भारत की हरित इस्पात क्रांति: क्या है 25% खरीद नियम?

भारत सरकार एक हरित इस्पात खरीद नीति (Green Steel Procurement Policy) को अंतिम रूप दे रही है, जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र में इस्पात की कुल खरीद का 25% हिस्सा कम उत्सर्जन और पर्यावरण-अनुकूल तरीकों से उत्पादित इस्पात से लेना अनिवार्य हो सकता है। इस पहल का उद्देश्य हरित इस्पात की मांग को प्रोत्साहित करना है, जिससे भारत जलवायु-सम्मत औद्योगिक नीतियों में वैश्विक अग्रणी बन सके।

पृष्ठभूमि
हरित इस्पात (Green Steel) से तात्पर्य उस इस्पात से है जिसे हाइड्रोजन-आधारित डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (DRI) या नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस जैसे निम्न-कार्बन तकनीकों के माध्यम से बनाया जाता है, न कि पारंपरिक कोयला-आधारित ब्लास्ट फर्नेस से। चूंकि इस्पात उद्योग दुनिया के सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जक क्षेत्रों में से एक है, इसलिए इसके उत्पादन को स्वच्छ बनाना भारत के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

महत्त्व
भारत में कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 10–12% इस्पात क्षेत्र से आता है, इसलिए इसका डीकार्बोनाइजेशन (कार्बन उत्सर्जन में कमी) बहुत जरूरी है। इस्पात बुनियादी ढांचे, ऑटोमोबाइल और विनिर्माण का आधार है, और इसे हरित बनाना यह सुनिश्चित करता है कि औद्योगिक विकास पर्यावरणीय स्थिरता की कीमत पर न हो। 2018 से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक होने के नाते, भारत यदि हरित इस्पात में नेतृत्व करता है तो यह उसके वैश्विक जलवायु दायित्व और व्यापार प्रतिस्पर्धा को मज़बूत करेगा।

उद्देश्य
इस नीति का प्रमुख उद्देश्य हरित इस्पात की बाजार मांग बनाना है, जो वर्तमान में सस्ते और उच्च उत्सर्जन वाले विकल्पों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करता है। सार्वजनिक क्षेत्र में 25% अनिवार्य खरीद लागू करके सरकार उद्योग को एक प्रारंभिक समर्थन देना चाहती है, जिससे निजी कंपनियां भी निम्न-कार्बन तकनीकों में निवेश और नवाचार के लिए प्रेरित हों।

प्रमुख विशेषताएँ

  • सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात खरीद का 25% हरित इस्पात से करने की अनिवार्यता।

  • इस्पात मंत्रालय द्वारा एक समर्पित रोडमैप के माध्यम से नीति का कार्यान्वयन।

  • हाइड्रोजन-आधारित DRI, इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग।

  • स्टील स्क्रैप को कच्चे माल के रूप में अपनाना, जिससे उत्सर्जन में लगभग 58% तक की कमी संभव।

  • सहायक योजनाएं जैसे:

    • स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति (2019)

    • PAT योजना (Perform, Achieve, Trade)

    • राष्ट्रीय सौर मिशन (2010) – नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु।

चुनौतियाँ
हरित इस्पात का उत्पादन अभी भी पारंपरिक विधियों की तुलना में महंगा है। हाइड्रोजन-आधारित DRI और कार्बन कैप्चर जैसी तकनीकें अभी विकास के चरण में हैं और वाणिज्यिक स्तर पर सीमित हैं। हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसकी उपलब्धता अभी सीमित है। साथ ही, अनिवार्य मानकों और पर्याप्त मांग-आधारित प्रोत्साहनों की कमी के कारण निजी कंपनियां बड़े पैमाने पर निवेश करने से हिचकिचा रही हैं।

भारत में उठाए गए कदम
इस्पात मंत्रालय ने “भारत में इस्पात क्षेत्र का हरितरण: रोडमैप और कार्य योजना” नामक एक रिपोर्ट जारी की है, जो 14 कार्यबलों की सिफारिशों पर आधारित है। स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति (2019) और वाहन परित्याग नियम (2021) स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से लागू किए गए हैं। राष्ट्रीय सौर मिशन (2010) और PAT योजना उद्योगों को ऊर्जा खपत घटाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जिससे इस्पात क्षेत्र को निम्न-कार्बन विकास की ओर ले जाया जा रहा है।

इसरो 2026 तक 3 और नेविगेशन नाविक उपग्रह लॉन्च करेगा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) वर्ष 2026 तक तीन और नेविगेशन उपग्रह — NVS-03, NVS-04 और NVS-05 — प्रक्षेपित करने जा रहा है, जिससे भारत की क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली NavIC (Navigation with Indian Constellation) को और सुदृढ़ किया जाएगा। इन उपग्रहों की तैनाती से भारत की स्वतंत्र नेविगेशन क्षमताएं मजबूत होंगी, जो नागरिक और सैन्य दोनों उपयोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होंगी।

