आरबीआई ने लॉन्च किया ‘आरबीडाटा’ ऐप

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने RBIDATA नामक एक नया मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित वृहद आर्थिक और वित्तीय डेटा तक आसान पहुंच प्रदान करता है। यह ऐप शोधकर्ताओं, छात्रों, नीति-निर्माताओं और आम जनता के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है, जिससे वे 11,000 से अधिक आर्थिक डेटा श्रृंखलाओं का अध्ययन कर सकते हैं।

RBIDATA का मुख्य उद्देश्य उपयोगकर्ताओं के लिए आर्थिक आंकड़ों को सुव्यवस्थित और इंटरैक्टिव तरीके से प्रस्तुत करना है। यह ऐप iOS और Android (संस्करण 12 और उससे ऊपर) के लिए उपलब्ध है और सीधे RBI के Database on Indian Economy (DBIE) से जुड़ा हुआ है, जिससे आर्थिक डेटा तक पहुंच पहले से कहीं अधिक आसान हो गई है।

RBIDATA से आर्थिक डेटा तक पहुंच कैसे आसान हुई?

RBIDATA डाटा पारदर्शिता और पहुंच को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस ऐप में कई विशेषताएँ हैं, जो उपयोगकर्ताओं को आर्थिक जानकारी तक आसान पहुंच और विश्लेषण करने में मदद करती हैं:

  • विस्तृत आर्थिक डेटा संग्रह: उपयोगकर्ता 11,000+ डेटा श्रृंखलाओं का पता लगा सकते हैं, जो विभिन्न आर्थिक पहलुओं को कवर करती हैं।
  • इंटरएक्टिव विज़ुअलाइज़ेशन: ग्राफ़ और चार्ट के माध्यम से समय-श्रृंखला डेटा का विश्लेषण किया जा सकता है, जिससे वित्तीय रुझानों को समझना आसान हो जाता है।
  • त्वरित खोज और रिपोर्ट्स: शक्तिशाली सर्च फीचर के माध्यम से उपयोगकर्ता आवश्यक डेटा खोज सकते हैं, और “लोकप्रिय रिपोर्ट्स” सेक्शन में अक्सर एक्सेस की जाने वाली रिपोर्ट उपलब्ध रहती हैं।
  • बैंकिंग सुविधा लोकेटर: उपयोगकर्ता 20 किमी की सीमा के भीतर बैंक शाखाएँ और वित्तीय सुविधाएँ ढूंढ सकते हैं, जिससे बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच में सुधार होगा।
  • SAARC आर्थिक डेटा: इस ऐप में SAARC देशों के वित्तीय आंकड़े भी उपलब्ध हैं, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक तुलना संभव होगी।

RBIDATA की खासियत क्या है?

RBIDATA की सबसे बड़ी खासियत इसका सरल और उपयोगकर्ता-अनुकूल डिज़ाइन है। उपयोगकर्ताओं को जटिल टेबल्स और दस्तावेज़ों में नहीं भटकना पड़ता, बल्कि वे संरचित प्रारूप में आवश्यक आर्थिक डेटा प्राप्त कर सकते हैं।

प्रत्येक डेटा सेट में निम्नलिखित विवरण होते हैं:

  • जानकारी का स्रोत
  • मापन इकाइयाँ
  • डेटा अपडेट की आवृत्ति
  • अतिरिक्त व्याख्यात्मक नोट्स

इस स्पष्टता के कारण छात्रों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं के लिए वित्तीय रुझानों को बेहतर ढंग से समझना संभव हो जाता है।

RBIDATA से कौन-कौन लाभ उठा सकता है?

RBIDATA छात्रों, अर्थशास्त्रियों, विश्लेषकों और व्यवसायों के लिए एक केंद्रीकृत वित्तीय जानकारी केंद्र के रूप में कार्य करता है। चूँकि यह ऐप सीधे RBI के DBIE पोर्टल से जुड़ा हुआ है, इसलिए उपयोगकर्ताओं को सटीक और अद्यतन डेटा मिलता है।

यह पहल RBI की डिजिटल परिवर्तन रणनीति का हिस्सा है, जो वित्तीय जानकारी के प्रसार को अधिक सुलभ और संरचित बनाने का प्रयास कर रही है। इससे विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों को विश्वसनीय डेटा के आधार पर सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

पहलू विवरण
क्यों चर्चा में? RBI ने RBIDATA नामक मोबाइल ऐप लॉन्च किया, जो वृहद आर्थिक और वित्तीय डेटा तक आसान पहुंच प्रदान करता है।
उद्देश्य शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और आम जनता के लिए 11,000+ डेटा श्रृंखलाओं की जानकारी उपलब्ध कराना।
मुख्य विशेषताएँ इंटरएक्टिव चार्ट, उन्नत खोज सुविधा, बैंकिंग आउटलेट लोकेटर, SAARC वित्तीय डेटा और लोकप्रिय रिपोर्ट्स।
एकीकरण वास्तविक समय के इनसाइट्स के लिए RBI के Database on the Indian Economy (DBIE) से जुड़ा हुआ है।
उपलब्धता iOS और Android (संस्करण 12+) पर मुफ्त में उपलब्ध।
महत्व डेटा पारदर्शिता और वित्तीय विश्लेषण को बढ़ावा देकर बेहतर निर्णय लेने में सहायक।

दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं की लिस्ट

दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं की सूची केवल संपत्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रभाव, नवाचार और सामाजिक बदलाव का भी प्रतीक है। आधुनिक दौर में महिलाएँ नेतृत्व के केंद्र में हैं और स्वयं को प्रभावशाली अरबपतियों के रूप में स्थापित कर रही हैं। फोर्ब्स बिलियनेयर सूची 2024 के अनुसार, पिछले वर्ष वैश्विक अरबपति आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी 13.3% थी।

फरवरी 2025 तक, दुनिया की 10 सबसे अमीर महिलाएँ विभिन्न क्षेत्रों में अपने प्रभावशाली नेतृत्व के कारण उभरकर आई हैं। इनकी कुल संपत्ति 500 अरब डॉलर से अधिक है, जो पारंपरिक धारणाओं को तोड़ते हुए महिला नेतृत्व और वित्तीय सफलता की नई परिभाषा गढ़ रही है।

दुनिया की 10 सबसे अमीर महिलाएँ (फरवरी 2025 तक)

रैंक नाम कुल संपत्ति (USD में) संपत्ति का स्रोत
1 ऐलिस वॉल्टन $112.5 अरब वॉलमार्ट
2 फ्रेंकोइस बेटनकोर्ट मेयर्स और परिवार $74.4 अरब लोरियल
3 जूलिया कोच और परिवार $74.2 अरब कोच इंडस्ट्रीज
4 जैकलीन मार्स $42.3 अरब मार्स इंक
5 राफाएला अपोंटे-डायमंट $39.0 अरब मेडिटेरेनियन शिपिंग कंपनी (MSC)
6 एबिगेल जॉनसन $36.0 अरब फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स
7 सावित्री जिंदल और परिवार $32.3 अरब JSW ग्रुप
8 मैकेंजी स्कॉट $32.3 अरब अमेज़न
9 मिरियम एडलसन और परिवार $31.5 अरब लास वेगास सैंड्स
10 मैरिलिन सिमन्स और परिवार $31.0 अरब हेज फंड्स

महिला अरबपतियों का उदय

इस सूची में शामिल कई महिलाओं ने अपने साम्राज्य को विरासत में प्राप्त किया है, लेकिन कुछ ने अपने व्यवसाय और निवेश कौशल से अरबों डॉलर की संपत्ति स्वयं बनाई है। ये महिलाएँ रिटेल, फार्मास्युटिकल, वित्त, प्रौद्योगिकी और औद्योगिक विनिर्माण जैसे उद्योगों में गहरा प्रभाव छोड़ रही हैं।

इनका बढ़ता प्रभाव दर्शाता है कि महिलाएँ वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और व्यापार, नवाचार और नेतृत्व के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित कर रही हैं।

अप्रैल-जनवरी 2025 में भारत का निर्यात सालाना आधार पर 7.2% बढ़ेगा

अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 की अवधि में भारत के कुल निर्यात में 7.2% की वर्ष-दर-वर्ष (YoY) वृद्धि दर्ज की गई, जो वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक व्यापार में भारत की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है। इस वृद्धि का प्रमुख कारण इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और एयरोस्पेस उद्योग का विस्तार है। हालांकि, संभावित अमेरिकी शुल्क इस गति को बनाए रखने में चुनौती पैदा कर सकते हैं।

भारत के निर्यात वृद्धि के प्रमुख कारक

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण एक प्रमुख योगदानकर्ता बनकर उभरा है। डिक्सन टेक्नोलॉजीज, जो गूगल के पिक्सल स्मार्टफोन असेंबल करती है, ने दिसंबर 2024 तक नौ महीनों में ₹285.77 बिलियन का राजस्व दर्ज किया, जो मार्च 2024 में समाप्त हुए पिछले वित्तीय वर्ष के ₹177.13 बिलियन ($2.04 बिलियन) की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के 2027 तक ₹6 ट्रिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे यह निर्यात वृद्धि का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन जाएगा।

इसके अलावा, भारत का एयरोस्पेस उद्योग भी निर्यात बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों के चलते एयरबस और रोल्स-रॉयस जैसी कंपनियां भारतीय आपूर्तिकर्ताओं से अधिक पुर्जे खरीद रही हैं। बेंगलुरु स्थित हिकल टेक्नोलॉजीज और JJG एयरो जैसी कंपनियां इस मांग से लाभान्वित हो रही हैं। हिकल टेक्नोलॉजीज अगले तीन वर्षों में अपने एयरोस्पेस राजस्व को $57.57 मिलियन तक दोगुना करने का लक्ष्य बना रही है। एशिया-प्रशांत एयरोस्पेस बाजार 2024 में 2019 की तुलना में 54% बड़ा होने की संभावना है, जिससे भारत प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन सकता है।

भविष्य के निर्यात पर संभावित चुनौतियां

हालांकि भारत का निर्यात सकारात्मक दिशा में बढ़ रहा है, लेकिन संभावित अमेरिकी प्रतिशोधी शुल्क चिंता का विषय बने हुए हैं। यदि ये शुल्क लागू होते हैं, तो इससे भारत को सालाना $7 बिलियन का नुकसान हो सकता है। सबसे अधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में रसायन, धातु उत्पाद, आभूषण, ऑटोमोबाइल, दवा और खाद्य पदार्थ शामिल हैं।

