अंतर्राष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस 2025: इतिहास और महत्व

अंतर्राष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस हर साल 10 मार्च को मनाया जाता है ताकि न्यायपालिका में महिलाओं के योगदान को पहचाना जा सके। न्यायिक प्रणाली में महिलाओं की भागीदारी निष्पक्षता, समानता और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। महिला न्यायाधीशों की उपस्थिति न्यायिक संस्थानों की वैधता को मजबूत करती है और समावेशिता एवं न्याय का संदेश देती है।

यह विशेष दिन दुनिया भर में महिला न्यायाधीशों की न्याय, लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करता है। साथ ही, इसका उद्देश्य भविष्य की पीढ़ियों को कानून और न्यायपालिका में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना भी है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 28 अप्रैल 2021 को संकल्प 75/274 पारित कर 10 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस घोषित किया। इस निर्णय का उद्देश्य महिला न्यायाधीशों की उपलब्धियों का सम्मान करना और न्यायिक प्रणाली में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना था।

यह पहल तब गति पकड़ी जब संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) ने 24 से 27 फरवरी 2020 के बीच दोहा, कतर में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन में अफ्रीकी महिला विधि संस्थान (IAWL) ने न्यायपालिका में महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसमें कार्यस्थल पर उत्पीड़न, भेदभाव और महिला न्यायाधीशों के प्रति पक्षपात जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद, पहली बार 10 मार्च 2022 को अंतर्राष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस मनाया गया। तब से हर साल यह दिन महिला न्यायाधीशों के योगदान को स्वीकार करने और न्यायपालिका में उनकी अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस का महत्व

न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी न्यायिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में विविध दृष्टिकोणों को शामिल करने के लिए आवश्यक है। ऐतिहासिक रूप से, न्यायिक पेशा पुरुष-प्रधान रहा है, और महिलाओं के लिए इसमें सीमित अवसर उपलब्ध रहे हैं। लेकिन समय के साथ, महिला न्यायाधीशों ने सामाजिक और पेशेवर बाधाओं को पार किया और न्याय एवं कानून के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।

इस अवसर को मनाकर, सरकारें और संस्थाएं न्यायपालिका में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती हैं। इस दिन का उद्देश्य है:

  • न्यायिक संस्थानों में लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना
  • महिलाओं को नेतृत्व और निर्णय लेने की भूमिकाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित करना
  • निष्पक्ष और पक्षपात रहित कानूनी प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करना
  • न्यायिक क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नीतियां विकसित करना

भारत में न्यायपालिका में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया गया है। सरकार राष्ट्रीय स्तर पर महिला न्यायाधीशों की भागीदारी बढ़ाने और उन्हें नेतृत्व के अधिक अवसर देने की रणनीति विकसित कर रही है।

भारत में महिला न्यायाधीशों की यात्रा: समानता की ओर कदम

भारत की पहली महिला न्यायाधीश

भारत में लैंगिक समावेशिता की शुरुआत 1937 में हुई जब अन्ना चांडी उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनीं। उन्होंने महिला वकीलों और न्यायाधीशों के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त किया।

इसके बाद, 1989 में न्यायमूर्ति फातिमा बीवी भारत की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बनीं। यह नियुक्ति भारत के न्यायिक इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने कानून और न्याय के क्षेत्र में महिलाओं को प्रेरित किया।

भारत में वर्तमान में महिला न्यायाधीशों की स्थिति

हालांकि न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन अब भी उनका प्रतिनिधित्व सीमित है। सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्वर की 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार:

  • 1 अगस्त 2024 तक, भारत में उच्च न्यायालयों में केवल 14% न्यायाधीश महिलाएँ थीं।
  • सभी उच्च न्यायालयों में केवल दो महिला मुख्य न्यायाधीश थीं।
  • वर्ष 2021 और 2022 में महिला न्यायाधीशों की संख्या 11% थी, जो जून 2023 में बढ़कर 13% और अगस्त 2024 में 14% हो गई।
  • भारत के 754 उच्च न्यायालय न्यायाधीशों में से केवल 106 महिलाएँ थीं (अगस्त 2024 के आंकड़े के अनुसार)।

यह आंकड़े भारत में महिला न्यायाधीशों के बढ़ते लेकिन धीमे प्रतिनिधित्व को दर्शाते हैं। उच्च न्यायपालिका तक महिलाओं की पहुँच अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? अंतर्राष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस हर साल 10 मार्च को मनाया जाता है ताकि न्यायपालिका में महिलाओं के योगदान को सम्मानित किया जा सके और कानूनी प्रणाली में लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जा सके।
इतिहास संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा संकल्प 75/274 के तहत 28 अप्रैल 2021 को घोषित। – दोहा (कतर) में UNODC सम्मेलन (24-27 फरवरी 2020) में न्यायपालिका में कार्यस्थल उत्पीड़न और लैंगिक पूर्वाग्रह पर चर्चा से प्रेरित। – पहली बार 10 मार्च 2022 को मनाया गया।
महत्व न्यायिक निर्णयों में लैंगिक विविधता को प्रोत्साहित करता है। – कानूनी संस्थानों में निष्पक्षता और वैधता को मजबूत करता है। – महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने वाली नीतियों को समर्थन देता है।
भारत में महिला न्यायाधीश अन्ना चांडी : पहली महिला उच्च न्यायालय न्यायाधीश (1937)न्यायमूर्ति फातिमा बीवी : भारत की पहली महिला सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश (1989)
वर्तमान प्रतिनिधित्व (2024 डेटा) भारत में उच्च न्यायालयों में केवल 14% महिला न्यायाधीश हैं।सभी उच्च न्यायालयों में केवल 2 महिला मुख्य न्यायाधीश हैं।उच्च न्यायालयों के 754 न्यायाधीशों में से केवल 106 महिलाएँ हैं।महिलाओं का प्रतिनिधित्व धीरे-धीरे बढ़ रहा है:
2021 और 2022: 11%
जून 2023: 13%
अगस्त 2024: 14%
चुनौतियाँ उच्च न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व धीरे-धीरे बढ़ रहा है।न्यायिक नेतृत्व भूमिकाओं में महिलाओं के लिए सीमित अवसर।कानूनी पेशे में लैंगिक पूर्वाग्रह और कार्यस्थल चुनौतियाँ।