पृष्ठभूमि
NavIC, जिसे पहले भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) कहा जाता था, भारत की स्वदेशी क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है। इसे विदेशी GPS प्रणालियों पर निर्भरता कम करने और भारत व उसके सीमाओं से 1,500 किमी बाहर तक सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। इस प्रणाली में 7 उपग्रह शामिल हैं, जिन्हें एक ग्राउंड स्टेशन नेटवर्क द्वारा चौबीसों घंटे नियंत्रित और मॉनिटर किया जाता है।

महत्त्व
NavIC भारत की अंतरिक्ष तकनीक में रणनीतिक स्वायत्तता का प्रतीक है। यह रक्षा और आपदा प्रबंधन के लिए सुरक्षित नेविगेशन सेवाएं सुनिश्चित करता है, वहीं नागरिक जरूरतों के लिए भी विश्वसनीय समाधान प्रदान करता है। NVS श्रृंखला के माध्यम से उपग्रहों की संख्या और क्षमता बढ़ाकर भारत न केवल नेविगेशन की सटीकता को बढ़ाएगा, बल्कि क्षेत्रीय तकनीकी नेतृत्व को भी मजबूत करेगा।

उद्देश्य
इन नए प्रक्षेपणों का मुख्य उद्देश्य मौजूदा NavIC प्रणाली को दूसरी पीढ़ी के उपग्रहों से सशक्त बनाना है, जिससे इसकी विश्वसनीयता, कवरेज और सटीकता में वृद्धि हो सके। यह रक्षा, परिवहन, आपदा प्रबंधन और बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए निर्बाध सेवाएं सुनिश्चित करेगा।

NavIC की प्रमुख विशेषताएं

  • 7 उपग्रहों का तारामंडल (3 भू-स्थिर और 4 झुके हुए भू-समकालिक कक्षाओं में)।

  • नागरिकों के लिए Standard Positioning Service (SPS) और रणनीतिक उपयोग के लिए Restricted Service (RS)।

  • कोर क्षेत्र में 20 मीटर से बेहतर लोकेशन एक्यूरेसी और 40 नैनोसेकंड के भीतर समय सटीकता।

  • ग्राउंड नेटवर्क में नियंत्रण केंद्र, समय समन्वय सुविधाएं और निगरानी स्टेशन शामिल।

  • वर्तमान में केवल 7 में से 4 उपग्रह पूर्ण रूप से कार्यशील हैं, जिससे NVS उपग्रहों का प्रक्षेपण अत्यंत आवश्यक है।

NVS श्रृंखला

  • NVS-01 से NVS-05 तक की यह श्रृंखला NavIC के दूसरे चरण के उपग्रह हैं।

  • NVS-01 को 2023 में भारत में निर्मित परमाणु घड़ी के साथ लॉन्च किया गया — यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।

  • NVS-02 का प्रक्षेपण जनवरी 2025 में हुआ।

  • आने वाले NVS-03, NVS-04 और NVS-05 उपग्रहों में L1 बैंड शामिल होगा, जिससे यह वैश्विक नेविगेशन उपकरणों, स्मार्टफोन्स व अन्य उपभोक्ता तकनीकों के साथ अधिक अनुकूल हो जाएगा।

प्रभाव
सशक्त NavIC प्रणाली विभिन्न क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी — जैसे रक्षा में रणनीतिक उपयोग, जहाज ट्रैकिंग, रेलवे सुरक्षा, समय समन्वयन, आपदा अलर्ट और सामान्य नेविगेशन सेवाएं। यह भारत की विदेशी GPS पर निर्भरता को घटाएगा, तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा और देश भर में पर्सनल नेविगेशन डिवाइसेज़ (PNDs) के उपयोग को सुलभ बनाएगा।

PM Modi ने तूतीकोरिन हवाई अड्डा के नए टर्मिनल का किया उद्धाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तूतीकोरिन हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया और तमिलनाडु में ₹4,800 करोड़ की लागत वाली कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इन परियोजनाओं का उद्देश्य राज्य में, विशेष रूप से डेल्टा और बंदरगाह-आधारित क्षेत्रों में, संपर्क, व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

पृष्ठभूमि
तमिलनाडु दक्षिण भारत में व्यापार, उद्योग और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। तूतिकोरिन, जो वी. ओ. चिदंबरनार पोर्ट के पास स्थित है, समुद्री व्यापार के लिए एक प्रमुख द्वार के रूप में कार्य करता है। पिछले एक दशक में केंद्र सरकार ने राज्य के बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है—जिसमें हवाई अड्डे, राजमार्ग, बंदरगाह और रेलवे संपर्क शामिल हैं—ताकि तमिलनाडु को राष्ट्रीय विकास का इंजन बनाया जा सके।