2024 में, भारत ने अमेरिका को लगभग $74 बिलियन मूल्य का माल निर्यात किया, जिसमें मोती, रत्न, दवाएं और पेट्रोकेमिकल्स का महत्वपूर्ण योगदान रहा। भारत की औसत शुल्क दर 11% है, जो अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर लगाए गए शुल्क से काफी अधिक है। इन संभावित व्यापार प्रतिबंधों से बचने के लिए, भारतीय सरकार कुछ शुल्कों को कम करने और ऊर्जा आयात का विस्तार करने पर विचार कर रही है, ताकि अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध संतुलित बनाए रखे जा सकें।

वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत का निर्यात लक्ष्य

भारतीय सरकार ने मार्च 2025 तक कुल निर्यात $800 बिलियन से अधिक करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मांग वाले क्षेत्रों में निर्यात विस्तार, व्यापार संबंधों को मजबूत करने, उत्पादन क्षमताओं में सुधार और निर्यात बाजारों में विविधता लाने पर ध्यान दिया जा रहा है। इस रणनीति के माध्यम से भारत वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

मुख्य पहलू विवरण
क्यों चर्चा में? अप्रैल 2024 – जनवरी 2025 के दौरान भारत के कुल निर्यात में 7.2% की वृद्धि हुई, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार।
प्रमुख विकास क्षेत्र इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण (डिक्सन टेक्नोलॉजीज) और एयरोस्पेस उद्योग (हिकल टेक्नोलॉजीज, JJG एयरो)।
इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में उछाल डिक्सन टेक्नोलॉजीज का राजस्व नौ महीनों में ₹285.77 बिलियन को पार कर गया, और भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र वित्त वर्ष 2027 तक ₹6 ट्रिलियन तक पहुंचने का अनुमान।
एयरोस्पेस विस्तार एयरबस और रोल्स-रॉयस जैसी कंपनियों द्वारा अधिक पुर्जे खरीदने से एयरोस्पेस निर्यात में वृद्धि हुई। एशिया-प्रशांत एयरोस्पेस बाजार 2024 में 2019 की तुलना में 54% बड़ा
संभावित चुनौतियाँ अमेरिका संभावित प्रतिशोधी शुल्क लगाने पर विचार कर रहा है, जिससे $7 बिलियन का वार्षिक निर्यात नुकसान हो सकता है। इससे रसायन, आभूषण, ऑटोमोबाइल और दवा उद्योग प्रभावित हो सकते हैं।
सरकार का लक्ष्य भारत का लक्ष्य मार्च 2025 तक कुल निर्यात $800 बिलियन से अधिक करना है, जिसे रणनीतिक नीतियों और बाजार विस्तार के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा।

नीता अंबानी को मैसाचुसेट्स की गवर्नर ने दिया सम्मान

नीता अंबानी, रिलायंस फाउंडेशन की संस्थापक और अध्यक्ष, को शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, कला, संस्कृति और महिला सशक्तिकरण में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए मैसाचुसेट्स के गवर्नर का प्रशस्ति पत्र (Governor of Massachusetts’ Citation) प्रदान किया गया है। यह सम्मान भारत और दुनिया भर में सामाजिक बदलाव लाने के उनके दीर्घकालिक प्रयासों को मान्यता देता है। परोपकार और समाज सेवा में उनके नेतृत्व ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नीता अंबानी का योगदान

नीता अंबानी ने भारत में शिक्षा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल की संस्थापक के रूप में, उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शैक्षिक उत्कृष्टता को बढ़ावा दिया है। यह स्कूल भारत के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में शामिल है और देश के भावी नेताओं को तैयार कर रहा है।

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में, उन्होंने सर एच.एन. रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के माध्यम से मुंबई में विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाओं को सुलभ बनाया है। यह अस्पताल अत्याधुनिक उपचार और चिकित्सा समाधान प्रदान करता है, जिससे विभिन्न वर्गों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं।

खेल और सांस्कृतिक विकास में उनका प्रभाव

नीता अंबानी के नेतृत्व में, रिलायंस फाउंडेशन ने भारत में ग्रासरूट स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2017 में, फाउंडेशन को “राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार” (Rashtriya Khel Protsahan Puruskar) से सम्मानित किया गया, जो खेल उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है। उन्होंने रिलायंस फाउंडेशन यंग चैंप्स (RFYC) और इंडियन सुपर लीग (ISL) जैसी पहलों के माध्यम से युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया है।

खेल के अलावा, उन्होंने कला और संस्कृति के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किया है। नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर (NMACC), मुंबई में स्थापित किया गया, जो भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करता है। इस केंद्र के माध्यम से भारतीय कला, नाट्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया जा रहा है।

अन्य वैश्विक सम्मान और उपलब्धियां

मैसाचुसेट्स के गवर्नर द्वारा दिया गया यह पुरस्कार नीता अंबानी की परोपकारी उपलब्धियों की लंबी सूची में एक और महत्वपूर्ण सम्मान है। इसके अलावा, उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पुरस्कार और मान्यताएं प्राप्त की हैं:

  • ग्लोबल फिलैंथ्रोपिस्ट एंड लीडर ऑफ द ईयर (2017): वोग इंडिया द्वारा सामाजिक प्रभाव पहल के लिए दिया गया पुरस्कार।
  • सिटीजन ऑफ मुंबई अवार्ड (2023): मुंबई रोटरी क्लब द्वारा शहर के विकास में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
  • मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट, न्यूयॉर्क की मानद ट्रस्टी (2019): इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय, जिससे भारतीय कला और संस्कृति की वैश्विक पहचान को बढ़ावा मिला।