भारतीय टीम ने तीसरी बार जीती चैंपियंस ट्रॉफी

भारत ने एक बार फिर इतिहास रचते हुए तीसरी बार आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया। रोमांचक फाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड को हराकर भारत ने अपनी उत्कृष्टता, संघर्षशीलता और टीम वर्क का शानदार प्रदर्शन किया। 252 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने 252/6 के स्कोर के साथ जीत दर्ज की। इस जीत ने भारत को विश्व क्रिकेट में एक बार फिर से दिग्गज शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया।

प्लेयर ऑफ द मैच और टूर्नामेंट

  • प्लेयर ऑफ द मैच: रोहित शर्मा
  • प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट: रचिन रविंद्र (263 रन)

फाइनल तक भारत का सफर

भारत की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के फाइनल तक की यात्रा शानदार रही। ग्रुप स्टेज में जबरदस्त प्रदर्शन और सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ शानदार जीत ने भारत को खिताबी मुकाबले में पहुंचाया।

ग्रुप स्टेज प्रदर्शन

भारत ने अपने अभियान की शुरुआत दमदार जीत के साथ की, जिसमें विराट कोहली, रोहित शर्मा और जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। संतुलित बल्लेबाजी और शानदार गेंदबाजी के दम पर भारत ने आसानी से नॉकआउट स्टेज में जगह बनाई।

सेमीफाइनल मुकाबला – इंग्लैंड बनाम भारत

इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में भारत ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। मजबूत बल्लेबाजी और शानदार गेंदबाजी के दम पर टीम इंडिया ने फाइनल का टिकट कटाया।

फाइनल मुकाबला – भारत बनाम न्यूजीलैंड

टॉस और पिच की स्थिति

न्यूजीलैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए इस मैच की पिच ने बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों को मदद दी, जिससे मुकाबला बेहद रोमांचक हो गया।

न्यूजीलैंड की पारी

पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूजीलैंड ने 50 ओवर में 251 रन बनाए। डैरिल मिचेल (63 रन) और माइकल ब्रेसवेल (53 रन) ने महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन कर कीवी टीम को बड़े स्कोर से रोक दिया।

गेंदबाजी में भारत का प्रदर्शन

  • वरुण चक्रवर्ती: 10 ओवर में 2/45
  • कुलदीप यादव: 10 ओवर में 2/40

भारतीय बल्लेबाजों का योगदान

  • रोहित शर्मा: 76 (83 गेंदों पर)
  • श्रेयस अय्यर: 48 (62 गेंदों पर)
  • केएल राहुल: 24* (18 गेंदों पर)

ऐतिहासिक जीत – भारत की तीसरी आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी

इस जीत के साथ भारत ने तीसरी बार आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया। इससे पहले भारत ने 2002 (श्रीलंका के साथ संयुक्त रूप से) और 2013 (इंग्लैंड के खिलाफ) में यह ट्रॉफी जीती थी। यह जीत भारत की वैश्विक टूर्नामेंटों में दबाव में शानदार प्रदर्शन करने की क्षमता को एक बार फिर साबित करती है।

भारत के आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी खिताब

  • 2002 – श्रीलंका के साथ संयुक्त विजेता
  • 2013 – इंग्लैंड को हराकर चैंपियन
  • 2025 – न्यूजीलैंड को हराकर चैंपियन

 

उत्तर प्रदेश सरकार ‘राइज’ ऐप से करेगी टीकाकरण की निगरानी

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने टीकाकरण कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए ‘रैपिड इम्यूनाइजेशन स्किल एनहांसमेंट’ (RISE) ऐप लॉन्च किया है। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म स्टाफ नर्सों, सहायक नर्स मिडवाइफ (ANM) और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए विकसित किया गया है, जिससे वे बच्चों के नियमित टीकाकरण की निगरानी और प्रबंधन अधिक कुशलता से कर सकें।

इस पहल का उद्देश्य टीकाकरण कवरेज बढ़ाना, टीकाकरण से हिचकिचाने वाले परिवारों की पहचान करना और समुचित टीकाकरण सुनिश्चित करना है। यह ऐप पारंपरिक प्रशिक्षण पद्धतियों को डिजिटल शिक्षण से बदलकर टीकाकरण की सुरक्षा और प्रभावशीलता को बढ़ाने का कार्य करेगा।

RISE ऐप क्या है?

RISE ऐप एक डिजिटल प्रशिक्षण और निगरानी प्लेटफॉर्म है, जिसे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को टीकाकरण कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन में सहायता देने के लिए विकसित किया गया है। यह ऐप रीयल-टाइम अपडेट प्रदान करता है, जैसे:

  • टीकाकरण शेड्यूल और सत्र प्रबंधन
  • टीके की सुरक्षा प्रोटोकॉल और कोल्ड चेन प्रबंधन
  • टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभावों की निगरानी
  • स्वास्थ्यकर्मियों को नवीनतम टीकाकरण दिशानिर्देशों का प्रशिक्षण

इस ऐप के माध्यम से स्वास्थ्य कार्यकर्ता तत्काल अपडेट प्राप्त कर सकते हैं, जिससे पारंपरिक प्रशिक्षण पद्धतियों में होने वाली देरी को कम किया जा सकेगा।

RISE ऐप लागू करने का उद्देश्य

इस डिजिटल ऐप का मुख्य उद्देश्य टीकाकरण कार्यक्रमों को प्रभावी, सुरक्षित और समय पर पूरा करना है। इसके प्रमुख लक्ष्य हैं:

  • टीकाकरण की निगरानी में सुधार – डिजिटलाइजेशन के माध्यम से सरकार टीकाकरण कवरेज का वास्तविक समय में डेटा ट्रैक कर सकेगी और समय पर हस्तक्षेप कर सकेगी।
  • स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को त्वरित प्रशिक्षण – ऐप के जरिए स्टाफ नर्स और ANM को नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुसार प्रशिक्षित किया जा सकता है।
  • टीके की सुरक्षा और कोल्ड चेन प्रबंधन – टीकों को सही तापमान और सुरक्षित स्थान पर रखने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना।
  • टीकाकरण को लेकर झिझक दूर करना – स्वास्थ्य कार्यकर्ता उन परिवारों को ट्रैक कर सकेंगे, जो टीकाकरण से हिचकिचाते हैं, और उन्हें सही जानकारी देकर जागरूक कर सकेंगे।
  • जानकारी के प्रसार में देरी को कम करना – पारंपरिक प्रशिक्षण विधियों की तुलना में RISE ऐप के जरिए स्वास्थ्य कर्मियों को तुरंत नवीनतम जानकारियाँ मिल सकेंगी।