महत्त्व
नया टर्मिनल और अन्य अधोसंरचना परियोजनाएं “विकसित भारत” की केंद्र सरकार की दृष्टि को दर्शाती हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स को आसान बनाना, व्यापार प्रवाह में सुधार लाना और तमिलनाडु के सांस्कृतिक व कृषि केंद्रों को वैश्विक बाजारों से जोड़ना है। इस क्षेत्र में बेहतर बुनियादी ढांचा पर्यटन, बंदरगाह आधारित विकास और औद्योगिक प्रगति को बढ़ावा देगा, जिससे तमिलनाडु आर्थिक विस्तार का प्रमुख स्तंभ बनेगा।

उद्देश्य
इन पहलों का मुख्य उद्देश्य बहु-माध्यम संपर्क (multi-modal connectivity) को मजबूत करना है—जिसमें हवाई अड्डे, राजमार्ग, बंदरगाह और रेलवे एकीकृत रूप से काम करें। सरकार तमिलनाडु के बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करना, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना और माल एवं यात्रियों की तेज़, कुशल ढुलाई सुनिश्चित करना चाहती है।

परियोजनाओं की प्रमुख विशेषताएं

तूतिकोरिन हवाई अड्डा टर्मिनल:
17,340 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ, वार्षिक 20 लाख यात्रियों की क्षमता वाला नया टर्मिनल।

राजमार्ग परियोजनाएं:

  • एनएच-36 के सेतियाथोप–चोलापुरम खंड (50 किमी) का चार-लेन विस्तार, जिसमें तीन बाईपास शामिल।

  • कोल्लिडम नदी पर 1 किमी लंबा चार-लेन पुल, चार बड़े पुल, सात फ्लाईओवर और कई अंडरपास का निर्माण।

बंदरगाह परियोजना:

  • वी. ओ. चिदंबरनार पोर्ट पर ₹285 करोड़ की लागत से नॉर्थ कार्गो बर्थ-III का उद्घाटन।

रेलवे परियोजनाएं:

  • मदुरै–बोदिनायक्कनूर रेलखंड (99 किमी) का विद्युतीकरण।

  • नागरकोइल टाउन–कन्याकुमारी खंड (21 किमी) का दोहरीकरण (₹650 करोड़)।

  • अरलवैमोज़ी–नागरकोइल जंक्शन और तिरुनेलवेली–मेलप्पालयम खंडों का भी दोहरीकरण।

इन परियोजनाओं के माध्यम से तमिलनाडु को एक प्रमुख लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है।

लैटिन अमेरिकी देश लॉन्च करेंगे लैटैम-GPT एआई मॉडल

लैटिन अमेरिका के 12 देशों का एक गठबंधन सितंबर 2025 में “लैटैम-GPT” नामक क्षेत्र का पहला बड़ा कृत्रिम बुद्धिमत्ता भाषा मॉडल लॉन्च करने जा रहा है। यह मॉडल एक ओपन-सोर्स परियोजना के रूप में विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य एआई को अधिक सुलभ बनाना और लैटिन अमेरिका की विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषाई विविधताओं को प्रतिबिंबित करना है।

पृष्ठभूमि
यह परियोजना चिली के नेशनल सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (CENIA) के नेतृत्व में 30 से अधिक क्षेत्रीय संस्थानों के सहयोग से चलाई जा रही है। “लैटैम-GPT” पर कार्य जनवरी 2023 में शुरू हुआ था, जिसे क्षेत्रीय विकास बैंक CAF और अमेज़न वेब सर्विसेज (AWS) का समर्थन प्राप्त है। यह मॉडल Llama 3 तकनीक पर आधारित है और इसे चिली की टारापाका विश्वविद्यालय सहित क्षेत्रीय सुपरकंप्यूटिंग और क्लाउड प्रणालियों की सहायता से प्रशिक्षित किया गया है।

महत्त्व
“लैटैम-GPT” लैटिन अमेरिका की तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह वैश्विक एआई मॉडलों पर निर्भरता को कम करेगा, जो मुख्यतः अंग्रेज़ी में प्रशिक्षित होते हैं। यह मॉडल स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक सेवाओं में एआई को सुलभ बनाकर एक लोकतांत्रिक उपकरण के रूप में कार्य करेगा। साथ ही यह भाषा समावेशिता और सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व जैसे क्षेत्रीय मुद्दों को भी संबोधित करेगा, जिन्हें प्रचलित एआई प्रणालियों में अक्सर नजरअंदाज किया जाता है।

उद्देश्य
“लैटैम-GPT” का मुख्य उद्देश्य लैटिन अमेरिका में एआई को अपनाने को बढ़ावा देना है, विशेष रूप से एक ऐसे मॉडल के माध्यम से जो:

  • स्थानीय संस्कृतियों और बोलियों को समझ सके,

  • आदिवासी भाषाओं के संरक्षण को प्रोत्साहित करे,

  • सार्वजनिक सेवा चैटबॉट्स और शैक्षणिक उपकरणों का विकास करे,

  • और क्षेत्रीय नवाचार के लिए कम लागत वाला, ओपन-सोर्स विकल्प प्रदान करे।

मुख्य विशेषताएं

  • मुफ्त उपयोग और विकास के लिए ओपन-सोर्स मॉडल।

  • बेहतर प्रदर्शन के लिए Llama 3 एआई तकनीक पर आधारित।

  • ईस्टर आइलैंड की मूल भाषा रापा नुई के लिए प्रारंभिक अनुवाद सुविधा।

  • अन्य आदिवासी भाषाओं को भी समर्थन देने की योजना।

  • वर्चुअल असिस्टेंट, वैयक्तिकृत शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल में संभावित उपयोग।

  • CAF और AWS द्वारा समर्थित, हालांकि वर्तमान में कोई समर्पित बजट नहीं है।

प्रभाव
“लैटैम-GPT” लैटिन अमेरिका में डिजिटल समावेशन को नया रूप देगा। यह क्षेत्रीय सांस्कृतिक पहचान को प्रतिबिंबित कर स्थानीय उद्योगों को सशक्त बनाएगा, शिक्षा और स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करेगा तथा आदिवासी भाषाओं के संरक्षण को बढ़ावा देगा। यह पहल अन्य विकासशील क्षेत्रों के लिए भी एक प्रेरणास्त्रोत बन सकती है, जो वैश्विक तकनीकी प्रगति के साथ-साथ स्थानीय आवश्यकताओं और विरासत को संतुलित करना चाहते हैं।

सीरिया में असद सरकार जाने के बाद पहली बार चुनाव होंगे

सीरिया में बशर अल-असद के शासन के पतन के बाद पहली बार संसदीय चुनाव 15 से 20 सितंबर 2025 के बीच कराए जाएंगे, जो देश के राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में एक अहम कदम है। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब स्वेइदा प्रांत में सांप्रदायिक अशांति और हिंसा की घटनाएं जारी हैं। चुनावों की देखरेख अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ के नेतृत्व में की जाएगी, जो इस संक्रमणकालीन दौर में देश को लोकतांत्रिक प्रक्रिया की ओर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।

दिसंबर 2024 में बशर अल-असद की दो दशकों से अधिक लंबी सत्ता के पतन के बाद, एक तीव्र विद्रोही हमले के चलते असद शासन समाप्त हो गया। मार्च 2025 में हस्ताक्षरित एक अस्थायी संविधान के तहत राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ के नेतृत्व में एक संक्रमणकालीन ढांचा स्थापित किया गया। इस संविधान ने एक पीपुल्स कमेटी के गठन का प्रावधान किया, जो स्थायी संविधान और आम चुनावों के आयोजन तक एक अस्थायी संसद के रूप में कार्य करेगी।

महत्त्व
आगामी चुनाव सीरिया के युद्धोत्तर लोकतंत्र की नाजुक स्थिति की परीक्षा के रूप में देखे जा रहे हैं। यह पहली बार होगा जब सीरियाई नागरिक असद युग के बाद अपनी विधायिका को आकार देने का अवसर प्राप्त करेंगे। हालांकि, यह चुनाव सांप्रदायिक हिंसा की छाया में हो रहे हैं, जिससे इनकी निष्पक्षता और समावेशिता देश की स्थिरता की दिशा में संक्रमण की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाती है।

उद्देश्य
इन चुनावों का मुख्य उद्देश्य एक प्रतिनिधित्वशील पीपुल्स असेंबली की स्थापना करना है, जो संक्रमणकालीन अवधि के दौरान देश का मार्गदर्शन कर सके। 210 संसदीय सीटों में से एक-तिहाई सीटें अंतरिम राष्ट्रपति द्वारा नामित की जाएंगी, जबकि शेष सीटों पर सीरिया के विभिन्न प्रांतों में स्थापित इलेक्टोरल कॉलेजों के माध्यम से चुनाव कराया जाएगा।

मुख्य विशेषताएं

  • चुनाव तिथि: 15 से 20 सितंबर 2025 के बीच

  • कुल सीटें: 210 (पीपुल्स असेंबली में)

  • सीट विभाजन: एक-तिहाई राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त, दो-तिहाई चुनाव द्वारा

  • मतदान केंद्र: प्रत्येक सीरियाई प्रांत में इलेक्टोरल कॉलेज स्थापित

  • निगरानी निकाय: पीपुल्स असेंबली चुनावों के लिए उच्च समिति, अध्यक्ष — मोहम्मद ताहा अल-अहमद

