भारत में पिछले 6 सालों में हुए ₹12 हजार लाख करोड़ से अधिक के डिजिटल लेनदेन

पिछले छह वर्षों में भारत ने डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। सरकार के अनुसार, वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2025 के बीच देश में 65,000 करोड़ से अधिक डिजिटल भुगतान लेनदेन दर्ज किए गए, जिनका कुल मूल्य ₹12,000 ट्रिलियन (लाख करोड़) से अधिक रहा।इस तेज़ वृद्धि का मुख्य कारण यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और सरकार द्वारा शुरू की गई लक्षित नीतियां हैं। इन पहलों ने वित्तीय समावेशन को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया है, जिससे छोटे शहरों, गांवों और वंचित समुदायों तक डिजिटल भुगतान की पहुंच सुनिश्चित हो पाई है।

डिजिटल लेनदेन का विस्तार और प्रभाव

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में लिखित उत्तर में बताया कि डिजिटल लेनदेन अब महानगरों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्होंने दूर-दराज़ के क्षेत्रों और लाखों छोटे दुकानदारों व ग्रामीण उपयोगकर्ताओं को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ा है।

  • वित्त वर्ष 2019 से 2025 के बीच 65,000 करोड़ डिजिटल लेनदेन दर्ज हुए।

  • इनका कुल मूल्य ₹12,000 ट्रिलियन रहा।

  • इससे नकदी पर निर्भरता घटी और भारत की औपचारिक वित्तीय व्यवस्था सशक्त हुई।

सरकारी और संस्थागत प्रयास

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI), फिनटेक कंपनियों, बैंकों और राज्य सरकारों की सामूहिक भूमिका रही है।

पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (PIDF)

  • RBI द्वारा 2021 में शुरू किया गया, विशेष रूप से छोटे शहरों, पूर्वोत्तर, जम्मू-कश्मीर और दूरदराज़ इलाकों में डिजिटल भुगतान अवसंरचना को बढ़ावा देने हेतु।

  • 31 मई 2025 तक, देशभर में 4.77 करोड़ डिजिटल टच-प्वाइंट स्थापित किए गए।

RBI का डिजिटल पेमेंट्स इंडेक्स (DPI)

  • मार्च 2018 को आधार मानकर शुरू किया गया (इंडेक्स = 100)।

  • सितंबर 2024 तक यह इंडेक्स 465.33 तक पहुंच गया, जो देश में डिजिटल भुगतान की प्रगति को दर्शाता है।

MSME और छोटे व्यापारियों को समर्थन

सरकार, RBI और NPCI ने छोटे व्यवसायों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को डिजिटल भुगतान अपनाने में सहायता के लिए कई पहलें शुरू कीं:

  • छोटे व्यापारियों में कम मूल्य के BHIM-UPI लेनदेन पर प्रोत्साहन योजनाएं

  • TReDS दिशानिर्देश, जिससे MSMEs अपने चालान प्रतिस्पर्धी दरों पर छूटवा सकें

  • डेबिट कार्ड लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) का युक्तिकरण, जिससे छोटे व्यापारियों की लागत कम हुई

वित्तीय समावेशन पर प्रभाव

डिजिटल भुगतान ने विशेष रूप से वंचित और दूरस्थ समुदायों के लिए वित्तीय पहुंच को पूरी तरह से बदल दिया है:

  • UPI जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से व्यक्ति और छोटे व्यवसाय अब आसान, पारदर्शी और विश्वसनीय लेनदेन कर पा रहे हैं।

  • डिजिटल लेनदेन इतिहास के ज़रिए बैंकों को वैकल्पिक डेटा मिल रहा है, जिससे बिना पारंपरिक दस्तावेज़ों वाले ग्राहकों को भी ऋण की पहुंच संभव हो रही है।

  • यह सब भारत को एक समावेशी और सशक्त डिजिटल वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की ओर ले जा रहा है।

वित्त वर्ष 2021-2025 में कम बैंक बैलेंस के लिए 11 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कितना जुर्माना वसूला?

वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25 के बीच, भारत के ग्यारह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) ने बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि बनाए न रखने पर ग्राहकों से लगभग ₹9,000 करोड़ का जुर्माना वसूला। यह जानकारी वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में साझा की। इस खुलासे ने इस जुर्माने की न्यायसंगतता को लेकर फिर से बहस छेड़ दी है, खासकर जब इसका सीधा असर अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों पर पड़ता है।

न्यूनतम शेष राशि पर जुर्माना समाप्त करने की पहल

जिन प्रमुख बैंकों ने शुल्क हटाए
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने मार्च 2020 में ही औसत मासिक न्यूनतम शेष राशि पर जुर्माना लगाना बंद कर दिया था। इसके बाद, केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी FY26 की दूसरी तिमाही से यह शुल्क समाप्त कर दिया। हालांकि, निजी क्षेत्र के बैंक, जो सार्वजनिक बैंकों की तुलना में अधिक शुल्क वसूलते हैं, अब तक इस जुर्माने को माफ नहीं कर पाए हैं।

जुर्माने के पीछे का तर्क
कुछ बैंक मासिक औसत शेष राशि न बनाए रखने पर शुल्क लगाते थे, जबकि अन्य तिमाही आधार पर दंड वसूलते थे। हालांकि, कुछ खातों को न्यूनतम शेष राशि से छूट दी गई थी, जैसे:

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) खाते

  • बेसिक सेविंग बैंक डिपॉज़िट अकाउंट्स (BSBDA)

  • वेतन खाते

  • अन्य विशेष श्रेणियों के खाते

सरकार का रुख और परामर्श
राज्यसभा में उत्तर देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि वित्तीय सेवा विभाग (DFS) ने बैंकों को जुर्माने के शुल्क को युक्तिसंगत बनाने की सलाह दी है, खासकर अर्ध-शहरी और ग्रामीण ग्राहकों को राहत देने पर जोर दिया गया है। 11 में से 7 सार्वजनिक बैंकों ने इस सलाह को लागू कर दिया है, जबकि शेष 4 जल्द ही इसका पालन करेंगे।

RBI की दिशानिर्देश
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इन शुल्कों को लेकर दिशानिर्देश बनाए हैं। बैंक अपने बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीति के अनुसार जुर्माने का निर्धारण कर सकते हैं। यह शुल्क, खाते में न्यूनतम आवश्यक राशि और वास्तविक शेष राशि के बीच के अंतर के आधार पर एक निश्चित प्रतिशत के रूप में वसूलना चाहिए। RBI ने यह भी कहा है कि ग्राहक सेवा में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