RISE ऐप के प्रशिक्षण और क्रियान्वयन की प्रक्रिया

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, RISE ऐप को पहले 181 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया था, जहाँ इसकी प्रभावशीलता सिद्ध हुई। इसके बाद इसे उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में लागू कर दिया गया।

स्वास्थ्यकर्मियों का प्रशिक्षण तीन चरणों में किया जा रहा है:

  • ज़िला स्तर पर प्रशिक्षण पूरा: सभी 75 जिलों में ज़िला-स्तरीय अधिकारियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया गया है।
  • ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षण जारी: वर्तमान में ब्लॉक-स्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे इसे ज़मीनी स्तर तक लागू किया जा सके।
  • 52,175 टीकाकरण कर्मियों को लाभ: पूर्ण रूप से लागू होने के बाद लगभग 52,175 टीकाकरण कर्मियों को डिजिटल उपकरणों से लैस किया जाएगा।

RISE ऐप कैसे टीकाकरण कवरेज में सुधार लाएगा?

  • हिचकिचाने वाले परिवारों को ट्रैक और परामर्श – ऐप स्वास्थ्य कर्मियों को उन परिवारों की पहचान करने में मदद करेगा, जो टीकाकरण कराने से बचते हैं, जिससे वे उन्हें सही जानकारी देकर जागरूक कर सकें।
  • नए दिशानिर्देशों की रीयल-टाइम अपडेट – ऐप स्वास्थ्यकर्मियों को तुरंत नवीनतम टीकाकरण प्रोटोकॉल उपलब्ध कराएगा।
  • बेहतर टीके की सुरक्षा और भंडारण प्रबंधन – ऐप स्वास्थ्यकर्मियों को कोल्ड चेन प्रबंधन पर गाइड करेगा, जिससे टीके सुरक्षित रहें।
  • स्वास्थ्यकर्मियों की दक्षता में वृद्धि – डिजिटल प्रशिक्षण से समय की बचत होगी और कागजी कार्यवाही कम होने से कार्यकुशलता बढ़ेगी।

चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ

हालांकि, RISE ऐप टीकाकरण प्रणाली को डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  • डिजिटल साक्षरता – कुछ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इस ऐप को प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।
  • तकनीकी बुनियादी ढाँचा – दूरदराज़ के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और मोबाइल उपलब्धता रीयल-टाइम अपडेट में बाधा बन सकती है।
  • व्यापक स्तर पर अपनाने की आवश्यकता – सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इस प्लेटफॉर्म को सक्रिय रूप से अपनाने के लिए निरंतर सरकारी समर्थन की आवश्यकता होगी।

भविष्य की योजनाएँ

  • उत्तर प्रदेश सरकार RISE ऐप को और अधिक उन्नत करने और इसमें नए फीचर्स जोड़ने की योजना बना रही है।
  • इसका उपयोग अन्य स्वास्थ्य सेवाओं में भी किया जा सकता है, जिससे समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन में सुधार किया जा सके।
खंड विवरण
क्यों चर्चा में? उत्तर प्रदेश ने बच्चों के नियमित टीकाकरण की डिजिटल निगरानी और सुधार के लिए रैपिड इम्यूनाइजेशन स्किल एनहांसमेंट’ (RISE) ऐप लॉन्च किया है।
RISE ऐप क्या है? यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, नर्सों और ANM को टीकाकरण कार्यक्रमों के प्रभावी प्रबंधन में सहायता देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
ऐप के उद्देश्य टीकाकरण की वास्तविक समय में निगरानी सुधारनास्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को त्वरित प्रशिक्षण प्रदान करनाटीके की सुरक्षा और कोल्ड चेन प्रबंधन सुनिश्चित करनाटीकाकरण से हिचकिचाने वाले परिवारों की पहचान कर परामर्श देनादिशानिर्देशों के प्रसार में देरी को कम करना
क्रियान्वयन और प्रशिक्षण – शुरुआत में भारत के 181 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया – अब इसे उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में लागू किया गया है – ज़िला स्तर पर प्रशिक्षण पूराब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षण जारी52,175 टीकाकरण कर्मी डिजिटल प्रशिक्षण से लाभान्वित होंगे
RISE ऐप की प्रमुख विशेषताएँ टीकाकरण सत्रों की वास्तविक समय में ट्रैकिंगटीके की सुरक्षा और प्रतिकूल प्रभाव प्रबंधन पर प्रशिक्षणकोल्ड चेन भंडारण और संचालन दिशा-निर्देशटीकाकरण प्रोटोकॉल पर त्वरित अपडेट
टीकाकरण कवरेज पर प्रभाव झिझकने वाले परिवारों की पहचान और परामर्श में सहायताप्रशिक्षण में देरी को कम कर दक्षता में वृद्धिटीके की सुरक्षा और वितरण में सुधार
क्रियान्वयन में चुनौतियाँ स्वास्थ्य कर्मियों में डिजिटल साक्षरता की कमीदूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी की समस्याऐप को व्यापक स्तर पर अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना
भविष्य की योजनाएँ ऐप में नई सुविधाएँ जोड़कर स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन को बेहतर बनानाअन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों का विस्तार करना

Ratan Tata के नाम से जानी जाएगी असम की इलेक्ट्रॉनिक सिटी

असम सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया और जगीरोड इलेक्ट्रॉनिक सिटी का नाम बदलकर रतन टाटा इलेक्ट्रॉनिक सिटी कर दिया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस घोषणा को सार्वजनिक किया। इस कदम का उद्देश्य असम में उद्योगपति रतन टाटा के योगदान को सम्मानित करना है, जिन्होंने टाटा समूह के माध्यम से राज्य के औद्योगिक और आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाई है।

इस घोषणा से टाटा समूह और असम के गहरे औद्योगिक और आर्थिक संबंधों को भी उजागर किया गया है। यह निर्णय फरवरी 2025 में आयोजित “एडवांटेज असम 2.0 इन्वेस्टमेंट समिट” के बाद लिया गया, जहां टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने असम के साथ रतन टाटा के मजबूत जुड़ाव को रेखांकित किया था।