चुनौतियाँ
इन चुनावों को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में स्वेइदा प्रांत में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 1,100 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई, जिससे बेडौइन जनजातियों और द्रूज़ अल्पसंख्यकों के बीच गहरे मतभेद उजागर हुए। सरकारी बलों पर जनजातियों का पक्ष लेने और अत्याचार करने के आरोपों ने हालात को और बिगाड़ दिया है। इसके अतिरिक्त, सीरियाई सरकारी ठिकानों पर इस्राइली हवाई हमलों ने क्षेत्र की अस्थिरता को और बढ़ा दिया है, जिससे यह आशंका उत्पन्न हुई है कि चुनाव स्वतंत्र और शांतिपूर्ण रूप से कराना संभव हो पाएगा या नहीं।

ऑस्कर पियास्त्री ने 2025 बेल्जियन ग्रां प्री स्पा में जीती

ऑस्कर पियास्त्री ने स्पा-फ्रैंकोरचैम्प्स में 2025 बेल्जियन ग्रैंड प्रिक्स में जीत हासिल की, उन्होंने एक चुनौतीपूर्ण गीली-सूखी दौड़ में टीम के साथी और खिताब प्रतिद्वंद्वी लैंडो नॉरिस को पीछे छोड़ दिया, जिससे उनकी ड्राइवर्स चैम्पियनशिप की बढ़त 16 अंकों तक बढ़ गई।

पृष्ठभूमि
2025 की बेल्जियन ग्रां प्री ऐतिहासिक सर्किट डी स्पा-फ्रैंकोर्शॉम्प्स में आयोजित हुई, जो फॉर्मूला 1 के सबसे प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण ट्रैकों में से एक है। भारी बारिश के कारण रेस लगभग 80 मिनट की देरी से शुरू हुई, जिसमें ड्राइवरों ने सेफ्टी कार के पीछे इंटरमीडिएट टायर्स के साथ शुरुआत की। मौसम सुधरने के बाद लैप 5 से असली रेसिंग शुरू हुई, जिससे मुकाबला बेहद रोमांचक हो गया।

महत्त्व
यह रेस फॉर्मूला 1 ड्राइवर्स चैंपियनशिप की दौड़ में निर्णायक साबित हुई। ऑस्कर पियास्त्री की जीत ने न केवल उनके उभरते वर्चस्व को दर्शाया बल्कि उन्हें लैंडो नॉरिस पर अहम अंकों की बढ़त भी दिलाई। मैकलेरन टीम का दबदबा भी देखने को मिला, क्योंकि उसके दोनों ड्राइवर पहले और दूसरे स्थान पर रहे, जिससे टीम कंस्ट्रक्टर्स चैंपियनशिप की दौड़ में मजबूती से लौट आई।

मुख्य विशेषताएं

  • विजेता: ऑस्कर पियास्त्री (मैकलेरन), समय: 1:25:22.601

  • द्वितीय स्थान: लैंडो नॉरिस (3.4 सेकंड पीछे)

  • तृतीय स्थान: चार्ल्स लेक्लर (फेरारी), 20 सेकंड पीछे

  • अन्य प्रमुख प्रदर्शन: मैक्स वर्स्टापेन चौथे, जॉर्ज रसेल पांचवें और लुईस हैमिल्टन 11 स्थान चढ़कर सातवें स्थान पर पहुंचे

  • विशेष रेस परिस्थितियां: गीले से सूखे ट्रैक की स्थिति ने टायर रणनीति और ड्राइवरों की अनुकूलन क्षमता की कड़ी परीक्षा ली। पियास्त्री द्वारा मीडियम टायर्स पर जल्द पिट स्टॉप करना निर्णायक साबित हुआ।

प्रभाव
पियास्त्री की इस जीत से उनकी चैंपियनशिप में बढ़त और मजबूत हो गई, जिससे उनका खिताबी दावा और मज़बूत हुआ। यह रेस मैकलेरन की फॉर्म में वापसी का भी संकेत थी। सभी ड्राइवरों का रेस पूरा करना, वह भी इतनी कठिन परिस्थितियों में, उल्लेखनीय रहा। फेरारी के लिए लेक्लर का पोडियम फिनिश और हैमिल्टन की शानदार रिकवरी ने टीम का मनोबल बढ़ाया, जबकि वर्स्टापेन की चौथी पोजिशन ने रेड बुल की संभावनाओं को जीवित रखा।

चुनौतियाँ
रेस की शुरुआत में बारिश के कारण विज़िबिलिटी और ग्रिप की गंभीर समस्याएं थीं, जिससे पहले चार लैप सेफ्टी कार के पीछे निकले। जैसे-जैसे ट्रैक सूखा, टायर प्रबंधन और पिट स्ट्रैटेजी निर्णायक हो गए। अंत में नॉरिस की तेज़ी से बढ़ती चुनौती ने पियास्त्री के लिए तनाव बढ़ाया, जो यह दिखाता है कि फॉर्मूला 1 रेसें कितने बारीक अंतर से तय होती हैं।

