हेपेटाइटिस जागरूकता सप्ताह: इतिहास और महत्व

हेपेटाइटिस जागरूकता सप्ताह हर वर्ष 26 जुलाई से 1 अगस्त तक मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस, उसके कारणों, रोकथाम और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह सप्ताह जनता को शिक्षित करने, प्रभावित लोगों को सम्मान देने, और रोकथाम आधारित स्वास्थ्य देखभाल को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दौरान 28 जुलाई को राष्ट्रीय हेपेटाइटिस दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जो नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. बारूच ब्लमबर्ग के जन्मदिन को चिह्नित करता है। उन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी और इसका टीका विकसित किया था।

हेपेटाइटिस का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

प्राचीन विवरण
हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A) का सबसे पहला उल्लेख ईसा पूर्व 400 में मिलता है, जब प्रसिद्ध यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेटीज़ ने अपनी चिकित्सा पुस्तक De Morbis Internis में पीलिया (jaundice) जैसी बीमारियों के लक्षणों का वर्णन किया। इसके बाद 17वीं और 18वीं शताब्दी में, सैन्य अभियानों के दौरान भी पीलिया जैसे लक्षणों वाले संक्रमण के प्रकोप दर्ज किए गए।

हेपेटाइटिस प्रकारों की पहचान
1940 के दशक में वैज्ञानिकों ने पहली बार हेपेटाइटिस ए और बी के बीच अंतर स्थापित किया, जिसमें पाया गया कि हेपेटाइटिस बी की ऊष्मायन अवधि (incubation period) अधिक लंबी होती है।
1947 में, वैज्ञानिक मैक कैलम (Mac Callum) ने दो स्पष्ट श्रेणियों का सुझाव दिया —

  • एपिडेमिक हेपेटाइटिस (संक्षिप्त ऊष्मायन अवधि वाला)

  • सीरम हेपेटाइटिस (दीर्घ ऊष्मायन अवधि वाला)

नए हेपेटाइटिस वायरसों की खोज
1963 से 1989 के बीच वैज्ञानिकों ने आज ज्ञात पांच प्रमुख हेपेटाइटिस वायरस की पहचान की:

  1. हेपेटाइटिस ए वायरस (HAV)

  2. हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV)

  3. हेपेटाइटिस सी वायरस (HCV)

  4. हेपेटाइटिस डेल्टा वायरस (HDV) – जिसकी खोज 1977 में मारियो रिज़ेट्टो ने इटली के ट्यूरिन (Torino) में की

  5. हेपेटाइटिस ई वायरस (HEV)

रोकथाम और उपचार में प्रगति

हेपेटाइटिस बी वैक्सीन का विकास
रोकथाम के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि 1981 में मिली, जब एफडीए (FDA) ने पहली प्लाज्मा-आधारित हेपेटाइटिस बी वैक्सीन को मानव उपयोग के लिए अनुमोदन दिया।
इसके बाद 1986 में दूसरी पीढ़ी की डीएनए रीकॉम्बिनेंट (DNA recombinant) हेपेटाइटिस बी वैक्सीन विकसित की गई, जो कृत्रिम रूप से तैयार की जाती है। आज यह वैक्सीन संयुक्त राज्य अमेरिका सहित वैश्विक स्तर पर सुरक्षित और प्रभावी मानी जाती है।

हेपेटाइटिस बी और सी का वैश्विक बोझ
हेपेटाइटिस बी और सी मिलकर विश्वभर में 80% से अधिक लीवर कैंसर मामलों के लिए जिम्मेदार हैं।

हेपेटाइटिस सी का प्रमुख रूप से प्रसार संक्रमित रक्त के संपर्क से होता है, जैसे:

  • नसों के माध्यम से नशीले पदार्थों का सेवन

  • असुरक्षित यौन संबंध

  • संक्रमित मां से जन्म के समय

हेपेटाइटिस सी से संक्रमित लगभग हर मरीज के शरीर में एचसीवी (HCV) के खिलाफ एंटीबॉडीज़ विकसित हो जाती हैं, लेकिन इम्यून डिफिशिएंसी वाले व्यक्तियों में ये एंटीबॉडी कभी-कभी पहचान में नहीं आतीं।

हेपेटाइटिस जागरूकता सप्ताह का महत्व

जागरूकता बढ़ाना
इस सप्ताह का उद्देश्य हेपेटाइटिस के लक्षणों, रोकथाम और उपचार के बारे में जनजागरण करना होता है।
इसके तहत सोशल मीडिया अभियान, सेमिनार, और सार्वजनिक चर्चाएं आयोजित की जाती हैं, ताकि समुदायों को शिक्षित किया जा सके।

सामुदायिक समर्थन
यह सप्ताह मरीजों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आम नागरिकों को एक मंच पर लाकर प्रभावित लोगों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करता है। साथ ही यह समय पर जांच और उपचार के लिए प्रोत्साहित करता है।

उपचार की तत्परता को उजागर करना
हेपेटाइटिस अगर समय पर इलाज न हो तो यह गंभीर लीवर रोगों का रूप ले सकता है।
हेपेटाइटिस जागरूकता सप्ताह यह संदेश देता है कि टीकाकरण, सुरक्षित व्यवहार, और नियमित स्वास्थ्य जांच द्वारा इस बीमारी से बचाव संभव है।

महत्वपूर्ण तिथियाँ और समयरेखा

  • 400 ईसा पूर्वहिप्पोक्रेट्स ने हेपेटाइटिस के पहले नैदानिक लक्षणों का वर्णन किया।