मुख्य बिंदु

1. “रतन टाटा इलेक्ट्रॉनिक सिटी” की घोषणा

  • असम सरकार ने जगIROड में निर्माणाधीन इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी का नाम रतन टाटा इलेक्ट्रॉनिक सिटी रखने की घोषणा की।
  • यह निर्णय रतन टाटा के असम के औद्योगिक विकास में योगदान को सम्मानित करने के लिए लिया गया।
  • टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने टाटा समूह और असम के बीच पुराने औद्योगिक संबंधों को स्वीकार किया।

2. असम में टाटा की सेमीकंडक्टर उद्योग की दृष्टि

  • मार्च 2024 में, रतन टाटा ने असम को सेमीकंडक्टर उद्योग का हब बनाने का विजन रखा
  • ₹27,000 करोड़ के निवेश से असम में भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट फैसिलिटी स्थापित की जा रही है।
  • यह प्लांट प्रति दिन 48 मिलियन चिप्स का उत्पादन करेगा और 30,000 नौकरियाँ सृजित करेगा।
  • मोबाइल फोन तकनीक से जुड़ी एक नई यूनिट की भी योजना है, जिससे अतिरिक्त 30,000 नौकरियाँ उत्पन्न होंगी।

3. असम में टाटा समूह की बढ़ती उपस्थिति

  • टाटा समूह की असम में चाय, स्वास्थ्य सेवा और इलेक्ट्रॉनिक्स सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपस्थिति है।
  • वर्तमान में टाटा कंपनियों में असम में 55,000 से अधिक लोग कार्यरत हैं
  • टाटा ट्रस्ट और असम सरकार के साझेदारी में 17 कैंसर अस्पतालों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा।
  • टाटा कंज्यूमर कंपनी असम में 21 संपत्तियाँ और 20 निर्माण एवं पैकेजिंग इकाइयों का संचालन करती है, जिससे चाय उद्योग को मजबूती मिल रही है।

4. आर्थिक और औद्योगिक प्रभाव

  • यह परियोजना वैश्विक कंपनियों और शीर्ष प्रतिभाओं को असम आकर्षित करेगी।
  • असम के शहरी विकास और मोबाइल तकनीकी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
  • भारत की सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षमता को मजबूत करेगा।
  • असम को वैश्विक सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।

5. सरकार की मान्यता और समर्थन

  • असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने आधिकारिक रूप से “रतन टाटा इलेक्ट्रॉनिक सिटी” की घोषणा की
  • केंद्रीय रेलवे, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री ने भी असम की सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में बढ़ती भूमिका को स्वीकार किया।
  • यह निर्णय असम के भारत के प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर विनिर्माण केंद्र बनने के लक्ष्य के अनुरूप है।
सारांश/स्थिर विवरण विवरण
क्यों चर्चा में? असम ने इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी का नाम रतन टाटा के नाम पर रखा
परियोजना का नाम रतन टाटा इलेक्ट्रॉनिक सिटी, जगIRO
स्थान जगीरोड, असम
घोषणा करने वाला असम राज्य मंत्रिमंडल
नामकरण का कारण असम के औद्योगिक विकास में रतन टाटा के योगदान को सम्मान देना
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का निवेश ₹27,000 करोड़ सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट फैसिलिटी के लिए
चिप उत्पादन क्षमता 48 मिलियन चिप्स प्रति दिन
रोजगार सृजन 30,000 नौकरियाँ सेमीकंडक्टर क्षेत्र में + 30,000 नौकरियाँ मोबाइल टेक्नोलॉजी क्षेत्र में
असम में टाटा की उपस्थिति 55,000+ कर्मचारी, 17 कैंसर अस्पताल, 21 संपत्तियाँ चाय उद्योग में
आर्थिक प्रभाव वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करना, भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र को मजबूत करना, रोजगार बढ़ाना
सरकार की दृष्टि असम को इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर विनिर्माण का प्रमुख केंद्र बनाना

ईयाल जमीर को इजराइल का नया सैन्य प्रमुख नियुक्त

इजराइल ने ईयाल जमीर को अपने नए चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में नियुक्त किया है, जो देश के सैन्य इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर इस पद को संभाल रहे हैं। वे लेफ्टिनेंट जनरल हेरज़ी हेलवी की जगह लेंगे, जिन्होंने 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद इस्तीफा दे दिया था। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब गाजा में इज़राइली सैन्य अभियान जारी है, ईरान के साथ तनाव बढ़ रहा है और वेस्ट बैंक की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ज़मीर के नेतृत्व में “हमास पर संपूर्ण विजय” का भरोसा जताया है।

ईयाल जमीर की नियुक्ति के प्रमुख बिंदु

1. पृष्ठभूमि और सैन्य करियर

  • ईयाल का जन्म इजराइल में हुआ, उनका यमनी और सीरियाई मूल है।
  • 1984 में इज़राइली सेना में शामिल हुए, जहां उन्होंने आर्मर्ड कॉर्प्स में सेवा शुरू की।
  • पहली और दूसरी फलस्तीनी इंतिफ़ादा (Palestinian Intifadas) में महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया।
  • 2002 में जेनिन शरणार्थी शिविर में आतंकवाद विरोधी अभियानों की कमान संभाली।

2. प्रमुख नेतृत्व भूमिकाएँ

  • 2012-2015: प्रधानमंत्री नेतन्याहू के सैन्य सचिव के रूप में कार्य किया।
  • 2015-2018: दक्षिणी कमान के प्रमुख, जहां हमास की सुरंगों को नष्ट करने पर ध्यान केंद्रित किया।
  • 2018-2021: डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ, इस दौरान उन्होंने सेना के आधुनिकीकरण कार्यक्रम को आगे बढ़ाया।
  • रक्षा मंत्रालय के निदेशक के रूप में इजराइली रक्षा खरीद कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

3. सामरिक सैन्य चुनौतियाँ

  • हमास और ईरान के खिलाफ इजराइल की सुरक्षा और सैन्य प्रभुत्व सुनिश्चित करना।
  • ईरान पर कड़ा रुख अपनाने के पक्षधर, 2022 में एक नीति पत्र में ईरान के परमाणु ठिकानों पर आक्रामक कार्रवाई का प्रस्ताव रखा
  • 20 वर्षों में पहली बार वेस्ट बैंक में टैंकों की तैनाती की देखरेख कर रहे हैं।

