भारत का महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान अब अपने अंतिम विकास चरण में पहुँच गया है, और इसका पहला मानवयुक्त अभियान 2027 की शुरुआत में प्रक्षेपित किया जाएगा। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण छलांग का प्रतीक है, जो उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में देश की बढ़ती आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। साथ ही, यह भारत को एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में और अधिक सशक्त बनाता है।
समाचार में क्यों?
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 6 मई 2025 को घोषणा की कि भारत का गगनयान मिशन अब अपने अंतिम विकास चरण में पहुँच गया है। अब पहला मानवयुक्त मिशन 2027 की पहली तिमाही में लॉन्च किया जाएगा, जो इससे पहले के सभी परीक्षणों की सफलता के बाद होगा। यह जानकारी नेशनल मीडिया सेंटर, दिल्ली में हुई प्रेस वार्ता में दी गई।
पृष्ठभूमि और विकास क्रम
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गगनयान मिशन को 2018 में ₹10,000 करोड़ की लागत के साथ मंजूरी दी गई थी।
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यह ISRO (इसरो) द्वारा संचालित भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है।
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उद्देश्य: तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में सात दिनों तक भेजना।
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कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई थी, पर अब मिशन ने तेज़ी पकड़ी है।
हालिया उपलब्धियाँ और प्रमुख पड़ाव
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TV-D1 (टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन) वर्ष 2025 में सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
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TV-D2 मिशन वर्ष 2025 के अंत में किया जाएगा।
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दो मानवरहित ऑर्बिटल फ्लाइट्स गगनयान मिशन से पहले की जाएँगी।
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भारतीय नौसेना के साथ मिलकर समुद्री रिकवरी परीक्षण किए गए हैं।
प्रौद्योगिकी में प्रगति
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ह्यूमन-रेटेड LVM3 रॉकेट का अंतिम एकीकरण चल रहा है।
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क्रू एस्केप सिस्टम, क्रू मॉड्यूल, और सर्विस मॉड्यूल का परीक्षण अंतिम चरण में है।
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रोबोटिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, मटेरियल साइंस और बायोमेडिकल तकनीक में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण
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भारतीय वायु सेना (IAF) के चार पायलट, अब अंतरिक्ष यात्री-नामित हैं, जिन्होंने रूस में बुनियादी प्रशिक्षण पूरा किया है।
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वे भारत में मिशन-विशिष्ट प्रशिक्षण ले रहे हैं।
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उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति की नियमित निगरानी की जा रही है।
आर्थिक और रणनीतिक महत्व
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गगनयान ने कम लागत में उच्च गुणवत्ता का प्रदर्शन किया है—अन्य देशों के मानव अंतरिक्ष मिशनों की तुलना में खर्च बेहद कम।
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इस मिशन से कई नई तकनीकों का विकास हुआ है और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिला है।
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भारतीय स्टार्टअप्स और MSMEs के लिए एयरोस्पेस सेक्टर में नए अवसर खुले हैं।
भविष्य की योजनाएँ
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2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksha Station) की स्थापना
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2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने का लक्ष्य
सारांश/श्रेणी | विवरण |
समाचार में क्यों? | भारत का गगनयान मिशन अंतिम चरण में, मानवयुक्त उड़ान 2027 में निर्धारित |
मिशन का नाम | गगनयान |
अंतिम चरण की घोषणा | 6 मई 2025 |
मानवयुक्त उड़ान लक्ष्य | 2027 की पहली तिमाही |
प्रमुख विशेषताएँ | ह्यूमन-रेटेड LVM3 रॉकेट, क्रू मॉड्यूल, रिकवरी परीक्षण |
अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण | रूस (पूरा), भारत (चल रहा है) |
आर्थिक लाभ | तकनीकी नवाचार, औद्योगिक विकास, कम लागत वाला मॉडल |
रणनीतिक दृष्टिकोण | 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन, 2040 तक चंद्रमा मिशन |