  • 1947मैक कैलम ने हेपेटाइटिस को इसके इनक्यूबेशन पीरियड (अवधि) के आधार पर वर्गीकृत किया।

  • 1977मारियो रिज़ेट्टो द्वारा हेपेटाइटिस डेल्टा वायरस (HDV) की खोज की गई।

  • 1981एफडीए ने पहली हेपेटाइटिस बी वैक्सीन को मंजूरी दी।

  • 1986दूसरी पीढ़ी की डीएनए रीकॉम्बिनेंट हेपेटाइटिस बी वैक्सीन उपलब्ध हुई।

हेपेटाइटिस जागरूकता सप्ताह की आगामी तिथियाँ (वर्ष 2025–2029)

वर्ष दिनांक सप्ताह के दिन
2025 26 जुलाई – 1 अगस्त शनिवार – शुक्रवार
2026 26 जुलाई – 1 अगस्त रविवार – शनिवार
2027 26 जुलाई – 1 अगस्त सोमवार – रविवार
2028 26 जुलाई – 1 अगस्त बुधवार – मंगलवार
2029 26 जुलाई – 1 अगस्त गुरुवार – बुधवार

World University Games 2025: भारत ने 12 पदक जीतकर 20वां स्थान हासिल किया

भारत ने FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 में जोरदार प्रदर्शन करते हुए कुल 12 पदकों के साथ 20वां स्थान हासिल किया। यह प्रतिष्ठित आयोजन जर्मनी में आयोजित हुआ था। भारत की पदक तालिका में दो स्वर्ण, पांच रजत और पांच कांस्य पदक शामिल हैं, जो विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय खेलों में भारत की बढ़ती उपस्थिति और प्रतिस्पर्धात्मकता को दर्शाते हैं।

भारत का प्रदर्शन और पदक तालिका – FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स 2025

अंतिम स्थान
भारत ने FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 12 पदकों के साथ 20वां स्थान हासिल किया। भारतीय खिलाड़ियों ने एथलेटिक्स, तीरंदाजी, टेनिस और बैडमिंटन में सराहनीय प्रदर्शन किया।
आखिरी दिन भारत को तीन पदक हासिल हुए:

  • अंकिता ध्यानी ने महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में रजत पदक जीता।

  • पुरुषों की 4×100 मीटर रिले टीम ने कांस्य पदक जीता।

  • महिलाओं की रेस वॉक टीम ने भी कांस्य पदक हासिल किया।

वैश्विक पदक तालिका में शीर्ष तीन देश:

  • जापान – 34 स्वर्ण पदकों के साथ शीर्ष पर

  • चीन – 30 स्वर्ण पदक

  • संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) – 28 स्वर्ण पदक

भारत के पदक विजेताओं की झलक

एथलेटिक्स में उपलब्धियां:
भारत ने एथलेटिक्स में 5 पदक जीते, जो ट्रैक और फील्ड में उसके मजबूत प्रदर्शन को दर्शाते हैं:

  • प्रवीण चित्रावेल – पुरुषों की ट्रिपल जंप में रजत पदक

  • सीमा – महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में रजत पदक

  • पुरुषों की 4×100 मीटर रिले टीम (लालू प्रसाद भोई, अनिमेष कुजूर, मणिकंता होबलीधर और दोंदापति मृत्युम जयाराम) ने 38.89 सेकंड में दौड़ पूरी कर कांस्य पदक जीता

तीरंदाजी में उत्कृष्ट प्रदर्शन:

  • साहिल राजेश जाधव – पुरुषों की कंपाउंड व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक

  • पारनीत कौर – महिलाओं की व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक

  • मिक्स्ड टीमस्वर्ण पदक

  • पुरुष टीमरजत पदक

  • महिला टीमकांस्य पदक

बैडमिंटन और टेनिस में ऐतिहासिक पल:

  • भारत ने मिक्स्ड टीम बैडमिंटन में कांस्य पदक जीतकर इस खेल में दूसरी बार विश्व विश्वविद्यालय खेलों में पदक जीता।

  • वैष्णवी अडकर ने टेनिस एकल में कांस्य पदक जीतकर 1979 के बाद भारत के लिए पहला टेनिस पदक हासिल किया।

पिछले प्रदर्शन से तुलना:

भारत का 2025 में प्रदर्शन 2023 के चेंगदू संस्करण से थोड़ा कमजोर रहा, जहां भारत ने 26 पदकों के साथ 7वां स्थान प्राप्त किया था, जिसमें 11 स्वर्ण पदक शामिल थे। फिर भी, इस वर्ष का प्रदर्शन स्थिरता और भविष्य की संभावनाओं को दर्शाता है।

आगे की राह:

अगला संस्करण 2027 में दक्षिण कोरिया के चुंगचियोंग प्रांत में आयोजित होगा। भारत लगातार बेहतर हो रही प्रतिभाओं और प्रदर्शन के दम पर वैश्विक रैंकिंग में और ऊपर चढ़ने की तैयारी में है।

तुर्की ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु बम गज़ैप का अनावरण किया

तुर्की ने इस्तांबुल में आयोजित 17वें अंतर्राष्ट्रीय रक्षा उद्योग मेले (IDEF) 2025 में अपना सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु बम ‘गज़ैप’ (तुर्की भाषा में अर्थ: ‘क्रोध’) का अनावरण किया है। यह बम 970 किलोग्राम वजनी है और इसे तुर्की की रक्षा तकनीक में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। गज़ैप को अब तक के सबसे घातक पारंपरिक हथियारों में से एक बताया गया है, जो तुर्की की सैन्य क्षमता को एक नई ऊंचाई पर ले जाता है।