ग्राहकों पर प्रभाव

इन जुर्मानों को लेकर काफी विवाद रहा है —
शहरी ग्राहकों के लिए न्यूनतम शेष राशि बनाए रखना आमतौर पर संभव होता है,
लेकिन अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों के लिए यह एक अतिरिक्त वित्तीय बोझ बन जाता है।
DFS की सलाह और RBI के दिशा-निर्देश इन कमजोर वर्गों की रक्षा करते हुए, बैंकों को सेवा लागत की वसूली का संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

निजी क्षेत्र वित्त वर्ष 28 तक थर्मल पावर में ₹77,000 करोड़ का निवेश करेगा: क्रिसिल

भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक अहम विकास के रूप में, थर्मल पावर उद्योग में वित्त वर्ष 2026 से 2028 के बीच निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा ₹77,000 करोड़ का निवेश किया जाएगा। यह जानकारी क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में सामने आई है। यह बदलाव खास है क्योंकि अदानी पावर, टाटा पावर, JSW एनर्जी और वेदांता पावर जैसी निजी कंपनियाँ अब देश की थर्मल पावर क्षमता को मज़बूत करने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। अधिकांश परियोजनाएँ ब्राउनफील्ड मॉडल पर आधारित होंगी, जिससे भूमि अधिग्रहण जैसी जटिलताओं से बचा जा सकेगा और परियोजनाओं को तेजी से क्रियान्वित किया जा सकेगा।

थर्मल पावर निवेश में दोगुनी वृद्धि

आगामी तीन वर्षों में सार्वजनिक और निजी परियोजनाओं सहित थर्मल पावर क्षेत्र में कुल निवेश बढ़कर ₹2.3 लाख करोड़ होने की उम्मीद है।
अब तक जहां निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी सिर्फ 7–8% थी, वह अब बढ़कर कुल निवेश का लगभग एक-तिहाई हो जाएगी।
यह कोयला-आधारित परियोजनाओं में एक दशक की सुस्ती के बाद निजी क्षेत्र की वापसी और रुचि को दर्शाता है।

निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ने के मुख्य कारण

1. दीर्घकालिक विद्युत खरीद समझौते (PPAs):

  • 10 वर्षों में पहली बार, चार राज्य वितरण कंपनियों (Discoms) ने निजी थर्मल उत्पादकों के साथ 25 वर्षीय PPA पर हस्ताक्षर किए हैं।

  • ये समझौते निवेशकों के लिए वित्तीय जोखिम कम करते हैं।

  • इससे स्थिर राजस्व सुनिश्चित होता है और थर्मल परियोजनाओं की व्यवहार्यता बेहतर होती है।

2. बिजली की बढ़ती मांग:

  • भारत की बिजली मांग वर्ष 2031–32 तक 366 गीगावॉट (GW) तक पहुँचने की संभावना है।

  • सौर और पवन जैसे नवीकरणीय स्रोत इस मांग का लगभग 70% पूरा करेंगे, लेकिन इनकी अंतराल प्रकृति (intermittency) के कारण 24×7 आपूर्ति के लिए थर्मल पावर जरूरी होगा।

  • सरकार ने 2032 तक 80 GW नई कोयला आधारित थर्मल क्षमता की योजना बनाई है, जिसमें से 60 GW की पहल पहले ही हो चुकी है।

निजी क्षेत्र की मुख्य भागीदारी

ब्राउनफील्ड परियोजनाओं पर फोकस:

  • अधिकांश नई क्षमता ब्राउनफील्ड विस्तार के रूप में विकसित की जाएगी, जिससे:

    • भूमि अधिग्रहण में देरी से बचा जा सकेगा।

    • मौजूदा बुनियादी ढांचे और कोयला स्रोतों से जुड़ाव (pit-head linkages) का उपयोग होगा, जिससे तेजी से कार्यान्वयन संभव होगा।

मुख्य कंपनियाँ:

  • अदानी पावर, टाटा पावर, JSW एनर्जी और वेदांता पावर इस विस्तार के प्रमुख खिलाड़ी हैं।

  • ये कंपनियाँ वित्तीय व्यवहार्यता और परिचालन दक्षता को ध्यान में रखते हुए परियोजनाओं में निवेश कर रही हैं।

वेदांता पावर की रणनीतिक योजना

विभाजन (Demerger) और विस्तार योजना:

  • वेदांता पावर एक स्वतंत्र इकाई के रूप में संचालन के लिए डिमर्जर की तैयारी कर रही है।

  • दीर्घकालिक योजना के तहत 15 GW क्षमता जोड़ने की योजना है, मुख्यतः ब्राउनफील्ड परियोजनाओं के ज़रिए।

मौजूदा पोर्टफोलियो का पुनर्जीवन:

  • 2,200 मेगावाट (MW) की परियोजनाओं को फिर से सक्रिय किया जा रहा है:

    • 1,200 MW – छत्तीसगढ़ थर्मल पावर प्लांट (पूर्व में एथेना)।

    • 1,000 MW – मीनाक्षी संयंत्र, दोनों में कोयला निकटता (pit-head advantage) और मौजूदा सप्लाई लिंक है।

वित्तीय दृष्टिकोण:

  • आगामी परियोजनाएँ ₹5.5–₹5.8 प्रति यूनिट की टैरिफ संरचना पर संचालित होंगी।

  • दो-भागीय टैरिफ प्रणाली में:

    • 60% भाग तय शुल्क (fixed charge) के रूप में होगा, जिससे स्थिर रिटर्न सुनिश्चित हो सकेगा।

    • शेष लागत-आधारित मूल्य निर्धारण पर आधारित होगा।

  • इन परियोजनाओं से 15% का आंतरिक प्रतिफल (IRR) प्राप्त होने की संभावना है, जिससे ये आकर्षक और समय पर निष्पादन योग्य बनती हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की पांच वर्षों की यात्रा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, स्वतंत्रता के बाद भारत की तीसरी शिक्षा नीति है, जिसे शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए एक परिवर्तनकारी सुधार के रूप में पेश किया गया था। नीति के लागू होने के पांच वर्ष बाद, यह स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कुछ उल्लेखनीय प्रगति लाने में सफल रही है।

