीना ने भी WHO से बाहर निकलने का फैसला किया

अर्जेंटीना ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर निकलने की घोषणा की है, जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इसी तरह के फैसले के बाद हुआ है। राष्ट्रपति जेवियर मिलेई की सरकार ने WHO की स्वास्थ्य नीतियों, विशेष रूप से COVID-19 महामारी के प्रबंधन को लेकर गहरी असहमति जताई है। इस निर्णय ने अर्जेंटीना की वैश्विक स्थिति, स्वास्थ्य नीति और WHO की विश्वसनीयता पर प्रभाव को लेकर बहस छेड़ दी है। आलोचकों का कहना है कि यह फैसला कांग्रेस की मंजूरी के बिना पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो सकता और इससे अर्जेंटीना की स्वास्थ्य प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।

अर्जेंटीना के WHO से बाहर निकलने के प्रमुख बिंदु

निर्णय और घोषणा

अर्जेंटीना ने बुधवार को WHO से बाहर निकलने की घोषणा की। राष्ट्रपति प्रवक्ता मैनुअल एदोर्नी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फैसले की पुष्टि की। विदेश मंत्री गेरार्डो वर्थेइन को आधिकारिक रूप से निकासी प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया गया है।

वजहें

राष्ट्रपति जेवियर मिलेई ने WHO की स्वास्थ्य नीतियों और प्रबंधन को लेकर गहरी असहमति व्यक्त की। अर्जेंटीना सरकार ने COVID-19 महामारी के दौरान WHO की भूमिका की आलोचना की। संगठन की राजनीतिक स्वतंत्रता और बाहरी प्रभाव को लेकर भी सवाल उठाए गए। पिछले वामपंथी सरकार द्वारा लगाए गए लंबे लॉकडाउन भी इस फैसले की एक बड़ी वजह बताए जा रहे हैं।

अमेरिकी नीति के साथ मेल

मिलेई अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का अनुसरण करते हैं और उन्हें अपना राजनीतिक सहयोगी मानते हैं। ट्रंप ने जनवरी 2025 में दोबारा राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद अमेरिका को WHO से बाहर कर लिया था। दोनों नेताओं ने WHO की महामारी प्रबंधन और वित्तीय नीतियों की कड़ी आलोचना की थी।

कानूनी और स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव

विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला कांग्रेस की मंजूरी के बिना कानूनी रूप से प्रभावी नहीं होगा। आलोचकों के अनुसार, इसे कानूनी रूप से पारित कराने की आवश्यकता है। इस निर्णय से अर्जेंटीना की चिकित्सा आपूर्ति और स्वास्थ्य तकनीकों तक पहुंच प्रभावित हो सकती है। मिलेई सरकार पहले ही स्वास्थ्य बजट में कटौती कर चुकी है, जिससे टीकाकरण कार्यक्रमों में कमी और स्वास्थ्य क्षेत्र में छंटनी देखी गई है।

WHO पर प्रभाव

अमेरिका WHO का सबसे बड़ा दाता है, जो वार्षिक $950 मिलियन (कुल बजट का 15%) का योगदान करता है। अर्जेंटीना का योगदान मात्र $8 मिलियन है, जो वित्तीय रूप से WHO को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा। हालांकि, विशेषज्ञों को आशंका है कि अन्य देश भी अर्जेंटीना के कदम का अनुसरण कर सकते हैं, जिससे WHO की वैश्विक विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है।

वैश्विक और घरेलू प्रतिक्रियाएं

आलोचकों का कहना है कि ट्रंप की नीतियों का अंधानुकरण अर्जेंटीना के लिए फायदेमंद नहीं हो सकता। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका पर अत्यधिक निर्भरता अर्जेंटीना के आर्थिक हितों के लिए जोखिमभरी हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता है कि यह निर्णय अर्जेंटीना की पहले से संकटग्रस्त स्वास्थ्य प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है।

क्यों चर्चा में है? अमेरिका के बाद अर्जेंटीना ने WHO से नाता तोड़ा
वजह WHO की नीतियों, विशेष रूप से COVID-19 प्रबंधन पर असहमति
प्रमुख व्यक्ति राष्ट्रपति जेवियर मिलेई, विदेश मंत्री गेरार्डो वर्थेइन, प्रवक्ता मैनुअल एदोर्नी
अमेरिकी प्रभाव डोनाल्ड ट्रंप के WHO से बाहर निकलने के फैसले का अनुसरण
कानूनी अड़चनें WHO सदस्यता अर्जेंटीना के कानून का हिस्सा है, कांग्रेस की मंजूरी जरूरी
स्वास्थ्य प्रभाव चिकित्सा आपूर्ति और WHO कार्यक्रमों तक पहुंच प्रभावित होने की आशंका
WHO के बजट पर प्रभाव नगण्य वित्तीय असर, अर्जेंटीना का वार्षिक योगदान मात्र $8 मिलियन
वैश्विक चिंताएं अन्य देशों के भी WHO से बाहर होने की संभावना, संगठन की विश्वसनीयता पर असर
घरेलू प्रतिक्रियाएं विशेषज्ञों और विपक्ष की आलोचना, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चिंता