गज़ैप बम की विशेषताएं और क्षमताएं

गज़ैप एक फ्रैगमेंटेशन-आधारित थर्मोबैरिक हथियार है, जो हर मीटर में 10.16 टुकड़े विस्फोटित करने की क्षमता रखता है—जबकि पारंपरिक मानक केवल हर तीन मीटर पर एक टुकड़े का होता है। यह इसे अत्यधिक सटीकता और व्यापक विनाश क्षेत्र वाला हथियार बनाता है। इसके प्रमुख डिज़ाइनर निलुफर कुज़ुलु के अनुसार, बम में लगभग 10,000 नियंत्रित कण होते हैं जो एक एक किलोमीटर क्षेत्र में फैलते हैं, जिससे यह पारंपरिक MK-सीरीज़ के बमों से तीन गुना अधिक शक्तिशाली बन जाता है।

परीक्षण और थर्मोबैरिक शक्ति

सैन्य परीक्षणों में गज़ैप की विनाशकारी क्षमता सामने आई। जब इसे विमान से गिराया गया, तो इसने तीव्र विस्फोट के साथ 160 मीटर तक फैला धुएं का बादल और झटकों की लहरें उत्पन्न कीं। इसके थर्मोबैरिक गुण इसे 3,000°C तक की तापमान सीमा तक पहुंचने की क्षमता देते हैं—जो स्टील और कंक्रीट को पिघला सकता है। इतनी अत्यधिक गर्मी और अत्यधिक दबाव (ओवरप्रेशर) के साथ, गज़ैप अपने क्षेत्र में आने वाली हर चीज़ को वाष्पित करने में सक्षम है, जिससे यह विश्व के सबसे घातक पारंपरिक हथियारों में से एक बन गया है।

विमान संगतता और भविष्य की योजना

गज़ैप बम को F-16 फाइटर जेट और F-4 फैंटम एयरक्राफ्ट से पूरी तरह से सुसंगत बनाया गया है, जो तुर्की वायुसेना के दो प्रमुख युद्धक विमान हैं। रक्षा अधिकारियों ने संकेत दिया है कि भविष्य में इसे ड्रोन से भी दागे जाने योग्य बनाने के लिए संशोधन किए जा सकते हैं, जिससे इसकी युद्ध क्षमता और भी बढ़ जाएगी।

NEB-2 घोस्ट: एक और क्रांतिकारी हथियार

गज़ैप के साथ-साथ, तुर्की ने NEB-2 घोस्ट (हयालेत) बम भी पेश किया, जिसका वजन भी 970 किलोग्राम है और इसे गहरी पैठ वाली स्ट्राइक के लिए डिज़ाइन किया गया है। पारंपरिक बंकर-बस्टर बमों के विपरीत, NEB-2 सात मीटर गहरे C50 ग्रेड कंक्रीट को भेद सकता है, जबकि अमेरिकी मिसाइलें केवल 2.4 मीटर C35 ग्रेड कंक्रीट में पैठ बना पाती हैं। इसका विलंबित विस्फोट तंत्र, जो 25 मिलीसेकंड से 240 मिलीसेकंड तक फैलता है, बम को लक्ष्य में गहराई तक घुसकर विस्फोट करने की अनुमति देता है, जिससे इसका प्रभाव और विनाशक क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।

रणनीतिक और वैश्विक प्रभाव

गज़ैप बम का अनावरण तुर्की की इस महत्वाकांक्षा को दर्शाता है कि वह उन्नत हथियार तकनीक में वैश्विक अग्रणी बनना चाहता है। घरेलू अनुसंधान और विकास (R&D) में भारी निवेश कर, अंकारा का उद्देश्य विदेशी रक्षा आयात पर निर्भरता को कम करना है। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि ग़ज़ाप लगभग परमाणु क्षमता के करीब है और यह पारंपरिक युद्ध के दायरे को एक नई परिभाषा देता है।

विवाद और कानूनी स्थिति

थर्मोबैरिक बम अपनी अत्यधिक विनाशक क्षमता के लिए कुख्यात हैं, फिर भी अंतरराष्ट्रीय कानूनों में इनका दुश्मन के सैन्य ठिकानों पर उपयोग स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित नहीं है — हालांकि नागरिकों को लक्ष्य बनाना अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अंतर्गत निषिद्ध है। ऐतिहासिक रूप से, इन हथियारों की कल्पना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई थी, और इनका उपयोग वियतनाम युद्ध और हाल ही में रूस-यूक्रेन संघर्ष में भी देखा गया है। हालांकि, इनकी मानवीय क्षति को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में लगातार चिंता बनी हुई है।

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2025: इतिहास और महत्व

बाघों के संरक्षण और उनके अस्तित्व को बचाने के लिए हर वर्ष 29 जुलाई को ‘अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस बाघों के आवास की रक्षा, मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने और अवैध शिकार पर रोक लगाने पर जोर देता है, साथ ही इस प्रजाति की सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देता है। वर्ष 2025 में यह दिवस मंगलवार, 29 जुलाई को मनाया जा रहा है।