हालाँकि, कई महत्वपूर्ण सुधार संस्थागत विलंब और केंद्र-राज्य विवादों के कारण अब भी अटके हुए हैं, जिससे इसकी पूरी क्षमता का लाभ अभी तक प्राप्त नहीं हो सका है।

विद्यालयी शिक्षा में बदलाव: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख प्रभाव

1. 10+2 से नई संरचना की ओर बदलाव
NEP के अंतर्गत स्कूल शिक्षा का पारंपरिक 10+2 ढांचा हटाकर इसे चार चरणों वाले ढांचे में बदला गया है:

  • आधारभूत चरण (पूर्व-प्राथमिक से कक्षा 2 तक)

  • तैयारी चरण (कक्षा 3 से 5 तक)

  • माध्यमिक चरण (कक्षा 6 से 8 तक)

  • सेकेंडरी चरण (कक्षा 9 से 12 तक)

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFSE 2023) ने हर चरण के लिए स्पष्ट अधिगम परिणाम (learning outcomes) और कौशल निर्धारित किए हैं।

2. एकीकृत पाठ्यपुस्तकें और पाठ्यक्रम
NCERT ने कक्षा 1 से 8 तक की नई पाठ्यपुस्तकें जारी की हैं, जिनमें इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र और अर्थशास्त्र जैसे विषयों को मिलाकर एकीकृत सामाजिक विज्ञान बनाया गया है। कक्षा 9 से 12 की नई किताबें भी जल्द आने की उम्मीद है।

3. प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE)

सार्वभौमिक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य (2030 तक)
इस लक्ष्य के लिए “जादुई पिटारा” किट और राष्ट्रीय ECCE पाठ्यचर्या लॉन्च की गई हैं।

कक्षा 1 में प्रवेश की न्यूनतम आयु: 6 वर्ष
दिल्ली, कर्नाटक, केरल जैसे राज्यों ने इसे लागू किया है। इसके कारण कक्षा 1 में नामांकन 2.16 करोड़ से घटकर 1.87 करोड़ (2023–24) हुआ। 73% छात्रों के पास पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का अनुभव था।

प्रमुख चुनौतियाँ:

  • आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना

  • पूर्व शिक्षा केंद्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना

4. बुनियादी कौशलों को सशक्त बनाना – निपुण भारत मिशन
निपुण भारत मिशन (2021) का उद्देश्य कक्षा 3 तक सभी छात्रों में भाषा और गणना (गणित) की बुनियादी दक्षता सुनिश्चित करना है।
हाल की रिपोर्ट के अनुसार:

  • 64% छात्रों में भाषा में दक्षता

  • 60% छात्रों में गणित में दक्षता
    यह प्रगति दर्शाता है, लेकिन मिशन अभी सार्वभौमिक लक्ष्य से दूर है।

5. क्रेडिट आधारित लचीलापन – Academic Bank of Credits (ABC)
NEP ने अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की शुरुआत की है, जिससे छात्र अपनी शैक्षणिक उपलब्धियाँ डिजिटल रूप से संग्रहीत कर सकते हैं और कोर्स या संस्थान बदलने पर उनका नुकसान न हो।

इस प्रणाली के तहत:

  • 1 वर्ष की पढ़ाई पर प्रमाणपत्र

  • 2 वर्षों पर डिप्लोमा

  • 4 वर्षों पर बहुविषयक डिग्री मिलती है।

यह प्रणाली छात्रों को लचीलेपन के साथ सीखने की सुविधा देती है और शिक्षा को अधिक समावेशी और सुलभ बनाती है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020: उच्च शिक्षा और लंबित सुधारों की स्थिति — हिन्दी में सारांश

1. राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचा (NCrF)

  • NCrF के तहत स्कूल स्तर पर भी कौशल-आधारित अधिगम को क्रेडिट में बदला जा सकता है

  • CBSE ने इसके लिए पायलट प्रोग्राम शुरू कर दिया है।

2. उच्च शिक्षा में सुधार

कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET)

  • 2022 में शुरू किया गया

  • अब सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक प्रवेश के लिए एक समान परीक्षा प्रणाली है, जिससे कई परीक्षाओं का तनाव कम हुआ है।

भारतीय संस्थानों की वैश्विक उपस्थिति

  • अंतरराष्ट्रीय परिसर शुरू:

    • IIT मद्रास – ज़ांज़ीबार

    • IIT दिल्ली – अबू धाबी

    • IIM अहमदाबाद – दुबई

  • विदेशी संस्थान भारत में:

    • यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्प्टन और अन्य संस्थान GIFT सिटी, गुजरात में शुरू हुए हैं।

चार-वर्षीय स्नातक डिग्री कार्यक्रम

  • NEP का विज़न — बहु-निकासी विकल्पों के साथ 4 साल की डिग्री।

  • इसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों और केरल में लागू किया गया है।

  • चुनौतियाँ:

    • फैकल्टी की कमी

    • बुनियादी ढांचे की कमी

3. भाषा और माध्यम

  • नीति के अनुसार, कक्षा 5 तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई को प्रोत्साहन।

  • CBSE ने स्कूलों से पूर्व-प्राथमिक से कक्षा 2 तक इसे शुरू करने को कहा है।

  • NCERT भारतीय भाषाओं में नई किताबें बना रहा है।

  • तीन-भाषा सूत्र विवादास्पद — तमिलनाडु इसे हिंदी थोपने का प्रयास मानता है।

4. चल रहे और लंबित सुधार

बोर्ड परीक्षा में बदलाव

  • CBSE कक्षा 10 की परीक्षा 2026 से साल में दो बार होगी – परीक्षा तनाव कम करने के लिए।

  • कर्नाटक में पहले ही यह मॉडल अपनाया गया है।

समग्र मूल्यांकन रिपोर्ट कार्ड (Holistic Report Cards)

  • PARAKH (NCERT इकाई) ने मूल्यांकन कार्ड तैयार किए हैं:

    • अकादमिक के साथ सहपाठी और आत्म-मूल्यांकन भी।

  • अधिकांश राज्य बोर्डों ने इन्हें अभी नहीं अपनाया है।

शिक्षक शिक्षा सुधार रुके

  • शिक्षक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCTE) अभी तक लंबित है।

  • चार-वर्षीय एकीकृत B.Ed (ITEP) को लेकर भी विरोध है — खासकर उन कॉलेजों में जो पहले से B.El.Ed जैसे पाठ्यक्रम चला रहे हैं।