4. वर्तमान इजराइल-हमास युद्ध में भूमिका

  • ऐसे समय में पदभार संभाला जब हमास के साथ युद्धविराम (19 जनवरी 2025 से प्रभावी) अस्थिर स्थिति में है
  • हमास पर “पूर्ण विजय” प्राप्त करने की रणनीति पर कार्य करेंगे, जो नेतन्याहू की सैन्य नीति के अनुरूप है।
  • दक्षिणी कमान में कार्यकाल के दौरान गाजा पर पूर्ण नियंत्रण की विस्तृत सैन्य योजना तैयार कर चुके हैं

5. नेतृत्व शैली और दृष्टिकोण

  • मिशन-केंद्रित, अनुशासनप्रिय और विस्तार पर ध्यान देने वाले नेता माने जाते हैं।
  • पूर्ववर्ती चीफ ऑफ स्टाफ हेरज़ी हेलवी की तुलना में अधिक प्रभावशाली और आक्रामक रणनीति अपनाने वाले सैन्य अधिकारी माने जाते हैं।
  • 7 अक्टूबर 2023 की सुरक्षा चूक के बाद इजराइली सेना में जनता का विश्वास बहाल करने की कोशिश करेंगे।
  • इजराइल की रक्षा रणनीति में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के पक्षधर हैं।

सी ड्रैगन 2025 नौसैनिक अभ्यास: पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को मजबूत करना

सी ड्रैगन 2025, एक प्रमुख बहुपक्षीय समुद्री युद्ध अभ्यास, गुआम तट के पास पश्चिमी प्रशांत महासागर में शुरू हो गया है। यह उच्च-तीव्रता वाला पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) अभ्यास अमेरिकी नौसेना के 7वें बेड़े द्वारा आयोजित किया जाता है और 4 मार्च से 19 मार्च 2025 तक चलेगा।

इस सामरिक अंतरसंचालनीयता (interoperability) अभ्यास में भारतीय नौसेना, जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF), रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स (RAAF), और रिपब्लिक ऑफ कोरिया नेवी (ROKN) के साथ भाग ले रही है। इस अभ्यास का उद्देश्य समुद्री सुरक्षा अभियानों में समन्वय बढ़ाना और संयुक्त रक्षा रणनीतियों को मजबूत करना है।

सी ड्रैगन अभ्यास का ऐतिहासिक विकास और भागीदार देश

उद्गम और प्रारंभिक भागीदार

  • 2019 में यह अभ्यास एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में शुरू हुआ, जिसमें अमेरिकी नौसेना और रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स (RAAF) शामिल थे।
  • 2020 में जापान (JMSDF), दक्षिण कोरिया (ROKN), और न्यूजीलैंड (RNZN) इस अभ्यास में शामिल हुए।

भारत की भागीदारी और विस्तार

  • 2021, 2022 और 2023 में क्वाड देशों (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका) के साथ कनाडा (RCAF) और दक्षिण कोरिया (ROKN) भी इस अभ्यास में शामिल हुए।
  • 2024 में कनाडा को आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे यह अभ्यास क्वाड + दक्षिण कोरिया का संयुक्त अभ्यास बन गया।

सी ड्रैगन 2025 के भागीदार देश

इस वर्ष अमेरिकी नौसेना ने निम्नलिखित प्रमुख नौसैनिक बलों को आमंत्रित किया है:

  • भारतीय नौसेना
  • जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF)
  • रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स (RAAF)
  • रिपब्लिक ऑफ कोरिया नेवी (ROKN)

ये देश संयुक्त पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) प्रशिक्षण में भाग लेंगे, जिसका उद्देश्य सामरिक समन्वय और समुद्री निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना है।

सी ड्रैगन 2025 के उद्देश्य और महत्व

मुख्य उद्देश्य

  • सामरिक समन्वय को बढ़ाना – भागीदार नौसेनाएं अंतरसंचालनीयता विकसित करेंगी और पनडुब्बी पहचान रणनीतियों में सुधार करेंगी
  • समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षित और मुक्त नौवहन सुनिश्चित करना
  • पनडुब्बी रोधी तकनीकों में सुधारट्रैकिंग, टोही मिशन और रीयल-टाइम खुफिया साझाकरण पर ध्यान केंद्रित करना।
  • वास्तविक पनडुब्बी शिकार पर अभ्यास – अंतिम चरण में अमेरिकी नौसेना की पनडुब्बी का लाइव-हंटिंग अभ्यास किया जाएगा।
  • सैन्य सहयोग को बढ़ावा देनाक्वाड देशों और दक्षिण कोरिया के बीच रक्षा रणनीतियों को मजबूत करना

सी ड्रैगन अभ्यास की प्रकृति

पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) केंद्रित अभ्यास

  • प्रत्येक देश समुद्री गश्ती और टोही विमान (MPRA) तैनात करता है ताकि शत्रु पनडुब्बियों को ट्रैक किया जा सके।
  • भारतीय नौसेना ने अपने उन्नत P-8I समुद्री गश्ती और टोही विमान को इस अभ्यास के लिए तैनात किया है, जिसे बोइंग (अमेरिका) द्वारा निर्मित किया गया है।
  • अभ्यास में मॉक ASW ड्रिल्स, सामरिक चर्चा और वास्तविक पनडुब्बी पहचान प्रशिक्षण शामिल हैं।
  • प्रत्येक देश के पायलट और चालक दल पनडुब्बी ट्रैकिंग और नष्ट करने की रणनीतियों को साझा करते हैं।

ग्रेडिंग सिस्टम और “ड्रैगन बेल्ट अवार्ड”

इस अभ्यास के दौरान, भागीदार देशों के पनडुब्बी पहचान और ट्रैकिंग दक्षता का मूल्यांकन किया जाता है। जो देश सबसे अधिक अंक अर्जित करता है, उसे “ड्रैगन बेल्ट अवार्ड” से सम्मानित किया जाता है।

जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF) ने 2022 से लगातार यह पुरस्कार जीता है, जिससे उसकी उत्कृष्ट पनडुब्बी रोधी क्षमताओं का प्रमाण मिलता है।

भारत और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए सी ड्रैगन 2025 का महत्व