फूड और ड्रिंक कैटेगरी में Zepto दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा डाउनलोड किए जाने वाला App बना

भारतीय क्विक कॉमर्स स्टार्टअप Zepto ने वैश्विक स्तर पर फूड और ड्रिंक्स कैटेगरी में दूसरा स्थान हासिल किया है। Sensor Tower की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, Zepto ने KFC और Domino’s जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स को पीछे छोड़ दिया है, जबकि McDonald’s पहले स्थान पर रहा। यह उपलब्धि भारत के तेज़ी से बढ़ते क्विक कॉमर्स सेक्टर को दर्शाती है, जहां Blinkit, Zomato और Swiggy भी शीर्ष 10 में शामिल हैं। Zepto की सफलता का श्रेय 2024 की दूसरी छमाही में 300% ग्रोथ और “बाय नाउ, पे लेटर” फीचर को जाता है।

मुख्य बिंदु

Zepto की वैश्विक सफलता

  • Zepto दुनिया में दूसरा सबसे ज्यादा डाउनलोड किया गया फूड और ड्रिंक ऐप बना।
  • McDonald’s पहले स्थान पर, जबकि KFC, Domino’s और Burger King अन्य शीर्ष ब्रांड्स में शामिल।
  • Zepto के प्रतिस्पर्धी Blinkit ने 10वां स्थान प्राप्त किया।
  • अन्य भारतीय ऐप्स:
    • Zomato (#5)
    • Swiggy (#9)

भारत में क्विक कॉमर्स का उछाल

  • Zepto के डाउनलोड में 2024 की दूसरी छमाही में 300% की वृद्धि हुई।
  • “बाय नाउ, पे लेटर” फीचर ने ग्राहकों की भागीदारी को बढ़ाया।
  • Q4 2024 में Zepto के मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता (MAU) पहली बार Blinkit से आगे निकले।
  • Sensor Tower की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत में फूड और ड्रिंक ऐप्स के डाउनलोड 43% बढ़कर 353 मिलियन तक पहुंच गए।

निवेश और विस्तार योजनाएं

  • Zepto ने नवंबर 2024 में $350 मिलियन जुटाए, जबकि अगस्त 2024 में $340 मिलियन की फंडिंग मिली।
  • कंपनी की कुल फंडिंग अब $1.95 बिलियन हो चुकी है।
  • विस्तार की पहल:
    • तत्काल रिटर्न और एक्सचेंज सुविधा (चयनित उत्पादों के लिए)।
    • चेन्नई में महिलाओं के लिए विशेष डार्क स्टोर लॉन्च।
    • IPO साइज को $800M–$1B तक बढ़ाने और FY26 तक $5.5B सेल्स टारगेट की योजना।

भारतीय ऐप्स की वैश्विक रैंकिंग में धाक

  • रिटेल: रिटेल ऐप डाउनलोड में मीशो वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर रहा और फ्लिपकार्ट ने छठा स्थान हासिल किया।
  • वीडियो स्ट्रीमिंग: क्रिकेट प्रसारण अधिकारों की बदौलत जियोसिनेमा नेटफ्लिक्स के बाद दूसरे स्थान पर रहा।
  • फाइनेंस ऐप: फोनपे ने वित्तीय सेवा ऐप डाउनलोड में वैश्विक स्तर पर अपना पहला स्थान बरकरार रखा और पेटीएम और बजाज फिनसर्व भी शीर्ष 10 में रहे।
  • यात्रा: रैपिडो वैश्विक यात्रा ऐप डाउनलोड में शीर्ष 10 में शामिल हुआ।
  • खेल: ड्रीम11 2024 में दुनिया का सबसे ज़्यादा डाउनलोड किया जाने वाला स्पोर्ट्स ऐप था।
  • क्रिप्टोकरेंसी: भारत वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी ऐप सेशन में 2024 में 26% वृद्धि के साथ 8वें स्थान पर रहा और जर्मनी 91% वृद्धि दर के साथ सबसे आगे रहा।