उच्च शिक्षा आयोग (HECI) की देरी

  • UGC को हटाकर एक एकल नियामक संस्था — HECI बनाने की योजना अभी मसौदा स्तर पर है

5. केंद्र-राज्य विवाद

NEP के कार्यान्वयन में कई राज्यों और केंद्र के बीच टकराव रहा है:

  • केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने PM-SHRI स्कूलों के MoU पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया, यह कहते हुए कि इससे राज्य की स्वायत्तता प्रभावित होती है।

  • तमिलनाडु ने तीन-भाषा सूत्र और चार-वर्षीय डिग्री ढांचे दोनों का विरोध किया।

  • केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा के फंड कुछ राज्यों को रोक दिए — NEP सुधारों से जोड़कर

    • तमिलनाडु ने इस पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है।

  • कर्नाटक ने पुरानी नीति को छोड़कर अपनी नई राज्य शिक्षा नीति तैयार करने की घोषणा की है।

यह स्पष्ट है कि NEP 2020 ने शिक्षा में कई परिवर्तन लाने की कोशिश की है, लेकिन संरचनात्मक अड़चनें, संसाधनों की कमी और राजनीतिक मतभेद इसके पूर्ण कार्यान्वयन में बाधा बन रहे हैं।

जियो ने लॉन्च किया एआई रेडी क्लाउड कम्प्यूटर Jio PC

रिलायंस जियो ने एक क्रांतिकारी डिजिटल सेवा JioPC लॉन्च की है, जो एक क्लाउड-आधारित वर्चुअल डेस्कटॉप सेवा है। यह सेवा किसी भी टेलीविज़न को बिना अलग सीपीयू के एक पूर्ण रूप से कार्यशील पर्सनल कंप्यूटर में बदल देती है। Jio सेट-टॉप बॉक्स के माध्यम से संचालित यह समाधान छात्रों, पेशेवरों और घरेलू उपयोगकर्ताओं के लिए कम लागत में लचीलापन और डेस्कटॉप जैसी सुविधाएं प्रदान करता है। JioPC के माध्यम से उपयोगकर्ता अपने टीवी स्क्रीन पर ही वर्क, स्टडी और ब्राउज़िंग जैसे कार्य कर सकते हैं, जिससे यह डिजिटल इंडिया के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

JioPC क्या है?

JioPC सेवा क्लाउड तकनीक का उपयोग करके उपयोगकर्ताओं को उनके टीवी स्क्रीन पर एक वर्चुअल डेस्कटॉप इंटरफेस प्रदान करती है। उपयोगकर्ता बस Jio सेट-टॉप बॉक्स से टीवी को जोड़कर, कीबोर्ड और माउस कनेक्ट कर सकते हैं और फिर वे वेब ब्राउज़िंग, ऑनलाइन लर्निंग, प्रोग्रामिंग और डॉक्यूमेंट एडिटिंग जैसे जरूरी कंप्यूटिंग कार्य कर सकते हैं। पारंपरिक कंप्यूटरों के विपरीत, JioPC को सीपीयू या भारी हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह घर के उपयोग के लिए कम बजट और जगह बचाने वाला विकल्प बन जाता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ़्टवेयर सपोर्ट

JioPC पर Ubuntu (Linux) चलता है, जो एक लोकप्रिय और व्यापक रूप से उपयोग होने वाला ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह प्लेटफ़ॉर्म LibreOffice के साथ पहले से इंस्टॉल आता है, जिससे उपयोगकर्ताओं को बुनियादी प्रोडक्टिविटी कार्यों जैसे डॉक्यूमेंट बनाना, स्प्रेडशीट और प्रेजेंटेशन तैयार करना आसान हो जाता है।

इसके अतिरिक्त, उपयोगकर्ता ब्राउज़र के ज़रिए Microsoft Office एप्लिकेशन (जैसे Word, Excel और PowerPoint) का भी उपयोग कर सकते हैं, जिससे उन लोगों को भी सुविधा मिलती है जो इन टूल्स पर निर्भर हैं। क्रिएटिव यूज़र्स के लिए, JioPC ने Adobe के साथ साझेदारी की है, जिसके तहत Adobe Express का मुफ्त उपयोग उपलब्ध है — यह डिज़ाइन और कंटेंट क्रिएशन के लिए एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है।

उत्पादकता को और बेहतर बनाने के लिए, ग्राहकों को Jio Workspace का एक महीने का ट्रायल भी मिलता है, जिसमें ब्राउज़र-आधारित Microsoft Office टूल्स और 512GB का विस्तारित क्लाउड स्टोरेज शामिल है।

प्लान और मूल्य निर्धारण

JioPC एक पे-एज़-यू-गो (Pay-as-you-go) मॉडल पर आधारित है, जिससे उपयोगकर्ताओं को किसी दीर्घकालिक कॉन्ट्रैक्ट या मेंटेनेंस शुल्क से नहीं जूझना पड़ता। इसकी योजनाएं विभिन्न ज़रूरतों के अनुसार बनाई गई हैं:

  • बेसिक प्लान: ₹599 प्रति माह + GST

  • त्रैमासिक ऑफर: ₹1,499 में तीन महीने, साथ में एक अतिरिक्त महीना मुफ्त (कुल 4 महीने)

  • वार्षिक प्लान: ₹4,599 में 12 महीने, साथ में 3 मुफ्त महीने (कुल 15 महीने)

यह मूल्य निर्धारण रणनीति JioPC को उन परिवारों और छात्रों के लिए एक किफायती समाधान बनाती है जो बिना महंगे कंप्यूटर या लैपटॉप में निवेश किए भरोसेमंद कंप्यूटिंग सुविधा चाहते हैं।

तकनीकी विशेषताएं

हर JioPC वर्चुअल मशीन एक मजबूत कॉन्फ़िगरेशन के साथ आती है, जो सामान्य से मध्यम स्तर की कंप्यूटिंग आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है:

  • 4 CPUs – स्मूद मल्टीटास्किंग के लिए

  • 8GB RAM – स्थिर परफॉर्मेंस के लिए

  • 100GB क्लाउड स्टोरेज – (ट्रायल अवधि में विस्तार योग्य)

इन सुविधाओं के साथ उपयोगकर्ता डॉक्यूमेंट पर काम कर सकते हैं, इंटरनेट ब्राउज़ कर सकते हैं और एक साथ कई एप्लिकेशन का उपयोग आसानी से कर सकते हैं।

