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ऑपरेशन सिंदूर: भारत ने पाकिस्तान और पीओके में जवाबी हमला किया

भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में स्थित आतंकी शिविरों पर सटीक हमले किए। यह कार्रवाई पाहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद की गई, जिसमें 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की जान गई थी। इस निर्मम हमले के बाद पूरे देश में गहरा आक्रोश और निर्णायक जवाब की मांग उठी थी।

नौ आतंकी ठिकाने निशाने पर: सटीकता और संयम पर जोर

प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) की आधिकारिक जानकारी के अनुसार, इन हमलों में कुल 9 ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनके बारे में माना जाता है कि वे भारत के खिलाफ हमलों की योजना और क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। इन ठिकानों में शामिल हैं:

  • मुज़फ़्फराबाद (PoK) के पास स्थित लश्कर-ए-तैयबा का पूर्व बेस

  • बाहावलपुर (पंजाब प्रांत, पाकिस्तान) में स्थित जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा एक मदरसा

  • कोटली (PoK) में स्थित एक प्रमुख घुसपैठ केंद्र

सरकार ने स्पष्ट किया कि किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया और यह कार्रवाई पूरी तरह से संयमित, केंद्रित और गैर-उकसावे वाली थी।

उद्देश्य: आतंकी ढांचे को नष्ट करना और प्रतिरोध को पुनः स्थापित करना

बालाकोट के बाद फिर से रणनीतिक संतुलन बनाना

भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उद्देश्य 2019 के बालाकोट हवाई हमले के बाद धीरे-धीरे कमजोर हो रहे रणनीतिक प्रतिरोध को फिर से मजबूती देना है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, हाल की गतिविधियों से यह स्पष्ट हुआ कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों ने यह मान लिया था कि भारत अब सीमित प्रतिक्रिया देगा

पाहलगाम का बर्बर हमला, जिसे लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी समूह ‘द रेजिस्टेंस फोर्स’ (TRF) द्वारा अंजाम दिया गया माना जा रहा है, इस नीति परिवर्तन का मुख्य कारण बना। इस हमले में तीर्थयात्रियों और स्थानीय नागरिकों सहित कुल 26 लोगों की जान चली गई, जिससे जनता और नेतृत्व दोनों की ओर से तत्काल कार्रवाई की मांग उठी।

शीर्ष स्तर पर सैन्य समन्वय और रणनीतिक योजना

प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा प्रमुखों के साथ की अहम बैठकें

ऑपरेशन सिंदूर को शुरू करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, और भारतीय सशस्त्र बलों के शीर्ष अधिकारियों के बीच कई दिनों तक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय बैठकें हुईं। इन बैठकों में शामिल थे:

  • नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी

  • वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह

  • रक्षा सचिव आर. के. सिंह

इन बैठकों का उद्देश्य था:

  • जवाबी विकल्पों की समीक्षा

  • सैन्य तैयारियों का मूल्यांकन

  • खुफिया जानकारी का विश्लेषण

भारतीय सेना ने संभावित पाकिस्तानी प्रतिक्रिया को देखते हुए पहले ही नियंत्रण रेखा (LoC) पर अग्रिम चौकियों को मजबूत कर दिया था।

जमीनी स्तर पर कार्रवाई और रणनीतिक संदेश

कोई उकसावे का प्रयास नहीं—केवल जवाबदेही

सेना अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य कोई बड़ा सैन्य टकराव उत्पन्न करना नहीं था, बल्कि यह आतंकवादी नेटवर्क और उनके संरक्षकों को स्पष्ट और कड़ा संदेश देना था।

हवा और ज़मीन से समन्वित हमला

रॉयटर्स और न्यूयॉर्क टाइम्स की अपुष्ट रिपोर्टों के अनुसार:

  • भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) के ऊपर देखे गए

  • मुज़फ़्फराबाद और कोटली के पास कई विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं

ये इलाके लंबे समय से आतंकवाद के गढ़ माने जाते हैं और पाकिस्तान की “रणनीतिक गहराई” की नीति के तहत संरक्षित रहे हैं।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: बदला लेने की चेतावनी

पाकिस्तानी सेना ने ARY न्यूज के माध्यम से पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया दी, जिसमें पुष्टि की गई कि:

  • भारत ने तीन स्थानों पर मिसाइल हमले किए हैं

  • पाकिस्तान अपने चुने हुए समय और स्थान पर जवाब देगा

हालांकि, इस्लामाबाद की ओर से अभी तक किसी जान-माल के नुकसान की पुष्टि नहीं की गई है।

भारत में जन प्रतिक्रिया और राजनीतिक प्रतिक्रिया

यह हमले भारत में व्यापक रूप से सराहे जा रहे हैं, खासकर:

  • पाहलगाम पीड़ितों के परिवारों द्वारा

  • सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा, जो लंबे समय से राज्य प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक नीति की वकालत कर रहे हैं

सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस ऑपरेशन के लिए प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय सेना की प्रशंसा की है।

सोशल मीडिया पर जबरदस्त समर्थन देखा गया है, विशेषकर इन हैशटैग्स के माध्यम से:
#OperationSindoor, #JusticeForPahalgam, #IndiaStrikesBack

आगे क्या? रणनीतिक निर्णय जारी रहेंगे

आज देर शाम तक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर एक विस्तृत ब्रीफिंग की उम्मीद है, जिसमें:

  • रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय

  • संचालन के परिणाम,

  • क्षेत्रीय प्रभाव,

  • और कूटनीतिक संदेश साझा करेंगे।

सतर्कता बनाए रखना अनिवार्य

भारतीय सेना पश्चिमी सीमा पर पूरी तरह सतर्क है, और:

  • निगरानी अभियानों में वृद्धि की गई है

  • सीमा पार खुफिया गतिविधियाँ तेज़ की गई हैं

विश्लेषकों का मानना है कि भले ही यह ऑपरेशन रणनीतिक रूप से सफल रहा है, लेकिन इसके कारण क्षेत्र में अल्पकालिक तनाव की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

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