Zepto की यह उपलब्धि भारतीय स्टार्टअप्स के लिए वैश्विक पहचान को और मजबूत करती है।

श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? Zepto दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा डाउनलोड किया गया फूड और ड्रिंक ऐप बना।
फूड और ड्रिंक ऐप्स (टॉप 10) 1. McDonald’s 2. Zepto 3. KFC 4. Domino’s 5. Zomato 6. Burger King 7. Grab 8. Uber Eats 9. Swiggy 10. Blinkit
रिटेल ऐप्स 1. Shein 2. Temu 3. Meesho 6. Flipkart
वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप्स 1. Netflix 2. JioCinema
फाइनेंस ऐप्स 1. PhonePe (टॉप 10 में Paytm, Bajaj Finserv भी शामिल)
यात्रा ऐप्स टॉप 10 में Rapido शामिल
स्पोर्ट्स ऐप्स 1. Dream11
क्रिप्टो ऐप सेशंस (2024 ग्रोथ) 1. जर्मनी (91%) 2. इंडोनेशिया (54%) 8. भारत (26%)

लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक में शीर्ष 25 देशों में होगा भारत

भारत PM गति शक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति जैसी पहलों के माध्यम से अपने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। वर्तमान में विश्व बैंक की लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) में 38वें स्थान पर काबिज भारत का लक्ष्य 2030 तक शीर्ष 25 देशों में स्थान बनाना है। बढ़ते बुनियादी ढांचे, नीति-संचालित सुधारों और मल्टी-मोडल परिवहन की मदद से, यह क्षेत्र 2029 तक $484.43 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। सरकार का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को GDP के 13-14% से घटाकर सिंगल डिजिट में लाना है।

मुख्य बिंदु

  • भारत की मौजूदा रैंक139 देशों में 38वां स्थान, 2030 तक शीर्ष 25 में पहुंचने का लक्ष्य।
  • PM गति शक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति – लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाने के मुख्य स्तंभ।
  • बाजार विकास – भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र 8.8% वार्षिक वृद्धि के साथ 2029 तक $484.43 बिलियन तक पहुंचेगा।
  • बुनियादी ढांचा निवेश₹11.17 लाख करोड़ की लागत से 434 परियोजनाएं PM गति शक्ति के तहत विकसित की जा रही हैं।
  • ऊर्जा, खनिज, सीमेंट, बंदरगाह संपर्क, और उच्च-यातायात गलियारों पर विशेष ध्यान।

लागत में कमी का लक्ष्य – लॉजिस्टिक्स लागत को GDP के 13-14% से घटाकर सिंगल डिजिट तक लाने की योजना।

मल्टी-मोडल परिवर्तन

  • तेज रफ्तार सड़कों, हाइपरलूप और नए हवाई अड्डों का निर्माण, जिससे यात्रा समय 66% तक घटेगा

अन्य अपेक्षाएं

  • भारत की आर्थिक वृद्धि2026 तक जापान को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना।
  • निजी-सार्वजनिक भागीदारी – लॉजिस्टिक्स के बुनियादी ढांचे में अत्याधुनिक तकनीक और नवाचारों पर जोर।
  • इवेंट घोषणाLogiMAT India 2025 (13-15 फरवरी, मुंबई) में लॉजिस्टिक्स नवाचारों का प्रदर्शन किया जाएगा।

सरकार की ये पहल भारत को एक वैश्विक लॉजिस्टिक्स हब बनाने में मदद करेंगी और आर्थिक विकास को गति देंगी।

विषय विवरण
क्यों चर्चा में? भारत का लक्ष्य 2030 तक वैश्विक लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन इंडेक्स (LPI) में शीर्ष 25 में शामिल होना
LPI रैंक (वर्तमान और लक्ष्य) 38वां (2024)शीर्ष 25 (2030)
प्रमुख सरकारी पहल PM गति शक्ति, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति
वृद्धि दर 8.8% प्रति वर्ष
अनुमानित बाजार आकार (2029 तक) $484.43 बिलियन
लॉजिस्टिक्स लागत में कमी का लक्ष्य GDP के 13-14% से घटाकर सिंगल डिजिट (2030 तक)
बुनियादी ढांचा निवेश ₹11.17 लाख करोड़ (434 परियोजनाएं)
सुधार के लिए प्रमुख क्षेत्र ऊर्जा, खनिज, सीमेंट, बंदरगाह संपर्क, उच्च-यातायात गलियारे
यातायात समय में कमी 66% (हाई-स्पीड सड़कों, हाइपरलूप और नए हवाई अड्डों के माध्यम से)
भारत की वैश्विक आर्थिक रैंकिंग (2026) जापान को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद

SBI Q3 results: नेट प्रॉफिट 84% उछलकर ₹16,891 करोड़ हुआ, ब्याज से इनकम 4% बढ़ी

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (Q3 FY25) में 84% की सालाना वृद्धि के साथ ₹16,891 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो बाजार की अपेक्षाओं से अधिक रहा। बैंक की शुद्ध ब्याज आय (NII) 4% बढ़कर ₹41,446 करोड़ हो गई, जबकि कर्मचारियों के खर्च में 17% की गिरावट आई।

SBI Q3 FY25 प्रदर्शन की प्रमुख बातें

वित्तीय प्रदर्शन

  • शुद्ध लाभ: 84% वृद्धि के साथ ₹16,891 करोड़ (Q3FY24: ₹9,164 करोड़)।
  • शुद्ध ब्याज आय (NII): 4% वृद्धि के साथ ₹41,446 करोड़ (Q3FY24: ₹39,816 करोड़)।
  • कर्मचारी खर्च: 17% की गिरावट के साथ ₹16,074 करोड़।
  • परिचालन लाभ: 20% तिमाही गिरावट।
  • प्रावधान: ₹911 करोड़, जो पिछले वर्ष से अधिक लेकिन पिछली तिमाही से कम है।

शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIMs)

  • संपूर्ण बैंक NIM (9MFY25): 3.12% (Q3FY25: 3.01%)।
  • घरेलू NIM (9MFY25): 3.25% (Q3FY25: 3.15%)।

ऋण गुणवत्ता में सुधार

  • सकल NPA अनुपात घटकर 2.07% हुआ (Q2FY25: 2.13%)।
  • शुद्ध NPA अनुपात 0.53% पर स्थिर रहा।
  • प्रावधान कवरेज अनुपात (PCR) 74.66% (49 आधार अंक की सालाना वृद्धि)।
  • स्लिपेज अनुपात Q3FY25 में घटकर 0.39% (9MFY25: 0.59%) हुआ।

ऋण वृद्धि और अग्रिम

  • कुल सकल अग्रिम (Gross Advances) 13.49% वृद्धि के साथ ₹40.68 लाख करोड़।
  • घरेलू कॉर्पोरेट अग्रिम: ₹11.76 लाख करोड़।
  • खुदरा व्यक्तिगत ऋण: 11.65% वृद्धि के साथ ₹14.47 लाख करोड़।

जमा वृद्धि

  • कुल जमा 9.81% वृद्धि के साथ ₹52.3 लाख करोड़।
  • घरेलू CASA (चालू और बचत खाता): 4.46% वृद्धि के साथ ₹19.65 लाख करोड़।
  • घरेलू सावधि जमा: 13.47% वृद्धि के साथ ₹30.49 लाख करोड़।
  • CASA अनुपात Q3FY25 में घटकर 39.20% हो गया (Q3FY24: 41.18%)।

SBI ने मजबूत ऋण वृद्धि, बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता, और उच्च जमा संग्रहण के साथ मजबूत वित्तीय स्थिति दिखाई है, हालांकि CASA अनुपात में मामूली गिरावट आई है।

बदल गया ‘Zomato’ का नाम, कंपनी के बोर्ड ने दी मंजूरी

फूड और डिलीवरी दिग्गज Zomato ने एक बड़े कॉर्पोरेट रीब्रांडिंग की घोषणा की है, जिसके तहत कंपनी का नाम बदलकर “Eternal” कर दिया गया है। यह बदलाव 6 फरवरी 2025 से प्रभावी होगा। यह रीब्रांडिंग कंपनी के दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जिसमें इसके विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों को एक ही छत्रछाया में लाया जाएगा।

Zomato ने 2022 से ही आंतरिक रूप से “Eternal” नाम का उपयोग करना शुरू कर दिया था, जो उसके व्यापारिक दृष्टिकोण में परिवर्तन का संकेत था। इस नई पहचान के तहत चार प्रमुख व्यावसायिक इकाइयों को एकीकृत किया जाएगा, जिससे संचालन में तालमेल बेहतर होगा, हालांकि फूड डिलीवरी के लिए Zomato ब्रांड बरकरार रहेगा।

Zomato ने अपना नाम “Eternal” क्यों बदला?