भारत के लिए लाभ

  • भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को बढ़ाता है।
  • अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करता है।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भविष्य के संयुक्त नौसैनिक अभियानों की तैयारी करता है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए महत्व

  • स्थिरता और स्वतंत्र नौवहन सुनिश्चित करता है।
  • संभावित समुद्री खतरों के खिलाफ निवारक रक्षा तंत्र को मजबूत करता है।
  • भागीदार देशों के बीच क्षेत्रीय रक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
विषय विवरण
क्यों चर्चा में है? सी ड्रैगन 2025 नौसैनिक अभ्यास, जिसे अमेरिकी नौसेना के 7वें बेड़े द्वारा आयोजित किया जा रहा है, गुआम तट के पास पश्चिमी प्रशांत महासागर में 4 मार्च से 19 मार्च 2025 तक जारी रहेगा। यह अभ्यास पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) पर केंद्रित है, जिसमें भारतीय नौसेना भी भाग ले रही है।
मेजबान देश संयुक्त राज्य अमेरिका (अमेरिकी नौसेना का 7वां बेड़ा)
भाग लेने वाले देश भारतीय नौसेना
जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF)
रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स (RAAF)
रिपब्लिक ऑफ कोरिया नेवी (ROKN)
अभ्यास का उद्देश्य भागीदार नौसेनाओं के बीच सामरिक समन्वय को बढ़ाना।
पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) क्षमताओं को मजबूत करना।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा में सुधार करना।
अमेरिकी नौसेना की पनडुब्बी का एक सिम्युलेटेड शिकार (मॉक अभ्यास) करना।
सहयोगी बलों के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना।
भारतीय नौसेना की भूमिका भारतीय नौसेना ने P-8I समुद्री गश्ती और टोही विमान (बोइंग, अमेरिका निर्मित) को ASW अभ्यास में भाग लेने के लिए तैनात किया है।
ग्रेडिंग प्रणाली देशों को उनकी पनडुब्बी पहचान और ट्रैकिंग दक्षता के आधार पर ग्रेड दिया जाता है।
जिस देश का प्रदर्शन सर्वोत्तम होता है, उसे “ड्रैगन बेल्ट अवार्ड” प्रदान किया जाता है।
2022 से लगातार जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF) इस पुरस्कार को जीत रही है।
ऐतिहासिक विकास 2019: अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ।
2020: जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड शामिल हुए।
2021: भारत, कनाडा और दक्षिण कोरिया शामिल हुए।
2024: कनाडा को आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे यह क्वाड + दक्षिण कोरिया अभ्यास बन गया।
2025: भागीदार देश – संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया
भारत के लिए महत्व भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को मजबूत करता है।
क्वाड देशों और दक्षिण कोरिया के साथ रक्षा संबंधों को बेहतर बनाता है।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए भारत की तैयारी को बढ़ाता है।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर प्रभाव क्षेत्रीय स्थिरता और मुक्त नौवहन सुनिश्चित करता है।
समुद्री खतरों के खिलाफ निवारक रक्षा तंत्र को मजबूत करता है।
अंतरराष्ट्रीय रक्षा सहयोग को मजबूती प्रदान करता है।

IndiaAI Mission: केंद्रीय आईटी मंत्री ने कंप्यूट पोर्टल और एआईकोशा डेटासेट प्लेटफॉर्म लॉन्च किया

भारत की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित करते हुए, केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इंडियाAI कंप्यूट पोर्टल और AIKosha डेटासेट प्लेटफॉर्म सहित कई अन्य पहलें लॉन्च कीं। इंडियाAI मिशन के तहत उठाए गए ये कदम AI संसाधनों तक पहुंच को बढ़ाने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और भारत की AI क्षमताओं को विकसित करने के लिए हैं।

इंडियाAI कंप्यूट पोर्टल: AI विकास में क्रांति

सबसे महत्वपूर्ण घोषणाओं में से एक इंडियाAI कंप्यूट पोर्टल का शुभारंभ था, जो 18,000 से अधिक GPU, क्लाउड स्टोरेज और विभिन्न AI सेवाओं तक पहुंच प्रदान करेगा।

कंप्यूट पोर्टल की मुख्य विशेषताएँ:

  • छात्रों, स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं, शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी विभागों के लिए डिज़ाइन किया गया।
  • AI मॉडल के निर्माण और प्रशिक्षण के लिए उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग संसाधन प्रदान करता है।
  • सस्ती दरों पर AI संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
  • भारत का अपना फाउंडेशनल AI मॉडल विकसित करने में सहायक होगा।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि GPU का उपयोग ₹100 प्रति घंटे से कम कीमत पर किया जा सकेगा, जिससे यह दुनिया की सबसे किफायती AI कंप्यूटिंग सेवाओं में से एक बनेगी। उन्होंने यह भी बताया कि भारत के अपने AI मॉडल के लिए 67 आवेदन पहले ही आ चुके हैं, और अगले 3-4 वर्षों में भारत के GPU वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होंगे

AIKosha: भारत का एकीकृत डेटा प्लेटफॉर्म

कंप्यूट पोर्टल के साथ, AIKosha डेटासेट प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया गया, जो डेटा-आधारित AI अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देगा।

AIKosha के उद्देश्य:

  • उच्च-गुणवत्ता वाले गैर-व्यक्तिगत डेटा तक आसान पहुंच प्रदान करना।
  • AI डेवलपर्स और मॉडल निर्माताओं के लिए आवश्यक संसाधन और मार्गदर्शन उपलब्ध कराना।
  • भारत-केंद्रित AI मॉडल बनाने के लिए क्यूरेटेड डेटा प्रदान करना।
  • AI स्टार्टअप्स, शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी निकायों को अत्याधुनिक AI समाधानों के विकास में सहायता करना।

AIKosha संरचित और प्रमाणित डेटा प्रदान करके AI मॉडल विकास की प्रक्रिया को सरल बनाएगा, जिससे शोधकर्ताओं और व्यवसायों को मजबूत AI एप्लिकेशन बनाने में मदद मिलेगी

भारत का अपना फाउंडेशनल AI मॉडल: एक महत्वाकांक्षी कदम

फाउंडेशनल AI मॉडल क्या है?

