रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ (एचक्यू आईडीएस) के तत्वावधान में संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र (सीईएनजेओडब्ल्यूएस) ने पेंटागन प्रेस के सहयोग से नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में रक्षा साहित्य महोत्सव ‘कलम और कवच 2.0’ का दूसरी बार सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस वर्ष का विषय ‘रक्षा सुधारों के माध्यम से देश के उत्थान को सुरक्षित करना’ था। 15 अप्रैल, 2025 को आयोजित इस कार्यक्रम में रक्षा प्रौद्योगिकी और विशेष रूप से भविष्य के युद्ध पर रक्षा विनिर्माण के संदर्भ में ध्यान केंद्रित किया गया। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान के अनुरूप था और इसमें अधिग्रहण और खरीद सुधारों के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला गया।
प्रमुख बिंदु
1. रक्षा प्रौद्योगिकी और भविष्य का युद्ध
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आधुनिक युद्ध में तकनीक की भूमिका: चर्चा का केंद्र था कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर तकनीक, क्वांटम कंप्यूटिंग, ड्रोन, अंतरिक्ष तकनीक और सेमीकंडक्टर्स जैसी उभरती तकनीकों का सैन्य अभियानों में एकीकरण।
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भविष्य का युद्ध: युद्ध के विभिन्न क्षेत्रों (थल, वायु, जल, साइबर और अंतरिक्ष) के एकीकरण पर विशेष बल दिया गया, जिससे एक समन्वित और बहु-आयामी रक्षा रणनीति बन सके।
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AI और साइबर तकनीक: साइबर सुरक्षा और संचालन क्षमता बढ़ाने में AI और साइबर क्षमताओं की महत्ता पर ज़ोर दिया गया।
2. रक्षा उत्पादन और आत्मनिर्भरता
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आत्मनिर्भर भारत: कार्यक्रम में रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को दोहराया गया।
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मेक इन इंडिया रक्षा तकनीक: भारत को रक्षा तकनीक और निर्माण में अपनी स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया, जिससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता घटे।
3. अधिग्रहण और खरीद सुधार
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रणनीतिक रोडमैप: भारत की रक्षा खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए जारी सुधारों पर चर्चा की गई।
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रक्षा खरीद नीति: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को बढ़ावा देने के लिए रक्षा खरीद नीतियों में सुधार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की आवश्यकता पर विचार किया गया।
4. बहु-क्षेत्रीय और पार-क्षेत्रीय क्षमताएं
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पार-क्षेत्रीय संचालन क्षमताएं: सेना के संचालन में थल, वायु, जल, साइबर और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों के सामूहिक एकीकरण की अहमियत को रेखांकित किया गया।
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नई सुरक्षा चुनौतियां: समुद्री सुरक्षा (maritime security) पर विशेष चर्चा हुई, जिसमें समुद्री सीमाओं की रक्षा और भविष्य की रणनीतियों को सामने रखा गया।
5. सुधारों का वर्ष – 2025
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रक्षा मंत्री की घोषणा: रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 2025 को भारतीय सशस्त्र बलों के लिए “सुधारों का वर्ष” घोषित किया।
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मिशन मोड दृष्टिकोण: रक्षा सुधारों, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मिशन मोड में लागू करने की प्रतिबद्धता जताई गई, जिससे सेना को तकनीकी रूप से उन्नत और युद्ध-तैयार बल बनाया जा सके।
6. प्रमुख निष्कर्ष
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राष्ट्रीय सुरक्षा पर रणनीतिक फोकस
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रक्षा खरीद प्रणाली में सुधार
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रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
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रक्षा प्रौद्योगिकी का एकीकरण
सारांश/स्थिर जानकारी | विवरण |
समाचार में क्यों? | रक्षा साहित्य महोत्सव ‘कलम और कवच 2.0’ का आयोजन |
कार्यक्रम की थीम | ‘रक्षा सुधारों के माध्यम से भारत के उत्थान को सुरक्षित करना’ |
मुख्य फोकस क्षेत्र | रक्षा प्रौद्योगिकी, भविष्य का युद्ध, AI, साइबर टेक, रक्षा निर्माण |
चर्चित प्रमुख तकनीकें | AI, साइबर तकनीक, क्वांटम कंप्यूटिंग, ड्रोन, अंतरिक्ष तकनीक, सेमीकंडक्टर्स |
आत्मनिर्भरता (Aatmanirbharta) | स्वदेशी निर्माण व रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता पर जोर |
खरीद सुधार | रक्षा खरीद नीति में पारदर्शिता और आधुनिकीकरण पर बल |
बहु-क्षेत्रीय संचालन (Multi-Domain) | थल, वायु, जल, साइबर और अंतरिक्ष में समन्वय |
सुधारों का वर्ष – 2025 | सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से सक्षम और युद्ध-तैयार बनाने पर बल |
रक्षा मंत्री की घोषणा | 2025 को भारतीय सशस्त्र बलों के लिए ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया गया |