आंतरिक पहचान को औपचारिक रूप देना
2022 में नाम परिवर्तन की अटकलें शुरू हुई थीं, लेकिन उस समय CEO दीपिंदर गोयल ने इसे केवल एक आंतरिक कोडनेम बताया था। अब, कंपनी के विस्तार और विविधीकरण के साथ, नई ब्रांड पहचान आवश्यक हो गई थी

व्यवसाय विस्तार को मजबूत करना
Zomato अब सिर्फ फूड डिलीवरी तक सीमित नहीं है; कंपनी क्विक कॉमर्स, B2B सप्लाई चेन और लाइव इवेंट्स जैसे क्षेत्रों में भी काम कर रही है। Eternal नाम दीर्घकालिक विकास रणनीति और निवेशकों के हितों के अनुरूप है।

क्विक-कॉमर्स ग्रोथ में निवेशकों का विश्वास
2022 में Blinkit का अधिग्रहण करने पर कई निवेशकों को संदेह था, लेकिन अब क्विक-कॉमर्स Zomato के विकास का प्रमुख कारक बन गया है। रीब्रांडिंग से Blinkit की बढ़ती भूमिका को दर्शाया गया है, जिससे कंपनी के विविध राजस्व स्रोतों पर निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।

Eternal में क्या-क्या शामिल होगा? – चार प्रमुख बिजनेस यूनिट्स

Eternal Ltd के तहत चार मुख्य व्यवसायिक इकाइयों को समेकित किया जाएगा:

बिजनेस यूनिट विवरण
1. Zomato मूल फूड डिलीवरी और रेस्टोरेंट डिस्कवरी प्लेटफॉर्म, जो अपने मौजूदा ब्रांड नाम से काम करता रहेगा।
2. Blinkit क्विक-कॉमर्स यूनिट, जो मिनटों में किराना और आवश्यक वस्तुएं डिलीवर करता है। Eternal के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
3. Hyperpure B2B सप्लाई चेन बिजनेस, जो रेस्टोरेंट्स को रसोई का सामान, ताज़ी उपज और पैकेज्ड उत्पाद उपलब्ध कराता है।
4. District लाइव इवेंट्स और लॉजिस्टिक्स बिजनेस, जो मनोरंजन, कॉन्सर्ट्स और सांस्कृतिक आयोजनों पर केंद्रित है।

ग्राहकों और निवेशकों के लिए क्या बदलेगा?

ग्राहकों के लिए

  • Zomato ऐप का नाम नहीं बदलेगा, इसलिए फूड डिलीवरी का अनुभव जस का तस रहेगा।
  • Blinkit, Hyperpure और District अपने मौजूदा नामों से काम करना जारी रखेंगे।

निवेशकों के लिए

  • कंपनी का स्टॉक ‘Zomato’ से ‘Eternal’ में अपडेट होगा, जिससे इसके विविध व्यावसायिक कार्यों को प्रतिबिंबित किया जाएगा।
  • Blinkit और क्विक-कॉमर्स को अब दीर्घकालिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कारक माना जा रहा है, जिससे 2022 के Blinkit अधिग्रहण को लेकर निवेशकों की शंकाएं कम हो रही हैं

RBI ने सुरक्षित डिजिटल बैंकिंग के लिए ‘Bank.in’ और ‘Fin.in’ लॉन्च किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल बैंकिंग की साइबर सुरक्षा और ग्राहकों के विश्वास को बढ़ाने के लिए भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए विशेष इंटरनेट डोमेन नाम जारी करने की घोषणा की है। अब भारतीय बैंकों के लिए ‘Bank.in’ और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFCs) के लिए ‘Fin.in’ डोमेन निर्धारित किया गया है।

यह घोषणा RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा वित्तीय वर्ष की अंतिम द्वि-मासिक मौद्रिक नीति बैठक में की गई। इसका उद्देश्य साइबर धोखाधड़ी को कम करना, फ़िशिंग हमलों को रोकना और सुरक्षित वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा देना है।

‘Bank.in’ और ‘Fin.in’ डोमेन क्यों जरूरी हैं?

डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन वित्तीय सेवाओं की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता के कारण साइबर धोखाधड़ी, फ़िशिंग हमलों और नकली वित्तीय वेबसाइटों में वृद्धि हुई है। कई जालसाज नकली बैंकिंग वेबसाइट बनाकर ग्राहकों को ठगने और संवेदनशील वित्तीय जानकारी चुराने की कोशिश करते हैं।

इस खतरे को कम करने के लिए, RBI ने सभी वित्तीय संस्थानों के लिए विशिष्ट डोमेन नाम शुरू करने का निर्णय लिया, जिससे ग्राहकों और व्यवसायों के लिए सुरक्षित डिजिटल पहचान सुनिश्चित की जा सके।

‘Bank.in’ और ‘Fin.in’ डोमेन की प्रमुख विशेषताएँ

1. ‘Bank.in’ डोमेन – भारतीय बैंकों के लिए

  • सभी पंजीकृत भारतीय बैंकों की आधिकारिक वेबसाइट अब ‘Bank.in’ डोमेन के तहत होगी।
  • अप्रैल 2025 से ‘Bank.in’ के लिए पंजीकरण शुरू होंगे, जिन्हें RBI नियंत्रित करेगा।
  • इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (IDRBT) इस डोमेन का विशेष रजिस्ट्रार होगा।
  • फ़िशिंग हमलों को रोकने, साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और डिजिटल बैंकिंग में विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी।