ध्यान देने योग्य सीमाएं

हालाँकि JioPC किफायती कंप्यूटिंग के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव है, लेकिन वर्तमान में इसकी कुछ सीमाएं भी हैं:

  • हार्डवेयर परिधीय (पेरिफेरल्स) जैसे वेबकैम और प्रिंटर का समर्थन नहीं करता।

  • सभी प्रक्रियाएं क्लाउड सर्वर पर चलती हैं, इसलिए निरंतर और स्थिर इंटरनेट कनेक्शन आवश्यक है।

ये सीमाएं उन उपयोगकर्ताओं के लिए बाधा बन सकती हैं जिन्हें काम या पेशेवर उपयोग के लिए हार्डवेयर कनेक्टिविटी की व्यापक ज़रूरत होती है।

JioPC कैसे सेट करें

JioPC को सेट करना आसान और त्वरित है:

  1. Jio सेट-टॉप बॉक्स को चालू करें।

  2. Apps सेक्शन में जाकर JioPC एप्लिकेशन खोलें।

  3. लिंक किए गए मोबाइल नंबर से पंजीकरण करें।

  4. तुरंत अपने क्लाउड-बेस्ड डेस्कटॉप तक पहुंच प्राप्त करें।

कौन करें उपयोग?

JioPC विशेष रूप से इन उपयोगकर्ताओं के लिए फायदेमंद है:

  • छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं और असाइनमेंट हेतु।

  • गृह उपयोगकर्ताओं के लिए ब्राउज़िंग, ऑनलाइन लर्निंग और दस्तावेज़ प्रबंधन में।

  • शुरुआती प्रोग्रामर्स के लिए जो बजट-फ्रेंडली कोडिंग सेटअप चाहते हैं।

  • क्रिएटिव लर्नर्स के लिए जो Adobe Express और AI टूल्स का उपयोग करते हैं।

कम लागत में डेस्कटॉप-स्तरीय प्रदर्शन उपलब्ध कराकर, JioPC भारत के घरेलू उपयोगकर्ताओं के लिए एक प्रभावी डिजिटल समावेशन उपकरण के रूप में उभर रहा है।

भारत की कॉन्सर्ट अर्थव्यवस्था 2032 तक 12 मिलियन नौकरियां पैदा करेगी

भारत की कॉन्सर्ट इकॉनमी तेजी से रोजगार और आर्थिक विकास का एक सशक्त माध्यम बनकर उभर रही है, जो केवल महानगरों तक सीमित नहीं रह गई है। NLB सर्विसेज के अनुसार, यह उद्योग 2030 से 2032 के बीच लगभग 1.2 करोड़ अस्थायी नौकरियों का सृजन कर सकता है।टियर-2 और टियर-3 शहरों में लाइव एंटरटेनमेंट के आयोजन में तेजी देखी जा रही है, जिससे न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ रहा है, बल्कि भारत के सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्य में भी यह क्षेत्र एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

भारत में लाइव कॉन्सर्ट उद्योग का विस्तार

परंपरागत रूप से, बड़े पैमाने पर होने वाले कॉन्सर्ट केवल मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे महानगरों तक सीमित थे। लेकिन हाल के वर्षों में यह उद्योग अब गुवाहाटी, जयपुर, लखनऊ, कोच्चि और चंडीगढ़ जैसे शहरों में भी तेजी से फैल रहा है।

इस विकास के पीछे प्रमुख कारण हैं:

  • बेहतर कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा

  • छोटे शहरों में आकांक्षी युवा दर्शक वर्ग

  • उभरते बाजारों में ब्रांड्स की बढ़ती रुचि

इसका नतीजा यह हुआ है कि लाइव कॉन्सर्ट अब केवल कभी-कभार होने वाले आयोजन नहीं रहे, बल्कि यह साल भर चलने वाली आर्थिक गतिविधियों में तब्दील हो रहे हैं।

रोज़गार सृजन: युवाओं और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए वरदान

अब प्रत्येक बड़े कॉन्सर्ट या कार्यक्रम से 15,000 से 20,000 तक अस्थायी नौकरियां उत्पन्न होती हैं। ये नौकरियां कई क्षेत्रों में फैलती हैं, जैसे:

  • भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा

  • आतिथ्य और लॉजिस्टिक्स

  • डिजिटल मीडिया और प्रचार

  • आर्टिस्ट मैनेजमेंट और साउंड इंजीनियरिंग

  • इवेंट प्रोडक्शन और टेक्नोलॉजी

NLB सर्विसेज के CEO सचिन आलुग के अनुसार, इन नौकरियों में से लगभग 10–15% नौकरियां अब स्थायी रोजगार में बदल रही हैं, विशेष रूप से ऑडियो इंजीनियरिंग, प्रोडक्शन मैनेजमेंट और डिजिटल रणनीति जैसे क्षेत्रों में।

यह रोजगार वृद्धि छोटे शहरों में स्थानीय युवाओं को सशक्त बना रही है और स्थानीय आर्थिक विकास को गति दे रही है।

कॉन्सर्ट्स का आर्थिक प्रभाव: मनोरंजन से परे एक नई अर्थव्यवस्था

लाइव कॉन्सर्ट्स का असर केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है। उदाहरण के तौर पर, कोल्डप्ले का 2024 में अहमदाबाद में हुआ कॉन्सर्ट शहर की अर्थव्यवस्था को लगभग ₹641 करोड़ का बढ़ावा देने वाला साबित हुआ, जिसमें से ₹72 करोड़ जीएसटी के रूप में एकत्र हुए।

इस कार्यक्रम से जुड़े आर्थिक प्रभावों में शामिल थे:

  • फ्लाइट्स और होटलों की पूरी बुकिंग

  • रेस्तरां और स्थानीय व्यापारों की बिक्री में भारी वृद्धि

  • पर्यटन और MSME गतिविधियों को बढ़ावा

ये आंकड़े दर्शाते हैं कि कॉन्सर्ट्स अब स्थानीय आर्थिक विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने वाले महत्वपूर्ण साधन बनते जा रहे हैं।

उद्योग का विकास और चुनौतियां

भारत का लाइव एंटरटेनमेंट क्षेत्र अब लगभग ₹15,000 करोड़ का हो चुका है। लोलापालूजा इंडिया और बैंडलैंड जैसे प्रमुख फेस्टिवल्स न केवल रोजगार सृजन कर रहे हैं, बल्कि सांस्कृतिक प्रभाव भी डाल रहे हैं।