बाघों की घटती संख्या

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ़ फ़ंड (WWF) के अनुसार, एक सदी पहले तक लगभग 1,00,000 बाघ जंगलों में स्वतंत्र रूप से विचरण करते थे। लेकिन आज उनकी संख्या घटकर केवल लगभग 4,000 रह गई है। यह गिरावट लगातार जारी है, जिसका प्रमुख कारण है—बाघों का आवास नष्ट होना, अवैध शिकार और मानव हस्तक्षेप। बाघों की यह तेजी से घटती जनसंख्या वैश्विक स्तर पर समन्वित संरक्षण प्रयासों की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती है।

ग्लोबल टाइगर डे का इतिहास

ग्लोबल टाइगर डे की शुरुआत वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में हुई थी। यह एक ऐतिहासिक सम्मेलन था, जिसमें भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मलेशिया और रूस सहित 13 बाघ-बहुल देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य बाघों की तेजी से घटती संख्या पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना और उनके संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग सुनिश्चित करना था।

Tx2 लक्ष्य और संरक्षण प्रयास

सेंट पीटर्सबर्ग शिखर सम्मेलन की एक ऐतिहासिक उपलब्धि Tx2 कार्यक्रम था, जिसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक वैश्विक बाघ आबादी को दोगुना करना था। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, सख्त शिकार विरोधी कानून, बाघों के आवासों का पुनर्स्थापन और जनजागरूकता अभियान जैसे प्रयास किए गए। हालांकि यह लक्ष्य पूरी तरह से हासिल नहीं हो सका, लेकिन इस कार्यक्रम ने बाघ संरक्षण के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता को सशक्त रूप से बढ़ावा दिया।

वैश्विक बाघ दिवस 2025 की थीम

हालांकि वर्ष 2025 के लिए आधिकारिक थीम की घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन पिछले वर्षों की थीमें और नारों—जैसे Roar for Tigers और Save Tigers, Save Forests, Save Life—से यह स्पष्ट होता है कि बाघ संरक्षण पारिस्थितिक संतुलन और मानव जीवन से गहराई से जुड़ा हुआ है। इस वर्ष भी ध्यान इस बात पर रहेगा कि समुदाय की सक्रिय भागीदारी और वैश्विक सहयोग के माध्यम से इस संकटग्रस्त प्रजाति को संरक्षित किया जाए।

वैश्विक बाघ दिवस का महत्व

यह दिन केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि जन-जागरूकता बढ़ाने और नीति स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है। बाघों को कीस्टोन प्रजाति माना जाता है, यानी उनका अस्तित्व पारिस्थितिक तंत्र की सेहत के लिए अत्यंत आवश्यक है। बाघों का संरक्षण वनों की रक्षा करता है, जो जैव विविधता को बनाए रखने और जलवायु को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। शैक्षिक अभियानों, मीडिया के माध्यम और संरक्षण गतिविधियों के ज़रिए, यह दिन सरकारों और नागरिकों दोनों को संरक्षण के कार्य में भाग लेने के लिए प्रेरित करता है।

भारत की भूमिका बाघ संरक्षण में

भारत, जहाँ दुनिया के जंगली बाघों की सबसे बड़ी आबादी रहती है, वैश्विक संरक्षण प्रयासों में अग्रणी रहा है। 1973 में शुरू किए गए “प्रोजेक्ट टाइगर” जैसे अभियानों के माध्यम से भारत ने बाघों की रक्षा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। आज भारत में दुनिया के लगभग 75% जंगली बाघ पाए जाते हैं—जो इस बात का प्रमाण है कि संरक्षित अभयारण्यों, शिकार विरोधी उपायों और आवास बहाली जैसी सतत पहलों ने बड़ा असर डाला है।

भारत में 2017-18 से 17 करोड़ नौकरियां बढ़ीं: रोजगार और महिला भागीदारी में वृद्धि

पिछले छह वर्षों में भारत के श्रम बाज़ार में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिला है। श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे द्वारा लोकसभा में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में नियोजित लोगों की संख्या 2017-18 में 47.5 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 64.33 करोड़ हो गई है। यह जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक के KLEMS डाटाबेस पर आधारित है, जो रोजगार में वृद्धि, बेरोजगारी में गिरावट और कार्यबल में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को दर्शाती है।

बढ़ते रोजगार के अवसर

  • 2017-18 से 2023-24 के बीच भारत में लगभग 17 करोड़ नए रोजगार जुड़े, जो देश की मजबूत आर्थिक स्थिरता और उत्पादक रोजगार में विस्तार को दर्शाता है।
  • श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate – LFPR) 2017-18 में 49.8% से बढ़कर 2023-24 में 60.1% हो गई।
  • कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio – WPR) इसी अवधि में 46.8% से बढ़कर 58.2% पर पहुंच गया।
  • बेरोजगारी दर में तेज गिरावट दर्ज की गई, जो 2017-18 में 6% थी और 2023-24 में घटकर 3.2% रह गई, जिससे पहले के बेरोजगारी संबंधी आशंकाएं कम हुई हैं।

महिला कार्यबल में बढ़ती भागीदारी

  • सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक है महिलाओं की कार्यबल में तेज़ी से बढ़ती भागीदारी।
  • 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात (WPR) 2019-20 में 28.7% से बढ़कर 2023-24 में 40.3% हो गया।
  • यह वृद्धि आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को दर्शाती है, जिसे सरकारी नीतियों और बदलते सामाजिक दृष्टिकोण से बल मिला है।

युवा रोजगार प्रवृत्तियाँ

  • भारत में युवाओं की बेरोजगारी दर में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
  • यह दर 2017-18 में 17.8% थी, जो 2023-24 में घटकर 10.2% हो गई है—जो कि वैश्विक औसत 13.3% से भी कम है।
  • यह संकेत करता है कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में युवा श्रमिकों का रोजगार में समावेश बढ़ा है।