2025 का विश्व का सबसे सुंदर हवाई अड्डा घोषित

प्रिक्स वर्साय पुरस्कार 2025 में चीन के यांताई पेंगलाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 2 को विश्व का सबसे सुंदर हवाई अड्डा घोषित किया गया है। इसने सिंगापुर के प्रसिद्ध चांगी एयरपोर्ट जैसे वैश्विक स्तर के प्रतिष्ठित हवाई अड्डों को पछाड़ते हुए यह सम्मान हासिल किया। यह पुरस्कार हवाई अड्डे की सौंदर्यपूर्ण वास्तुकला, पर्यावरणीय संवेदनशीलता और यात्रियों के अनुकूल डिज़ाइन को मान्यता देता है, जिससे आधुनिक हवाई अड्डा अवसंरचना के लिए एक नया मानक स्थापित हुआ है।

प्रष्ठभूमि
प्रिक्स वर्साय, जिसे अक्सर “विश्व वास्तुकला और डिज़ाइन पुरस्कार” कहा जाता है, हर वर्ष विभिन्न श्रेणियों में वास्तुकला की उत्कृष्ट उपलब्धियों को सम्मानित करता है, जिसमें हवाई अड्डे भी शामिल हैं। 2025 के पुरस्कार में बड़ा बदलाव देखने को मिला जब लंबे समय से अग्रणी माने जाने वाले सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट को शीर्ष छह में स्थान नहीं मिला, जिससे एशिया, यूरोप और अमेरिका के नए हवाई अड्डों को अवसर मिला।

यांताई पेंगलाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की प्रमुख विशेषताएँ
167,000 वर्ग मीटर में फैले टर्मिनल 2 की डिज़ाइन यांताई के तटीय परिदृश्य से प्रेरित है। इसका अनोखा E-आकार यात्रियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाता है और प्राकृतिक स्थलाकृति में न्यूनतम हस्तक्षेप करता है। एक कांच की जालीदार गुंबद वाली बहु-स्तरीय एट्रियम में प्राकृतिक प्रकाश भरपूर मात्रा में आता है। आंतरिक डिज़ाइन में वक्रता, रंग-रूप और संरचनाएँ समुद्री लकड़ी के जहाज़ों की याद दिलाती हैं, जो यांताई के मैरीटाइम सिल्क रोड की विरासत को दर्शाती हैं।

महत्त्व
यांताई पेंगलाई हवाई अड्डे को मिला यह सम्मान चीन की बढ़ती नेतृत्व भूमिका को रेखांकित करता है, खासकर सतत और सौंदर्यपूर्ण अवसंरचना विकास के क्षेत्र में। यह परियोजना दर्शाती है कि हवाई अड्डे केवल परिवहन केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक प्रतीक भी हो सकते हैं जो दक्षता और पर्यावरणीय चेतना के साथ डिज़ाइन किए गए हैं।

2025 सूची में अन्य उल्लेखनीय हवाई अड्डे
2. मार्सेय प्रोवेंस एयरपोर्ट (फ्रांस): 70% पुनर्नवीनीकरण स्टील, लकड़ी की छत और प्राकृतिक वेंटिलेशन के लिए प्रसिद्ध।
3. रोलां गैरोस एयरपोर्ट (रियूनियन द्वीप, फ्रांस): ऊर्जा-कुशल डिज़ाइन वाला दुनिया का पहला उष्णकटिबंधीय बायोक्लाइमैटिक हवाई अड्डा।
4. कंसाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (जापान): कृत्रिम द्वीप पर बना यह हवाई अड्डा अपने एरोडायनामिक छत और जापानी संस्कृति को दर्शाते शानदार इंटीरियर के लिए प्रसिद्ध है।
5. पोर्टलैंड और सैन फ्रांसिस्को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (अमेरिका): यात्रियों की सुविधा और टिकाऊ निर्माण के आधुनिक मानकों के लिए सराहे गए।

प्रभाव
यह रैंकिंग दर्शाती है कि आज के हवाई अड्डे केवल यात्रा के केंद्र नहीं, बल्कि संस्कृति, पर्यावरणीय चेतना और राष्ट्रीय पहचान के प्रतीक बनते जा रहे हैं। प्राकृतिक रोशनी, पर्यावरण-अनुकूल सामग्री और स्थानीय सांस्कृतिक तत्वों के सम्मिलन से, यांताई पेंगलाई जैसे हवाई अड्डे भविष्य के वैश्विक मानकों की दिशा तय कर रहे हैं। यह प्रतिस्पर्धा भी दर्शाती है कि देश अब सॉफ्ट पावर और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अवसंरचना का रणनीतिक उपयोग कर रहे हैं।