2. ‘Fin.in’ डोमेन – गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के लिए

  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFCs), फिनटेक फर्म और अन्य वित्तीय संस्थान ‘Fin.in’ डोमेन का उपयोग करेंगे।
  • यह डोमेन वैध वित्तीय कंपनियों को नकली वेबसाइटों से अलग करने और वित्तीय लेनदेन की सुरक्षा बढ़ाने में मदद करेगा।
  • ‘Fin.in’ के कार्यान्वयन की समय-सीमा चरणबद्ध तरीके से घोषित की जाएगी।

साइबर सुरक्षा और डिजिटल भुगतान पर प्रभाव

1. डिजिटल बैंकिंग सुरक्षा को मजबूत करना

  • नए डोमेन सिस्टम से बैंक और वित्तीय संस्थान साइबर धोखाधड़ी और फ़िशिंग हमलों से सुरक्षित रहेंगे
  • ग्राहक किसी भी बैंक की वेबसाइट की प्रामाणिकता ‘.Bank.in’ डोमेन से आसानी से सत्यापित कर सकेंगे

2. ऑनलाइन वित्तीय लेनदेन में विश्वास बढ़ाना

  • सुरक्षित डोमेन नामों के माध्यम से ग्राहक डिजिटल लेनदेन बिना धोखाधड़ी के डर से कर सकेंगे
  • वित्तीय संस्थाएँ RBI की साइबर सुरक्षा नीतियों का पालन सुनिश्चित कर सकेंगी

3. सुरक्षित वित्तीय सेवाओं को सुव्यवस्थित करना

  • विशेष डोमेन से सही बैंकिंग और वित्तीय सेवा प्रदाताओं की पहचान करना आसान होगा
  • यह पहल भारत में डिजिटल बैंकिंग ऑपरेशनों को एक सुरक्षित और मानकीकृत वातावरण प्रदान करेगी

अंतरराष्ट्रीय कार्ड लेनदेन के लिए दो-स्तरीय प्रमाणीकरण (AFA)

‘Bank.in’ और ‘Fin.in’ डोमेन के साथ-साथ, RBI ने अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन लेनदेन की सुरक्षा बढ़ाने के लिए ‘Additional Factor of Authentication (AFA)’ लागू करने की योजना बनाई है।

AFA (अतिरिक्त प्रमाणीकरण कारक) क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

  • AFA एक सुरक्षा उपाय है, जिसमें ऑनलाइन लेनदेन के दौरान एक अतिरिक्त सत्यापन चरण आवश्यक होता है।
  • भारत में घरेलू ऑनलाइन भुगतान के लिए AFA पहले से अनिवार्य है, जिससे डिजिटल लेनदेन सुरक्षित रहता है।
  • हालांकि, अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन लेनदेन में भारतीय कार्डों पर AFA लागू नहीं था, जिससे धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती थी।

AFA से सुरक्षा कैसे बढ़ेगी?

  • अब अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में भी AFA अनिवार्य किया जाएगा
  • यदि विदेशी व्यापारी AFA सक्षम होगा, तो भारतीय ग्राहकों को एक अतिरिक्त प्रमाणीकरण चरण पूरा करना होगा
  • इस नए नियम के लिए RBI जल्द ही मसौदा परिपत्र (Draft Circular) जारी करेगा और हितधारकों से सुझाव मांगेगा।

निष्कर्ष

भारतीय रिज़र्व बैंक की यह पहल डिजिटल बैंकिंग सुरक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। विशेष रूप से ‘Bank.in’ और ‘Fin.in’ डोमेन से ग्राहकों के लिए वैध वित्तीय संस्थानों की पहचान करना आसान होगा, जिससे साइबर धोखाधड़ी में कमी आएगी

इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय कार्ड लेनदेन में AFA लागू करने से भारतीय कार्डधारकों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा मिलेगी। यह कदम डिजिटल लेनदेन को अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

हिमाचल प्रदेश ने भांग की खेती की पायलट परियोजना शुरू की

हिमाचल प्रदेश सरकार ने बढ़ती मांग और वैश्विक स्तर पर भांग (कैनबिस) की औषधीय, कृषि और औद्योगिक उपयोगिता को मान्यता देते हुए एक पायलट परियोजना को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में यह परियोजना राज्य में भांग की खेती की संभावनाओं का मूल्यांकन करेगी, विशेष रूप से इसके औषधीय और औद्योगिक उपयोगों पर ध्यान केंद्रित करेगी।