आँकड़ा संग्रहण और वैश्विक विश्वसनीयता

सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि भारत के बेरोजगारी आंकड़ों पर उठाए गए सवालों को खारिज करते हुए, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) की विश्वसनीयता को बरकरार रखा गया है।

  • PLFS “वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त” है और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के मानकों के अनुरूप है।
  • जनवरी 2025 से, PLFS ने श्रम बाजार की प्रवृत्तियों पर अधिक बार अपडेट देने के लिए मासिक अनुमान जारी करना शुरू किया है।
  • इसकी कार्यप्रणाली में बड़े पैमाने पर स्तरीकृत यादृच्छिक नमूना (stratified random sampling) शामिल है, जो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को सटीकता से कवर करता है।

सरकारी रुख

श्रम मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि श्रम संबंधित संकेतकों में हुआ सुधार यह सिद्ध करता है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत में रोजगार की स्थिति सकारात्मक दिशा में है। सरकार ने यह भी कहा कि देश की कार्य-योग्य जनसंख्या अब अधिक उत्पादक और लाभकारी रोजगार में संलग्न हो रही है, और बढ़ती बेरोजगारी के आरोपों को खारिज कर दिया।

भारतीय बैंकों में जमा 67003 करोड़ रुपये ऐसे हैं, जिनके कोई दावेदार नहीं: वित्त मंत्रालय

भारतीय बैंकों में हजारों करोड़ रुपये ऐसे हैं जिनके कोई दावेदार नहीं मिल रहे। हाल ही में वित्त मंत्रालय की तरफ से दी जानकारी में कहा गया है कि जून तिमाही तक भारतीय बैकों में 67,003 करोड़ रुपये ऐसे हैं जिनके कोई भी दावेदार नहीं मिल रहे हैं। इसमें सबसे अधिक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पास जमा है। एसबीआई में पूरे राशि का 29 प्रतिशत जमा है।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोकसभा में दिए गए एक लिखित जवाब के मुताबिक भारतीय बैंकों में जून 2025 के अंत तक 67,003 करोड़ रुपये का अनक्लेम्ड डिपॉजिट था। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, 30 जून, 2025 तक सरकारी बैंकों में 58,330.26 करोड़ रुपये और प्राइवेट बैंकों में 8,673.72 करोड़ रुपये का अनक्लेम्ड डिपॉजिट था।

SBI के पास सबसे ज्यादा बिना क्लेम वाला पैसा

पब्लिक सेक्टर के बैंकों में SBI 19,329.92 करोड़ रुपये की अघोषित जमा राशि (Unclaimed Deposits) के साथ टॉप पर है, जिसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB)  6,910.67 करोड़ रुपये और केनरा बैंक (Canara Bank) 6,278.14 करोड़ रुपये का नंबर है।

प्राइवेट बैंकों में टॉप पर कौन?

पंकज चौधरी ने कहा कि प्राइवेट बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) के पास सबसे अधिक 2,063.45 करोड़ रुपये की अघोषित जमा राशि है, जिसके बाद एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) के पास 1,609.56 करोड़ रुपये और एक्सिस बैंक (Axis Bank) के पास 1,360.16 करोड़ रुपये की अघोषित जमा राशि है।

RBI की पहल: UDGAM पोर्टल

वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और अदावा जमा राशि प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने UDGAM (Unclaimed Deposits – Gateway to Access Information) पोर्टल लॉन्च किया है।

  • यह पोर्टल जमा कर्ताओं या उनके नामित व्यक्तियों को विभिन्न बैंकों में छूटे हुए जमा खातों को खोजने की सुविधा देता है।

  • इस पहल का उद्देश्य निष्क्रिय खातों के बोझ को कम करना और वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाना है।

वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों पर सरकार का रुख

वित्त राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों (VDAs) के लिए Exchange Traded Funds (ETFs) शुरू करने का कोई इरादा नहीं है।

  • RBI लगातार क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो संपत्तियों को लेकर चेतावनियाँ देता रहा है, जिन्हें आर्थिक, कानूनी और सुरक्षा के दृष्टिकोण से जोखिमपूर्ण बताया गया है।

  • 31 मई 2021 को जारी RBI सर्कुलर के अनुसार, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को KYC (अपने ग्राहक को जानो), AML (मनी लॉन्ड्रिंग रोधी), CFT (आतंकवाद वित्तपोषण रोकथाम) और PMLA, 2002 के तहत ग्राहक की उचित जांच करनी आवश्यक है।

सेबी और स्टॉक एक्सचेंजों ने स्मॉल-कैप फर्मों के लिए निगरानी ढांचे में संशोधन किया

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने स्टॉक एक्सचेंजों के सहयोग से ₹1,000 करोड़ से कम बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों के लिए संवर्धित निगरानी प्रणाली (Enhanced Surveillance Mechanism – ESM) में संशोधन की घोषणा की है, जो 28 जुलाई 2025 से प्रभावी होगा। इस कदम का उद्देश्य छोटी और सूक्ष्म पूंजी वाली कंपनियों की निगरानी को बेहतर बनाना, सट्टेबाजी गतिविधियों में कमी लाना और निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ाना है। यह संशोधित व्यवस्था वर्तमान में निगरानी ढांचे के अंतर्गत आने वाली 28 कंपनियों को सीधे लाभ पहुँचाएगी।

