भारत में रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि जुड़ीं

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भारत में स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में देश में 13,26,677 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए कुल 75 रामसर स्थलों को बनाने के लिए रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि शामिल हो गई हैं। 11 नए स्‍थलों में तमिलनाडु में चार, ओडिशा में तीन, जम्मू और कश्मीर में दो और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र प्रत्‍येक में एक शामिल हैं। इन स्थलों को नामित करने से इन आर्द्रभूमियों के संरक्षण और प्रबंधन तथा इनके संसाधनों के कौशलपूर्ण रूप से उपयोग करने में सहायता मिलेगी।

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1971 में ईरान के रामसर में रामसर संधि पत्र पर हस्ताक्षर के अनुबंध करने वाले पक्षों में से भारत एक है। भारत ने 1 फरवरी, 1982 को इस पर हस्ताक्षर किए। 1982 से 2013 के दौरान, रामसर स्‍थलों की सूची में कुल 26 स्‍थलों को जोड़ा गया, हालांकि, इस दौरान 2014 से 2022 तक, देश ने रामसर स्थलों की सूची में 49 नई आर्द्रभूमि जोड़ी हैं।

28 स्थलों को रामसर स्थल घोषित 

इस वर्ष (2022) के दौरान ही कुल 28 स्थलों को रामसर स्थल घोषित किया गया है। रामसर प्रमाण पत्र में अंकित स्‍थल की तिथि के आधार पर इस वर्ष (2022) के लिए 19 स्‍थल और पिछले वर्ष (2021) के लिए 14 स्‍थल हैं। तमिलनाडु में अधिकतम संख्या है। रामसर स्थलों की संख्या (14), इसके पश्‍चात उत्‍तर प्रदेश में रामसर के 10 स्थल हैं।

11 भारतीय आर्द्रभूमि जिन्हें नए रामसर स्थलों के रूप में नामित किया गया है:

  1. ओडिशा में ताम्पारा झील
  2. ओडिशा में हीराकुंड जलाशय
  3. ओडिशा में अंसुपा झील
  4. मध्य प्रदेश में यशवंत सागर
  5. तमिलनाडु में चित्रगुडी पक्षी अभयारण्य
  6. तमिलनाडु में सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स
  7. तमिलनाडु में वडुवुर पक्षी अभयारण्य
  8. तमिलनाडु में कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य
  9. महाराष्ट्र में ठाणे क्रीक
  10. जम्मू और कश्मीर में हाइगम वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व
  11. जम्मू और कश्मीर में शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व

रामसर साइट क्या है? 

रामसर स्थल वह आर्द्रभूमि या नम भूमि हैं, जिन्हें रामसर कन्वेंशन के तहत “अंतर्राष्ट्रीय महत्व” दिया जाता है। विश्व भर में आर्द्र भूमि और जलवायु परिवर्तन के महत्व को समझते हुए यूनेस्को द्वारा 2 फरवरी 1971 में विश्व की आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे जो कि सन् 1975 में लागू हुआ था।

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Independence Day 2022: पीएम मोदी ने लाल किले से देश को किया संबोधित

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इस साल 15 अगस्त का मौका बहुत ही खास है क्योंकि भारत अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 9वें साल नई दिल्ली में लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रध्वज फहराया है। देशभर में ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ की धूम है और जनता के बीच भी 15 अगस्त को लेकर खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। 

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लोगों ने अपने घरों पर भी तिरंगा लगाया है और सोशल मीडिया पर भी लाखों लोगों ने अपनी डीपी में तिरंगा लगाया है। सरकार ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चला रही है, जिसके तहत सभी भारतीयों को अपने घरों पर भी तिरंगा फहराया जाना है। 

लगातार 9वीं बार तिरंगा फहराया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले पर लगातार 9वीं बार तिरंगा फहराया। केवल पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (17), इंदिरा गांधी (16) और मनमोहन सिंह (10) ने ही पीएम मोदी से अधिक बार स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया है। 

देश को संबोधित किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश को संबोधित करते हुए कहा है, “डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद हों, नेहरू जी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्त्री, दीनदयाल उपाध्याय, अनगिनत ऐसे महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है।” उन्होंने कहा, “हम आदिवासी समाज का भी गौरव करना नहीं भूल सकते…जिन्होंने आज़ादी में योगदान दिया।”

पीएम मोदी ने दिया भाषण

पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को 9वीं बार संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कुल एक घंटे 24 मिनट और 4 सेकेंड तक भाषण दिया। पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमने देखा है कि कभी कभी हमारी प्रतिभा भाषा के बंधनों में बंध जाती है। ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए।

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस 

पीएम मोदी ने कहा कि कल 14 अगस्त को भारत ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर हमने उन लोगों को भारी मन से याद किया जिन्होंने हमारे तिरंगे के सम्मान और मातृभूमि के प्रति प्रेम लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए देश को महिलाओं का अनादर बंद करने का संकल्प लेने का सशक्त संदेश दिया है। 

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जानें क्या है विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस?