नीता अंबानी की सामाजिक कल्याण, शिक्षा और सांस्कृतिक संवर्धन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता उन्हें एक प्रभावशाली वैश्विक परोपकारी नेता बनाती है। यह नवीनतम सम्मान उनके समाज सुधार के प्रयासों को और मजबूत करता है, जिससे वे कई क्षेत्रों के भविष्य को आकार देने में योगदान दे रही हैं।

मुख्य पहलू विवरण
क्यों चर्चा में? नीता अंबानी को शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, कला, संस्कृति और महिला सशक्तिकरण में परोपकारी योगदान के लिए मैसाचुसेट्स के गवर्नर का प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
पुरस्कार प्रदाता मैसाचुसेट्स के गवर्नर, अमेरिका
संगठन रिलायंस फाउंडेशन (संस्थापक और अध्यक्ष)
मुख्य योगदान – शिक्षा: धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल
– स्वास्थ्य: सर एच.एन. रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल
– खेल: रिलायंस फाउंडेशन यंग चैंप्स (RFYC), इंडियन सुपर लीग (ISL)
– कला और संस्कृति: नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर (NMACC)
अन्य प्रमुख सम्मान – सिटीजन ऑफ मुंबई अवार्ड (2023)
– मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट, न्यूयॉर्क की मानद ट्रस्टी (2019)
– ग्लोबल फिलैंथ्रोपिस्ट एंड लीडर ऑफ द ईयर, वोग इंडिया (2017)
प्रभाव भारत में विभिन्न क्षेत्रों के विकास में योगदान और वैश्विक स्तर पर भारत की सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करना।

ओडिशा के मुख्यमंत्री ने 2025-26 के लिए 2.90 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राज्य का बजट पेश किया, जिसमें कुल व्यय ₹2.90 लाख करोड़ निर्धारित किया गया है। 17 फरवरी 2025 को प्रस्तुत यह बजट कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास पर केंद्रित है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया है। यह पिछले वर्ष (2024-25) के ₹2.65 लाख करोड़ के बजट से अधिक है, जिससे राज्य सरकार की आर्थिक विकास के प्रति प्रतिबद्धता साफ झलकती है। यह भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तुत पहला पूर्ण बजट है, जो पिछले साल सत्ता में आई थी।

कृषि और ग्रामीण विकास के लिए कितना आवंटन किया गया है?

कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए ₹37,838 करोड़ का आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष (₹33,919 करोड़) की तुलना में 12% अधिक है। चूंकि ओडिशा की 48% आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है और 80% लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, इसलिए यह बजट सीधे किसानों के जीवन को प्रभावित करेगा।

  • सीएम किसान योजना: किसानों को वित्तीय सहायता देने के लिए ₹2,020 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जिससे कृषि उत्पादकता और आय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
  • श्री अन्ना अभियान: ₹600 करोड़ का बजट मिलेट (श्री अन्न) की खेती को बढ़ावा देने के लिए रखा गया है, जिससे फसल विविधीकरण और पोषण सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।

सिंचाई और बुनियादी ढांचे के लिए क्या घोषणाएं हुईं?

राज्य सरकार ने कृषि में जल उपलब्धता बढ़ाने के लिए नई योजनाओं का प्रस्ताव रखा है। हालांकि इन परियोजनाओं की वित्तीय जानकारी अभी स्पष्ट नहीं की गई है, लेकिन बजट में सिंचाई अवसंरचना (Irrigation Infrastructure) को बेहतर बनाने की जरूरत को रेखांकित किया गया है। इससे किसानों को सिंचाई की समस्या से राहत मिलेगी और कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।

डेयरी किसानों को क्या लाभ मिलेगा?

कृषि और सिंचाई के साथ-साथ ओडिशा सरकार ने डेयरी किसानों को भी आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है

मुख्यमंत्री कामधेनु योजना:

डेयरी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ₹164 करोड़ का आवंटन किया गया है। इसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और डेयरी किसानों को आवश्यक वित्तीय एवं अवसंरचनात्मक सहायता प्रदान करना है।

2025-26 के बजट की पिछले वर्ष से तुलना

2024-25 में ओडिशा सरकार ने ₹2.65 लाख करोड़ का बजट प्रस्तुत किया था, जिसमें कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के लिए ₹33,919 करोड़ आवंटित किए गए थे। 2025-26 के बजट में कुल व्यय में वृद्धि हुई है, विशेष रूप से कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में। इससे यह साफ है कि सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और ग्रामीण आबादी को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

बजट का संभावित प्रभाव

  • कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी।
  • सिंचाई सुविधाओं में सुधार से कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी।
  • डेयरी सेक्टर को समर्थन मिलने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
  • कुल मिलाकर, यह बजट ओडिशा की आर्थिक स्थिरता को बढ़ाने और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

केंद्र ने ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी किया

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग (XV FC) अनुदान जारी किए हैं, जिससे बिहार, हरियाणा और सिक्किम की ग्रामीण स्थानीय निकायों (RLBs) को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इन निधियों का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को सशक्त बनाना, स्थानीय प्रशासन को बेहतर बनाना और क्षेत्र-विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करना है। इस अनुदान में अविशिष्ट (Untied) अनुदान और विशिष्ट (Tied) अनुदान शामिल हैं, जिनका उपयोग स्वच्छता और जल आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए किया जाएगा।

राज्यों को कितनी वित्तीय सहायता मिली?