संशोधन का उद्देश्य

संशोधित ढांचे का उद्देश्य छोटे पूंजीकरण वाले शेयरों के विकास को प्रोत्साहित करने और साथ ही अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के बीच संतुलन बनाना है। चूंकि स्मॉल-कैप और माइक्रो-कैप स्टॉक्स अक्सर कीमतों में हेरफेर और सट्टात्मक व्यापार के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए सेबी के नए नियम बाजार की पारदर्शिता और अखंडता सुनिश्चित करने के साथ-साथ छोटे निवेशकों की सुरक्षा पर भी केंद्रित हैं।

स्टेज 1 के अंतर्गत नए शॉर्टलिस्टिंग मानदंड

पहले, कंपनियों को निगरानी में लाने का मुख्य आधार कीमतों में अधिकतम और न्यूनतम उतार-चढ़ाव (high-low variation) होता था। अब संशोधित ढांचे में एक नया मापदंड जोड़ा गया है, जिसमें पिछले तीन महीनों के दौरान लगातार सकारात्मक ‘क्लोज-टू-क्लोज’ मूल्य प्रवृत्ति (close-to-close price trend) को भी ध्यान में रखा जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि जिन स्टॉक्स में निरंतर मूल्य वृद्धि देखी जा रही है—जो अक्सर निवेशकों की बढ़ती रुचि का संकेत होता है—उन पर विशेष निगरानी रखी जाए, ताकि सट्टेबाजी की संभावनाओं पर लगाम लगाई जा सके।

स्टेज 2 और PE अनुपात की सीमा

स्टेज 2 निगरानी के लिए अब एक नया प्राइस-टू-अर्निंग्स (PE) अनुपात सीमा लागू की गई है। किसी स्टॉक को स्टेज 2 में आने के लिए अब उसका PE अनुपात Nifty 500 इंडेक्स के अनुपात का दो गुना से अधिक नहीं होना चाहिए। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि अत्यधिक मूल्यांकन वाले (overvalued) स्टॉक्स सख्त निगरानी से बच न जाएं और छोटे निवेशकों को फुलाए गए मूल्यांकन से जुड़ी संभावित जोखिमों से बचाया जा सके।

स्टेज 1 कंपनियों पर ट्रेडिंग प्रतिबंध

ESM (संवर्धित निगरानी प्रणाली) ढांचे के अंतर्गत स्टेज 1 में रखे गए स्टॉक्स पर कड़े ट्रेडिंग नियम लागू होंगे। इन नियमों में शामिल हैं:

  • T+2 दिन से 100% मार्जिन की अनिवार्यता, यानी निवेशकों को सौदे की पूरी राशि अग्रिम रूप से जमा करनी होगी।

  • ट्रेड-फॉर-ट्रेड सेटलमेंट व्यवस्था, जिसके तहत प्रत्येक सौदे का अलग से निपटान किया जाएगा और इंट्राडे ट्रेडिंग की अनुमति नहीं होगी।

  • 5% मूल्य बैंड, यानी एक कारोबारी दिन में स्टॉक का मूल्य अधिकतम 5% ऊपर या नीचे जा सकता है।

ESM ढांचे की पृष्ठभूमि

संवर्धित निगरानी प्रणाली (Enhanced Surveillance Mechanism – ESM) को पहली बार अगस्त 2023 में उन सूचीबद्ध कंपनियों पर लागू किया गया जिनका बाजार पूंजीकरण ₹1,000 करोड़ से कम था। इस व्यवस्था का उद्देश्य था बाजार में अत्यधिक मूल्य अस्थिरता पर नियंत्रण रखना और रिटेल निवेशकों को हेरफेर और धोखाधड़ी से बचाना। SEBI और स्टॉक एक्सचेंज मिलकर हर सप्ताह समीक्षा करते हैं कि किसी स्टॉक को निगरानी में बनाए रखना है, उसे किसी निचले चरण में ले जाना है या पूरी तरह से निगरानी सूची से हटाना है। इस प्रक्रिया के ज़रिए बाजार की पारदर्शिता और स्थिरता बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।

बिहार के मुख्यमंत्री ने राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के गठन की घोषणा की

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग (Bihar Rajya Safai Karmachari Ayog) की स्थापना की घोषणा की है। यह कदम लंबे समय से सफाई कर्मचारी यूनियनों की मांग रहा है और इसका उद्देश्य सफाई कर्मियों के अधिकारों की रक्षा, कल्याण और सामाजिक उत्थान सुनिश्चित करना है। मुख्यमंत्री ने इस घोषणा को सोशल मीडिया के माध्यम से साझा किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार सफाई कर्मचारियों के हितों के प्रति गंभीर और प्रतिबद्ध है।

आयोग की स्थापना का उद्देश्य

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह नया आयोग सफाई कर्मचारियों के अधिकारों और हितों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। राज्य भर में स्वच्छता बनाए रखने में सफाई कर्मियों के योगदान को देखते हुए, आयोग उनके कल्याण, पुनर्वास, शिकायत निवारण, और उनके लिए बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी जैसे कार्यों पर केंद्रित रहेगा, ताकि इन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।

आयोग की संरचना

बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, और पाँच सदस्य शामिल होंगे। विशेष रूप से, आयोग में एक ऐसा प्रतिनिधि भी होगा जो या तो महिला होगी या ट्रांसजेंडर समुदाय से होगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सफाई कार्यबल में हाशिए पर रहने वाले वर्गों की भी उचित भागीदारी और प्रतिनिधित्व हो।