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विभाजन के दर्द को याद करते हुए 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ (Partition Horrors Remembrance Day) मनाया। इस दौरान बीजेपी ने देश भर में मौन मार्च का आयोजन किया। दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) के साथ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, पीयूष गोयल और अन्य बीजेपी नेताओं ने ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के अवसर पर मौन मार्च में भाग लिया।

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पीएम मोदी ने कहा, “अब हर साल स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस के तौर पर याद किया जाएगा। देश का विभाजन कैसे हमारे लिए विभीषिका बनी, इसे याद करने के लिए 14 अगस्त को यह खास दिवस मनाया जाएगा।” एक साल पहले यानी 14 अगस्त 2021 का दिन और आज यानी 14 अगस्त 2021, देश बंटवारे के दर्द को याद करते हुए यह दिवस मना रहा है।

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को लेकर 14 अगस्त 2021 को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भारत सरकार का राजपत्र यानी कि गजट जारी किया गया था, जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार, भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ियों को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना और वेदना का स्मरण दिलाने के लिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवसके रूप में घोषित करती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा था?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष इस दिवस की शुरुआत करते हुए कहा था कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता. नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों-भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा था कि विभाजन के कारण हुई हिंसा और नासमझी में की गई नफरत से लाखों लोग विस्थापित हो गए और कई ने जान गंवा दी. उन लोगों के बलिदान और संघर्ष की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के तौर पर याद किए जाने का निर्णय लिया गया।

पृष्ठभूमि

भारत अपने दूसरे विभीषिका स्मरण दिवस को याद कर रहा है, यह देश में एक राष्ट्रीय स्मारक दिवस है जो भारत के विभाजन के दौरान पीड़ितों और लोगों के कष्टों को याद करता है। यह दिन कई भारतीयों, विस्थापित हुए कई परिवारों और विभाजन में अपनी जान गंवाने वाले कई लोगों की पीड़ा को भी याद करता है। विशेष रूप से, विभाजन में 10 से 20 लाख लोग विस्थापित हुए थे और लाखों लोग मारे गए थे।

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सब्जी, खाद्य तेल के दाम कम होने से जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 6.71 प्रतिशत रही

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सब्जी, खाद्य तेल जैसे खाद्य उत्पादों के सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में नरम होकर 6.71 प्रतिशत पर आ गयी। हालांकि यह अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर की उच्च सीमा 6.0 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। सब्जी और खाद्य तेल तथा अन्य जिंसों के दामों में गिरावट आने के बावजूद खुदरा मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। ऐसी स्थिति में आरबीआई सितंबर के अंत में प्रस्तावित मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और वृद्धि कर सकता है।

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आंकड़ों के मुताबिक खाद्य मुद्रास्फीति भी जुलाई महीने में नरम पड़कर 6.75 प्रतिशत पर पहुंच गयी जबकि जून में यह 7.75 प्रतिशत थी। यह चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून के दौरान सात प्रतिशत से ऊपर बनी हुई थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर की उच्च सीमा 6.0 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। 

मुख्य बिंदु

  • यह लगातार सातवां महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर है। रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
  • आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा महंगाई में नरमी आने का मुख्य कारण सब्जी और खाद्य तेल के दामों में कमी है। ईंधन और बिजली के संदर्भ में कीमतें ऊंची बनी हुई है।
  • केंद्रीय बैंक ने लगातार तीन बार नीतिगत दर रेपो में वृद्धि की है और फिलहाल यह 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
  • आंकड़ों के अनुसार सब्जी और तेल एवं वसा खंड में मुद्रास्फीति जुलाई में नरम होकर क्रमश: 10.90 प्रतिशत और 7.52 प्रतिशत रही। जून महीने में यह क्रमश: 17.37 प्रतिशत और 9.36 प्रतिशत थी।

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मार्च 2023 में होगा महिला आईपीएल का पहला संस्करण

