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राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन: भारत के तकनीकी भविष्य को सशक्त बनाना

नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) भारत की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है। इस मिशन की शुरुआत 2015 में की गई थी और इसका मकसद भारत की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाना है। इसके तहत देशभर के शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सुपरकंप्यूटर स्थापित किए जा रहे हैं। ये सुपरकंप्यूटर नेशनल नॉलेज नेटवर्क (NKN) के माध्यम से आपस में जुड़े हुए हैं, जिससे वैज्ञानिक अनुसंधान, विकास और नवाचार के लिए व्यापक स्तर पर पहुँच और सहयोग सुनिश्चित होता है।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पीआईबी (PIB) द्वारा प्रकाशित जानकारी के अनुसार, नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) के तहत अब तक की गई प्रगति उल्लेखनीय रही है। मार्च 2025 तक इस मिशन के अंतर्गत 34 सुपरकंप्यूटर सफलतापूर्वक स्थापित किए जा चुके हैं, जो 10,000 से अधिक शोधकर्ताओं को कंप्यूटिंग शक्ति प्रदान कर रहे हैं। इससे जलवायु मॉडलिंग, दवा खोज, और ऊर्जा सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा मिला है। वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया यह मिशन भारत को सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

मिशन का अवलोकन
शुभारंभ: 2015, भारत सरकार द्वारा
प्रमुख लक्ष्य: भारत में स्वदेशी सुपरकंप्यूटिंग क्षमताओं का निर्माण और तैनाती

मुख्य फोकस क्षेत्र

  • अनुसंधान एवं विकास (R&D) क्षमताओं को सशक्त बनाना

  • सुपरकंप्यूटिंग में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) को बढ़ावा देना

  • शिक्षा, चिकित्सा, ऊर्जा, खगोलशास्त्र और जलवायु विज्ञान जैसे क्षेत्रों का समर्थन करना

मुख्य घटक

  • शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सुपरकंप्यूटर की स्थापना

  • त्रिनेत्र जैसे स्वदेशी हाई-स्पीड कम्युनिकेशन नेटवर्क का विकास

  • HPC (हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में कुशल पेशेवरों के प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना

वर्तमान स्थिति और उपलब्धियां
तैनात सुपरकंप्यूटर

  • मार्च 2025 तक, 34 सुपरकंप्यूटर तैनात किए गए हैं, जिनकी कुल क्षमता 35 पेटाफ्लॉप्स है

  • प्रमुख लाभार्थी संस्थानों में IISc, IITs और C-DAC शामिल हैं

  • इन प्रणालियों ने 10,000 से अधिक शोधकर्ताओं (1,700+ पीएचडी विद्वान सहित) को सहायता प्रदान की है

R&D पर प्रभाव

  • शोधकर्ताओं ने 1 करोड़ कंप्यूट कार्य पूरे किए और 1,500+ शोधपत्र अग्रणी जर्नलों में प्रकाशित किए

  • सुपरकंप्यूटर ने इन प्रमुख क्षेत्रों में अनुसंधान में सफलता दिलाई है:

    • दवा खोज

    • आपदा प्रबंधन

    • ऊर्जा सुरक्षा

    • जलवायु मॉडलिंग

    • खगोल वैज्ञानिक अनुसंधान

    • पदार्थ अनुसंधान

स्वदेशी विकास

  • पुणे, दिल्ली और कोलकाता में स्वदेशी तकनीक से निर्मित PARAM Rudra सुपरकंप्यूटर परिचालन में हैं

  • त्रिनेत्र नेटवर्क, भारत का हाई-स्पीड कम्युनिकेशन नेटवर्क, कंप्यूटिंग नोड्स के बीच डेटा ट्रांसफर को बेहतर बना रहा है

प्रमुख उपलब्धियां

  • AIRAWAT परियोजना: भारत की AI सुपरकंप्यूटिंग संरचना, जिसकी क्षमता 200 पेटाफ्लॉप्स है, ISC 2023 में वैश्विक स्तर पर 75वें स्थान पर रही

  • PARAM Pravega: IISc बेंगलुरु में स्थापित, यह भारत के सबसे शक्तिशाली सुपरकंप्यूटरों में से एक है (3.3 पेटाफ्लॉप्स क्षमता)

  • PARAM Shivay: 2019 में IIT BHU, वाराणसी में स्थापित पहला स्वदेशी सुपरकंप्यूटर

इन्फ्रास्ट्रक्चर के चरण

  • चरण 1: प्रारंभिक सुपरकंप्यूटिंग ढांचे की स्थापना पर केंद्रित, जिसमें छह सुपरकंप्यूटर तैनात किए गए और भारत में प्रणाली घटकों की असेंबली शुरू की गई

  • चरण 2: सुपरकंप्यूटरों और सॉफ्टवेयर स्टैक्स के स्वदेशी निर्माण पर केंद्रित, जिसमें 40% मूल्यवर्धन भारत से हुआ

  • चरण 3: पूर्ण स्वदेशीकरण की ओर अग्रसर, उन्नत HPC प्रणालियों को प्रमुख संस्थानों में स्थापित करना लक्ष्य

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) से NSM को सशक्त करना

  • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM), सुपरकंप्यूटिंग के लिए आवश्यक प्रोसेसर, मेमोरी चिप्स और एक्सेलेरेटर जैसे घटकों के उत्पादन में भारत की क्षमता को बढ़ाकर NSM को समर्थन देगा

  • ISM का उद्देश्य भारत को सेमीकंडक्टर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है, जिससे तेज़, अधिक प्रभावी और किफायती सुपरकंप्यूटर भारत की आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किए जा सकें।

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