एक फाउंडेशनल मॉडल वह बड़ा AI मॉडल होता है जिसे विशाल डेटा सेट पर प्रशिक्षित किया जाता है और जो विभिन्न AI कार्यों को करने में सक्षम होता है। उदाहरण: ChatGPT, Google Gemini, Meta Llama

भारत का किफायती AI मॉडल विजन

अश्विनी वैष्णव ने जोर देकर कहा कि जिस तरह भारत ने चंद्रयान मिशन को कम लागत में पूरा किया, उसी तरह भारत का AI मॉडल भी वैश्विक मॉडलों की तुलना में किफायती होगा। सरकार शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और स्टार्टअप्स के साथ मिलकर एक प्रतिस्पर्धी और सभी के लिए सुलभ AI मॉडल विकसित करने पर कार्य कर रही है

इंडियाAI मिशन के तहत अन्य प्रमुख पहलें

1. सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों के लिए AI क्षमता ढांचा

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) ने सरकारी अधिकारियों के लिए AI कौशल बढ़ाने और सार्वजनिक सेवाओं में AI के बेहतर उपयोग हेतु एक क्षमता ढांचा तैयार किया।

2. इंडिया AI स्टार्टअप्स ग्लोबल एक्सेलेरेशन प्रोग्राम

  • यह भारतीय AI स्टार्टअप्स को वैश्विक बाजारों, मेंटरशिप और फंडिंग तक पहुंच दिलाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम है।

3. इंडिया AI फेलोशिप प्रोग्राम

  • AI अनुसंधान और प्रतिभा विकास को बढ़ावा देने के लिए छात्रों को इंडिया AI फेलोशिप से सम्मानित किया गया
  • 30 AI एप्लिकेशन को उनके योगदान के लिए मान्यता दी गई।

इंडियाAI मिशन का बजट और कार्यान्वयन

  • मार्च 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ₹10,371.92 करोड़ के बजट के साथ स्वीकृत।
  • यह मिशन डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (DIC) के तहत इंडियाAI इंडिपेंडेंट बिजनेस डिवीजन (IBD) द्वारा संचालित किया जा रहा है।
  • मिशन का उद्देश्य पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के माध्यम से AI इकोसिस्टम को मजबूत करना है।

इंडियाAI मिशन का रणनीतिक महत्व

  • AI अनुसंधान और विकास को गति देना।
  • भारत की AI क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना।
  • स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं और उद्यमों के लिए सुलभ AI अवसंरचना उपलब्ध कराना।
  • स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और प्रशासन जैसे क्षेत्रों के लिए AI-आधारित समाधान विकसित करना।

निष्कर्ष:
इंडियाAI कंप्यूट पोर्टल और AIKosha प्लेटफॉर्म भारत को वैश्विक AI शक्ति बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। कम लागत, उच्च गुणवत्ता और स्वदेशी AI मॉडल के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए, यह मिशन भारत के डिजिटल भविष्य को नया आकार देगा

ऑस्ट्रेलिया-भारत खेल उत्कृष्टता मंच: खेलों के माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना

ऑस्ट्रेलिया-भारत स्पोर्ट्स एक्सीलेंस फोरम का आधिकारिक उद्घाटन 6 मार्च 2025 को गुजरात के गिफ्ट सिटी में भारत की राज्य खेल मंत्री रक्षा खडसे द्वारा किया गया। इस फोरम का उद्देश्य भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेल सहयोग को बढ़ाना है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के खेल विकास में विशेषज्ञता और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को भारतीय खेल प्रणाली में लागू करना शामिल है।

खेल विकास के लिए एक ऐतिहासिक पहल

उद्घाटन समारोह में रक्षा खडसे ने कहा कि खेल भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक मजबूत संबंध का माध्यम है। उन्होंने इस फोरम को पारंपरिक खेलों जैसे क्रिकेट और हॉकी से आगे बढ़ाते हुए इसे एलीट एथलीट विकास, खेल अवसंरचना, और खेल उद्योग में निवेश तक विस्तारित करने पर जोर दिया।

इस कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन और गुजरात के खेल मंत्री हर्ष संघवी सहित कई गणमान्य अतिथि शामिल हुए।

मुख्य चर्चा के विषय और उद्देश्य

ऑस्ट्रेलिया-भारत स्पोर्ट्स एक्सीलेंस फोरम ने निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग और ज्ञान साझा करने पर ध्यान केंद्रित किया:

1. प्रतिभा विकास और खेल विज्ञान

  • जमीनी स्तर से लेकर एलीट स्तर तक खेल प्रतिभाओं की पहचान और विकास
  • खेल विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देकर खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार।
  • ऑस्ट्रेलियाई कोचिंग तकनीकों को अपनाकर भारतीय खिलाड़ियों की फिटनेस और प्रशिक्षण में सुधार।

2. प्रमुख खेल आयोजनों का प्रबंधन

  • ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों जैसे बड़े खेल आयोजनों की मेजबानी के लिए रणनीतियाँ साझा करना
  • भारत के 2036 ओलंपिक बोली को मजबूत करने के लिए नीतियों और प्रबंधन रणनीतियों पर चर्चा।
  • ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ गेम्स और क्रिकेट वर्ल्ड कप जैसे आयोजनों के अनुभव से सीखना

3. खेलों में विविधता, समावेशिता और लैंगिक समानता

  • महिलाओं की खेलों में भागीदारी को प्रोत्साहित करना
  • सभी खिलाड़ियों को समान अवसर प्रदान करना, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो
  • एक समावेशी खेल नीति विकसित करने के लिए सहयोग बढ़ाना।

4. खेल उद्योग में निवेश और व्यापार

  • भारतीय खेल अवसंरचना में कॉर्पोरेट निवेश को बढ़ावा देना
  • भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई खेल संगठनों के बीच साझेदारी को मजबूत करना
  • भारत को खेल स्टार्टअप और नवाचार का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए प्रयास।

भारत की ओलंपिक महत्वाकांक्षा और फोरम की भूमिका

भारत ने 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी में रुचि दिखाई है, जो वैश्विक खेल महाशक्ति बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ऑस्ट्रेलिया-भारत स्पोर्ट्स एक्सीलेंस फोरम में हुई चर्चाएँ इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए विश्वस्तरीय प्रशिक्षण सुविधाओं, कोचिंग मानकों और खेल अवसंरचना के विकास की नींव रखेंगी।