भारत का पहला SHAPE 2025 सम्मेलन: अस्पताल नियोजन में एक क्रांतिकारी पहल

नई दिल्ली स्थित आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल (AHRR) ने 26–27 जुलाई 2025 को देश का पहला सशस्त्र बल राष्ट्रीय सम्मेलन – SHAPE 2025 (Sustainable Hospital Architecture, Planning, Infrastructure, and Equipment) आयोजित किया। इस सम्मेलन में सशस्त्र बलों, नागरिक क्षेत्रों और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भाग लिया और भारत में सतत, सुदृढ़ तथा रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य अवसंरचना के भविष्य पर विचार-विमर्श किया।

पृष्ठभूमि
AHRR के हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन विभाग द्वारा आयोजित SHAPE 2025 सम्मेलन अस्पताल नियोजन के क्षेत्र में एक अग्रणी पहल है, जो भारत के विकसित भारत@2047 लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। दो दिवसीय इस कार्यक्रम का उद्घाटन DGAFMS सर्जन वाइस एडमिरल आर्ति सरीन और एम्स निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ किया। सम्मेलन में 275 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें डॉक्टर, नर्स, प्रशासक, अभियंता और वास्तुकार शामिल थे। इन सभी ने भारत की स्वास्थ्य अवसंरचना के लिए एक नई दृष्टि के निर्माण में योगदान दिया।

महत्त्व
यह सम्मेलन ऐसे समय पर आयोजित हुआ जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्षों की ओर अग्रसर है। सतत स्वास्थ्य अवसंरचना केवल पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय तैयारियों, रोगी सुरक्षा और स्वास्थ्य समानता को बढ़ाने के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। चर्चा में इस बात पर जोर दिया गया कि अस्पतालों को अब केवल इलाज केंद्र नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें जलवायु-संवेदनशील और जन-केंद्रित परिसरों के रूप में विकसित होना चाहिए।

उद्देश्य
SHAPE 2025 का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक ब्लूप्रिंट आधारित अस्पताल नियोजन से आगे बढ़कर ऐसे मॉडल विकसित करना था जो पर्यावरण-संवेदनशील और तकनीकी रूप से उन्नत हों। सम्मेलन का उद्देश्य एक समग्र सिद्धांत तैयार करना भी था जो अस्पतालों की डिज़ाइन और प्रबंधन प्रक्रिया में सततता, लचीलापन और रोगी-सुविधा को प्राथमिकता दे।

मुख्य विशेषताएं

  • हरित तकनीकों का समावेश: सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन और शून्य-उत्सर्जन अवसंरचना जैसी टिकाऊ तकनीकों को अपनाना।

  • आपदा-प्रतिरोधी संरचना पर ध्यान: संकट की स्थिति में भी स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने हेतु आपदा-रोधी वास्तुकला का विकास।

  • GRIHA रेटिंग और CFEES प्रमाणन: पर्यावरण-अनुकूल निर्माण के लिए मान्यता प्राप्त रेटिंग और प्रमाणपत्र प्राप्त करने की दिशा में कार्य।

  • रोगी-हितैषी डिज़ाइन: एर्गोनोमिक रूप से डिज़ाइन की गई और रोगमुक्ति को बढ़ावा देने वाली जगहों को अपनाना, जिससे उपचार की प्रक्रिया में तेजी आए।

  • समन्वित सहभागिता: सशस्त्र बलों, नागरिक निकायों और निजी क्षेत्र के हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना ताकि एक एकीकृत और भविष्यगामी स्वास्थ्य देखभाल दृष्टि विकसित की जा सके।

इंग्लैंड ने जीता महिला यूरो कप का खिताब

गत विजेता इंग्लैंड ने विश्व चैंपियन स्पेन को पेनल्टी शूट आउट में 3-1 से पराजित करके लगातार दूसरी बार महिला यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप (यूरो 2025) का खिताब जीता। इंग्लैंड ने इस तरह से स्पेन से विश्व कप 2023 के फाइनल में मिली हार का बदलाव की चुकता कर दिया। स्पेन खिताबी हैट्रिक पूरी करने में नाकाम रहा। उसने विश्व कप के अलावा 2024 में यूईएफए नेशंस लीग का खिताब भी जीता था।

पृष्ठभूमि
इस टूर्नामेंट में इंग्लैंड की महिला फुटबॉल टीम, ‘लायनेसिस’, को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फ्रांस के खिलाफ शुरुआती मुकाबले में हार के बाद उनकी संभावनाओं पर संदेह जताया गया। लेकिन कोच सरीना वाइगमैन के नेतृत्व में टीम ने सभी उम्मीदों को पीछे छोड़ते हुए क्वार्टर फाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल में अतिरिक्त समय (एक्स्ट्रा टाइम) के जरिए जीत हासिल कर ट्रॉफी अपने नाम की।

महत्त्व

  • इंग्लैंड पहली ऐसी टीम बनी जिसने शुरुआती मैच हारने के बाद यूरो कप जीता।

  • यह किसी भी इंग्लैंड सीनियर टीम की विदेशी धरती पर पहली बड़ी ट्रॉफी थी।

  • इस जीत ने इंग्लैंड की महिला फुटबॉल में वैश्विक महाशक्ति के रूप में पहचान को और मजबूत किया।