आयोग की भूमिकाएँ और कार्य

इस आयोग को राज्य सरकार को सफाई कर्मचारियों के अधिकारों और कल्याण से संबंधित नीतिगत सुझाव देने का दायित्व सौंपा गया है। यह आयोग मौजूदा योजनाओं की समीक्षा करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि वे जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू की जा रही हैं या नहीं। साथ ही, आयोग सफाई कर्मचारियों को सामाजिक और आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करेगा, ताकि असमानताओं को कम किया जा सके और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिले।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

अक्सर वंचित समुदायों से आने वाले सफाई कर्मचारी नौकरी की असुरक्षा, सामाजिक भेदभाव, और कल्याणकारी सुविधाओं की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं। इस आयोग की स्थापना से उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने की उम्मीद है, जिससे उन्हें पुनर्वास, सामाजिक सम्मान, और आर्थिक विकास के अवसर मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि यह आयोग सफाई कर्मियों की जीवन स्थितियों में महत्वपूर्ण सुधार लाएगा और उन्हें राज्य स्तरीय निर्णयों में प्रभावशाली भागीदारी का अवसर प्रदान करेगा।

अमेरिका और EU के बीच हुआ व्यापार समझौता, 15 प्रतिशत टैरिफ पर बनी सहमति

संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) ने महीनों की तनावपूर्ण वार्ताओं के बाद एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते पर सहमति बना ली है, जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों के बीच लंबे समय से जारी शुल्क विवाद का अंत हो गया है। यह समझौता स्कॉटलैंड में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन के बीच हुई उच्च स्तरीय बातचीत के बाद घोषित किया गया। इस समझौते के तहत अब अमेरिका में यूरोपीय संघ के निर्यात पर 15% शुल्क लगाया जाएगा, जो कि पहले ट्रंप द्वारा प्रस्तावित 30% की दर का आधा है। इस सौदे को इतिहास का सबसे बड़ा व्यापार समझौता माना जा रहा है।

समझौते की प्रमुख विशेषताएँ

इस समझौते के तहत अमेरिका यूरोपीय संघ (EU) के सभी उत्पादों पर 15% शुल्क लगाएगा, जबकि EU अमेरिका से आने वाले कुछ विशेष उत्पादों जैसे विमान, विमान के पुर्जे, चयनित रसायन और कृषि उत्पादों पर शून्य शुल्क के साथ अपना बाजार खोलेगा। हालांकि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया कि वैश्विक स्तर पर इस्पात और एल्युमिनियम के आयात पर लागू 50% शुल्क यथावत रहेगा। समझौते में यह भी शामिल है कि यूरोपीय संघ अगले तीन वर्षों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में $600 बिलियन का निवेश करेगा और $750 बिलियन अमेरिकी ऊर्जा संसाधनों — जैसे तरल प्राकृतिक गैस (LNG), तेल और परमाणु ईंधन — पर खर्च करेगा, ताकि यूरोप की रूसी ऊर्जा पर निर्भरता कम की जा सके।

वार्ता प्रक्रिया

यह समझौता स्कॉटलैंड स्थित ट्रंप के टर्नबेरी गोल्फ रिज़ॉर्ट में हुई निर्णायक बैठक के बाद अंतिम रूप से तय हुआ। दोनों नेताओं ने इसे “बड़ा समझौता” बताया, जिसे कठिन वार्ताओं के बाद संभव किया गया। उर्सुला वॉन डेर लेयन ने इसे एक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट करार दिया, जिसकी तकनीकी बारीकियों पर आने वाले हफ्तों में बातचीत जारी रहेगी। यह समझौता पूर्ण रूप से लागू होने से पहले EU सदस्य देशों की मंज़ूरी प्राप्त करेगा, जिनके राजदूत इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस समझौते पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं मिश्रित रही हैं। वॉन डेर लेयन ने इसे स्थायित्व लाने वाला कदम बताया, जबकि कुछ यूरोपीय नेताओं ने सतर्क प्रतिक्रिया दी। फ्रांस के यूरोपीय मामलों के मंत्री बेंजामिन हद्दाद ने इसे “असंतुलित” करार दिया, हालांकि फ्रांसीसी मदिरा जैसे क्षेत्रों को कुछ छूट मिली है। आयरलैंड के प्रधानमंत्री मीकॉल मार्टिन ने कहा कि भले ही समझौता हुआ है, पर शुल्क पहले से अधिक हैं, जिससे व्यापार और महंगा और जटिल हो गया है। वहीं जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने समझौते से आई स्थिरता का स्वागत किया, जबकि इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कहा कि अभी समझौते के विवरणों की गहन जांच की आवश्यकता है। दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अपनी व्यक्तिगत जीत बताया और खुद को एक “डील मेकर” घोषित किया।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

यह समझौता अमेरिका सरकार को पिछले वर्ष के व्यापार आँकड़ों के आधार पर लगभग $90 बिलियन का शुल्क राजस्व दिला सकता है, साथ ही अमेरिकी निर्यात को नए बाजारों तक पहुँच प्रदान कर सकता है। यह ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को भी बढ़ावा देगा और यूरोप की रूस पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा। हालांकि, फ्रेंच वाइन, डच बीयर जैसे उत्पादों को लेकर अभी भी चर्चा जारी है। यह समझौता एक संभावित अमेरिका-EU व्यापार युद्ध को टालने में सफल रहा, लेकिन आलोचकों का मानना है कि इस समझौते में EU ने जितना छोड़ा है, उससे कम प्राप्त किया है।