लेकिन यह उद्योग कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों का भी सामना कर रहा है, विशेषकर कुशल पेशेवरों की कमी के मामले में, जैसे:

  • लाइव प्रोडक्शन

  • लाइटिंग टेक्नोलॉजी

  • टिकटिंग और इवेंट टेक सॉल्यूशंस

विशेषज्ञों का मानना है कि इस अंतर को पाटने के लिए प्रशिक्षण और प्रमाणन कार्यक्रमों में निवेश की अत्यंत आवश्यकता है, खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में, जहां मांग तेजी से बढ़ रही है।

उद्योग विशेषज्ञों की राय

सचिन आलुग, CEO, NLB Services के अनुसार, “लाइव इवेंट्स अब साल भर चलने वाली आर्थिक गतिविधियाँ बन चुकी हैं, जो केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि युवा सशक्तिकरण और रोज़गार के औपचारिकरण को भी बढ़ावा देती हैं।”

नमन पुगलिया, Chief Business Officer – Live Events, BookMyShow ने बताया कि भारत का लाइव एंटरटेनमेंट अब अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँच चुका है, जो रोजगार, पर्यटन और सांस्कृतिक प्रभाव पैदा कर रहा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कोल्डप्ले के अहमदाबाद कॉन्सर्ट में 15,000 से अधिक नौकरियाँ उत्पन्न हुईं, जिनमें से लगभग 9,000 स्थानीय लोगों को दी गईं।

सरकार और कॉर्पोरेट समर्थन: स्थायित्व की कुंजी

राज्य सरकारों की नीतिगत मदद, बुनियादी ढांचे का विकास और कॉर्पोरेट निवेश की बदौलत कंसर्ट इकोनॉमी अब भारत की जीडीपी में औपचारिक योगदानकर्ता बनती जा रही है। यह एक दुर्लभ अवसर है जिसमें सरकार, उद्योग जगत और स्किलिंग संस्थान मिलकर एक स्थायी प्रतिभा तंत्र का निर्माण कर सकते हैं, जिससे अगले दशक में इस क्षेत्र की विशाल रोजगार संभावनाएं पूरी हो सकें।

रूस के कामचटका में 8.7 तीव्रता का भूकंप, सुनामी की चेतावनी जारी

रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र कामचटका में मंगलवार (29 जुलाई 2025) रात 11:24 बजे (GMT) 8.7 तीव्रता का भूकंप आया। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, भूकंप का केंद्र पेत्रोपावलोव्स्क-कामचत्स्की शहर से 125 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में, अवाचा खाड़ी के पास 19.3 किलोमीटर की गहराई पर था। इससे सतह पर जोरदार झटके महसूस किए गए। हालांकि USGS ने पहले भूकंप की तीव्रता 8.0 बताई थी, लेकिन बाद में नए आंकड़ों के अनुसार इसे 8.7 कर दिया गया। इस शक्तिशाली भूकंप के बाद प्रशांत महासागर के कई हिस्सों में सुनामी की चेतावनी जारी की गई है।

भूकंप का उपकेंद्र और तीव्रता

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने पहले इस भूकंप की तीव्रता 8.0 दर्ज की थी, जिसे बाद में 8.7 कर दिया गया। यह पिछले कई दशकों में इस क्षेत्र में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जा रहा है।

  • गहराई: 19.3 किलोमीटर (कम गहराई, जिससे सुनामी का खतरा अधिक होता है)

  • स्थान: पेट्रोपावलोव्स्क-कमचात्स्की से लगभग 125 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व, यह शहर अवाचा बे पर स्थित है और यहां लगभग 1.65 लाख लोग रहते हैं।

  • राज्यपाल व्लादिमीर सोलोडोव ने इसे “दशकों में सबसे शक्तिशाली भूकंप” बताया।

  • स्थानीय अधिकारियों ने कुछ इमारतों—जैसे कि एक बालवाड़ी (किंडरगार्टन)—को नुकसान की सूचना दी है, हालांकि बड़े पैमाने पर विनाश नहीं हुआ है।

कमचटका में सुनामी प्रभाव

रूसी आपातकालीन मंत्रालय ने पुष्टि की कि कमचटका क्षेत्र के कुछ हिस्सों में 3 से 4 मीटर ऊँची सुनामी लहरें दर्ज की गईं। “सुनामी संभावित क्षेत्रों में समुद्र तट से दूर रहें और लाउडस्पीकर पर दिए जा रहे निर्देशों का पालन करें,” मंत्रालय ने चेतावनी दी।

सेवेरो-कुरील्स्क में संभावित ऊँची लहरों की चेतावनी के बाद तत्काल निकासी के आदेश दिए गए। आपातकालीन सेवाओं ने लगातार आफ्टरशॉक्स (भूकंप के बाद के झटकों) की भी रिपोर्ट दी है, हालांकि कोई बड़ा झटका अपेक्षित नहीं है।

प्रशांत क्षेत्र में सुनामी अलर्ट

इस शक्तिशाली भूकंप के बाद प्रशांत महासागर के कई देशों में सुनामी चेतावनियों की श्रृंखला शुरू हो गई:

  • जापान: जापान के मौसम विभाग ने प्रशांत तटीय क्षेत्रों के लिए सुनामी परामर्श जारी किया।

    • अनुमानित लहरें: अधिकतम 1 मीटर ऊँची।

    • होक्काइदो में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ।

  • संयुक्त राज्य अमेरिका (अलास्का और हवाई):

    • अमेरिकी सुनामी चेतावनी प्रणाली ने खतरनाक लहरों की चेतावनी दी।

    • एल्युशियन द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में तुरंत चेतावनी लागू की गई।

    • कैलिफोर्निया, ओरेगन, वॉशिंगटन और हवाई तक निगरानी बढ़ा दी गई।

  • न्यूज़ीलैंड:

    • सिविल डिफेंस ने लोगों को समुद्र तटों से दूर रहने की सलाह दी, क्योंकि असामान्य और तेज धाराओं की आशंका जताई गई।

  • अन्य प्रशांत राष्ट्र:

    • दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, ताइवान: लहरों की ऊँचाई 0.3 मीटर से कम।