भविष्य की कार्ययोजना: भारत-ऑस्ट्रेलिया खेल सहयोग को मजबूत बनाना

फोरम का समापन भारत-ऑस्ट्रेलिया के खेल सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए सिफारिशों के एक सेट के साथ होगा। इन सिफारिशों में शामिल होंगे:

  • भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के बीच प्रशिक्षण आदान-प्रदान कार्यक्रमों का विस्तार।
  • संयुक्त खेल अनुसंधान और विकास केंद्रों की स्थापना।
  • ऑस्ट्रेलियाई खेल कंपनियों से भारत में निवेश को बढ़ावा देना।
  • भारत के ओलंपिक और पैरालंपिक सपनों को साकार करने के लिए एक संरचित रोडमैप तैयार करना।

 

डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर रखा जाएगा बेंगलुरु सिटी यूनिवर्सिटी का नाम

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने घोषणा की कि बेंगलुरु सिटी विश्वविद्यालय का नाम बदलकर डॉ. मनमोहन सिंह बेंगलुरु विश्वविद्यालय रखा जाएगा, ताकि दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सम्मान दिया जा सके। सरकार इस विश्वविद्यालय को एक आदर्श संस्थान बनाने के उद्देश्य से इसमें गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज और गवर्नमेंट आरसी कॉलेज को संबद्ध कॉलेजों के रूप में शामिल करेगी। इसके अलावा, कर्नाटक सरकार ने उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें 2,000 रिक्त शिक्षकों के पदों को भरना, इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, तथा सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों और पॉलिटेक्निक संस्थानों का सशक्तिकरण शामिल है।

मुख्य घोषणाएँ और प्रमुख बिंदु

विश्वविद्यालय का नामकरण और विस्तार

  • बेंगलुरु सिटी विश्वविद्यालय का नाम बदलकर डॉ. मनमोहन सिंह बेंगलुरु विश्वविद्यालय किया जाएगा।
  • गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज और गवर्नमेंट आरसी कॉलेज इस विश्वविद्यालय के संबद्ध कॉलेज होंगे।

उच्च शिक्षा सुधार

  • प्रथम श्रेणी के कॉलेजों और इंजीनियरिंग पॉलिटेक्निक संस्थानों में 2,000 रिक्त शिक्षकों के पदों को भरा जाएगा
  • 16 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस नियुक्त किए जाएंगे ताकि छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान और रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी मिले।
  • सरकारी इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक और डिग्री कॉलेजों के आधारभूत ढांचे के उन्नयन के लिए ₹275 करोड़ की राशि आवंटित की गई।
  • नए स्थापित पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेजों में फर्नीचर, उपकरण, कंप्यूटर और पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए ₹10 करोड़ की धनराशि आवंटित की गई।

तकनीकी शिक्षा का विस्तार

  • चिंतामणि, चिक्कबल्लापुर जिले में विश्वेश्वरैया टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (VTU) का एक संबद्ध कॉलेज ₹150 करोड़ की लागत से स्थापित किया जाएगा।
  • मैसूर विश्वविद्यालय में प्रो. नंजुंडास्वामी अनुसंधान पीठ (Research Chair) स्थापित की जाएगी।

DPIIT और Mercedes-Benz India ने विनिर्माण, सड़क सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने हेतु किया समझौता

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) और मर्सिडीज-बेंज इंडिया ने भारत में विनिर्माण, सड़क सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सहयोग का उद्देश्य स्टार्टअप्स को बुनियादी ढांचा, मार्गदर्शन, वित्तीय सहायता और बाजार से जुड़ाव के अवसर प्रदान करना है। इसके अलावा, यह साझेदारी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान विनिमय को भी बढ़ावा देगी, जिससे ऑटोमोबाइल क्षेत्र में तकनीकी प्रगति और स्थायी नवाचार को बल मिलेगा।

उद्देश्य और मुख्य क्षेत्र

  • भारत में विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करना।
  • सड़क सुरक्षा को प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से बढ़ावा देना।
  • ग्रीन सॉल्यूशंस द्वारा ऑटोमोबाइल सेक्टर में स्थिरता को बढ़ाना।
  • इंडस्ट्री-एकेडेमिया सहयोग को बढ़ावा देना ताकि प्रभावशाली नवाचार हो सकें।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान विनिमय के लिए अवसर उपलब्ध कराना।

डीपीआईआईटी की भूमिका

  • स्टार्टअप्स को विनिर्माण, स्थिरता और सड़क सुरक्षा क्षेत्रों में सहायता देने के लिए एक संरचित ढांचा प्रदान करना।
  • उभरते व्यवसायों के लिए मार्गदर्शन, वित्तीय सहायता और बाजार कनेक्शन उपलब्ध कराना।
  • वैश्विक ऑटोमोबाइल कंपनियों के साथ भागीदारी करके तकनीकी नवाचारों को प्रोत्साहित करना।

मर्सिडीज-बेंज इंडिया की भूमिका

  • अपने ऑटोमोटिव इनोवेशन के अनुभव का उपयोग करके भारतीय स्टार्टअप्स का समर्थन करना।
  • कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) पहलों के माध्यम से समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालना।
  • इनक्यूबेटर्स और अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर उन्नत निर्माण समाधान विकसित करना।

मुख्य अधिकारियों के बयान

  • संजय, संयुक्त सचिव, डीपीआईआईटी – यह समझौता जिम्मेदार और स्थायी नवाचारों को बढ़ावा देने के साथ-साथ विनिर्माण को सशक्त बनाएगा।
  • डॉ. सुमीत कुमार जरंगल, निदेशक, स्टार्टअप इंडिया – यह साझेदारी स्टार्टअप्स को वैश्विक सर्वोत्तम प्रक्रियाओं और महत्वपूर्ण उद्योग नेटवर्क तक पहुंचने में मदद करेगी।
  • संतोष अय्यर, प्रबंध निदेशक, मर्सिडीज-बेंज इंडिया – कंपनी स्टार्टअप्स, इनक्यूबेटर्स और संस्थानों को CSR फंडिंग के माध्यम से समर्थन देगी।

अपेक्षित प्रभाव

  • भारत के ऑटोमोटिव और विनिर्माण क्षेत्रों को मजबूत करना।
  • सड़क सुरक्षा और स्थिरता में नवाचार को बढ़ावा देना।
  • स्टार्टअप्स को समर्थन देकर उन्हें स्केल और नई तकनीकों के विकास में मदद करना।

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