व्यापारिक पृष्ठभूमि

अमेरिका और EU के बीच वर्ष 2024 में कुल व्यापार लगभग $976 बिलियन रहा। अमेरिका ने $606 बिलियन का आयात यूरोप से किया, जबकि $370 बिलियन का निर्यात किया, जिससे एक बड़ा व्यापार घाटा पैदा हुआ। राष्ट्रपति ट्रंप इस तरह के असंतुलन को अमेरिका के “वैश्विक व्यापार में हारने” का संकेत मानते हैं। यदि यह समझौता न होता, तो EU को स्पेन की दवाएं, इटली का चमड़ा, जर्मनी की इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, फ्रांस का चीज़ जैसे उत्पादों पर भारी शुल्क का सामना करना पड़ता। वहीं EU ने भी अमेरिकी कार पुर्जों, बोइंग विमानों और बीफ पर जवाबी शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी।

NCERT के नये पाठ्यक्रम में कैप्टन शुभांशु और ऑपरेशन सिंदूर

स्कूली शिक्षा को अधिक प्रासंगिक, समकालीन और राष्ट्रीय पहचान से जुड़ा बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) नई पाठ्यक्रम सामग्री पेश करने जा रही है। इन पाठ्यक्रमों में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष मिशन और भारत के निर्णायक सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य छात्रों को देश की बढ़ती रक्षा क्षमता, कूटनीति, अंतरिक्ष अन्वेषण और सतत विकास के प्रयासों के बारे में जागरूक करना है, ताकि वे भारत की प्रगति और वैश्विक भूमिका को गहराई से समझ सकें।

पाठ्यक्रम पहल की पृष्ठभूमि

  • यह विशेष पाठ्य सामग्री शिक्षा मंत्रालय के मार्गदर्शन में विकसित की जा रही है और कक्षा 3 से 12 तक के पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी। वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह सामग्री फिलहाल निर्माणाधीन है और पूर्ण होने के बाद शीघ्र ही लागू कर दी जाएगी।
  • इस पहल का उद्देश्य छात्रों को भारत की राष्ट्रीय उपलब्धियों, सुरक्षा चुनौतियों और वैज्ञानिक प्रगति की समझ देना है, साथ ही उन्हें विश्व मंच पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा पर गर्व महसूस कराना भी है।

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला पर विशेष ध्यान

इस पाठ्यक्रम की एक प्रमुख विशेषता ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उपलब्धि होगी, जिन्होंने Axiom Mission 4 के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने का गौरव प्राप्त किया। उनका समावेश छात्रों में वैज्ञानिक जिज्ञासा जगाने और उन्हें एयरोस्पेस, अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में करियर अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इन मॉड्यूल्स में भारत के प्रमुख अंतरिक्ष अभियानों जैसे चंद्रयान, आदित्य L1, और अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों को भी शामिल किया जाएगा, जिससे यह स्पष्ट हो कि भारत एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभर रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर: रणनीतिक रक्षा की शिक्षा

पाठ्यक्रम में भारत के एक निर्णायक सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर को भी शामिल किया जाएगा, जिसे देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए त्वरित और ठोस प्रतिक्रिया के रूप में अंजाम दिया गया था। यद्यपि इस अभियान से संबंधित अधिकांश जानकारी गोपनीय रहेगी, फिर भी इसे एक केस स्टडी के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे छात्रों को निम्नलिखित पहलुओं की समझ दी जा सके:

  • राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा में सशस्त्र बलों की भूमिका

  • संकट के समय अंतर-मंत्रालयी समन्वय का महत्व

  • राष्ट्रीय सुरक्षा संकटों के दौरान निर्णायक नेतृत्व की आवश्यकता

पाठ्यक्रम में अतिरिक्त विषयवस्तु

स्थायी जीवनशैली के लिए मिशन LiFE

रक्षा और अंतरिक्ष के अलावा, इन मॉड्यूल्स में मिशन LiFE (Lifestyle for Environment) को भी प्रमुखता दी जाएगी, जो पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य छात्रों को सतत जीवनशैली अपनाने, जलवायु परिवर्तन को कम करने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के महत्व के बारे में शिक्षित करना है। यह विषय विद्यार्थियों में पर्यावरणीय जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना विकसित करेगा।

विभाजन: इतिहास से सबक

नए पाठ्यक्रम का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा भारत के विभाजन को समर्पित होगा। इसमें विभाजन के दौरान हुए कष्टों और उसके दीर्घकालिक प्रभावों को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया जाएगा। इस मॉड्यूल का उद्देश्य छात्रों में ऐतिहासिक समझ, सहानुभूति, और विपरीत परिस्थितियों में एकता और धैर्य की भावना को विकसित करना है।

मॉड्यूल्स की संरचना

पाठ्यक्रम को दो स्तरों पर तैयार किया जाएगा:

  • कक्षा 3 से 8 तक के लिए – सरल भाषा और रोचक गतिविधियों के माध्यम से छोटी कक्षाओं के अनुरूप डिजाइन।

  • कक्षा 9 से 12 तक के लिए – अधिक विस्तृत विषयवस्तु और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।

प्रत्येक मॉड्यूल लगभग 8–10 पृष्ठों का होगा और इसमें केस स्टडीज़ (घटनाओं के उदाहरण) का उपयोग किया जाएगा, ताकि विषय छात्रों के लिए अधिक रोचक, व्यावहारिक और समझने योग्य बन सके।

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