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महिलाओं की इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) मार्च 2023 में एक महीने की विंडो में शुरू की जाएगी और पूरी संभावना है कि इसमें पांच टीमें खेलेंगी, इसकी पुष्टि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने की। बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों ने इस मुद्दे पर चर्चा की और टूर्नामेंट के लिये मार्च की विंडो को ठीक समझा गया जो दक्षिण अफ्रीका में महिला टी20 विश्व कप के बाद की है।

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तीन टीमों की प्रतियोगिता में भारत के बाहर के कई प्रमुख खिलाड़ी भाग लेते हैं। हालांकि, पुरुषों के आईपीएल की तर्ज पर एक बड़ी प्रतियोगिता की मांग कुछ समय से बढ़ रही है। इस साल फरवरी में बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा था कि महिला आईपीएल 2023 में होगा।

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प्रधानमंत्री मोदी सहित तीन लोगों के नेतृत्व में बने विश्व शांति आयोग

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मैक्सिकन राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर चाहते हैं कि वैश्विक शांति के लिए एक आयोग का गठन किया जाए जिसमें पीएम मोदी भी शामिल हों। इसके लिए वे संयुक्त राष्ट्र को एक लिखित प्रस्ताव पेश करने की योजना बना रहे हैं। संभावित प्रस्ताव के मुताबिक यह आयोग पांच साल की अवधि के लिए होगा। उन्होंने आयोग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विश्व के तीन नेताओं के नाम प्रस्तावित किए हैं। 

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मुख्य बिंदु

  • मैक्सिकन राष्ट्रपति ने प्रस्ताव दिया कि शीर्ष आयोग में पोप फ्रांसिस, संयुक्त राष्ट्र महासचिव, एंटोनियो गुटेरेस और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शामिल होना चाहिए। 
  • आयोग का उद्देश्य दुनिया भर में युद्धों को रोकने के लिए एक प्रस्ताव पेश करना होगा। उनके मुकाबिक यह आयोग युद्ध रोकने के लिए कम से कम पांच साल के लिए एक संधि करने के लिए समझौता करेगा। 
  • मैक्सिकन राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी युद्ध की स्थिति में “वे तीनों मिलेंगे और जल्द ही हर जगह युद्ध को रोकने का प्रस्ताव पेश करेंगे। कम से कम पांच साल के लिए एक संधि करने के लिए किसी समझौते पर पहुंचेंगे।
  • उन्होंने कहा कि पांच साल के लिए अगर युद्ध रोकने का समझौता होता है तो सरकारें अपने लोगों की मदद के लिए काम कर सकती हैं और कह सकती हैं कि हमारे पास बिना तनाव, बिना हिंसा और शांति के पांच साल हैं। 

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:

  • मेक्सिको के राष्ट्रपति: एंड्रेस मैनुअल लोपेज़ ओब्रेडोर;
  • मेक्सिको राजधानी: मेक्सिको सिटी;
  • मेक्सिको मुद्रा: मैक्सिकन पेसो।

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एसबीआई बांग्लादेश में भारतीय वीजा केंद्र चलाएगा

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भारतीय स्टेट बैंक (SBI) दो और वर्षों के लिए बांग्लादेश में भारतीय वीज़ा आवेदन केंद्र (IVAC) का प्रबंधन करेगा। संचालन को दो और वर्षों के लिए विस्तारित करने के समझौते पर एसबीआई और ढाका में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों के बीच हस्ताक्षर किए गए। आईवीएसी जल्द ही कुछ अतिरिक्त सेवाएं भी शुरू करेगा जिसमें ऑनलाइन फॉर्म भरने और फॉर्म जमा करने, स्लॉट बुकिंग और मोबाइल ऐप लॉन्च करने की सुविधा शामिल है। ढाका में आईवीएसी केंद्र में एक प्राथमिकता लाउंज का भी उद्घाटन किया गया।

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प्रमुख बिंदु:

  • वर्तमान में एसबीआई बांग्लादेश में 15 केन्द्रों का संचालन करता है। दैनिक आधार पर औसतन साढ़े पांच हजार से अधिक वीजा आवेदन निपटाये जाते हैं। वर्ष 2019 में भारतीय उच्चायोग ने बंगलादेश में 16 लाख से अधिक वीजा जारी किया था।
  • ढाका में जमुना फ्यूचर पार्क में IVAC केंद्र 2018 में खोला गया था। यह सबसे बड़ा भारतीय वीजा आवेदन केंद्र है। पहला IVAC SBI द्वारा 2005 में ढाका में शुरू किया गया था।
  • 2020 और 2021 में कोविड 19 महामारी के कारण रुकावटों के बाद, भारतीय उच्चायोग का वीज़ा संचालन पूरी क्षमता से चल रहा है, जिसमें विभिन्न श्रेणियों के वीज़ा आवेदकों को शामिल किया गया है, जिनमें आपातकालीन स्थितियों में प्राथमिकता के आधार पर शामिल हैं।

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:

  • भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष: दिनेश कुमार खारा;
  • भारतीय स्टेट बैंक का मुख्यालय: मुंबई;
  • भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना: 1 जुलाई 1955।

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World Sanskrit Day 2022: जानें विश्व संस्कृत दिवस का इतिहास और महत्व

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12 अगस्त को विश्व संस्कृत दिवस के रूप में मनाया गया। हर साल श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर इस दिवस का आयोजन किया जाता है। संस्कृत को दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक होने का गौरव प्राप्त है। इसे देवताओं की भाषा भी कहा जाता है। दुनिया की सबसे शुरुआती भाषाओं में से एक होने का गौरव प्राप्त करने वाली यह भाषा भारतीय इतिहास के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसके बारे में लोगों को और अधिक जागरूक करने के मकसद से हर साल विश्व संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

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विश्व संस्कृत दिवस का इतिहास

ऐसा माना जाता है कि संस्कृत भाषा की उत्पत्ति भारत में करीब 3500 वर्ष पहले हुई थी। साल 1969 में पहली बार संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया था। इस दिवस का उद्देश्य संस्कृत के पुनरुद्धार के बारे में जागरूकता फैलाना और उसे बढ़ावा देना है। इस दिवस पर भारतीय इतिहास और संस्कृति में संस्कृत के स्थान को स्वीकार किया जाता है। 

विश्व संस्कृत दिवस का मकसद

संस्कृत भाषा के पुनरुत्थान और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है। इस दिन संस्कृत भाषा पर ध्यान केंद्रित करते हुए के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने और उसकी सराहना करने के लिए और भाषा के महत्व के बारे में बात करने के लिए आमतौर पर पूरे दिन कई सेमिनार आयोजित किए जाते हैं।

 

विश्व संस्कृत दिवस का महत्व

सावन माह की पूर्णिमा यानि श्रावणी पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले राखी त्यौहार के साथ विश्व संस्कृत दिवस को भी पूरे देश में मनाया जाता है। आज भी हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों और प्रथाओं में संस्कृत भाषा का प्रमुख स्थान है। घरों में पूजा-पाठ और मंत्रोच्चारण संस्कृत भाषा में ही किया जाता है। 

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सामाजिक न्याय मंत्रालय ने SMILE-75 पहल शुरू की

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सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार द्वारा आजीविका और उद्यम के लिये हाशिए पर रहने वाले व्यक्तियों हेतु सहायता (SMILE)-75 पहल शुरू की गयी है। स्माइल-75 पहल के तहत, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भीख मांगने वाले व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास के लिए 75 नगर निगमों को चिह्नित किया है। यह पहल आजादी का अमृत महोत्सव के तहत शुरू की गई है।

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भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव की भावना से, “स्माइल-75 इनिशिएटिव” नामक स्माइल (सपोर्ट फॉर मार्जिनलाइज्ड इंडिविजुअल फॉर लाइवलीहुड एंड एंटरप्राइज) के अंतर्गत 75 नगर निगमों की पहचान भिक्षावृत्ति के काम में लगे हुए लोगों के लिए व्यापक पुनर्वास परियोजना लागू करने के लिए की है। इस राष्ट्रव्यापी शुभारंभ कार्यक्रम में चिन्हित किए गए 75 नगर निगम, भिक्षावृत्ति क्षेत्र के विशेषज्ञ और प्रख्यात गैर सरकारी संगठन ऑनलाइन तथा ऑफलाइन माध्यम से शामिल हुए।

SMILE-75 पहल के तहत:

  • स्माइल-75 पहल के अंतर्गत, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों के सहयोग से 75 नगर निगम भिक्षावृत्ति के काम में लगे हुए लोगों के लिए कई प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं को व्यापक रूप से कवर करेंगे, जिनमें परामर्श, जागरूकता, शिक्षा, कौशल विकास, आर्थिक संबंध और अन्य सरकारी कल्याण कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 2025-26 तक के वर्षों के लिए मुस्कान परियोजना हेतु कुल 100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। 
  • इस परियोजना के माध्यम से, मंत्रालय भिक्षावृत्ति के काम में लगे लोगों का समग्र पुनर्वास करने के लिए एक समर्थन तंत्र विकसित करने और एक ऐसे भारत का निर्माण करने की परिकल्पना करता है जहां पर कोई भी व्यक्ति अपना जीवन यापन करने और अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भीख मांगने के लिए मजबूर न हो।  

स्माइल-75 का उद्देश्य

  • स्माइल-75 का उद्देश्य हमारे शहरों/ कस्बों और नगरपालिका क्षेत्रों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करना और विभिन्न हितधारकों के समन्वित गतिविधियों के माध्यम से भिक्षावृत्ति के काम में लगे लोगों के लिए व्यापक पुनर्वास की एक रणनीति तैयार करना है। 
  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय निरंतर चले आ रहे इस सामाजिक मुद्दे का समाधान ठोस प्रयासों के माध्यम से करने के लिए स्थानीय शहरी निकायों, नागरिक समाज संगठनों/ गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका को महत्वपूर्ण मानता है।
  • भारत सरकार ने निर्धनता और भिक्षावृत्ति की समस्या को समझा है और स्माइल (सपोर्ट फॉर मार्जिनलाइज्ड इंडिविजुअल फॉर लाइवलीहुड एंड एंटरप्राइज) नामक एक व्यापक योजना तैयार की है जिसमें भिक्षावृत्ति में लगे हुए लोगों के लिए व्यापक पुनर्वास की एक उप-योजना शामिल है जो पहचान, पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान, परामर्श और शिक्षा, सम्मानित नौकरी तथा स्वरोजगार/ उद्यमिता के लिए कौशल विकास को कवर करती है।

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अर्जेंटीना के रियर एडमिरल को UNMOGIP के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया

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हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अर्जेंटीना के रियर एडमिरल गुइलेर्मो पाब्लो रियोस को भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (UNMOGIP) के मिशन प्रमुख और मुख्य सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया है। उरुग्वे के मेजर जनरल जोस एलाडियो अल्केन ने अर्जेंटीना के रियर एडमिरल गुइलेर्मो पाब्लो रियो के मिशन के प्रमुख और UNMOGIP के लिए मुख्य सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में पद छोड़ दिया, जिसका कार्य पूरा होने वाला है।

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संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह के कार्य

  • जुलाई 1949 के कराची समझौते ने संयुक्त राष्ट्र स्तर के सैन्य पर्यवेक्षकों की भूमिका को मज़बूत किया और जम्मू और कश्मीर में स्थापित युद्धविराम रेखा के पर्यवेक्षण की अनुमति दी।
  • वर्ष 1948 में UNCIP की देखरेख में पहले भारत-पाक सशस्त्र संघर्ष के बाद, पाकिस्तान और भारत दोनों के सैन्य प्रतिनिधियों ने कराची में मुलाकात की और 27 जुलाई 1949 को कराची समझौते पर हस्ताक्षर किये।
  • इसने कश्मीर में एक संघर्ष-विराम रेखा (CFL) की स्थापना की।
  • युद्धविराम की निगरानी हेतु UNMOGIP के पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (PAK) में छह फील्ड स्टेशन और भारतीय प्रशासित कश्मीर (IAK) में चार फील्ड स्टेशन हैं।
  • UNMOGIP 17 दिसंबर, 1971 के युद्धविराम समझौते के सख्त पालन से संबंधित घटनाओं का निरीक्षण करने और संयुक्त राष्ट्र महासचिव को रिपोर्ट करने के लिये इस क्षेत्र में बना हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (UNMOGIP)

  • इसकी स्थापना जनवरी 1949 में हुई थी।
  • कश्मीर में प्रथम युद्ध (1947-1948) के बाद, भारत ने कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों का ध्यान आकर्षित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से संपर्क किया।
  • इसी क्रम में जनवरी 1948 में, UNSC ने विवाद की जाँच और मध्यस्थता हेतु भारत और पाकिस्तान (UNCIP) के लिये तीन सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र आयोग की स्थापना करते हुए, संकल्प 39 को अपनाया।
  • अप्रैल 1948 में, इसके संकल्प 47 द्वारा, UNCIP को UNMOGIP के रूप में पुनर्गठित किया गया था।

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