वित्त आयोग द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों के आधार पर तीनों राज्यों को अनुदान वितरित किया गया है—

  • बिहार को ₹821.8021 करोड़ की दूसरी किस्त (Untied Grants) के रूप में आवंटित किया गया है। साथ ही, पहली रोकी गई किस्त में से ₹47.9339 करोड़ भी जारी किए गए हैं। यह धनराशि 38 जिला पंचायतों, 530 प्रखंड पंचायतों और 8,052 ग्राम पंचायतों को दी जाएगी।
  • हरियाणा को ₹202.4663 करोड़ की दूसरी किस्त के रूप में आवंटित किया गया है। इसके अलावा, पहली रोकी गई किस्त में से ₹7.5993 करोड़ भी जारी किए गए हैं। यह राशि 18 जिला पंचायतों, 142 प्रखंड पंचायतों और 6,195 ग्राम पंचायतों को दी जाएगी।
  • सिक्किम को ₹6.2613 करोड़ की दूसरी किस्त जारी की गई है। यह निधि 4 जिला पंचायतों और 186 ग्राम पंचायतों के लिए निर्धारित है।

केंद्र सरकार ने इन अनुदानों को जारी करने से पहले राज्यों द्वारा वित्त आयोग की निर्धारित शर्तों को पूरा करने की पुष्टि की।

इन अनुदानों का उपयोग कहां किया जाएगा?

वित्त आयोग अनुदानों को दो भागों में बांटा गया है, जिनका उद्देश्य विकास कार्यों को पूरा करना है—

अविशिष्ट (Untied) अनुदान:

  • यह धनराशि पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) और ग्रामीण स्थानीय निकायों (RLBs) को क्षेत्र-विशिष्ट विकास जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है।
  • ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule) के तहत स्थानीय विकास कार्यों में उपयोग किया जा सकता है।
  • इन निधियों का वेतन या प्रशासनिक खर्चों में उपयोग वर्जित है।

विशिष्ट (Tied) अनुदान:

  • इन निधियों का उपयोग केवल आवश्यक सेवाओं में सुधार के लिए किया जाता है, जैसे—

स्वच्छता एवं खुले में शौच मुक्त (ODF) स्थिति बनाए रखना:

  • कचरा प्रबंधन, मानव मल एवं गंदे पानी की सफाई के लिए धनराशि का उपयोग किया जाएगा।

पेयजल आपूर्ति:

  • वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) और जल पुनर्चक्रण (Water Recycling) को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

ग्रामीण विकास के लिए यह वित्तीय सहायता क्यों महत्वपूर्ण है?

वित्त आयोग के अनुदान ग्रामीण शासन को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इन निधियों से—

  • ग्राम स्तर पर आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं में सुधार होगा।
  • विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली को मजबूती मिलेगी।
  • विकास परियोजनाओं को समय पर लागू करने में सहायता मिलेगी।

इस अनुदान के माध्यम से केंद्र सरकार बिहार, हरियाणा और सिक्किम की ग्रामीण स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने और बुनियादी सेवाओं में सुधार लाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहरा रही है

भारत और अर्जेंटीना ने लिथियम अन्वेषण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये

केंद्रीय कोयला और खदान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने अर्जेंटीना के काटामार्का प्रांत के गवर्नर, महामहिम राउल अलेजांद्रो जलिल और भारत के खनन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य खनन क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाना, विशेष रूप से लिथियम अन्वेषण और निवेश के अवसरों पर चर्चा करना था। बैठक की मुख्य उपलब्धि मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (MECL) और अर्जेंटीना के काटामार्का प्रांतीय सरकार के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर थी। यह समझौता लिथियम सहित महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण और विकास में गहरा सहयोग स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

बैठक के मुख्य बिंदु

खनन क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करना

  • यह बैठक भारत और अर्जेंटीना के बीच खनन क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी, विशेष रूप से लिथियम और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण में।

समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर

  • मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (MECL) और अर्जेंटीना के काटामार्का प्रांतीय सरकार के बीच यह समझौता ज्ञापन किया गया।
  • इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण और संसाधन विकास में सहयोग को बढ़ावा देना है।

लिथियम अन्वेषण पर ध्यान केंद्रित

  • चर्चा में अर्जेंटीना में भारत की बढ़ती भागीदारी पर जोर दिया गया, जो ‘लिथियम त्रिभुज’ (Lithium Triangle) का हिस्सा है और जहां बड़े पैमाने पर लिथियम भंडार मौजूद हैं।
  • लिथियम, इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बैटरियों और नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जो भारत के ग्रीन एनर्जी ट्रांज़िशन के लिए आवश्यक है।

लिथियम अन्वेषण में प्रमुख कंपनियां

  • खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) और ग्रीनको (Greenko) जैसी भारतीय कंपनियां काटामार्का, अर्जेंटीना में लिथियम अन्वेषण में सक्रिय रूप से लगी हुई हैं।
  • बैठक में चर्चा हुई कि भारत की कंपनियों की भागीदारी को और कैसे बढ़ाया जा सकता है, जिससे इस महत्वपूर्ण संसाधन तक भारत की पहुंच मजबूत हो सके।