    • फिलिपींस, मार्शल द्वीप, पалау: 0.3 से 1 मीटर ऊँची लहरें।

    • गुआम, हवाई, जापान के कुछ हिस्सों: 1 से 3 मीटर ऊँचाई तक।

    • उत्तर-पश्चिमी हवाई द्वीप और रूसी तट: 3 मीटर से अधिक ऊँची लहरें।

भूकंप विज्ञानी कहते हैं कि इस तरह के कम गहराई वाले भूकंप दूरस्थ समुद्र तटों तक लंबी दूरी की सुनामी लहरें पैदा कर सकते हैं।

चोटें और स्थानीय प्रतिक्रिया

हालांकि कोई मृत्यु दर्ज नहीं की गई है, कमचटका के स्वास्थ्य मंत्री ओलेग मेल्निकोव ने कुछ मामूली चोटों की पुष्टि की:

  • कुछ लोग बाहर भागते समय घायल हो गए।

  • एक मरीज खिड़की से कूदने पर घायल हुआ।

  • एक अन्य व्यक्ति नए एयरपोर्ट टर्मिनल में घायल हुआ।

  • सभी घायलों की स्थिति संतोषजनक बताई गई है।

कमचटका में भूकंपीय इतिहास

कमचटका क्षेत्र पैसिफिक रिंग ऑफ फायर में स्थित है, जो दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय और ज्वालामुखीय क्षेत्रों में से एक है।

  • जुलाई 2025 में ही क्षेत्र में पांच बड़े भूकंप आए थे, जिनमें सबसे बड़ा 7.4 तीव्रता का था।

  • 4 नवंबर 1952 को 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने हवाई में 9.1 मीटर ऊँची लहरें पैदा की थीं।
    हालांकि भारी नुकसान हुआ था, लेकिन कोई मृत्यु दर्ज नहीं हुई थी।

यह इतिहास कमचटका क्षेत्र की भूकंपीय संवेदनशीलता और भविष्य में संभावित खतरे को उजागर करता है।

DRDO ने किया प्रलय मिसाइल का लगातार दूसरा सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 28 और 29 जुलाई 2025 को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप, ओडिशा से ‘प्रलय’ मिसाइल के दो लगातार सफल परीक्षण किए। ये उपयोगकर्ता मूल्यांकन परीक्षण (User Evaluation Trials) मिसाइल की अधिकतम और न्यूनतम मारक सीमा की पुष्टि के लिए किए गए थे, जिनमें इसकी उच्च सटीकता और विश्वसनीयता सिद्ध हुई। पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित ‘प्रलय’ मिसाइल अत्याधुनिक मार्गदर्शन (guidance) और नेविगेशन सिस्टम से लैस है। यह विभिन्न प्रकार के वारहेड्स (warheads) को ले जाने में सक्षम है, जिससे यह भारतीय सशस्त्र बलों की संचालनिक तैयारी (operational readiness) को काफी मजबूती प्रदान करती है। इस सफल परीक्षण ने एक बार फिर भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं और प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भरता को मजबूत किया है।

ओडिशा तट से ‘प्रलय’ मिसाइल के सफल परीक्षण

रक्षा मंत्रालय (MoD) ने घोषणा की है कि DRDO ने 28 और 29 जुलाई 2025 को ओडिशा तट स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से ‘प्रलय’ मिसाइल के दो लगातार सफल उड़ान परीक्षण किए। ये परीक्षण उपयोगकर्ता मूल्यांकन अभ्यास (User Evaluation Exercises) के तहत किए गए, जिनका उद्देश्य मिसाइल प्रणाली की अधिकतम और न्यूनतम मारक सीमा को प्रमाणित करना था। मंत्रालय के अनुसार, मिसाइल ने निर्धारित मार्ग (trajectory) का सफलतापूर्वक पालन किया और चिह्नित लक्ष्य बिंदु को सटीकता से भेदा, जिससे सभी तय मानदंड पूरे हुए। इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) द्वारा तैनात उन्नत ट्रैकिंग सेंसरों—जिनमें एक निकटवर्ती पोत पर स्थापित उपकरण भी शामिल थे—ने मिसाइल के प्रदर्शन की सत्यापन प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

प्रलय मिसाइल की विशेषताएं

प्रलय मिसाइल एक स्वदेशी रूप से विकसित ठोस ईंधन आधारित अर्ध-प्रक्षेपवक्रिक (quasi-ballistic) मिसाइल है, जिसे DRDO द्वारा विकसित किया गया है। इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • उच्च सटीकता वाली मार्गदर्शन प्रणाली: इसमें अत्याधुनिक नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणालियाँ हैं जो लक्ष्य पर सटीक प्रहार सुनिश्चित करती हैं।

  • बहु-वारहेड क्षमता: यह मिसाइल विभिन्न प्रकार के वारहेड्स ढोने में सक्षम है, जिससे यह कई प्रकार के लक्ष्यों पर हमला कर सकती है और इसकी परिचालन बहुउपयोगिता बढ़ती है।

  • स्वदेशी विकास: इसे रिसर्च सेंटर इमरत (RCI) द्वारा अन्य DRDO प्रयोगशालाओं जैसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी (DRDL), एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी (ASL) और आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ARDE) के सहयोग से विकसित किया गया है।

  • औद्योगिक भागीदारी: इसमें प्रमुख भारतीय रक्षा कंपनियाँ जैसे भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और कई अन्य भारतीय उद्योग व MSMEs शामिल हैं।

सशस्त्र बलों और रक्षा उद्योग की उपस्थिति

मिसाइल परीक्षणों के दौरान DRDO के वरिष्ठ वैज्ञानिकों, भारतीय वायुसेना और थलसेना के प्रतिनिधियों, और रक्षा क्षेत्र के औद्योगिक साझेदारों की उपस्थिति रही। यह परीक्षण प्रणाली को भारत की रक्षा क्षमताओं में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

DRDO की हालिया उपलब्धियाँ

प्रलय मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद DRDO ने एक और महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। 25 जुलाई 2025 को, DRDO ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल स्थित नेशनल ओपन एरिया रेंज (NOAR) में Unmanned Aerial Vehicle Launched Precision Guided Missile (ULPGM)-V3 का सफल परीक्षण किया।

ULPGM-V3 मिसाइल, अपने पिछले संस्करण ULPGM-V2 का उन्नत संस्करण है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • हाई-डेफिनिशन डुअल-चैनल सीकर: विभिन्न प्रकार के लक्ष्यों को सटीकता से भेदने में सक्षम।

  • दिवा-रात्रि संचालन की क्षमता: दिन और रात दोनों में प्रभावी मिशनों के लिए उपयुक्त।