मुख्य बिंदु

पायलट परियोजना का शुभारंभ

  • हिमाचल प्रदेश में औषधीय और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए नियंत्रित भांग की खेती शुरू।
  • परियोजना को चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर और डॉ. वाई.एस. परमार उद्यानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (सोलन) का समर्थन प्राप्त।

वैश्विक मान्यता

  • हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली भांग को अब वैश्विक स्तर पर कृषि, औषधीय और औद्योगिक फायदों के लिए मान्यता मिल रही है।
  • कनाडा, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भांग की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।

ऐतिहासिक संदर्भ

  • हिमाचल प्रदेश में 1985 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम के तहत प्रतिबंध से पहले भांग की खेती आम थी।
  • प्रतिबंध के बावजूद, राज्य के कुछ जिलों में अवैध रूप से इसकी खेती जारी है।

औद्योगिक और औषधीय लाभ

  • भांग को आज “ट्रिलियन-डॉलर फसल” माना जाता है क्योंकि इसका उपयोग रेशे, बीज, बायोमास सहित कई रूपों में किया जाता है।
  • वैश्विक बाजार में 25,000 से अधिक उत्पादों में भांग का उपयोग होता है, जिसमें 100+ कैनाबिनोइड्स शामिल हैं, जैसे CBD (ग़ैर-नशीला) और THC (नशीला)।

स्थानीय समर्थन और विरोध

  • संथ राम जैसे समर्थकों ने भांग की खेती को पुनर्जीवित करने की मांग की है, इसे आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया है।
  • उनका मानना है कि अंतरराष्ट्रीय शराब लॉबी ने भांग को लेकर नकारात्मक धारणा बनाई।
  • गुमान सिंह जैसे आलोचकों का कहना है कि जो देश पहले भांग पर प्रतिबंध लगा रहे थे, वही अब इसकी खेती को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएं

  • पायलट परियोजना सफल होने पर हिमाचल प्रदेश में वृहद स्तर पर भांग की खेती का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
  • सरकार को आर्थिक लाभ और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव के बीच संतुलन बनाना होगा।
क्यों चर्चा में? हिमाचल प्रदेश ने भांग की खेती पर पायलट परियोजना शुरू की
पायलट परियोजना की शुरुआत 24 जनवरी को हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा औषधीय और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती को लेकर स्वीकृत।
सहयोगी संस्थान चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर और डॉ. वाई.एस. परमार उद्यानिकी विश्वविद्यालय, नौणी
वैश्विक मान्यता भांग को औषधीय, औद्योगिक और कृषि उपयोग के लिए वैश्विक स्तर पर बढ़ती स्वीकृति मिल रही है।
ऐतिहासिक संदर्भ 1985 में NDPS अधिनियम के तहत प्रतिबंध से पहले हिमाचल में भांग की खेती आम थी; अवैध खेती अब भी जारी।
औद्योगिक और औषधीय लाभ भांग का उपयोग रेशे, बीज और कैनाबिनोइड्स में किया जाता है, और इसका वैश्विक बाजार ट्रिलियन-डॉलर का है।
स्थानीय समर्थन संथ राम जैसे कार्यकर्ताओं ने भांग की खेती को आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण बताया।
सांस्कृतिक प्रभाव पारंपरिक रूप से भांग का उपयोग रेशे और खाद्य पदार्थों में किया जाता था, लेकिन 1990 के दशक में मनोरंजक उपयोग बढ़ा।
वैश्विक प्रवृत्तियां यूरोपीय और अमेरिकी देश, जो कभी भांग पर प्रतिबंध लगाते थे, अब इसकी कानूनी खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।
भविष्य की संभावनाएं यदि पायलट परियोजना सफल होती है, तो यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकती है, लेकिन सांस्कृतिक और ऐतिहासिक चिंताओं का समाधान भी आवश्यक होगा।

महासागर समन्वय तंत्र का लक्ष्य कैरेबियाई और उत्तरी ब्राजील शेल्फ की रक्षा करना

महासागर, जो पृथ्वी की सतह का 70% से अधिक भाग कवर करते हैं, जलवायु को संतुलित करने और अरबों लोगों को आजीविका एवं पोषण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, वे प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़ने, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आवास के विनाश जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। समुद्री जीवन की रक्षा करने और महासागर संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए ओशन कोऑर्डिनेशन मैकेनिज्म (OCM) जैसी नई पहलें शुरू की जा रही हैं। OCM का उद्देश्य कैरेबियन और नॉर्थ ब्राज़ील शेल्फ में जैव विविधता संरक्षण, सतत संसाधन प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने पर केंद्रित है।