अभियान की मुख्य विशेषताएं

  • अटल जज़्बा: नॉकआउट मैचों में इंग्लैंड कुल मिलाकर सिर्फ 5 मिनट के लिए ही बढ़त में रही, फिर भी विजयी बनी रही।

  • स्टार प्रदर्शन: क्लो केली ने निर्णायक गोल और अंतिम पेनल्टी लगाकर टीम की हीरो बनकर उभरीं; एलेसिया रूसो ने फाइनल में बराबरी का गोल किया।

  • रक्षात्मक साहस: लूसी ब्रॉन्ज ने फ्रैक्चर के बावजूद खेलना जारी रखा; हैना हैम्पटन और लिया विलियमसन ने महत्वपूर्ण रक्षात्मक योगदान दिए।

  • रणनीतिक कौशल: कोच वाइगमैन की रणनीति और सही समय पर किए गए बदलाव निर्णायक साबित हुए।

प्रभाव

  • इंग्लैंड और यूरोप में महिला फुटबॉल की लोकप्रियता में भारी वृद्धि हुई।

  • इस जीत ने विशेषकर युवा महिलाओं को फुटबॉल अपनाने के लिए प्रेरित किया।

  • भविष्य के अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों की मेज़बानी और प्रदर्शन को लेकर इंग्लैंड की दावेदारी और मजबूत हुई।

संसद रत्न पुरस्कार 2025: संसदीय उत्कृष्टता का सम्मान

लोकसभा में बेहतर काम करने पर 17 सांसदों को संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इन सांसदों ने लोकसभा में अपना अमूल्य योगदान दिया है। इसके अलावा चार सांसदों को विशेष जूरी पुरस्कार दिया। संसद रत्न पुरस्कार पाने वालों में गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन, एनसीपी शरद की सुप्रिया सुले, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और शिवसेना यूबीटी के सांसद अरविंद सावंत समेत 17 सांसद शामिल हैं।

पृष्ठभूमि
संसद रत्न पुरस्कारों की शुरुआत वर्ष 2010 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रेरणा से की गई थी। उन्होंने उत्कृष्ट सांसदों को सम्मानित करने की आवश्यकता पर बल दिया था। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष संसद में प्रदर्शन के वस्तुनिष्ठ मानकों — जैसे कि बहसों में भागीदारी, प्राइवेट मेंबर बिल, पूछे गए प्रश्न, और समितियों में सक्रियता — के आधार पर प्रदान किए जाते हैं। समय के साथ, यह पुरस्कार विधायी उत्पादकता और जवाबदेही के मूल्यांकन के लिए एक मानक बन चुके हैं।

महत्त्व

  • जवाबदेही को बढ़ावा: इन पुरस्कारों से पारदर्शी और रचनात्मक संसदीय कार्य को मान्यता मिलती है।

  • लोकतंत्र को सशक्त बनाना: सांसदों को नीति निर्माण और बहस में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करता है।

  • मानक स्थापित करना: संसदीय प्रभावशीलता का एक मापनीय पैमाना प्रदान करता है।

  • निरंतरता को मान्यता: उन सांसदों को पुरस्कृत करता है जिन्होंने कई कार्यकालों में उत्कृष्ट प्रदर्शन बनाए रखा है।

2025 के प्रमुख बिंदु

  • कुल सम्मानित सांसद: 17 सांसद, विभिन्न दलों और क्षेत्रों से।

  • प्रमुख विजेता: सुप्रिया सुले (NCP-SP), रवि किशन (भाजपा), निशिकांत दुबे (भाजपा), अरविंद सावंत (शिवसेना-उद्धव गुट)।

  • विशेष जूरी पुरस्कार: चार सांसदों को 16वीं लोकसभा से लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया —

    • भर्तृहरि महताब (भाजपा)

    • एन.के. प्रेमचंद्रन (आरएसपी)

    • सुप्रिया सुले (NCP-SP)

    • श्रीरंग आप्पा बारणे (शिवसेना)

समिति श्रेणी में सम्मानित

  • वित्त पर स्थायी समिति (अध्यक्ष: भर्तृहरि महताब)

  • कृषि पर स्थायी समिति (अध्यक्ष: डॉ. चरणजीत सिंह चन्नी, कांग्रेस)

पुरस्कारों के उद्देश्य

  • सांसदों को संसदीय बहस के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए प्रेरित करना।

  • विधायी कार्य में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।

  • युवाओं और नागरिकों को प्रभावी संसदीय प्रथाओं की सराहना के लिए प्रेरित करना।

  • उत्कृष्ट और निरंतर योगदान के लिए संस्थागत मान्यता स्थापित करना।

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