  • टू-वे डाटा लिंक: प्रक्षेपण के बाद भी लक्ष्य बिंदु को अद्यतन (अपडेट) करने की सुविधा।

  • तीन प्रकार के मॉड्यूलर वारहेड विकल्प:

    • एंटी-आर्मर (टैंक-रोधी)

    • पिनेट्रेशन-कम-ब्लास्ट (बंकर-भेदी विस्फोट)

    • प्री-फ्रैगमेंटेशन विद हाई लेथैलिटी (अधिक घातकता वाला टुकड़ा-विस्फोटक वारहेड)

इन निरंतर सफल परीक्षणों के माध्यम से DRDO ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि वह स्वदेशी नवाचार और उन्नत प्रौद्योगिकी विकास के ज़रिए भारत की रक्षा क्षमता को सशक्त बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

भारतीय तटरक्षक बल के तीव्र गश्ती पोत ‘अटल’ का गोवा में जलावतरण

भारत ने अपनी तटीय सुरक्षा और समुद्री निगरानी क्षमताओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। गोवा में भारतीय तटरक्षक बल के नवीनतम तेज गश्ती पोत (Fast Patrol Vessel – FPV) ‘अटल’ का जलावतरण किया गया। यह पोत गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) द्वारा वास्को-दा-गामा में निर्मित किया गया है और आठ अत्याधुनिक एफपीवी श्रृंखला में यह छठा पोत है। यह जलयान रक्षा निर्माण में ‘आत्मनिर्भरता’ के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित है।

जहाज निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

तेज गश्ती पोत ‘अटल’ (यार्ड 1275) को रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत सार्वजनिक उपक्रम गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) द्वारा डिज़ाइन और निर्मित किया गया है। यह लॉन्च भारत की बढ़ती समुद्री रक्षा क्षमताओं का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि देश अब उन्नत रक्षा प्रणालियों के निर्माण में विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं रह रहा है। ‘अटल’ का जलावतरण टीम GSL की अटूट प्रतिबद्धता, नवाचार और स्वदेशीकरण के प्रति समर्पण को दर्शाता है, जो उन्होंने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों के बावजूद सिद्ध किया है।

FPV ‘अटल’ की विशेषताएँ और क्षमताएँ:

  • आकार व भार: यह पोत 52 मीटर लंबा, 8 मीटर चौड़ा है और इसका वजन लगभग 320 टन है। इसकी संरचना इसे तेज़ और फुर्तीला बनाती है, जो तटीय सुरक्षा अभियानों के लिए उपयुक्त है।

  • संचालन भूमिकाएँ: ‘अटल’ को तटीय गश्त, द्वीप सुरक्षा, अपतटीय परिसंपत्ति रक्षा, तस्करी-विरोधी, समुद्री डकैती-रोधी और खोज व बचाव अभियानों के लिए तैयार किया गया है।

  • आधुनिक डिज़ाइन: GSL द्वारा देश में ही विकसित डिज़ाइन अत्याधुनिक नौसैनिक वास्तुकला का उदाहरण है, जो गति और स्थिरता दोनों सुनिश्चित करता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान:

FPV ‘अटल’ का जलावतरण भारत की समुद्री सतर्कता को बढ़ाता है और भारतीय तटरेखा पर राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करता है। हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और तस्करी व समुद्री डकैती जैसी चुनौतियों के मद्देनज़र, ऐसे पोत भारत की अग्रिम रक्षा पंक्ति बनाते हैं। मुख्य अतिथि रोज़ी अग्रवाल (प्रधान आंतरिक वित्तीय सलाहकार, तटरक्षक मुख्यालय) ने GSL की क्षमता की सराहना की और पोत के माध्यम से भारत की समुद्री सुरक्षा संरचना को सुदृढ़ करने की दिशा में इसे महत्वपूर्ण बताया।

भागीदारी और सहयोग:

इस अवसर पर भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय नौसेना, रक्षा मंत्रालय और रणनीतिक औद्योगिक भागीदारों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जो भारत की रक्षा तैयारी को सशक्त बनाने में संयुक्त प्रयासों को दर्शाता है।

Asian Youth TT Championships: दिव्यांशी भौमिक ने गोल्ड जीत रचा इतिहास

भारत की युवा टेबल-टेनिस खिलाड़ी दिव्यांशी भौमिक ने एशियन यूथ टेबल टेनिस चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। 14 वर्षीय दिव्यांशी इस चैंपियनशिप की अंडर-15 कैटेगरी में खेल रही थीं। अंडर-15 बालिका एकल खिताब जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया। दिव्यांशी की ये स्वर्णिम सफलता इसलिए भी विशिष्ट है क्योंकि 36 वर्षों बाद किसी भारतीय खिलाड़ी ने ये खिताब जीता है।गोल्ड मेडल मैच में दिव्यांशी ने चीन की झू छीही को 4-2 से हराया।

एशियन यूथ टेबल टेनिस चैंपियनशिप का फाइनल जीतकर 36 वर्षों बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी दिव्यांशी ने पूरे टूर्नामेंट में असाधारण प्रदर्शन किया। भारत की युवा सनसनी ने तीन चीनी खिलाड़ियों को हराया। भारत ने इस कड़ी प्रतियोगिता में एक स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदकों अपने नाम किए।

कई और भी पुरस्कार जीत चुकी हैं दिव्यांशी भौमिक

रिपोर्ट के मुताबिक दिव्यांशी दानी स्पोर्ट्स फाउंडेशन के डेवलपमेंट प्रोग्राम का हिस्सा हैं। फाउंडेशन अल्टीमेट टेबल टेनिस (UTT) के साथ मिलकर युवा प्रतिभाओं को निखारने की मुहिम में जुटा है। उन्होंने ड्रीम UTT जूनियर्स के पहले संस्करण में भी पुरस्कार जीता था। इसी साल अप्रैल में टेबल टेनिस सुपर लीग महाराष्ट्र में दिव्यांशी को सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी (ओवरऑल) चुना गया था।

भारत का समग्र प्रदर्शन

भारत ने इस चैंपियनशिप में अपना अभियान एक स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदकों के साथ समाप्त किया। हालांकि, इस प्रतियोगिता की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि दिव्यांशी की ऐतिहासिक जीत रही, जिसने भारत में युवा टेबल टेनिस के पुनरुत्थान का संकेत दिया और भविष्य में और भी बड़ी सफलता की उम्मीद जगाई।

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