मुख्य बिंदु

महासागर का महत्व

  • महासागर जलवायु को नियंत्रित करने, जैव विविधता को बनाए रखने और अरबों लोगों को भोजन और रोजगार प्रदान करने में मदद करते हैं।
  • स्वस्थ महासागर मत्स्य पालन, तटीय समुदायों और जलवायु संरक्षण के लिए आवश्यक हैं।

महासागर के लिए खतरे

  • प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़ने और प्राकृतिक आवास के विनाश से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान हो रहा है।
  • जलवायु परिवर्तन से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर और अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं।

समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Areas) की भूमिका

  • समुद्री संरक्षण क्षेत्रों का उद्देश्य महासागर पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखना है।
  • प्रभावी प्रबंधन और समन्वय की आवश्यकता है ताकि ये संरक्षण क्षेत्र अपने उद्देश्यों को पूरा कर सकें।

ओशन कोऑर्डिनेशन मैकेनिज्म (OCM) की शुरुआत

  • UNESCO के इंटरगवर्नमेंटल ओशनोग्राफिक कमीशन (IOC) द्वारा 14 जनवरी 2025 को OCM की घोषणा की गई।
  • यह कैरेबियन और नॉर्थ ब्राज़ील शेल्फ पर केंद्रित है, जो जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्र हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • यह पहल पैसिफिक आइलैंड्स रीजनल ओशन पॉलिसी (PIROP) जैसे पिछले सफल परियोजनाओं से सीखे गए अनुभवों पर आधारित है।

OCM की प्रमुख विशेषताएँ

  • जैव विविधता संरक्षण: प्रवाल भित्तियों (Coral Reefs) और मत्स्य संसाधनों की सुरक्षा, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • ब्लू कार्बन प्रोजेक्ट्स: तटीय पारिस्थितिक तंत्रों का उपयोग कार्बन भंडारण के लिए करना, जिससे पर्यावरण और समुदायों को लाभ होगा।
  • सहयोगी ढांचा (Collaborative Framework): महासागर संरक्षण के लिए एक समावेशी और स्थायी दृष्टिकोण सुनिश्चित करना, जिसमें स्पष्ट उद्देश्य और एकीकृत प्रबंधन शामिल हो।

वित्तीय सहायता और स्थिरता

  • ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी (GEF) के UNDP/GEF PROCARIBE+ प्रोजेक्ट से प्रारंभिक $15 मिलियन की निधि प्राप्त हुई।
  • GEF द्वारा $126.02 मिलियन का सह-वित्त पोषण प्रदान किया गया।
  • ग्लोबल फंड फॉर कोरल रीफ्स (GFCR) ने $225 मिलियन जुटाए, जिससे स्पष्ट होता है कि महासागर संरक्षण के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन जुटाना एक चुनौती है।

स्थानीय समुदायों की भागीदारी

  • OCM स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रयासों में शामिल करने पर जोर देता है।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान और पारंपरिक ज्ञान के समावेश से संस्कृति के अनुकूल और प्रभावी संरक्षण रणनीतियाँ विकसित की जाएंगी।
सारांश/स्थिर विवरण विवरण
क्यों चर्चा में? कैरेबियन और नॉर्थ ब्राज़ील शेल्फ की सुरक्षा के लिए ओशन कोऑर्डिनेशन मैकेनिज्म (OCM) शुरू
महासागरों की भूमिका जलवायु संतुलन, जैव विविधता संरक्षण, अरबों लोगों के लिए भोजन और रोजगार का स्रोत
महासागरों के लिए खतरे प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़ना, प्राकृतिक आवास का विनाश, जलवायु परिवर्तन
समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Areas) महासागर संरक्षण के लिए आवश्यक, लेकिन बेहतर समन्वय और प्रबंधन की जरूरत
लक्षित क्षेत्र कैरेबियन और नॉर्थ ब्राज़ील शेल्फ – जैव विविधता से समृद्ध, स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण
OCM की प्रमुख विशेषताएँ जैव विविधता संरक्षण, ब्लू कार्बन प्रोजेक्ट्स, सहयोगी ढांचा, सतत और समावेशी दृष्टिकोण
पिछली पहलें PIROP से सीखे गए सबक; PIROP की अस्पष्ट रणनीति और असमान संसाधन पहुंच की चुनौतियों को हल करने का प्रयास
वित्तीय निवेश GEF से प्रारंभिक $15 मिलियन और $126.02 मिलियन का सह-वित्त पोषण
वित्त पोषण की चुनौती ग्लोबल फंड फॉर कोरल रीफ्स (GFCR) ने $225 मिलियन जुटाए; OCM के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन जुटाने की चिंता
समुदाय की भागीदारी पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान का समावेश, सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त संरक्षण रणनीतियाँ

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