निवेश और संयुक्त उद्यम (Joint Ventures)

  • बैठक में निवेश बढ़ाने, दीर्घकालिक आपूर्ति समझौतों और संयुक्त उपक्रमों के अवसरों पर चर्चा की गई।
  • यह भारत की ईवी और नवीकरणीय ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगा।

नीति और नियामक चर्चाएं

  • दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भागीदारी को संचालित करने वाले नीति ढांचे और नियामक पहलुओं पर चर्चा की।
  • सतत खनन (Sustainable Mining) को बढ़ावा देने और पर्यावरणीय और सामाजिक जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के उपायों पर भी बात की गई।

इंफ्रास्ट्रक्चर और ज्ञान विनिमय

  • बैठक में खनन प्रौद्योगिकी और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान पर जोर दिया गया।
  • अर्जेंटीना के खनन क्षेत्र में सहयोग को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर सहायता पर भी चर्चा हुई।

सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता

  • यह समझौता ज्ञापन दोनों देशों के मजबूत संबंधों को पुनः पुष्टि करता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए।
  • इस भागीदारी से लिथियम अन्वेषण परियोजनाओं में तेजी आने, संसाधन सुरक्षा बढ़ाने और भारतीय कंपनियों के लिए लैटिन अमेरिकी खनन क्षेत्र में नए अवसर खुलने की उम्मीद है।

भारत और नेपाल ने नए समझौते के साथ वैज्ञानिक संबंधों को मजबूत किया

भारत और नेपाल ने अपने वैज्ञानिक सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), भारत और नेपाल विज्ञान और प्रौद्योगिकी अकादमी (NAST) के बीच एक नई समझौता ज्ञापन (MoU) पर 18 फरवरी 2025 को CSIR-नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी, नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता जैव प्रौद्योगिकी, पर्यावरण विज्ञान, वैकल्पिक ऊर्जा और सामग्री विज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और तकनीकी सहयोग को गहरा करने का लक्ष्य रखता है।

भारत-नेपाल वैज्ञानिक सहयोग का विकास कैसे हुआ?

भारत और नेपाल के बीच वैज्ञानिक साझेदारी का एक मजबूत इतिहास रहा है, जो 1994 में शुरू हुआ जब CSIR और NAST ने पहली बार संयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता किया। वर्षों से, दोनों देशों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाओं और अनुसंधान पहलों का आयोजन किया, जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग मजबूत हुआ। यह नया समझौता इस सहयोग को पुनर्जीवित और विस्तारित करने का कार्य करेगा, जिससे विशेषज्ञता, ज्ञान आदान-प्रदान और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा मिलेगा।

नए समझौते के तहत प्रमुख सहयोग क्षेत्र

इस समझौते के अंतर्गत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कई महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं:

  1. अनुसंधान सहयोग – भारत और नेपाल संयुक्त रूप से जैव विज्ञान, खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, वैकल्पिक ऊर्जा, औषधि अनुसंधान और पर्यावरण प्रौद्योगिकियों में शोध परियोजनाएं करेंगे।
  2. अदला-बदली कार्यक्रम – दोनों देशों के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को एक-दूसरे के संस्थानों का दौरा करने और संसाधन साझा करने का अवसर मिलेगा।
  3. कार्यशालाएं और प्रशिक्षणनवाचार और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए सेमिनार और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
  4. तकनीकी पहुंच – अनुसंधान सुविधाओं और वैज्ञानिक अवसंरचना को साझा किया जाएगा, जिससे सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
  5. संस्थागत भागीदारीविश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों को जोड़कर संयुक्त वैज्ञानिक विकास की पहल की जाएगी

नेताओं की प्रतिक्रिया इस सहयोग पर क्या है?

डॉ. एन. कलैसेल्वी, CSIR की महानिदेशक, ने जोर देकर कहा कि भारत नेपाल के साथ अपनी तकनीकी साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करेगा कि वैज्ञानिक सहयोग प्रभावी रूप से लागू हो। उन्होंने इस साझेदारी की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए एक सुव्यवस्थित कार्य योजना की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रोफेसर डॉ. दिलीप सुब्बा, NAST के उप-कुलपति, ने नेपाल की वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने सुझाव दिया कि एक केंद्रित और उत्पादक साझेदारी सुनिश्चित करने के लिए विषय-विशेषज्ञ कार्य समूहों का गठन किया जाए।

श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? भारत और नेपाल ने 18 फरवरी 2025 को वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग को मजबूत करने के लिए नया समझौता ज्ञापन (MoU) किया।
संबंधित संस्थान वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), भारत एवं नेपाल विज्ञान और प्रौद्योगिकी अकादमी (NAST)
ऐतिहासिक संदर्भ पहला समझौता 1994 में हस्ताक्षरित, जिसके तहत संयुक्त अनुसंधान, प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन हुआ।
मुख्य फोकस क्षेत्र जैव प्रौद्योगिकी, पर्यावरण विज्ञान, वैकल्पिक ऊर्जा, औषधि अनुसंधान, खाद्य विज्ञान, सामग्री विज्ञान, और प्रौद्योगिकी साझा करना
प्रमुख पहल संयुक्त अनुसंधान, वैज्ञानिकों का आदान-प्रदान, कार्यशालाओं का आयोजन, अनुसंधान सुविधाओं की साझेदारी, और संस्थागत भागीदारी
नेतृत्व के विचार CSIR की डॉ. एन. कलैसेल्वी ने संरचित कार्यान्वयन पर जोर दिया, जबकि NAST के प्रो. डॉ. दिलीप सुब्बा ने केंद्रित सहयोग पर बल दिया।
अपेक्षित प्रभाव नवाचार को बढ़ावा, आर्थिक विकास को गति, और वैज्ञानिक प्रगति के माध्यम से भारत-नेपाल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अपना 22वां स्थापना दिवस मनाया

