सी ड्रैगन 2025, एक प्रमुख बहुपक्षीय समुद्री युद्ध अभ्यास, गुआम तट के पास पश्चिमी प्रशांत महासागर में शुरू हो गया है। यह उच्च-तीव्रता वाला पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) अभ्यास अमेरिकी नौसेना के 7वें बेड़े द्वारा आयोजित किया जाता है और 4 मार्च से 19 मार्च 2025 तक चलेगा।
इस सामरिक अंतरसंचालनीयता (interoperability) अभ्यास में भारतीय नौसेना, जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF), रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स (RAAF), और रिपब्लिक ऑफ कोरिया नेवी (ROKN) के साथ भाग ले रही है। इस अभ्यास का उद्देश्य समुद्री सुरक्षा अभियानों में समन्वय बढ़ाना और संयुक्त रक्षा रणनीतियों को मजबूत करना है।
सी ड्रैगन अभ्यास का ऐतिहासिक विकास और भागीदार देश
उद्गम और प्रारंभिक भागीदार
- 2019 में यह अभ्यास एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में शुरू हुआ, जिसमें अमेरिकी नौसेना और रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स (RAAF) शामिल थे।
- 2020 में जापान (JMSDF), दक्षिण कोरिया (ROKN), और न्यूजीलैंड (RNZN) इस अभ्यास में शामिल हुए।
भारत की भागीदारी और विस्तार
- 2021, 2022 और 2023 में क्वाड देशों (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका) के साथ कनाडा (RCAF) और दक्षिण कोरिया (ROKN) भी इस अभ्यास में शामिल हुए।
- 2024 में कनाडा को आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे यह अभ्यास क्वाड + दक्षिण कोरिया का संयुक्त अभ्यास बन गया।
सी ड्रैगन 2025 के भागीदार देश
इस वर्ष अमेरिकी नौसेना ने निम्नलिखित प्रमुख नौसैनिक बलों को आमंत्रित किया है:
- भारतीय नौसेना
- जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF)
- रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स (RAAF)
- रिपब्लिक ऑफ कोरिया नेवी (ROKN)
ये देश संयुक्त पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) प्रशिक्षण में भाग लेंगे, जिसका उद्देश्य सामरिक समन्वय और समुद्री निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना है।
सी ड्रैगन 2025 के उद्देश्य और महत्व
मुख्य उद्देश्य
- सामरिक समन्वय को बढ़ाना – भागीदार नौसेनाएं अंतरसंचालनीयता विकसित करेंगी और पनडुब्बी पहचान रणनीतियों में सुधार करेंगी।
- समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षित और मुक्त नौवहन सुनिश्चित करना।
- पनडुब्बी रोधी तकनीकों में सुधार – ट्रैकिंग, टोही मिशन और रीयल-टाइम खुफिया साझाकरण पर ध्यान केंद्रित करना।
- वास्तविक पनडुब्बी शिकार पर अभ्यास – अंतिम चरण में अमेरिकी नौसेना की पनडुब्बी का लाइव-हंटिंग अभ्यास किया जाएगा।
- सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना – क्वाड देशों और दक्षिण कोरिया के बीच रक्षा रणनीतियों को मजबूत करना।
सी ड्रैगन अभ्यास की प्रकृति
पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) केंद्रित अभ्यास
- प्रत्येक देश समुद्री गश्ती और टोही विमान (MPRA) तैनात करता है ताकि शत्रु पनडुब्बियों को ट्रैक किया जा सके।
- भारतीय नौसेना ने अपने उन्नत P-8I समुद्री गश्ती और टोही विमान को इस अभ्यास के लिए तैनात किया है, जिसे बोइंग (अमेरिका) द्वारा निर्मित किया गया है।
- अभ्यास में मॉक ASW ड्रिल्स, सामरिक चर्चा और वास्तविक पनडुब्बी पहचान प्रशिक्षण शामिल हैं।
- प्रत्येक देश के पायलट और चालक दल पनडुब्बी ट्रैकिंग और नष्ट करने की रणनीतियों को साझा करते हैं।
ग्रेडिंग सिस्टम और “ड्रैगन बेल्ट अवार्ड”
इस अभ्यास के दौरान, भागीदार देशों के पनडुब्बी पहचान और ट्रैकिंग दक्षता का मूल्यांकन किया जाता है। जो देश सबसे अधिक अंक अर्जित करता है, उसे “ड्रैगन बेल्ट अवार्ड” से सम्मानित किया जाता है।
जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF) ने 2022 से लगातार यह पुरस्कार जीता है, जिससे उसकी उत्कृष्ट पनडुब्बी रोधी क्षमताओं का प्रमाण मिलता है।
भारत और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए सी ड्रैगन 2025 का महत्व
भारत के लिए लाभ
- भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को बढ़ाता है।
- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करता है।
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भविष्य के संयुक्त नौसैनिक अभियानों की तैयारी करता है।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए महत्व
- स्थिरता और स्वतंत्र नौवहन सुनिश्चित करता है।
- संभावित समुद्री खतरों के खिलाफ निवारक रक्षा तंत्र को मजबूत करता है।
- भागीदार देशों के बीच क्षेत्रीय रक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
विषय | विवरण |
क्यों चर्चा में है? | सी ड्रैगन 2025 नौसैनिक अभ्यास, जिसे अमेरिकी नौसेना के 7वें बेड़े द्वारा आयोजित किया जा रहा है, गुआम तट के पास पश्चिमी प्रशांत महासागर में 4 मार्च से 19 मार्च 2025 तक जारी रहेगा। यह अभ्यास पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) पर केंद्रित है, जिसमें भारतीय नौसेना भी भाग ले रही है। |
मेजबान देश | संयुक्त राज्य अमेरिका (अमेरिकी नौसेना का 7वां बेड़ा) |
भाग लेने वाले देश | – भारतीय नौसेना – जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF) – रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स (RAAF) – रिपब्लिक ऑफ कोरिया नेवी (ROKN) |
अभ्यास का उद्देश्य | – भागीदार नौसेनाओं के बीच सामरिक समन्वय को बढ़ाना। – पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) क्षमताओं को मजबूत करना। – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा में सुधार करना। – अमेरिकी नौसेना की पनडुब्बी का एक सिम्युलेटेड शिकार (मॉक अभ्यास) करना। – सहयोगी बलों के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना। |
भारतीय नौसेना की भूमिका | भारतीय नौसेना ने P-8I समुद्री गश्ती और टोही विमान (बोइंग, अमेरिका निर्मित) को ASW अभ्यास में भाग लेने के लिए तैनात किया है। |
ग्रेडिंग प्रणाली | – देशों को उनकी पनडुब्बी पहचान और ट्रैकिंग दक्षता के आधार पर ग्रेड दिया जाता है। – जिस देश का प्रदर्शन सर्वोत्तम होता है, उसे “ड्रैगन बेल्ट अवार्ड” प्रदान किया जाता है। – 2022 से लगातार जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF) इस पुरस्कार को जीत रही है। |
ऐतिहासिक विकास | – 2019: अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ। – 2020: जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड शामिल हुए। – 2021: भारत, कनाडा और दक्षिण कोरिया शामिल हुए। – 2024: कनाडा को आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे यह क्वाड + दक्षिण कोरिया अभ्यास बन गया। – 2025: भागीदार देश – संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया। |
भारत के लिए महत्व | – भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को मजबूत करता है। – क्वाड देशों और दक्षिण कोरिया के साथ रक्षा संबंधों को बेहतर बनाता है। – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए भारत की तैयारी को बढ़ाता है। |
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर प्रभाव | – क्षेत्रीय स्थिरता और मुक्त नौवहन सुनिश्चित करता है। – समुद्री खतरों के खिलाफ निवारक रक्षा तंत्र को मजबूत करता है। – अंतरराष्ट्रीय रक्षा सहयोग को मजबूती प्रदान करता है। |