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) के 22वें स्थापना दिवस का आयोजन विभिन्न कार्यक्रमों के साथ किया गया, जिसमें अनुसूचित जनजातियों (STs) के अधिकारों की रक्षा और उनके विकास में आयोग की भूमिका को रेखांकित किया गया। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने NCST की सक्रिय पहलों की सराहना की, विशेष रूप से वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन और निगरानी में इसकी भूमिका को रेखांकित किया। इस अवसर पर जनजातीय कल्याण और विकास से संबंधित विभिन्न सरकारी योजनाओं पर चर्चा की गई।

22वें स्थापना दिवस समारोह के प्रमुख बिंदु

केंद्रीय मंत्री का संबोधन

  • श्री जुएल ओराम ने जनजातीय अधिकारों की सुरक्षा में NCST की भूमिका पर प्रकाश डाला।
  • उन्होंने जनजातीय कार्य मंत्रालय और NCST के बीच निरंतर सहयोग का आश्वासन दिया।
  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, छात्रवृत्तियां और राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना जैसी प्रमुख योजनाओं पर चर्चा की गई।

अध्यक्ष का संबोधन

  • NCST के अध्यक्ष श्री अंतर सिंह आर्य ने आयोग की विभिन्न गतिविधियों का उल्लेख किया।
  • उन्होंने जनजातीय समुदायों की स्थिति की समीक्षा के लिए 100-दिवसीय कार्य योजना की सफलता पर प्रकाश डाला।

उपलब्धियां और प्रगति

  • आयोग ने वन अधिकार अधिनियम और अन्य जनजातीय कल्याणकारी नीतियों की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) के 75 समूहों की पहचान की गई, जिनके लिए विशेष विकास योजनाएं बनाई गई हैं।

उद्घाटन सत्र और प्रस्तुतियां

  • NCST के सचिव श्री पुनीत कुमार गोयल ने आयोग के कार्यों का सारांश प्रस्तुत किया।
  • कार्यक्रम में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) और दिल्ली विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने भाग लिया।

मुख्य अतिथि और गणमान्य व्यक्ति

  • राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के अध्यक्ष श्री हंसराज गंगाराम अहीर और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के सदस्य श्री वड्डेपल्ली रामचंदर उपस्थित रहे।
  • विभिन्न जनजातीय समुदायों और सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) के बारे में

संवैधानिक स्थिति

  • NCST एक संवैधानिक निकाय है, जो अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा करता है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • अनुच्छेद 366(25) के अनुसार, ST वे समुदाय हैं जिन्हें अनुच्छेद 342 के तहत अधिसूचित किया गया है।
  • इन समुदायों की मुख्य विशेषताएं हैं:
    • आदिम विशेषताएं
    • भौगोलिक अलगाव
    • विशिष्ट संस्कृति
    • मुख्यधारा के समाज से सीमित संपर्क
    • सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन

संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद 338-A के तहत NCST की स्थापना और कार्यों का प्रावधान है।
  • आयोग का कार्य अनुसूचित जनजातियों के हितों की जांच, सुरक्षा और संवर्धन करना है।

NCST का विकास

  • पहले अनुच्छेद 338 के तहत अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त किए गए थे।
  • 65वें संविधान संशोधन अधिनियम (1990) के तहत एक संयुक्त आयोग का गठन हुआ।
  • 89वें संविधान संशोधन अधिनियम (2003) के तहत इसे दो अलग-अलग निकायों में विभाजित किया गया:
    • राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC)
    • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST)

संरचना

  • आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होते हैं।
  • इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और कार्यकाल तीन वर्ष का होता है।
  • कोई भी सदस्य दो कार्यकाल से अधिक सेवा नहीं कर सकता

कार्य एवं शक्तियां

  • अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा और निगरानी करना।
  • जनजातीय अधिकारों से संबंधित शिकायतों की जांच करना।
  • जनजातीय विकास के लिए सरकार को नीतिगत सुझाव देना।
  • राष्ट्रपति को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना।
  • आयोग को न्यायालय जैसी शक्तियां प्राप्त हैं, जिसमें गवाहों को बुलाने, दस्तावेजों की मांग करने और शिकायतों की जांच करने का अधिकार शामिल है।

NCST की यह पहल अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की रक्षा और उनके समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
क्यों चर्चा में? सशक्तिकरण के 22 वर्ष पूर्ण: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) का स्थापना दिवस
केंद्रीय मंत्री का संबोधन श्री जुएल ओराम ने वन अधिकार अधिनियम और अन्य जनजातीय कल्याणकारी पहलों में NCST की भूमिका को रेखांकित किया।
अध्यक्ष का संबोधन श्री अंतर सिंह आर्य ने NCST की उपलब्धियों, विशेष रूप से 100-दिवसीय कार्य योजना के माध्यम से जनजातीय कल्याण की प्रगति की समीक्षा पर प्रकाश डाला।
जनजातीय समुदायों के लिए प्रमुख सरकारी पहलें एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, छात्रवृत्ति (प्रारंभिक/उच्च शिक्षा), राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति।
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) की पहचान 75 PVTG समुदायों की पहचान कर उनके लिए विशेष विकास योजनाएं बनाई गईं।
मुख्य वक्ता एवं गणमान्य अतिथि श्री हंसराज गंगाराम अहीर (NCBC), श्री वड्डेपल्ली रामचंदर (NCSC), और अन्य जनजातीय समुदायों के नेता।
विकास के प्रमुख क्षेत्र कौशल विकास, उद्यमिता और सामुदायिक प्रगति, विशेषज्ञों और शिक्षाविदों के सहयोग से।
NCST की भूमिका संवैधानिक अधिकारों की रक्षा, अधिकार हनन की निगरानी, और जनजातीय समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास पर सरकार को परामर्श देना।

TRIFED ने Meesho, IFCA और MGIRI के साथ साझेदारी की

आदिवासी समुदायों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, ट्राइफेड (Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India Ltd – TRIFED) ने मीशो (Meesho), भारतीय पाक कला संघ (IFCA) और महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगीकरण संस्थान (MGIRI) के साथ रणनीतिक साझेदारी की है। ये सहयोग आदिवासी उत्पादों को बी2बी क्षेत्र में एकीकृत करने और उनके बाजार विस्तार को सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं।

ये समझौता ज्ञापन (MoUs) 18 फरवरी 2025 को नई दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में चल रहे “आदि महोत्सव” के दौरान हस्ताक्षरित किए गए, जो आदिवासी उद्यमिता और बाज़ार तक पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्य समझौते और उनके उद्देश्य

1. ट्राइफेड और मीशो (Meesho)

  • उद्देश्य: मीशो के सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर आदिवासी उत्पादों को शामिल करना।
  • लक्ष्य: आदिवासी व्यवसायों को डिजिटल बाज़ार तक पहुंच प्रदान करना और उनकी बिक्री क्षमता को बढ़ाना।
  • सुविधाएं: आदिवासी विक्रेताओं को ई-कॉमर्स और मार्केटिंग के लिए प्रशिक्षण देना।

2. ट्राइफेड और IFCA (भारतीय पाक कला संघ)

  • उद्देश्य: पाक कला पेशेवरों और होटल चेन के साथ सहयोग स्थापित करना।
  • लक्ष्य: आदिवासी खाद्य उत्पादों के लिए बाज़ार का विस्तार और दीर्घकालिक साझेदारी सुनिश्चित करना।
  • सुविधाएं: IFCA के तकनीकी प्लेटफॉर्म के माध्यम से आदिवासी खाद्य उत्पादों को बाज़ार तक पहुंचाना।

3. ट्राइफेड और MGIRI (महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगीकरण संस्थान)

  • उद्देश्य: आदिवासी कारीगरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना।
  • लक्ष्य: आदिवासी शिल्प कौशल और उत्पाद विकास में सुधार कर बाज़ार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना।
  • सुविधाएं: MGIRI, ट्राइफेड का नॉलेज पार्टनर बनेगा और कौशल विकास कार्यक्रम संचालित करेगा।

कार्यक्रम की मुख्य झलकियां

  • ट्राइफेड के महाप्रबंधकों ने मीशो की प्राची भुचर, IFCA के शेफ मंजीत गिल, और MGIRI के डॉ. आशुतोष ए. मुर्कुटे के साथ समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया।
  • ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री आशीष चटर्जी ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की और इन साझेदारियों के सामाजिक-आर्थिक महत्व पर प्रकाश डाला।

“आदि महोत्सव” की पृष्ठभूमि

  • आदि महोत्सव का उद्घाटन – राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा 16 फरवरी 2025 को किया गया।
  • समारोह की अवधि16 से 24 फरवरी 2025 तक।
  • प्रदर्शनी में शामिल विषय – आदिवासी हस्तशिल्प, संस्कृति, खानपान, और उद्यमिता को बढ़ावा देने पर केंद्रित।

इन साझेदारियों से न केवल आदिवासी उत्पादों की पहचान को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आदिवासी समुदायों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनने का अवसर भी मिलेगा।

सारांश/स्थिर विवरण
क्यों चर्चा में? ट्राइफेड ने मीशो, IFCA और MGIRI के साथ साझेदारी की
साझेदारी एवं उद्देश्य अपेक्षित परिणाम
ट्राइफेड और मीशो: आदिवासी उत्पादों को मीशो के सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लाना। मीशो के माध्यम से आदिवासी उत्पादों की बाजार पहुंच और बिक्री में वृद्धि।
ट्राइफेड और IFCA: पाक कला पेशेवरों और होटल चेन के साथ आदिवासी खाद्य उत्पादों को जोड़ना। आदिवासी खाद्य उत्पादों के लिए विस्तृत बाजार और पाक कला विशेषज्ञों के साथ दीर्घकालिक साझेदारी।
ट्राइफेड और MGIRI: आदिवासी कारीगरों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता-विकास कार्यक्रम। आदिवासी उत्पादों की गुणवत्ता और विपणन क्षमता में सुधार।

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